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विपिन की चाहत पूरी नहीं हुई तो उस ने श्यामा के जीवन को बरबाद करने का निश्चय कर लिया. शाम होते ही विपिन रामभरोसे को ठेके पर ले जाता, उसे जम कर शराब पिलाता. फिर श्यामा के विरुद्ध भड़काता. इस के बाद रामभरोसे नशे में धुत हो कर घर पहुंचता. बातबेबात श्यामा से उल झता, फिर उसे जानवरों की तरह पीटता. बेटियां बचाने आतीं तो उन्हें गला दबा कर मारने की धमकी देता. पासपड़ोस के लोग चीखपुकार सुन कर श्यामा को बचाने आते, तो वह उन से भी भिड़ जाता. उन को भद्दीभद्दी गालियां बकता और वापस जाने को कहता.

रामभरेसे जब अधिक शराब पीने लगा और रातदिन नशे में धुत रहने लगा तो गैराज मालिक ने उसे नौकरी से निकाल दिया. विपिन ने भी अब उसे मुफ्त में शराब पिलाना बंद कर दिया था. वह शराब की जुगत के लिए कभी रिक्शा चलाता तो कभी ढाबों पर जा कर बरतन मांजता. शराब पीने के बाद कभी वह घर आता तो कभी ढाबे पर ही सो जाता. उसे अब न पत्नी की चिंता रह गई थी और न ही बेटियों की.

पति की नशेबाजी से घर की आर्थिक स्थिति डांवांडोल हो चुकी थी. जब बेटियों के भूखे मरने की नौबत आ गई तब श्यामा नौकरी की तलाश में जुटी. 8वीं पास श्यामा को भला अच्छी नौकरी कहां मिलती. उस ने महल्ले में ही स्थित निरंकारी बालिका इंटर कालेज की प्रधानाचार्या से संपर्क किया और अपनी व्यथा बताते हुए जीवनयापन करने के लिए काम मांगा. प्रधानाचार्या ने श्यामा पर तरस खाते हुए रसोइया की नौकरी दे दी. इस के बाद श्यामा 2 हजार रुपए वेतन पर मिडडे मील बनाने का काम करने लगी.

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