सवाल

मैं उत्तराखंड का रहने वाला हूं. मेरी उम्र  28 साल है. डाकखाने में मेरी सरकारी नौकरी है. वहीं पर एक लड़की भी काम करती है, जो  23 साल की है. वह मुझे पसंद करती है, पर हमारी जाति अलगअलग है. वह निचली जाति की है.  एक बार मैं ने अपने घर वालों को उस के बारे में बताया, तो उन्होंने मुझे साफ मना कर दिया कि दूसरी जाति की लड़की से शादी नहीं करेंगे. घर वालों के इस दकियानूसी रवैए की वजह से मुझे तनाव रहने लगा है. मैं क्या करूं?

जवाब

आप जैसे लाखों नौजवान हिम्मत न कर पाने की वजह से अपनी मनपसंद जगह पर शादी नहीं कर पाते हैं. आप बालिग हैं और खुद कमाते हैं. लड़की भी नौकरी में है, फिर किस बात का डर. घर वालों की भावनाओं का खयाल कुदरती बात है, लेकिन उन्हें भी आप के जज्बातों की कद्र करनी चाहिए.  जातपांत की सोच बहुत दकियानूसी और पिछड़ेपन की निशानी है. आप बेफिक्र हो कर उस लड़की से शादी कर लें. घर वाले धीरेधीरे उसे स्वीकार कर लेंगे.

सवाल

मैं एक 38 साल की औरत हूं. मेरे 2 बच्चे हैं. मेरा पति शराबी है और मुझ से मारपीट करता है. उसे लगता है कि मैं किसी दूसरे के साथ नाजायज रिश्ते में हूं, पर ऐसा कुछ नहीं है. मैं ने कई बार अपने पति को समझाने की कोशिश की, पर सब बेकार गया. मैं कैसे अपने पति को लाइन पर लाऊं?

जवाब

शक का इलाज तो लुकमान हकीम के पास भी नहीं था, इसलिए यह उम्मीद छोड़ दें कि शराबी पति लाइन पर आएगा, लेकिन उसे भरोसा दिलाने की कोशिशें जारी रखें. बेबुनियाद शक एक तरह की दिमागी बीमारी या नुक्स है, जिस में आदमी को पता रहता है कि वह गलत कर रहा है, लेकिन वह अपने दिमाग के हाथों मजबूर रहता है. आप ज्यादा से ज्यादा समय पति के साथ गुजारें. उस के सामने किसी गैरमर्द की बातें या तारीफ न करें और कोशिश करती रहें कि आप दोनों के बीच का प्यार कम न हो. हालांकि यह मुश्किल काम है, लेकिन इस के सिवा और कोई रास्ता भी नहीं है.

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