राइटर- मेहर गुप्ता
पापा को 20 साल पहले की अपनी पेशी याद आ गई जब पापा, बड़े पापा और घर के अन्य सब बड़े लोगों ने उन के पैतृक गांव के एक खानदानी परिवार की सुशील और पढ़ीलिखी कन्या अर्थात् निकिता से विवाह के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. घर वालों ने उन का पीछा तब तक नहीं छोड़ा था जब तक उन्होंने शादी के लिए हां नहीं कह दी थी.
पापा ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘नहीं बेटे ऐसी कोई बात नहीं है... 19-20 की जोड़ी थी पर ठीक है. आधी जिंदगी निकल गई है आधी और कट ही जाएगी.’’
‘‘वाह पापा बिलकुल सही कहा आपने... 19-20 की जोड़ी है... आप उन्नीस है और मम्मा बीस... क्यों पापा सही कहा न मैं ने?’’
‘‘मम्मी की चमची,’’ कह पापा प्यार से उस का गाल थपथपा कर उठ गए.
उस दिन उस के जन्मदिन का जश्न मना कर सभी देर से घर लौटे थे. अनिका बेहद खुश थी. वह 1-1 पल जी लेना चाहती थी.
‘‘मम्मा, आज मैं आप दोनों के बीच में सोऊंगी,’’ कहते हुए वह अपनी चादर और तकिया उन के कमरे में ले आई. वह अपनी जिंदगी में ऐसे पलों का ही तो इंतजार करती थी. उस की उम्र की अन्य लड़कियों का दिल नए मोबाइल, स्टाइलिश कपड़े और बौयफ्रैंड्स के लिए मचलता था, जबकि अनकि को खुशी के ऐसे क्षणों की ही तलाश रहती थी जब उस के मम्मीपापा के बीच तकरार न हो.
पापा हाथ में रिमोट लिए अधलेटे से टीवी पर न्यूज देख रहे थे. मम्मी रसोई में तीनों के लिए कौफी बना रही थी.
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