कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

इस तरह की बातें बिना पंख ही उड़ती हैं. मेघा की मुंहजोरी की बातें मंगल के घर तक पहुंचीं तो मंगल की मम्मी सतर्क हुई. मंगल को तुरंत लाइनहाजिर किया गया और मेघा के स्वभाव के बारे में पूछताछ की गई. अपनी संतुष्टि के लिए मंगल की मां ने सालभर का समय मांगा ताकि वह मंगल की जीवनसंगिनी बनने के लिए मेघा की उम्मीदवारी को परख सके.

कौन जाने इस बीच मंगल के लिए कोई बेहतर रिश्ता ही मिल जाए. या, हो सकता है कि दोनों के बीच खटास ही आ जाए. मां इसी आस पर सालभर निकाल देना चाहती थी. लेकिन कहते हैं न कि करम तो जहां फूटने को लिखे हैं वहीं फूटते हैं. सालभर बाद भी न तो मंगल को कोई मिली और न ही मेघा को.

सालभर बाद दोनों इस सहमति और शर्त के साथ एक बंधन में बंध गए कि मेघा अपने परिवार की जिम्मेदारी पहले की तरह ही उठाती रहेगी और अपनी तनख्वाह भी पूर्ववत उसी परिवार पर खर्च करती रहेगी. लेकिन मनपसंद साथी का नशा किसी भी अन्य नशे से किसी भी प्रकार कम नहीं होता. मेघा भी प्रेम के नशे में आकंठ डूब गई. वह अपनी तनख्वाह बेशक अपनी मां और बहन पर खर्च करती थी लेकिन अब उस के पास उन पर खर्च करने के लिए समय कम पड़ने लगा था. छुट्टी वाले दिन किसी तरह भागती सी मायके जाती और जाते ही वापसी के लिए घड़ी देखने लगती. साल बीततेबीतते नन्हा गोदी में आ गया तो बचेखुचे समय पर उस का कब्जा हो गया.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

सरस सलिल

डिजिटल प्लान

USD4USD2
1 महीना (डिजिटल)
  • अनगिनत लव स्टोरीज
  • पुरुषों की हेल्थ और लाइफ स्टाइल से जुड़े नए टिप्स
  • सेक्सुअल लाइफ से जुड़ी हर प्रॉब्लम का सोल्यूशन
  • सरस सलिल मैगजीन के सभी नए आर्टिकल
  • समाज और देश से जुड़ी हर नई खबर
सब्सक्राइब करें

प्रिंट + डिजिटल प्लान

USD48USD10
12 महीने (डिजिटल)
  • अनगिनत लव स्टोरीज
  • पुरुषों की हेल्थ और लाइफ स्टाइल से जुड़े नए टिप्स
  • सेक्सुअल लाइफ से जुड़ी हर प्रॉब्लम का सोल्यूशन
  • सरस सलिल मैगजीन के सभी नए आर्टिकल
  • समाज और देश से जुड़ी हर नई खबर
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...