अपने पति की बातों पर वे हंसीं और फिर कहने लगीं, ‘‘मैं ने यह भी सोचा था
कि शायद मेरी बहू मेरे मनमुताबिक न आए, लेकिन फिर भी मैं उस से निभाऊंगी. उसे इतना प्यार दूंगी कि वह भी मेरे रंग में रंग जाएगी. जानते हैं शंभूजी, अगर एक औरत चाहे तो फिर चाहे वह सास हो या बहू, अपने रिश्ते को बिगाड़ भी सकती है और चाहे तो अपनी सूझबूझ से रिश्ते को कभी न टूटने वाले पक्के धागे में पिरो कर भी रख सकती है. हर लड़की चाहती है कि वह एक अच्छी बहू बने, पर इस के लिए सास को भी तो अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी न. अगर घर के किसी फैसले में बहू की सहमति न लें, उसे पराई समझें, तो वह हमें कितना अपना पाएगी, बोलिए? उफ, बातोंबातों में समय का पता ही नहीं चला,’’ घड़ी की तरफ देखते हुए ललिता ने कहा, ‘‘आज आप को दुकान पर नहीं जाना क्या?’’
‘‘सोच रहा हूं आज न जाऊं. वैसे भी लेट हो गया और मंदी के कारण वैसे भी ग्राहक कम ही आते हैं,’’ शंभूजी ने कहा. उन का अपना कपड़े का व्यापार था.
‘‘पर यह तो बताओ कि तुम सासबहू ने क्या प्रोग्राम बनाया है? मुझे तो बता दो,’’ वे बोले.
शंभूजी के पूछने पर पहले तो ललिता झूठेसच्चे बहाने बनाने लगीं, पर जब उन्होंने जोर दिया, तो बोलीं, ‘‘आज हम सासबहू फिल्म देखने जा रही हैं.’’
‘‘अच्छा, कौन सी?’’ पूछते हुए शंभूजी की आंखें चमक उठीं.
‘‘अरे, वह करीना कपूर और सोनम कपूर की कोई नई फिल्म आई है न... क्या नाम है उस का... हां, याद आया, ‘वीरे दी वैडिंग.’ वही देखने जा रही हैं. आज आप घर पर ही हैं, तो ध्यान रखना घर का.’’