कुछ माह पहले 2 बैंकों के बंद हो जाने का सदमा अभी कम हुआ नहीं था कि अब एक बड़ा बैंक यस बैंक लगभग दिवालिया हो गया है. इस में जमा खातेदारों का हजारों करोड़ अब खतरे में है और साथ ही यह डर है कि यह बैंक दूसरे कई बैंकों को न ले डूबे.

जिन का पैसा डूबेगा उस में अगर लखपति व करोड़पति हैं तो गरीब भी हैं, जिन्होंने कुछ हजार रुपए जमा कर रखे थे. अगर अमीर किसी तरह बचे पैसे से काम चला भी लें तो हजारों गरीबों की पूरी बचत स्वाहा हो चुकी होगी.

इन गरीबों को अब फिर साहूकारों के पास जाना होगा जो अगर कर्ज देते हैं तो मोटा ब्याज लेते हैं और अगर बचत रखते हैं तो ब्याज देना तो दूर मूल भी ले कर भाग जाते हैं. देशभर में चिटफंड कंपनियों के कारनामे जगजाहिर हैं. इसी तरह की और कंपनियां भी देशभर में कुकुरमुत्तों की तरह खुली हुई हैं, जो पैसा जमा कर लूट रही हैं. बैंकों से जो थोड़ीबहुत आस थी वह भी एकएक कर के बैंकों के ठप होने से खत्म होती जा रही है.

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यह देश के गरीब और आम आदमी के साथ सब से बड़ा जुल्म है. बैंकों ने पहले तो हर गांवकसबे में पांव पसार कर लोगों को यह भरोसा दिला दिया कि साहूकार से वे अच्छे हैं. अच्छेभले साहूकर खत्म हो गए और सिर्फ शातिर ठग बचे हैं जो मोटे ब्याज के लालच में गांवगांव से पैसा जमा करते हैं और फिर गायब हो जाते हैं. बीसियों चिटफंड व डिपोजिट कंपनियां लोगों का पैसा खा चुकी हैं. अब तो जेवर भी खा कर बैठने लगी हैं.

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