झूठ नहीं हकीकत में हमारे भी एक मुन्ना भाई हैं और वह भी एमबीबीएस हैं, यानी महा बोर, बदतमीज, सडि़यल. यह नाम तो लाड़- प्यार में मांबाप ने दिया होगा, उपाधि उन की हरकतों से चिढ़ कर रिश्तेदारों ने दी है. इसे मुन्ना भाई की मिलनसारी कहें या आवारापन, बंजारापन, वह दूरदराज के रिश्ते की भी हर शादी के दूल्हा और हर जनाजे का मुर्दा कहलाते हैं.

कहने का मतलब यह है कि वह हरेक शादी और गमी में शिरकत करते हैं और उस अवसर की खास हस्ती यानी जिस की बरात या अर्थी निकलनी हो उस से ज्यादा अहमियत लेना चाहते हैं, चाहे बरात निकलने या जनाजा उठने में भले ही देर हो जाए मुन्ना भाई को उन का गिलास (समयानुसार चाय या सुरा से भरा) मिलना ही चाहिए और मिलता भी है उन के महा बड़बोला होने की वजह से.

खुशी के मौके पर मुन्ना भाई को नाराज कर के कौन उलटीसीधी बातें सुनना या माहौल खराब करना चाहेगा, सो बेहतर यही है कि मुन्ना भाई को कहीं और उलझा दिया जाए या दूसरे शब्दों में कहें तो कहीं का चौधरी बना दिया जाए. ऐसे मौके पर खाने की व्यवस्था तो बडे़ पैमाने पर होती ही है और उस की जिम्मेवारी उठाने के लिए अपने मुन्ना भाई से बेहतर और कौन होगा?

लोगों की इस तरह की सोच के चलते ही मुन्ना भाई ने अब तक इतनी शादियों में शिरकत की है कि उन का नाम गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में आना चाहिए. सच मानिए, उन के जितना तजुरबा तो शहर के नामचीन केटरर को भी नहीं हो सकता.

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