क्या देश अभी भी लकीर का फकीर बना हुआ है? क्या यह सोच भारत के जनमानस में अभी भी नहीं पहुंची है कि कम से कम 12 साल से छोटे बच्चों के साथ हमें कैसा कोमल बरताव करना चाहिए? क्या सिर्फ अपनी नौकरी बचाने और नेताओं के इशारे पर हर उस गलत चीज को भी हम सिर झुका कर आसानी से मान लेते हैं और कोई भी हुक्म बजा लाते हैं?

इस का सब से बड़ा उदाहरण हैं प्रधानमंत्री और राज्यों में मुख्यमंत्रियों के आने पर स्कूल के बच्चों को उन की रैलिया में, सभाओं में ले जाने का काम स्कूल मैनेजमैंट खुशी या मजबूर हो कर करने लगता है और समझने वाली बात यह है कि निजी स्कूल ऐसा क्यों नहीं करते और सरकारी स्कूलों के बच्चों को आननफानन स्कूल ड्रैस में सभा में भीड़ बढ़ाने के लिए ले जाया जाता है? इसे बच्चों के साथ क्रूरता और अपराध की कैटेगिरी में रखा जाना चाहिए.

सवाल यह भी है कि अगर कहीं ऐसे हालात में कोई हादसा हो जाए, तो उस का जिम्मेदार कौन होगा, यह भी तय करने की जरूरत है.

तमिलनाडु के कोयंबटूर जिला शिक्षा अधिकारी ने कोयंबटूर में भारतीय जनता पार्टी के नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो में स्कूली बच्चों की भागीदारी पर जांच के आदेश जारी कर दिए हैं. इस से पक्ष और विपक्ष के बीच बहस की तलवार खींच गई है. मामला पुलिस तक पहुंच गया है और अब मद्रास हाईकोर्ट मे चल रहा है.

सनद रहे कि नरेंद्र मोदी ने मेट्टुपालयम रोड पर बने गंगा अस्पताल और आरएस पुरम के मुख्य डाकघर के बीच 4 किलोमीटर लंबा रोड शो किया था. सरकारी सहायता प्राप्त श्री साईं बाबा मिडिल स्कूल के 14 साल से कम उम्र के बच्चे रोड शो के दौरान अलगअलग जगहों पर पार्टी के प्रतीक चिह्नों वाली भगवा रंग की कपड़े की पट्टियां पहने हुए भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा आयोजित मंचों पर परफौर्म करते हुए देखे गए.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 महीना)
USD2
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...