प्लंबिंग के काम का इतिहास बहुत पुराना है. सिंधु घाटी की सभ्यता में ऐसे सुबूत मिले हैं जब पानी को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए इस तरह की तकनीक को अपनाया जाता था.
प्लंबिंग का काम कम पढ़ेलिखे लोगों के लिए रोजगार का अच्छा जरीया है और आज के दौर में तो प्लंबर की अकसर जरूरत पड़ती है. खेतखलिहानों से ले कर घर, औफिस या फैक्टरी सभी जगह प्लंबर की काफी मांग बनी रहती है.
प्लंबिंग का काम किसी कुशल प्लंबर के साथ रह कर सीखा जा सकता है. इस के अलावा इस काम को सिखाने के लिए अनेक संस्थाएं हैं जैसे आईटीआई, पौलीटैक्निक जो इस काम की ट्रेनिंग देती हैं.
इस कोर्स को करने के बाद डिप्लोमा या सर्टिफिकेट मिलता है. प्राइवेट संस्थानों में ट्रेनिंग की फीस ज्यादा हो सकती है लेकिन सरकारी संस्थानों में फीस काफी कम होती है.
आईटीआई और पौलीटैक्निक से प्लंबिंग में डिप्लोमा लेने के लिए कम से कम 10वीं पास होना जरूरी है. आईटीआई में एक साल का डिप्लोमा कोर्स होता है. इस के अलावा 8वीं जमात पास लोगों के लिए भी 6 महीने का सर्टिफिकेट कोर्स है, जिसे सोसाइटी फोर सैल्फ एंप्लौयमैंट (स्वरोजगार समिति) दिल्ली सरकार के तहत कराया जाता है.
स्वरोजगार समिति में प्लंबिंग के मास्टर सुरेंद्र सिंह ने बताया कि 8वीं जमात पास नौजवान भी इस कोर्स को कर सकते हैं. ट्रेनिंग पूरी होने पर एक सर्टिफिकेट दिया जाता है. अगर छात्र 10वीं पास है तो वह दिल्ली जल बोर्ड में लाइसैंस के लिए भी अप्लाई कर सकता है. लाइसैंस मिलने पर वह सरकारी व प्राइवेट काम के ठेके भी ले सकता है.