हैडलाइनें जो देश के प्रमुख समाचारपत्रों के मुख्य पृष्ठों पर 2 फरवरी को प्रकाशित हुईं या 1 फरवरी को टीवी न्यूज चैनलों ने हल्ले में कहीं, बारबार कहीं और विशेषज्ञों के माध्यम से कहलवाईं, उन में जो कहा गया और बजट प्रस्तावों की सत्यता में कितना मेल है, जरा देखें और समझें :
टाइम्स औफ इंडिया : ‘वूविंग हैव-नौट्स’, हिटिंग हैव-नोट्स, यानी बजट ने उन्हें खुश किया जिन के पास कुछ नहीं है और उन पर प्रहार किया जिन के पास नोटों के भंडार हैं.
इंडियन ऐक्सप्रैस : ‘नो-नौनसैंस बजट’. यानी बिना खराबी वाला बजट.
इकोनौमिक टाइम्स : ‘नो फायरवर्क्स, एफएम शूट्स स्ट्रेट’. यानी आतिशबाजी नहीं, सीधा निशाना.
दैनिक जागरण : ‘सियासत में कालेधन पर चाबुक’, यानी नेताओं के कालेधन पर लगाम कसी और उन्हें पकड़ कर उन पर चाबुक चलेगा.
हिंदुस्तान टाइम्स : ‘सेफ बजट, हाइक्स रूरल, इन्फ्रा स्पैंड’. यानी पूरी तरह से जनहित का सुरक्षित बजट.
नवभारत टाइम्स : ‘जेटली ने साधा टैक्स चोरों पर निशाना’, और ‘मितरो’... यानी अरुण जेटली इस बजट के जरिए टैक्सचोरों को निशाने पर ले रहे हैं और मितरो का मतलब तो हर कोई जानता है ही.
अमर उजाला : ‘जेब में आई उम्मीदें.’ यानी इस बजट से आम जनता की जेबें भर जाएंगी.
जी न्यूज : ‘युवाओं पर फोकस’. यानी रोजगार का खजाना निकलेगा
और युवाओं के लिए रोजगार संबंधी ढेरों फायदे.
इंडिया टीवी और न्यूज 24 : ‘नया नोट नया बजट’. यानी इस बार बजट में जनता के लिए काफीकुछ नया है.
आज तक : ‘किसानों के लिए सरकार ने खोला पिटारा’. यानी बजट से अब किसानों की खस्ताहालत में सुधार होगा.
हिंदुस्तान : ‘जेटली का बजट दांव, करोड़ों मतदाताओं पर करम’. यानी बजट के नाम पर आम जनता और राज्यों के चुनावों के करदाताओं पर कोई एहसान किया गया है.
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