पिछले अंक में आप ने पढ़ा:
12वीं जमात में फेल होते ही आभास को उस के पिता ने अपने मछली कारोबार में लगा दिया. आभा स्कूल मास्टर की बेटी थी. वह जहां भी जाती, आभास उसे छोड़ने का एक भी मौका नहीं छोड़ता था. पिता की मौत के बाद हालात ऐसे बने कि आभा व आभास की शादी हो गई. फिर आभा की नौकरी एक स्कूल में लग गई, जहां विनय नाम का एक मास्टर उस के नजदीक आ गया. दोनों में संबंध बने और आभा पेट से हो गई.
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‘‘मेरी जरूरतें वैसी नहीं थीं. वह तो औरत की कमजोरी है, जो जरा सा प्यार मिलने पर पिघल जाती है. तुम अपनी बीवी को भी धोखा दे रहे थे. मेरे पास सिर्फ ऐयाशी के लिए आते थे.’’
‘‘तुम कुछ भी समझ सकती हो,’’ विनय बोला.
‘‘हां, कुछ भी कहने से तुम्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है, क्योंकि तुम बेशर्म हो. तुम एक नंबर के बुजदिल भी हो. अभी तुम्हारी करतूत तुम्हारी बीवी को बता दूं, तो पतलून गीली हो जाएगी. जाओ, दफा हो जाओ. दोबारा अपना चेहरा मत दिखाना. थूकती हूं तुम पर.
‘‘मैं चाहूं तो कानूनन इस बच्चे का हक भी दिला सकती हूं, पर मैं इतनी कमजोर भी नहीं, जितना तुम ने सोचा होगा,’’ आभा गुस्से में इतना कुछ बोल गई.
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विनय तो चला गया, पर आभा बहुत देर तक रोती रही. वह स्कूल जाती. विनय से सामना भी होता, पर कोई बात नहीं होती. लेकिन विनय का खोट उस की कोख में बारबार चोट मारता था. कुछ ही दिनों के बाद अचानक आभास आया. आभा उसे पहचान न सकी. वह बिलकुल बदल गया था. अच्छे कपड़ों में वह सजासंवरा लग रहा था.
आभास बोला, ‘‘कैसी हो आभा? तुम तो पहले से भी ज्यादा खूबसूरत लग रही हो.’’
आभा बोली, ‘‘मैं ने पैसे तो भेज दिए थे. अब क्या चाहिए तुम्हें? मेरा पीछा छोड़ो.’’
‘‘अरे, तुम मेरी बीवी हो. मैं तुम्हें कैसे छोड़ दूंगा?’’ आभास ने इतना बोल कर जबरन उसे खाट पर बिठा दिया और खुद बगल में बैठ गया.
आभा बोली, ‘‘आज कोई जबरदस्ती की, तो मैं शोर मचाऊंगी.’’
‘‘तुम शोर मचा लो, लेकिन मैं कोई जबरदस्ती नहीं करने जा रहा हूं.’’
‘‘देखो, मैं बहुत परेशान हूं. मुझे और तंग न करो.’’
‘‘मैं तुम्हारी परेशानी जानता हूं. जैसा भी हूं, तुम्हारा पति हूं, तुम्हें मुसीबत से बचाने आया हूं. मैं सब जानता हूं.’’ आभा हैरानी से उस की ओर देख कर बोली, ‘‘क्या जानते हो तुम?’’
आभास बड़े ही सब्र से बोला, ‘‘तुम मां बनने वाली हो.’’
आभा को बड़ी हैरानी हुई. वह बोली, ‘‘तुम्हें यह सब कैसे पता चला?’’
‘‘वह सब मैं रास्ते में बताऊंगा. तुम स्कूल जा कर एक हफ्ते की छुट्टी ले लो, फिर आ कर जौइन कर लेना.’’
आभास और आभा टैक्सी से फतुहा जा रहे थे. आभा के पूछने पर आभास बोला, ‘‘तुम्हें जो लड़का सुबहसुबह दूध और अखबार पहुंचाता है, उसे मैं अच्छी तरह से जानता हूं. मैं बीचबीच में यहां भी आता रहा हूं. मास्टर बाबू की मोटरसाइकिल भी तुम्हारे घर के सामने कई बार देख चुका हूं और बाकी खबर उस लड़के से फोन पर लेता रहता हूं. उसी लड़के ने बताया था कि तुम औरतों की डाक्टर से मिलने भी गई थीं.’’
आभास ने आभा का हाथ अपने हाथ में ले लिया. आभा की आंखों से आंसू की बूंदें उस की हथेली पर गिर रही थीं.
आभा बोली, ‘‘तुम इतना बदल कैसे गए?’’
‘‘जब मैं तुम्हारे पास रुपए मांगने गया था, तब तुम्हारी फटकार से मुझे बहुत दुख हुआ. मैं ने 2 साल का आईटीआई का इलैक्ट्रिकल ट्रेड कोर्स में दाखिला लिया. उस के बाद अपनी एक इलैक्ट्रिकल सामान की दुकान खोली और नए बन रहे घरों में वायरिंग का काम किया.
‘‘बाद में पटना में अपार्टमैंट्स में वायरिंग का ठेका लेने लगा. अब तो कुछ ठेके सरकार से भी मिलने लगे हैं. यह सब तुम्हारी वजह से ही हुआ है.’’
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आभा उस से सटते हुए बोली, ‘‘मुझे माफ करना. मुझ से भूल हो गई.’’
‘‘माफीवाफी छोड़ो. घर चल कर तुम भूल कर भी उस मास्टर का नाम न लेना. मां जानती हैं कि मैं बीचबीच में इसलामपुर तुम्हारे पास आता रहता हूं. किसी को तुम्हारे पेट से होने को ले कर कोई शक नहीं होगा.’’
‘‘मगर, यह बच्चा तो विनय का ही है.’’
‘‘यह बच्चा सिर्फ हम दोनों का होगा. तुम कहो, तो मास्टर की टांगें तुड़वा दूं?’’
‘‘नहीं, ऐसा कुछ नहीं करना,’’ आभा बोली.
आभास बोला, ‘‘जैसा तुम कहो.’’
आभा अपनी ससुराल आ गई थी. अब घर पहले से काफी साफसुथरा लगता था. रात में जब आभास उस के पास आया, तो वह बोली, ‘‘आज मछली की बदबू नहीं आ रही है.’’
आभास बोला, ‘‘अब सरकार ने मछली वाला ठेका दूसरी पार्टी को दे दिया है. यहां का विधायक मेरी पहचान का है. वही शिक्षा मंत्री भी है. सोच रहा हूं कि उस से बोल कर तुम्हारा ट्रांसफर यहीं करवा दूं.
‘‘कुछ महीने में तुम्हारा काम हो जाएगा. तब तक वहीं काम करती रहो. अगर तुम चाहो, तो नौकरी छोड़ भी सकती हो.’’
आभा बोली, ‘‘आभास, अब मैं जिंदगी के उतारचढ़ाव से थक गई हूं. अब एक सीधीसादी जिंदगी जीने का मन कर रहा है.’’
आभास ने उस से पूछा, ‘‘अच्छा, सचसच बताना कि क्या सारी गलती मेरी ही थी?’’
‘‘कुछ तुम्हारी, कुछ मेरी और कुछ हम दोनों की.’’
‘‘तब क्यों न पुरानी बातों को भूल कर एक नई जिंदगी की शुरुआत करें… आज से और अभी से?’’
यह सुनते ही आभा आभास की बांहों में समा गई.