अंकुश उस के मना करने पर भी अंदर मीनू की खबर ले आया कि मम्मी जो खाना ले के आई थीं, वह अकेले ही खा रही हैं.
अधीर मीनू पर गुस्सा होने के बजाय अंकुश के बचकानेपन पर ही रहम खाने लगा. वह बुदबुदाए बगैर नहीं रह सका, ‘‘कैसी भुक्खड़ मां है.’’
शाम को अधीर ने बच्चों के साथ खाना खाया. जब तक वह बच्चों के सोने का प्रबंध करता रहा तब तक मीनू से न तो अधीर की, न ही बच्चों की बातचीत हुई थी. अधीर ने बच्चों से फुसफुसा कर कह दिया था, ‘‘इस समय तुम्हारी मम्मी बहुत गुस्से में हैं, इसलिए उन से बात करने की गलती मत करना.’’
पिछली रात को नींद पूरी न होने के कारण और आफिस में काम को निबटाने की जद्दोजहद में अधीर इतना थक कर चूर हो गया था कि वह तकिए पर सिर रखते ही गहरी नींद में सो गया.
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कोई 11 बजे होंगे कि एक हृदयविदारक चीख से अधीर और बच्चे जग गए. चीख मीनू के बेडरूम से आई थी, इसलिए वे उधर ही भागे. वहां मीनू अपने पेट को दोनों हाथों से जोर से दबाए हुए कांप रही थी. असहनीय दर्द के मारे उस का सारा शरीर पसीने से नहा गया था. बच्चे मां की यह हालत देख कर जोरजोर से रोने लगे.
अधीर ने झटपट उसे अस्पताल में दाखिल कराया. रात भर वह उसी तरह रुकरुक कर दर्द से चीखती रही. अधीर ने रात में ही ससुराल में उस की हालत के बारे में फोन पर सूचित कर दिया था. सुबह जब उस के फोन करने पर मीनू के आफिस वाले उसे देखने आए तब तक सारी मेडिकल रिपोर्टें आ गई थीं. डाक्टर की इस सूचना ने अधीर को सुन्न कर दिया कि मीनू के दोनों गुर्दे अत्यधिक शराब पीने के कारण खराब हो गए हैं और उन से लगातार रक्तस्राव हो रहा है.
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