विकास की खोखली हवा के सहारे भाजपा का विजय रथ ज्योंज्यों चारों ओर आगे बढता जा रहा है, पीछेपीछे पराजय की धूल उस की जीत को धुंधला रही है. यह स्थिति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के अजेय रहने के गर्व को तोड़ रही है.

2014 में मोदी जिस विकास की बात कर राज्य दर राज्य जीतते आ रहे हैं, तब से हो रहे उपचुनावों में मिल रही लगातार हार उस विकास की पोल खोलती आ रही है. हाल ही उत्तरप्रदेश और बिहार में हुए 3 लोकसभा और 2 विधानसभा के उपचुनावों में भाजपा को करारी हार से उस के अंध समर्थक हैरान हैं. उत्तरप्रदेश की गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट मोदी और योगी के विकास की गंगा में बह गईं.

करीब एक साल पहले हिंदुत्व के कट्टर चेहरे योगी आदित्यनाथ को उत्तरप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाए जाने से खाली हुई गोरखपुर और उपमुख्यमंत्री बने केशवप्रसाद मौर्य की फूलपुर लोकसभा सीट उपचुनाव में मिली शिकस्त ने भाजपा के बड़बोले दिग्गजों की हेकड़ी निकाल दी है.

गोरखपुर सीट 3 दशक से हिंदुत्व के गोरखनाथ मठ की बपौती रही है पर इस बार समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने मिल कर पार्टी के गढ को ढहा दिया. भाजपा के उपेंद्र शुक्ल को सपा के प्रवीण निषाद ने हरा दिया. 1989 से इस लोकसभा सीट पर गोरखनाथ मठ का दबदबा था. योगी आदित्य नाथ 1998 से लगातार 5 चुनावों में यहां से जीतते आ रहे थे. इस से पहले यह सीट उन के गुरु महंत अवैधनाथ केपास थी.

उधर फूलपुर से सपा के नागेंद्र पटेल ने भाजपा के कौशलेंद्र सिंह पटेल को 59 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज की. गोरखपुर और फूलपुर क्षेत्र में दलित और पिछड़े मतदाताओं की तादाद अधिक है. गोरखपुर में सब से अधिक निषाद वोटर करीब 3.6 लाख हैं. इस के अलावा करीब 2-2 लाख यादव और दलित और 1.5 लाख ब्राह्मण मतदाता हैं. इस तरह सीधी लड़ाई में निषाद, यादव, दलित और मुस्लिम वोटरों ने मिल कर भाजपा को ले बैठे.

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