नरेंद्र मोदी का नया बड़ा मंत्रिमंडल कोई नया भरोसा दिलाने वाला नहीं है. असल में भारतीय जनता पार्टी के पास काम करने वालों में सिर्फ भक्त बचे हैं. जो योग्य हैं, कुछ नया करना जानते हैं, कुछ देश या समाज के लिए करना चाहते हैं, वे आज दुबकेसिमटे पड़े हैं क्योंकि भीड़ तो उन की है जो जयजय की ललकार कर सकते हैं, यात्राओं में जा सकते हैं, मूर्तियों के आगे पसर सकते हैं, कीमती समय धागों को बांधने में या दीए जलाने में लगा सकते हैं.
आज योग्य वही है जो एक ही बात को दिन में हजार बार दोहरा सके, सिर्फ और सिर्फ एक किताब पढ़े, प्रवचन सुने और सवाल खड़े न करे. नरेंद्र मोदी ने जितनों को नया मंत्री बनाया है या जिन को तरक्की दी है उन की खासीयत यही है कि वे सब लकीर के फकीर हैं.
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आज देश के सामने सेहत का सवाल सब से बड़ा है पर नए स्वास्थ्य मंत्री अभी भी आयुर्वेद की बात करते हैं जिस में जड़ीबूटियों को बिना छाने, छांटे, कितनी खानी है आदि की सलाह दी गई है. अब जैसे वीर्य बढ़ाने के लिए बताया गया है शरशूल, गन्ने की जड़, कांटेड की जड़, सतावरी, क्षीर विदारी, कटेरी, जीवंती, जीवक आदि को छान लें और शहद आदि मिला कर खाएं. अब वीर्य की कमी है, यह कैसे पता चलेगा? यह तो आज स्पर्म काउंट से एलोपैथी से पता चलता है. फिर आयुर्वेद का गुणगान किस काम का जो नए स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया करते फिरते हैं?
नरेंद्र मोदी सरकार के सारे मंत्रियों के पास हिंदूमुसलिम तनाव, पाकिस्तान, राम मंदिर, टीका, तिलक, कलेवा और अब लंबी दाढ़ी देश को ढंग से चलाने का उपाय?है. इन नए और पहले के बचे पुराने मंत्रियों से कुछ नया होगा यह भूल जाइए.
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हां, इतना जरूर है कि देश का शासक चाहे जैसा हो, देश तो चलेगा. लोग अपनी जगह काम करेंगे, किसान खेती करेंगे, बसें चलेंगी, दुकानें खुलेंगी, कारखानों में काम होगा ही. सरकार खराब हो या अच्छी फर्क नहीं पड़ता. पेट शायद सब का भर जाए और भुखमरी की नौबत आएगी ऐसा लगता नहीं है. देश की जनता इस मंत्रिमंडल से ज्यादा मेहनती और अपनी फिक्र करने वाली है.
नरेंद्र मोदी के ‘दीदी ओ दीदी’ और ‘2 मई दीदी गई’ जैसे लटके बेकार गए, ताली, थाली और दीया काम के नहीं रहे, किसान कानून किसानों के आंदोलन के कारण पस्त हो रहे हैं, बालाकोट के बावजूद पाकिस्तान वहीं का वहीं और न राफेल से डरा सकता है और न राजपथ पर योगासनों से– या नए बन रहे सरकारी आलीशान भवनों से. उलटे पाकिस्तान का अब फिर चीन के साथ अफगानिस्तान में दखल बढ़ गया है और इसी अफगानिस्तान में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान भारत का विमान अपहरण कर के ले जाया गया था. भारत अमेरिका के साथ?है पर अमेरिकी जनता, जिस ने जो बाइडेन को चुना है, भारत सरकार को नहीं चाहती और भारतीय मूल की कमला हैरिस भूल कर भी भारत की बात नहीं करतीं. विदेश मंत्री जिन्हें हटना चाहिए था, वहीं हैं, रक्षा मंत्री वहीं हैं. छोटे मंत्री हटा दिए गए जो महामहिम की चमचमाती मूर्ति पर सही पौलिश नहीं लगवा पा रहे थे.
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यह मंत्रिमंडल का हेरफेर भाजपा की मजबूरी हो सकती है पर जनता के लिए किसी तरह से राहत की सांस नहीं है.