अनचाहे सेक्स की शिकार, कौन करता है वार

Sex News in Hindi: दिन ब दिन बलात्कार (Rape) की घटनाओं में बढ़ोतरी होती जा रही है. इस के कई कारण हैं, जिन में एक है मानसिक हिंसा (Mental Voilence) की प्रवृत्ति का बढ़ना. बलात्कार शब्द से एक लड़की या युवती पर जबरदस्ती झपटने वाले लोगों के लिए हिंसात्मक छवि उभर कर सामने आती है. इस घृणित कार्य के लिए कड़े दंड का भी प्रावधान है. मगर बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि वैवाहिक जिंदगी (Married Life) में भी बलात्कार वर्जित है और इस के लिए भी दंड दिया जाता है. मगर इसे बलात्कार की जगह एक नए शब्द से संबोधित किया जाता है और वह शब्द है अनचाहा सेक्स  संबंध (Unwanted Sex relation).

आज अनचाहे सेक्स संबंधों की संख्या बढ़ गई है. समाज जाग्रत हो चुका है और अपने शरीर या आत्मसम्मान पर किसी भी तरह का दबाव कोई बरदाश्त नहीं करना चाहता है. इस विषय पर हम ने समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों से बातचीत भी की और जानने की कोशिश की कि आखिर क्या है यह अनचाहा सेक्स संबंध?

डा. अनुराधा परब, जो एक प्रसिद्ध समाजशास्त्री हैं, बताती हैं, ‘‘बलात्कार और अनचाहे सेक्स में बहुत महीन सा फर्क है. बलात्कार अनजाने लोगों के बीच हुआ करता है और एक पक्ष इस का सशरीर पूर्ण विरोध करता है. अनचाहा सेक्स परिचितों के बीच होता है और इस में एक पक्ष मानसिक रूप से न चाह कर भी शारीरिक रूप से पूर्णत: विरोध नहीं करता है. सामान्यत: यही फर्क होता है. मगर गहराई से जाना जाए तो बहुत ही सघन भेद होता है. ‘‘अनचाहा सेक्स ज्यादातर पतिपत्नी के बीच हुआ करता है और आजकल प्रेमीप्रेमिका भी इस संबंध की चपेट में आ गए हैं. आधुनिक युग में शारीरिक संबंध बनाना एक आम बात भले ही हो गई हो, फिर भी महिलाएं इस से अभी भी परहेज करती हैं. कारण चाहे गर्भवती हो जाने का डर हो या मानसिक रूप से समर्पण न कर पाने का स्वभाव, मगर अनचाहे सेक्स संबंध की प्रताड़नाएं सब से ज्यादा महिलाओं को ही झेलनी पड़ती हैं.’’

वजह वर्कलोड

एक एडवरटाइजिंग कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर के पद पर कार्यरत पारुल श्रीनिवासन, जिन का विवाह 6 साल पहले हुआ था, एक चौंका देने वाला सत्य सामने लाती हैं. वह बताती हैं, ‘‘मैं अपने पति को बेहद प्यार करती हूं. उन के साथ आउटिंग पर भी अकसर जाती रहती हूं, मगर सेक्स संबंधों में बहुत रेगुलर नहीं हूं. इस का कारण जो भी हो, मगर मुझे ऐसा लगता है कि इस का मुख्य कारण है, हम दोनों का वर्किंग  होना. शुरूशुरू में 1 महीना हम दोनों छुट्टियां ले कर हनीमून के लिए हांगकांग और मलयेशिया गए थे. वहां से आने के बाद अपनेअपने कामों में व्यस्त हो गए. रात को बेड पर जाने के बाद सेक्स संबंध बनाने की इच्छा न तो मुझे रहती है, न मेरे पति को. पति कभी आगे बढ़ते भी हैं तो मैं टालने की पूरी कोशिश करती हूं.’’

कारण की तह तक पहुंचने पर पता चला कि शुरूशुरू के दिनों में पति सेक्स संबंध बनाना चाहता था. मगर पारुल को अपनी मार्केटिंग का वर्कलोड इतना रहता था कि वह उसी में खोई रहती थी. पति के समक्ष अपना शरीर तो समर्पित कर देती थी, मगर मन कहीं और भटकता रहता था. पति को यह प्रक्रिया बलात्कार सी लगती. कई बार समझाने, मनाने की कोशिश भी उस ने की. मगर पारुल हमेशा यही कहती कि आज मूड नहीं बन रहा है. और एक दिन पारुल ने खुल कर कह ही दिया कि वह यदि सेक्स संबंधों में रत होती भी है तो बिना मन और इच्छा के. वह अनचाहा सेक्स संबंध जी रही है. पति को यह बुरा लगा और धीरेधीरे सेक्स के प्रति उसे भी अरुचि होती चली गई.

भयमुक्त करना जरूरी

ऐसी कई पत्नियां हैं, जो अनचाहा सेक्स संबंध बनाने पर विवश हो जाती हैं. मगर तबस्सुम खानम की कहानी कुछ और ही है.  26 वर्षीय तबस्सुम एक टीचर हैं, उन के पति उन से 12 साल बड़े हैं. उन की एक दुकान है. वह बताती हैं, ‘‘जब मैं किशोरी थी, तभी से मुझे सेक्स संबंधों के प्रति भय बना हुआ था. सहेलियों से इस को ले कर सेक्स अनुभव की बातें करती थीं और मुझे सुन कर डर सा लगता था. मैं सहेलियों से कहती थी कि मैं तो अपने शौहर से कहूंगी कि बस मेरे गले लग कर मेरे पहलू में सोए रहें. इस से आगे मैं उन्हें बढ़ने ही नहीं दूंगी. सभी सहेलियां खूब हंसती थीं. जब मेरी शादी हुई तो शौहर हालांकि बड़े समझदार हैं, मगर शारीरिक उत्तेजना की बात करें तो खुद पर संयम नहीं रख पाते हैं.’’

थोड़ा झिझकती हुई, थोड़ा शरमाती हुई तबस्सुम बताती हैं, ‘‘मेरे पति ने मेरे लाख समझाने पर भी सुहागरात के दिन ही मुझे अपनी मीठीमीठी बातों में बहला लिया. उन का यह सिलसिला महीनों चलता रहा, मुझे आनंद का अनुभव तो होता, मगर भय ज्यादा लगता था. मेरा भय बढ़ता गया. जब भी रात होती, मेरे पति बेडरूम में प्रवेश करते, मैं डर से कांप उठती थी. हालांकि मेरे पति के द्वारा कोई भी अमानवीय हरकत कभी नहीं होती. काफी प्यार और भावुकता से वे फोरप्ले करते हुए, आगे बढ़ते थे. मगर मेरे मन में जो डर समाया था, वह निकलता ही न था.

“3 महीनों के बाद जब मैं गर्भवती हो गई तो डाक्टर ने हम दोनों के अगले 2 महीनों तक शारीरिक संबंध बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया था. मुझे तो ऐसा लगाजैसे एक नया जीवन मिल गया. मेरा बेटा हुआ. इस बीच मैं ने धीरेधीरे पति को अपने डर की बात बता दी और वे भी समझ गए. मेरे पति ने भी परिपक्वता दिखाई और मुझ से दूर रह कर मुझे धीरेधीरे समझाने लगे. वे सेक्स संबंधों को स्वाभाविक और जीवन का एक अंश बताते. अंतत: उन्होंने मेरे मन से भय निकाल ही दिया.’’

इच्छा अनिच्छा का खयाल

विनोद कामलानी, जो एक प्रसिद्ध मनोचिकित्सक हैं, अपना क्लीनिक चलाते हैं, बताते हैं, ‘‘तबस्सुम के मन में बैठा हुआ सेक्स का डर था. बहुत सी लड़कियां इस भय से भयातुर हुआ करती हैं. मगर बहुत कम पति ऐसे होते हैं, जो धीरेधीरे इस भय को निकालते हैं. ऐसे कई केस मेरे पास आते हैं. पुरुषों के भी होते हैं, मगर अनचाहे सेक्स की शिकार ज्यादातर महिलाएं ही हुआ करती हैं.’’ डा. कामलानी के ही एक मरीज तरुण पटवर्धन ने बताया कि उन की शादी को 3 साल हो गए हैं, मगर आज तक उन्होंने अनचाहा सेक्स संबंध ही जीया है.

तरुण के अनुसार, विवाहपूर्व उन का प्रेम अपने पड़ोस की एक लड़की से था. किसी कारणवश शादी नहीं हो पाई, मगर प्रेम अभी भी बरकरार है. उस लड़की ने तरुण की याद में आजीवन कुंआरी रहने की शपथ भी ले रखी है. यही कारण है कि जब भी तरुण अपनी पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने की पहल करते हैं, उन की प्रेमिका का चेहरा सामने आ जाता है. उन्हें एक ‘गिल्ट’ महसूस होता है और वे शांत हो कर लेट जाते हैं. वे अपनी पत्नी से यह सब कहना भी नहीं चाहते हैं वरना उस के आत्मसम्मान को चोट पहुंचेगी. चूंकि उन की पत्नी तरुण को सेक्स प्रक्रिया बनाने में अयोग्य न समझे, उन्हें अपनी पत्नी के साथ सेक्स संबंध बनाना पड़ता है. वे सेक्स संबंध बिना मन, बिना रुचि के बनाते हैं और इस तरह वे अनचाहा सेक्स संबंध ही जी रहे हैं.

एक सर्वे के अनुसार, आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में काम की होड़ और आगे निकलने की चाह ने इनसान को मशीन बना दिया है. पैसा कमाना ही एक मात्र ध्येय बन चुका है. ऐसी भागदौड़ में इनसान सेक्स संबंधों के प्रति इंसाफ नहीं कर पाता है और बिना मन और बिना प्रोपर फोरप्ले के बने हुए सेक्स संबंध, मन में सेक्स के प्रति अरुचि पैदा कर देते हैं. यहीं से शुरुआत होती है अनचाहे सेक्स संबंधों की. अपने पार्टनर की खुशी के लिए संबंध बनाना कभीकभी विवशता भी होती है. अंतत: यही संबंध ऊब का रूप धारण कर लेते हैं या पार्टनर बदलने की चाह मन में उठती है. यद्यपि यह अनचाहा सेक्स पश्चिमी देशों में तेजी से बढ़ रहा है, भारत भी इस से अछूता नहीं है, परंतु यहां का अनुपात अन्य देशों के मुकाबले नगण्य है.

सैक्स के भ्रम से निकलें युवा, नहीं तो होगा यह नुकसान

Sex News in Hindi: अकसर युवा सैक्स को ले कर कई तरह की भ्रांतियों से घिरे रहते हैं. अपनी गर्लफ्रैंड से सैक्स को ले कर अपने इमैच्योर फ्रैंड्स से उलटीसीधी ऐडवाइज लेते हैं और जब उस ऐडवाइज का सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ता है तो शर्मिंदगी से किसी से बताने में संकोच करते हैं. यहां युवाओं को यह बात समझनी जरूरी है कि सैक्स से सिर्फ मजा ही नहीं आता बल्कि इस से सेहत का भी बड़ा गहरा संबंध है. सैक्स (Sex) और सेहत (Health) को ले कर कम उम्र के युवकों और युवतियों में ज्यादातर नकारात्मक भ्रांतियां फैली हैं. स्वास्थ्य के लिए सैक्स कितना अच्छा है, यह बात न इन्हें स्कूल और कोचिंग सैंटर्स में पढ़ाई जाती है और न ही पैरेंट्स सैक्स ऐजुकेशन (Sex Education) को ले कर इतने जागरूक हैं कि अपने युवा बच्चों को सैक्स और सेहत के बीच के सही तालमेल और पोजिटिवनैगेटिव फैक्टर्स से रूबरू करा सकें.

आएदिन देशदुनिया में कहीं न कहीं सैक्स और सेहत को ले कर रिसर्च होती रहती है जिस से अंदाजा लगाना आसान होता है कि सैक्स कोई बीमारी नहीं बल्कि आप की सेहत के लिए बहुत आवश्यक है बशर्तें इस के बाबत आप को सही गाइडैंस मिली हो.

सैक्स, सेहत और भ्रांतियां

 सैक्स के बाद युवतियों के हिप्स और ब्रैस्ट का वजन बढ़ जाता है. सैक्स करने से कमजोरी आती है. सैक्स करने से शरीर में खून की कमी होती है. सैक्स के दौरान भयानक पीड़ा से गुजरना पड़ता है. सैक्स करने से पढ़ाई में मन नहीं लगता. ज्यादा सैक्स करने से वजन कम हो जाता है. सैक्स करने से लड़की तुरंत प्रैग्नैंट हो जाती है. सैक्स तनाव का बड़ा कारण है, सैक्स करने से हार्टअटैक का खतरा बढ़ जाता है. सैक्स का याद्दाश्त पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, सैक्स करने से ब्लड प्रेशर अनियंत्रित रहता है… वगैरावगैरा.

यह तमाम भ्रांतियां आजकल के युवकयुवतियों के दिमाग में घर कर गई हैं. इन के चलते सैक्स को ले कर जो रवैया युवाओं में होना चाहिए, वह नहीं दिखता.

हर मिथक और गलतफहमी के वैज्ञानिक और मैडिकल तथ्य हैं जो इन को सिरे से खारिज करते हैं. मसलन, वजन बढ़ने वाली बात की जाए, तो सैक्सुअल रिलेशन की शुरुआत होते ही युवतियों के हिप्स और ब्रैस्ट का वजन नहीं बढ़ता है. एक तर्क यह है कि युवतियों और महिलाओं के खून में स्पर्म आत्मसात हो जाता है और वह बाहर नहीं निकल पाता, लेकिन समझने वाली बात यह है कि 2-3 मिलीलिटर स्पर्म से मात्र 15 कैलोरी बढ़ती हैं. इसलिए सैक्स को मनोवैज्ञानिक रूप से वजन बढ़ने का सही तथ्य नहीं माना गया है.

विल्किस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक और एक अन्य अमेरिकन शोध बताते हैं कि  सप्ताह में एक या दो बार सैक्स करने से इम्युनोग्लोबुलिन नाम के ऐंटीबौडी में बढ़ोतरी होती है. इसलिए रैगुलर ऐक्सरसाइज करें और हैल्दी डाइट से वजन मैंटेन करें न कि सैक्स न करने से. शोध में यह बात भी सामने आई है कि यह हार्ट के लिए बेहद फायदेमंद है. वैज्ञानिकों ने अपने शोध में पाया कि सप्ताह में 2 बार या इस से ज्यादा बार सैक्स करने वाले पुरुषों में दिल की बीमारी होने की आशंका 45 फीसदी तक कम होती है. इतना ही नहीं सैक्स करना आप के ब्लडप्रैशर और हृदयगति के लिए भी अच्छा है. सैक्स के दौरान जितना ज्यादा स्खलन होगा उस से प्रोस्टैट कैंसर होने की आशंका उतनी ही कम होगी.

रिसर्च से यह सच भी सामने आया कि जो लोग ज्यादा तनाव में रहते हैं वे ज्यादा सैक्स करते हैं. ऐसा करने से तनाव दूर हो जाता है. यह शोध मैसाच्यूसैट्स स्थित न्यू इंगलैंड इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिकों ने किया है.

परफैक्ट टाइमिंग है जरूरी

सैक्स के दौरान अगर सेहत को भी अनुकूल रखना चाहते हैं तो युवाओं को सैक्स का समय, माहौल और मानसिक दशा पर सतर्कता बरतने की जरूरत होती है. मान लीजिए आप सैक्स रात को ढाई बजे कर रहे हैं. उस समय एक सैक्स पार्टनर को हलकीहलकी नींद आ रही है. ऐसे में जाहिर है सैक्स का भरपूर आनंद तो मिलेगा नहीं, मानसिक तनाव ही बढे़गा. सैक्स सर्वे भी स्पष्ट करते हैं कि मौर्निंग सैक्स करने वाले ज्यादा खुश रहते हैं और हैल्दी भी यानी सैक्स के साथ टाइमिंग की बड़ी भूमिका है. स्कूल या औफिस से लौट कर सैक्स करने में जो आनंद और शरीर को रिलैक्स मिलेगा उस का अनुपात सुबहसुबह तरोताजा मूड में सैक्स करने वाले कपल से अलग होगा. इस का एक कारण यह भी है कि मोर्निंग सैक्स करने वालों के शरीर में एक ऐसे तत्त्व का रिसाव होता है जो पूरे दिन प्यार बनाए रखने में लाभदायक सिद्ध होता है. हफ्ते में तीन बार सुबहसुबह सैक्स करने वालों को हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा भी कम हो जाता है.

इसी तरह अगर किसी से झगड़ा हुआ है किसी नुकसान के चलते मन अस्थिर है, तो ऐसे समय सैक्स करने से न तो शारीरिक संतुष्टि मिलती है और न सैक्स का मजा, उलटा यह गलती बारबार दोहराने में सैक्स के प्रति मन भी उचटने लगता है और उदासीनता सैक्स लाइफ के लिए बिलकुल भी ठीक नहीं है.

सैक्स से रहें हैल्दी 

 सैक्स का सेहत से कितना गहरा रिश्ता है इस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बीते साल  स्वीडिश सरकार ने अपने देश के नागरिकों की सैक्स लाइफ से चिंतित हो कर व्यापक पैमाने पर एक स्टडी शुरू की. 2019 में पूरी होनी वाली यह स्टडी इसलिए करवाई गई क्योंकि लोगों का सैक्स के प्रति झुकाव कम हो रहा था. वहां के हैल्थ मिनिस्टर के मुताबिक यदि स्वीडिश नागरिकों की सैक्स लाइफ तनाव और अन्य हैल्थ समस्याओं के कारण प्रभावित हो रही है तब भी यह एक राजनीतिक समस्या है.

सैक्स स्टडी कर रहे शोधकर्ताओं के मुताबिक, ‘‘सैक्स से लोगों की सेहत पर व्यापक असर होता है. जो लोग हफ्ते में कम से कम एक बार सैक्स करते हैं वे सैक्स न करने वालों की तुलना में ज्यादा खुश और प्रोडक्टिव रहते हैं.’’

सैक्स के दौरान न सिर्फ इम्यून सिस्टम बेहतर होता है बल्कि शरीर की फुरती में भी इजाफा होता है. इतना ही नहीं सही मूड, अवस्था और जगह में किए गए सैक्स से बालों, स्किन और नाखूनों को भी बेहतर बनाने में मदद मिलती है. सैक्स करने से हड्डियां और मसल्स भी मजबूत होते हैं. जो सैक्स को ले कर उदासीन रहते हैं उन्हें मीनोपोज के बाद आस्टियोपोरोसिस की समस्या का खतरा रहता है. नियमित सैक्स से एस्ट्रोजन हारमोंस का रिसाव ज्यादा होता है जो सेहत के लिए फायदेमंद होता है. सैक्स ऐक्सपर्ट मानते हैं कि युवाओं में अकसर सैक्स के दौरान एनर्जी लैवल और ऐक्ससाइटमैंट की कमी के चलते तनाव रहता है. ऐसे में वे सुझाव देते हैं कि ऐरोबिक्स शरीर को फिट रखने के लिए सब से बेहतरीन और शानदार वर्कआउट है. इस को करने से शरीर में हमेशा उत्तेजना और फुरती बनी रहेगी. ऐरोबिक्स एनर्जी लैवल को हमेशा बढ़ाए रखता है.

सैक्स, नुकसान और समाधान

जीवनयापन के लिए खाना, पानी, हवा की तरह सैक्स भी एक शारीरिक जरूरत है और इसे सक्रिय रखना युवा रहने के लिए बेहद जरूरी है. एक तरफ जहां सैक्स न करने के कई नुकसान हैं वहीं कुछ हमारी बिगड़ी आदतें ऐसी होती हैं जो हमें सेहत और सैक्स के मोरचे पर कमजोर कर देती हैं.

पहले बात करते हैं सैक्स से जुड़े नफेनुकसानों की. सैक्स न करने वाले हमेशा तनाव में डूबे रहते हैं और यह तनाव हमारे जीवन की सभी जरूरी चीजों को बुरी तरह से प्रभावित करता है. काम, पढ़ाई और निजी संबंधों में तनाव जहर का काम करता है.

जहां सैक्स के कई फायदे हैं वहीं कुछ नुकसान भी हैं. कहते हैं न कि अति हर चीज की बुरी होती है. सैक्स के मामले में यह बात लागू होती है. दिन में 2-3 बार सैक्स करना उसी को सूट करता है जिस का स्टेमिना बेहद अच्छा हो वरना इस से दिल के रोगियों के लिए मुश्किलें भी पैदा हो सकती हैं. इसी तरह जो युवा हस्तमैथुन के आदी हो जाते हैं, उन के लिए भी यह अनहैल्दी हो सकता है. गर्लफ्रैंड नहीं हो जिस की वजह से जो युवा पोर्न का सहारा लेते हैं, धीरेधीरे वे पोर्न के भी इतने आदी हो जाते हैं कि हर पल उन के दिमाग में वही चलता रहता है. इस एडिक्शन के चलते असली सैक्स के दौरान वह उत्तेजना नहीं आती जो पोर्न देखने के दौरान आती है. कई बार युवा अपने साथी दोस्तों, उन की गर्लफ्रैंड और सैक्स लाइफ के किस्से सुन कर कौंप्लैक्स के शिकार हो जाते हैं और चिड़चिडे़ और गुस्सैल होने लगते हैं. यह चीज आप के बोलचाल और व्यव्हार में भी दिखती है.

स्मोकिंग करने से भी सैक्स लाइफ बुरी तरह से बिगड़ जाती है. आजकल के युवा स्मोकिंग को फैशन और लाइफस्टाइल का हिस्सा मान कर कूल और टशन के नाम पर स्मोकिंग करते हैं. इस से सैक्स और्गन के सिकुड़ने से ले कर नपुंसक होने तक का खतरा रहता है.

मोटापा, अनियमित जीवनशैली और मानसिक तनाव जैसे कई तत्त्व सैक्स का खेल बिगाड़ सकते हैं. युवाओं को इन्ही कमियों को दूर करना होगा तभी वे युवावस्था का आनंद ले सकेंगे. याद रखें जिन युवाओं की सैक्सुअल जरूरतें समय से पूरी हो जाती हैं उन का स्वास्थ्य ऐसा न कर पाने वालों की तुलना में अच्छा होता है. इसलिए सैक्स से सेहत के तालमेल को सही बैठा कर बिंदास जिंदगी जीने के लिए कमर कस लीजिए, क्योंकि न तो जवानी बारबार आती है और न आप चिर युवा रह सकते हैं.

शादीशुदा जीवन में हो रही है सैक्स की कमी

Sex News in Hindi: सैक्सलैस विवाह के 70% केस युवा जोड़ों के हैं और यह समस्या तेजी से बढ़ रही है. इस के लिए एक ही उपाय है कि दूसरी चीजों की तरह सैक्स के लिए भी समय निकालें, क्योंकि जब आप इस का स्वाद जानेंगे तभी इसे करेंगे. कुछ समय एकदूसरे के साथ जरूर बिताएं. कन्फ्यूशियस ने कहा था कि खाना व यौन इच्छा (Sex Desire) दोनों मानव की प्राकृतिक जरूरतें हैं. मनोविज्ञानी (psychologist) और मनोचिकित्सक (psychiatrist) डा. पुलकित शर्मा इस बढ़ते रोग के संबंध में कुछ सवालों के जवाब दे रहे हैं:

सैक्सलैस विवाह सामान्य होने का कोई सूचक है?

हां, है. विवाहित लोग कैरियर के तनाव से घिरे हैं और अब उन के पास अंतरंगता के लिए बिलकुल भी समय नहीं है. दूसरा, अब चिड़चिड़ाहट को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. विवादों को सुलझाने के बजाय स्त्री तथा पुरुष सैक्स की इच्छापूर्ति को बाहर ढूंढ़ रहे हैं.

क्यों कोई विवाह सैक्सलैस होता है?  

यदि हम इन बातों को छोड़ दें कि किसी साथी को सैक्स संबंधी या मानसिक समस्या हो तो भी विवाह की शुरुआत सैक्सलैस नहीं होती, लेकिन बाद में हो जाती है. शुरुआत में अपनी यौन क्षमता को ले कर पुरुषों में विशेष घबराहट होती है. उन्हें डर रहता है कि वे अपने साथी को संतुष्ट कर पाएंगे या नहीं और यह डर इतना ज्यादा होता है कि वे अपनी यौन क्रिया को सही अंजाम नहीं दे पाते. शुरुआत में जोड़े सैक्स तथा अपने संबंधों को अच्छा बताते हैं, लेकिन समय के साथ प्यार तो बढ़ता है, परंतु विवाह सैक्सलैस हो जाता है.

तनाव से डिप्रेशन बढ़ता है, जिस से सैक्सुल इच्छा घटती है व प्रदर्शन ठीक प्रकार से नहीं हो पाता है. तीसरा कारण है पोर्नोग्राफी. यह लोगों की कल्पनाओं को रंग देती है, जिस से वे जो रील में देखते हैं वैसा ही रियल में करने की कोशिश करते हैं.

क्या सैक्सलैस विवाह वाले जोड़े कम खुश रहते हैं?

भले ही रिश्ता अच्छा हो, परंतु सैक्सहीन विवाहित जोड़े नाखुश रहते हैं, क्योंकि सैक्स प्यार व आत्मीयता का जरूरी हिस्सा है. इस विवाह को कोई एक साथी इच्छाहीन व बेकार महसूस करता है.

क्या सैक्स को दोबारा सक्रिय किया जा सकता है?

हां. बस पहले यह जानने की जरूरत है कि समस्या कहां है? क्या यह समस्या बाह्य है जैसे तनाव, पारिवारिक माहौल आदि. इस बारे में खुल कर बात करें व बिना साथी की इच्छा से कोई फैसला न करें ताकि दूसरा साथी बुरा न महसूस करे. काम का तनाव घटा कर एकदूसरे के साथ ज्यादा समय बिताएं, आपसी विवाद सुलझाएं, यौन क्रियाओं को बढ़ाएं, एकदूसरे की जरूरतों को समझें व इच्छापूर्ति की कल्पना करें, साथी को आराम दें, उसे उत्साहित करें. मनोवैज्ञानिक से सलाह भी ले सकते हैं.

क्या सैक्सहीन विवाह वाले तलाक की ओर बढ़ रहे हैं?

हां, ऐसा हो रहा है, क्योंकि एक साथी अपनेआप को उत्तेजित महसूस करने लगता है या वह महसूस करने लगता है कि उसे धोखा दिया जा रहा है. इसलिए वह भी सैक्स का विकल्प बाहर खोजने लगता है, जिस से बंधेबंधाए रिश्ते में समस्या आने लगती है.

यौन संतुष्टि दर में कमी

भारत में हुए सैक्स सर्वे दर्शाते हैं कि पिछले दशक में यौन संतुष्टि की दर मात्र 29% रह गई. सैक्स से बचने के लिए पत्नियों की पुरानी आदत है कि आज नहीं हनी. आज मुझे सिरदर्द है. 50% पुरुष भी अपनी पत्नी से सैक्स न करने के लिए सिरदर्द का झूठा बहाना बनाते हैं. 43% पति मानते हैं कि उन की आदर्श बिस्तर साथी उन की पत्नी नहीं है. 33% के करीब पत्नियां मानती हैं कि विवाह के कुछ सालों बाद सैक्स अनावश्यक हो जाता है. 14% स्त्रीपुरुषों को नहीं पता कि वे बैडरूम में किस चीज से उत्तेजित होते हैं जबकि 18% के पास कोई जवाब नहीं है कि वे सैक्स के बाद भी संतुष्ट हुए हैं. 60% जोड़े यौन आसन के बारे में कल्पना करते हैं. फिर भी आधे से ज्यादा जोड़े नए आसन के बजाय नियमित आसन ही अपनाते हैं. 39% जोड़े ही यौन संतुष्टि पाते हैं.

ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर : जब पार्टनर को हो जाए सैक्स मेनिया

Sex News in Hindi: अल कायदा (Al Qaeda) के पूर्व प्रमुख ओसामा बिन लादेन (Osama bin Laden)  की सब से बड़ी पत्नी ने दावा किया है कि ओसामा की सब से छोटी पत्नी चौबीसों घंटों सैक्स करना चाहती थी. द सन के अनुसार खैरियाह ने कहा कि अमल हमेशा ओसामा के साथ सोने के लिए झगड़ा करती थी. मुझे ओसामा के पास नहीं जाने देती थी.अमेरिका (America) ने भी सैक्स की लत (Sex Menia) को 2012 में मानसिक विकृति करार दिया और इस काम को लास एंजिल्स की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी (California University) के शोधकर्ताओं ने अंजाम दिया है. भारत में यह समस्या अभी शुरुआती दौर में है. लेकिन एक ओर मीडिया और इंटरनैट पर मौजूद तमाम उत्तेजना फैलाने वाली सामग्री की मौजूदगी तो दूसरी ओर यौन जागरूकता (Sex Education) और उपचार की कमी के चलते वह दिन दूर नहीं जब सैक्स की लत महामारी बन कर खड़ी होगी.

क्या आप को फिल्म ‘सात खून माफ’ के इरफान खान का किरदार याद है या फिर फिल्म ‘मर्डर-2’ देखी है? फिल्म ‘सात खून माफ’ में इरफान ने ऐसे शायर का किरदार निभाया है, जो सैक्स के समय बहुत हिंसक हो जाता है. इसी तरह ‘मर्डर-2’ में फिल्म का खलनायक भी मानसिक रोग से पीडि़त होता है. फिल्म ‘अग्नि साक्षी’ में भी नाना पाटेकर प्रौब्लमैटिक बिहेवियर से पीड़ित होता है. इसे न सिर्फ सैक्सुअल बीमारी के रूप में देखना चाहिए, बल्कि यह गंभीर मानसिक रोग भी हो सकता है.

सैक्सोलौजिस्ट डाक्टर बीर सिंह, डाक्टर एम.के. मजूमदार और मनोचिकित्सक डाक्टर स्मिता देशपांडे से बातचीत के आधार पर जानें कि सैक्सुअल मानसिक रोग कैसेकैसे होते हैं:

ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर

फैटिशिज्म: इस में व्यक्ति उन वस्तुओं के प्रति क्रेजी हो जाता है, जो उस की सैक्स इच्छा को पूरा करती हैं. इस बीमारी से पीडि़त व्यक्ति अपने पासपड़ोस की महिलाओं के अंडरगारमैंट्स चुरा कर रात को पहनता है. कभीकभी ऐसे लोग महिलाओं पर बेवजह हमला भी कर देते हैं या फिर उन्हें छिप कर देखते हैं.

सैक्स फैरामोन: सैक्स फैरामोन यानी गंध कामुकता से पीड़ित व्यक्ति काफी खतरनाक होता है. ऐसा व्यक्ति स्त्री की डेट की गंध से उत्तेजित हो जाता है. ऐसे में कोई भी स्त्री, जिस की देह की गंध से वह उत्तेजित हुआ हो, उस का शिकार बन सकती है. वह उस स्त्री को हासिल करने के लिए कुछ भी कर सकता है.

सैक्सुअली प्रौब्लमैटिक बिहेवियर: सैक्स से पहले पार्टनर को टौर्चर करने के मनोविकार को प्रौब्लमैटिक बिहेवियर भी कहते हैं, जिसे नाना पाटेकर की फिल्म ‘अग्नि साक्षी’ में दिखाया गया है. महिला की आंखों पर पट्टी बांधना, उस के हाथपैर बांधना, उसे काटना, बैल्ट या चाबुक से मारना, दांत से काटना, सूई चुभोना, सिगरेट से जलाना, न्यूड घुमाना, चुंबन इतनी जोर से लेना कि दम घुटने लगे, हाथों को बांध कर पूरे शरीर को नियंत्रण में लेना और फिर जो जी चाहे करना. इस तरह के कई और हिंसात्मक तरीके होते हैं, जिन्हें ऐसे पुरुष यौन क्रिया से पहले पार्टनर के साथ करते हैं.

निम्फोमैनिया: निम्फोमैनिया काफी कौमन डिजीज है. इस की पेशैंट केवल फीमेल्स ही होती हैं. उन में डिसबैलेंस्ड हारमोंस की वजह से हाइपर सैक्सुअलिटी हो जाती है. फीमेल्स के सैक्सुअली ज्यादा ऐक्टिव हो जाने की वजह से उन्हें मेल्स का साथ ज्यादा अच्छा लगने लगता है. ऐसी लड़कियों में मेल्स को अपनी तरफ अट्रैक्ट करने की चाह काफी बढ़ जाती है. वे ऐसी हरकतें करने लगती हैं, जिन से लड़के उन की तरफ अट्रैक्ट हों. ऐसा न होने पर उन्हें डिप्रैशन की प्रौब्लम भी हो जाती है.

पीड़ा रति नामक काम विकृति: इस बीमारी में व्यक्ति संबंध बनाने से पहले महिला को बुरी तरह पीटता है. यौनांग को बुरी तरह नोचता है. पूरे शरीर में नाखूनों से घाव बना देता है. पीड़ा रति से ग्रस्त पुरुष अपने साथी को पीड़ा पहुंचा कर यौन संतुष्टि अनुभव करता है. ऐसी अनेक महिलाएं हैं, जिन्हें शादी के बाद पता चलता है कि उन के पति इस तरह के किसी ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर से पीडि़त हैं. ऐसी स्थिति में उन्हें जल्द से जल्द किसी मनोचिकित्सक या सैक्सोलौजिस्ट के पास ले जाना जरूरी हो जाता है. अगर इलाज के बाद भी पुरुष सही न हो, तो किसी वकील से मिल कर आप परामर्श ले सकती हैं कि ऐसे व्यक्ति के साथ पूरी जिंदगी बिताना सही है या फिर इस रिश्ते को खत्म कर लेना.

वैवाहिक बलात्कार: सुनने में अटपटा सा लगता है कि क्या विवाह के बाद पति बलात्कार कर सकता है. लेकिन यह सच है कि कुछ महिलाओं को अपने जीवन में इस त्रासदी से गुजरना पड़ता है. इस प्रकार के पति हीनभावना के शिकार होते हैं. उन्हें सिर्फ अपनी सैक्स संतुष्टि से मतलब होता है. अपने साथी की भावनाएं उन के लिए कोई माने नहीं रखतीं. हमारे हिंदू विवाह अधिनियम के तहत इस तरह पत्नी की इच्छा व सहमति की परवाह किए बिना पति द्वारा जबरन यौन संबंध बनाना यौन शोषण व बलात्कार की श्रेणी में आता है.

आमतौर पर शराब के नशे में पति इस तरह के अपराध करते हैं. शराब के नशे में वे न केवल पत्नी का यौनशोषण करते हैं वरन उन से मारपीट भी करते हैं. यह कानूनन अपराध है. वैसे पति द्वारा पत्नी पर किए गए बलात्कार के लिए हमारे हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 375 और 379 के तहत पत्नियों को कई अधिकार प्राप्त हैं. वे कानूनी तौर पर पति से तलाक भी ले सकती हैं.

पीडोफीलिया: पीडोफीलिया यानी बाल रति पीडोफीलिया से पीडि़त पुरुष छोटे बच्चे के साथ यौन संबंध बना कर काम संतुष्टि पाते हैं. वे बच्चों के साथ जबरदस्ती करने के बाद पहचान छिपाने के लिए बच्चे की हत्या तक कर डालते हैं. पीडोफीलिया से पीडि़त व्यक्ति में यह भ्रांति होती है कि बच्चे के साथ यौन संबंध बनाने पर उस की यौन शक्ति हमेशा बनी रहेगी. ऐसे व्यक्ति अधिकतर 14 साल से कम उम्र के बच्चों को अपना शिकार बनाते हैं.

सैक्स मेनिया: इस से ग्रस्त व्यक्ति के मन में हर समय सैक्स करने की इच्छा रहती है. वह दिनरात उसी के बारे में सोचता है. फिर चाहे वह औफिस में काम कर रहा हो या फिर दोस्तों के साथ पार्टी में हो, उसे हर वक्त सैक्स का ही खयाल रहता है. वह अपने सामने से गुजरने वाली हर महिला को उसी नजर से देखता है. यह एक प्रकार का मानसिक रोग होता है, जिस में व्यक्ति के मन में सैक्स की इच्छा इस कदर प्रबल हो जाती है कि वह पहले अपनी पत्नी को बारबार सैक्स करने के लिए कहता है और फिर बाहर अन्य महिलाओं से भी संबंध बनाने की कोशिश करता है. एक पार्टनर से उस का काम नहीं चलता है. उसे अलगअलग पार्टनर के साथ सैक्स करने में आनंद आता है.

इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति का कौन्फिडैंस इस हद तक बढ़ जाता है कि उसे लगता है कि उस के लिए कुछ भी असंभव नहीं है. जो भी वह चाहता है उसे पा सकता है. अपने इसी जनून के चलते कई बार वह अपना अच्छाबुरा सोचनेसमझने की शक्ति भी खो देता है और फिर कोई अपराध कर बैठता है. उसे उस का पछतावा भी नहीं होता, क्योंकि ऐसा कर के उस के दिल और दिमाग को अजीब सी संतुष्टि मिलती है, जो उसे सुकून देती है.

सैक्स फोबिया: यह सैक्स से जुड़ी एक समस्या है. जिस तरह सैक्स मेनिया में व्यक्ति के मन में सैक्स को ले कर कुछ ज्यादा ही इच्छा होती है उसी तरह कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिन्हें सैक्स में कोई रुचि नहीं होती. जब ऐसी अलगअलग प्रवृत्ति के 2 लोग आपस में वैवाहिक संबंध में बंधते हैं, तो सैक्स के बारे में अलगअलग नजरिया रखने के कारण सैक्स की प्रक्रिया और मर्यादा को ले कर उन में विवाद शुरू होता है और दोनों में से कोई भी इस बात को नहीं समझ पाता कि सैक्स मेनिया और सैक्स फोबिया, मानव मस्तिष्क में उठने वाली सैक्स को ले कर 2 अलगअलग प्रवृत्तियां हैं. दोनों के ही होने के कुछ कारण होते हैं और थोड़े से प्रयास और मनोचिकित्सक की सलाह के साथ इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है.

पीपिंग: पीपिंग का मतलब है चोरीछिपे संभोगरत जोड़ों को देखना और फिर उसी से यौन संतुष्टि प्राप्त करना. संभोगरत अवस्था में किसी को देखने से रोमांच की स्वाभाविक अनुभूति होती है. हेवलाक एलिस ने अपनी पुस्तक ‘साइकोलौजी औफ सैक्स’ में लिखा है कि संभ्रांत लोग अपनी जवानी के दिनों में दूसरी औरतों को सैक्स करते हुए देखने के लिए उन के कमरों में ताकाझांकी करते थे. यही नहीं सम्मानित मानी जाने वाली औरतें भी परपुरुष के शयनकक्षों में झांकने की कोशिश किया करती थीं. अगर आदत हद से ज्यादा बढ़ जाए तो एक गंभीर मानसिक रोग के रूप में सामने आती है.

ऐग्जिबिशनिज्म: इस डिसऔर्डर से पीडि़त व्यक्ति अपने गुप्तांग को किसी महिला या बच्चे को जबरदस्ती दिखाता है. इस से उसे खुशी और संतुष्टि मिलती है. ऐसे लोग दूसरों को अप्रत्यक्ष रूप से हानि पहुंचाना चाहते हैं. हमारे देश में किसी को इस तरह तंग करना कानूनन अपराध है. ऐसा करने वालों को निश्चित अवधि की कैद और जुर्माना देना पड़ सकता है.

फ्रोट्यूरिज्म: इस सैक्सुअल डिसऔर्डर से पीडि़त व्यक्ति किसी से भी संबंध बनाने से पहले अपने गुप्तांग को रगड़ता या दबाता है. यह डिसऔर्डर ज्यादातर नपुंसकों में पाया जाता है.

बेस्टियलिटि: इस में व्यक्ति के ऊपर सैक्स इतना हावी हो जाता है कि वह किसी के साथ भी सैक्स करने में नहीं झिझकता. ऐसे में वह ज्यादातर असहाय लोगों या जानवरों का उत्पीड़न करता है.

सैडीज्म ऐंड मैसेकिज्म: इस से पीडि़त व्यक्ति ज्यादातर समय फैंटेसी करता रहता है. ऐसे लोग सैक्स के समय अपने पार्टनर को नुकसान भी पहुंचाते हैं.

ऐक्सैसिव डिजायर: अगर किसी शादीशुदा पुरुष का मन अपनी पत्नी के अलावा अन्य महिलाओं के साथ भी शारीरिक संबंध बनाने को करे तो वह एक डिसऔर्डर से पीडि़त होता है.

सैक्स ऐडिक्शन: सैक्स ऐडिक्शन एक प्रकार की लत है, जिस में पीड़ित व्यक्ति को हर जगह दिन और रात सैक्स ही सूझता है. ऐसे लोग अपना ज्यादातर समय सैक्स संबंधी प्रवृत्तियों में बिताने की कोशिश करते हैं. जैसे कि पोर्न वैबसाइट देखना, सैक्स चैट करना, पोर्न सीडी, अश्लील एमएमएस देखना. एक सैक्स ऐडिक्ट की सैक्स इच्छा बेकाबू होती है. उस की प्यास कभी पूरी तरह नहीं बुझती. ऐसे लोग समाज के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं. वे बच्चों, बुजुर्गों या जानवरों के साथ सैक्स कर सकते हैं.

ऐबनौर्मल सैक्सुअल डिसऔर्डर के कारण

वैज्ञानिक, मनोचिकित्सक ऐबनौर्मल सैक्सुअल बिहेवियर के उत्पन्न होने के बारे में अभी तक सहीसही कारणों का पता नहीं लगा पाए हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि मस्तिष्क में स्थित न्यूरोट्रांसमीटर में किसी प्रकार की खराबी, मस्तिष्क की रासायनिक कोशिकाओं में गड़बड़ी, जींस की विकृति आदि कारणों की वजह से व्यक्ति ऐबनौर्मल सैक्सुअल बिहेवियर से पीड़ित हो जाता है. अगर हम बात करें सैक्स ऐडिक्शन की तो कुछ वैज्ञानिक ऐसा भी मानते हैं कि 80 प्रतिशत सैक्स ऐडिक्ट लोगों के मातापिता भी जीवन में अकसर सैक्स ऐडिक्ट रहे होंगे. ऐसा भी माना जाता है कि अकसर ऐसे लोगों में सैक्सुअल ऐब्यूज की हिस्ट्री होती है यानी ज्यादातर ऐसे लोगों का कभी न कभी यौन शोषण हो चुका होता है. इस के अलावा जिन परिवारों में मानसिक और भावनात्मक रूप से लोग बिखरे हुए हों, ऐसे परिवारों के लोगों के भी सैक्स ऐडिक्ट होने की आशंका रहती है.

इस तरह के डिसऔर्डर की कई वजहें हो सकती हैं. जिन लोगों की उम्र 60 साल से ज्यादा होती है वे भी इस का शिकार हो सकते हैं. दूषित वातावरण, गलत सोहबत, अश्लील पुस्तकों का अध्ययन, ब्लू फिल्में अधिक देखने आदि की वजह से व्यक्ति ऐसी काम विकृति से पीडि़त हो जाते हैं. विवाह के बाद जब पत्नी को अपने पति के काम विकृत स्वभाव के बारे में पता चलता है तब उस की स्थिति काफी परेशानी वाली हो जाती है.

डिसऔर्डर को दूर करने के उपाय

अगर शादी के बाद पत्नी को पता चले कि उस का पति किसी ऐसे ही रोग से पीड़ित है, तो उसे संयम से काम लेना चाहिए. ऐसे पति पर गुस्सा करने, उस के बारे में ऊलजलूल बकने, यौन इच्छा शांत न करने देने, ताना देने आदि से गंभीर स्थिति पैदा हो जाती है. ऐसे पति तुरंत किसी तरह का गलत निर्णय भी ले सकते हैं. यहां तक कि हत्या या आत्महत्या का निर्णय भी ले लेते हैं.

काम विकृति से पीड़ित पति को प्यार से समझाएं. सामान्य संबंध बनाने को कहें. जब पति न माने तब अपनी भाभी या सास को इस की जानकारी दें.

ऐसे लोगों का मनोचिकित्सक से इलाज कराया जा सकता है. इन में सब से पहले मरीज की काउंसलिंग की जाती है, जिस से पता लगाया जाता है कि मरीज बीमारी से कितना ग्रस्त है. उस के बाद उसे दवा दी जाती है.

वक्त रहते डाक्टर से परामर्श किया जाए तो इस तरह के डिसऔर्डर ठीक हो जाते हैं. लेकिन यह परेशानी ठीक नहीं हो रही और पति मानसिक व शारीरिक पीड़ा पहुंचाता है तो ऐसे व्यक्ति से तलाक ले कर अपनी जिंदगी को एक नई दिशा देने के बारे में सोच सकती हैं.

कंडोम से सैक्स को मजेदार बनाएं : डॉक्टरी पर्ची की जरूरत नहीं

Sex News in Hindi: सुरेश को अपनी एक साथी के साथ शारीरिक संबंध बनाना भारी पड़ेगा, यह उस ने सपने में भी नहीं सोचा था. दरअसल, उस साथी से सैक्स संबंध बनाते समय सुरेश ने कंडोम का इस्तेमाल नहीं किया था. कुछ दिनों बाद सुरेश को अपने अंग में जलन सी महसूस होने लगी. छोटेछोटे दाने भी निकल आए. डाक्टर ने बताया कि यह असुरक्षित यौन संबंध बनाने की वजह से हुआ है. वह कंडोम का इस्तेमाल कर के सैक्स का मजा उठाता तो बाद में उसे यह परेशानी नहीं होती.सबलोक क्लिनिक के यौन रोग विशेषज्ञ डाक्टर बिनोद सबलोक बताते हैं कि चाहे मर्द हो या औरत एचआईवी  समेत यौन संक्रामक रोगों को रोकने के लिए कंडोम एक आसान और बेहतर तरीका है. कंडोम न सिर्फ असुरक्षित गर्भधारण से, बल्कि यौन रोगों से भी शरीर की हिफाजत करता है.

शर्म क्यों

बाजार में आसानी से मिलने वाला कंडोम खरीदना अब शर्म वाली बात भी नहीं रही है. कंडोम खरीदने के लिए डाक्टर की परची की जरूरत भी नहीं होती है. इस की कीमत भी बहुत कम होती है. कई सरकारी व गैरसरकारी योजनाओं के तहत कंडोम मुफ्त में भी बांटे जाते हैं.

अब तो अलगअलग फ्लेवर व कई बनावटों में मिलने वाले कंडोम सैक्स संबंध बनाने के दौरान भरपूर मजा भी देते हैं.

कंडोम का इस्तेमाल कर खुले दिमाग से सैक्स का मजा लिया जा सकता है. अब तो बाजार में ऐसे भी कंडोम हैं जिन से लंबे समय तक सैक्स किया जा सकता है.

बेहतर साथी है कंडोम

कंडोम आप के लिए इस तरह एक बेहतर साथी साबित हो सकता है:

* यह बच्चा ठहरने से रोकने का सब से आसान और महफूज तरीका है.

* कंडोम का इस्तेमाल बिना किसी झिझक के कर सकते हैं.

* कोई साइड इफैक्ट नहीं होता.

* कंडोम यौन रोगों से बचाव में कारगर हथियार है.

ऐसे बढ़ाएं रोमांच

बाजार में वनीला, स्ट्राबेरी, केला, चौकलेट, बबलगम, कौफी वगैरह फ्लेवर में भी कंडोम मिलते हैं. मुंह से सैक्स के शौकीनों के लिए ये कंडोम सैक्स के दौरान ज्यादा मजा देते हैं और कोई बीमारी भी नहीं होती है.

जो लोग सैक्स का मजा लंबे समय यानी देर तक नहीं उठा पाते हैं उन के लिए लौंग लास्टिंग कंडोम इस्तेमाल करना बेहतर रहेगा.

सैक्स बनाएं मजेदार

अगर आप सैक्स का मजा उठाना चाहते हैं तो बाजार में डौटेड कंडोम भी आते हैं. डौटेड कंडोम में अपनी साथी का जोश बढ़ाने के लिए इस की बाहरी सतह पर बिंदीनुमा छोटेछोटे उभरे हुए दाने होते हैं. यह चिकनाई वाला होता है.

इन बातों पर ध्यान दें

* कंडोम खरीदते समय उस की ऐक्सपायरी डेट जरूर देख लें.

* ज्यादा तेजी से सैक्स का मजा उठाते समय कंडोम फट भी सकता है. इस का ध्यान रखें और कंडोम को तुरंत बदल दें.

* इस्तेमाल करने से पहले कंडोम के सामने वाले भाग को चुटकी से दबा कर हवा को बाहर निकाल दें, फिर धीरेधीरे अंग पर चढ़ाएं.

* कंडोम खरीदते समय दुकानदार से खुल कर बात करें. बात करते समय जरा भी न शरमाएं.

* सैक्स कुदरत का दिया एक अनमोल तोहफा है. इस का जम कर मजा उठाएं, पर सावधानी और एहतियात भी बरतें.

पहले सेक्स करने के ये हैं फायदे

Sex Benefits in Hindi: आपको इस नए रिश्ते (Relation) में अभी कुछ ही महीने हुए हैं. अभी तक आप लोग एक दूसरे को ढंग से जान भी नहीं पाए हैं कि अचानक ही एक मुलाकात में आप दोनों की चर्चा इस दिशा में बढ़ जाती है कि पूर्व में आप दोनों के कितने रिश्ते रहे हैं. ना सिर्फ आपको अतीत में रहे आपकी गर्लफ्रेंड के बौयफ्रेंडों (Girlfriend-Boyfriend) की संख्या जानकर आश्चर्य होता है, आपकी साथी की प्रतिक्रिया भी आपके पुराने रिश्तों के बारे में जानकर कुछ अजीब ही होती है. कई बार देखा गया है कि जब भी कोई नया रिश्ता शुरू होता है तो दोनों ही साथियो के पूर्व में शारीरिक सम्बन्ध (Physical Relation) भी रहे होते हैं. फिर चाहे वो सम्बन्ध गंभीर रिश्तों के दौरान बने हो या फिर वो एक रात के रिश्ते हो.

ऐसा हो सकता है कि होने वाले साथी के पूर्व में रहे रिश्तों के बारे में जानना किसी के लिए कामोत्तेजक हो या फिर यह भी हो सकता है कि किसी को इस बारे में जानकर बिलकुल भी अच्छा नहीं लगे. लेकिन शोधकर्ता अभी भी निश्चित रूप से किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं कि स्पष्ट रूप से कह सकें कि आखिरकार अपने साथी के पूर्व में रहे रिश्तों के बारे में जानकर लोगों को कैसा लगता है.

सेक्स का अनुभव – कितना फायदेमंद?

यूके के शोधकर्ताओं के एक समूह ने इस बारे में जानने के लिए 18 से 35 साल के 188 युवाओं को इकठ्ठा किया. उन्हें कुछ काल्पनिक लोगों की एक सूची दी गयी जिनके पूर्व में शून्य से लेकर 60 तक या उससे ज्यादा रिश्ते रहे थे. फिर उनसे पूछा गया कि वो उन लोगों के साथ रिश्ता जोड़ने में कितने तैयार होंगे. उन्हें अपने जवाब में 1 से लेकर 9 तक अंक देने थे.

जो लंबे चलने वाले रिश्ते चाहते थे उनकी नजर में वो लोग पहली पसंद थे जिनके पूर्व में दो साथी रहे थे. ऐसे लोगों की औसतन उम्र 21 साल थी. जब सूचना को अलग तरीके से आयोजित किया गया तो यह साफ हो गया कि अधिक उम्र के सहभागियों की नजर में आदर्श साथी वो था जिसके पूर्व में दो से ज्यादा रिश्ते रहे थे.

लेकिन उम्र पर ध्यान दिए बिना गौर किया गया तो एक बात स्पष्ट हो गयी थी, खासकर यूके के नागरिकों के लिए. लोगों को यह तो अच्छा लगता है कि उनके संभावित साथी के पास थोड़ा बहुत यौनिक अनुभव हो, लेकिन अगर किसी के पूर्व में बहुत ज्यादा साथी रहे हों तो यह बात ज्यादातर लोगों को आकर्षित नहीं करती और यह अध्ययन में हिस्सा लेने आये पुरुषों और महिलाओं, दोनों के ही जवाबों से स्पष्ट थी.

लेकिन जब बात हो लघु अवधि के रोमांस के लिए साथी ढूंढने की तो पुरुष और महिलाओं के जवाबों में असमानता पायी गयी. पुरुषों को वो महिलाएं पसंद आयी जिनके पूर्व में दो से लेकर 10 साथी रहे हों, जबकि दूसरी और महिलाएं उन पुरुषों के साथ रिश्ता बनाने की इच्छुक थी जिनके पूर्व में दो से लेकर पांच महिलाओं के साथ शारीरिक सम्बंध रहे हों.

सेक्स और संस्कृति

तो पुरुषों और महिलाओं को दीर्घ-कालिक रिश्तों के लिए ऐसे साथी क्यों पसंद आते हैं जिनको सेक्स का बहुत ज्यादा नहीं, बस थोड़ा बहुत अनुभव हो?

शोधकर्ताओं का कहना था कि अध्ययन से निकले निष्कर्ष उन्हीं संस्कृतियों के लिए उपयुक्त होंगे जहाँ शादी से पहले सेक्स करना स्वीकार्य है. जाहिर सी बात है कि विश्व के उन हिस्सों में जहां शादी से पहले सेक्स को गलत समझा जाता है, वहां एक प्रतिबद्ध रिश्ते से पहले किसी भी प्रकार के यौनिक अनुभव का होना कतई वांछनीय नहीं है.

लेकिन शोधकर्ता यह भी कहते हैं कि ब्रिटैन जैसी कुछ उदार संस्कृतियों में बिलकुल भी यौन अनुभव नया होने का अर्थ यह निकाला जा सकता है कि शायद उस व्यक्ति में सामाजिक कौशल और रिश्तों की समझ की कमी है. अगर आपका अभी तक कोई बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड नहीं है तो हो सकता है कि आप में कोई कमी है!

इसके साथ-साथ कई बार यह भी देखा गया है कि लोग दूसरो के प्रति सिर्फ इसलिए आकर्षित हो जाते हैं क्योंकि और लोग भी उनकी तरफ आकर्षित हैं. इसे ‘मेट-चॉइस कोपयिन्ग’ का नाम दिया गया है. आपके पास यौन अनुभव है तो इसका मतलब है कि लोग आपको पसंद करते हैं और इसलिए किसी को आप अच्छे लग सकते हैं.

धोखेबाज?

संस्कृति चाहे कोई भी हो, शोधकर्ताओं को लगता है कि जिन लोगों के पूर्व में बहुत सारे प्रेमी रहे हैं, वो उन लोगों की पहली पसंद कभी नहीं बन पाते जो अपने साथी के साथ दीर्घ-कालिक रिश्ता बनाना चाहते हैं. शायद उन्हें यह लगता हो कि जिस व्यक्ति के इतने सारे साथी हो उससे यौन संक्रमण का खतरा हो सकता है. शोधकर्ता कहते हैं कि आंकड़ों पर नजर डालें तो जिस व्यक्ति के कई साथी रहे हों, उसके लिए किसी दीर्घकालिक रिश्ते में रहना या किसी रिश्ते में ईमानदार रहना मुश्किल हो सकता है.

पीरियड्स में भी सैक्स कर सकती हैं आप, बस रखें इन बातों का ध्यान

अमूमन कहा जाता है कि महिलाओं के मासिक धर्म के दौरान सैक्स नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस से बहुत नुकसान हो सकता है, लेकिन यह एक मिथक है. दरअसल, महिलाओं में मासिक धर्म का होना एक प्राकृतिक शारीरिक प्रकिया है और ज्यादातर महिलाओं को यह पता नहीं होता है कि मासिक धर्म में क्या करें और क्या न करें. खासकर बात जब मासिक धर्म के दौरान सैक्स की हो. आमतौर पर हमारी यह धारणा होती है कि मासिक धर्म के दौरान सैक्स करना सही नहीं है, लेकिन क्या वास्तव में ऐसा है, आइए जानते हैं…

मासिक धर्म में हैं सैक्स के ये फायदे
अगर आप मासिक धर्म के दौरान सहवास करना चाहती हैं तो कर सकती हैं. अगर दोनों पार्टनर की रजामंदी हो सैक्स तो वैज्ञानिक रूप से किसी तरह का कोई नुकसान नहीं है.

कुछ लोग तो मासिक धर्म के दौरान ही सहवास करना ज्यादा पसंद करते हैं, क्योंकि उस दौरान महिला जननांग में गीलापन पहले से ही बना रहता है जिस से सैक्स करने में आसानी होती है.

मासिक धर्म में सैक्स करने से गर्भ ठहरने की आशंका न के बराबर रह जाती है. एक खास बात यह भी है कि मासिक धर्म में सैक्स के दौरान अगर किसी महिला को चरमसुख मिलता है तो उसे मासिक धर्म के दौरान होने वाले कमर और पेड़ू के दर्द से काफी आराम मिलता है.

मासिक धर्म में सैक्स से स्त्री और पुरुष दोनों को कोई नुकसान नहीं होता. लेकिन जो महिलाएं मलशुद्धि के लिए पानी की बजाय टिशू पेपर का इस्तेमाल करती हैं, उन के साथ मासिक धर्म में सैक्स करने से इंफैक्शन हो सकता है, क्योंकि मासिक के दौरान होने वाला रक्तस्राव गुदा द्वार के करीब होने की वजह से वहां बैक्टीरिया के बढ़ने की आशंका पैदा हो सकती है. इस से बचने के लिए ऐसी महिलाओं के साथ सैक्स करते समय कंडोम का इस्तेमाल करना चाहिए.

अगर आप के पार्टनर को मासिक धर्म के दौरान पेट या योनि में दर्द नहीं हो रहा हो और यदि आप के पार्टनर को कोई आपत्ति न हो तो मासिक धर्म के दौरान कंडोम के बिना भी सैक्स किया जा सकता है. इस से किसी तरह की बीमारी नहीं होती. लेकिन मासिक धर्म के दौरान यदि महिला को किसी तरह के इंफैक्शन की आशंका है, तो ऐसे में सेक्स कदापि नहीं करना चाहिए.

मासिक धर्म के समय सैक्स करने के लिए यौनांगों की साफसफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए. सैक्स के बाद शिश्न तथा योनि को ठीक तरह से पानी से धोना चाहिए. माइल्ड डिसइंफैक्टेड मैडिसिन मिला कर भी सप्ताह में 2 बार यौनांगों की सफाई करनी चाहिए.

जब पति ना लगाना चाहे कंडोम तो क्या करें

रीना और दिनेश की शादी को 3 महीने ही हुए हैं. उन की सेक्स लाइफ मस्त है बस एक ही दिक्कत है कि सेक्स के दौरान दिनेश को कंडोम का इस्तेमाल सिरदर्द लगता है, जबकि रीना ऐसा कोई रिस्क नहीं लेना चाहती, जिस से वह समय से पहले गर्भवती हो जाए. वह कम से कम 2 साल तक मां नहीं बनना चाहती है.

इस बारे में रीना और दिनेश की खूब बातें हो चुकी है, बहस भी हो चुकी है पर दिनेश को रीना की समस्या समझ नहीं आ रही है या वह जानबूझ कर उस के अरमानों की अनदेखी कर रहा है.

ऐसा अकसर होता है कि सेक्स संबंधों में भी औरत को ही समझौता करना पड़ता है कि वही गर्भनिरोधक का कोई साधन इस्तेमाल करे, मर्द को तो खुला खेल चाहिए, किसी तरह की रुकावट न आए रात को बिस्तर पर.

लेकिन कंडोम केवल बच्चा रोकने के लिए ही नहीं बनाया गया है, बल्कि यह सेक्स संबंधों के दौरान होने वाली बीमारियों की भी रोकथाम करता है. एड्स जैसी जानलेवा बीमारी को यह कम कीमत की रबड़ की पतली दीवार पनपने से पहले ही रोक देती है. यह ठीक है कि बिना इस के इस्तेमाल से सेक्स का मजा शानदार रहता है पर यह है बड़े काम की चीज.

अब तो कई वैरायटी के कंडोम

कंडोम का बाजार बहुत बड़ा है और कौम्पिटिशन भी ज्यादा है इसलिए अपने ग्राहकों को लुभाने के लिए कंडोम बनाने वाली कंपनियां पतले से पतले कंडोम बाजार में उतार रही हैं, ताकि उस के पहने जाने का अहसास ही न हो. इतना ही नहीं बाजार में तरह तरह के ऐसे कंडोम बिक रहे हैं जिन में डौट लगे होते हैं ताकि रगड़ का अनूठा अहसास हो.

इस के अलावा अब बाजार में अलग अलग फ्लेवर के कंडोम बिक रहे हैं जैसे स्ट्रौबेरी, बनाना, चौकलेट, वनीला, बबल गम कौफी और न जाने क्या क्या. पैकेट से इन के खुलते है माहौल में मस्त खुशबू घुल जाती है जिस से सेक्स करना और भी मादकता भरा हो जाता है.

अगर खुशबू वाले कंडोम न भाएं तो अन्फ्लेवर्ड, रिब्ड, लौन्ग लास्टिंग, बिग हेड, एक्स्ट्रा लुब्रिकेटेड, वार्म, अल्ट्रा थिन और एलोवेरा कंडोम भी बाजार में आप की राह देख रहे हैं.

सौ बात की बात, मर्दों को सेक्स संबंध बनाते समय कंडोम का इस्तेमाल हौव्वा नहीं समझना चाहिए, बल्कि एक बार इस की आदत पड़ जाए तो यह सेक्स का समय भी बढ़ा देता और पत्नी खुश रहती है सो अलग.

अगर सुरक्षित होने के नजरिए से भी देखा जाए तो कंडोम का कोई बुरा असर नहीं पड़ता है. अगर कभी किसी कंडोम के इस्तेमाल से कोई एलर्जी हो तो माहिर डौक्टर की सलाह लें.

पोर्न के साइड इफैक्ट्स : हैं भी या नहीं?

24 साल की नेहा मल्टीनैशनल कंपनी में काम करती है. उसे काम के सिलसिले में विदेश जाना पड़ता है. वह अभी अविवाहित है. पोर्नोग्राफी के बारे में पूछे गए सवाल पर वह कहती है, ‘‘दूसरी लड़कियों का तो मुझे पता नहीं लेकिन मेरा जब मूड होता है, पोर्न मूवी देखती हूं. कई बार हम पार्टी भी करते हैं. नाइट पार्टी में अगर बौयज हैं तो कुछ न कुछ हो सकता है. ऐसे में मैं पार्टी से पहले पोर्न देखती हूं. मुझे इस में कोई बुराई नजर नहीं आती. यह मेरे जीवन का निजी हिस्सा है. मैं कभी किसी के साथ इस विषय पर कोई बात नहीं करती, अपनी सहेलियों से भी नहीं.’’

पोर्न आज के दौर में एक बड़ी इंडस्ट्री बन गया है, जिस का सालाना टर्नओवर अरबों डौलर का है. विश्व के अधिकतर लोगों ने कभी न कभी पोर्न फिल्में देखी होंगी. भारत में युवाओं में पोर्न देखने का चलन बढ़ता जा रहा है. इस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारत पिछले 2-3 वर्षों में सब से ज्यादा पोर्न देखने वाले देशों में 10वें से तीसरे स्थान पर आ गया है.

अति तो किसी भी चीज की बुरी होती है. पोर्न की लत किसी नशे की तरह है, जो आसानी से पीछा नहीं छोड़ती. पोर्न देखने में उतनी बुराई नहीं पर पोर्न का एडिक्शन होना बुरा होता है. यह सामाजिक, शारीरिक और मानसिक हर रूप में जीवन पर बुरा प्रभाव डालता है. एक रिसर्च में पाया गया कि जो व्यक्ति ज्यादा पोर्न फिल्में देखते हैं, उन का दिमाग सिकुड़ जाता है.

यदि व्यक्ति के दिमाग का स्ट्रेटम छोटा है तो उसे ज्यादा नुकसान हो सकता है. इसी अध्ययन में यह भी पता चला है कि पोर्न फिल्में देखने वाला व्यक्ति अपनी निजी जिंदगी में भी उसी तरह सैक्स करना चाहता है, लेकिन अकसर ऐसा हो नहीं पाता क्योंकि पोर्न फिल्मों को जानबूझ कर ज्यादा भड़काऊ और आकर्षक बनाया जाता है. वैसा करना आम आदमी के बस की बात नहीं. इस का नुकसान यह होता है कि व्यक्ति को कभी संतुष्टि नहीं मिल पाती. व्यक्ति के स्वभाव में क्रूरता और उग्रता आ जाती है जिस से वह चिड़चिड़ा हो जाता है.

पोर्न से दूर होते दोस्त और परिवार

नेहा ने बताया कि हम दोस्तों से भले ही हर बात शेयर करते हों पर यह नहीं बताते कि हम पोर्न देखते हैं. असल में पोर्न के शिकार युवा दोस्तों से दूरी बनाने लगते हैं. वे हमेशा नया पोर्न देखने का लिए प्रयासरत रहते हैं.

पोर्न न देखने का कारण बताते हुए शिविका कहती है, ‘‘पोर्न देखने से सैक्स की जानकारी होती है क्योंकि जिंदगी में सैक्स का काफी महत्त्व है. हमारे समाज में सैक्स पर खुल कर बात नहीं होती है. सैक्स में सावधानी और संयम की बहुत जरूरत है. पोर्न देखने वाले युवा एकाकी स्वभाव के होते हैं.’’

ऐसे युवा परिवार में भी अलगथलग रहने की कोशिश करते हैं. वे अपने पेरैंट्स से दूर होते जाते हैं. धीरेधीरे वे अपने भाईबहन से भी दूर होने लगते हैं. वे हमेशा एकांत की तलाश में रहते हैं. अब मोबाइल, लैपटौप और कंप्यूटर पर इस की सुविधा होने से पोर्न देखना आसान हो गया है. आज मोबाइल पर सब से ज्यादा पोर्न देखा जाता है. युवा अपने मोबाइल इसी कारण दूसरों से दूर रखते हैं. कई बार किसी को दूसरी फिल्में या फोटो भेजने की जगह पर पोर्न फिल्में गलती से चली जाती हैं जिस से इमेज खराब होती है.

सेहत और पढ़ाई पर प्रभाव   

युवावस्था कैरियर बनाने के लिहाज से सब से अहम होती है. इस दौरान युवाओं का पोर्न की तरफ आकर्षित होना कैरियर पर बुरा प्रभाव डालता है. मनोविज्ञानी बताते हैं कि इसे देखने वाले युवाओं का मन भटक  जाता है. वे हमेशा इस के प्रभाव में रहते हैं. ऐसे में उन का कैरियर खराब हो जाता है. आमिर खान की फिल्म ‘थ्री इडियट्स’ में यह दिखाया गया है कि साथी अपने ही दोस्तों का ध्यान पढ़ाई से हटाने के लिए होस्टल में उन्हें पोर्न किताबें दे देते थे जिस से साथी के नंबर कम आएं या वह फेल हो जाए.

पोर्न देखने वाले ज्यादातर युवा अप्राकृतिक सैक्स के आदी हो जाते हैं. वैसे मैडिकली यह बुरा नहीं है पर अगर सही तरह और हाईजीन का ध्यान रख कर नहीं किया जाएगा तो यह हैल्थ की नजर से खराब होता है.

सैक्स जीवन पर असर

लगातार पोर्न देखने से व्यक्ति अपने पार्टनर से वैसी ही उम्मीद रखने लगता है जैसा पोर्न फिल्मों में दिखाया जाता है लेकिन इसे हकीकत में उतारना मुमकिन नहीं होता. इस का नुकसान यह होता है कि व्यक्ति का अपने पार्टनर के प्रति अलगाव पैदा होने लगता है. जब लड़कियां ऐसे पोर्न देखती हैं और शादी के बाद उन्हें ऐसे हालात नहीं मिलते तो उन का वैवाहिक जीवन खराब होने लगता है.

पोर्न देखने से सैक्स को ले कर विकृत नजरिया बन जाता है. शादी के बाद तमाम लड़कियों को यह शिकायत होती है कि उन के पति ने अप्राकृतिक सैक्स की डिमांड की या जोरजबरदस्ती की. औक्सिटौसिन दिमाग में पाया जाने वाला एक शक्तिशाली हार्मोन है जिसे ‘लव हार्मोन’ भी कहा जाता है. यह हार्मोन पुरुष और महिलाओं दोनों को बंधन में बांधने में मदद करता है. अगर सैक्स पोर्न फिल्मों की तरह किया जाए तो यह हार्मोन काम नहीं करता जिस का असर रिश्तों पर पड़ता है.

सैक्स को पोर्न फिल्मों की तरह करने वाले व्यक्ति फोरप्ले ठीक ढंग से नहीं कर पाते. फोरप्ले के दौरान जोड़े चरम सुख लेते हैं जिस से उन में काफी निकटता आती है पर पोर्न वाली मानसिकता के कारण यह कहीं खो जाती है.

कुछ लोग उत्तेजित होने के लिए पोर्न का सहारा लेने लगते हैं और धीरेधीरे यह उन की आदत बन जाती है. इस का नुकसान यह होता है कि व्यक्ति प्राकृतिक तौर पर उत्तेजित होने में नाकाम होने लगता है जिस का आगे चल कर नुकसान होता है. अवैध संबंधों के लिए पोर्न काफी हद तक जिम्मेदार है. ज्यादा पोर्न देखने वाले लोग अकसर किसी के साथ अवैध संबंध बनाने के बारे में सोचते रहते हैं जो समाज के लिए काफी नुकसानदेह साबित हो रहा है और कई बार मर्यादा तारतार होने की भी आशंका रहती है. पोर्न देखने का यह सब से बड़ा नुकसान है.

सैक्स लाइफ बनाएं कमाल, पत्नी होगी खुशहाल

विवेक कई दिनों से अपनी पत्नी आशु के साथ अंतरंग संबंध बनाना चाह रहा था, पर आशु कोई न कोई बहाना बना कर टाल देती. रोज की नानुकर से तंग आ कर एक दिन आखिर विवेक ने झल्लाते हुए आशु से कहा कि आशु, तुम्हें क्या हो गया है? मैं जब भी तुम्हें प्यार करना चाहूं, तुम कोई न कोई बहाना बना कर टाल देती हो. कम से कम खुल कर तो बताओ कि आखिर बात क्या है?

यह सुन कर आशु रोते हुए बोली कि ये सब करने का उस का मन नहीं करता और वैसे भी बच्चे तो हो ही गए हैं. अब इस सब की क्या जरूरत है?

यह सुन कर विवेक हैरान रह गया कि उस की बीवी की रुचि अंतरंग संबंध में बिलकुल खत्म हो गई है. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसा क्यों हो गया जबकि उस की पत्नी पहले इस सब में बहुत रुचि लेती थी?

यह परेशानी सिर्फ विवेक की ही नहीं है, बल्कि ऐसे बहुत से पति हैं, जो मिडिल ऐज में आने पर या बच्चों के हो जाने पर इस तरह की समस्याओं से जूझते हैं.

कम क्यों हो जाती है दिलचस्पी

सैक्सोलौजिस्ट डा. बीर सिंह का कहना है कि कई बार पतिपत्नी के बीच प्यार में कोई कमी नहीं होती है, फिर भी उन के बीच सैक्स को ले कर समस्या खड़ी हो जाती है. विवाह के शुरू के बरसों में पतिपत्नी के बीच सैक्स संबंधों में जो गरमाहट होती है, वह धीरेधीरे कम हो जाती है. घरेलू जिम्मेदारियां बढ़ने के कारण सैक्स को ले कर उदासीनता आ जाती है. इस की वजह से आपस में दूरी बढ़ने लगती है.

इस समस्या से बाहर आने के लिए पतिपत्नी को एकदूसरे से अपने सैक्स अनुभव शेयर करने चाहिए. अपनी सैक्स अपेक्षाओं पर खुल कर बात करनी चाहिए. इस के अलावा उन कारणों को भी ढूंढ़ें जिन की वजह से साथी सैक्स में रुचि नहीं लेता, फिर उन्हें दूर करने की कोशिश करें. ये कारण हर कपल के अलगअलग होंगे. आप को बस उन्हें दूर करना है, तब आप की सैक्स लाइफ फिर से पहले जैसी खुशहाल हो जाएगी.

यह भी एक कारण

उम्र बढ़ने के साथसाथ एक स्त्री कामक्रीड़ा में पहले जैसी दिलचस्पी क्यों नहीं लेती है? अमेरिका में चिकित्सकों और शोधकर्ताओं की पूरी टीम इस सवाल का जवाब ढूंढ़ने में जुट गई. इस में एक अहम जानकारी सामने आई, जो निश्चित तौर पर एक स्त्री की सैक्स संबंधी दिलचस्पी की पड़ताल करती है. दरअसल, यह सवाल स्त्री की उम्र और सैक्स के रिश्ते से जुड़ा है. कई लोग मानते हैं कि स्त्री की उम्र उस की सैक्स संबंधी दिलचस्पी पर काफी असर डालती है. यह माना जाता है कि उम्र बढ़ने के साथसाथ एक स्त्री कामक्रीड़ा में पहले जैसी दिलचस्पी नहीं लेती.

हालांकि शोध से यह बात साफ हो गई कि मध्य आयुवर्ग की महिलाओं में संभोग के प्रति दिलचस्पी होना अथवा न होना सिर्फ बढ़ती उम्र पर निर्भर नहीं करता. यह इस बात पर निर्भर करता है कि उन के लाइफपार्टनर का स्वास्थ्य कैसा है? और सैक्स संबंधी गतिविधियों में वे कितनी रुचि लेते हैं.

भावनात्मक कारण

आम धारणा के विपरीत शोध में यह पाया गया कि मध्य आयु में भी महिलाएं न सिर्फ सैक्सुअली सक्रिय होती हैं, बल्कि कई मामलों में उन की दिलचस्पी बढ़ती हुई नजर आई. शोध के दौरान जब यह जानने की कोशिश की गई कि जो महिलाएं सैक्स में सक्रिय नहीं हैं उस के पीछे क्या वजह है तो पता चला कि कई भावनात्मक कारणों से उन की सैक्स और अपने पार्टनर में दिलचस्पी खत्म हो चुकी होती है. पार्टनर में दिलचस्पी घटना या किसी प्रकार की अक्षमता का सीधा असर महिलाओं की यौन सक्रियता पर पड़ता है. ऐसी भी महिलाएं हैं, जिन की सैक्स में दिलचस्पी खत्म होने की और भी वजहें हैं. मगर उन की संख्या कम है.

उम्र से नहीं है कोई संबंध

इस शोध में मध्य आयुवर्ग की सैक्स संबंधी हर दिलचस्पी को शामिल किया गया था, जिस में हस्तमैथुन भी शामिल था. शोध के दौरान महिलाओं का एक बड़ा वर्ग सैक्सुअल ऐक्टिविटीज में उम्र बढ़ने के साथ ज्यादा सक्रिय होता पाया गया. शोध से यह स्पष्ट सामने आया कि किसी भी स्त्री की सैक्स संबंधी सक्रियता का उस की उम्र से कोई सीधा संबंध नहीं है. इस आधार पर मनोवैज्ञानिकों और सैक्स सलाहकारों ने कुछ कारण और सुझाव भी रखे:

– ध्यान दें कि आप का पार्टनर किसी दवा के साइड इफैक्ट की वजह से भी सैक्स में दिलचस्पी खो सकता है. यदि ऐसा है तो डाक्टर से सलाह लें.

– कई महिलाएं मानसिक दबाव के चलते भी सैक्स में रुचि नहीं लेतीं.

– बच्चों में ज्यादा व्यस्त हो जाने और सामाजिक मान्यताओं के चलते महिलाओं को लगता है कि सैक्स में बहुत दिलचस्पी लेना उचित नहीं है.

– कई बार बच्चों के हो जाने के बाद महिलाएं अपने शरीर को ले कर असहज हो जाती हैं और हीनभावना का शिकार हो जाती हैं. इस के चलते भी वे सैक्स से जी चुराने लगती हैं.

– बढ़ती उम्र में घरपरिवार और कामकाज की बढ़ती जिम्मेदारियों के कारण वे थकने लगती हैं और सैक्स के लिए उन में पर्याप्त ऐनर्जी नहीं बचती.

– कई महिलाएं अपने पति के साथ एकांत चाहती हैं और ऐसा न होने पर सैक्स के प्रति उन की रुचि घटने लगती है.

– अगर पतिपत्नी के बीच तनाव रहता है और रिश्ता आपस में सही नहीं है तो इस से भी सैक्स लाइफ पर विपरीत असर पड़ता है.

गाइनोकोलौजिस्ट डाक्टर अंजली वैश के अनुसार कुछ बीमारियां भी होती हैं, जिन की वजह से सैक्स में रुचि कम हो जाती है. ड्रग्स, शराब, धूम्रपान का सेवन करने से भी सैक्स में रुचि कम हो जाती है, डाइबिटीज की बीमारी भी महिलाओं में सैक्स ड्राइव को घटाती है, गर्भावस्था के दौरान और उस के बाद हारमोन चेंज के कारण सैक्स में महिला कम रुचि लेती है, अगर डिप्रैशन की समस्या हो तो हर समय अवसाद में डूबी रहती हैं. वे ऊटपटांग बातें सोचने में ही अपनी सारी ऐनर्जी लगा देती हैं. सैक्स के बारे में सोचने का टाइम ही नहीं मिलता है.

कई महिलाएं बहुत मोटी हो जाती हैं. मोटापे के कारण सैक्स करने में उन्हें काफी दिक्कत होती है. अत: वे सैक्स से बचने लगती हैं.

दवा भी कम जिम्मेदार नहीं

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, कई ऐसी दवाएं हैं जिन से सैक्स लाइफ पर असर पड़ता है. सैक्स के लिए जरूरी हारमोंस शरीर की जरूरत व संदेशों को मस्तिष्क तक पहुंचाने वाले तत्त्व डोपामाइन व सैरोटोनिन और सैक्स अंगों के बीच तालमेल बहुत जरूरी होता है. डोपामाइन सैक्स क्रिया को बढ़ाता है और सैरोटोनिन उसे कम करता है. जब दवाएं इन हारमोंस के स्तर में बदलाव लाती हैं तो कामेच्छा में कमी आती है. पेनकिलर, अस्थमा, अल्सर की दवा, हाई ब्लडप्रैशर और हारमोन संबंधी दवा से कामेच्छा में कमी हो सकती है.

मगर यह जरूरी नहीं कि आप की सैक्स लाइफ में अरुचि सिर्फ दवा की वजह से ही हो. इसलिए अगर आप को अपनी सैक्स लाइफ में बदलाव महसूस हो रहा है, तो दवा बंद करने से पहले चिकित्सक की सलाह जरूर लें.

सैक्स में रुचि कैसे पैदा करें

सैक्स में जरूरी है मसाज: जब आप पार्टनर के नाजुक अंगों पर हाथों से हौलेहौले तेल लगा कर मसाज करेंगे तो यह उस के लिए बिलकुल नया अनुभव होगा. तेल आप के और पार्टनर के बीच जो घर्षण पैदा करता है उस से प्यार में बढ़ोतरी होती है और सैक्स की इच्छा जाग उठती है. मसाज एक ऐसी थेरैपी है, जिस से न सिर्फ शरीर को आराम मिलता है, बल्कि अपनी बोरिंग सैक्स लाइफ को भी फिर से पहले जैसी बना सकती हैं.

ऐक्सपैरिमैंट कर सकते हैं: अगर आप का पार्टनर सैक्सुअल ऐक्सपैरिमैंट नहीं करता है या ऐक्सपैरिमैंट करने से बचता है तो फेंटैसी की दुनिया में आप का स्वागत है. अगर आप सैक्स के बारे में अच्छी फेंटैसी कर सकती हैं तो अपने बैडरूम से बाहर निकले बिना आप अपने पार्टनर के साथ जंगल में मंगल कर सकती हैं. आप अपने पार्टनर के साथ जो चाहती हैं उसे फेंटैसी के जरीए महसूस करिए. आप की अपने पार्टनर से सारी शिकायतें दूर हो जाएंगी, क्योंकि आप का पार्टनर आप को खयालों में जो मिल गया है.

बारबार हनीमून मनाएं: सैक्स संबंधों में बोरियत न हो, इस के लिए पतिपत्नी को चाहिए कि हर साल वे हनीमून पर जाएं और इसे वे आपस में घूमने जाना न कह कर हनीमून पर जाना कहें. इस से उन के बीच ऐक्साइटमैंट बना रहता है. जब हनीमून पर जाएं तो एकदूसरे को वहां पहली बार बिताए लमहे याद दिलाएं. इस तरह घूमने और हनीमून के बारे में बात करने पर सैक्स संबंधों की याददाश्त ताजा हो जाएगी.

सैक्स में नयापन लाएं: कहीं ऐसा तो नहीं कि आप के सैक्स करने का एक ही तरीका हो और उस तरीके से आप की पत्नी बोर हो गई हो? अत: उस से इस विषय पर बात करें और सैक्स करने के परंपरागत तरीके छोड़ कर नएनए तरीके अपनाएं. इस से सैक्स संबंधों में एक नयापन आ जाएगा.

अपने साथी को समय दें: शादी के कुछ सालों बाद कुछ जोड़ों को लगता है कि सहवास में उन की रुचि कम होती जा रही है. सहवास उन्हें एक डेली रूटीन जैसा उबाऊ कार्य लगता है. इसलिए सहवास को डेली रूटीन की तरह न लें, बल्कि उसे पूरी तरह ऐंजौय करें. रोज करने के बजाय हफ्ते में भले ही 1 बार करें लेकिन उसे खुल कर जीएं और अपने पार्टनर को एहसास दिलाएं कि ऐसा करना और उस के साथ होना आप के लिए कितना खास है.

सैक्स ऐसा जिसे दोनों ऐंजौय करें: सिर्फ आप अपने मन की बात ही पार्टनर पर न थोपते रहें, बल्कि सैक्स में उस की इच्छा भी जानें और उस का सम्मान करें. जिन तरीकों में आप दोनों कंफर्टेबल हों और ऐंजौय कर सकें, उन्हें अपनाएं.

नियमित करें सैक्स: यह सच है कि तनाव और थकान का पतिपत्नी के यौन जीवन पर बुरा असर पड़ता है. मगर वहीं यह भी सच है कि सैक्स ही आप के जीवन में पैदा होने वाले दबावों और परेशानियों से जूझने का टौनिक बनता है. इसलिए कोशिश करें कि सप्ताह में कम से कम 3 बार संबंध जरूर बनाएं. इस से सैक्स लाइफ में मधुरता बनी रहेगी.

एकदूसरे के प्रति प्यार को बढ़ावा दें : अधिकतर जोड़ों के शादी के बाद कुछ सालों तक संबंध अच्छे रहते हैं, लेकिन जैसेजैसे समय बीतता जाता है वैसे काम व अन्य कारणों से उन के बीच दूरी बढ़ती जाती है, जिस से उन्हें आपस में प्यार करने का मौका नहीं मिलता. इस से उन के बीच सैक्स संबंधों में खटास आने लगती है. वैवाहिक जीवन में उत्पन्न हुई इस तरह की समस्याओं से बचने के लिए आवश्यक है कि पतिपत्नी आपस में बातचीत करने के लिए कुछ समय निकालें. एकदूसरे से अच्छी बातें करें और एकदूसरे की बातों को सुनें, शिकायतों को दूर करने की कोशिश करें. एकदूसरे का सम्मान करें, इस से सैक्स लाइफ भी काफी बेहतर होगी.

पहल करें: अकसर महिलाएं सैक्स के लिए पहल करने में हिचकिचाती हैं, इसलिए आप द्वारा पहल करने में कोई बुराई नहीं है, बल्कि आप का पहल करना महिला को सुखद एहसास में डुबो देता है. यदि बच्चे छोटे हैं तो सैक्स लाइफ में मुश्किलें तो आती ही हैं और महिलाएं इतनी खुली व रिलैक्स भी नहीं रह पातीं. ऐसे में बच्चों के सोने का इंतजार करने से अच्छा है कि जब मौका मिले प्यार में खो जाएं.

फिटनैस का भी खयाल रखें: अच्छी सैक्स लाइफ के लिए शारीरिक व मानसिक रूप से फिट रहना भी जरूरी है. इस के लिए बैलेंस्ड डाइट लें. थोड़ीबहुत ऐक्सरसाइज करें. भरपूर नींद लें. सिगरेट, शराब का सेवन न करें.

कल्पना करें: अगर आप को सैक्स करते समय किसी और पुरुष की या फिर किसी बौलीवुड ऐक्टर आदि की कल्पना उत्तेजित करती है और सैक्स का आनंद बढ़ाती है तो ऐसा करें. इस के लिए मन में किसी तरह का अपराधबोध न आने दें. ऐसा करना गलत नहीं है क्योंकि सब का सैक्स करने और उस के बारे में सोचने का तरीका अलग होता है.

फ्रैश मूड में आनंद उठाएं: अगर पतिपत्नी दोनों वर्किंग हैं, व्यस्त हैं, रात को देर से आते हैं, तो उन की सैक्स लाइफ न के बराबर होती है और महिला ऐसे में इसे बोझ की तरह लेती है. इसलिए अगर वह थकी हुई है तो जबरदस्ती न करें. सुबह उठ कर फ्रैश मूड में सैक्स का आनंद उठाएं.

गंदी बातें अच्छी हैं: सैक्स के लिए मूड बनाने के लिए कुछ भी किया जा सकता है. आप को लगता है कि कहीं आप की डर्टी टौक्स और डार्क फेंटैसी सुन कर पार्टनर का मूड न बिगड़ जाए, इसलिए आप चाहते हुए भी उन से यह सब शेयर नहीं करते हैं तो जान लें कि ऐसा नहीं है. सच तो यह है कि हर लड़की अपने पार्टनर से ऐसी बातें सुनने के लिए बेकरार रहती है. इसलिए बेझिझक उन से ऐसी बातें करें. जैसे ही आप की बातें शुरू होंगी उन की बेचैनी भी बढ़ती जाएगी.

सैक्स लाइफ का अंत नहीं है बच्चे का आना

अगर आप का मानना है कि बच्चे के आने के बाद सैक्स लाइफ खत्म हो जाती है तो जरा रुकिए. दुनिया भर में हो रही स्टडी के मुताबिक मां बनने के कुछ समय बाद कामेच्छा स्वाभाविक रूप से लौट आती है. आमतौर पर बच्चे के जन्म के 6 हफ्ते बाद डाक्टर महिलाओं को सैक्स संबंध बनाने की इजाजत दे देते हैं. लेकिन इतने समय में भी सब महिलाएं सहज नहीं हो पातीं. कई महिलाओं की सैक्स संबंध इच्छा को लौटने में साल भर तक का समय लग जाता है. शुरू में अंतरंग पलों के लिए समय निकालना मुश्किल होता है. लेकिन धीरेधीरे गाड़ी ट्रैक पर लौटने लगती है, इसलिए बच्चे का होना सैक्स पर पूर्णविराम नहीं है, बल्कि एक नई शुरुआत है.

रिसर्च बताती है कि बच्चों के जन्म के बाद क्लाइमैक्स की तीव्रता बढ़ जाती है. इस का कारण है नर्व एंडिंग का ज्यादा सैंसिटिव होना.

बनाएं पत्नी का मूड ऐसे

– महिलाओं की पीठ काफी सैंसिटिव होती है. थोड़ा सा अंधेरा कीजिए, म्यूजिक प्ले कीजिए और पत्नी की पीठ पर हौलेहौले हाथ फिराते हुए मसाज कीजिए. फिर आगे का जादू खुद ही चल जाएगा.

– पार्टनर के कानों से खेलिए और हौले से कुछ कहिए. एकदम से यह न कहें कि आप का करने का मन है.

– गले में गुदगुदी कीजिए. देखिएगा कुछ ही देर में पत्नी आंहें भर रही होगी.

– फुट मसाज दीजिए. पत्नी के पैरों को सहलाते हुए बताएं कि आप उन से कितना प्यार करते हैं. बस वह एकदम से आप को बांहों में भर लेगी और उस के लिए पत्नी का तुरंत मूड बन जाएगा.

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