सैक्स गेम : नाजुक पलों को ऐसे जीएं

Sex News in Hindi: हर कोई बिस्तर पर अपने साथी के साथ मौजमस्ती करना चाहता है. लेकिन समय के साथसाथ लोगों का जोश ठंडा होने लगता है और मौजमस्ती गायब सी हो जाती है. पर क्यों? इस सवाल की तह में जाएं तो सैक्स के शुरुआती दौर में लोग जो जोशीला अंदाज दिखाते हैं, बाद में उस की हवा निकल जाती है और पार्टनर से दूरियां बनाने को मजबूर कर देती है या सैक्स संबंध (Relation) को उबाऊ बनाती है.  इस सब से कैसे निकलें और अपने रोमांस पार्टनर(Romance Partner) के साथ नए अंदाज में सैक्स के आखिरी पलों में पूरी तरह मौजमस्ती कैसे करें, इस के लिए कुछ खास बातों को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है, जैसे :

करें कुछ जरूरी बदलाव

शुरुआती प्यार का दौर बड़ा नाजुक होता है, जो कुछ समय के बाद कठोर होने लगता है. ऐसा रोजाना एक ही अंदाज से एक ही जगह पर, एक ही स्टाइल के साथ सैक्स करने के चलते होता है. अपने पार्टनर को बदलने का तो कोई सवाल ही पैदा नहीं होता, लेकिन पार्टनर के साथ मजा लेने के लिए सैक्स करने का अंदाज जरूर बदला जा सकता है, जो मस्ती से भरपूर, जोशीला और पार्टनर को मस्त कर देने वाला होना चाहिए.

रखें याद पहली मुलाकात

आप जब भी पहली बार एकदूसरे से मिले होंगे, तो आप की बातें भी कुछ अलग ही हुई होंगी. कोई ऐसी बात, जो आप ने अपने पार्टनर से कही होगी और वह मस्ती से हंस पड़ी होगी या कुछ इसी तरह की बातें, जिस ने आप को अपने पार्टनर के बारे में ज्यादा जानने का मौका दिया होगा. उसे याद कर के आप हार रात को सुहागरात की तरह खूबसूरत मना सकते हैं.

बदलाव को समझें

आप का मूड नहीं है और आप की पार्टनर जोशीले अंदाज में आप पर टूट पड़ती है, तो आप उस वक्त कभी सीधे मना मत कहें. आप के मना करने का तरीका अलग होना चाहिए. आप उसे प्यार से गले लगा कर समझा सकते हैं, ‘‘जानेमन, आज नहीं.’’

अगर फिर भी वह नहीं मानती है, तो उस का मन रखने के लिए जोश के साथ संबंध बना लें, क्योंकि इस तरह के नाजुक पलों में पार्टनर के रूठने से आप के संबंध पर बुरा असर पड़ सकता है.

तारीफ के बांधें पुल

आप जिस के साथ रिलेशनशिप में हैं, उस के लिए आप की हर बात फूलों के समान नाजुक होती है, इसलिए आप अपने पार्टनर की जम कर वाहवाही करें और जो भी बोलें उसे पहले से तैयार रखें, क्योंकि आप के मुंह से अगर मजाक में भी पार्टनर की बुराई निकलती है, तो काफी मुसीबत हो सकती है. इस के उलट जब आप अपने पार्टनर की तारीफ करते हैं, तो उस का उखड़ा हुआ मूड भी ठीक हो जाएगा.

सैक्स गेम को दें बढ़ावा

अगर आप का मन सैक्स करने से ऊबने लगा है और आप कुछ नया चाहते हो, तो उस हालत में आप सैक्स से जुड़े गेम खेल सकते हो, जैसे कि आप शतरंज खेलो और शर्त रखो कि हारने वाला पार्टनर जीतने वाले पार्टनर के कहे मुताबिक चुम्मा देगा. इस तरह के खेल सैक्स के प्रति आप को नया जोश तो देते ही हैं, साथ ही आपसी प्यार भी बढ़ता है.

प्यार के लिए नई चुनें जगह

अपने पार्टनर के साथ रोजाना एक ही बिस्तर पर और एक ही तरह के माहौल में सैक्स संबंध बनाने से थोड़ा उबाऊ माहौल बन जाता है.

आप को हर बार यह कोशिश करनी चाहिए कि साल में कम से कम 2 बार किसी जगह घूमने जाएं और नए माहौल में सैक्स संबंध बनाएं. इस से आप में नया जोश आ जाएगा.

‘स्लीप सेक्स’ बर्बाद न कर दे आपकी जिंदगी

स्लीप सेक्स को मेडिकल भाषा में सेक्सोनोमिया भी कहते हैं जो कि एक सेक्सुअल डिसऑर्डर है. इस बीमारी में इंसान सोते हुए सेक्स करता है. आपको याद होगा कि आपने 2014 में एक स्वीडिश घटना की एक न्यूज पढ़ी या सुनी होगी. जिसमें एक स्वीडिश आदमी को 2014 में रेप के आरोप से बाइज्जत बरी कर दिया गया था. क्योंकि उसके वकील ने कोर्ट में प्रूफ कर दिया था कि वो उस समय नींद में था और उसका दिमाग क्या कर रहा है इसके बारे में उसे कोई जानकारी नहीं थी. उसके वकील ने कोर्ट को बताया था कि वह इंसान सेक्सोनोमिया का शिकार है और उसने नींद में रेप किया है, इसलिए वह निर्दोष है. जिसके बाद इस घटना की चर्चा पूरी दुनिया में होने लगी.

जहां इस केस के बाद सेक्सोनोमिया पर रिसर्च होने लगी वहीं एक्टिविस्ट इस फैसले का विरोध करने लगे. उनका कहना था कि इससे मुजरिमों को रेप के जुर्म से बचने का आसान वैज्ञानिक रास्ता मिल जाएगा जो एक हद तक सच भी है. आज सेक्सोनोमिया के कारण कई लोगों की वैवाहिक जिंदगी तो खराब हो चुकी है. लेकिन फिर भी भारत में इस पर शायद ही चर्चा हो. तो आइए आज इस लेख के जरिए इस पर चर्चा करना शुरू करते हैं और पता करते हैं कि क्या है सेक्सोनोमिया और कैसे एक इंसान करता है स्लीप सेक्स.

स्लीप सेक्स या सेक्सोनोमिया

स्लीप सेक्स एक भयंकर बीमारी है जो मरीजों के साथ मरीजों के आसपास रहने वालों की जिंदगी बर्बाद कर देती है. जैसे की नींद में चलने की बीमारी होती है वैसे ही ये नींद में सेक्स करने की बीमारी है. इसमें इंसान नींद में सेक्स करने लगता है. कई बार स्थिति इतनी खराब हो जाती है कि इंसान रेप तक कर देता है और अगली सुबह जब उठता है तो उसे कुछ याद भी नहीं रहता.

सेक्सोनोमिया के एक ऐसे ही मामले के बारे में मिनेसोटा विश्वविद्यालय में प्रफेसर, एमडी, न्यूरोलॉजिस्ट मिशेल क्रेमर बोर्नेमन बताते हैं जिसमें एक वैवाहिक दंपति के सो जाने के बाद पति नींद में मैस्टर्बेट करने लगता था. शुरू में पत्नी ने इसे नजरअंदाज किया लेकिन जब ये ज्यादा हो गया तो दोनों ने डॉक्टर से बात की. डॉक्टर से मिलने के बाद पता चला कि वो ऐसा सेक्सुअल डिसऑर्डर से ग्रस्त होने के कारण करते हैं, जिसे स्लीप सेक्स या सेक्सोम्निया भी कहते हैं.

इस डिसऑर्डर पर 1996 में टोरंटो विश्वविद्यालय के डॉ. कॉलिन शापिरो और डॉ. निक ने ओटावा विश्वविद्यालय से डॉ. पॉल के साथ मिलकर कनाडा में इस पर एक रिसर्च पेपर तैयार किया. इस रिसर्च पेपर के पब्लिश होने के बाद दुनिया भर में इस पर चर्चा होनी शुरू हो गई. इसका नुकसान ये रहा कि इसके बाद से कई आरोपियों के वकील अपने मुवक्किल को रेप के केस से बचाने के लिए इस डिसऑर्डर का सहारा लेने लगे.

पेरोसोम्निया की स्थिति

स्लीप सेक्स असल में एक पेरोसोम्निया की स्थिति है जिसमें मरीज को ये नहीं पता होता कि वो जगा है या सोया हुआ है. मरीज का दिमाग कन्फ्यूज रहता है. मरीज को देखकर कोई नहीं कह सकता की वो सोया हुआ है. जबकि सच्चाई ये होती है कि मरीज को पता नहीं होता कि वो क्या कर रहा है.

अब भी इस पर दुनिया के शोधकर्ता रिसर्च कर रहे हैं. शोधकर्ता इस बीमारी का कारण पता नहीं कर पा रहे हैं. लेकिन डॉक्टरों का मानना है कि जिन लोगों को नींद में चलने और बोलने की बीमारी है उनमें सेक्सोनोमिया होने की ज्यादा संभावना है.

आखिर क्यों घातक है खुद को बिस्तर पर कमतर समझना?

एक नहीं, बल्कि अनेक बातों से यह साफ है कि सैक्स करने के दौरान शरीर से ज्यादा भावनाएं असरकारी होती हैं, क्योंकि सैक्स भले शरीर के जरीए होता हो, लेकिन उसे तैयार मन ही करता है, भावनाएं करती हैं, इसलिए इस काम में शरीर से ज्यादा मन और भावनाओं की जरूरत होती है.

जब हम किसी बात को ले कर खुद को कमतर आंकने लगते हैं, तो भले मजदूरी कर लें, बो झा उठा लें, गाड़ी चला लें, लेकिन सैक्स नहीं कर सकते, क्योंकि सैक्स में सिर्फ मांसपेशियों की ताकत से काम नहीं चलता, बल्कि इस के लिए मन में एक खास किस्म की भावनात्मक लहर का होना जरूरी है और वह मेकैनिकल नहीं होती. मतलब, कामयाब सैक्स का कोई मेकैनिज्म नहीं है कि हर बार उसे एक ही तरीके से दोहरा दिया जाए.

मन की लहर एक ऐसी आजाद लहर जैसी है, जो भावनाओं के जोर में ही पैदा होती है. यह जोर तकनीकी रूप से पैदा तो नहीं किया जा सकता, पर तकनीकी रूप से इसे कई सामाजिक और दिमागी बाधाएं रोक जरूर देती हैं.

जब हम में डर, अपराध और कमतर होने की सोच पैदा होती है, तो हमारे अंदर खुशी की तरंगें नहीं पैदा होतीं. ऐसे में हम गुस्से की तमाम चीजें तो कर सकते हैं, लेकिन खुशी और प्यार नहीं जता सकते, इसीलिए हम सैक्स भी नहीं कर सकते, क्योंकि सैक्स करना आखिरकार मन को खुशियों और भावनाओं से भरा होना होता है.

नैगेटिव भावनाएं खुशियों को छीन लेती हैं और मन में पैदा होने वाली लहर से हमें वंचित कर देती हैं, इसलिए शरीर में तरंगें नहीं जागती हैं और वह सैक्स के लिए तैयार नहीं होता. नतीजतन, हम डिप्रैशन में, हीन भावनाओं के शिकार होने पर या ऐसे ही दूसरे तनाव के पलों में सैक्स के लिए तैयार नहीं होते हैं.

कुदरत ने इस मामले में अच्छे डीलडौल वाले या बहुत ताकतवर को यह खासीयत नहीं बख्शी है कि वह किसी भी मानसिक और शारीरिक हालात में सेक्स कर सके.

अच्छे से अच्छे पहलवान, बड़े से बड़े एथलीट के दिमाग में भी अगर यह बात बैठ जाए कि वह सही से सैक्स नहीं कर पाएगा, तो फिर चाहे कुछ भी हो जाए, वह ऐसा नहीं कर सकेगा.

सच कहें तो सैक्स भावनाओं की ड्राइव है और इस में जरा सी भी किसी भावना को ठेस लग जाए, जरा सी हिचक आ जाए, शक पैदा हो जाए, तो फिर कुछ नहीं हो सकता.

दरअसल, हीन भावनाएं हमारे दिलोदिमाग में कई तरह से आती हैं. एक वजह तो सामाजिक होती है, जिस में हमें बचपन से ही ठूंसठूंस कर दिमाग में भरा जाता है कि यह छोटा है, यह बड़ा. यह ऊंची जाति का है, यह नीची जाति का है. यह बैस्ट है, यह नहीं है. फिर कर्मकांडों का भी एक बड़ा रोल होता है.

छोटीबड़ी उम्र और सामाजिक रिश्तों की भी एक लक्ष्मण रेखा होती है. कई बार वह सही होती है, कई बार मन का वहम होती है. लेकिन सैक्स के मामले में जो सब से बड़ी हीन भावना होती है, वह ऐसे गलत प्रचारों से आई है, जिन के जरीए कुछ लोग अपनी रोटी सेंकते हैं. मतलब सैक्स की कमजोरी, शारीरिक कद, रंग, हैसियत, ये सब बातें दिमाग में भरी गई ऐसी हीन भावनाएं हैं, जो हमें सैक्स के मामले में कमजोर बनाती हैं.

हीन भावना से छुटकारे के लिए खुद पर यकीन की जरूरत होती है. अपनी हैसियत को पहचानने और अपनी ताकत को सही आंकने से भी कमतर होने की सोच से उबरा जा सकता है.

ऐसे उपाय न करने से कमतर होने के भाव आप की पूरी जिंदगी पर छाए रहेंगे, जो आप की पूरी ताकत को खोखला बनाते रहेंगे.

खुद को कमतर सम झना सैक्स को सब से ज्यादा प्रभावित करता है, क्योंकि इस का शिकार इनसान अपने दिलोदिमाग में एक तनाव लिए रहता है कि वह सही से संबंध नहीं बना पाएगा.

यह चिंता हर समय किसी न किसी रूप में दिमाग में हथौड़ा बजाती रहती है, इसलिए वह मन से पूरी तरह सैक्स नहीं कर पाता, फिर चाहे कितना ही काबिल क्यों न हो.

इस दिमागी कमी को जितनी जल्दी हो खत्म करना चाहिए. अकसर यह बोध भ्रामक सोच से पैदा होता है. ऐसी हालत में मर्द या औरत के मन में यह बात बैठ जाती है कि उस से कामयाब सैक्स नहीं हो पाएगा. इस भ्रामक सोच के चलते  वह हकीकत में सैक्स में कामयाब नहीं हो पाता.

प्रैक्टिकल नजरिए से ऐसी सोच इन बातों से आती है जैसे मर्दाना अंग को छोटा सम झ कर हीन भावना से पीडि़त होना, औरत के बेहतर होने का खयाल करना, उस के अच्छे पद को ले कर हर समय तनाव में रहना, परिवार का अमीर या फिर गरीब होना, अनमेल माली हालात वगैरह.

ये तमाम सोच सैक्स के लिए बेहद नैगेटिव हैं. एक बात सम झ लीजिए कि मर्दाना अंग की लंबाईमोटाई सैक्स पर बिलकुल भी असर नहीं डालती. छोटे अंग वाले मर्द को जान लेना चाहिए कि औरत के अंग की बनावट ऐसी होती है, जिस में हर तरह का मर्दाना अंग पूरा मजा देता है.

मर्द को इस गलत सोच से ध्यान हटा कर सही तकनीक के मुताबिक सैक्स करना चाहिए. अगर मर्द इस सोच को नहीं छोड़ेगा, तो उसे सैक्स में नाकामी ही मिलेगी. वह अपनी साथी को पूरी तरह से संतुष्टि नहीं दे पाएगा. जब औरत संतुष्ट होगी, तब कमतर होने का भाव अपनेआप खत्म हो जाएगा.

गांव की लड़कियो, सैक्स ऐजुकेशन नहीं है शर्म की बात

गांव हो या शहर लड़के और लड़कियों को सैक्स की जानकारी बेहद कम होती है, जो जानकारी होती भी है वह बेहद सतही होती है. इस की वजह यह है कि पढ़नेलिखने की जगह सोशल मीडिया से यह जानकारी मिलती है, जो भ्रामक होती है. सोशल मीडिया के अलावा पोर्न फिल्मों से सैक्स की जानकारी मिलती है, ये दोनों ही पूरी तरह से गलत होती है. कई बार लड़कियों को पता ही नहीं होता है और गर्भवती हो जाती हैं. बात केवल लड़कियों में नासमझी की नहीं लड़कों को भी सैक्स की पूरी जानकारी नहीं होती है.

स्त्रीरोग की जानकार डाक्टर रमा श्रीवास्तव कहती हैं, ‘‘बहुत सारी घटनाएं हम लोगों के सामने आती हैं जिन में लड़की को पता ही नहीं चलता है कि उस के साथ क्या हो गया है. इसीलिए इस बात की जरूरत होती है कि किशोर उम्र में ही लड़की को सैक्स शिक्षा दी जाए. घर में मां और स्कूल में टीचर ही यह काम सरलता से कर सकती है. मां और टीचर को पता होना चाहिए कि बच्चों को सैक्स की क्या और कितनी शिक्षा देनी चाहिए. इस के लिए मां को खुद भी जानकारी रखनी चाहिए.’’

गर्भनिरोध की जानकारी हो

डाक्टर रमा श्रीवास्तव का कहना है कि आजकल जिस तरह की बातें सामने आ रही हैं उन से पता चलता है कि कम उम्र में लड़कियों के साथ होने वाला शारीरिक शोषण उन के रिश्तेदारों या फिर घनिष्ठ दोस्तों के द्वारा किया जाता है. इसलिए जरूरी है कि लड़की को 10 से 12 साल के बीच यह बता दिया जाए कि सैक्स क्या होता है और यह बहलाफुसला कर किस तरह किया जा सकता है. लड़कियों को बताया जाना चाहिए कि वे किसी के साथ एकांत में न जाएं. अगर इस तरह की कोई घटना हो जाती है तो लड़की को यह बता दें कि मां को पूरी बात बता दे ताकि मां उस की मदद कर सके.

शारीरिक संबंधों से यौनरोग हो सकते हैं, जिन का स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. इन बीमारियों में एड्स जैसी जानलेवा बीमारी भी शामिल हैं, जिस का इलाज तक नहीं है.

इसी तरह स्कूल में टीचर को चाहिए कि वह लड़कियों को बताए कि गर्भनिरोधक गोलियां क्या होती हैं? इन का उपयोग क्यों किया जाता है. बहुत सारी लड़कियों के साथ बलात्कार जैसी घटना हो जाती तो वह या तो मां बन जाती है या फिर आत्महत्या कर लेती है. ऐसी लड़कियों को इस बात की जानकारी दी जानी चाहिए कि अब इस तरह की गोली भी आती है जिस के खाने से अनचाहे गर्भ को रोका जा सकता है. मौर्निंग आफ्टर पिल्स नाम से यह दवा की दुकानों पर मिलती है.

अस्पतालों में मिले मुफ्त

डाक्टर रमा श्रीवास्तव की कहना है कि प्राइवेट अस्पतालों में महिला डाक्टरों को एक दिन कुछ घंटे ऐसे रखने चाहिए जिन के दौरान किशोरियों की परेशानियों को हल किया जाए. यहां पर परिवार नियोजन की बात होनी चाहिए. स्कूलों को भी समयसमय पर डाक्टरों को साथ ले कर ऐसी चर्चा करानी चाहिए. ताकि छात्र और टीचर दोनों को सही जानकारी मिल सके.

किशोर उम्र में सब से बड़ी परेशानी लड़कियों में माहवारी को ले कर होती है. आमतौर पर माहवारी आने की उम्र 12 साल से 15 साल के बीच होती है. अगर इस बीच में माहवारी न आए तो डाक्टर से मिल कर पता करना चाहिए कि ऐसा क्यों हो रहा है. माहवारी में देरी का कारण पारिवारिक इतिहास जैसे मां और बहन को अगर माहवारी देर से आई होगी तो उस के साथ भी देरी हो सकती है.

इस के अलावा कुछ बीमारियों के चलते भी ऐसा होता है. इन बीमारियों में गर्भाशय का न होना, उस का छोटा होना, अंडाशय में कमी होना, क्षय रोग और एनीमिया के कारण भी देरी हो सकती है. डाक्टर के पास जा कर ही पता चल सकता है कि सही कारण क्या है.

यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि कभीकभी लड़की उस समय भी गर्भधारण कर लेती है जब उस के माहवारी नहीं होती है. ऐसा तब होता है जब लड़की का शरीर गर्भधारण के योग्य हो जाता है, लेकिन माहवारी किसी कारण से नहीं आती है. यह नहीं सोचना चाहिए कि जब तक माहवारी नहीं होगी गर्भ नहीं ठहर सकता है.

माहवारी में रखें खयाल

माहवारी में दूसरी तरह की परेशानी भी आती है. कभीकभी यह समय से शुरू तो हो जाती है, लेकिन बीच में 1-2 माह का गैप भी हो जाता है. शुरुआत में यह नार्मल होता है लेकिन अगर यह परेशानी बारबार हो तो डाक्टर से मिलना जरूरी हो जाता है. कभीकभी माहवारी का समय तो ठीक होता है, लेकिन यह ज्यादा मात्रा में होती है. अगर ध्यान न दिया जाए तो लड़की का हीमोग्लोबिन कम हो जाता है और उस का विकास कम हो जाता है.

परेशानी की बात यह है कि कुछ लोग अपनी लड़की को डाक्टर के पास ले जाने से घबराती हैं. उन का मानना होता है कि अविवाहित लड़की की जांच कराने से उस के अंग को नुकसान हो सकता है, जिस से पति उस पर शक कर सकता है. ऐसे लोगों को पता होना चाहिए कि अब ऐसा नहीं है. अल्ट्रासाउंड और दूसरे तरीकों से जांच बिना किसी नुकसान के हो सकती है.

सावधान मर्दो : सैक्स में भारी पड़ सकती है ज्यादा तेजी

अजय और रीना की शादी अभी कुछ समय पहले ही हुई थी. रीना सैक्स के लिए तैयार है या नहीं, यह जाने बगैर ही अजय खुद अपनी इच्छा पूरी कर के सो जाता. 2 मिनट के सैक्स में ही वह डिस्चार्ज हो जाता. रीना की इच्छा होने के पहले ही अजय की इच्छा पूरी हो जाती.

नतीजतन, रीना को पूरा मजा मिलना तो दूर की बात रही, उस की इच्छा भी ठीक से पूरी नहीं हो पाती थी. जब उसे पति से पूरी तरह शारीरिक सुख नहीं मिला तो इस का असर उस के दिमाग पर होने लगा. अब उसे अजय से नफरत सी होने लगी. वह सोचने लगी कि जो पति ठीक से जिस्मानी सुख नहीं दे सकता, उस के साथ जिंदगी कैसे काटी जा सकती है.

एक दिन रीना ने यह बात अपनी एक खास सहेली को बताई. उस ने रीना से कहा कि वह अजय से बात करे. अगर सैक्स लंबे समय तक न चल सके तो किसी अच्छे सैक्सोलौजिस्ट से मिल कर इस समस्या को दूर किया जा सकता है.

रीना की समझ में नहीं आ रहा था कि वह किस तरह इस संबंध में अजय से बात करे. फिर भी उस रात अजय उस की ओर बढ़ा तो उस ने बड़े ही प्यार से अपनी तकलीफ कही. रीना की बात अजय की समझ में आ गई.

रीना ने अजय को समझाते हुए कहा, “अभी तो हमारी जिंदगी की शुरुआत है. अगर हम दोनों के शारीरिक संबंध मजबूत रहेंगे तो हमारा भावानात्मक लगाव भी मजबूत होगा.

“अगर मेरी इच्छा नहीं पूरी होगी तो मेरा किसी दूसरे मर्द की ओर खिंचाव हो सकता है. इस से अच्छा है कि हम किसी अच्छे सैक्सोलौजिस्ट की सलाह ले कर एकदूसरे की शारीरिक जरूरत को समझ लें.”

अजय ने रीना की बात मानी और जैसा रीना ने कहा, वैसा ही किया. फिर तो दोनों की जिंदगी नौर्मल हो गई और वे एकदूसरे से खुश रहने लगे.

पतिपत्नी के रिश्ते में सब से खास बात एकदूसरे को शारीरिक सुख देना होता है. पर इसे भी बहुत से जोड़े किसी रूटीन काम की तरह निबटा देते हैं. पति को इस संबंध से कितना सुख मिला है, वह कभी उस से नहीं कहता है. इसी तरह पत्नी भी पति से कभी यह नहीं कहती कि उस की इच्छा पूरी हुई भी है या नहीं.

शारीरिक संबंध बनाने के लिए तैयार होने में लड़कियों या औरतों को हमेशा थोड़ा समय लगता है, जबकि मर्दों को ज्यादा समय नहीं लगता. ज्यादातर पति इच्छा होते ही पत्नी तैयार है या नहीं, इस बात पर ध्यान न दे कर सैक्स के लिए तैयार हो जाते हैं, जबकि तैयार न होने के बावजूद पत्नी को पति का साथ देना पड़ता है.

ऐसे में पति तो अपनी इच्छा पूरी कर लेता है, पर पत्नी की इच्छा अधूरी ही रह जाती है. ज्यादातर पत्नियों के साथ ऐसा ही होता है. पति तेजी से सैक्स के लिए तैयार होता है और 2-3 मिनट में अपना काम पूरा कर के करवट बदल कर सो जाता है, जबकि कोई भी पत्नी इतने कम समय में सैक्स के लिए तैयार नहीं होती और यह भी सच है कि इतने कम समय में उस की कभी इच्छा पूरी नहीं होती.

ऐसे तमाम मर्द हैं, जिन्हें सैक्स के दौरान तैयार होने में देर नहीं लगती. इस तरह के लोग डिस्चार्ज भी जल्दी हो जाते हैं. वे तो अपनी इच्छा पूरी कर लेते हैं, पर पत्नी की इच्छा पूरी नहीं हो पाती है.

ज्यादातर मर्द अपनी इस कमी की चर्चा करने या डाक्टर से मिल कर इस का हल निकालने में बेइज्जती महसूस करते हैं. नतीजतन, पति से खुश न होने वाली पत्नियां ही दूसरे मर्दों से शारीरिक सुख पाने के लिए भटकती हैं.

जो औरतें अपने पति से कुछ कह नहीं पाती हैं, वे धीरेधीरे अपने मन को मारने लगती हैं, जिस का बुरा असर उन की जिंदगी पर पड़ता है, इसलिए मर्दों को पत्नी के खुश न होने की इस समस्या को दूर करना जरूरी है. इस से जिंदगी में आने वाली तमाम तरह की समस्याओं को रोका जा सकता है.

मर्द ही नहीं औरत भी ले सैक्स का मजा

‘‘और्गेज्म क्या होता है? क्या यह सैक्स से जुड़ा है? मैं ने तो कभी इस का अनुभव नहीं किया,’’ मेरी पढ़ीलिखी फ्रैंड ने जब मुझ से यह सवाल किया तो मैं हैरान रह गई.

‘‘क्यों, क्या कभी तुम ने पूरी तरह से सैक्स को एंजौय नहीं किया?’’ मैं ने उस से पूछा तो वह शरमा कर बोली, ‘‘सैक्स मेरे एंजौयमैंट के लिए नहीं है, वह तो मेरे पति के लिए है. सबकुछ इतनी जल्दी हो जाता है कि मेरी संतुष्टि का तो सवाल ही नहीं उठता है, वैसे भी मेरी संतुष्टि को महत्त्व दिया जाना माने भी कहां रखता है.’’

यह एक कड़वा सच है कि आज भी भारतीय समाज में औरत की सैक्स संतुष्टि को गौण माना जाता है. सैक्स को बचपन से ही उस के लिए एक वर्जित विषय मानते हुए उस से इस बारे में बात नहीं की जाती है. उस से यही कहा जाता है कि केवल विवाह के बाद ही इस के बारे में जानना उस के लिए उचित होगा. ऐसा न होने पर भी अगर वह इसे प्लैजर के साथ जोड़ती है तो पति के मन में उस के चरित्र को ले कर अनेक सवाल पैदा होने लगते हैं. यहां तक कि सैक्स के लिए पहल करना भी पति को अजीब लगता है.

इस की वजह वे सामाजिक हालात भी हैं, जो लड़कियों की परवरिश के दौरान यह बताते हैं कि सैक्स उन के लिए नहीं बल्कि मर्दों के एंजौय करने की चीज है.

सैक्स चर्चा है टैबू

भारत में युगलों के बीच यौन अनुभवों के बारे में चर्चा करना अभी भी एक टैबू माना जाता है, जिस की वजह से यह एक बड़ा चिंता का विषय बनता जा रहा है. दांपत्य जीवन में सैक्स संबंध जितने माने रखते हैं, उतनी ही ज्यादा उन की वर्जनाएं भी हैं. एक दुरावछिपाव व शर्म का एहसास आज भी उन से जुड़ा है. यही वजह है कि पतिपत्नी न तो आपस में इसे ले कर मुखर होते हैं और न ही इस से जुड़ी किसी समस्या के होने पर उस के बारे में सैक्स थेरैपिस्ट से डिस्कस ही करते हैं. पुरुष अपनी कमियों को छिपाते हैं. भारत में लगभग 72% स्त्रीपुरुष यौन असंतुष्टि के कारण अपने वैवाहिक जीवन से खुश नहीं हैं.

मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि जब भी महिलाएं अपनी किसी समस्या को ले कर उन के पास आती हैं और वजह जानने के लिए उन के सैक्स संबंधों के बारे में पूछा जाता है तो 5 में से 1 महिला इस बारे में बात करने से इनकार कर देती है. यहां तक कि अगली बार बुलाने पर भी नहीं आती. कानूनविद मानते हैं कि 20 फीसदी डाइवोर्स सैक्सुअल लाइफ में संतुष्टि न होने की वजह से होते हैं. पुरुष अपने साथी को यौनवर्धक गोलियां लेने के बावजूद संतुष्ट न कर पाने के कारण तनाव में रहते हैं.

पुरुष अपने सैक्सुअल डिस्फंक्शन को ले कर चुप्पी साध लेते हैं और औरतें अपनी शारीरिक इच्छा को प्रकट न कर पाने के कारण कुढ़ती रहती हैं. वैवाहिक रिश्तों में इस की वजह से ऐसी दरार चुपकेचुपके आने लगती है, जो एकदम तो नजर नहीं आती, लेकिन बरसों बाद उस का असर जरूर दिखाई देने लगता है.

सैक्स से जुड़ी है सेहत

एशिया पैसेफिक सैक्सुअल हैल्थ ऐंड ओवरआल वैलनैस द्वारा एशिया पैसेफिक क्षेत्र में 12 देशों में की गई एक रिसर्च के अनुसार एशिया पैसेफिक क्षेत्र में 57 फीसदी पुरुष व 64 फीसदी महिलाएं अपने यौन जीवन से संतुष्ट नहीं हैं. इस में आस्ट्रेलिया, चीन, हांगकांग, भारत, इंडोनेशिया, जापान, मलयेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, ताइवान आदि देशों को शामिल किया गया था.

यह रिसर्च 25 से ले कर 74 वर्ष के यौन सक्रिय स्त्रीपुरुषों पर की गई थी. सब से प्रमुख बात, जो इस रिसर्च में सामने आई, वह यह थी कि पुरुषों में इरैक्टाइल हार्डनैस में कमी होने के कारण पतिपत्नी दोनों ही सैक्स संबंधों को ले कर खुश नहीं रहते हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि इरैक्टाइल हार्डनैस का संबंध सैक्स के साथसाथ प्यार, रोमांस, पारिवारिक जीवन व जीवनसाथी की भूमिका निभाने के साथ जुड़ा है. जीवन के प्रति देखने का उन का नजरिया भी काफी हद तक सैक्स संतुष्टि के साथ जुड़ा हुआ है.

सिडनी सैंटर फौर सैक्सुअल ऐंड रिलेशनशिप थेरैपी, सिडनी, आस्ट्रेलिया की यौन स्वास्थ्य चिकित्सक डा. रोजी किंग के अनुसार, ‘‘एशिया पैसेफिक के इस सर्वे से ये तथ्य सामने आए हैं कि यौन जीवन संतुष्टिदायक होने पर ही व्यक्ति पूर्णरूप से स्वस्थ रह सकता है. आज की व्यस्त जीवनशैली में जबकि यौन संबंध कैरियर की तुलना में प्राथमिकता पर नहीं रहे, पुरुष व महिलाओं दोनों में ही यौन असंतुष्टि उच्च स्तर पर है. इस की मूल वजह अपनी सैक्स संबंधित समस्याओं के बारे में न तो आपस में और न ही डाक्टरों से बात करना है. चूंकि सैक्स संबंधों का प्रभाव जीवन के अन्य पहलुओं पर भी पड़ता है, इसलिए सैक्स के मुद्दे पर बोलने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.’’

जीवन के इस महत्त्वपूर्ण पक्ष को नजरअंदाज कर के युगल जहां एक तरफ तनाव का शिकार होते हैं, वहीं संतुष्टिदायक सैक्स संबंध न होने के कारण उन के जीवन के अन्य पहलू भी प्रभावित होते हैं. स्वास्थ्य के साथसाथ उन की सोच व जीवनशैली पर भी इस का गहरा असर पड़ता है. यौन संतुष्टि संपूर्ण सेहत के साथसाथ प्रेम व रोमांस से भी जुड़ी है.

कम होती एवरेज

कामसूत्र की भूमि भारत में, जहां की मूर्तियों तक पर सदियों पहले यौन क्रीडा से जुड़ी विभिन्न भंगिमाओें को उकेरा गया था, अभी भी अपने यौन अनुभव के बारे में बात करना एक संकोच का विषय है. भारतीय पुरुष के जीवन में सैक्स जीवन की प्राथमिकताओं में 17वें नंबर पर आता है और औरतों के 14वें नंबर पर.

आज अगर हम शहरी युगलों पर नजर डालें तो पाएंगे कि वे दिन में 14 घंटे काम करते हैं, 2 घंटे आनेजाने में गुजार देते हैं और सप्ताहांत यह सोचते हुए बीत जाता है कि सफलता की सीढ़ियां कैसे चढ़ें. इन सब के बीच सैक्स संबंध बनाना एक आवश्यकता न रह कर कभीकभी याद आ जाने वाली क्रिया मात्र बन कर रह जाता है.

लीलावती अस्पताल, मुंबई के ऐंड्रोलोजिस्ट डा. रूपिन शाह का इस संदर्भ में कहना है, ‘‘प्रत्येक 2 में से 1 भारतीय शहरी पुरुष में पर्याप्त इरैक्टाइल हार्डनैस नहीं होती, फिर भी 40 से कम उम्र के पुरुष अपनी कमजोरी मानने को तैयार नहीं हैं. 40 से कम उम्र की औरतों की सैक्स की मांग अत्यधिक होने के कारण वे एक तरफ जहां अपनी सैक्स संतुष्टि को ले कर सजग रहती हैं, वहीं वे पार्टनर के सुख न दे पाने के कारण परेशान रहती हैं. नीमहकीमों के पास जाने के बजाय डाक्टर व काउंसलर की मदद से यौन संबंधों में व्याप्त तनाव को दूर किया जा सकता है.’’

ड्यूरैक्स सैक्सुअल वैलबीइंग ग्लोबल सर्वे के अनुसार भारतीय पुरुष व महिलाएं अपने सैक्स जीवन से संतुष्ट नहीं हैं. और्गेज्म तक पहुंचना प्रमुख लक्ष्य होता है और केवल 46 फीसदी भारतीय मानते हैं कि उन्हें वास्तव में और्गेज्म प्राप्त हुआ है, जबकि ऐसी महिलाएं भी हैं, जो यह भी नहीं जानतीं कि और्गेज्म होता क्या है, क्योंकि एक महिला को इस तक पहुंचने में पुरुष से 10 गुना ज्यादा समय लगता है. पुरुष 3 मिनट में संतुष्ट हो जाता है, ऐसे में वह औरत को और्गेज्म प्राप्त होने का इंतजार कैसे कर सकता है. वैसे भी आज भी भारतीय पुरुष के लिए केवल अपनी संतुष्टि माने रखती है.

संवाद व सम्मान आवश्यक

असंतुष्टि की वजह कहीं न कहीं पतिपत्नी के बीच मानसिक जुड़ाव का न होना भी है. आपस में निकटता को न महसूस करना, सम्मान न करना भी उन की संतुष्टि की राह में बाधक बनता है. सैक्स के बारे में खुल कर बात न करना या किस तरह से उस का भरपूर आनंद उठाया जा सकता है, इस पर युगल का चर्चा न करना या असहमत होना भी यौन क्रिया को मात्र मशीनी बना देता है. अपने साथी से अपनी इच्छाओं को शेयर कर सैक्स जीवन को सुखद बनाया जा सकता है, क्योंकि यह न तो कोई काम है और न ही कोई मशीनी व्यवस्था, बल्कि यह वैवाहिक जीवन को कायम रखने वाली ऐसी मजबूत नींव है, जो प्लैजर के साथसाथ एकदूसरे को प्यार करने की भावना से भी भर देती है.

जब बेड पर अग्रैसिव हो पति

जब से देश में फिल्मों के साथसाथ वैब सीरीज बनने का सिलसिला शुरू हुआ है, तब से उन में गालीगलौज, गोलीबारी और गरमागरम सीन दिखाने का मानो लाइसैंस मिल गया है. ऐसी ही एक वैब सीरीज आई थी ‘मिर्जापुर सीजन 1’, जिस में मुन्ना त्रिपाठी नाम का किरदार अपने घर की नौकरानी को भी नहीं छोड़ता है.

नशे में वह बिस्तर पर दरिंदा बन जाता है और नौकरानी लड़की घर की भाभी के सामने हाथ जोड़ कर कहती है कि वह मुन्ना का बिस्तर गरम नहीं करेगी, क्योंकि वह उसे पूरी तरह निचोड़ देता है और जिस्म का बुरा हाल कर देता है.

किसी लड़की को कोई मर्द पूरी तरह से संतुष्ट कर दे, यह सब सुनने में बहुत अच्छा लगता है और पहली बार में यही जताता है कि जब कोई लड़की या औरत बिस्तर पर संतुष्ट हो जाती है, तो अपने पार्टनर का साथ पूरी जिंदगी निभाती है.

पर, जब यही मर्द पार्टनर शैतान बन कर उस के जिस्म पर हावी हो जाता है, उसे नोंच डालता है, तो वह ‘मिर्जापुर’ वाली नौकरानी लड़की की तरह हाथ जोड़ जाती है.

sex

यह तो फिल्मी सीन है या समस्या है, पर अगर असली जिंदगी में कोई औरत या लड़की किसी के सामने ऐसी ही गुहार लगाए तो क्या होगा? दिल्ली प्रैस की लोकप्रिय पत्रिका ‘सरस सलिल’ के एक कौलम ‘सच्च्ची सलाह’ में बहुत सी पाठिकाएं ऐसे ही सवाल करती हैं. जैसे एक औरत का सवाल आया था कि ‘मैं 36 साल की शादीशुदा औरत हूं. मेरे 2 बच्चे हैं. मेरे पति सैक्स के दौरान काफी जोश में आ जाते हैं. वे मेरे शरीर को खेल का मैदान बना देते हैं और हवस के जोश में मेरे बदन पर यहांवहां काटते हैं और नाखून से नोंचते हैं.

‘इस से मु झे काफी दर्द होता है. कभीकभी तो मेरी नाभि भी हिल जाती है. जब भी मैं उन से अपने दिल का हाल बताती हूं, तो उन का एक ही जवाब होता है कि हमबिस्तरी के दौरान वे खुद पर काबू नहीं रख पाते हैं. मैं क्या करूं?’

ऐसे सवाल का अमूमन जवाब दिया जाता है कि ‘बहुत से जोड़े इस तरह की अग्रैसिव हमबिस्तरी का मजा लेते हैं, पर इस में उन दोनों की रजामंदी होना जरूरी है, पर चूंकि यह आप की इच्छा के मुताबिक नहीं हो रहा है और आप के लिए मजे से ज्यादा सजा बन गया है, तो पति को प्यार से सम झाएं. अगर वह नहीं मानता है, और आप को ज्यादा सताता है तो किसी माहिर काउंसलर से सलाह लें.’

ऐसा क्यों होता है कि दिनभर शांत सा दिखने वाला पति बिस्तर पर इतना ज्यादा उतावला हो जाता है कि पत्नी ‘हायहाय’ करती रह जाती है? यह ‘हायहाय’ तब और ज्यादा भयावह हो जाती है, जब कोई पत्नी रात में अपने ही बैडरूम में घुसने से पहले कतराती है. उसे पति द्वारा खरीदा हुआ एक ‘सैक्स गुलाम’ सम झ लिया जाता है. सैक्स के नाम पर वह उसे थप्पड़ मारता है, दांतों से काटता है, छाती पर जख्म दे देता है और नाजुक अंग को भी नहीं छोड़ता है.

सैक्स में पति का अग्रैसिव होना किसी हद तक दुखदायी नहीं होता है, क्योंकि एक रिसर्च के मुताबिक, 70 फीसदी लोग इस हद तक रफ सैक्स या ‘बिस्तर पर बदमाशी’ को ऐंजौय करते हैं कि वे अपने पार्टनर खासकर महिला पार्टनर को बांधने से ले कर कई ऐसी चीजों का इस्तेमाल करते हैं, जिस से दोनों पार्टनर को भरपूर मजा मिलता है.

लेकिन, जब इस में महिला पार्टनर की रजामंदी न हो तो यह सैक्स नहीं, बल्कि सामने वाले को चोट पहुंचाना माना जाता है. लिहाजा, आप को इस बात का ध्यान रखना होगा कि आप जबरदस्ती कुछ न करें. जो चीजें करना आप के पार्टनर को पसंद न हों, तो उस पर किसी तरह का दबाव न बनाएं. इस के लिए पार्टनर के साथ बात करना बेहद जरूरी है.

अल्फा वन एंड्रोलौजी के डायरैक्टर और फैलो औफ यूरोपियन कौंसिल औफ सैक्सुअल मैडिसिन के डाक्टर अनूप धीर का मानना है, ‘शादी के बाद सैक्स को ले कर मची कलह तब ज्यादा जोर पकड़ती है, जब कोई पति अपनी पत्नी के सामने बिस्तर पर ऐसी डिमांड रखता है, जो प्यार करना तो बिलकुल नहीं होती है. पत्नी ऐसी डिमांड को सिरे से खारिज कर देती है.

‘सही कहें तो पति की ऐसी मांग बिलकुल नाजायज होती है, जबकि उन के दिमाग में यह घुस चुका होता है कि सैक्स करने का यही तरीका उन्हें संतुष्ट कर सकता है या मजा दे सकता है और वे बिस्तर पर आक्रामक हो जाते हैं.

‘जब पत्नी अपने पति की ऐसी बेहूदा मांग को पूरा करने से मना कर देती है, तो वे किसी भी जायज और नाजायज तरीके से अपनी बात मनवाने की कोशिश करते हैं, जिस में जिस्मानी चोट पहुंचाने के साथसाथ जोरजबरदस्ती करना भी शामिल रहता है.

‘इस से शादी पर बहुत बुरा असर पड़ता है. कभीकभी तो बात तलाक लेने तक पहुंच जाती है. लिहाजा, पति की ऐसी दरिंदगी पर पत्नी को किसी काउंसलर का सहारा लेना चाहिए और अगर बात न बने तो फिर पुलिस या महिला आयोग की शरण में जाना चाहिए.’

बहुत से पति अपनी पत्नी को बैडरूम में ‘स्वीटहार्ट’ कह कर पुकारते हैं. जब वही ‘स्वीटहार्ट’ बिस्तर पर पति से संबंध बनाते हुए ‘स्वीट सैक्स’ चाहती हैं, तो पति को उन की भावनाओं का खयाल रखना चाहिए और अपने प्यार के पलों को हवस के जोश में रौंदने से बचना चाहिए.

इस उम्र में बढ़ती जाती है सेक्स की इच्छा

60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग यौन संबंध बनाने को लेकर ज्यादा इच्छुक रहते हैं. हालिया शोध में यह बात सामने आई है. अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ. क्रिस्टीन मिलरोड द्वारा किए गए शोध के मुताबिक, 60 की उम्र लांघने के बाद बुजुर्ग यौन संबंध बनाते वक्त अनिवार्य सुरक्षा लेना भी जरूरी नहीं समझते.

पैसे देकर यौन संबंध बनाने वाले 60 से 84 वर्ष के बुजुर्गो में यह देखने को मिला है कि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, उनकी यौन संबंध बनाने की इच्छा भी बढ़ती जाती है. वे बार-बार यौन संबंध बनाने के लिए पैसे खर्च करते हैं. वे ज्यादा से ज्यादा बार अपने पेड-पार्टनर के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाने के इच्छुक रहते हैं.

मिलरोड के मुताबिक, लोगों के बीच यह आम धारणा है कि बुजुर्गो में यौन संबंध बनाने के प्रति रुचि कम हो जाती है और वे रुपये खर्च कर संबंध बनाने के लिए साथी की तलाश नहीं करते हैं. परन्तु यह सही नहीं है. युवाओं के मुकाबले बुजुर्ग अपने पेड पार्टनर के साथ संबंध बनाते वक्त कम से कम एहतियात बरतने का प्रयास करते हैं.

डॉक्टर क्रिस्टीन मिलरोड व पोर्टलैंड विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र के प्रोफेसर मार्टिन मोंटो ने 60 से 84 वर्ष की उम्र के बीच के उन 208 बुजुर्गो पर यह सर्वेक्षण किया, जो पैसे देकर यौन सबंध बनाते हैं. अध्ययन के दौरान पाया गया कि 59.2 प्रतिशत बुजुर्ग ऐसे हैं, जो हमेशा सबंध बनाते वक्त कंडोम का इस्तेमाल करना जरूरी नहीं समझते. करीब 95 प्रतिशत बुजुर्ग हस्तमैथुन करते वक्त सुरक्षा नहीं बरतते. जबकि 91 प्रतिशत मुखमैथुन के दौरान सुरक्षा लेना जरूरी नहीं समझते.

31.1 प्रतिशत बुजुर्गों ने बताया कि जीवन काल के दौरान वे यौन संक्रमण का शिकार हुए, जबकि 29.2 प्रतिशत लोगों ने बताया कि वे अपनी पसंदीदा पेड पार्टनर के साथ बार-बार संबंध बनाते हैं.

मिलरोड और मोंटो ने यह सलाह दी कि स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोग बुजुर्गो में संक्रमण संबंधित बीमारी का इलाज करते वक्त उनके पार्टनर के बारे में जरूर पूछें और उनसे सुरक्षित यौन संबंध बनाने के तरीकों के बारे में बताएं. चिकित्सकीय एवं मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों को यह कभी भी मान कर नहीं चलना चाहिए कि व्यक्ति बुजुर्ग है, तो वह पेड-संबंध नहीं बनाएगा.

खुशहाल सेक्स लाइफ यानी खुशियों का खजाना

सफल सेक्स जीवन सचमुच खुशियों का खजाना है. यह बात सिर्फ मनोविद ही नहीं कहते बल्कि शरीर विज्ञानी भी इस सच्चाई की तस्दीक करते हैं. सेक्स हमारे लिए फायदेमंद क्यों हैै यह जानना किसी रहस्य को उद्घाटित करना नहीं है बल्कि सहज और खुशियों से भरी जिंदगी को जीना है.

सेक्स एक अद्भुत अनुभूति है, जो न सिर्फ हमें मानसिक रूप से मजबूत बनाती है, बल्कि कई रोगों से भी हमारा बचाव करती है. यदि लोग इस तथ्य को समझ जाएं तो समाज की बहुत-सी समस्याएं हल हो सकती हैं साथ ही लोगों में एक सकारात्मक ऊर्जा संचरित हो उसका इस्तेमाल रचनात्मक कार्यों में किया जा सकता है.

सेक्स पति-पत्नी के रिश्ते की प्रगाढ़ता का आईना है. यदि सेक्स-जीवन अच्छा है तो जाहिर है पूरा दांपत्य-जीवन भी सुखी होगा और जब दांपत्य-जीवन सुखमय होगा तो उसका सकारात्मक प्रभाव जीवन के हर क्षेत्र पर पड़ेगा. क्योंकि सेक्स एक बहुत बड़ा -स्ट्रेस रिलीवर’ है. शरीर में तनाव पैदा करने वाले जो हार्मोंस होते हैं, सेक्स के जरिए उनका स्तर काफी हद तक कम हो जाता है और व्यक्ति तनावमुक्त हो जाता है. इसके अलावा तनाव से होनेवाली बीमारियों से भी वह बचा रहता है. जैसे सोरायसिस, अस्थमा, उच्च रक्तचाप आदि.

सेक्स एक बेहतरीन व्यायाम भी है. खासतौर से हृदय के लिए यह एक अच्छा व्यायाम साबित होता है. शोधों से यह साबित हो चुका है कि जिन लोगों के सेक्स-संबंध अच्छे व सामान्य होते हैं, उनमें हार्ट-अटैक की संभावना बहुत कम हो जाती है क्योंकि सेक्स की क्रिया कार्डियो पल्मोनरी एक्सरसाइज के समान ही होती है जिससे रक्त संचारण अच्छा होता है तथा धमनियों में कोलेस्ट्राॅल भी नहीं जमता. सेक्स को जितना शारीरिक फायदा है उतना ही मानिसक फायदा भी है.

सेक्स साथी की नज़दीकी से अकेलेपन की भावना दूर होती है और मन प्रफुल्लित रहता है. सेक्स के दौरान या उससे पहले जो ‘फोर प्ले’ होता है, वह रक्तसंचार में वृद्धि कर वही लाभ देता है जो मालिश से मिलता है. अधिकतर पुरुष बिना फोर प्ले के ही अपनी पत्नी से संबंध बना लेते हैं जिससे उनकी पत्नियों को काफी तकलीफ होती है, क्योंकि पुरुष सेक्स के लिए जल्दी तैयार हो जाते हैं, जबकि स्त्रियां प्यार भरी बातें व स्पर्श को महसूस करकें इस क्रिया के लिए तैयार होती हैं. पर पुरुष इसे समझे बिना यही सोचते हैं कि वे जैसा महसूस करते हैं, उनकी पत्नियां भी वही उत्तेजना महसूस करती होंगी.

इन सबके अलावा जिन लोगों का सेक्स जीवन अच्छा होता है, वे स्वभाव से शांत व खुशमिज़ाज रहते हैं, क्योंकि सेक्स जीवन का असर जीवन के हर क्षेत्र पर पड़ता है. जिसका सेक्स जीवन अच्छा नहीं होता, वे आगे चलकर चिड़चिड़े हो जाते हैं.

फायदों की फेहरिस्त

– अच्छे सेक्स के बाद अच्छी नींद आती है और अच्छी नींद के अपने अनंत फायदे होते हैं.

– उच्च रक्तचाप वालों के लिए भी अच्छा व नियमित सेक्स बहुत फायदेमंद होता है.

– स्वस्थ व सामान्य सेक्स संबंध व्यक्ति के स्वाभिमान तथा आत्मविश्वास को बढ़ाता है. यह आत्मविश्वास जीवन के अन्य क्षेत्रों में बहुत लाभ पहुंचाता है.

– सेक्स ‘माइग्रेन’ की एक बहुत ही अच्छी दवा है. अक्सर शादी से पहले लड़कियां माइग्रेन से पीड़ित होती हैं, इसकी प्रमुख वजह होती है काम-वासना का दमन. इसके अलावा काम-भावना के दमन से और भी कई शारीरिक व मानसिक समस्याएं पैदा हो जाती हैं. जैसे हिस्टीरिया, स्प्लिट पर्सनैलिटी. यदि शादी के बाद सेक्स जीवन अच्छा हो तो इन समस्याओें से दूर-दूर तक वास्ता नहीं पड़ता.

– लड़कियों को मासिक के दौरान पेडू में जो दर्द होता है, वह शादी के बाद सेक्स से दूर हो सकता है, क्योंकि पुरुषों के वीर्य में  ‘प्रोस्टा ग्लैंडिन’ होता है जो एक दर्दनिवारक हार्मोन होता है.

– जो लोग नियमित रूप से सप्ताह में दो बार सेक्स करते हैं, उनके शरीर में इक्यूलोब्यूलिन की मात्रा अधिक पाई जाती है, जो सर्दी से शरीर की सुरक्षा करता है.

– अच्छे सेक्स से फर्टिलिटी भी बढ़ जाती है. यदि आप बच्चा चाहते हैं, तो सेक्स के दौरान पोजीशन बदलते रहें. सेक्स जितना अधिक आनंददायक होता है, पुरुष के शुक्राणु उतने ही फर्टाइल होते हैं.

– सेक्स एक बेहतरीन पेनकिलर होता है. शरीर के किसी भी अंग में दर्द हो और उसी समय आप अच्छे सेक्स का आनंद उठा लें, तो आपका दर्द गायब हो जाएगा.

उदासी, सेक्स का मजा भी किरकिरा कर देती है

वसीम बरेलवी का एक शेर है-हमारे घर का पता पूछने से क्या हासिल / उदासियों की कोई शहरियत नहीं होती. मतलब यह कि उदास होंगे तो कुछ भी अच्छा नहीं लगेगा. उदासी एक ऐसी नकारात्मकता है जो हर चीज को अपने रंग में रंग लेती है . यहां तक कि सेक्स जैसी सनसनाती चाहत भी उदासी के मनोभाव में न सिर्फ फीकी बल्कि जोशहीन हो जाती है. क्योंकि उदासी होती ही इतनी नकारात्मक भावना है . इसलिए उदास हों तो सेक्स करने से बचें क्योंकि उदासी सेक्स का मजा तो किरकिरा कर ही देगी,भविष्य के लिए भी इसके प्रति अरुचि की गांठ बना सकती है.

लेकिन कई बार दांपत्य जीवन में विशेषकर महिलाओं का व्यवहार उदासीनता बढ़ाने वाला होता है. कई स्त्रियां यौनक्रिया आरंभ होने से पूर्व या इसके दौरान भी प्यार का माहौल बनाने  की जगह शिकवे-शिकायतें शुरू कर देती हैं या दूसरी निरर्थक घरेलू बातें ले बैठती हैं.स्त्री का ऐसा व्यवहार पुरुष में सहवास के प्रति उदासीनता भर देती है. उसकी यौनेच्छा कमजोर हो जाती है. पुरुष की भावनाएं पूरी तरह ऊफान पर नहीं आ पातीं. जिस वेग से उसे सहवास करना चाहिए, वह कर नहीं पाता है. ऐसा भी प्रायः देखा गया है कि शिश्न में उत्थान तक नहीं आता या कमजोर होता है. ऐसी स्थितियां बार-बार आने पर पुरुष को सहवास से उदासीनता होने लगती है. संसर्ग से उसका मन उचाट हो जाता है. ऐसी बात नहीं कि स्त्री को ऐसी अवस्था नहीं भुगतनी पड़ती. उपर्युक्त हालात बनने से उसे भी पुरुष से शारीरिक संबंध बनाने में खुशी की बजाय परेशानी होने लगती है. सहवास में उसे भी रुचि नहीं रह जाती. यही अरुचि उसे उदासीनता की अवस्था में ला पटकती है.

स्त्री चाहती है कि उसके शरीर रूपी पुस्तक में, जिसमें अनेकानेक अध्याय हैं, उनके महज पन्ने पलटकर न छोड़ दिये जाएं. वह रोज बदले हुए पुरुष (कहने का मतलब हर बार नये तरीके से) के साथ संबंध बनाने की कामनाओं को अपने मन में समेटे होती है. पुरुष के कई रूपों को देखने की उसे इच्छा होती है. यह तभी संभव हो सकता है, जब उसका पति या प्रेमी हर बार नये तरीके से सहवास करे. अगर आप छोटी-छोटी बातों पर उदास हो जाते हैं तो यह जीवन के प्रति नैराश्य की भावना है और आपके सेक्स व्यवहार के लिए बेहद हानिकारक. उदासी और उत्तेजना एक-दूसरे के जन्मजात शत्रु हैं. उदास रहने वाला व्यक्ति कभी भी बिस्तर पर बहुत सफल नहीं हो पाता . अतः उदासी ओढ़े रखना कतई अच्छा नहीं है.

तनावों को शयनकक्ष से दूर रखें

चूँकि आज तनाव के कारण हैं मसलन- आर्थिक विषमताएं बढ़ गई हैं. हर कोई अपने में फोकस है. जीवन में जबरदस्त प्रतिस्पर्धा है. सवाल है क्या इस तनावों के बीच उदासी से बचा जा सकता है ? क्या इस सबके बीच लरजता हुआ सेक्स करना संभव है. जवाब है नहीं . सेक्स की तो छोड़िये लगातार तनाव में रहने के चलते कई तरह की बीमारियों से भी ग्रस्त हो सकते हैं. मसलन ब्लड प्रेशर का बढ़ना, हृदय रोग, पागलपन तथा कई मानसिक बीमारियां भी निरंतर तनाव में रहने के चलते हो जाती हैं. ऐसे में यह तनाव सहवास के लिए बिल्कुल प्रतिकूल है. यहां तक कि तनाव से ग्रस्त व्यक्ति हस्तमैथुन करके भी पूरी तरह से चैन नहीं पता.

इसीलिए विशेषज्ञ कहते हैं कि तनाव में हों तो सेक्स कभी न करें. क्योंकि तनाव के कारण सहवास को सफलतापूर्वक संपन्न करना संभव नहीं है. ऐसी अवस्था में यौन क्रिया करने से कई गलतफहमियां हो जाएंगी, जो बाद में मानसिक यौन रोग में परिवर्तित हो सकती हैं. इस तथ्य को जान लेना अति आवश्यक है कि अगर मस्तिष्क तनावों से भरा रहेगा तो सेक्स की भावनाएं ही नहीं आयेंगी. इसका मतलब है कि व्यक्ति सेक्स के लिए भावनात्मक रूप से तैयार ही नहीं होगा. ऐसा व्यक्ति पूरी क्षमता से सहवास को सम्पन्न नहीं कर सकता. अगर सहवास क्रिया से शारीरिक और मानसिक संतुष्टि नहीं होती तो इसके अनेक दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं. शरीर में थकान का बना रहना भी इसका एक दुष्परिणाम है. इससे स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ सकता है. काम में दिल का न लगना मानसिक तनाव का ही कारण है.

तनावमुक्त सहवास को ही एक किस्म की संभोग समाधि कहते हैं. समाधि का अर्थ होता है-सांसारिक तनावों से मुक्त होकर क्रिया करना. यौन की क्रिया को भी तनावों से मुक्त रहकर करना सुखद माना गया है. तनावमुक्त सहवास से व्यक्ति स्वच्छ तथा ताजा हो जाता है. नींद अच्छी से आती है. मस्तिष्क पूर्ण रूप से क्रियाशील बना रहता है. जिस तरह मंदिर के भीतर प्रवेश करने से पूर्व जूते उतारकर पांव साफ किए जाते हैं और फिर भीतर जाया जाता है, ठीक इसी प्रकार रात को शयनकक्ष में पत्नी के पास जाने से पूर्व मानसिक तनावों की गर्द को हटा देना चाहिए. निश्चय ही इससे मनवांछित सुख की प्राप्ति होगी. ऐसा न करने की स्थिति में निश्चित रूप से सहवास में पुरुष को ही विफलता नहीं मिलेगी बल्कि स्त्री को भी संतुष्टि प्राप्त नहीं हो पायेगी.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें