Writer- Dr. Neerja Srivastava
इस पर उन्नति बोली, ‘‘और क्या... कह रहे थे कुछ करने की जरूरत नहीं है. बस रानी बन कर रहना... पलकों पर बैठा कर रखेंगे तू देखना,’’ और वह हंस दी थी.
‘‘दीदी तुम्हें मालूम है न कि मम्मीपापा अब रिटायर हो चुके हैं... हम लोगों के चक्कर में बेचारे मकान तक नहीं बनवा सके... बैंक से स्टूडैंट लोन तो है ही प्राइवेट लोन अलग से, विदेश की पढ़ाई उन्हें कितनी महंगी पड़ी पता है?’’
‘‘भाई, तू तो लड़का है. सीए बनते ही बढि़या कंपनी में लग जाना है. तू ठहरा तेज दिमाग... फिर धड़ाधड़ पैसे कमाएगा तू... थोड़ा ओवरटाइम भी कर लेना हमारे लिए... मुझे तो गृहस्थी संभालने दे... लाइफ ऐंजौय करनी है मुझे तो, वह अपने लंबे नाखूनों में लगी ताजा नेलपौलिश सुखाने लगी.’’
‘‘कमाल है दीदी पहले विदेश की महंगी प्रोफैशनल पढ़ाई पर खर्च करवाया, फिर फाइवस्टार में शादी की... दहेज न देने पर भी इतना खर्च हुआ जिस की गिनती नहीं. अब काम नहीं करेगी तो तुम्हारा लोन कैसे अदा होगा, सोचा है? माना काव्या दीदी का और मेरा लोन तुम्हारी जिम्मेदारी नहीं पर अपना लोन तो चुकता कर जो बैंक से तुम ने अपने नाम लिया है... काम क्यों नहीं करोगी? फिर प्रोफैशनल पढ़ाई क्यों की? इतना पैसा क्यों बरबाद करवाया जब तुम्हें केवल हाउसवाइफ ही बनना था?’’
‘‘तू तो करेगा न भाई काम?’’
‘‘तुम काम नहीं करोगी तो कुछ दिनों में ही प्यार हवा हो जाएगा रवि का.’’
‘‘तमीज से बात कर. रवि तेरे जीजू हैं.’’
‘‘तुम्हारी वजह से मैं ने डाक्टरी की पढ़ाई नहीं की जबकि मैं बचपन से ही डाक्टर बनना चाहता था. घर की स्थिति देख कर अपना इरादा ही बदल लिया. न... न... करतेकरते भी इतना खर्च करवा डाला... कर्ज में डूब गए हैं मम्मीपापा... शर्म नहीं आती तुम्हें? कब जीएंगे वे अपने लिए कभी सोचा है?’’