मनीष कुमार अपने दोस्त को बीमारी के हालात में लेकर पटना एन एम सी एच गया था.उसके दोस्त का सुगर लेवल अचानक घट गया था. तीन दिन ईलाज के बाद वह नहीं बच सका. उसके दोस्त का कोरोना जाँच कराया गया.वह कोरोना पॉज़िटिव निकला .मनीष का भी जाँच कराया गया.यह भी कोरोना पॉजिटिव पाया गया .इसे जिला मुख्यालय के आइसोलेशन सेंटर में रखा गया.14 दिन के बाद वह पूर्णतः ठीक होकर घर चला आया .उसका रिपोर्ट भी निगेटिव आ गया .

वह सभी परिवार आमलोगों की तरह स्वस्थ है. लेकिन दो माह बीतने के बाद भी आज भी कोरोना से ग्रसित होने का फ़जीहत पूरा परिवार झेल रहा है. गाँव का कोई ब्यक्ति मनीष के पास बैठने और बात तक करने के लिए तैयार नहीं है. ठीक होने के बाद भी कोई रिश्तेदार तक मिलने के लिए नहीं आया.

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यह सिर्फ मनीष के साथ ही नहीं बल्कि गाँव कस्बे में कोरोना से संक्रमित होकर ठीक होने वाले सभी लोगों को कमोवेश यही झेलना पड़ रहा है.

सबसे अधिक स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर ,नर्स और कर्मचारियों को झेलना पड़ रहा है. इनसे कोई बात नहीं करना चाहता .यहाँ तक किराये पर रहे इन लोगों को मकान खाली करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है.

ममता कुमारी ए एन एम ने बताया कि होली के पहले मेरा ट्रांसफर कर दिया गया.घर से 70 किलोमीटर की दूरी पर.कुछ दिन घर से किसी तरह आना जाना शुरू किया.इसी बीच कोरोना की वजह से फर्स्ट लॉकडाउन लगा.ड्यूटी करना भी जरूरी और लॉक डाउन का पालन करना भी .बहुत कोशिश किया किराये पर कमरा लेने के लिए लेकिन नहीं मिल सका .चार महीने से एक मोटरसायकिल खरीदा और एक लड़के को पाँच हजार रुपये महीना ले जाने और ले आने के लिए दे रही हूँ.

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