मेरी मम्मी की सहेली जबरन मेरे साथ संबंध बनाती हैं, मैं उनसे कैसे पीछा छुड़ाऊं?

सवाल

मेरी मम्मी की सहेली से मेरी दोस्ती हो गई है और वे रोजाना मेरे साथ संबंध बनाने की जिद करती हैं. वे कहती हैं कि मैं मना करूंगा, तो वे मम्मी को बता देंगी. मैं क्या करूं?

जवाब

वे महज कोरी धमकी दे रही हैं. तुम्हारी मम्मी को बता कर वे अपनी छिछलेदरी नहीं कराएंगी. वैसे, आप उन से दूर ही रहें तो ठीक है, वरना कभी भी उन के पति की चपेट में आ सकते हैं.

– एक नहीं पांच तरह का होता है एकतरफा प्यार

अमूमन जब हम किसी से प्यार करते हैं तो बदले में उस व्यक्ति से भी प्यार पाना चाहते हैं, तब भी जब उसे हममे कोई भी रूचि नहीं होती. वैज्ञानिकों ने हाल में किये कुछ शोधों के आधार पर पांच तरह के एकतरफा प्यार का खुलासा किया है और बताया है कि यह सच्चे प्यार से किस तरह अलग होता है.

आप और आपकी दोस्त एक दूसरे को तीन सालों से जानते हैं. आप अपनी दोस्त के प्रति इतने ज्यादा आकर्षित हैं कि आपके दोस्त उसे आपकी गर्लफ्रेंड ही मानने लगे हैं. काश यह सच होता. आप पूरी तरह उसके प्यार में हैं और आप हर वक्त उसी के बारे में सोचते रहते हैं. लेकिन आपको यह अच्छे से पता है कि वो आपसे प्यार नहीं करती है क्योंकि जब भी कोई उससे आपके बारे में पूछता है तो वह बताती है कि आप दोनों महज दोस्त हैं. इसका मतलब यह है कि आप एकतरफा प्यार में हैं.

– मीठा दर्द

जब आपको मालूम है कि उसको आपमें कोई दिलचस्पी नहीं है, तो आपको क्यों लगता है कि एक दिन उसका दिल पसीज जाएगा. आप उस व्यक्ति के साथ एक ऐसे एकतरफा प्यार में हैं जिसके लिए सिर्फ आपके दिल में रोमांटिक ख्याल आ रहे हैं लेकिन वह आपकी तरह कुछ भी महसूस नहीं कर रही है. दुःख की बात यह है कि एकतरफा प्यार के किस्से काफी आम हैं.

ऐसी स्थिति में क्या एकतरफा प्यार में भी वैसा महसूस करने की संभावना है जैसा कि लोग दोतरफा प्यार में महसूस करते हैं.

इसका जवाब ढूंढने के लिए अमेरिकी शोधकर्ताओं ने पांच तरह के एकतरफा प्यार पर अध्ययन किया. उन्होंने पता लगाया कि जिस व्यक्ति को आप प्यार करते हैं और उसे हासिल करना चाहते हैं, वह आपको किस तरह प्रभावित करता है और आप एक दूसरे के जीवन में क्या महत्व रखते हैं. अपने शोध के आधार पर उन्होंने पांच तरह के एकतरफा प्यार का जिक्र किया है. आइये उनके बारे में जानते हैं:

एकतरफा प्यार के पांच प्रकार 

1. सेलेब्रिटी या हीरो से प्यार

आपको किसी ऐसे व्यक्ति से प्यार है जिसे आप व्यक्तिगत रूप से नहीं जानते हैं ना ही कभी जानने की संभावना है, जैसे फिल्म स्टार, रौकस्टार या एथलीट. किशोरावस्था में कई लड़के फिल्म अभिनेत्रियों के प्रति ऐसा प्यार महसूस करते हैं उन्हें लगता है कि उनसे ज्यादा इस हीरोइन को प्यार करने वाला दूसरा कोई नहीं.

2. बहुत करीब फिर भी बहुत दूर

किसी ऐसे व्यक्ति के प्रति प्यार जिसे आप अच्छी तरह जानते हैं लेकिन किसी वजह से आप उससे अपने मन की बात नहीं कह पाते हैं. ऐसा कई लड़के लड़कियों के साथ होता है कि उन्हें अपने क्लासरूम या औफिस में कोई पसंद होता है, लेकिन वे किसी डर या किसी अन्य वजह से उससे कुछ कह नहीं पाते. यह भी एकतरफा प्यार का एक टाइप है.

3. प्यार पाने की पूरी कोशिश करना

एक ऐसा रिश्ता जिसमें आप किसी व्यक्ति को बहुत प्यार करते हैं, लेकिन बदले में आपको उस व्यक्ति का प्यार हासिल नहीं हो पाता है.

4. पुराना प्रेम संबंध

कोई ऐसा प्रेम संबंध जो किसी कारणवश खत्म हो चुका हो, लेकिन आपके दिल में अभी भी उसके प्रति प्यार बना हो लेकिन अब उसके पास लौटने की कोई गुंजाइश न हो.

5. बेदर्द प्यार

आप अपने की तुलना में उससे ज़्यादा प्यार करते हैं और उसके प्रति ज़्यादा वफ़ादार हैं. ऐसे रिश्तों में ताजगी बनाए रखने के लिए आप अपने पार्टनर से ज्यादा प्रयत्न करते हैं.

-सबके साथ होता है

शोधकर्ताओं ने तीन सौ हाईस्कूल और विश्वविद्यालय के छात्रों पर अध्ययन किया और पिछले दो वर्षों में उनके एकतरफा प्यार के अनुभवों के बारे में पूछा. शोधकर्ताओं ने यह भी जानने का प्रयत्न किया कि भावनात्मक रूप से एक से सात तक के पैमाने उनकी भावनाएं कितनी चरम पर थीं.

शोधकर्ताओं ने 450 छात्रों पर दूसरा अध्ययन किया और उनसे पूछा कि एकतरफा प्यार में जूनून और वफादारी के अलावा अन्य सकारात्मक पहलू क्या होते हैं.

शोधकर्ताओं ने पाया कि छात्रों को दोतरफा प्यार की तुलना में एकतरफ़ा प्यार चार गुना अधिक होता है. करीब नब्बे प्रतिशत लोग उनके लिए रोए थे जो पिछले दो सालों में अपने प्यार को किसी मुकाम पर नहीं पहुंचा पाए.

शोध में पाया गया कि किसी ऐसे व्यक्ति के प्रति गहरा आकर्षण जिसे आप जानते हैं लेकिन उससे अपने दिल की बात कह नहीं सकते, एकतरफा प्यार में होने वाली सबसे आम घटना है. दो प्यार करने वालों के बीच एक दूसरे के प्रति बराबर प्यार ना होना भी आम पाया गया.

– दुःख तो होता ही है

स्टडी में पाया गया कि हर तरह के एकतरफा प्यार में दोतरफा प्यार की अपेक्षा कम गहराई होती है. दो लोगों के बीच प्रेम संबंध जूनून, अंतरंगता और एक दूसरे का ख्याल रखने से ही प्रगाढ़ होता है.

लेकिन जिस व्यक्ति को आप प्यार करते हैं उसके प्रति आपकी भावनाएं कितनी गहरी हैं यह इस पर निर्भर करता है कि आप किस तरह के एकतरफा प्यार में हैं. किसी फिल्म स्टार के प्रति गहरे आकर्षण की तुलना आपकी पुराने गर्लफ्रेंड से नहीं की जा सकती है जिसके साथ आप फिर से जुड़ना चाहते हैं.

रिसर्च ने इस सिद्धांत को खारिज कर दिया है कि एकतरफा प्यार किसी भी तरह दोतरफा प्यार के कुछ सकारात्मक पहलुओं को प्रदान करता है, जैसे उस व्यक्ति के लिए पागलपन, उससे अंतरंगता और शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा और रिश्ते में बिना किसी उतार चढ़ाव के उसके साथ रहने की इच्छा. एकतरफा प्यार असुविधाजनक और निश्चित रूप से असंतुष्ट स्थिति है.

– एकतरफा प्यार क्यों होता है?

एक समय ऐसा आता है जब हम किसी व्यक्ति के साथ रोमांस करने को तरसते हैं लेकिन हम जिससे प्यार करते हैं उसे हममें कोई दिलचस्पी ही नहीं होती है. यह जानते हुए भी हम उसकी सभी बातें आसानी से बर्दाश्त कर लेते हैं.

– शोधकर्ताओं ने तीन सिद्धांत दिए हैं:

1. प्यार का एहसास होना अच्छा है

आप किसी ऐसे व्यक्ति से प्यार करते हैं जिसे आपमें रूचि नहीं है लेकिन आप उससे वह प्यार हासिल करना चाहते हैं जो दोस्ती के रिश्ते में आप कभी नहीं पा सकते हैं. उदाहरण के लिए एकतरफा प्यार और वास्तविक प्यार दोनों में किसी के लिए पागल होना आम बात है. किसी के साथ रिश्ता जुड़ने का ख्याल और उसका होने का सपना देखना भावनात्मक रूप से अच्छा है बजाय इसके कि कोई ख्याल ही ना आए.

2. खुद को जानने का मौका

एकतरफा प्यार आपके जीवन का एक ऐसा अनुभव है जो एक समय में गलत साबित जरूर हो सकता है लेकिन इससे आपको यह जानने में सहायता मिलती है कि आप कैसे हैं और आपको किस तरह के पार्टनर की जरूरत है.

3. जीत इसी में है

अंत में, शोधकर्ताओं का कहना है कि एकतरफ़ा प्यार देरी से मिलने वाले किसी मुनाफ़े जैसा है. हालांकि यह थोड़ी देर के लिए बेचैन कर देता है लेकिन भविष्य में रिश्ते जुड़ने की संभावना भी इसी से बनती है.

मुझे बार-बार सेक्स करने की इच्छा होती है, कोई उपाय बताए ताकि ऐसा न हो?

सवाल

मैं एक 20 वर्षीय युवती हूं. मेरा मन सैक्स करने का करता है. ऐसा कोई उपाय बताएं जिस से सैक्स की फीलिंग न हो?

जवाब

सैक्स की फीलिंग नौर्मल फीलिंग है, लेकिन आप की समस्या से लगता है कि आप इस के बारे में बहुत ज्यादा सोच रही हैं. आप अपनी लाइफस्टाइल में कुछ चेंज करें. फ्रैंड सर्कल में ऐसी फ्रैंड्स के साथ कम रहें जो केवल सैक्स से संबंधित बातें ही करती हों. पौर्न साइट्स न देखें, हैल्दी मनोरंजन से भरपूर किताबें पढ़ें. जैसे ही आप का ध्यान इस ओर डाइवर्ट होने लगे, स्वयं को कहीं और व्यस्त कर लें. सुधार दिखने पर आप को अच्छा लगेगा.

तमाम अध्ययन के बाद यह माना गया है कि दिमाग में आने वाले अश्लील विचार स्वभाविक हैं. अकसर इंसान निरंतर आने वाले इन ख्यालों से बेहद परेशान हो जाता है और उसे लगता है कि इसमें उसी की कोई भूल है जो वह इस प्रकार के विचारों से अपना पिंड नहीं छुड़ा पा रहा है. दूसरी ओर जब यह ख्याल व्यक्ति के काम में भी दखल देते हैं, तब वह खुद को इन्हें रोकने से असमर्थ होने की अवस्था में खुद को ही कोसता है.

परंतु इसमें व्यक्ति को स्वयं को ही दोषी मानना ठीक नहीं है. वैज्ञानिक एवं सामाजिक दोनों पहलू से अश्लील विचार आना महज एक प्रकार के स्वभाव का हिस्सा है. विशेषज्ञों के अनुसार जब कभी बार-बार आने वाले ऐसे विचार व्यक्ति को उत्तेजित करते हैं, तो कई बार वह अंदर से क्रोधित महसूस करता है. उसे लगता है कि शायद उसमें ही कोई कमी है जो वह ऐसे अश्लील विचारों से खुद को बाहर नहीं निकाल पा रहा है.

पति-पत्नी के झगड़ों ने लिया भयानक रूप

मियांबीवी के ?झगड़े आम हैं पर कभीकभार हत्या में भी तबदील हो जाते हैं. दिल्ली में एक मेकैनिक का घर बेचने को ले कर हो रहे ?झगड़े में मर्द ने औरत पर किसी तेज चीज से हमला कर दिया और शायद यह एहसास होने पर कि कुछ गलत हो गया है, उस ने खुद को भी घायल कर लिया. दोनों की अपने बड़े बच्चों के सामने मौत हो गई.

कुएं में कूद जाऊंगी, आग लगा लूंगी, जहर पी लूंगा, घर छोड़ कर भाग जाऊंगा जैसे बोल अकसर मियांबीवी के ?झगड़ों में ?ाल्ला कर बोले जाते हैं. मर्द और औरत में कौन सही है, कौन गलत, इस का फैसला नहीं होता. ?झगड़ा तो किस की चलेगी पर होता है. पहले हमेशा मर्दों की चलती रही है पर अब औरतें भी बराबर होने लगी हैं.

यह बात दूसरी है कि आम आदमी को पट्टी पढ़ाई जाती है कि औरत पैर की जूती है, वहीं रखो. यही सीख जो मांबाप देते हैं, पंडेपादरी देते हैं, समाज देता है, रिश्तेदार देते हैं, ?झगड़ों को मारपीट की हद तक ले जाते हैं.

जिस भी बात पर 2 जनों की राय एक न हो वहां कौन सही है, कौन गलत का पूरा फैसला कभी नहीं हो सकता. हर मामले के कई पहलू होते हैं और हरेक अपनी समझ  से अपना मन बनाता है. अच्छे पतिपत्नी वे होते हैं जो एकदूसरे की पूरी तरह सुनते हैं और बिना अकड़ लाए तय करते हैं कि क्या सही है, क्या गलत है. अगर पतिपत्नी में से कोई तीसरे से चिपक भी रहा है तो मरनामारना कोई तरीका नहीं है. आज किसी को मार कर उस की लाश को निबटाना आसान नहीं है. अगर बच्चे हों तो मारने वाला भी जेल में रहता है तो बच्चों की देखभालके लिए कोई बचता नहीं. तीसरे के साथ जुड़ाव होने पर घर से अलग होना सब से सही है.

हमारे समाज में पतिपत्नी के ?झगडे़ मारपीट में इसलिए ज्यादा तबदील होते हैं कि यहां शादी को तोड़ना आसान नहीं है. अगर ?झगड़े के बाद आदमी या औरत कुछ दिन अपना अकेले का घर बना सकते हों तो उन्हें जल्दी ही एहसास हो जाए कि वजह कुछ भी रही हो, वे एकदूसरे के बिना अधूरे हैं. इस के लिए जरूरी है कि मर्द और औरत हमेशा बाहर काम करते रहें और अपने पैरों पर खड़े हों.

दूसरी जरूरत यह हो कि कानून यह मजबूर करे कि कोई मकान मालिक अकेले आदमी या अकेली औरत को मकान किराए पर देने से मना न करेगा. चाहे मकान बड़ा हो या छोटी खोली, आजकल अकेलों को घर मिलना मुश्किल होता जा रहा है.

मुश्किल यह है कि सरकारें तो धर्म, हिंदूमुसलिम, मूर्तियों, नारों में इतनी लगी हैं कि समाज की सब से बड़ी जरूरत, घर, सुखी घर, पर उन का कोई ध्यान नहीं है.

मैं पिछले 8 महीनों से रिलेशनशिप में हूं लेकिन मेरी गर्लफ्रेंड को लगता है कि मेरा प्यार झूठा है, क्या करूं?

सवाल

मेरी उम्र 21 वर्ष है और मैं एक कंपनी में ग्राफिक डिजाइनर की नौकरी कर रहा हूं. मैं ने 2 महीने पहले ही ग्रैजुएशन कंपलीट की है. कालेज की ही मेरी एक जूनियर है जिस के साथ मैं पिछले 8 महीनों से रिलेशनशिप में हूं. पहले 3 महीने तो हम ने बातें करते हुए और यहांवहां घूमतेफिरते निकाल दिए. अब मसला यह है कि मैं जब भी उसे अपने पास आने के लिए या किस से बढ़ कर भी कुछ करने के लिए कहता हूं तो वह आनाकानी करने लगती है. हर वक्त उस की एक ही शिकायत रहती है कि तुम्हें मुझ से प्यार नहीं, होता तो यों फिजिकल होने के लिए नहीं कहते रहते. मुझे समझ नहीं आता कि उसे समझाऊं कैसे कि मुझे उस से प्यार है और यह प्यार ही तो है जो मुझे उस की तरफ आकर्षित करता है. पर उसे मेरी बात समझ नहीं आती. आखिर मैं उसे समझाऊं तो समझाऊं कैसे?

जवाब

आप की गर्लफ्रैंड अगर आप के साथ शारीरिक संबंध बनाने से इनकार कर रही है तो इस के पीछे जरूर कोई वजह है. अकसर लड़कियां यह सब कहती हैं कि आप केवल उन से शारीरिक संबंध बनाना चाहते हैं तो केवल यही एक कारण नहीं हो सकता. लड़कियां छोटीछोटी बातों पर इंसिक्योर हो जाती हैं और ओवर थिंकिंग करने लगती हैं. हो सकता है कि आप की गर्लफ्रैंड को यह लग रहा हो कि आप शारीरिक संबंध बना कर उस से दूर हो जाएंगे या आप की मंशा  शारीरिक संबंध बनाना ही है. वजह चाहे कोई भी हो आप को जानना आवश्यक है, और उसे भरोसा दिलाना भी आप ही को है.

मैं मुसलिम हूं और मेरी गर्लफ्रेंड सिख, कुछ दिनों से वो अजीब बर्ताव कर रही हैं, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं और मेरी गर्लफ्रैंड 3 साल से साथ में हैं. मैं मुसलिम हूं और वह सिख, हमारे बीच में काफी अच्छी बौंडिंग है. हम एकदूसरे के साथ ऐसे रहते हैं जैसे मैरिड कपल रहते हैं. यहां तक कि वह अपने फ्रैंड्स से मुझे हसबैंड कह कर मिलाती है. लेकिन अचानक एक हफ्ते पहले उस का फोन आया और बोली कि मैं तुम से कोई संबंध नहीं रखना चाहती. मुझे भूल जाओ. मैं दूसरी जगह शादी कर रही हूं. कह कर मोबाइल पर मेरा नंबर भी ब्लौक कर दिया. मैं उस से वजह पूछता रह गया तो बस इतना बोली कि मेरे पापा मेरे इस रिश्ते से खुश हैं तो मैं भी हूं.

मुझे लगा कि मेरा तो एक  झटके में सब लुट गया क्योंकि एक रात पहले ही तो हम दोनों ने साथ डिनर किया था. साथ जीनेमरने की कसमें खाई थीं. फिलहाल मैं क्या करता. चुपचाप अपने मन को सम झा लिया. लेकिन एक दिन अचानक मुझे मिली और मुझे हग कर लिया. यहां तक कि गाल पर किस किया और बड़े नौर्मल तरीके से बात करने लगी जैसे कोई बात हुई ही नहीं हो. मैं परेशान हो गया. मैं उस से बोला भी कि वह ऐसे रिएक्ट क्यों कर रही है.

मुझ से इंवौल्व होने की कोशिश क्यों कर रही है जबकि मैं अब उसे भुलाने की कोशिश कर रहा हूं. तब वह मु झे बाय कहकर चली गई. अब कभी भी मु झे फोन कर देती है. मैं बहुत कन्फ्यूज हो गया हूं उस के इस बिहेवियर से. सम झ नहीं पा रहा कि वह चाहती क्या है मु झ से?

 जवाब

आप की गर्लफ्रैंड का बिहेवियर वाकई अजीब है. एक तरफ उस का आप को एक  झटके में रिलेशन खत्म करने की बात कहना और फिर कुछ दिनों बाद ऐसे बिहेव करना जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो, कन्फ्यूज करता है.

लेकिन अब आप को ही मजबूत बनना पड़ेगा. 3 साल तक वह आप के साथ घूमीफिरी, टाइम स्पैंड किया, एकदूसरे के साथ आप फिजिकल भी हुए. आप से उस ने महंगेमहंगे उपहार भी लिए, दोस्त से आप को हंसबैंड कह कर मिलाती रही. यह सब उस के लिए कोई मायने नहीं रखता तो ऐसी लड़की के लिए आप को दुखी होने की कोई जरूरत नहीं, उसे आप की, आप के प्यार की कोई कद्र नहीं तो आप को क्या पड़ी है कि उस के लिए अपना जीवन बरबाद करें.

ऐसा लगता है कि जैसे उस का मन आप से ऊब गया हो. चलो मान लेते हैं मन न भी ऊबा हो. लेकिन बात यह भी हो सकती है कि उस के घरवाले आप दोनों के रिश्ते के खिलाफ हों क्योंकि आप का मुसलिम होना और उस का सिख होना, आप दोनों के बीच शादी के लिए बहुत बड़ी रुकावट है. उस के घरवालों ने उसे यह बात सम झाई हो और अंत में अब वह 3 साल बाद इस बात को सम झ रही हो और अंतत उस ने आप से रिश्ता तोड़ने का फैसला ले लिया हो.

अटकलें तो काफी सारी लगाई जा सकती हैं लेकिन हकीकत की दुनिया में उतर कर देखेंगे तो सचाई यही है कि अब वह लड़की आप की जिंदगी में वापस नहीं आएगी. आप अब उस का फोन बिलकुल अडैंड मत कीजिए. आप उस का नंबर ब्लौक कर दें जैसे उस ने आप का कर रखा है. आप को कभी अचानक मिल भी जाए तो इग्नोर करें. बात करने की कोई जरूरत नहीं. आप की भी कोई सैल्फ रिसपैक्ट है. उस का जब मन करे चली जाए, जब मन करे चली आए,  ऐसा नहीं हो सकता.

आपको दिखाना होगा कि आप उस के बगैर खुश हैं. लाइफ  में उस के सिवा आप को और भी काम हैं और आप को अभी बहुतकुछ अचीव करना है. आप हौसला रखें और अपने को अपने काम में बिजी रखने की कोशिश करें.

दोस्तों से मिलेंजुलें, आउटिंग के लिए जाएं हो सकता है आगे लाइफ में आप को और भी कोई बैटर फ्रैंडशिप के लिए मिल जाए. बस हिम्मत मत हारिए.

मेरे मां-बाप कभी मुझे अकेला नहीं छोड़ते हैं, क्या करूं?

सवाल

मैं 25 साल की एक कुंआरी लड़की हूं. मेरे मांबाप को लगता है कि घर के बाहर हर कोई मुझे दबोचने के लिए ही बैठा है. इसी वजह से वे कभी मुझे अकेला नहीं छोड़ते हैं. यहां तक कि अपने कालेज की पढ़ाई के दौरान तक मेरी सहेलियां मेरे इर्दगिर्द ही रहती थीं, जिन से वे मेरी हर खबर रखते थे.

अब वे मुझे नौकरी भी नहीं करने देना चाहते हैं. मैं उन्हें लाख बार समझा चुकी हूं कि ऐसा कुछ नहीं है और घर के बाहर मैं अपनी हिफाजत खुद कर सकती हूं, पर उन के कान पर जूं तक नहीं रेंगती. इन सब बातों से घर पर तनाव का माहौल रहता है. मैं क्या करूं?

 जवाब

आप जैसी लाखोंकरोड़ों लड़कियां घर वालों के इस रवैए से दुखी रहती हैं और जिंदगी अपने मुताबिक नहीं जी पा रही हैं. इस की सब से बड़ी वजह समाज में लड़कियों की हिफाजत की गारंटी न होना. दूसरी वजह, मांबाप द्वारा लड़कियों को आजादी न देना है.

मांबाप को हमेशा यह डर सताता रहता है कि बेटी के साथ कुछ अनहोनी न हो जाए या फिर वह प्यारमुहब्बत के चक्कर में पड़ कर घर की इज्जत मिट्टी में न मिला दे. पर ये सब बकवास बातें हैं, जिन से लड़कियों को घुटन और अपनी पैदाइश पर अफसोस होता है.
आप को हिम्मत जुटा कर बगावत करना होगी, तभी नौकरी कर के अपने पैरों पर खड़ी हो पाएंगी, नहीं तो जिंदगीभर यों ही पिंजरे की पंछी बन कर फड़फड़ाती रहेंगी.

मैं जब भी पति के साथ संबंध बनाती हूं तो जल्दी थक जाती हूं, मुझे क्या करना चाहिए?

सवाल
मेरी समस्या मेरे और पति के शारीरिक संबंधों को ले कर है. मैं जब भी पति के साथ शारीरिक संबंध बनाती हूं तो जल्दी थक जाती हूं. शारीरिक संबंधों का पूरी तरह आनंद नहीं ले पाती क्योंकि इस दौरान मुझे दर्द होता है.

जवाब
कई बार जब महिला शारीरिक संबंध बनाने के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं होती तब उस के साथ ऐसी ही समस्या पेश आती है जैसी आप के साथ आ रही है. इस के अलावा वैजाइनल ड्राइनैस भी सैक्स संबंधों के दौरान दर्द का कारण बनता है, इस के लिए आप चाहें तो किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क कर सकती हैं.

सैक्स संबंध को सुखद बनाने के लिए फोरप्ले (चुंबन, सहलाना आदि) जैसी क्रियाएं अवश्य करें. जिस तरह संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के लिए सैक्स जरूरी होता है, ठीक उसी तरह फोरप्ले भी जरूरी होता है.

फोरप्ले सैक्स से पहले की कुछ ऐसी क्रियाएं हैं जिन से सैक्स का न केवल खुल कर आनंद लिया जा सकता है बल्कि सैक्स के मजे को दोगुना भी किया जा सकता है. फोरप्ले न केवल सैक्स संबंधों का जरूरी हिस्सा होता है बल्कि इस से आप के साथी की भी सैक्स में रुचि बढ़ती है. यदि आप फोरप्ले करते हैं तो आप अधिक समय तक सैक्स का आनंद उठा पाएंगे. फोरप्ले मूड को तरोताजा करता है, शरीर को रोमांच से भर देता है. फोरप्ले पतिपत्नी को सैक्स के लिए तैयार करता है.

मुझे एक मुसलिम लड़की से प्यार हो गया है, डरता हूं वह बेइज्जती न कर दे,सलाह दें

सवाल
मैं 20 साल का अविवाहित युवक हूं. मैं जहां नौकरी करता हूं वहां मुझे एक मुसलिम लड़की से प्यार हो गया है. चूंकि मैं हिंदू हूं, इसलिए उस से अपनी फीलिंग्स शेयर करने से डरता हूं. वह नहीं जानती कि मैं हिंदू हूं. लेकिन मैं जब भी उस की तरफ देखता हूं तो उसे भी अपनी तरफ देखता हुआ पाता हूं. मैं जिस दिन भी उसे नहीं देखूं, मुझे पूरा दिन अच्छा नहीं लगता. मैं सोचता हूं कि उस से अपनी फीलिंग्स शेयर करूं लेकिन डरता हूं कि कहीं वह चीखचिल्ला कर मेरी बेइज्जती न कर दे.

जवाब

आप जो भी सोच रहे हैं सिर्फ अपने मन में सोच रहे हैं कि कहीं वह लड़की आप के हिंदू होने की बात जान कर आप को रिजैक्ट न कर दे या वह भी आप को चाहती है. आप की समस्या का हल सिर्फ उस से खुल कर बात करने में है.

आप उस से बात करें व जानें कि वह आप के बारे में क्या सोचती है, तभी आगे बढ़ें. क्या पता उस के व उस के परिवार के लिए हिंदू मुसलिम वाली बात कोई महत्त्व ही न रखती हो या फिर उस के मन में आप के लिए कोई फीलिंग ही न हो, जैसा आप सोच रहे हैं.

इसलिए हर बात का खुलासा सिर्फ उस से बात करने से होगा. बिना डरे उस से अपने मन की बात कहें और हर परिस्थिति के लिए तैयार रहें.

मैं यह जानना चाहती हूं कि क्या मासिकधर्म के दौरान संबंध बनाने से गर्भ ठहर सकता है?

सवाल
मैं 21 वर्षीय युवती हूं, मेरा एक बौयफ्रैंड है जिस के साथ मेरे शारीरिक संबंध भी हैं. हाल ही मासिकधर्म के दौरान मैं ने बौयफ्रैंड के साथ शारीरिक संबंध बनाए लेकिन हम ने कोई गर्भनिरोधक उपाय नहीं अपनाया. अब मैं इस बात को ले कर चिंतित हूं कि कहीं मैं गर्भवती न हो जाऊं. मैं यह जानना चाहती हूं कि क्या मासिकधर्म के दौरान संबंध बनाने से गर्भ ठहर सकता है. वैसे मेरा मासिकधर्म संबंध बनाने के बाद हो चुका है.

जवाब
सामान्य तौर पर मासिकधर्म के दौरान शारीरिक संबंध बनाने पर गर्भ ठहरने की संभावना नहीं होती है. लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप की माहवारी नियमित है या नहीं. अगर माहवारी नियमित हो तो गर्भ ठहरने की संभावना कम होती है. लेकिन गर्भ ठहरने की संभावना को पूरी तरह से नकारा भी नहीं जा सकता. क्योंकि अगर आप की माहवारी अनियमित हो और अंडाणु का विसर्जन अनियमित समय से हो जाए और उसी समय मासिकधर्म भी हो रहा है तो गर्भधारण की संभावना भी हो सकती है.

अगली बार ऐसा कुछ करने से पूर्व गर्भनिरोधक उपाय अवश्य अपना लें ताकि प्रैगनैंसी, एसटीडी और एड्स जैसी बीमारियों से बचाव हो सके. वैसे, वर्तमान स्थिति में आप का मासिकधर्म संबंध बनाने के बाद सामान्य हो चुका है तो घबराने की कोई बात नहीं है.

मासिक धर्म या माहवारी कुदरत का दिया हुआ एक ऐसा तोहफा है, जो किसी लड़की या औरत के मां बनने का रास्ता पक्का करता है. इस की शुरुआत 10 साल से 12 साल की उम्र में हो जाती है, जो  45 साल से 50 साल तक बनी रहती है. इस के बाद औरतों में रजोनिवृत्ति हो जाती है. इस दौरान उन्हें हर महीने माहवारी के दौर से गुजरना होता है. अगर वे अपने नाजुक अंग की समुचित साफसफाई न करें, तो तमाम तरह की बीमारियों की चपेट में आ सकती हैं.

हमारे समाज में आज भी माहवारी के 4-5 दिनों तक लड़कियों व औरतों के साथ अछूत जैसा बरताव किया जाता है. यही नहीं, ज्यादातर लड़कियां और औरतें इस दौरान परंपरागत रूप से कपड़े का इस्तेमाल करती हैं और उसे धो कर ऐसी जगह सुखाती हैं, जहां किसी की नजर न पड़े.

सेहत के नजरिए से ये कपड़े दोबारा इस्तेमाल करने के लिए ठीक नहीं हैं. इस का विकल्प सैनिटरी नैपकिन हैं, लेकिन  महंगे होने की वजह से इन का इस्तेमाल केवल अमीर या पढ़ीलिखी औरतों तक ही सिमटा है.

आज भी देश के छोटेछोटे गांवों और कसबों की लड़कियां और औरतें सैनिटरी नैपकिन के बजाय घासफूस, रेत, राख, कागज या कपड़ों का इस्तेमाल करती हैं.

एक सर्वे के मुताबिक, 80 फीसदी औरतें और स्कूली छात्राएं ऐसा ही करती हैं. इन में न सिर्फ अनपढ़, बल्कि कुछ कामकाजी पढ़ीलिखी औरतें भी शामिल हैं.

फिक्की लेडीज आर्गनाइजेशन की सदस्यों द्वारा किए गए सर्वे में ऐसी बातें सामने आई हैं. संस्था की महिला उद्यमियों ने गांवों और छोटे शहरों में स्कूली छात्राओं और महिला मजदूरों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सब्जी बेचने वाली औरतों से बात की. उन से पूछा गया कि वे सैनिटरी हाईजीन के बारे में क्या जानती हैं?

कसबों में स्कूली बच्चियों से पूछने पर यह बात सामने आई कि कई लड़कियां हर महीने इन खास दिनों में स्कूल ही नहीं जातीं. कई मामलों में तो लड़कियों ने 5वीं जमात के बाद इस वजह से पढ़ाई ही छोड़ दी.

गांवदेहात की 38 फीसदी लड़कियां माहवारी होने की वजह से 5वीं जमात के बाद स्कूल छोड़ देती हैं. 63 फीसदी लड़कियां इस दौरान स्कूल ही नहीं जातीं. 16 फीसदी स्कूली बच्चियों को सैनिटरी नैपकिन की जानकारी नहीं है. 93 फीसदी पढ़ीलिखी व कामकाजी औरतें भी नैपकिन का इस्तेमाल नहीं करतीं.

चूंकि यह निहायत निजी मामला है और स्कूली छात्राओं में झिझक ज्यादा होती है, इसलिए महिला और बाल विकास के कार्यकर्ताओं द्वारा इस संबंध में स्कूलों में जा कर इन खास दिनों में बरती जाने वाली साफसफाई के बारे में समझाना चाहिए.

फिक्की लेडीज आर्गनाइजेशन द्वारा अनेक स्कूलों में नैपकिन डिस्पैंसर मशीनें लगाई गई हैं. इन मशीनों से महज 2 रुपए में नैपकिन लिया जा सकता है.

मध्य प्रदेश के कई स्कूलों में भी एटीएम की तरह सैनिटरी नैपकिन की मशीनें लगाई गई हैं, जहां 5 रुपए का सिक्का डालने पर एक नैपकिन निकलता है. ये सभी वे स्कूल हैं, जहां केवल लड़कियां ही पढ़ती हैं.

अगर माहवारी के दिनों में पूरी साफसफाई पर ध्यान न दिया जाए, तो पेशाब संबंधी बीमारियां हो सकती हैं. राख, भूसे जैसी चीजें इस्तेमाल करने के चलते औरतों को कटाव व घाव हो सकते हैं. लंबे समय तक ऐसा करने से बांझपन की समस्या भी हो सकती है.

सर्वे के दौरान कुछ ऐसे परिवार भी मिले, जहां एक से ज्यादा औरतें माहवारी से होती दिखाई दीं. सासबहू, मांबेटी, बहनबहन, ननदभाभी जब एकसाथ माहवारी से होती हैं और अपने अंगों पर लगाए गए कपड़ों को धो कर सुखाती हैं, तो बाद में यह पता लगाना बड़ा मुश्किल हो जाता है कि कौन सा कपड़ा किस का इस्तेमाल किया हुआ था? ऐसे में अगर ठीक से कपड़ा नहीं धुला, तो दूसरी को इंफैक्शन हो सकता है.

माहवारी के दौरान गर्भाशय का मुंह खुला होता है. इन दिनों अगर साफसफाई का ध्यान नहीं रखा जाए, तो इंफैक्शन होने का खतरा रहता है.

माहवारी के दिनों में घरेलू कपड़े के पैड के बजाय बाजारी पैड का इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि कपड़े के पैड की तुलना में बाजारी पैड नमी को ज्यादा देर तक सोखता है, घाव नहीं करता व दाग लगने के डर से बचाता है.

माहवारी के दिनों में नहाना बहुत जरूरी है, खासकर प्रजनन अंगों की साफसफाई का ध्यान रखना चाहिए. पैंटी को भी रोजाना बदलना चाहिए.

माहवारी के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले बाजारी पैड को कागज में लपेट कर कूड़ेदान में डालें. इन्हें पानी के साथ न बहाएं और न ही खुले में डालें.

इस में कोई शक नहीं है कि अच्छी या नामीगिरामी कंपनियों के सैनिटरी नैपकिन काफी महंगे आते हैं. एक दिन में 4-5 पैड लग जाते हैं. यह खर्च उन के बजट से बाहर है. इस के अलावा उन्हें दुकान पर जा कर इसे खरीदने में भी शर्म आती है.

लड़कियों और औरतों की सेहत की खातिर केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को चाहिए कि वे सैनिटरी नैपकिन बनाने वाली कंपनियों को अनुदान दे कर इस की लागत इतनी कम कर दें कि एक या 2 रुपए में वह मिलने लगे. यह औरतों और लड़कियों की भलाई की दिशा में एक अच्छा कदम होगा.

मैंने अपने ही कालेज के एक छात्र के साथ संबंध बनाए हैं, पर फिर भी मैं उसे नहीं पा सकी, क्या करूं?

सवाल
मैं ने फेसबुक के जरिए अपने ही कालेज के तृतीय वर्ष के एक छात्र से दोस्ती की. फिर वह मुझे रोज विश करने लगा. कुछ समय बाद हम कालेज में भी मिलने लगे और हमारे बीच रिलेशन बन गया, लेकिन उस के बाद उस की दिलचस्पी मुझ में कम दिखती है.

मैं उसे मिलने को कहूं तो पढ़ाई में हर्ज का बहाना बनाता है. फोन करूं तो उठाता नहीं. खुद मिलने जाऊं तो भी ज्यादा देर बात नहीं करता, जबकि मैं सब लुटा कर भी उसे नहीं पा सकी, क्या करूं समझ नहीं आता?

जवाब
आप का प्यार शुरू से ही एकतरफा रहा है, जिसे आप प्यार समझ रही हैं वह तो सिर्फ वासना है. आप ने अपनी तरफ से पहल की क्योंकि आप के मन में उस के प्रति आकर्षण था लेकिन उसे समझ नहीं पाईं कि उस के मन में क्या है. जाहिर है उस के मन में आप के शरीर के प्रति आकर्षण था जिसे आप के एकतरफा प्यार ने हवा दी और उस ने लपक लिया. अब इसी कारण वह आप से कटता फिर रहा है. अब भी देर नहीं हुई है, संभल जाइए.

अपना मन पढ़ाई में लगाइए व खुद को इस प्रेम से अलग कर लीजिए. अगर फिर भी बात न बने तो दूसरा साथी ढूंढि़ए, हां, भूल कर भी तनाव में न आएं व खुदकुशी आदि की तरफ न बढ़ें. कैरियर व कंपीटिशन की तरफ रुख करेंगी तो स्वत: ही इस ओर से ध्यान हटेगा. सुनहरा कैरियर बनेगा तो उस जैसे हजारों पलकें बिछाए खड़े मिलेंगे.

कहते हैं प्यार जब अपनी ऊंचाइयों पर पहुंचता है तो वह अपनी सारी हदें पार कर जाता है और इन हदों के परे सबकुछ एकाकार हो जाता है, चाहे वह मन हो या फिर तन. प्रेम में शारीरिक मिलन अकसर एक चुंबक की तरह काम करता है. तमाम नाकाम कोशिशों के बावजूद मिलन के इस आकर्षण से बचा नहीं जा सकता. म्यूचुअल अंडरस्टैंडिंग के साथ शुरू हुए इस रिश्ते में शुरू में तो खूब गर्माहट होती है, मरमिटने के कसमेवादे होते हैं, पर वक्त के साथसाथ ये सब फीके पड़ने लगते हैं, जब तक इसे संसर्गता की डोर से बांधा न जाए. अधिकतर प्लैटोनिक रिश्ते एक मोड़ पर आ कर टूट जाते हैं, बशर्ते वे किसी कमिटमैंट के साथ शुरू न किए गए हों.

ऐसा भी नहीं है कि सैक्सुअल बौंडिंग, लवबौंडिंग को बनाए रखने की एक अहम कड़ी है, पर हां, प्रेम की ताजगी को बनाए रखने के लिए शारीरिक संबंध बनाना बहुत जरूरी है. यदि एक स्त्री और पुरुष के बीच प्रेम है तो वह तब तक लगातार बना रहेगा जब तक उन में शारीरिक संबंध जारी रहेंगे. इसलिए अगर आप प्रेम करते हैं तो सहवास के लिए भी तैयार रहें. कभी भी अपने मन में कुंठा न पालें कि आप गलत कर रही हैं. वैसे भी प्यार में शारीरिक निकटता स्वाभाविक है. इस में कुछ भी अनैतिक नहीं है. हां, पर यह जरूरी है कि शारीरिक संबंध बनाने से पहले अपने पार्टनर की लोआयलिटी टैस्ट जरूर कर लें. रिश्तों की मजबूती व स्वयं की सुरक्षा के लिए बेहद आवश्यक है कि आप अपने पार्टनर को ठीक से जानसमझ लें.

फिजिकल रिलेशन बनाने से पहले इन बातों का खयाल जरूर रखें :

–       फिजिकल रिलेशन बनाने से पहले ट्रस्ट बिल्डिंग ऐक्सरसाइज जरूर करें.

–       फिजिकल रिलेशन आपसी रजामंदी पर निर्भर करते हैं इसलिए अपने पार्टनर पर एकतरफा दबाव न बनाएं.

–       फिजिकल बौंडिंग आप की रिलेशनशिप को सिर्फ स्मूद और स्ट्रौंग बनाती है, लेकिन यह लौंग लास्टिंग रिलेशन की कतई गारंटी नहीं देती. इसलिए सोचसमझ कर कदम बढ़ाएं.

–       फिजिकल रिलेशन आप के लवमेकिंग प्रोसैस को मजबूती प्रदान करते हैं पर इस के अच्छे और बुरे परिणाम के बारे में जरूर जानें. कभीकभी ज्यादा फिजिकल होना भी रिश्ते के लिए नुकसानदेह साबित होता है.

–       प्रेम की आड़ में शारीरिक संबंध बनाना कई युवकों का शगल होता है इसलिए अपने पार्टनर को परखें, जल्दबाजी न करें. कई बार फिजिकल होने के बाद युवकों का इंटरैस्ट खत्म हो जाता है और वे पार्टनर को नजरअंदाज करने लगते हैं, इसलिए इस हैबिट को रूटीन में लाने से पहले पार्टनर की ब्रेन मैपिंग जरूर करें.

–       अपनी सुरक्षा का पूरा खयाल रखें.  संबंध बनाते समय कंट्रासैप्टिक का इस्तेमाल जरूर करें.

प्रेम में यदि धोखा मिलना होगा तो मिलेगा ही, चाहे आप अपने पार्टनर के साथ फिजिकल हों या प्लैटोनिक, पर इस बात की तो पक्की गारंटी है कि फिजिकल रिलेशन आप के प्रेम को टिकाऊ और लचीला बनाता है और यह भी सही है कि प्लैटोनिक लव को ज्यादा लंबा नहीं खींचा जा सकता. प्रेम करने वालों को सैक्स का आकर्षण अपनी ओर खींच ही लेता है और क्या पता यही सैक्स आप के प्रेम के लिए टौनिक का काम कर जाए. लेकिन ध्यान रखें कि जिस्म की यह जरूरत कहीं वासना न बन जाए. कहीं इस की आड़ में आप का शोषण न हो.

आपसी समझ और साझेदारी ही दीर्घ रिश्ते की गारंटी है. आप अपने प्रेम को बनाए रखना चाहती हैं तो उस में सैक्स का फैवीकोल तो मिलाना ही पड़ेगा. प्रेम है तो सैक्स है और सैक्स है तो प्रेम जिंदा है, यही आज का फलसफा भी है.

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