सदा की तरह मैंने अपना आक्रोश निकाल तो दिया लेकिन जानता हूं, मेरा भाषण मीना के गले में आज भी कांटा बन कर चुभ गया होगा. क्या करूं मैं मीना का, समझ नहीं पाता हूं.