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Writer- ममता रैना

भूपेश के पास ओहदा और पैसा दोनों थे. उस के साथ रह कर उपासना को अपना भविष्य सुनहरा लग रहा था. उस ने अब अपना दांव फेंकना शुरू किया. वह भूपेश पर दीपमाला को तलाक देने का दबाव डालने लगी. शातिर दिमाग भूपेश को घरवाली और बाहरवाली दोनों का सुख मिल रहा था. वह शादी के पचड़े में नहीं पड़ना चाहता था. उस ने उपासना को कई तरीकों से समझाने की कोशिश की तो वह जिद पर अड़ गई. उस ने भूपेश के सामने शर्त रख दी कि या तो वह दीपमाला को तलाक दे कर उस से शादी करे या फिर वह सदा के लिए उस से अपना रिश्ता तोड़ लेगी.

कंटीली चितवन और मदमस्त हुस्न की मालकिन उपासना को भूपेश कतई नहीं छोड़ना चाहता था. उस ने उपासना से कुछ दिन की मोहलत मांगी.

एक रात दीपमाला की नींद अचानक खुली तो उस ने पाया भूपेश बिस्तर से नदारद है. दीपमाला को बातचीत की आवाजें सुनाई दीं तो वह कमरे से बाहर आई. आवाजें उपासना के कमरे से आ रही थीं. दरवाजा पूरी तरह बंद नहीं था. एक झिरी से दीपमाला ने अंदर झांका. बिस्तर पर उपासना और भूपेश सिर्फ एक चादर लपेटे हमबिस्तर थे. दोनों इतने बेखबर थे कि उन्हें दीपमाला के वहां होने का भी पता नहीं चला.

उस दृश्य ने दीपमाला को जड़ कर दिया. उस की हिम्मत नहीं हुई कुछ देर और वहां रुकने की. जैसे गई थी वैसे ही उलटे पांव कमरे में लौट आई. आंखों से लगातार आंसू बहते जा रहे थे. उस की नाक के नीचे ये सब हो रहा था और वह बेखबर रही. वह यकीन नहीं कर पा रही थी कि इतना बड़ा विश्वासघात किया दोनों ने उस के साथ.

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