आसरा: नासमझ जया को करन से प्यार करने का क्या सिला मिला
माता-पिता के सपनों को चूर कर के ना समझ जया ने करन के प्यार को अपना लिया लेकिन वह भूल गई थी कि जिंदगी तो पत्थर पर उकेरे गए उन अक्षरों की तरह होती है जो एक बार नक्श हो गए तो उन्हें न बदला जा सकता है न ही मिटाया.