‘‘नहींनहीं, ऐसा तो कुछ नहीं है, एक बारगी तो शिवानी का मन हुआ इतने प्यार करने वाले पति से कुछ न छिपाए पर अंजाम सोच कर सिहर गई. अजय ने उस के रोने को फिर अपना जाना ही समझा.’’
कुछ दिन और बीते. शिवानी मन ही मन घुटती रही. वह चाह कर भी किसी से हंसबोल नहीं पा रही थी. एक अपराधबोध हर समय उस के मन पर हावी रहता था. उस ने सब से सच छिपा लिया था पर वह मन ही मन बहुत बेचैन रहने लगी थी.
इस बार जब तय समय पर उसे पीरियड्स नहीं हुए, तो उस का माथा ठनका. उस ने कुछ दिन और इंतजार किया. फिर एक दिन अजय के औफिस जाने के बाद उसे उमा से कहा, ‘‘मां, आज थोड़ी देर मम्मी से मिलने चली जाऊं?’’
‘‘हां, जरूर जाओ.’’
शिवानी ने रास्ते में ही प्रैगनैंसी चैक करने वाली किट खरीदी और मम्मी के यहां पहुंच गई. रमेश कालेज में ही थे. शिवानी से फोन पर बात होने के बाद सुधा अपने कालेज से जल्दी आ गईं. शिवानी का उतरा चेहरा देख परेशान हुईं, क्या बात है बेटा, तबीयत फिर खराब है क्या?
‘‘नहीं मम्मी, ठीक हूं.’’
दोनों थोड़ी देर बातें करती रहीं, फिर सुधा शिवानी के लिए कुछ चायनाश्ता बनाने किचन में चली गईं तो शिवानी ने बाथरूम में खुद ही टैस्ट किया. वह गर्भवती थी. उस के होश उड़ गए. माथे पर पसीने की बूंदे चमक उठीं. उस ने बारबार अपने पिछले पीरियड, अपने साथ हुए रेप और अजय के साथ बने संबंधों का हिसाब लगाया और वह इस परिणाम पर पहुंची कि यह बच्चा अजय का नहीं उसी का है, जिस ने उसे नशे में बेसुध कर उस के साथ जबरदस्ती संबंध बनाया था. वह रो पड़ी.
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सुधा मन ही मन चिंतित थीं कि उन की बेटी को हुआ क्या है, उस का हंसनामुसकराना, चहकना सब कहां चला गया है.
हाथमुंह धो कर शिवानी बाहर आई तो सुधा को उस की सूजी आंखें देख कर झटका लगा, ‘‘क्या हुआ शिवानी, तुम कुछ बताती क्यों नहीं?’’
‘‘मैं चाय लाती हूं, तुम थोड़ा लेट लो.’’
शिवानी चुपचाप लेट कर मन ही मन इस फैसले पर पहुंची कि वह अबौर्शन करवा लेगी. वह इस अनहोनी का अंश अपने अंदर नहीं पनपने देगी. सुधा चाय लाई तो वह चुपचाप चाय पीने लगी.
सुधा ने कहा, ‘‘शिवानी, तुम्हें बहुत अच्छी ससुराल मिली है न?’’
‘‘हां, मां.’’
‘‘पर तुम कुछ परेशान सी दिखती हो आजकल?’’
‘‘कुछ नहीं है मां, यह सिरदर्द ही आज परेशान कर रहा है,’’ मां कुछ और न सोचे, यह सोच कर वह झूठ ही हंसनेबोलने लगी.
वापस जाते हुए रास्ते में शिवानी की मनोदशा बहुत अजीब थी. किसी को भी बिना बताए वह अबौर्शन का पक्का इरादा कर चुकी थी. घर पहुंच कर सब से सामान्य बातें करने में भी उसे बहुत मेहनत करनी पड़ रही थी. मन ही मन घुटती जा रही थी.
अगले दिन सुबह से ही उमा को तेज बुखार हो गया. उन की तबीयत काफी बिगड़ने लगी तो उन्हें हौस्पिटल में दाखिल करवाना पड़ा. सब उन की सेवा में जुट गए. शिवानी सब कुछ भूल कर उन की सेवा में लग गई. 3 दिन बाद उन की हालत कुछ संभली. अगले दिन ही उन्हें डिस्चार्ज किया जाना था.
शिवानी उन के पास ही बैठी सोच रही थी कि बस अब 2-3 दिन में वह अबौर्शन करवा लेगी. अचानक उसे चक्कर सा आया. उलटी आने को हुई. वह बाथरूम में भागी. लता भी वहीं थीं, उमा ने उठने की कोशिश करते हुए कहा, ‘‘लता, देखना, बहू को क्या हुआ है?’’
लता ने बाथरूम में झांका, शिवानी उलटी के बाद पस्त थी. वह शिवानी को सहारा देते हुए बाहर लाईं. उसे चेयर पर बिठा कर पानी पिलाया.
शिवानी के पीले पड़े चेहरे को देखते हुए उमा ने कहा, ‘‘क्या हो गया? ठीक तो हो न?’’
‘‘हां मां, यों ही चक्कर आ गया था.’’
लता मुसकराई, ‘‘यों ही या कोई खास बात है?’’
‘‘नहीं चाची, बस जी मिचला रहा था बहुत देर से.’’
‘‘यों ही थोड़े जी मिचलाता है बहूरानी. चलो यहां हमारी पुरानी डाक्टर हैं मनाली, उन्हें दिखा लेते हैं. मुझे तो खुशखबरी की उम्मीद लग रही है, दीदी.’’
उमा ने कहा, ‘‘जाओ लता, अभी दिखा आओ. मैं तो अब ठीक ही हूं.’’
शिवानी ने बहुत आनाकानी की पर उस की एक न चली.
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डाक्टर मनाली ने शिवानी के गर्भवती होने की पुष्टि कर दी. शिवानी के चेहरे का रंग उड़ गया. लता चहक उठी. शिवानी को बाहों में भर गले से लगा लिया, ‘‘बधाई हो बहू… वाह इतने सालों बाद घर में कोई नन्हा मेहमान आएगा,’’ खुशी के मारे लता की आवाज कांप रही थी.
उमा ने सुना तो वह बैड से उठ खड़ी हुईं. ‘‘इस खुशखबरी ने तो सारी कमजोरी ही खत्म कर दी,’’ उन्होंने शिवानी को बधाई देते हुए गले से लगा लिया.
गौतम, विनय और अजय आए तो सब यह सुन कर चहक उठे. उमा की बीमारी भूल सब एकदूसरे को बधाई देने में व्यस्त थे. शिवानी की उड़ी रंगत की तरफ किसी का ध्यान नहीं गया. वह बहुत परेशान थी. वह अब कैसे अबौर्शन करवा पाएगी, वह अपनी सोच में इतनी गुम थी कि सब के खुशी से भरे स्वर उस के कानों तक पहुंच भी नहीं रहे थे.
अचानक लता ने उसे झकझोरा, ‘‘क्या हो गया? घबरा रही हो? अरे, बड़ी खुशी का दिन है आज, तुम किसी बात की चिंता न करना. हम सब तुम्हारा बहुत ध्यान रखेंगे.’’
शाम को उमा के डिस्चार्ज होने के बाद सब घर लौट आए. उमा को कमजोरी तो थी पर इस खबर ने उन के अंदर एक उत्साह भर दिया था. उन्होंने रमेश और सुधा को भी फोन पर बधाई दी. वे दोनों भी बहुत खुश हुए.
सुधा ने रमेश से कहा, ‘‘तो यह बात थी. इसलिए शिवानी इतनी ढीलीढीली लग रही थी. मैं तो पता नहीं क्याक्या सोचने लगी थी. चलो, सब ठीक है.’’
शिवानी की अजीब हालत थी. वह तो अबौर्शन की सोच रही थी. अब कहां जश्न मनाया जा रहा था, हर समय सब आने वाले नन्हे मेहमान की बातें करते रहते थे. इतना स्नेह, इतना प्यार देने वाले परिवार से झूठ बोलने के अपराधबोध से वह मुक्त नहीं हो पा रही थी.
अजय ने एक दिन कहा भी, ‘‘शिवानी, अब तुम पहले जैसी नहीं रहती हो. तुम्हारी वह हंसी जैसे कहीं खो सी गई है, पता नहीं क्या सोचती रहती हो. मुझ से भी पहले की तरह बातें नहीं करती हो. क्या हुआ है शिवानी?’’
शिवानी का मन हुआ अपने मन पर पड़ा बोझ अजय से बांट ले, बता दे उसे जिस नन्हे मेहमान की खुशी सब मना रहे हैं, उसे खुद ही नहीं पता कि वह किस की संतान है. यह सोचते ही शिवानी के आंसू बहते ही चले गए. अजय घबरा गया. फौरन उसे सीने से लगा लिया.
अजय ने परेशान होते हुए कहा, ‘‘चलो, डाक्टर को दिखा लेते हैं.’’
‘‘नहीं, बस ऐसे ही तबीयत बहुत सुस्त रहती है आजकल…यों ही मन घबरा जाता है.’’
‘‘हां, मां भी कह रही थीं, ये सब प्रैगनैंसी की वजह से ही होगा, ठीक हो जाएगा. तुम आराम करो.’’
शिवानी आखें बंद कर चुपचाप लेटी रही. अजय उस का सिर सहलाता रहा. अजय ने मन ही मन शिवानी को खुश करने के लिए उसे एक सरप्राइज देने की सोची. वह शिवानी के सब दोस्तों को जानता था. अपने विवाह में सब से अच्छी तरह मिल चुका था. बाद में भी अकसर मिलते रहे थे. उस के पास रमन का फोन नंबर भी था. उस ने उसे ही फोन पर कहा, ‘‘भई, तुम्हारी फ्रैंड खुशखबरी सुनाने वाली है… एक पार्टी हो जाए?’’
‘‘वाह, बधाई हो, बिलकुल हो जाए पार्टी.’’
‘‘चलो, तुम बाकी सब से बात कर लो. शिवानी के लिए सरप्राइज है सब का आना. सब हमारे घर पर संडे को डिनर के लिए आ जाओ, शिवानी अभी कुछ सुस्त चल रही है. बाहर जाने पर शायद उसे परेशानी हो.’’
‘‘हांहां, मैं सब से बात कर लूंगा.’’
‘‘अपनी पत्नी और रीता के पति को भी इन्वाइट करना मेरी तरफ से.’’
‘‘हां, ठीक है. सब आएंगे.’’
रमन की पत्नी मंजू भी इस पार्टी का कारण सुन कर खुश हुई. रमन ने अपने पूरे गु्रप को इस पार्टी की सूचना दे दी. सब तैयार थे. अजय ने घर में सब को बता दिया था पर शिवानी को कुछ पता न था. गौतम के कुछ मेहमान आएंगे, उसे यही पता था. वह लता और उमा के साथ हलकेफुलके काम करती रही.
शाम को लता ने कहा, ‘‘जाओ बेटा, तैयार हो जाओ. अब सब आते ही होंगे.’’
शिवानी तैयार होने चली गई. 7 बजे रमन और मंजू, रीता अपने पति सुजय के साथ आए तो शिवानी उन्हें देख हैरान भी हुई और खुश भी, ‘‘वाह, इतने दिन बाद तुम लोगों को देख कर अच्छा लगा.’’