31 दिसंबर, 2017 : मुंबई. रैस्टोरैंट में नए साल के जश्न के दौरान लगी आग से 14 मरे.

17 अक्तूबर, 2016 : भुवनेश्वर. अस्पताल में लगी आग से 22 मरे व 120 घायल.

27 फरवरी, 2013 : कोलकाता. बाजार में लगी आग से 19 मरे व 17 जख्मी.

5 सितंबर, 2012 : शिवकाशी. पटाका फैक्टरी में लगी आग से 54 मरे व 70 जख्मी.

9 दिसंबर, 2011 : कोलकाता. अस्पताल में लगी आग से 19 मरे व 17 जख्मी.

10 अप्रैल, 2006 : मेरठ. विक्टोरिया पार्क की नुमाइश में लगी आग से 65 मरे व 150 जख्मी.

15 सितंबर, 2005 : पटना. नाजायज पटाका फैक्टरी में लगी आग से 35 मरे व 50 जख्मी.

16 जुलाई, 2004 : कुंभकोणम. स्कूल में लगी आग से 94 बच्चे मरे.

24 मई, 2002 : आगरा. जूता फैक्टरी में लगी आग से 42 मरे.

6 अगस्त, 2001 : इरावदी. मानसिक अस्पताल में लगी आग से 28 मरीज मरे.

13 जून, 1997 : दिल्ली. उपहार सिनेमा में लगी आग से 59 मरे व 103 जख्मी.

23 दिसंबर, 1995 : डबवाली. स्कूल में आग से 442 मरे व 160 जख्मी.

ऐसे दर्दनाक हादसों की खबरें अकसर सुर्खियों में रहती हैं लेकिन सबक नहीं लिया जाता. ज्यादातर जगहों पर कूवत से ज्यादा भीड़, बेतरतीबी, बदइंतजामी, कामचोरी व लापरवाही के चलते अकसर आग लग जाती है.

अब गलीगली में पब व रैस्टोरैंट धड़ल्ले से खुल रहे हैं. मुंबई में बंद पड़ी अकेली कमला मिल की खस्ताहाल इमारत में 30 से भी ज्यादा मनोरंजन केंद्र चल रहे हैं. ज्यादातर में वहां आने वाले व काम करने वालों की हिफाजत के इंतजाम अधूरे हैं.

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