धर्म ताश के पत्तों के महल की तरह है इसीलिए धर्म की जरा सी बुराई से उस के ठेकेदार थर्रा उठते हैं और इकट्ठा हो कर होहल्ला मचाने लगते हैं. उन्हें इस बात का डर रहता है कि धर्म की बुराई से कहीं पोलपट्टी न खुल जाए. धर्म और उस के ठेकेदारों की असलियत सामने न आ जाए.

पाकिस्तान में इन दिनों ऐसा ही हो रहा है. वहां की सुप्रीम कोर्ट ने ईशनिंदा के मामले में एक ईसाई औरत आसिया बीबी को बरी कर दिया तो देशभर में प्रदर्शन और हिंसा का दौर शुरू हो गया. बेवकूफों की भीड़ सड़कों पर आ गई. कट्टरपंथी संगठनों के नेता और उन की पिछलग्गू जमात जजों के खिलाफ प्रदर्शन करने लगी.

पाकिस्तान में भी कई जगहों पर आगजनी, तोड़फोड़ और हिंसा की घटनाएं हुईं. 4 राज्यों में धारा 144 लागू करनी पड़ी. कई इलाकों में सरकार को इंटरनैट सेवाएं बंद कर देनी पड़ीं. कुछ राज्यों में ट्रेनें और स्कूल भी बंद कर दिए गए.

पंजाब प्रांत में हाई अलर्ट घोषित किया गया. लाहौर, कराची, पेशावर, फैसलाबाद समेत 10 से ज्यादा बड़े शहरों में पुलिस ने कर्फ्यू लगा दिया और जनसभाएं करने पर भी रोक लगा दी थी.

अदालत ने आसिया बीबी की फांसी की सजा को जैसे ही पलटा, कई शहरों में मसजिदों से लोगों को इकट्ठा होने के ऐलान होने लगे. कुछ ही देर में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए और आगजनी करने लगे.

प्रदर्शनों के चलते कई हाईवे बंद कर दिए गए. कट्टरपंथियों ने यहां तक कह दिया कि जज और सेना प्रमुख मुसलिम ही नहीं हैं.

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