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पुलिस इंस्पेक्टर उन के बयान को सुन कर बोला, ‘‘उस युगल की तलाश तो हमें काफी दिनों से है, कुछ दिन पहले हम ने अखबार में भी निकलवाया था तथा लोगों से सावधान रहने के लिए कहा था पर शायद आप ने इस खबर की ओर ध्यान नहीं दिया...यह युगल कई जगह ऐसी वारदातें कर चुका है...पर किसी का भी बताया हुलिया किसी से मैच नहीं करता. शायद वह विभिन्न जगहों पर, विभिन्न नाम का व्यक्ति बन कर रहता है. क्या आप उस का हुलिया बता सकेंगी...कब से वह आप के साथ रह रहा था?’’

जोजो उन्हें पता था उन्होंने सारी जानकारी दे दी...जिस आफिस में वह काम करता था वहां पता लगाया तो पता चला कि इस नाम का कोई आदमी उन के यहां काम ही नहीं करता...उन की बताई जानकारी के आधार पर बस अड्डे और रेलवे स्टेशन पर भी उन्होंने अपने आदमी भेज दिए. पुलिस ने घर आ कर जांच की पर कहीं कोई सुराग नहीं था...यहां तक कि कहीं उन की उंगलियों के निशान भी नहीं पाए गए.

‘‘लगता है शातिर चोर था,’’ इंस्पेक्टर बोला, ‘‘हम लोग कई बार आप जैसे नागरिकों से निवेदन करते हैं कि नौकर और किराएदार रखते समय पूरी सावधानी बरतें, उस के बारे में पूरी जानकारी रखें, मसलन, वह कहां काम करता है, उस का स्थायी पता, फोटोग्राफ आदि...पर आप लोग तो समझते ही नहीं हैं,’’ इंस्पेक्टर थोड़ा रुका फिर बोला, ‘‘वह आप का किराएदार था, इस का कोई प्रमाण है आप के पास?’’

‘‘किराएदार...इस का तो हमारे पास कोई प्रमाण नहीं है. आयकर की पेचीदगी से बचने के लिए कोई सेटलमेंट ही नहीं किया था...सच, थोड़ी सी परेशानी से बचने के लिए हम ने स्वयं को अपराधियों के हवाले कर दिया...हां, शुरू में कुछ एडवांस देने के लिए अवश्य कहा था पर जब उन्होंने असमर्थता जताई तो उन की मजबूरी को देख कर मन पिघल गया था. दरअसल, हमें पैसों से अधिक जरूरत सिर्फ अपना सूनापन बांटने या घर की रखवाली के लिए अच्छे व्यक्ति की थी और उन की बातों में कसक टपक रही थी, बच्चों वाला युगल था, सो संदेह की कोई बात ही नजर नहीं आई थी.’’

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