तकरीबन 4 साल पहले आई दीपक मिश्रा के डायरैक्शन में बनी वैब सीरीज ‘पंचायत’ नौजवान तबके द्वारा काफी पसंद की गई थी, क्योंकि इस में फुलेरा गांव के बहाने भारत की देहाती जिंदगी की झलक दिखाई गई थी, जिस से जब पढ़ालिखा नयानया बना शहरी पंचायत सचिव अभिषेक त्रिपाठी (जितेंद्र कुमार) रूबरू होता है, तो हैरान हो उठता है कि गांव की राजनीति में आज भी दबंगों का रसूख चलता है और उस में भ्रष्टाचार भी जम कर होता है.

इसी वैब सीरीज के एक प्रसंग में अंधविश्वासों का भी जिक्र है. होता कुछ यों है कि एक योजना के तहत गांव में सोलर एनर्जी के 11 खंभे लगाने की मंजूरी मिली हुई है. पंचायत की मीटिंग में सभी रसूखदार अपने घरों के सामने खंभा लगाने का प्रस्ताव पास करा लेते हैं.

एक आखिरी खंभा लगने की बात आती है, तो उसे गांव के बाहर की तरफ पेड़ के पास लगाने का प्रस्ताव आता है. पर गांव वाले मानते हैं कि उस पेड़ पर भूत रहता है.

अभिषेक त्रिपाठी चूंकि एमबीए कर रहा है, इसलिए पढ़ाई की अपनी सहूलियत के लिए चाहता है कि आखिरी बचा हुआ खंभा पंचायत औफिस के बाहर लग जाए, जहां वह एक कमरे में रहता है. भूत वाली बात पर उसे यकीन नहीं होता, इसलिए वह उस की सचाई जानने के लिए निकल पड़ता है.

अभिषेक त्रिपाठी को पता चलता है कि कुछ साल पहले गांव के एक सरकारी स्कूल के मास्टर ने अपनी नशे की लत छिपाने के लिए यह झठ फैलाया था, जो इस कदर चला था कि कई गांव वालों को भूत होने का एहसास हुआ था.

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