लोकसभा में बहुमत होने का मतलब होता है केंद्र सरकार चलाना और जनता को सही सरकार देना. अफसोस यह है कि बहुमत वाली पार्टी भारतीय जनता पार्टी अपनी सारी ताकत सही सरकार चलाने की जगह पर विपक्षी दलों की सरकारों को गिराने, परेशान करने में लगी रहती है. पहले कर्नाटक, फिर मध्य प्रदेश, फिर राजस्थान, फिर महाराष्ट्र, फिर झारखंड, फिर बिहार में पिछले 6-8 सालों से लगातार भारतीय जनता पार्टी घुसपैठियों की तरह चुनी हुई सरकारों को गिराने में लगी हुई है.

हो सकता है कि भारतीय जनता पार्टी के मन में पुराणों में बारबार बताए गए चक्रवर्ती राजाओं का खयाल आता हो या कांग्रेस का इतिहास दोहराने की तमन्ना हो. पुराणों में हर राजा अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा छोड़ता रहता था और नरेंद्र मोदी की सरकार केंद्रीय जांच एजेंसियों के जरीए यह कर रही है. पुराणों के अनुसार भी जो राजा चक्रवर्ती बनने की इच्छा रखने वाले राजा की शरण में बिछ जाता था, वह धर्मप्रिय माना जाता था, निष्कलंक बन जाता था.

अब अरविंद केजरीवाल की मजबूत बहुमत वाली दिल्ली सरकार, जिस पर उपराज्यपाल का घोड़ा हर समय मंडराता रहता है, अपना बहुमत विधानसभा में साबित करने में लगे हैं. यह सोच कि दूसरी पार्टी की सरकार चले ही न, सारे कामों पर काला पानी फेर देती है. लोकतंत्र के बिना यह देश गुलाम बन कर रह जाएगा पर अपनों का नहीं दूसरों का. ज्ञात इतिहास के अनुसार यह देश शायद ही किसी देशी राजा के अंतर्गत रहा है. चंद्रगुप्त मौर्य और अशोक के नाम लिए जाते हैं, पर यह नहीं भूलना चाहिए कि उन का इतिहास बहुत छोटेछोटे तथ्यों के टुकड़े जोड़ कर गढ़ा गया है और यह कभी पता नहीं चलेगा कि उस में कितना सच है.

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