केंद्र में नरेंद्र दामोदरदास मोदी सरकार के गठन के बाद सामाजिक समरसता में जो कमी आई है उसका समाज विज्ञानियों द्वारा अध्ययन करना अभी बाकी है. मगर जो दिखाई दे रहा है उसे साफ साफ कहा जा सकता है कि जिस देश में सभी समुदाय के लोग मिलकर प्रेम से रहते थे आज वहां जहर घोला जा रहा है.

जिस देश यह सूत्र वाक्य था- "अनेकता में एकता"  जहां देश में प्राथमिक शालाओं में देश के बच्चे बच्चे को यह पढ़ाया जाता था घुट्टी में पिलाया जाता था. वहां आज समाजिक विभेद पैदा हो चुका है और यह चौड़ा होते जा रहा है, जो चंद नेताओं के लिए तो अच्छा हो सकता है, मगर आम जनता के लिए यह किसी भी स्थिति में अच्छा नहीं कहा जा सकता. क्योंकि सामाजिक समरसता को खत्म करके विभिन्न समुदायों के बीच लगातार बढ़ती खाई खंदक देश को हर एक दृष्टि से पतन की ओर ले जाएगा.

अभी रामनवमी का जुलूस देशभर में निकला जिसका उद्देश्य निसंदेह राम प्रभु के संदेश का प्रसारण करना था मगर गंदी राजनीति के कारण देश के 4 राज्यों में स्थितियां बेकाबू हो गई. कई लोग हताहत हो गए मारे गए पुलिस को स्थितियां कंट्रोल करने में पसीना निकालना पड़ा कुल मिलाकर जो संदेश है वह भयावह है.

राम की मर्यादा कर रहे तार तार

हमारे देश के चंद नेता भगवान राम की सद्गुणों को भी इस तरीके से प्रसारित कर रहे हैं जो स्थितियां बिगाड़ने में सहायक है.

सवाल देश की केंद्र सरकार से यह है कि क्या रामनवमी के जुलूस पर पहले कभी ऐसा होता था क्या कभी प्रभु राम के जन्मोत्सव का जुलूस निकला और स्थितियां ऐसी बदतर हुई थी.

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