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हमारी दोस्ती की नींव मजबूत थी इसलिए दिलों का प्यार तो बना रहा पर मिलनाजुलना काफी कम हो गया. उस का जिन लोगों के साथ उठनाबैठना था, वे सब खानेपीने वाले लोग थे. उस तरह की सोहबत को मैं ठीक नहीं मानता था और इसीलिए हम कम मिलते.

हम दोनों की शादी साथसाथ हुई और इत्तफाक से पहले बेटी और फिर बेटा भी हम दोनों के घर कुछ ही आगेपीछे जन्मे.

चोपड़ा ने 3 साल पहले अपनी बेटी की शादी एक बड़े उद्योगपति खानदान में अपनी दौलत के बल पर की. मेरी बेटी ने अपने सहयोगी डाक्टर के साथ प्रेम विवाह किया. उस की शादी में मैं ने चोपड़ा की बेटी की शादी में आए खर्चे का शायद 10वां हिस्सा ही लगाया होगा.

रुपए को अपना भगवान मानने वाले चोपड़ा का बेटा नवीन कालिज में आने तक एक बिगड़ा हुआ नौजवान बन गया था. उस की मेरे बेटे विवेक से अच्छी दोस्ती थी क्योंकि उस की मां सविता मेरी पत्नी मीनाक्षी की सब से अच्छी सहेली थी. इन दोनों नौजवानों की दोस्ती की मजबूत नींव भी बचपन में ही पड़ गई थी.

‘नवीन गलत राह पर चल रहा है,’ मेरी ऐसी सलाह पर चोपड़ा ने कभी ध्यान नहीं दिया था.

‘बाप की दौलत पर बेटा क्यों न ऐश करे? तू भी विवेक के साथ दिनरात की टोकाटाकी वाला व्यवहार मत किया कर, डाक्टर. अगर वह पढ़ाई में पिछड़ भी गया तो कोई फिक्र नहीं. उसे कोई अच्छा बिजनेस मैं शुरू करा दूंगा,’’ अपनी ऐसी दलीलों से वह मुझे खीज कर चुप हो जाने को मजबूर कर देता.

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