जब पार्टनर हो शक्की

‘‘इतनी लेट नाइट किस से बात कर रहे थे? मेरा फोन क्या नहीं उठाया? वह तुम्हें देख कर क्यों मुसकराई? मेरी पीठ पीछे कुछ चल रहा है क्या?’’ यदि ऐसे सवालों से आप का रोज सामना होता है तो आप ठीक समझे आप का पार्टनर शक्की है.

यदि आप इन सवालों से थक गए हैं और यह रिश्ता नहीं निभा सकते, पर अपने बौयफ्रैंड या गर्लफ्रैंड को प्यार भी करते हैं और उसे इस शक की आदत पर छोड़ना भी नहीं चाहते, तो ऐसे शक्की पार्टनर से निबटने के लिए इन टिप्स पर गौर करें:

द्य किसी भी रिश्ते में सब से बुरी चीज शक करना ही हो सकता है. इस से असुरक्षा, झूठ, चीटिंग, गुस्सा, दुख, विश्वासघात सब आ सकता है. रिश्ते की शुरुआत में एकदूसरे को समझने के लिए ज्यादा कोशिश रहती है. एकदूसरे पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है. एक बार आप दोनों में बौंडिंग हो गई तो आप जीवन की और महत्त्वपूर्ण बातों की तरफ ध्यान देने लगते हैं. इस का मतलब यह नहीं होता है कि पार्टनर में रुचि कम हो गई है. इस का मतलब है कि अब वह आप की लाइफ का पार्ट है और आप अब उस के साथ कुछ और बातों में, कामों में अपना ध्यान लगा सकते हैं.

द्य इस बदलाव को कभीकभी एक पार्टनर सहजता से नहीं ले पाता और वह अजीबअजीब सवाल पूछने लगता है, जिस से आप की लौयल्टी पर ही प्रश्न खड़ा हो जाता है. उस की बात ध्यान से सुनें उस के दिल में आप के लिए क्या फीलिंग्स है समझें, कई बार अनजाने में न चाहते हुए भी हमारी ही किसी आदत से उस के मन में शक आ जाता है, इसे समझें.

द्य आप ने रिश्ते के शुरुआत के 3-4 महीने अपनी गर्लफ्रैंड पर पूरा ध्यान दिया है. वह आगे भी वही आशा रखती है, जबकि उतना फिर संभव नहीं हो पाता, पर उस में आप की गर्लफ्रैंड की इतनी गलती नहीं है, शुरू के दिनों में भी इतना बढ़ाचढ़ा कर कुछ न करें कि बाद में उतने अटैंशन की कमी खले.

द्य पार्टनर के साथ क्वालिटी टाइम जरूर बिताएं. इस का मतलब यह नहीं कि एक बड़ी खर्चीली डेट ही हो, साथ बैठना, एकदूसरे की पसंद का कोई औनलाइन शो साथ देखना, एकदूसरे की बातें घर पर बैठ कर सुनना भी हो सकता है.

द्य अपने गु्रप में उसे भी शामिल करें और उस का व्यवहार देखें कि वह सब से घुल मिल जाती है या अलगथलग रहती है. उसे महसूस करवाएं कि वह आप की लाइफ और आप के सोशल सर्कल का पार्ट है. उसे अपने फ्रैंड्स से मिलवाएं. उसे समझने का मौका दें कि वे आप के फ्रैंड्स हैं और आप के लिए महत्त्वपूर्ण है. जितना वह आप के फ्रैंड्स को समझेगी उतना कम शक करेगी.

द्य उसे डबल डेट्स पर ले जाएं. अगर आप की लेडी फ्रैंड्स है और वे किसी को डेट कर रही हैं, तो अपनी गर्लफ्रैंड को उन के साथ ले कर जाएं. जिस से उसे अंदाजा होगा कि आप की फ्रैंड्स ही हैं और उन की आप से अच्छी दोस्ती ही है, कोई शक नहीं.

द्य पार्टनर आप पर शक कर के बारबार कोई सवाल पूछती है और आप को गुस्सा आता है तो भी खुद को शांत रख कर जवाब दें, ढंग से बात कर के हर समस्या सुलझाई जा सकती है.

द्य पार्टनर को शक करने की आदत ही है और यह आदत कम नहीं हो रही है, आप ने सबकुछ कर लिया, क्वालिटी टाइम भी बिता लिया. अपनी लाइफ, अपने फ्रैंड्स में भी उसे शामिल कर लिया, बात भी कर ली, पर कुछ भी काम नहीं आ रहा है, पार्टनर बात खत्म करने, समझने को तैयार ही नहीं, इस रिश्ते से आप दोनों को दुख ही पहुंच रहा है तो पार्टनर को ही अब अपनी आदत पर ध्यान देना पड़ेगा. आप हर काम, हर बात पर हर समय सफाई देते नहीं रह सकते. जिसे आप पर विश्वास नहीं, उसे प्यार करना भी मुश्किल ही हो जाता है. अत: उसे क्लियर कर दें कि या तो वह इस रिश्ते में आप पर विश्वास करना सीखें या फिर दोनों अपनी राहें बदल लें.

जब पकड़े जाएं रंगे हाथों

बेंगलुरु के एक 31 वर्षीय सौफ्टवेयर इंजीनियर को काफी समय से अपनी पत्नी पर शक था कि उस का किसी के साथ अफेयर चल रहा है और वह ये सब छिपा कर उसे धोखा दे रही है. इंजीनियर को कई बार घर से सिगरेट के कुछ टुकड़े मिलने के साथसाथ और भी कई ऐसी चीजें मिली थीं जिन से पत्नी पर शक और पुख्ता हो गया था. इन सब के बावजूद जब पत्नी ने अपने संबंध की बात नहीं कबूली तो उस ने अपनी पत्नी की गतिविधियों को ट्रैक करने की ठानी.

इस के लिए उस ने लिविंग रूम की घड़ी के पीछे एक कैमरा सैट किया, लेकिन उस की यह कोशिश नाकाम रही.

दूसरी बार उस ने 2 अन्य कैमरे लिविंग रूम में डिफरैंट ऐंगल्स पर सैट किए. साथ ही अपनी पत्नी के फोन को अपने लैपटौप पर ऐप के माध्यम से और रिमोट सैंसर से कनैक्ट किया, जिस से उसे पत्नी के फोन की चैट कनैक्ट करने में आसानी हुई और वौइस क्लिप के माध्यम से पता चला कि उस की पत्नी अपने बौयफै्रंड से कंडोम लाने की बात कह रही थी. उस ने कैमरों की मदद से बैडरूम में उन्हें संबंध बनाते हुए भी पकड़ा.

इन्हीं पुख्ता सुबूतों के आधार पर पति ने तलाक का केस फाइल किया. अदालत में पत्नी ने भी अपनी गलती स्वीकारी, जिस के आधार पर दोनों का तलाक हुआ.

ऐसा सिर्फ एक मामला नहीं बल्कि ढेरों मामले देखने को मिलते हैं जिन में बिस्तर पर रंगेहाथों अवैध संबंध बनाते पकड़े जाने पर या तो रिश्ता टूट जाता है या फिर ब्लैकमेलिंग की जाती है. इतना ही नहीं आप समाज की नजरों में भी गिर जाएंगे.

ऐसा भी हो सकता है कि आप का कोईर् फ्रैंड आप को रिलेशन बनाते हुए पकड़ ले. भले ही आप उसे दोस्ती का वास्ता दें लेकिन अगर उस का दिमाग गलत सोच बैठा तो वह आप को इस से बदनाम कर के आप को कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ेगा. ऐसे में अगर आप पार्टनर के साथ संबंध बनाने की इच्छा रखते भी हैं तो थोड़ी सावधानी बरतें ताकि आप ब्लैकमेलिंग का शिकार न होने पाएं.

करीबी का रूम न लें

आप का बहुत पक्का फ्रैंड है और आप उस पर ब्लाइंड ट्रस्ट कर के अपने फ्रैंड का रूम ले लें और बेफिक्र हो कर सैक्स संबंध बनाने लगें. लेकिन हो सकता है कि फ्रैंड ने पहले से ही रूम में कैमरा वगैरा लगाया हो, जिस से बाद में वह ब्लैकमेल कर के आप से पैसा ऐंठे या फिर आप के पार्टनर से सैक्स संबंध बनाने की ही पेशकश कर दे. ऐसे में आप बुरी तरह फंस जाएंगे. इसलिए करीबी का रूम न लें.

सस्ते के चक्कर में न फंसें

हो सकता है कि आप सस्ते के चक्कर में ऐसे होटल का चुनाव करें जिस की इमेज पहले से ही खराब हो. ऐसे में आप का वहां सैक्स संबंध बनाना खतरे से खाली नहीं होगा. वहां आप के अंतरंग पलों की वीडियो बना कर आप को ब्लैकमेल किया जा सकता है.

नशीले ड्रिंक का सेवन न करें

पार्टनर्स को नशीले पदार्थ का सेवन कर के सैक्स संबंध बनाने में जितना मजा आता है, उतना ही यह सेहत और सेफ्टी के लिहाज से सही नहीं है. ऐसे में जब आप नशे में धुत्त हो कर संबंध बना रहे होंगे तब हो सकता है आप का कोईर् फ्रैंड आप को आप के पेरैंट्स की नजरों से गिराने के लिए ये सब लाइव दिखा दे. इस से आप अपने पेरैंट्स की नजरों में हमेशाहमेशा के लिए गिर जाएंगे.

न लगने दें किसी को भनक

अगर आप अपने पार्टनर के साथ संबंध बनाने का मन बना चुके हैं तो इस की भनक अपने क्लोज फ्रैंड्स को न लगने दें वरना वे भी सबक सिखाने के लिए आप को अपने जाल में फंसा सकते हैं.

कहीं रूम में कैमरे तो नहीं

जिस होटल में या फिर जिस भी जगह पर आप गए हैं वहां रूम में चैक कर लें कि कहीं घड़ी, अलमारी वगैरा के पास कैमरे तो सैट नहीं किए हुए हैं. अगर जरा सा भी संदेह हो तो वहां एक पल भी न रुकें वरना आप के साथ खतरनाक वारदात हो सकती है.

यौन असंतुष्टि के पीछे कहीं स्मार्टफोन तो नहीं !

क्या आप अपने यौन जीवन सें असंतुष्ट हैं? इसके पीछे कहीं न कहीं आपका स्मार्टफोन जिम्मेदार हो सकता है. एक ताजा अध्ययन में इसका खुलासा हुआ है. दुरहाम विश्वविद्यालय की ओर से किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि लोग अपने सेक्स साथी की बजाय फोन गैजेट के प्रति कहीं अधिक लगाव रखने लगे हैं.

यह अध्ययन कंडोम बनाने वाली अग्रणी कंपनी ‘ड्यूरेक्स’ की ओर से करवाया गया, जिसमें ब्रिटेन के 15 दंपति का विस्तृत साक्षात्कार लिया गया. समाचार पत्र ‘डेली मेल’ की रपट के अनुसार, 40 फीसदी प्रतिभागियों ने स्वीकार किया कि स्मार्टफोन या टैबलेट का इस्तेमाल करने के लिए वे यौन संबंध बनाने को टालते रहते हैं.

कुछ अन्य प्रतिभागियों ने स्वीकार किया कि वे यौन संबंध स्थापित करते वक्त जल्दबाजी दिखाते हैं ताकि जल्द से जल्द वे अपने स्मार्टफोन पर सोशल मीडिया के जरिए आए संदेशों को देख सकें या उनका जवाब दे सकें.

एक तिहाई प्रतिभागियों ने स्वीकार किया कि वे यौनक्रिया के बीच में ही आ रही कॉल उठा लेते हैं, जिससे यौनक्रिया बाधित होती है. एक चौथाई से अधिक प्रतिभागियों ने कहा कि अपने स्मार्टफोन एप का इस्तेमाल उन्होंने अपनी यौनक्रिया के फिल्मांकन के लिए किया, जबकि 40 फीसदी प्रतिभागियों ने स्वीकार किया कि उन्होंने अपनी यौनक्रिया के दौरान स्मार्टफोन के जरिए तस्वीरें खीचीं.

प्रतिभागियों का साक्षात्कार लेने वाले मार्क मैककॉरमैक ने कहा कि बेडरूम में स्मार्टफोन का इस्तेमाल आपके संबंध को खतरे में डाल सकता है. जब प्रतिभागियों ने जानना चाहा कि स्मार्टफोन उनकी यौन संतुष्टि को कैसे बढ़ा सकता है तो जवाब सुनकर वे चौंक गए और जवाब था स्मार्टफोन को ऑफ रखकर.

जवानी में सेक्स पर लगाम लगाना है बेहद जरूरी

एक अध्ययन के अनुसार हाल के वर्षों में किशोरावस्था के लड़केलड़कियों में यौन संबंधों में तेजी से वृद्धि होने का मुख्य कारण विवाह की उम्र का बढ़ना है. जीव विज्ञानियों के अनुसार, बच्चे शारीरिक रूप से 13 साल की उम्र में परिपक्व हो जाते हैं और उन में सैक्स की इच्छा जाग्रत होने लगती है, जबकि अब उन का विवाह औसतन 27 वर्ष की उम्र में होता है. ऐसी स्थिति में वे इतने लंबे समय तक सैक्स की इच्छा को दबा पाने में असमर्थ होते हैं और वे यौन संबंध स्थापित कर लेते हैं. अध्ययन में पाया गया है कि लड़कियों की तुलना में लड़के सैक्स संबंध में अधिक रुचि लेते हैं, जबकि लड़कियां भावनात्मक लगाव पसंद करती हैं. लेकिन लड़कियां जब लड़कों से भावनात्मक रूप से जुड़ती हैं, तो वे भी यौन संबंध की इच्छा प्रकट करने लगती हैं. आम धारणा है कि लड़कियां खुद को सैक्स से दूर रखना चाहती हैं, लेकिन इस का कारण परिवार और समाज का डर होता है. इसलिए इस से यह साबित नहीं होता कि लड़कियों में यौन इच्छा कम होती है.

कुछ लड़कियों का मानना है कि यौन संबंध के बगैर भी किसी लड़के से दोस्ती निभाई जा सकती है, लेकिन कुछ समय बाद भी जब लड़की यौन संबंध के लिए राजी नहीं होती है, तो उसे असामान्य मान लिया जाता है और उन की दोस्ती टूट जाती है. इसलिए मजबूरीवश भी लड़कियों को इस के लिए तैयार होना पड़ता है. कुछ लड़कों का कहना है कि लड़कियां शर्मीले स्वभाव की होती हैं, इसलिए वे सैक्स के मामले में पहल नहीं करती हैं, लेकिन बाद में इस के लिए तैयार हो जाती हैं. किशोर लड़केलड़कियों के बीच यौन संबंध महानगरों में तो आम बात हैं ही, छोटे शहर व कसबे भी अब इन से अछूते नहीं हैं. कुछ लड़कों का कहना है कि कौमार्यता उन के लिए कोई माने नहीं रखती. शादी से पहले यौन संबंध बनाना कोई बुरी बात नहीं है. जबकि कुछ लड़कियों का कहना है कि इस मामले में लड़के दोहरा मानदंड अपनाते हैं. एक तरफ तो वे शादी से पूर्व शारीरिक संबंधों को बढ़ावा देते हैं, लेकिन शादी के मामले में वे ऐसी लड़की से ही शादी करना चाहते हैं, जिस ने शादी से पूर्व यौन संबंध स्थापित न किए हों.

यौन संबंधों की शुरुआत

किशोरावस्था के लड़केलड़कियों में यौन संबंधों की शुरुआत शारीरिक आकर्षण से होती है. जब लड़कालड़की एकदूसरे से सम्मोहित हो जाते हैं, तो वे एकदूसरे को प्यार से छूते और चूमते हैं और फिर बहुत जल्द ही उन में यौन संबंध कायम हो जाते हैं. लेकिन प्यार और दोस्ती उसी अवस्था में अधिक दिनों तक कायम रह पाती है जब शारीरिक संबंधों को महत्त्व न दिया जाए. जब प्यार पर सैक्स हावी हो जाता है तो जल्द ही उन का मन सैक्स से भर जाता है और संबंध टूट जाते हैं,

क्योंकि यहां भावनात्मक लगाव कम या कह सकते हैं कि न के बराबर होता है. माना जाता है कि ऐसे मामलों में लड़कियां खुद को अधिक असुरक्षित महसूस करती हैं. अधिकतर मामलों में वे लड़कों पर आंख बंद कर विश्वास नहीं करतीं. कभीकभी वे बड़ों से भी सलाह लेती हैं. लड़कियां किशोरावस्था में अपने व्यक्तित्व के विकास पर अधिक ध्यान देती हैं. वे लड़कों के बराबर चलना चाहती हैं. लेकिन इस का अर्थ यह नहीं है कि लड़कियां संबंध बनाने में दिलचस्पी नहीं लेतीं, बल्कि वे इस में बराबर की भागीदार होती हैं. कुछ लड़कों का तो यहां तक कहना है कि आज के समय में लड़कियां लड़कों से आगे हो गई हैं. वे लड़कों के बीच भेदभाव पैदा कर देती हैं. सैक्स एवं यौन संबंधों के बारे में जानकारी के मुख्य स्रोत टैलिविजन, पत्रपत्रिकाएं, सिनेमा आदि हैं. लेकिन सैक्स शिक्षा के अभाव तथा सही मार्गदर्शन न मिलने के कारण वे भटक जाते हैं. इस का सब से अधिक खमियाजा लड़कियों को भुगतना पड़ता है.

लड़कियां यौन संबंध स्थापित तो कर लेती हैं, लेकिन गर्भनिरोध की जानकारी के अभाव में वे गर्भवती हो जाती हैं. हालांकि अधिकतर मातापिता का यह कहना है कि भारत में गैरशादीशुदा किशोर लड़कियों में गर्भवती होने के बहुत कम मामले होते हैं. शिक्षकों का भी यही मानना है.

इस का कारण यह है कि मातापिता और शिक्षक इस मामले में अनभिज्ञ होते हैं, क्योंकि अधिकतर मामलों में उन्हें पता ही नहीं होता कि उन के बच्चे शारीरिक संबंध बनाए हुए हैं. बच्चे भी डर से ऐसी बातें मातापिता या शिक्षकों को नहीं बताते. लड़केलड़कियां खुद ही गर्भपात कराने डाक्टर के पास चले जाते हैं. ऐसे मौके पर उन के दोस्त उन का साथ देते हैं. हालांकि कुछ मामलों में लड़कियां गर्भपात नहीं कराना चाहतीं, लेकिन चूंकि उन के पास दूसरा कोई उपाय नहीं होता, इसलिए अंतत: उन्हें गर्भपात कराना ही पड़ता है.

इंटरनैशनल प्लांड पैरेंटहुड फैडरेशन के अनुसार विश्व भर में हर साल कम से कम 20 लाख युवतियां गैरकानूनी गर्भपात कराती हैं. चिकित्सकों के अनुसार महिलाओं की तुलना में किशोरवय की लड़कियों में गर्भपात अधिक घातक साबित होता है. अवैध और असुरक्षित यौन संबंध एड्स का बहुत बड़ा कारण है. हालांकि एड्स के भय से अब एक ही साथी से यौन संबंध बनाने में लड़केलड़कियां अधिक रुचि रखने लगे हैं, फिर भी शारीरिक संबंध बनाने के समय वे कोई सावधानी नहीं बरतते. कुछ स्कूलों में बच्चों को एड्स के बारे में शिक्षा दी जाने लगी है और कुछ मातापिता भी अपने बच्चों को एड्स तथा सुरक्षित सैक्स की जानकारी देने लगे हैं.

फिर भी एचआईवी के नियंत्रण के लिए चलाए जा रहे एकीकृत राष्ट्रीय कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक की रिपोर्ट के अनुसार एचआईवी के नए मामलों में 60% मामले 15 से 24 वर्ष के बीच के युवाओं के पाए गए. इन में लड़कों की तुलना में दोगुनी लड़कियों में एड्स के मामले पाए गए. अधिकतर मामलों में मातापिता को पता नहीं होता कि उन के बच्चे शारीरिक संबंध स्थापित किए हुए हैं. फिर भी यदि मातापिता और शिक्षक चाहें तो सैक्स अपराध को कुछ हद तक नियंत्रित कर सकते हैं. इस के लिए बच्चों को समय पर उचित सैक्स शिक्षा दी जानी चाहिए. प्रतिकूल हालात में उन की मदद करनी चाहिए. इस के अलावा उन्हें अपनी ऊर्जा किसी खेल या इसी तरह के दूसरे किसी शौक में लगाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.

आज एड्स जैसी बीमारियों का प्रकोप तेजी से फैल रहा है. ऐसे में किशोरों में फैल रही यौन उच्छृंखलता पर नियंत्रण आवश्यक है. इस के लिए किशोरों को सैक्स से दूर रहने की शिक्षा देने या सैक्स के बारे में आधीअधूरी जानकारी देने के बजाय उन्हें सही अर्थों में सैक्स के बारे में ज्ञानवान बनाया जाना चाहिए ताकि वे अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए सही मार्ग अपना सकें.

जिंदगी के आखिरी पड़ाव पर जब चाहिए हो किसी का साथ

अकेलेपन की टीस बेहद पीड़ादायक होती है. इस के एहसास की पीड़ा तब तक इंसान को महसूस नहीं होती है जब तक वह इस का भुक्तभोगी न हो. इस अकेलेपन को दूर करने का सब से बड़ा संबल है, एक साथी या जीवनसाथी का होना. साथी की जरूरत जवानी में तो होती ही है पर बुढ़ापे में अधिक होती है. चाहे स्त्री हो या पुरुष, जिंदगी की अन्य जरूरतों की तरह ही शारीरिक जरूरत भी हर इंसान की एक अहम जरूरत है, जो यौवन में ही नहीं, यौवन की दहलीज के पार भी महसूस होती है.

वृद्धावस्था में किसी की शादी की बात सुन कर अकसर हम सब चौंक जाते हैं. उसे दोषी करार देते हैं. पर क्यों? इस के पीछे क्या कारण है, उस ओर हम ध्यान नहीं देते. ‘एक महिला ने 62 साल की उम्र में अपना विवाह बड़ी धूमधाम से किया…’ अखबार में छपी इस खबर ने कुछ पाठकों को जरूर चौंका दिया होगा पर यह घटना न तो असामान्य है, न अमानवीय. मानसिक, सामाजिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से अकेले रहने की टीस से नजात पाने के लिए हर इंसान बेचैन रहता है. वह इस कैद से बाहर निकल कर, खुली आबोहवा में सांस ले कर जीना चाहता है. क्या यह अपराध है?

बचपन और किशोरावस्था में इस अकेलेपन के एहसास से इंसान पूरी तरह से अनभिज्ञ रहता है. जवानी में उम्र के जोश और उत्साह के उन्माद में डूबा रहता है. इस भागदौड़ में कब उस की जवानी बीत जाती है, उसे पता ही नहीं चल पाता है. जब वह वृद्धावस्था में कदम रखता है, तो इस सत्य से रूबरू होता है. और जब उसे इस का एहसास होता है, तो वक्त के सारे पंछी उस के हाथों से उड़ चुके होते हैं.

यह एकाकीपन क्या है, क्या होता है, इस का विश्लेषण किया गया. इस से होने वाले नुकसान के बारे में रिसर्च करने पर परिणामस्वरूप बहुत सारे तथ्य सामने आए. समाज के अलगअलग वर्गों और समुदायों के लोगों से बातचीत की गई.

मुंबई के उपनगर बोरीवली की एक मनोचिकित्सक डा. सुमन कालरा, 18 वर्षों से साइकेट्रिक क्लिनिक चला रही हैं. जाहिर है इस विषय में उन्हें प्रगाढ़ अनुभव है. मेरे प्रश्न पर वे मुसकराती हैं और फिर विस्तार से बताती हैं, ‘‘मेरे पास तरहतरह के रोगी आते हैं. उन में जो 50 साल से अधिक उम्र वाले हैं, चाहे पुरुष हों या स्त्री, उन के रोग का मुख्य कारण देखा गया है, ‘जीवन का एकाकीपन.’ यही उन्हें सब से ज्यादा तकलीफ देता है.

‘‘जब धीरेधीरे सभी सगेसंबंधी, मित्र, रिश्तेदार उन्हें छोड़ कर अपनेअपने परिवार में व्यस्त होने लगते हैं, तो बुढ़ापे की ओर अग्रसर, ये एकाकी या चिरकुंआरे लोग, समाज में अलगथलग पड़ जाते हैं और अकेलापन उन के जीवन में दंश देना शुरू कर देता है, जो उन्हें धीरेधीरे असामान्य बना देता है.’’

सैक्स की आवश्यकता और उस की अनिवार्यता को पूरी तरह स्वीकारती, स्त्रीरोग विशेषज्ञ, डा. रति माथुर बताती हैं, ‘‘जीवन क्या है? परिस्थितिस्वरूप आते बदलाव का नाम ही जीवन है. उम्र के अनुसार शारीरिक बदलाव होते हैं, और यही बदलाव नईनई जरूरतों को जन्म देते हैं. शारीरिक जरूरतों की भी एक खास उम्र हुआ करती है जब विपरीत सैक्स के प्रति अनायास ही चाहेअनचाहे आकर्षण पैदा होने लगता है और उस का साथ अनायास ही अच्छा लगने लगता है. लेकिन 50 की उम्र के बाद, शरीर की सैक्स की मांग कम होने लगती है. ऐसे समय में मानवीय भावनाओं की मांग ज्यादा अहम हो जाती है.’’

डा. रति ने काफी सुलझे हुए तरीके से हमें समझाया कि बढ़ती उम्र में कई वजहों से सहवास की अभिलाषा अवश्य कम हो जाती है पर ‘साथ’ की अभिलाषा खत्म नहीं होती और ‘साथ’ न मिलने पर भावनात्मक पीड़ा होने लगती है.

एक विदेशी फर्म की मार्केटिंग मैनेजर कादंबरी सहाय 59 साल की हैं. अविवाहित कादंबरी को अब अपना अकेलापन खलने लगा है. पारिवारिक जिम्मेदारियां और अपने छोटे भाईबहनों को पढ़ानालिखाना तथा उन की शादी का उत्तरदायित्व भी कादंबरी ने ही उठाया है, जिन के लिए उन्होंने अपनी शादी और अपना भविष्य दांव पर लगा दिया था. अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह निभाने के बाद विडंबना ऐसी कि अब वही अपने लोग, जिन के लिए कादंबरी ने अपनी वैवाहिक आवश्यकता की कुर्बानी दी, उन को गैरजरूरी व भार समझने लगे हैं.

अगले साल रिटायर होने के बाद आने वाला अकेलापन सोच कर कादंबरी कांप उठती हैं. मुंबई में अपना फ्लैट है. घर में आराम के सभी साधन मौजूद हैं. बैंक बैलेंस भी अच्छाखासा है, पर साथ रहने वाला कोई नहीं है.

शारीरिक जरूरतों की बात पर कादंबरी बिना किसी लागलपेट के कहती हैं, ‘‘देखिए, जीवन का एक अटूट हिस्सा है सैक्स. पर मानवीय भावनाओं को मैं ज्यादा अहम मानती हूं. जब अपनों से दिल टूट जाता है, तो ऐसी जिंदगी का कोई अर्थ ही नहीं रह जाता. इसीलिए अब मैं जिंदगी को पूरी तरह से जीने में यकीन करने लगी हूं. महिला मित्रों के साथसाथ मेरे कुछ पुरुष मित्र भी हैं.

‘‘हम लोग आउटिंग पार्टियां करते रहते हैं, एंजौय करते हैं. पर जब मैं उस टीस के बारे में सोचती हूं, जो मेरे भाईबहन ने मुझे दी है, जिन के लिए मैं ने अपना जीवन कुर्बान कर दिया है, तो बहुत तकलीफ होती है, बहुत अकेलापन सा लगने लगता है.’’ यह कहने के साथ उन की आंखें भर आईं.

कादंबरी के साथ काम करने वाली उन की ही तरह अविवाहित, फ्लोरिया डिसूजा ने बताया, ‘‘मैं व्यक्तिगत रूप से शारीरिक संबंध को बहुत ज्यादा अहमियत नहीं देती हूं, पर सैक्स की इच्छा को दबा कर दफन करने में भी विश्वास नहीं करती हूं. जहां तक सैक्स की बात है, मुझे अच्छी तरह से याद है कि मेनोपौज तक, जब मैं 48 साल की थी, उन दिनों तक मैं इसे बहुत महत्त्वपूर्ण समझा करती थी.

‘‘यह भी सच है कि अकेलेपन की वजह से सैक्स की इच्छा सामान्य से कुछ अधिक ही हुआ करती है. शायद यह असुरक्षा की भावना रहती होगी या फिर वृद्ध होने के एहसास का भय, पता नहीं? वैसे यह मेरा व्यक्तिगत विचार है.’’

सूरत में अपना क्लिनिक चलाने वाले डा. राहुल जैन से जब जीवन में आने वाले अकेलेपन व सैक्स पर बात हुई, तो उन्होंने बताया, ‘‘मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, इसलिए हम सभी को ही परिवार व समाज की आवश्यकता तो होगी ही. अकेलापन जिंदगी को दीमक की तरह खाने लगता है. परंतु मैडिकल साइंस का कुछ और ही कहना है.

‘‘मैडिकल साइंस के हिसाब से, कभीकभी इस का कारण शरीर के कुछ खास हार्मोन्स की गैरमौजूदगी भी हुआ करती है. फ्राइब्रायडो या एडीनी मायेसिस की समस्या अकसर महिलाओं में सैक्स की इच्छा को परोक्षरूप से और बढ़ा देती है. यह बदलाव पुरुषों में भी आता है, पर महिलाओं में कुछ ज्यादा ही आता है. यह विशेष बदलाव महिलाओं में व्यग्रता, अति संवेदनशीलता और अधीरता को बढ़ा देता है. भावनाएं बेचैनी का रूप धारण कर लेती हैं और यही बदलाव धीरेधीरे आदत में परिवर्तित हो जाया करता है. फलस्वरूप, सैक्स की इच्छा बारबार उठती रहती है. इसे मैडिकल की भाषा में पीएमएम यानी पोस्ट मैंस्टुअल मूडस्विंग कहते हैं.

मशहूर जरमन गाइनीकोलौजिस्ट ई डब्लू फेब्रक्स की चर्चित पुस्तक ‘स्पींस्टर ऐंड देअर डिजायर्स’ में लिखा है कि जो भी स्त्री या पुरुष अधिक उम्र तक अविवाहित रहते हैं, वे प्राकृतिक नियमों की अवहेलना और उल्लंघन करते हैं. प्राकृतिक नियमों को तोड़ कर जो अविवाहित रहने का फैसला करते हैं, वे अपने प्रति अन्याय करते हैं.

सैक्स इंसान के जीवन की आवश्यकता ही नहीं, अनिवार्यताओं में एक है. सैक्स इंसान की कुंठाओं को रिलीज कर उसे सामान्य बने रहने में सहायता करता है और साथी पति या पत्नी, को समाज में स्थान और प्रतिष्ठा दिलाता है.

मुंबई की एक संस्था है महाराष्ट्र नारी उत्थान मंडल जिस ने विधवा विवाह और तलाकशुदा महिलाओं का दोबारा विवाह कराने का बीड़ा उठाया है. इस मंडल की संचालिका ममता राज्याध्यक्ष, महिलाओं के अविवाहित रहने की घोर विरोधी हैं. 17 साल से इस मंडल का संचालन कर रही ममता अब तक 250 से भी अधिक पुनर्विवाह करवा चुकी हैं. इन में ज्यादातर महिलाएं ऐसी हैं जिन्हें शादी के लिए राजी करना टेढ़ी खीर था.

ममता बताती हैं, ‘‘एक ओर तलाकशुदा स्त्रियां, अपनी एक शादी के टूटने से ही इतनी विचलित और भयभीत हो उठती हैं कि दोबारा विवाह करने और किसी दूसरे पुरुष के साथ जीवन बिताने को सोच पाना भी उन्हें कठिन सा लगने लगता है तो दूसरी ओर विधवाओं की अलग ही समस्याएं हैं. पति की मृत्यु के बाद वे अपने पति की याद में खोईखोई सी रहती हैं. उन के लिए किसी और व्यक्ति के साथ रहने या शारीरिक संबंध बनाने व शादी करने की बात उन्हें रास ही नहीं आती.’’

उन्होंने आगे बताया कि दोनों ही मामलों में उन्हें बहुत ही जद्दोजेहद करनी पड़ती है, पर वे इसे भी एंजौय करती हैं. वे कहती हैं, ‘‘कार्य जितना कठिन होता है, उस की संतुष्टि उतनी ही अधिक हुआ करती है. मुझे ऐसी महिलाओं को प्रेरित करने में ऐंडवैचर सा आनंद मिलता है.’’

संख्या की दृष्टि से अविवाहित महिलाओं और पुरुषों की एक बड़ी तादाद मैट्रो शहरों में रह रही है. कारण चाहे जो भी हो, कभी जिंदगी की व्यस्तता होती है, तो कभी कोई सही जीवनसाथी  का न मिल पाना या फिर प्रेम में विफलता का सदमा. पर अविवाहित लोगों का जीवन, उम्र के अंतिम पड़ाव में बहुत ही दुखदाई हो जाता है.

उम्र के उस पड़ाव पर, जब किसी साथी की सब से ज्यादा जरूरत हुआ करती है, अकेलापन मिले तो आप समझ सकते हैं कि यह उसे कितनी टीस देगा. शारीरिक भूख की तृष्णा भले ही उस उम्र में कम हो पर भावनात्मक रूप से तितरबितर सा उस का जीवन अवश्य उसे कचोटता रहेगा. और अकेलेपन के लिए हो रहे पछतावे की आग उसे क्षणक्षण जलाती रहती है.

कुंआरे रहने वाले लोग, अपनेआप को भले ही तरहतरह की तसल्लियों से समझाते रहें, अपने इस निर्णय की सराहना करते रहें, पर जब आसपास का एकाकीपन उन्हें डंसता होगा, तो एक पछतावे की आह अवश्य उन के हृदय से उठती होगी. दरअसल, सचाई तो सचाई ही है. सचाई से आंख चुराई जा सकती है, पर मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है.

मेरे पति को लगता है कि मैं बहुत ज्यादा वहमी हूं और किसी पर भरोसा नहीं करती हूं, उन्हें कैसे समझाऊं?

सवाल 

मैं 35 साल की ब्याहता हूं. मेरे पति को लगता है कि मैं बहुत ज्यादा वहम करती हूं और अपनी ससुराल वालों पर बिलकुल भी यकीन नहीं करती हूं. इसी बात पर मेरी और मेरे पति की लड़ाई होती हैक्योंकि मैं ऐसा बिलकुल भी नहीं मानती हूं.

इस सब की वजह यह है कि मेरी ससुराल में ज्यादातर लोग कम पढ़ेलिखे हैं और उन के पास मेरी जायज बातों का सटीक जवाब नहीं होता है. इसी के चलते वे लोग मेरे पति के कान भरते हैं कि तेरी पत्नी तो हमारे ऊपर शक करती है. इन्हीं बातों से घर में तनाव का माहौल रहता है. मैं क्या करूं?

जवाब

समस्या की जड़ आप का अपनी पढ़ाईलिखाई और जायज बातों पर गुमान भी तो हो सकता है. ससुराल वालों का कम पढ़ालिखा होना कोई गुनाह नहीं. उन्हें भी अपनी बातें जायज लगती होंगी. दरअसलसीधी सी बात यह है कि आप के और ससुराल वालों के बीच कोई तालमेल और आपसी समझ ही नहीं है. ऐसे में असल तनाव तो पति को होता हैजो बीवी और घर वालों के बीच पैंडुलम जैसा डोलता रहता है. आप अपनी तरफ से बोलना कम कर के देखें और बहसबाजी से बचें. ससुराल वालों को अपने से छोटा न समझें. घर का माहौल बदलेगा तो समस्या भी खत्म हो जाएगी.

पति-पत्नी के झगड़ों ने लिया भयानक रूप

मियांबीवी के ?झगड़े आम हैं पर कभीकभार हत्या में भी तबदील हो जाते हैं. दिल्ली में एक मेकैनिक का घर बेचने को ले कर हो रहे ?झगड़े में मर्द ने औरत पर किसी तेज चीज से हमला कर दिया और शायद यह एहसास होने पर कि कुछ गलत हो गया है, उस ने खुद को भी घायल कर लिया. दोनों की अपने बड़े बच्चों के सामने मौत हो गई.

कुएं में कूद जाऊंगी, आग लगा लूंगी, जहर पी लूंगा, घर छोड़ कर भाग जाऊंगा जैसे बोल अकसर मियांबीवी के ?झगड़ों में ?ाल्ला कर बोले जाते हैं. मर्द और औरत में कौन सही है, कौन गलत, इस का फैसला नहीं होता. ?झगड़ा तो किस की चलेगी पर होता है. पहले हमेशा मर्दों की चलती रही है पर अब औरतें भी बराबर होने लगी हैं.

यह बात दूसरी है कि आम आदमी को पट्टी पढ़ाई जाती है कि औरत पैर की जूती है, वहीं रखो. यही सीख जो मांबाप देते हैं, पंडेपादरी देते हैं, समाज देता है, रिश्तेदार देते हैं, ?झगड़ों को मारपीट की हद तक ले जाते हैं.

जिस भी बात पर 2 जनों की राय एक न हो वहां कौन सही है, कौन गलत का पूरा फैसला कभी नहीं हो सकता. हर मामले के कई पहलू होते हैं और हरेक अपनी समझ  से अपना मन बनाता है. अच्छे पतिपत्नी वे होते हैं जो एकदूसरे की पूरी तरह सुनते हैं और बिना अकड़ लाए तय करते हैं कि क्या सही है, क्या गलत है. अगर पतिपत्नी में से कोई तीसरे से चिपक भी रहा है तो मरनामारना कोई तरीका नहीं है. आज किसी को मार कर उस की लाश को निबटाना आसान नहीं है. अगर बच्चे हों तो मारने वाला भी जेल में रहता है तो बच्चों की देखभालके लिए कोई बचता नहीं. तीसरे के साथ जुड़ाव होने पर घर से अलग होना सब से सही है.

हमारे समाज में पतिपत्नी के ?झगडे़ मारपीट में इसलिए ज्यादा तबदील होते हैं कि यहां शादी को तोड़ना आसान नहीं है. अगर ?झगड़े के बाद आदमी या औरत कुछ दिन अपना अकेले का घर बना सकते हों तो उन्हें जल्दी ही एहसास हो जाए कि वजह कुछ भी रही हो, वे एकदूसरे के बिना अधूरे हैं. इस के लिए जरूरी है कि मर्द और औरत हमेशा बाहर काम करते रहें और अपने पैरों पर खड़े हों.

दूसरी जरूरत यह हो कि कानून यह मजबूर करे कि कोई मकान मालिक अकेले आदमी या अकेली औरत को मकान किराए पर देने से मना न करेगा. चाहे मकान बड़ा हो या छोटी खोली, आजकल अकेलों को घर मिलना मुश्किल होता जा रहा है.

मुश्किल यह है कि सरकारें तो धर्म, हिंदूमुसलिम, मूर्तियों, नारों में इतनी लगी हैं कि समाज की सब से बड़ी जरूरत, घर, सुखी घर, पर उन का कोई ध्यान नहीं है.

मैं मुसलिम हूं और मेरी गर्लफ्रेंड सिख, कुछ दिनों से वो अजीब बर्ताव कर रही हैं, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं और मेरी गर्लफ्रैंड 3 साल से साथ में हैं. मैं मुसलिम हूं और वह सिख, हमारे बीच में काफी अच्छी बौंडिंग है. हम एकदूसरे के साथ ऐसे रहते हैं जैसे मैरिड कपल रहते हैं. यहां तक कि वह अपने फ्रैंड्स से मुझे हसबैंड कह कर मिलाती है. लेकिन अचानक एक हफ्ते पहले उस का फोन आया और बोली कि मैं तुम से कोई संबंध नहीं रखना चाहती. मुझे भूल जाओ. मैं दूसरी जगह शादी कर रही हूं. कह कर मोबाइल पर मेरा नंबर भी ब्लौक कर दिया. मैं उस से वजह पूछता रह गया तो बस इतना बोली कि मेरे पापा मेरे इस रिश्ते से खुश हैं तो मैं भी हूं.

मुझे लगा कि मेरा तो एक  झटके में सब लुट गया क्योंकि एक रात पहले ही तो हम दोनों ने साथ डिनर किया था. साथ जीनेमरने की कसमें खाई थीं. फिलहाल मैं क्या करता. चुपचाप अपने मन को सम झा लिया. लेकिन एक दिन अचानक मुझे मिली और मुझे हग कर लिया. यहां तक कि गाल पर किस किया और बड़े नौर्मल तरीके से बात करने लगी जैसे कोई बात हुई ही नहीं हो. मैं परेशान हो गया. मैं उस से बोला भी कि वह ऐसे रिएक्ट क्यों कर रही है.

मुझ से इंवौल्व होने की कोशिश क्यों कर रही है जबकि मैं अब उसे भुलाने की कोशिश कर रहा हूं. तब वह मु झे बाय कहकर चली गई. अब कभी भी मु झे फोन कर देती है. मैं बहुत कन्फ्यूज हो गया हूं उस के इस बिहेवियर से. सम झ नहीं पा रहा कि वह चाहती क्या है मु झ से?

 जवाब

आप की गर्लफ्रैंड का बिहेवियर वाकई अजीब है. एक तरफ उस का आप को एक  झटके में रिलेशन खत्म करने की बात कहना और फिर कुछ दिनों बाद ऐसे बिहेव करना जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो, कन्फ्यूज करता है.

लेकिन अब आप को ही मजबूत बनना पड़ेगा. 3 साल तक वह आप के साथ घूमीफिरी, टाइम स्पैंड किया, एकदूसरे के साथ आप फिजिकल भी हुए. आप से उस ने महंगेमहंगे उपहार भी लिए, दोस्त से आप को हंसबैंड कह कर मिलाती रही. यह सब उस के लिए कोई मायने नहीं रखता तो ऐसी लड़की के लिए आप को दुखी होने की कोई जरूरत नहीं, उसे आप की, आप के प्यार की कोई कद्र नहीं तो आप को क्या पड़ी है कि उस के लिए अपना जीवन बरबाद करें.

ऐसा लगता है कि जैसे उस का मन आप से ऊब गया हो. चलो मान लेते हैं मन न भी ऊबा हो. लेकिन बात यह भी हो सकती है कि उस के घरवाले आप दोनों के रिश्ते के खिलाफ हों क्योंकि आप का मुसलिम होना और उस का सिख होना, आप दोनों के बीच शादी के लिए बहुत बड़ी रुकावट है. उस के घरवालों ने उसे यह बात सम झाई हो और अंत में अब वह 3 साल बाद इस बात को सम झ रही हो और अंतत उस ने आप से रिश्ता तोड़ने का फैसला ले लिया हो.

अटकलें तो काफी सारी लगाई जा सकती हैं लेकिन हकीकत की दुनिया में उतर कर देखेंगे तो सचाई यही है कि अब वह लड़की आप की जिंदगी में वापस नहीं आएगी. आप अब उस का फोन बिलकुल अडैंड मत कीजिए. आप उस का नंबर ब्लौक कर दें जैसे उस ने आप का कर रखा है. आप को कभी अचानक मिल भी जाए तो इग्नोर करें. बात करने की कोई जरूरत नहीं. आप की भी कोई सैल्फ रिसपैक्ट है. उस का जब मन करे चली जाए, जब मन करे चली आए,  ऐसा नहीं हो सकता.

आपको दिखाना होगा कि आप उस के बगैर खुश हैं. लाइफ  में उस के सिवा आप को और भी काम हैं और आप को अभी बहुतकुछ अचीव करना है. आप हौसला रखें और अपने को अपने काम में बिजी रखने की कोशिश करें.

दोस्तों से मिलेंजुलें, आउटिंग के लिए जाएं हो सकता है आगे लाइफ में आप को और भी कोई बैटर फ्रैंडशिप के लिए मिल जाए. बस हिम्मत मत हारिए.

मेरे मां-बाप कभी मुझे अकेला नहीं छोड़ते हैं, क्या करूं?

सवाल

मैं 25 साल की एक कुंआरी लड़की हूं. मेरे मांबाप को लगता है कि घर के बाहर हर कोई मुझे दबोचने के लिए ही बैठा है. इसी वजह से वे कभी मुझे अकेला नहीं छोड़ते हैं. यहां तक कि अपने कालेज की पढ़ाई के दौरान तक मेरी सहेलियां मेरे इर्दगिर्द ही रहती थीं, जिन से वे मेरी हर खबर रखते थे.

अब वे मुझे नौकरी भी नहीं करने देना चाहते हैं. मैं उन्हें लाख बार समझा चुकी हूं कि ऐसा कुछ नहीं है और घर के बाहर मैं अपनी हिफाजत खुद कर सकती हूं, पर उन के कान पर जूं तक नहीं रेंगती. इन सब बातों से घर पर तनाव का माहौल रहता है. मैं क्या करूं?

 जवाब

आप जैसी लाखोंकरोड़ों लड़कियां घर वालों के इस रवैए से दुखी रहती हैं और जिंदगी अपने मुताबिक नहीं जी पा रही हैं. इस की सब से बड़ी वजह समाज में लड़कियों की हिफाजत की गारंटी न होना. दूसरी वजह, मांबाप द्वारा लड़कियों को आजादी न देना है.

मांबाप को हमेशा यह डर सताता रहता है कि बेटी के साथ कुछ अनहोनी न हो जाए या फिर वह प्यारमुहब्बत के चक्कर में पड़ कर घर की इज्जत मिट्टी में न मिला दे. पर ये सब बकवास बातें हैं, जिन से लड़कियों को घुटन और अपनी पैदाइश पर अफसोस होता है.
आप को हिम्मत जुटा कर बगावत करना होगी, तभी नौकरी कर के अपने पैरों पर खड़ी हो पाएंगी, नहीं तो जिंदगीभर यों ही पिंजरे की पंछी बन कर फड़फड़ाती रहेंगी.

मैं जब भी पति के साथ संबंध बनाती हूं तो जल्दी थक जाती हूं, मुझे क्या करना चाहिए?

सवाल
मेरी समस्या मेरे और पति के शारीरिक संबंधों को ले कर है. मैं जब भी पति के साथ शारीरिक संबंध बनाती हूं तो जल्दी थक जाती हूं. शारीरिक संबंधों का पूरी तरह आनंद नहीं ले पाती क्योंकि इस दौरान मुझे दर्द होता है.

जवाब
कई बार जब महिला शारीरिक संबंध बनाने के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं होती तब उस के साथ ऐसी ही समस्या पेश आती है जैसी आप के साथ आ रही है. इस के अलावा वैजाइनल ड्राइनैस भी सैक्स संबंधों के दौरान दर्द का कारण बनता है, इस के लिए आप चाहें तो किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क कर सकती हैं.

सैक्स संबंध को सुखद बनाने के लिए फोरप्ले (चुंबन, सहलाना आदि) जैसी क्रियाएं अवश्य करें. जिस तरह संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के लिए सैक्स जरूरी होता है, ठीक उसी तरह फोरप्ले भी जरूरी होता है.

फोरप्ले सैक्स से पहले की कुछ ऐसी क्रियाएं हैं जिन से सैक्स का न केवल खुल कर आनंद लिया जा सकता है बल्कि सैक्स के मजे को दोगुना भी किया जा सकता है. फोरप्ले न केवल सैक्स संबंधों का जरूरी हिस्सा होता है बल्कि इस से आप के साथी की भी सैक्स में रुचि बढ़ती है. यदि आप फोरप्ले करते हैं तो आप अधिक समय तक सैक्स का आनंद उठा पाएंगे. फोरप्ले मूड को तरोताजा करता है, शरीर को रोमांच से भर देता है. फोरप्ले पतिपत्नी को सैक्स के लिए तैयार करता है.

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