लड़कों को भी गर्लफ्रैंड छोड़ने का होता है दर्द, ये 7 टिप्स आएंगे काम

ब्रेकअप के बाद पार्टनर को तुरंत भूलकर जिंदगी में आगे बढ़ जाना आसान काम नहीं है. ऐसा महसूस होता है कि उस पार्टनर के बिना एक दिन का भी गुजारा नहीं हो सकता. कुछ लोगो के लिए तो मूव ऑन (Move On) करना इतना मुश्किल होता है कि वो ब्रेकअप हो जाने के बाद भी कंट्रोल नहीं कर पाते और पार्टनर से संपर्क करने लगते हैं. बात करें, कि मर्द को या औरत क ज्यादा परेशानी होती है ब्रेकअप से तो, ये बिलकुल सही है कि जितना दर्द लड़कियों को होता है उतना है मर्दों को भी, तो अगर आपको भी ब्रेकअप के बाद उन्हें भूलने में दिक्कत आ रही है तो ये टिप्स आपके काम आ सकते हैं.

1. ब्रेकअप को करें स्वीकार

ब्रेकअप के बाद उदासी, अकेलापन और गुस्सा जैसी कई भावनाएं महसूस होना स्वाभाविक है. ब्रेकअप होने पर उस दुख को बाहर आने दें और सभी भावनाओं को दिल से स्वीकार करें.

2. तुरंत दूसरा रिश्ता ना बनाएं

कभी-कभी क्या होता है कि गुस्से या दूसरों को जलाने के लिए हम तुरंत दूसरे रिलेशनशिप में आ जाते हैं. जो कि बहुत गलत निर्णय होता है. ब्रेकअप के बाद कुछ समय तक अकेले रहें और खुद को जानें कि आप क्या नया कर सकते हैं.

3. रिश्ते पर विचार करें

ब्रेकअप के बाद एक बार अकेल बैठकर जरूर सोंचे कि रिश्ते में क्या गलत हुआ और आपने क्या सीखा. यह आपकी सेल्फ ग्रोथ के लिए बहुत जरूरी है. ताकि आपको आगे फिर से ऐसी परेशानी का सामना ना करना पड़े.

4. खुद को समय दें

हर जख्म को भरने में समय तो लगता ही है. ऐसे में ब्रेकअप के बाद खुद को पूरा समय दें. शांत मन और दिमाग से अपने फैसले लें और कुछ भी ऐसा कदम ना उठाएं जिससे आपको आगे पछताव हो.

5. कम ही लोग से रखें संपर्क

कम से कम कुछ समय के लिए अपने करीबियों से दूरी बना लें. इससे आपको खुद को समझने में मदद मिलेगी. लोगों की राय से खुद को दूर रखें क्योंकि जरूरी नहीं है कि हर कोई आपके दर्द को समझें. इसलिए हर किसी के साथ अपने दर्द को ना बाटें.

6. खुद की करें देखभाल

अपनी शारीरिक और मानसिक सेहत का ख्याल रखें. खुद को ऐसी गतिविधियों में शामिल करें जिनसे आपको खुशी मिले.वर्कआउट करें, अच्छा खाना खाएं और पूरी नींद लें.

7. मेंटल हेल्थ

ब्रेकअप के दौरान में हम कई तरह की चीजों से गुजरते हैं. जिसका सबसे ज्यादा असर हमारी मेंटल हेल्थ पर पड़ता है.ऐसे में अगर आप खुद को अकेला महसूस करते हैं तो आप अपने मन की बातें किसी के साथ शेयर करना चाहते हैं तो किसी अच्छे साइकोलॉजिस्ट से संपर्क करें. आपको इस दर्द से बाहर निकलने में काफी मदद भी मिलेगी.

कई तरह की होती है Love Language, इस तरह पता करें प्यार की भाषा

कई रिलेशन ऐसे होते है जिसमें पार्टनर्स एक दूसरे से अपनी दिल की बातें नहीं कह पाते है अपनी बातों को सही तरीके से एक्सप्रेस नहीं कर पाते है, ऐसे में कपल को जरुरत पड़ती है लव लैग्वेज की, जो आपके रिलेशन में प्यार को बरकार रखते है साथ ही, प्यार को एक्सप्रेस करने का भी काम करते है. जिससे आप बिन बोले अपने पार्टनर की बात को समझ सकते है और अपनी बात बोल भी पाते है. तो आज हम आपको ऐसे ही कुछ लव लैंग्वेज के बारें में बताएंगे. जिससे आप अपने प्यार का इजहार कर सकेंगे. सबसे पहले आपको बता दें, कि 5 तरह की लव लैग्वेज होती हैं. जिनके तरीके अलग अलग होते है.

गिफ्ट देना

अगर आपको अपने पार्टनर से प्यार का इजहार करना है तो इसका सबसे असान और अच्छा तरीका यही है कि आप उन्हें तोहफा दें, चाहे वह बड़ा तोहफा हो या छोटा तोहफा हो. अपने लव को एक्सप्रेस करने का सबसे सही तरीका है. यह भी एक तरह की लव की भाषा है.

उसके लिए काम करना

अपने पार्टनर के साथ काम करना लव की दूसरी लैग्वेज है. कि आप उनके साथ हाथ बंटा कर, सका साथ देते हैं. आपको अपने हाथ से बना खाना बनाना और उसे खिलाना, उसके कमरे की सफाई करना, उसकी चीजों को संभाल कर रखना जैसे काम करना अच्छा लगना चाहिए.

एक दूसरे के लिए अच्‍छी बातें बोलना

प्‍यार वाले शब्‍द यानी कि एक दूसरे को कॉम्‍प्‍लीमेंट देना, प्‍यार का बार बार इजहार करना, थैंक्‍स करना, हालचाल पूछते रहना, मदद के लिए बार बार पूछना आदि एक तरह का लव लैंग्‍वेज ही है. ऐसी बातें आपके प्‍यार को बढ़ाने का काम करती हैं.

क्‍वालिटी टाइम बिताना

हमेशा जितना हो सकें, अपने पार्टनर के साथ टाइम स्पैंड करें. साथ रहे और बातें करें. आपको सबसे अधिक अच्‍छा महसूस होता है जब आप अपने पार्टनर के साथ अच्‍छा समय गुजारते हैं. साथ में कुछ सीखना, डिनर पर जाना, मूवी देखना आदि. ये भी लव लैग्वेज का हिस्सा है.

फिजिकल टच

प्‍यार के इजहार का सबसे असरदार तरीकों में से एक है फिजिकल टच. ऐसे में आपको अपने पार्टनर के हाथों को थामना, हाथ पकड़कर चलना, गले लगाना, एक दूसरे की पीठ थपथपाना, करीब रहना आदि लव लैंग्‍वेज का एक तरीका है.

सेक्स के समय ध्यान रखें कहीं गर्भ न ठहर जाए

आजकल के युवा जितनी जल्दी फ्रैंडशिप करते हैं उतनी ही जल्दी रिलेशन भी बना लेते हैं, जिस का नुकसान उन्हें ताउम्र भुगतना पड़ सकता है. कई बार तो सावधानी बरतने के बावजूद गर्भ ठहर जाता है और उन्हें समझ नहीं आता कि क्या करें, किस से सलाह लें. ऐसे में घर में पता चलने के डर से व समाज में बदनामी से बचने के लिए वे कैमिस्ट से ऐबौर्शन पिल्स ले आते हैं जिस के उन के शरीर पर घातक परिणाम भी देखने को मिलते हैं. कई बार तो जान जाने का खतरा बन जाता है. ऐसे में जरूरत है यह समझने की कि यहां तक नौबत ही न आए और अगर आ भी गई है तो डरें नहीं बल्कि प्रौब्लम को फेस करें और किसी अनुभवी डाक्टर से संपर्क कर के ही ऐबौर्शन करवाएं.

इस संबंध में फोर्टिस हौस्पिटल की सीनियर गाइनोकोलौजिस्ट डा. बंदिता सिन्हा से बात हुई तो उन्होंने बताया कि भारत में अविवाहित युवतियों के ऐबौर्शन के केसेज पहले की तुलना में काफी बढ़े हैं, क्योंकि आज वे जल्दीजल्दी पार्टनर चेंज करने में विश्वास करने लगे हैं. ऐसे में वे खुद की फीलिंग्स पर कंट्रोल नहीं कर पाने के कारण जोश में आ कर होश खो बैठते हैं जिस से उन के सामने जटिल परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है और वे इस से नजात पाने के लिए जहां कहीं से भी ऐबौर्शन पिल्स अरेंज करते हैं, चाहे इस के लिए कितने ही पैसे खर्च हों, वे देने के लिए तैयार रहते हैं.

इतना ही नहीं कईर् डाक्टर्स भी इस स्थिति का फायदा उठा कर मरीज से ढेरों रुपए ऐंठने में नहीं सकुचाते. इन्हीं सब बातों को देखते हुए पिछले 3-4 साल से सरकार ने ऐबौर्शन पर बैन लगाया है कि अगर कोई भी डाक्टर ऐबौर्शन करते हुए या फिर एमटीपी पिल्स देते पकड़ा गया तो उस का लाइसैंस रद्द कर दिया जाएगा. आप सिर्फ एमटीपी मान्यता प्राप्त नर्सिंग होम और अस्पताल में ही गर्भपात करवा सकते हैं.

रोक का खास कारण यह भी

पुरुष प्रधान देश में यही माना जाता है कि अगर वंश को आगे बढ़ाना है तो उस के लिए परिवार में पुत्र का जन्म होना बहुत जरूरी है. ऐसे में जब परिवार वालों को सोनोग्राफी के माध्यम से यह पता चलता है कि गर्भ में बेटी है तो वे डाक्टर को मुंहमांगी रकम दे कर ऐबौर्शन करवाने के लिए तैयार हो जाते हैं. इसी का नतीजा है कि हरियाणा के 70 गांवों में पिछले कुछ सालों से लड़कियों ने जन्म नहीं लिया. आंकड़े इसी ओर इशारा करते हैं कि वहां पता लगते ही कि गर्भ में लड़की है, ऐबौर्शन करवा दिया जाता है.

लेकिन फिर भी कुछ स्थितियों में युवतियों व महिलाओं को बिना परेशानी के ऐबौर्शन कराने का अधिकार है, जो हैं :

–      अगर युवती या महिला जबरदस्ती किसी के यौन शोषण का शिकार हुई है और वह इस बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती तो उसे ऐबौर्शन करवाने का पूरा अधिकार है.

–   यदि इस से महिला या युवती के मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता हो.

–      अगर यह पता लगे कि गर्भ में  पल रहे बच्चे का विकास सही ढंग से नहीं हो रहा और उसे 9 माह तक गर्भ में रखना सही नहीं है, तो ऐसी स्थिति में भी ऐबौर्शन करवाया जा सकता है. इसे डाक्टरी भाषा में मैडिकल टर्मिनेशन औफ प्रैग्नैंसी कहते हैं.

क्या है मैडिकल टर्मिनेशन औफ प्रैग्नैंसी

एमटीपी प्रक्रिया, जिस में डाक्टर की देखरेख में ऐबौर्शन को अंजाम दिया जाता है, को हर डाक्टर अंजाम नहीं दे सकता. सिर्फ अनुभवी गाइनोकोलौजिस्ट या सिर्फ वे डाक्टर्स जिन्होंने एमटीपी की ट्रेनिंग ली होती है, इसे अंजाम दे सकते हैं, क्योंकि वे जरूरत पड़ने पर अपने अनुभव के बल पर स्थिति को संभाल सकते हैं.

डाक्टरी देखरेख में ऐबौर्शन 2 तरीके से होते हैं :

ऐबौर्शन पिल्स

इस तरीके से ऐबौर्ट करने के लिए सब से पहले यह देखा जाता है कि कितने माह का गर्भ है. अगर गर्भ 6 से 8 सप्ताह के बीच है तो उसे पिल्स द्वारा रिमूव किया जा सकता है और इस का पता लगाने के लिए डाक्टर अल्ट्रासाउंड करता है. एमटीपी पिल डाक्टर की सलाह पर ही दी जाती है. यह पिल असल में गर्भाशय से पदार्थ को बाहर निकालने का काम करती है.

डाक्टर बताते हैं कि दवाएं कितने समय के अंतराल में लेनी हैं, क्योंकि जरा सी लापरवाही पूरे कोर्स को खराब कर सकती है. सिर्फ  दवाएं लेने से ही काम पूरा नहीं होता बल्कि डाक्टर 15 दिन के बाद अल्ट्रासाउंड के लिए बुलाता है जिस से करंट सिचुएशन के बारे में पता चल जाता है. अगर कोई पीस वगैरा रह गया होता है तो इस प्रोसैस को पुन: दोहराया जाता है या फिर सर्जरी से बाहर निकाला जाता है.

सर्जरी से

इस में बेहोश कर के ऐबौर्शन किया जाता है. इसे तब किया जाता है जब 8 सप्ताह से ज्यादा का गर्भ हो चुका होता है, क्योंकि इस के बाद पिल्स असर नहीं करतीं. इसे डाइलेशन ऐंड क्रूटेज प्रोसैस कहते हैं. इस में आप डाक्टर्स की देखरेख में रहते हैं और आप को प्रौपर केयर मिलती है. यह काफी सेफ प्रोसैस माना जाता है.

डाक्टर से करवाना क्यों फायदेमंद

गर्भपात के लिए कैमिस्ट वगैरा से दवा लेना हानिकारक होता है क्योंकि उन्हें आप की इंटरनल स्टेज के बारे में तो पता नहीं होता, इसलिए कौंप्लिकेशंस पैदा होने का भय रहता है. इस से आप की जान भी जोखिम में पड़ सकती है. कभीकभी ओवर ब्लीडिंग होने से सिचुएशन आउट औफ कंट्रोल भी हो सकती है. इसलिए जरूरी है डाक्टर की सलाह के बिना कोई दवा न लें.

अगर आप को अस्थमा, एनीमिया वगैरा की शिकायत है तो डाक्टर चैकअप के बाद ही बताते हैं कि गोली देना सही रहेगा या नहीं. यहां तक कि सर्जरी के वक्त कंसर्ल्ट फौर्म भी भरवाया जाता है, जिस में पूरी जानकारी दी जाती है. यह भी बताया जाता है कि आप को औपरेशन के कितने दिन बाद दिखाने के लिए आना है. इस से आप काफी सेफ रहते हैं.

ऐबौर्शन के बाद क्या क्या सावधानियां बरतें

  –  इस दौरान भारी चीजें उठाने व झुकने वगैरा से थोड़े समय तक परहेज करना चाहिए.

– किसी भी नशीले पदार्थ का सेवन भूल कर भी न करें.

– डाइटिंग न करें, क्योंकि इस दौरान लंबे समय तक भूखे रहना सेहत पर बुरा प्रभाव डाल सकता है.

–  एकदम से सैक्स न करें, खुद को थोड़ा समय दें, क्योंकि कई बार ऐसा करने से दोबारा प्रैग्नैंसी का खतरा बन जाता है.

–  इस समय आप जितना अच्छा खाएंगी व अच्छा सोचेंगी उतनी ही जल्दी फिट हो पाएंगी.

कुछ ऐसी होती है उन पलों में आपकी सैक्स फैंटेसी

शारीरिक संबंधों में अनावश्यक सहना या अपनेआप समय गुजरने के साथ उन में तबदीली हो जाने की गुंजाइश मान कर चलना भ्रम है. यह इन संबंधों के सहज आनंद को कम करता है. कुछ महिलाओं ने बताया कि उन्हें पति की आक्रामकता पसंद नहीं आती थी. लेकिन लज्जा या संकोचवश कुछ कहना अच्छा नहीं लगता था. कुछ महिलाओं का कहना है कि पति को खुद भी समझना चाहिए कि पत्नी को क्या पसंद आ रहा है, क्या नहीं. मगर इस पसंदनापसंद के निश्चित मानदंड तो हैं नहीं, जिन से कोई अपनेआप ही समझा जाए और आनंद के क्षण जल्दी और ज्यादा मिल जाएं.

एक महिला ने बताया कि उस का पति सुहागरात वाले दिन से ही अश्लील वीडियो देख कर उस के साथ अप्राकृतिक संबंध बनाता था. यह सिलसिला शादी के कई साल बाद तक चलता रहा. अगर वह इस का विरोध करती तो पति उसे धमकियां देता. शर्म के कारण वह अपने मातापिता को इस बारे में बता नहीं पाती थी. इस दौरान उसे शारीरिक तौर पर परेशानी भी शुरू होने लगी. उस के मुताबिक, अप्राकृतिक संबंध से होने वाली परेशानी के बारे में पति को बताने पर भी वह नहीं माना. वह लगातार ऐसा करता रहा. शिकायत करने पर वह मारता भी. उस महिला के मुताबिक बाकी समय तो उस का पति सामान्य रहता था, लेकिन सहवास के समय वह हैवान बन जाता और लगभग रोज ऐसा करता. मजबूर हो कर उसे पुलिस स्टेशन में शिकायत करनी पड़ी.

भावना कहती है, ‘‘मैं कुछ समय पति की आक्रामकता बरदाश्त करती रही. हनीमून के बाद कहने की सोची पर हिम्मत नहीं जुटा पाई. मगर जब यह आक्रामकता थोड़ी और बढ़ने लगी तो कुछ महीनों बाद मुझे बात करनी ही पड़ी. उन्हें मेरा बात करना अच्छा नहीं लगा. हमारे संबंध कुछ समय के लिए प्रभावित हुए. पति बारबार ताना मारते. यह सच है कि यदि मैं ने समय पर उन से अपनी बात कह दी होती तो ऐसी नौबत नहीं आती.’’

रमा कहती है, ‘‘मैं ने तो पहली रात में ही पति से कह दिया कि यह अननैचुरल वाली आदत मुझे पसंद नहीं. इस पर पति का कहना था कि धीरेधीरे पड़ जाएगी. मगर मैं ने स्पष्ट कह दिया कि हम इंसान हैं, जानवर नहीं. फिर क्या था. 4-5 दिनों में सब ठीक हो गया. मैं जानती हूं इस प्रकार की आक्रामकता को बरदाश्त करना कितना कठिन होता है. इस से सैक्स बोझिल हो जाता है. खुल कर बोलने से न केवल अप्रिय स्थितियां सुधरती हैं, बल्कि अच्छी स्थितियों के लिए भी माहौल तैयार होता है.’’

सैक्स को ले कर जितने आतुर मर्द रहते हैं उतनी महिलाएं भी होती हैं. हां यह बात अलग है कि वे इस का जिक्र कभी किसी से नहीं करती हैं. बात अगर स्पैशल रात की हो तो मर्दों से ज्यादा महिलाओं में ऐक्साइटमैंट होता है. यह कहानी सिर्फ हीरो का इंतजार करती हीरोइन की नहीं, बल्कि हर उस लड़की की है जो बेसब्री से इंतजार करती है.

कोई रिश्ता परफैक्ट नहीं

सचाई यह है कि कोईर् भी रिश्ता परफैक्ट नहीं होता. यदि आप यह सोचती हैं कि रिश्ते में सब कुछ आप की मरजी के अनुसार या किसी फिल्मी कहानी की तरह होना चाहिए, तो चोट लगनी लाजिम है. हर रिश्ता अलग होता है. यही नहीं हर रिश्ते को आप के प्यार, समर्पण, श्रम और साथ के खादपानी की जरूरत होती है. कई बार रिश्ता टूटने की वजह बेमानी ही होती है.

वह हमेशा सही बातें करेगा

ऐसा नहीं होगा और न ही आप उस से ऐसी उम्मीद रखें. वह परफैक्ट नहीं है और न ही वह किसी रोमानी फिल्म का हीरो है, जो हमेशा सही और अच्छी बातें ही करेगा. वह भी इंसान है और आम इंसानों की तरह वह भी गलतियां करेगा. वह ऐसी बातें कर सकता है, जो उसे नहीं करनी चाहिए.

और्गैज्म

पति हो या पत्नी, दोनों में से किसी भी एक का तरीका यदि आक्रामक व नैगेटिव हो तो उस के भावों पर ध्यान देना चाहिए. बहुत सी पत्नियां अपने पति से कहतीं कि तुम स्वार्थी हो, तुम्हें सिर्फ अपने आनंद की पड़ी होती है, तुम्हें मेरी परवाह नहीं. इस का सीधा मतलब है अभी उस का और्गैज्म पर पहुंचना बाकी है या आप उस के और्गैज्म पर पहुंचने की परवाह नहीं करते. जल्दीजल्दी और बारबार कही गई बात चिढ़ाने और सम्मान को ठेस पहुंचाने वाली हो सकती है.

इसलिए जब भी जितना कुछ कहा जाए वह किया भी जाए. तभी वह सार्थक और असरदार बदलाव लाने वाला होता है. निजी संबंधों को कहनेसुनने की कुशलता सिर्फ बैडरूम तक ही सीमित नहीं रहती. वह जीवन में घरबाहर भी सार्थक बातचीत का सिस्टम पैदा करती है और उसे बढ़ावा देती है.

सैक्स कोरी क्रिया नहीं, एक खूबसूरत कला है. इसे सदियों से काम कला का स्थान प्राप्त है. इस में हर बार कुछ नया, कुछ अनोखा किए जाने का स्कोप रहता है. पतिपत्नी के रिश्ते में प्यार और सैक्स दांपत्य की इमारत को खड़ा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मजबूत पिलर हैं.

सबसे बेहतर है सप्ताह में एक बार सेक्स

आम धारणा है कि ज्यादा सेक्स से संबंध ज्यादा बेहतर होते हैं, लेकिन इसके विपरीत एक शोध में यह बताया गया है कि सप्ताह में एक बार सेक्स करने वाले जोड़े सबसे ज्यादा खुश रहते हैं. प्रमुख शोधार्थी कनाडा के टोरंटो-मिसीसोगा विश्वविद्यालय की एमी मूज बताती हैं, “हालांकि ज्यादा से ज्यादा सेक्स को खुशी से जोड़ा गया है. लेकिन सप्ताह में एक बार सेक्स सबसे बेहतर है.”

मूज कहती हैं, “हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि अपने साथी के साथ अंतरंग संबंध बनाए रखना जरूरी है. इसके लिए रोज सेक्स करने की कोई जरूरत नहीं है.”

हालांकि पिछले कई शोधों और स्वयं-सहायता पुस्तकों में यह बताया जाता रहा है कि ज्यादा सेक्स से ज्यादा खुशी मिलती है.

लेकिन 30,000 अमेरिकी नागरिकों पर चार दशकों तक किए गए इस शोध में पहली बार यह पता चला है कि जिन जोड़ो ने सप्ताह में औसतन एक से ज्यादा बार सेक्स किया उनके आपसी रिश्तों से इसका कोई संबंध नहीं देखा गया.

यह शोध सोशल साइकोलॉजिकल और पर्सनैलिटी साइंस जर्नल में प्रकाशित किया गया है. मूज कहती है, “हमारे निष्कर्ष युवा या बुजुर्ग जोड़ों, नए-नए शादीशुदा या फिर जिनकी शादी दशकों पहले हुई हो, सब पर समान रूप से लागू होते हैं.”

मूज कहती हैं कि इस सर्वेक्षण का मकसद यह नहीं है कि जोड़े सप्ताह में एक बार सेक्स के औसत तक पहुंचने के लिए कम या ज्यादा सेक्स करने लगे. लेकिन अपने साथी के साथ इस संबंध में बात जरूर करें कि क्या वे उनकी यौन जरूरतों को पूरा कर पा रहे हैं.

वे कहती हैं, “अपने साथी के साथ अंतरंग संबंध बनाए रखना जरूरी है न कि ज्यादा से ज्यादा सेक्स करना.”

Valentine’s Day 2024: सैक्स से पहले छेड़छाड़ है बेहद जरूरी, अपनाएं ये तरीके

प्रिया का कहना है कि उस का पति जिस्मानी रिश्ता बनाते समय बिलकुल भी छेड़छाड़ नहीं करता और न ही प्यार भरी बातें करता है. उसे तो बस अपनी तसल्ली से मतलब होता है. जब तन की आग बुझ जाती है, तो निढाल हो कर चुपचाप सो जाता है. वह बिन पानी की मछली की तरह तड़पती ही रह जाती है.

कुछ इसी तरह राजेंद्र का कहना है, ‘‘जिस्मानी रिश्ता कायम करते वक्त मेरी पत्नी बिलकुल सुस्त पड़ जाती है. वह न तो इनकार करती है और न ही प्यार में पूरी तरह हिस्सेदार बनती है. न ही छेड़छाड़ होती है और न ही रूठनामनाना. नतीजतन, सैक्स में कोई मजा ही नहीं आता.’’

इसी तरह सरिता की भी शिकायत है कि उस का पति उस के कहने पर जिस्मानी रिश्ता तो कायम करता है, पर वह सुख नहीं दे पाता, जो चरम सीमा पर पहुंचाता हो. हालांकि वह अपनी मंजिल पर पहुंच जाता है, फिर भी सरिता को ऐसा लगता है, मानो वह अपनी मंजिल पर पहुंच कर भी नहीं पहुंची. सैक्स के दौरान वह इतनी जल्दबाजी करता है, मानो कोई ट्रेन पकड़नी हो. उसे यह भी खयाल नहीं रहता कि सोते समय और भी कई राहों से गुजरना पड़ता है. मसलन छेड़छाड़, चुंबन, सहलाना वगैरह. नतीजतन, सरिता सुख भोग कर भी प्यासी ही रह जाती है.

मनोज की हालत तो सब से अलग  है. उस का कहना है, ‘‘मेरी पत्नी इतनी शरमीली है कि जिस्मानी रिश्ता ही नहीं बनाने देती. अगर मैं उस के संग जबरदस्ती करता हूं, तो वह नाराज हो जाती है. छेड़छाड़ करता हूं, तो तुनक जाती?है, मानो मैं कोई पराया मर्द हूं. समझाने पर वह कहती है कि अभी नहीं, इस के लिए तो सारी जिंदगी पड़ी हुई है.’’

इसी तरह और भी अनगिनत पतिपत्नी हैं, जो एकदूसरे की दिली चाहत को बिलकुल नहीं समझते और न ही समझने की कोशिश करते हैं. ऐसा नहीं होना चाहिए, क्योंकि शादीशुदा जिंदगी कच्चे धागे की तरह होती है. इस में जरा सी खरोंच लग जाए, तो वह पलभर में टूट सकती है.

पतिपत्नी में छेड़छाड़ तो बहुत जरूरी है, इस के बिना तो जिंदगी में कोई रस ही नहीं, इसलिए यह जरूरी है कि पति की छेड़छाड़ का जवाब पत्नी पूरे जोश से दे और पत्नी की छेड़छाड़ का जवाब पति भी दोगुने मजे से दे. इस से जिंदगी में हमेशा नएपन का एहसास होता है.

अगर जिस्मानी रिश्ता कायम करने के दौरान या किसी दूसरे समय पर भी पति अपनी पत्नी को सहलाए और उस के जवाब में पत्नी पूरे जोश के साथ प्यार से पति के गालों को चूमते हुए अपने दांत गड़ा दे, तो उस मजे की कोई सीमा नहीं होती. पति तुरंत सैक्स सुख के सागर में डूबनेउतराने लगता है.

इसी तरह पत्नी भी अगर जिस्मानी रिश्ता कायम करने से पहले या उस दौरान पति से छेड़छाड़ करते हुए उस के अंगों को सहला दे, तो कुदरती बात है कि पति जोश से भर उठेगा और उस के जोश की सीमा भी बढ़ जाएगी.

कभीकभी यह सवाल भी उठता है कि क्या जिस्मानी रिश्ता सिर्फ सैक्स सुख के लिए कायम किया जाता है? क्या दिमागी सुकून से उस का कोई लेनादेना नहीं होता? क्या जिस्मानी रिश्ते के दौरान छेड़छाड़ करना जरूरी है? क्या छेड़छाड़ सैक्स सुख में बढ़ोतरी करती है? क्या छेड़छाड़ से पतिपत्नी को सच्चा सुख मिलता है?

इसी तरह और भी कई सवाल हैं, जो पतिपत्नी को बेचैन किए रहते हैं. जवाब यह है कि जिस्मानी रिश्तों के दौरान छेड़छाड़ व कुछ रोमांटिक बातें बहुत जरूरी हैं. इस के बिना तो सैक्स सुख का मजा बिलकुल अधूरा है. जिस्मानी रिश्ता सिर्फ सैक्स सुख के लिए ही नहीं, बल्कि दिमागी सुकून के लिए भी किया जाता है.

कुछ पति ऐसे होते हैं, जो पत्नी की मरजी की बिलकुल भी परवाह नहीं करते, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए. पत्नी की चाहत का भी पूरा खयाल रखना चाहिए, नहीं तो आप की पत्नी जिंदगीभर तड़पती ही रह जाएगी.

कुछ औरतें बिलकुल ही सुस्त होती हैं. वे पति को अपना जिस्म सौंप कर फर्ज अदायगी कर लेती हैं. उन्हें यह भी एहसास नहीं होता कि इस तरह वे अपने पति को अपने से दूर कर रही हैं.

कुछ पति जिस्मानी रिश्ता तो कायम करते हैं और जल्दबाजी में अपनी मंजिल पर पहुंच भी जाते हैं, परंतु उन्हें इतना भी पता नहीं होता कि इस के पहले भी और कई काम होते हैं, जो उन के मजे को कई गुना बढ़ा सकते हैं.

कुछ औरतें शरमीली होती हैं. वे जिस्मानी रिश्तों से दूर तो होती ही हैं, छेड़छाड़ को भी बुरा मानती हैं.

अब आप ही बताइए कि ऐसे हालात में क्या पत्नी पति से और पति पत्नी से खुश रह सकता है?

नहीं न… तो फिर ऐसे हालात ही क्यों पैदा किए जाएं, जिन से पतिपत्नी एकदूसरे से नाखुश रहें?

इसलिए प्यार के सुनहरे पलों को छेड़छाड़, हंसीखुशी व रोमांटिक बातों में बिताइए, ताकि आने वाला कल आप के लिए और ज्यादा मजेदार बन जाए.

4 टिप्स से जानें औरत की सैक्स चाह गंदी बात क्यों

Sex News in Hindi: समाज में स्त्रीपुरुष (Male Female) के हर क्षेत्र में समान होने का गुणगान हो रहा है, पर वैवाहिक जीवन (Married Life) में बिस्तर पर स्त्रियों की समानता शून्य है. महिलाएं जब अपनी पसंद के भोजन का मेन्यू तय नहीं कर सकतीं तो बिस्तर पर सैक्स संबंध (Sex Relation) में अपनी पसंद की बात तो बहुत दूर की है. हमारे यहां दांपत्य जीवन में सैक्स संबंध में मेन्यू क्या होगा, इस का निर्णय केवल पुरुष ही लेता है. हमारे समाज में पब्लिक प्लेस पर सैक्स, हस्तमैथुन, सैक्स में पसंद और कामोन्माद अर्थात और्गेज्म (Orgasum) आदि पर बात करना वर्जित है. सभ्य समाज में ऐसी गंदी बातें करना अच्छा नहीं माना जाता है. हां, मांबहन की गालियां खुलेआम दे सकते हैं और वे भी जी भर कर, अंगरेजी पढ़लिखे भी खुलेआम इस पर चर्चा कर सकते हैं.

सहवास में समय का चुनाव केवल पुरुष ही करेगा और चाह भी वही जाहिर करेगा तथा चरमोत्कर्ष भी वही प्राप्त करेगा. सहचरी का कुछ हो या नहीं वह इस बारे में कुछ बोल भी नहीं सकती. उस के लिए तो यह एक वर्जना ही है. यह पुरुषवादी महिलाओं के पालनपोषण का नतीजा है कि लड़कियां अपनी मरजी अथवा पसंद को जाहिर नहीं कर पातीं और मानसिक तनाव के गर्त में चली जाती हैं. इस पर बात होते ही संस्कृति की दुहाई दे दी जाती है.

1. सभ्यता के ठेकेदार

फिल्म ‘वीरे दी वैडिंग’ में अभिनेत्री स्वरा भास्कर के हस्तमैथुन के एक दृश्य और फिल्म ‘लस्ट स्टोरीज’ में अभिनेत्री कायरा आडवाणी के वाइब्रेटर द्वारा मास्टरबेशन के एक दृश्य को ले कर खूब हंगामा हुआ. हंगामा करने वाले पितृसत्ता के ठेकेदार हैं. उन के अनुसार फिल्मकारों और अभिनेत्रियों ने फिल्म में ऐसे दृश्य फिल्मा कर धर्म और सभ्यता दोनों को नष्ट करने का प्रयास किया है.

यौन जीवन जिंदगी का एक महत्त्वपूर्ण और जरूरी हिस्सा है जो समाज का केंद्रबिंदु है और उस पर खुल कर बिना किसी हिचक के चर्चा हो. इस बारे में हमें अपनी बेबाकी के लिए एक मशहूर शख्सीयत अंगरेजी लेखक और पत्रकार दिवंगत सरदार खुशवंत सिंह से सीख लेनी चाहिए. उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान पूछे गए सवाल कि आप उम्र के पड़ाव में आ कर सब से ज्यादा क्या मिस करते हैं? के जवाब में एक वाक्य में उत्तर दिया ‘‘बढि़या सैक्स को बहुत मिस करता हूं.’’

एक अन्य इंटरव्यू में जब उन से पूछा गया कि सैक्स के बारे में महिलाओं की समझ तथा अनुभव क्या है? तो उन्होंने गंभीर होते हुए जवाब दिया, ‘‘हमारे यहां अधिकतर महिलाएं सिर्फ बच्चों को जन्म देने का यंत्र समझी जाती हैं. आधा दर्जन बच्चों की मां बन जाने पर भी उन्हें सैक्स का असली आनंद क्या होता है पता नहीं चलता.’’

2. नारी सिर्फ भोगने के लिए

स्त्रियों को शुरू से ही केवल पुरुष के लिए तैयार किया जाता है कि शादी के दिन सुहागरात में खुद को अपने पति के सामने परोस देना और जैसा वह कहे वैसा ही करना.

इस का सब से बेहतर उदाहरण हम प्रख्यात लेखक भीष्म साहनी के मशहूर नाटक ‘माधवी’ का ले सकते हैं. माधवी एक ऐसा क्रांतिकारी नाटक है, जो हमारे समाज में स्त्रियों की दशा और उन के स्थान को पूरी नग्नावस्था में प्रस्तुत करता है.

यह नाटक ‘महाभारत’ की एक कथा पर आधारित है, जिस में ऋषि विश्वामित्र का शिष्य गालव अपने गुरु से गुरुदक्षिणा मांगने की हठ करता है. ऋषि उस के जिद्दी स्वभाव से नाराज हो कर 800 अश्वमेधी घोड़े मांग लेते हैं. अब गालव अश्वमेधी घोड़े प्राप्त करने के लिए दानवीर राजा ययाति के आश्रम पहुंचता है. वहां राजपाट से निवृत्त हो चुके राजा गालव की प्रतिज्ञा सुन कर दुविधा में पड़ जाते हैं, लेकिन वे ठहरे दानवीर राजा सो वे अपनी पुत्री को गालव को दानस्वरूप सौंप देते हैं, यह कहते हुए कि उन की पुत्री को जहां कहीं किसी राजा के पास 800 अश्वमेधी घोड़े मिलें, तो उन के बदले माधवी को राजा के पास छोड़ दें.

माधवी के बारे में बताया गया कि उस के गर्भ से पैदा बालक चक्रवर्ती राजा बनेगा और माधवी गर्भधारण के बाद एक अनुष्ठान कर के फिर से कुंवारी बन जाएगी. इस पूरी प्रक्रिया में माधवी कई राजाओं के पास ले जाई जाती है. सभी राजाओं को पुत्ररत्न दे कर गालव के साथ आगे चल देती है. इस तरह गालव 800 अश्वमेघी घोड़े प्राप्त कर लेता है और ऋषि विश्वामित्र को गुरुदक्षिणा दे देता है.

इस पूरे घटनाक्रम में माधवी को किनकिन मानसिक और शारीरिक पीड़ाओं से गुजरना पड़ता है उस की सुध कोई नहीं लेता. माधवी जबजब मां बनती है तो उसे हर बार अपनी ममता का गला घोटना पड़ता है और अपनी सभी इच्छाओं को तिलांजलि देनी पड़ती है परंतु इस दौरान उसे गालव से प्रेम भी हो जाता है.

मगर आखिरी बार मां बनने के बाद माधवी फिर से कौमार्य प्राप्त करने से मना कर देती है और उसी अवस्था में गालव के साथ होना चाहती है, किंतु गालव बिना कौमार्य के माधवी को अपनाने से मना कर देता है. तब माधवी गालव को छोड़ कर चली जाती है.

नारी की तब भी यही स्थिति थी और आज भी ऐसी ही है. नारी को हमेशा पुरुष की भोग्या वस्तु मात्र समझा गया. उसे एक अलग व्यक्ति के रूप में पहचान मिली ही नहीं. उस के विचारों, इच्छाओं और पसंद का तिरस्कार ही किया गया.

3. इज्जत बचाने के दायरे में औरत

स्वरा भास्कर के शब्दों में, ‘‘रेप सर्वाइवर्स को भी जिंदा रहने का पूरा हक है, पति या उन के पुरुष साथी की मौत के बाद भी महिलाओं को जिंदा रहने का पूरा हक है. हां, महिलाओं के पास यह अंग होता है, लेकिन उन के पास और भी बहुत कुछ है.’’

हमारे समाज की विडंबना ही है कि वह आधुनिकता का आवरण ओढ़ कर पुरुषों को अपनी मरजी से जीने का समर्थन करता है, वहीं दूसरी ओर महिलाओं को सिर्फ इज्जत बचाने के लिए बने दायरों में सीमित कर रखा है. आधुनिकता की बड़ी बातें करने वाले लोग पवित्रता पर जितना जोर देते हैं, उतना महिलाओं के किसी अन्य मुद्दे पर नहीं देते हैं.

एक सच्चा किस्सा है- मांबाप ने अपनी एक बेहद पढ़ीलिखी और नौकरीपेशा लड़की की शादी अच्छे घर में तय कर दी. ससुराल पक्ष के लोग आधुनिकता का दंभ भरते नहीं थके तो मांबाप ने सोचा लड़की यहां सुखी रहेगी. शादी तय होने के कुछ दिनों के बाद ही होने वाले कथित पति ने लड़की से उस की वर्जिनिटी पर सवाल करने शुरू कर दिए. लड़की के लिए ये बेहद अपमानजनक पल होते थे, लेकिन वह सामाजिक भय से चुप रही. यह सिलसिला शादी से कुछ हफ्तों पहले तक चलता रहा. लड़के ने यहां तक बोला कि लड़की को उसे डाक्टर का सर्टिफिकेट देना होगा जिस में उस का वर्जिन होना बताया गया हो. तभी वह उस लड़की को स्वीकार करेगा. इस सब में उस लड़के की मां भी उस का साथ दे रही थी. आखिरकार लड़की ने अपने भावी भविष्य की कल्पना कर के शादी से मना कर दिया.

सभी मर्दों को अपनी बीवी छुईमुई और वर्जिन चाहिए होती है ताकि वह उन की अहं से भरी सैक्सुअल फंतासी (जिस में वर्जिन होना और पहली बार सैक्स में ब्लीडिंग होना अनिवार्य है) में खरी उतर सके. लेकिन दूसरी तरफ उन्हें अपनी ज्यादा सैक्सुअल डिजायर को पूरा करने के लिए एक सैक्स वर्कर भी चाहिए, जिस के साथ खुल कर वो सबकुछ कर सकें जो उन्हें अच्छा लगता है.

4. वर्जिनिटी पर किस का हक

हमें यह मानना होगा कि वर्जिन होना न होना औरतों का चरित्र तय नहीं करता है. यह उन की अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अधिकार है कि उन्हें कब और किस के साथ सैक्स करना है, नहीं करना है.

‘‘कुछ साल पहले जब मैं टीनऐजर थी तो हमउम्र लड़कों को देख कर मेरे अंदर एक अनजाना और अजीब सा एहसास होने लगता था. मेरे निचले हिस्से में गुदगुदी सी होनी लगती जो अच्छी लगती थी. आज कुछ सालों के बाद मैं इन सभी भावनाओं को पूरी तरह समझ चुकी हूं और स्वीकार भी कर चुकी हूं. काश, महिलाएं भी पुरुषों की ही तरह सैक्स से जुड़े अपने अनुभवों और भावनाओं पर खुल कर बात कर सकतीं तो कितना अच्छा हो,’’ यह विचार मैडिकल एडवाइस के लिए मशहूर वैबसाइट वैब एमडी पर प्रकाशित एक महिला के है.

वैब एमडी की एक रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं की तुलना में पुरुषों में न केवल सैक्स की इच्छा ज्यादा होती है, बल्कि सैक्स को ले कर उन का रवैया भी काफी सीधा होता है.

टीनऐजर्स में जहां हारमोंस उफान पर होते हैं, वहीं वयस्क महिलाओं और पुरुषों की सैक्स के लिए इच्छा के कम या ज्यादा होने को कई तरह की चीजें प्रभावित करती हैं. सामाजिक या आर्थिक पहलुओं में तालमेल बैठाने के साथसाथ प्रेम संबंधों की उम्मीदें और हालत आदि ऐसे कई पहलू हैं जो हमारी सैक्स लाइफ को प्रभावित करते हैं.

इन तीन बातों का आपकी सेक्स लाइफ से है सीधा संबंध

कहा जाता रहा है कि स्त्री-पुरुष के बीच सेक्स संबंध सात साल तक ही चलते हैं और लगता था कि ये तो बहुत कम समय है लेकिन अगर नये सर्वे के नतीजों पर नज़र डालें तो लगेगा सात साल बहुत हैं. म्यूनिख की लुडविग सैक्ज़िमिलान यूनिवर्सिटी ने 25 से 41 साल के बीच के 3000 लोगों से उनकी सेक्स लाइफ के बारे में पूछा. उनके जवाब से पता चला कि सेक्स लाइफ एक साल तक ही चलती है और उसके बाद दोनों एक दूसरे में दिलचस्पी खोने लगते हैं.

दिलचस्प बात ये निकली की बच्चों की संख्या या उनकी उम्र से सेक्स से मिलने वाली संतुष्टी पर कोई फर्क नहीं पड़ता, हालंकि पहले के रिसर्च में इसका सेक्स लाइफ पर बहुत बड़ा प्रभाव माना गया था.

सर्वे से पता चला है कम सेक्स की एक बड़ी वजह लड़ाई है. हम यहां आपको बता रहे हैं कुछ बातें जिनका सीधा संबंध है आपकी सेक्स लाइफ से:

  1.  एक ही समय में दोनों की सेक्स की चाह नहीं होती

एक छत के नीचे रह रहे महिला और पुरुष की सेक्स की इच्छा जरुरी नही कि एक ही समय पर हो. पुरुष जहां सुबह सेक्स करना पसंद करते हैं वहीं महिला रात को. और यही कभी-कभी एक बड़ी समस्या बन जाता है. एक अध्ययन से पता चला है कि 80 फीसदी दंपत्तियों को अलग अलग समय पर सेक्स की इच्छा होती है. ऐसा हफ़्ते में पांच बार होता है यानी दोनों की सेक्स इच्छा का समय अलग अलग.

2. जिन महिलाओं के बहुत से पुरुष दोस्त होते हैं वे ज्यादा सेक्स करती हैं

ये सुनने या पढ़ने में अजीब लग सकता है लेकिन है सच. एक सर्वे के अनुसार अगर किसी महिला के बहुत से पुरुष दोस्त हैं तो उनका पति/पार्टनर उनसे ज़्यादा सेक्स करने की कोशिश करेगा. मजे की बात ये है कि उसे खुद इस बात का एहसास नहीं होगा कि वो ऐसा कर रहा है. दरअसल वह अपनी पत्नी/पार्टनर के पुरुष दोस्तों के खतरे की वजह से ऐसा करता है.

3. जरूरी नहीं बेमेल सेक्स से संबंधों का टूटना

टोरंटो मिसीसौगा यूनिवर्सिटी की एक स्टडी के अनुसार ऐसे लोगों की सेक्स में लिप्त होने (भले की इच्छा न हो या कम हो) की बहुत संभावना रहती है जब वे सोचते हैं कि कैसे सेक्स की वजह से उनके संबंध बेहतर हुए हैं. उन्हें लगता है कि सेक्स से उन्हें कुल मिलाकर संतुष्टि और अधिक मिलेगी. कुल मिलाकर लुब्ब-ए-लुआब ये है कि भले ही आपका मूड सेक्स करने का न हो लेकिन अगर आपको लगता है कि ये संबंधों के लिये फायदेमंद है तो आप सेक्स का ज़रुर और आनंद उठाएंगे.

नहीं चाहते अपनी सेक्स लाइफ में कोई प्रोब्लम, तो जरूर अपनाएं ये टिप्स

Sex News in Hindi: कई महिलाओं की शिकायत होती है कि उन के पति में अब पहले वाला जोश नहीं रहा और वे अब सेक्स में ज्यादा दिलचस्पी नहीं लेते. कई बार पुरुष चाह कर भी यौन समागम नहीं कर पाते क्योंकि उन के मन में डर या संकोच बैठ जाता है कि क्या वे सफलतापूर्वक यौन संबंध नहीं बना पाएंगे और अपनी पत्नी को संतुष्ट नहीं कर पाएंगे. उन का पुराना जोश और उमंग वापस लौटा कर अपनी सेक्स लाइफ को आनंदमयी बनाने के लिए आप अपना सकती हैं ये उपाय:

भारी न पड़े काम

उन्हें प्रेमपूर्वक समझाएं कि आप का कैरियर बेशक बेहद महत्त्वपूर्ण है और उसे पूरा समय देना भी जरूरी है, लेकिन इसे बैडरूम में घुसा लेना ‘बैड हैबिट’ ही माना जाएगा. जितना औफिस का काम कैरियर लाइफ के लिए जरूरी है, उतना ही शयनकक्ष का काम पर्सनल लाइफ के लिए जरूरी है. कमाई सुख के लिए की जाती है और आप सुख से ही वंचित रह जाएं तो ऐसी कमाई से क्या फायदा? मस्तिष्क दूसरे जंजाल से मुक्त रहेगा तभी शरीर के दूसरे अंगों को अपना काम करने का सही निर्देश दे पाएगा. इसलिए औफिस का काम औफिस में ही छोड़ कर आएं ताकि घर पर एकाग्रता और सुकून के साथ घर का काम कर सकें.

एक बार और ट्राई करें

सफलता का जो फौर्मूला कैरियर लाइफ या ऐकेडमिक लाइफ में काम करता है, वही यहां भी काम करता है. अगर आप के पति एक बार सेक्स करने में विफल हो गए और इरैक्शन से वंचित रह गए, तो इस का मतलब यह कतई नहीं है कि ऐसा बारबार होगा. ‘ट्राई वन मोर टाइम’ का फौर्मूला यहां भी लागू होता है. उन से खुल कर बात करें और बताएं कि अगर आप हस्तमैथुन करते वक्त उत्तेजित हो जाते हैं और इंटरकोर्स के वक्त नहीं हो पाते, तो जाहिर है प्रौब्लम अंग में नहीं उमंग में है यानी आप के दिमाग में झूठा भय समा चुका है.

दुत्कारें नहीं पुचकारें

पति आप के पास आएं, आप को सहलाएं और चूमने की कोशिश करें तो उन्हें दुत्कार कर दूर न भगाएं. इस से उन का उत्साह ठंडा पड़ जाएगा और वे अच्छे तरीके से परफौर्म नहीं कर पाएंगे. आप भी उतनी ही गर्मजोशी से उन्हें पुचकारें, दुलारें, सहलाएं और चूमें. इस से उन के मन में आत्मवश्वास लौटेगा और सेक्स की भावना भी जाग्रत होगी. ज्यादतर मामलों में ऐसी स्थिति में इरैक्शन न होने की समस्या भी हल हो जाती है. आप का स्पर्श और चुंबन उन के लिए सेक्स के मामले में टौनिक का काम करेगा.

व्यायाम से बनेगा काम

उन्हें शारीरिक रूप से ऐक्टिव रहने और नियमित व्यायाम करने के लिए प्रेरित करें और जरूरत पड़े तो आप भी उन का साथ दें. वे टालमटोल करें, तो उन्हें समझाएं कि इस का असर उन के और आप के यौन जीवन पर पड़ रहा है. ऐक्सरसाइज न करने या ऐक्टिव न रहने से ब्लड सर्कुलेशन दुरुस्त नहीं रहता, जिस का सीधा असर उत्तेजना और इरैक्शन पर पड़ता है. इसलिए रोज पुश अप्स, स्पौट जौगिंग और वौकिंग के लिए समय जरूर निकालें.

धुएं में न उड़ाएं जिंदगी का मजा

सिगरेट को स्टाइल स्टेटमैंट समझना बंद कर दें. पति को समझाएं कि धुआं सिगरेट का नहीं उन की जिंदगी का उड़ रहा है. कई अध्ययनों से पता चल चुका है कि स्मोकिंग से नपुंसकता की समस्या हो सकती है. शराब पीना भी कोई अच्छी बात नहीं है. शराब पीने से सेहत चौपट हो जाती है, लिवर नष्ट होने लगता है और जाहिर सी बात है स्वास्थ्य दुरुस्त नहीं रहता, तो इरैक्शन में प्रौब्लम आती है.

वेट को करें सैट

मोटापा अपनेआप में ही एक बीमारी है और यह अपने साथ कई बीमारियों को भी लाता है. वजन ज्यादा रहेगा, तो शरीर में लचीलापन नहीं रहेगा. लचीलापन नहीं रहेगा, तो पुरुष सेक्स क्या खाक करेगा वजन अनियंत्रित रहने पर शरीर में शुगर बढ़ जाती है. नतीजा, डायबिटीज. डायबिटीज तो इरैक्शन का दुश्मन नंबर वन है. वैसे भी मोटापा हार्ट डिजीज, हाई ब्लडप्रैशर, हाई कोलैस्ट्रौल वगैरह का सबब बन सकता है. इसलिए उन्हें वजन कम रखने, पौष्टिक भोजन करने और अपनी सेहत के प्रति जागरूक रहने के लिए प्रेरित करें.

कहीं आप भी अनचाहे सैक्स की शिकार तो नहीं

Sex News in Hindi: दिन ब दिन बलात्कार (Rape) की घटनाओं में बढ़ोतरी होती जा रही है. इस के कई कारण हैं, जिन में एक है मानसिक हिंसा (Mental Voilence) की प्रवृत्ति का बढ़ना. ‘बलात्कार’ शब्द से एक लड़की या युवती पर जबरदस्ती झपटने वाले लोगों के लिए हिंसात्मक छवि उभर कर सामने आती है. इस घृणित कार्य के लिए कड़े दंड का भी प्रावधान है. मगर बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि वैवाहिक जिंदगी में भी बलात्कार वर्जित है और इस के लिए भी दंड दिया जाता है. मगर इसे बलात्कार की जगह एक नए शब्द से संबोधित किया जाता है और वह शब्द है अनचाहा सैक्स संबंध.

आज अनचाहे सैक्स संबंधों की संख्या बढ़ गई है. समाज जाग्रत हो चुका है और अपने शरीर या आत्मसम्मान पर किसी भी तरह का दबाव कोई बरदाश्त नहीं करना चाहता है. इस विषय पर हम ने समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों से बातचीत भी की और जानने की कोशिश की कि आखिर क्या है यह अनचाहा सैक्स संबंध?

डा. अनुराधा परब, जो एक प्रसिद्ध समाजशास्त्री हैं, बताती हैं, ‘‘बलात्कार और अनचाहे सेक्स में बहुत महीन सा फर्क है. बलात्कार अनजाने लोगों के बीच हुआ करता है और एक पक्ष इस का सशरीर पूर्ण विरोध करता है. अनचाहा सैक्स परिचितों के बीच होता है और इस में एक पक्ष मानसिक रूप से न चाह कर भी शारीरिक रूप से पूर्णत: विरोध नहीं करता है. सामान्यत: यही फर्क होता है. मगर गहराई से जाना जाए तो बहुत ही सघन भेद होता है.

‘‘अनचाहा सैक्स ज्यादातर पतिपत्नी के बीच हुआ करता है और आजकल प्रेमीप्रेमिका भी इस संबंध की चपेट में आ गए हैं. आधुनिक युग में शारीरिक संबंध बनाना एक आम बात भले ही हो गई हो, फिर भी महिलाएं इस से अभी भी परहेज करती हैं. कारण चाहे गर्भवती हो जाने का डर हो या मानसिक रूप से समर्पण न कर पाने का स्वभाव, मगर अनचाहे सैक्स संबंध की प्रताड़नाएं सब से ज्यादा महिलाओं को ही झेलनी पड़ती हैं.’’

वजह वर्कलोड

एक एडवरटाइजिंग कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर के पद पर कार्यरत पारुल श्रीनिवासन, जिन का विवाह 6 साल पहले हुआ था, एक चौंका देने वाला सत्य सामने लाती हैं.

पारुल बताती हैं, ‘‘मैं अपने पति को बेहद प्यार करती हूं. उन के साथ आउटिंग पर भी अकसर जाती रहती हूं, मगर सैक्स संबंधों में बहुत रैगुलर नहीं हूं. इस का कारण जो भी हो, मगर मुझे ऐसा लगता है कि इस का मुख्य कारण है, हम दोनों का वर्किंग होना. शुरूशुरू में 1 महीना हम दोनों छुट्टियां ले कर हनीमून के लिए हांगकांग और मलयेशिया गए थे. वहां से आने के बाद अपनेअपने कामों में व्यस्त हो गए. रात को बिस्तर पर जाने के बाद सैक्स संबंध बनाने की इच्छा न तो मुझे रहती है, न मेरे पति को. पति कभी आगे बढ़ते भी हैं तो मैं टालने की पूरी कोशिश करती हूं.’’

कारण की तह तक पहुंचने पर पता चला कि शुरूशुरू के दिनों में पति सैक्स संबंध बनाना चाहता था. मगर पारुल को अपनी मार्केटिंग का वर्कलोड इतना रहता था कि वह उसी में खोई रहती थी. पति के समक्ष अपना शरीर तो समर्पित कर देती थी, मगर मन कहीं और भटकता रहता था. पति को यह प्रक्रिया बलात्कार सी लगती. कई बार समझाने, मनाने की कोशिश भी उस ने की. मगर पारुल हमेशा यही कहती कि आज मूड नहीं बन रहा है.

एक दिन पारुल ने खुल कर कह ही दिया कि वह यदि सैक्स संबंधों में रत होती भी है तो बिना मन और इच्छा के. वह अनचाहा सैक्स संबंध जी रही है. पति को यह बुरा लगा और धीरेधीरे सैक्स के प्रति उसे भी अरुचि होती चली गई.

भयमुक्त करना जरूरी

ऐसी कई पत्नियां हैं, जो अनचाहा सैक्स संबंध बनाने पर विवश हो जाती हैं. मगर तबस्सुम खानम की कहानी कुछ और ही है. 26 वर्षीय तबस्सुम एक टीचर हैं, उन के पति उन से 12 साल बड़े हैं. उन की एक दुकान है.

तबस्सुम खानम बताती हैं, ‘‘जब मैं किशोरी थी, तभी से मुझे सैक्स संबंधों के प्रति भय बना हुआ था. सहेलियों से इस को ले कर सैक्स अनुभव की बातें करती थीं और मुझे सुन कर डर सा लगता था. मैं सहेलियों से कहती थी कि मैं तो अपने शौहर से कहूंगी कि बस मेरे गले लग कर मेरे पहलू में सोए रहें. इस से आगे मैं उन्हें बढ़ने ही नहीं दूंगी. सभी सहेलियां खूब हंसती थीं. जब मेरी शादी हुई तो शौहर हालांकि बड़े समझदार हैं, मगर शारीरिक उत्तेजना की बात करें तो खुद पर संयम नहीं रख पाते हैं.’’

थोड़ा झिझकती हुई, थोड़ा शरमाती हुई तबस्सुम खानम आगे बताती हैं, ‘‘मेरे पति ने मेरे लाख समझाने पर भी सुहागरात के दिन ही मुझे अपनी मीठीमीठी बातों में बहला लिया. उन का यह सिलसिला महीनों चलता रहा, मुझे आनंद का अनुभव तो होता, मगर भय ज्यादा लगता था. मेरा भय बढ़ता गया. जब भी रात होती, मेरे पति बैडरूम में प्रवेश करते, मैं डर से कांप उठती थी. हालांकि मेरे पति के द्वारा कोई भी अमानवीय हरकत कभी नहीं होती. काफी प्यार और भावुकता से वे फोरप्ले करते हुए, आगे बढ़ते थे. मगर मेरे मन में जो डर समाया था, वह निकलता ही न था.

“3 महीनों के बाद जब मैं गर्भवती हो गई तो डाक्टर ने हम दोनों के अगले 2 महीनों तक शारीरिक संबंध बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया था. मुझे तो ऐसा लगा जैसे एक नया जीवन मिल गया. मेरा बेटा हुआ. इस बीच मैं ने धीरेधीरे पति को अपने डर की बात बता दी और वे भी समझ गए.

“मेरे पति ने भी परिपक्वता दिखाई और मुझ से दूर रह कर मुझे धीरेधीरे समझाने लगे. वे सैक्स संबंधों को स्वाभाविक और जीवन का एक अंश बताते. अंतत: उन्होंने मेरे मन से भय निकाल ही दिया.’’

इच्छाअनिच्छा का खयाल

डाक्टर विनोद कामलानी, जो एक प्रसिद्ध मनोचिकित्सक हैं, अपना क्लीनिक चलाते हैं, बताते हैं, ‘‘तबस्सुम के मन में बैठा हुआ सैक्स का डर था. बहुत सी लड़कियां इस भय से भयातुर हुआ करती हैं. मगर बहुत कम पति ऐसे होते हैं, जो धीरेधीरे इस भय को निकालते हैं. ऐसे कई केस मेरे पास आते हैं. पुरुषों के भी होते हैं, मगर अनचाहे सेक्स की शिकार ज्यादातर महिलाएं ही हुआ करती हैं.’’

डाक्टर विनोद कामलानी के ही एक मरीज तरुण पटवर्धन ने बताया कि उन की शादी को 3 साल हो गए हैं, मगर आज तक उन्होंने अनचाहा सैक्स संबंध ही जीया है.

तरुण के अनुसार, विवाहपूर्व उन का प्रेम अपने पड़ोस की एक लड़की से था. किसी कारणवश शादी नहीं हो पाई, मगर प्रेम अभी भी बरकरार है. उस लड़की ने तरुण की याद में आजीवन कुंआरी रहने की शपथ भी ले रखी है. यही कारण है कि जब भी तरुण अपनी पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने की पहल करते हैं, उन की प्रेमिका का चेहरा सामने आ जाता है. उन्हें एक ‘गिल्ट’ महसूस होता है और वे शांत हो कर लेट जाते हैं. वे अपनी पत्नी से यह सब कहना भी नहीं चाहते हैं वरना उस के आत्मसम्मान को चोट पहुंचेगी. चूंकि उन की पत्नी तरुण को। सैक्स प्रक्रिया बनाने में अयोग्य न समझे, उन्हें अपनी पत्नी के साथ सैक्स संबंध बनाना पड़ता है. वे सैक्स संबंध बिना मन, बिना रुचि के बनाते हैं और इस तरह वे अनचाहा सैक्स संबंध ही जी रहे हैं.

एक सर्वे के अनुसार, आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में काम की होड़ और आगे निकलने की चाह ने इनसान को मशीन बना दिया है. पैसा कमाना ही एक मात्र ध्येय बन चुका है. ऐसी भागदौड़ में इनसान सैक्स संबंधों के प्रति इंसाफ नहीं कर पाता है और बिना मन और बिना प्रोपर फोरप्ले के बने हुए सैक्स संबंध, मन में सैक्स के प्रति अरुचि पैदा कर देते हैं. यहीं से शुरुआत होती है अनचाहे सैक्स संबंधों की. अपने पार्टनर की खुशी के लिए संबंध बनाना कभीकभी विवशता भी होती है. अंतत: यही संबंध ऊब का रूप धारण कर लेते हैं या पार्टनर बदलने की चाह मन में उठती है. यद्यपि यह अनचाहा सैक्स पश्चिमी देशों में तेजी से बढ़ रहा है, भारत भी इस से अछूता नहीं है, परंतु यहां का अनुपात अन्य देशों के मुकाबले नगण्य है.

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