2-2 बेटियां गायब हो चुकी थीं, पर ऐसा लगता कि उन के गायब होने का दुख मंगलू को नहीं था, खाना खाता और खर्राटे मार कर सोता.
मंगलू की पत्नी को यह बात खटकती थी कि ऐसा भी क्या हो गया कि यह आदमी 2 जवान बेटियों के गायब हो जाने पर भी पुलिस में रिपोर्ट न करे और न ही उन्हें ढूंढ़ने की कोई कोशिश करे.
एक दिन की बात है. मंगलू ने अपनी पत्नी से कहा, ‘‘आज मेरा खाना मुन्नी से खेत पर ही भिजवा देना. काम बहुत है. मैं सीधा शाम को ही घर आ पाऊंगा.’’
दोपहर हुई तो मंगलू की पत्नी ने खाना बांध कर मुन्नी को खेत की तरफ भेज दिया, पर आज मां ने मुन्नी को अपनी आंखों से ओझल नहीं होने दिया और हाथ में एक हंसिया ले कर वह मुन्नी का पीछा करने लगी.
मुन्नी सीधा खेत जा पहुंची. मंगलू ने उस से खाना ले कर खाया और पानी पिया, उस के बाद मुन्नी की पीठ पर हाथ फेरते हुए उसे अपने साथ ले कर चल दिया.
‘यह मुन्नी को कहां ले कर जा रहा है? यह तो हमारे घर का रास्ता नहीं है, बल्कि यह तो गांव के बाहर जाने का रास्ता है,’ सोचते हुए रमिया की मां भी दबे पैर मंगलू के पीछेपीछे चलने लगी.
मंगलू चलते हुए अचानक रुक गया और एक छोटी सी झोंपड़ी में मुन्नी को ले कर घुस गया.
रमिया की मां भाग कर उस झोंपड़ी के पास पहुंची और दरवाजे की झिर्री में अपनी आंख गड़ा दी.
अंदर का मंजर देख कर उस का कलेजा मुंह को आ गया. झोंपड़ी के अंदर एक दाढ़ी वाला बाबा बैठा हुआ था, जो शायद तांत्रिक था. उस के एक तरफ किसी देवी की मूर्ति बनी हुई थी, जिस के आसपास खून बिखरा हुआ था. ऐसा लग रहा था कि किसी जानवर की बलि दी गई है.
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