अकेलेपन का दंश उस अदृश्य जख्म सरीखा होता है जिस की पीड़ा सिर्फ उसे दिखती है जो अपनों से बेगाना हो कर जीने को विवश हो. दीनानाथ भी ऐसी ही गुफा में जी रहे थे.