Writer- धीरज कुमार

दिव्या बीए की छात्रा थी. वह रोज पढ़ने कालेज जाती थी. कालेज जाने के दौरान उसे शुभम नाम के एक लड़के से प्यार हो गया था.

शुभम भी उसी कालेज का छात्र था. दोनों रास्ते में बातें करते थे. शुभम ज्यादातर पढ़ाईलिखाई से जुड़ी बातें ही करता था. वह हलकाफुलका हंसीमजाक भी कर लेता था.

दिव्या सम?ा नहीं पा रही थी कि शुभम उस से प्यार करता भी है या नहीं. आखिरकार दिव्या ने एक दिन शुभम से अपने दिल की बात कह दी. तभी उसे मालूम हुआ कि शुभम भी उस से प्यार करता है, पर वह अपने दिल की बात कहने से डरता था.

शुभम ने इस की वजह बताई थी, ‘‘मेरी तरफ से पहल करने पर अगर बात नहीं बनती तो मु?ो बहुत बुरा लगता. मेरे दिल को ठेस पहुंचती, इसीलिए मैं चाहते हुए भी अपनी तरफ से कोशिश नहीं कर पा रहा था.’’

यह बात सच है कि कुछ लड़के अपने दिल की बात कहने में ?ि?ाक महसूस करते हैं या शरमाते हैं. सभी लड़के एक तरह के नहीं होते हैं. शुभम चाहता था कि दिव्या से अपनी बात कह दे, लेकिन वह कह नहीं पा रहा था.

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जब दिव्या ने अपने प्यार का इजहार किया, तो शुभम काफी खुश हो गया. अब वे दोनों एकदूसरे से खुल कर प्यार की बातें करने लगे थे.

दिव्या और शुभम शादी करना चाहते थे, लेकिन उन के मातापिता को दूसरी जाति का होने के चलते यह शादी मंजूर नहीं थी. इस के उलट वे दोनों एकदूसरे के बिना नहीं रहना चाहते थे.

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