प्रधानमंत्री बनने के बाद जिस तरह से नरेन्द्र मोदी ने सरकारी विभागों से लेकर संसद तक में सुधार और साफ सफाई का अभियान चलाया था कुछ उसी राह पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी चल रहे हैं. मुख्यमंत्री सचिवालय से लेकर हजरतगंज थाने तक उनकी यह तेजी दिखाई दी. आने वाले दिनों में दूसरे ऑफिसों में भी अभियान दिखेगा. देखने वाली बात यह होगी की इस अभियान का सरकारी कामकाज पर क्या असर पड़ता है? इससे जनता को सच में कितनी राहत का अनुभव होता है. सरकारी नौकर अभी ‘तेल देखो तेल की धार देखो’ के मुहावरे की तरह से पूरे अभियान को देख रहे हैं. कुछ साल पहले बसपा नेता से मुख्यमंत्री बनी मायावती भी अपने शुरूआती फैसलों से लोगों को चौकाने वाली काम करती थी. कई बार सड़क, नाली का औचक्क निरीक्षण करते समय अपने पैर की ठोकर मार कर देखती थी कि ईंटा कितना सही लगा है.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद में पहली बार प्रवेश किया तो संसद भवन की सीढियों के पैर छुये. उस समय शपथ ली थी कि संसद के इस पवित्र जगह को अपराधियों से मुक्त कर देंगे. यही नहीं स्वच्छता अभियान के तहत केन्द्र सरकार के मंत्रियों से लेकर सरकारी विभागों और विश्वविद्यालयों तक में सफाई अभियान शुरू हो गया. इसका प्रभाव कब तक चला और क्या असर हुआ किसी भी रेलवे स्टेशन पर जाकर देखा जा सकता है.

केन्द्र के सरकारी विभागों में कितना भ्रष्टाचार कम हुआ वहां पर काम कराने वाले लोगों को बेहतर तरह से पता है. प्रधानमंत्री ने हर सांसद को कहा था कि वह हर साल एक गांव को गोद लेकर उसका विकास करे. शुरूआत में उसका भी बहुत प्रचार हुआ. दूसरे साल किसी सांसद ने यह नहीं बताया कि अब उसने कौन सा गांव गोद लिया है जो गांव पिछले साल गोद लिया था उसको क्या हुआ.

मोदी जी की ही तरह योगी जी भी मुख्यमंत्री बनने के बाद तेजी में हैं. सरकारी सिस्टम को गतिशील और स्वच्छ बनाने की शपथ दे रहे हैं. सरकारी विभाग जितने बेहतर तरह से काम करे इससे अच्छा कुछ हो ही नहीं सकता. सरकारी विभागों में सुधार एक दिन में नहीं आयेगा. सरकारी नौकर जनता का काम बिना रिश्वत के समय पर कर दे इसके लिये केवल सिटीजन चार्टर लागू करने से काम नहीं होने वाला.

सरकारी नौकरों की कार्यशैली बदलनी होगी. इनकी पोशाक बदलने से कुछ नहीं होगा यह जनता के दर्द को समझ ऐसी सोंच डालनी होगी. पुलिस और तहसील सुधर जायें. किसानों की जमीनों पर से अवैध कब्जे हट जाये किसानों को जमीन की नापजोख के लिये दरदर भटकना न पड़े ऐसा प्रयास हो.

जब थाने की पुलिस पीड़ित की बात सुनने से लेकर उसपर कड़ी कारवाई करने लगे तो किसी भी तरह के एंटी रोमियो स्क्वायड की जरूरत नहीं होगी. पुलिस संवेदनशील हो जाये वह जनता और बदमाश के बीच के फर्क को बखूबी समझती है बस केवल महसूस नहीं करती. नेताओं और दंबगो की दबाव में आकर गलत काम करना बंद कर दे इससे बड़ा कोई सुधार नहीं हो सकता.

योगी जी आपको थाने जाने की जरूरत नहीं है. आपका इकबाल इतना है कि हर पुलिस थाना, तहसील और सरकारी ऑफिस सुधर सकता है. आपका संदेश ही काफी है. यह तेजी बनी रहे तो बहुत कुछ हो सकता है. अभी यह लोग समझ रहे है कि योगी जी की तेजी कुछ दिनों की है ऐसे में यह लोग बुरे दिनों की तरह जल्दी से इसको बीत जाने की राह देख रहे हैं. यह दिन लंबे चले तभी सार्थक प्रभाव पड़ सकेगा.

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