कहा जाता है कि शादी के समय अग्नि के सात फेरे लेने के साथ ही एक लड़की की अग्निपरीक्षा शुरू हो जाती है, लेकिन सैनिकों की जीवनसंगिनी की अग्निपरीक्षा तो विवाहसूत्र में बंधने से पहले ही शुरू हो जाती है, क्योंकि उन्हें पहले से ही यह पता होता है कि शायद उन्हें अपनी आधी जिंदगी पति से दूर रह कर गुजारनी पड़े या न मालूम जिंदगी के किस मोड़ पर उन का हमसफर उन्हें तनहा छोड़ दे.

अंजना राजवंशी के पति भारतीय सेना में लैफ्टिनैंट कर्नल हैं. वे कहती हैं कि एक फौजी से शादी करने वाली लड़की पहले से ही ऐसे हालात से रूबरू होने के लिए तैयार रहती है. फिर भी शुरूशुरू में पति से दूर रहना पड़ता था. ऐसे में नए घरसंसार में रचनेबसने में जीवनसाथी के प्रेम और मदद की कमी कुछ हद तक खली.

वे आगे कहती हैं कि खासकर सिविल बैकग्राउंड से ब्याह कर आने वाली लड़कियों के लिए तो यह काफी मुश्किल भरा दौर होता है. लेकिन अंजना दूर रह रहे अपने पति की गैरमौजूदगी में घर की जिम्मेदारी निभा कर देश के प्रति अपने फर्ज को बखूबी निभा रही हैं.

सैनिकों की पत्नियां घर से जुड़े तमाम काम और पारिवारिक जद्दोजेहद का बखूबी सामना करती हैं. घरपरिवार पर आने वाली मुसीबत से निबट कर वे दूर कहीं ड्यूटी दे रहे अपने पिया को बेफिक्र रखती हैं और उन्हें देश की हिफाजत करने का हौसला देती हैं.

पति का बनीं संबल

अनु माथुर एक सेना के अफसर की पत्नी हैं. वे कहती हैं कि चाहे बच्चों का स्कूल में दाखिला कराना हो या खुद को डाक्टर को दिखाना हो, पति की गैरमौजूदगी में हर छोटीबड़ी जिम्मेदारी उन्हें ही निभानी होती है.

वे आगे बताती हैं कि उन का बेटा अर्जुन साढ़े 3 साल की उम्र में गंभीर रूप से घायल हो गया. ऐसे में पति से दिमागी संबल न मिल पाने के चलते वह दौर उन के लिए दोहरे इम्तिहान की तरह रहा.

एक और सेना के अफसर की पत्नी पूनम खंगारोत कहती हैं कि ऐसे उलट हालात को पौजिटिव रूप में लेना सीख लिया है. ऐसे हालात का अकेले मुकाबला करने से उन की फैसला लेने की ताकत और आत्मविश्वास में बढ़ोतरी हुई है.

दिलेरी से करती सामना

सरहद पर खतरे की जिंदगी गुजारने वाले सैनिकों के समान ही पत्नियों की जिंदगी भी खतरे से खाली नहीं होती. उन की घर की ड्यूटी सरहद की ड्यूटी के समान जोखिम भरी होती है, क्योंकि वे अपने पति की खैरखबर को ले कर चिंतित रहती हैं. लेकिन वे उन सब का सामना हिम्मत और दिलेरी से करती हैं.

रेखा शर्मा को ही लीजिए. उन के पति 12 साल से भारतीय सेना में सेवारत मेजर हैं. वे कहती हैं कि जब उन की फील्ड पोस्टिंग होती है, तो मानो कलेजा हर घड़ी मुट्ठी में रहता है. जब फोन पर बात नहीं हो पाती है, तो किसी अनहोनी के डर से दिल घबराने लगता है. कुछ इलाके ऐसे भी होते हैं, जहां से बातचीत करना मुश्किल होता है या इमर्जैंसी में वो टूट ही जाती हैं. ऐसे में बस टैलीविजन, अखबार पर ही नजर लगी रहती है.

एक सैनिक की पत्नी अनु बताती हैं कि लड़ाई न चलने पर भी माइंस बिछाना जैसी आर्मी ऐक्सरसाइजेज खतरे से खाली नहीं होतीं. फिर जब मईजून की झुलसाती गरमी में पति रेतीले टीलों या ठिठुरती ठंड में सियाचिन में मुस्तैद हों, तो दिल यों ही रो उठता है. ऐसे में वे खुद को संभालती हैं और अपना हौसला बनाए रखती हैं.

वतन के वास्ते

सैनिक की पत्नी अंजना राजवंशी कहती हैं कि यों तो वे काफी हिम्मत से काम लेती हैं, लेकिन जब उन की तबीयत ज्यादा खराब होती है, तो पति से दो मीठे बोल सुनने को तरस जाती हैं. तब लगता है कि काश, वे भी साथ होते. सुखदुख के मौकों पर दूसरे शादीशुदा जोड़ों को देख कर कभीकभी एक टीस सी उठती है.

मांबाप दोनों, फिर भी…

पूनम बताती हैं कि उन के सिजेरियन बच्चा होने पर भी वे अपने पति से 4 महीने बाद मिल सकी थीं. अपनी शादीशुदा जिंदगी के इन 16 सालों में पूनम को पति की कमी अब सब से ज्यादा खलती है, जब उन का बेटा 10वीं जमात में पढ़ रहा है. उन का कहना है कि उम्र के इस नाजुक दौर में उसे पिता के साथ की सब से ज्यादा जरूरत है.

पूनम आगे कहती हैं कि हालांकि वे बच्चों को मातापिता दोनों का ही प्यार देने की कोशिश करती हैं, लेकिन जब पति साथ होते हैं, तो बच्चों के चेहरे पर खुशी पढ़ कर ऐसा लगता है कि काश, वक्त यहीं थम जाए.

ये हिम्मती औरतें बताती हैं कि ज्यादातर फील्ड पोस्टिंग पर रहने वाले पिताओं की तो उन के छोटे बच्चों के लिए पहचानना भी मुश्किल हो जाता है. लेकिन वे बच्चों को हौसला देती हैं. पिता की कमी वे उन्हें महसूस नहीं होने देतीं.

हौसलाअफजाई जरूरी

सरोज राणावत के पति भी भारतीय सेना में हैं. उन का मानना है कि फौजियों के लिए पौजिटिव नजरिया अपनाना बहुत जरूरी है. अगर वे घर की तरफ से बेफिक्र नहीं रहेंगे, तो देश के प्रति अपना फर्ज कैसे निभा पाएंगे.

एक फौजी की पत्नी के लिए हौसला और हिम्मत होना बहुत जरूरी है. ऐसे सैनिकों की दिलदार और जद्दोजेहद करने वाली पत्नियां अपने हालात को एक छोटी सी समस्या समझती हैं, क्योंकि उन्हें नाज है अपने जीवनसाथी पर, जो दूर कहीं रह कर वतन की हिफाजत में मुस्तैद हैं.

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