लेखक- नीरज कुमार मिश्रा

11 नवंबर, 2019 को लखनऊ से तकरीबन 110 किलोमीटर दूर सीतापुर रोड पर सीतापुर जिले के हरगांव नामक कसबे में एक वाकिआ देखने को मिला. यह मौका था कार्तिक पूर्णिमा से एक दिन पहले ‘दीपदान महोत्सव’ का, जो वहां के सूर्य कुंड तीर्थ में दीप जला कर मनाया जाता है.

आसपास के गांवों से सैकड़ों की तादाद में लोग वहां पहुंचे हुए थे और दीपदान कर रहे थे. वहीं पर शिव के मंदिर के ही पास एक मंच भी बनाया गया था. यहां तक तो सब अच्छा लग रहा था, पर हद तो तब हो गई, जब 2-3 किशोर लड़के राधाकृष्ण के वेश में आए और एक लड़का मोर के पंख लगा कर आ गया. वह लड़का एक अलग अंदाज में अपने पंखों को फैला रहा था और सब लोग उस के साथ सैल्फी लेने के लिए टूट पड़ रहे थे.

राधाकृष्ण और मोर बने लड़के मंच पर पहुंच गए और नाचना शुरू कर दिया. जनता तो जैसे इसी के लिए इंतजार में ही थी. तमाम नौजवान उन के वीडियो बनाते रहे, क्योंकि लोगों को उस समय धर्म से मतलब न हो कर उन लड़कों के नाच में ज्यादा मजा आ रहा था. जनता खुश हो कर पैसे लुटा रही थी और इस का मजा वहां की आयोजक समिति के लोग, जो मंदिर के पंडे ही थे, उठा रहे थे, जबकि इस पैसे का एक बड़ा हिस्सा इन लोक कलाकारों और नर्तकों को दिया जाना चाहिए था, पर ऐसा होता नहीं दिखा, पैसे पर तो हक पंडे-पुजारियों का ही होता दिख रहा था. नतीजतन, लोगों के लिए वह एक डांस पार्टी जैसा कार्यक्रम हो गया था.

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