लोकतंत्र का मतलब यह माना जाता है कि जो भी काम होंगे, वे जनता के हित में उन के चुने हुए प्रतिनिधि करेंगे. जिस देश में जितने ज्यादा नागरिकों को वोट देने का हक रहता है, उस देश को उतना ही ज्यादा लोकतांत्रिक समझ जाता है. इस तरह भारत दुनिया के लोकतांत्रिक देशों में सब से बड़ा है. यहां वोट देने वाले नागरिकों की तादाद दुनियाभर में सब से बड़ी है.

भारतीय संविधान ने अनुच्छेद 326 के तहत बालिगों को वोट डालने का हक दिया है. वोटर के लिए जरूरी है कि वह 18 साल या उस से ज्यादा उम्र का हो, साथ ही भारत का निवासी भी हो.

भारत में 1935 के ‘गवर्नमैंट औफ इंडिया ऐक्ट’ के मुताबिक, तब केवल 13 फीसदी जनता को वोट का हक हासिल था. वोटर का हक हासिल करने की बड़ीबड़ी शर्तें थीं. केवल अच्छी सामाजिक और माली हालत वाले नागरिकों को यह हक दिया जाता था. इस में खासतौर पर वे लोग ही थे, जिन के कंधों पर विदेशी शासन टिका हुआ था. पर आजाद भारत में वोट का हक सभी को दिया गया.

लोकतंत्र के बाद भी हमारे देश में लोक यानी जनता की जगह पर तंत्र यानी अफसर और नेताओं का राज चलता है. इस में जनता घरेलू मामलों से ले कर अदालतों तक के बीच चक्की में गेहूं की तरह पिसती है. आखिर में उस का आटा ही बन जाता है. अब शायद कोई ही ऐसा हो, जो इस चक्की में पिस न रहा हो. घर के अंदर तक कानून घुस गया है. पतिपत्नी के बीच से ले कर घर के बाहर सीढ़ी और छत आप की अपनी नहीं है. जो जमीन आप अपनी समझ कर रखते हैं, असल में वह आप की नहीं होती है.

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