मेरे नाना रिटायरमैंट के बाद सपरिवार कोलकाता में बस गए थे. उन का कोलकाता के बाहर बसी एक नामचीन डैवलपर की टाउनशिप में बड़ा सा फ्लैट था.
मेरी नानी पश्चिम बंगाल के मिदनापुर की थीं. वे अच्छीखासी पढ़ीलिखी थीं. वे महिला कालेज में प्रिंसिपल के पद पर थीं. नाना ने उन की इच्छा के मुताबिक कोलकाता में बसने का फैसला लिया था.
मैं अपनी मम्मी के साथ दुर्गा पूजा में कोलकाता गया था. मैं ने रांची से एमबीए की पढ़ाई की थी. कैंपस से ही मेरा एक मल्टीनैशनल कंपनी में सैलेक्शन हो चुका था. औफर लैटर मिलने में अभी थोड़ी देरी थी.
मिट्ठी से मेरी मुलाकात कोलकाता में दुर्गा पूजा के दौरान हुई. कौंप्लैक्स के मेन गेट पर वह सिक्योरिटी गार्डों से उलझ गई थी.
शाम के समय पास की झुग्गी बस्ती से कुछ बच्चियां दुर्गा पूजा देखने आई थीं. चिथड़ों में लिपटी बच्चियों को सिक्योरिटी गार्ड ने रोक दिया था.
टाउनशिप के बनने के दौरान मजदूरों ने वहां सालों अपना पसीना बहाया था. ये उन्हीं की बच्चियां थीं.
मिट्ठी वहां अकसर जाती थी. वह उन की चहेती दीदी थी. वह बच्चों के टीकाकरण में मदद करती थी. स्कूलों में उन को दाखिला दिलाती थी. बच्चियों को पूजा पंडाल तक ले जाने और प्रसाद दिलाने में मिट्ठी को तमाम विरोध का सामना करना पड़ा था.
मिट्ठी विजयादशमी के दिन भी दिखाई दी थी. लाल बौर्डर की साड़ी में वह बेहद खूबसूरत दिख रही थी. मिट्ठी मुझे भा गई थी.
मम्मी जल्दी मेरे फेरे कराना चाहती थीं. उन्होंने रांची शहर के कई रिश्ते भी देखे थे. नानी से सलाहमशवरा करने के लिए मम्मी मुझे कोलकाता ले कर आई थीं.
‘‘अमोल खुद अपना ‘जीवनसाथी’ चुनेगा… मेरा पोता अपने लिए बैस्ट साथी चुनेगा… एकदम हीरा…’’ नानी मेरी अपनी पसंद की बहू के हक में थीं.
‘‘गोरीचिट्टी, देशी मेम बहू बनेगी…’’ मम्मी की यही सोच थी. सुंदर, सुशील, घर के कामों में माहिर बहू उन की पसंद थी.
‘‘भाभी, हमारी बहू तो फर्राटेदार अंगरेजी में बतियाने वाली सांवलीसलोनी और स्मार्ट होगी…’’ छोटी मामी ने भी अपनी पसंद जताई थी.
‘‘मुझे मिट्ठी पसंद है…’’ मैं ने छोटी मामी को अपनी पसंद बताई.
मिट्ठी कौंप्लैक्स में ही रहती थी. मेरी मम्मी समेत परिवार के सभी लोग मिट्ठी की हरकतों से अनजान नहीं थे.
‘‘कौंप्लैक्स में मिट्ठी की इमेज ज्यादा अच्छी नहीं है. वह तेजतर्रार है… अमीरजादों के साथ आवारागर्दी करती है… मोटरसाइकिल से स्टंट करती है… बेहद बिंदास है… शौर्ट्स पहन कर घूमती है…’’ छोटी मामी ने मुझे जानकारी दी.
‘‘मुझे बोल्ड लड़कियां पसंद हैं…’’
‘‘उम्र में भी बड़ी है…’’
मैं ने उम्र की बात को भी नकार दिया.
‘‘मिट्ठी कैंपस के लड़कों के साथ टैनिस… क्रिकेट… बास्केटबाल खेलती है… मौडलिंग करती है… कंडोम की मौडलिंग… उस के मम्मीपापा ने कितनी आजादी दे रखी है…’’ मेरी बात से छोटी मामी शायद नाराज हो गई थीं.
‘‘मैं क्या सुन रही हूं…? मेरी रजामंदी बिलकुल नहीं है… नहीं… मैं मिट्ठी को बहू नहीं बना सकती…’’ मम्मी बेहद नाराज थीं. उन्होंने मुझ से दूरी बना ली थी.
मैं मिट्ठी को अपना मान चुका था. शीतयुद्ध का अंत हुआ. नानी को भनक लगी. उन्होंने सब को अपने कमरे में बुलाया. सब की बातों को बड़े ही ध्यान से सुना.
‘‘अमोल ने जिद पकड़ ली है… बदनाम लड़की से रिश्ता करने पर तुले हैं…’’ छोटी मामी ने नानी को बताया.
‘‘यह बदनाम लड़की कौन है…? कहां की है…?’’ नानी ने सवाल किया.
‘‘अपने कौंप्लैक्स की ही है… अपनी मिट्ठी… आवारागर्दी, गुंडागर्दी करती है… पूजा के पंडाल में हंगामा भी किया था… आप ने सुना होगा…’’ छोटी मामी ने मिट्ठी की खूबियों का बखान किया.
‘‘मिट्ठी तो अच्छी बच्ची है… कई बार मंदिर में मिली है… मेरे पैर छुए हैं… मैं ने आशीर्वाद दिया है… वह बदनाम कैसे हो सकती है,’’ नानी छोटी मामी से सहमत नहीं थीं.
‘‘क्या अच्छे परिवार की बच्चियां पराए जवान लड़कों के साथ क्रिकेट… बास्केटबाल और टैनिस खेलती हैं? कंडोम की मौडलिंग करती हैं? छोटे कपड़े पहनती हैं? मुंहफट और बेशर्म होती हैं?’’ मम्मी ने एकसाथ कई बातें बताईं और सवाल उठाए.
‘‘मैं ने अपने लैवल पर इन बातों की पड़ताल की है… जानकारियां इकट्ठी की हैं… मैं मिट्ठी से मिला हूं. वह मर्दऔरत के समान हक की बात करती है… वह एक समाजसेविका है… उसे कई मर्द दोस्तों का भी साथ मिला है… सब मिल कर काम करते हैं… ऐक्टिव रहने के लिए फिटनैस जरूरी है…
‘‘सामाजिक कामों के लिए रुपएपैसों की जरूरत पड़ती है. कंडोम की मौडलिंग में कोई बुराई नहीं है… बढ़ती आबादी को कंडोम से ही रोका जा सकता है… इन पैसों से बस्ती के गरीब बच्चों के स्कूल की फीस दी जा सकती है…
‘‘मिट्ठी बोल्ड है… गलतसही की पहचान और परख उसे है… वह अपने काम में जुटी है… जानती है कि वह गलत
रास्ते पर नहीं है… फुजूल की कानाफूसी और बदनामी की उसे कोई परवाह नहीं है. सब बकवास है…’’ मैं ने नानी की अदालत में मिट्ठी का पक्ष रखा.
‘‘मेरे पोते ने बैस्ट लड़की को चुना है. मिट्ठी ही मेरी बहू बनेगी…’’ नानी ने सहज भाव से अपना फैसला सुनाया. मुझे गले से लगाया… रिश्ते के लिए खुद पहल करने की बात कही.