मेरी शादी को 3 साल हो गए हैं पर अभी तक मैं प्रेग्नेंसी कंसीव नहीं कर पाई हूं, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 26 वर्षीय विवाहिता हूं. शादी को 3 साल हो गए हैं पर अभी तक कंसीव नहीं कर पाई हूं. इस के लिए अब मैं सेक्स के दौरान नीचे तकिया भी रखती हूं और पति से कहती हूं कि स्खलित होने के बाद वे देर तक उसी अवस्था में रहें. फिर भी कंसीव नहीं कर पा रही जबकि मेरे पीरियड्स रैग्युलर हैं और हम नियमित रूप से सेक्स भी करते हैं. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब

सेक्स के दौरान इजैक्युलेशन के समय पुरुष के अंग से काफी तीव्र वेग से स्पर्म निकलते हैं और गहराई तक पहुंचते हैं. जो स्पर्म स्ट्रौंग नहीं होते वे वैजाइना से बाहर भी निकल जाते हैं, मगर इस से गर्भधारण प्रक्रिया में कोई फर्क नहीं पड़ता. यह एक आम प्रक्रिया है और इस से घबराने की भी जरूरत नहीं है.

अगर पति का स्पर्म काउंट सही है, आप का पीरियड्स रैग्युलर है तो संभव है कि आप के कंसीव न कर पाने के पीछे कोई और मैडिकल वजह हो. यह वजह आप में या फिर आप के पति दोनों में से किसी में भी हो सकती है.

अच्छा यही होगा कि आप किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञा से सलाह लें और फर्टिलिटी के बारे में बात करें. तभी आप जल्दी कंसीव कर पाएंगी.

मां बनने में न हो देरी इसलिए कराएं समय पर इलाज –

शादी के बाद मां बनने की ख्वाहिश हर महिला की होती है. लेकिन कैरियर के चक्कर में एक तो देरी से शादी करने का फैसला और उस के बाद भी मां बनने का फैसला लेने में देरी करना उन की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है, जिस से उन्हें कंसीव करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में जरूरी है समय पर सही फैसला लेने की व कंसीव करने में सफलता नहीं मिलने पर डाक्टरी परामर्श ले कर इलाज करवाने की.

जानते हैं इस संबंध में गाइनोकोलौजिस्ट ऐंड ओब्स्टेट्रिशिन (नर्चर आईवीएफ सैंटर) की डा. अर्चना धवन बजाज से:

कब आती है समस्या

पीसीओडी, ऐंडोमिट्रिओसिस, अंडे कम बनना या बनने पर उन की क्वालिटी का सही नहीं होना, फैलोपियन ट्यूब में ब्लौकेज, हारमोंस का इंबैलेंस, पुरुष में शुक्राणुओं की कमी की वजह से दंपती संतान सुख से वंचित रह जाते हैं.

आज संतान सुख से वंचित दंपतियों की संख्या दिनप्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जो तनाव का भी कारण बनती जा रही है. ऐसे में जरूरी है कि अगर आप दोनों साथ रहते हैं और 1 साल से भी ज्यादा समय से बच्चे के लिए ट्राई कर रहे हैं और आप को सफलता नहीं मिल रही है तो आप तुरंत डाक्टर से संपर्क करें ताकि समय पर इलाज शुरू हो सके. सक्सैस नहीं मिलने पर आईयूआई, आईवीएफ व आईसीएसआई का विकल्प आइए, जानते हैं विस्तार से आईयूआई, आईवीएफ व आईसीएसआई प्रक्रिया के बारे में:

आईयूआई

आईयूआई को इंट्रायूटरिन इंसेमिनिशेन कहते हैं. इस प्रक्रिया में पहले सोनोग्राफी के द्वारा महिला के एग के रिलीज होने के समय का पता लगाया जाता है. इस दौरान अंडे की क्वालिटी को अच्छा बनाने व रिलीज करने के लिए दवाइयां भी दी जाती हैं. जब अंडा रप्चर होने के करीब होता है तब पुरुष के अच्छे शुक्राणुओं को अलग कर लिया जाता है फिर उसे गर्भाशय में पहुंचाया जाता है ताकि अंडा आसानी से शुक्राणु से मिल सके और कंसीव करने में आसानी हो.

इस प्रक्रिया में महिला के पीरियड को ध्यान में रखा जाता है. इस में पीरियड के 10वें दिन से सोनोग्राफी करवाई जाती है, जो 14वें, 15वें दिन तक रोजाना या एक दिन छोड़ कर होती है. इस में नियमित रूप से सैक्स भी करने को कहा जाता है, क्योंकि अंडा 1 दिन तक जीवित रहता है जबकि स्पर्म 2 दिन तक.

आईयूआई के कम से कम 5-6 सर्किल ट्राई किए जाते हैं. फिर भी सफलता नहीं मिलने पर आईवीएफ का सु झाव दिया जाता है. इस के लिए पहले लैप्रोस्कोपी द्वारा स्थिति का पता लगाया जाता है.

आईवीएफ

आईवीएफ को इनविट्रो फर्टिलाइजेशन कहा जाता है, जिस में महिला के शरीर से विकसित हुए अंडे को बाहर निकाल कर पुरुष के अच्छे शुक्राणुओं से मिलाया जाता है. फिर इन्हें कल्चर डिश में डाल दिया जाता है. इस प्रक्रिया से बने भ्रूण को प्रयोगशाला में रखा जाता है और फिर 2 दिन बाद महिला के यूटरस में डाल दिया जाता है. इस से कंसीव करने में आसानी होती है.

आईसीएसआई

इसे इंट्रासाइटोप्लास्मिक मोफोलौजिकल सिलैक्टेड स्पर्म इंजैक्शन तकनीक कहा जाता है. इस तकनीक का सहारा तब लिया जाता है जब पुरुष शुक्राणुओं की संख्या काफी कम होती है. इस में टैस्ट द्वारा उच्च गुणवत्ता यानी अच्छे शुक्राणुओं को अलग कर के फिर प्रोसैस में लाया जाता है.

आईवीएफ से सक्सैस रेट

इस में सक्सैस इस बात पर निर्भर करती है कि दंपती की उम्र क्या है और उन की शादी को कितने साल हुए हैं. जैसे अगर उम्र 30 साल से कम है तो 50-55% सक्सैस के चांसेज होते हैं, वहीं 35-40 वर्ष की उम्र में सक्सैस रेट 30-35% रह जाता है. 40 में या उस के बाद सिर्फ 20-25%. कई बार पहली बार आईवीएफ करवाने पर सक्सैस नहीं मिलती है. लेकिन दूसरी, तीसरी, चौथी बार इस के सक्सैस के चांसेज काफी बढ़ जाते हैं.

फायदा

ट्यूब बंद होने, स्पर्म काउंट कम होने या फिर अंडे की क्वालिटी सही नहीं होने पर  भी आईवीएफ से आसानी से कंसीव कर के संतान सुख प्राप्त किया जा सकता है.

खास केयर की जरूरत

वैसे तो हर महिला यही चाहती है कि उसे नैचुरल तरीके से गर्भधारण हो, लेकिन जब इस में सफलता नहीं मिलती तो अन्य विकल्पों का सहारा लेना ही पड़ता है. अन्य विकल्पों को अपनाने के साथ ही प्रैगनैंसी में कौंप्लिकेशन न आए, इस के लिए ज्यादा सावधानियां बरतने की जरूरत होती है जैसे कई बार प्रैगनैंसी के दौरान डायबिटीज, हाइपरटैंशन, ओवेरियन हाइपर स्टिम्युलेशन हो जाता है. इसलिए जरूरत है कि इस दौरान डाक्टर की हर सलाह पर अमल करने की और किसी भी तरह की परेशानी होने पर तुरंत डाक्टर को दिखाने की ताकि स्थिति बिगड़े नहीं.

हारमोंस को बैलेंस में रखना जरूरी

हारमोंस के असंतुलित होने से हमारी शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक व इमोशनल हैल्थ पर भी प्रभाव पड़ता है. इस के लिए काफी हद तक हमारा मौडर्न लाइफस्टाइल जिम्मेदार होता है, जिसे अगर आप चाहें तो बड़ी आसानी से बैलेंस कर सकते हैं. जैसे-

– रोजाना पर्याप्त मात्रा में अपनी डाइट में प्रोटीन लें.

– बिजी शैड्यूल के बावजूद ऐक्सरसाइज के शैड्यूल को न छोड़ें.

– मोटापे को कंट्रोल करने व खुद को फिट रखने के लिए कार्बोहाइड्रेट व चीनी का इनटेक कम करें.

– खुश रहें ताकि तनाव से दूर रहें.

– ओवरईटिंग की आदत से बचें.

– पूरी नींद लेने के साथसाथ हाइफाइबर डाइट लें.

इस बात का ध्यान रखें कि अपने इलाज को ले कर स्ट्रैस में न रहें, क्योंकि स्ट्रैस में रहने से हारमोंस का संतुलन बिगड़ता है, जिस से आप को कंसीव करने में दिक्कत होगी.

डा. अर्चना धवन बजाज

कंसलटैंट ओब्स्टेट्रिशन, गाइनोकोलौजिस्ट इनफर्टिलिटी ऐंड आईवीएफ ऐक्सपर्ट, द नर्चर क्लीनिक

जब ओल्डर कलीग के साथ हो सेक्सुअल टैंशन

अकसर ओल्डर कलीग का ज्यादा एक्सपीरियंस्ड होना, सपोर्टिव होने, फाइनैंशियल स्टेबल होने आदि के कारण लड़कियां उन की तरफ अट्रैक्ट हो जाती हैं. उन के साथ औफिस में 7-8 घंटे का साथ, काम के दौरान डिस्कशन, शेयरिंग, केयरिंग बढ़ावा देता है सेक्सुअल टैंशन को. लेकिन यह किसी भी तरह से सही नहीं है.

सैक्सुअल टैंशन का मतलब है जब आप किसी के साथ सेक्स करने की इच्छा रखते हों, लेकिन सेक्स न कर पा रहे हों. इसे इस तरह भी सम झा जा सकता है कि आप को किसी को देख कर उस के करीब आने का मन करता हो लेकिन आप की यह चाह मन में ही दबी रहने से आप के लिए अपनी तलब को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है. इस का मतलब है कि आप सैक्सुअल टैंशन महसूस कर रहे हैं.

वर्कप्लेस पर अकसर ही लड़कियां सैक्सुअल टैंशन महसूस करती हैं और जब यह सैक्सुअल टैंशन सीनियर कोवर्कर या कहें ओल्डर कलीग के साथ हो तो सैक्सुअल टैंशन लगातार बढ़ती जाती है, क्योंकि सेक्स तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है. इस सिचुएशन में सेक्स इसलिए मुश्किल है क्योंकि आप चाहे अविवाहित हों लेकिन उम्र में बड़ा सीनियर शादीशुदा हो सकता है.

कलीग का शादीशुदा होना यानी कि उस के साथ सेक्स करना या रिलेशनशिप में आना मुश्किल होता है. ऐसे में सैक्सुअल टैंशन वक्त के साथ बढ़ती जाती है. आप अगर अपनी उम्र से बड़े कलीग से सेक्स करने की इच्छा रखती हैं यह जानते हुए कि उस के साथ सेक्स करना मुश्किल है तो आप यकीनन सैक्सुअल टैंशन महसूस कर रही हैं.

सैक्सुअल टैंशन की निशानी

  • जब भी वह व्यक्ति आसपास से गुजरता है तो आप दोनों की नजरें एकदूसरे से टकरा जाती हैं. नजरें टकरा कर एकदूसरे पर कुछ सैकंड के लिए ठहर जाने का मतलब है कि आप दोनों एकदूसरे में इंट्रैस्टेड हैं.
  • आप के कलीग को जितना मौका मिलेगा आप की सीट की तरफ आने का या आप से बात करने का, वह नहीं छोड़ेगा. कुछ ऐसा ही आप भी करती हैं जब आप को मौका मिलता है.
  • दोनों एकदूसरे से फ्लर्ट करते हो यह जानते हुए भी कि आप दोनों रिलेशनशिप में नहीं आ सकते.
  • आप दोनों एकदूसरे से हाथ मिलाते हो तो आप को सामान्य से कुछ अलग महसूस होता है. लगता है जैसे हाथ पकड़े ही खड़े रहें देर तक.
  • आप को अपने कलीग को देख कर उसे किस करने का या गले लगाने का मन करने लगता है.
  • दोनों जानबू झ कर एकदूसरे से टकराने की कोशिश करने लगते हो.
  • आप अपने कलीग को ले कर डेड्रीम यानी दिवास्वप्न देखने लगते हो. आप अपनी कल्पना में उस कलीग के साथ सेक्स करने लगते हो.
  • एकदूसरे को देखने पर या बात करने पर हमेशा लगता है कि कुछ है जो दोनों कह नहीं पा रहे हैं, जिस से सैक्सुअल टैंशन इंगित होती है.
  • एकदूसरे के करीब आने पर हार्ट रेट बढ़ जाता है और शरीर में सैंसेशन सी महसूस होने लगती है.
  • सैक्सुअल टैंशन महसूस होने का मतलब यह नहीं है कि आप को अपने ओल्डर कलीग से प्यार है. यह नौर्मल है और बिना स्ट्रौंग फीलिंग्स के भी हो सकती है.

क्यों होती है सैक्सुअल टैंशन

ओल्डर कलीग के साथ सैक्सुअल टैंशन होने के बहुत से कारण है जिन में पहला तो यही है कि आप उन की तरफ आकर्षित हैं. आकर्षण या अट्रैक्शन होना लाजिमी है क्योंकि कलीग चाहे उम्र में बड़ा हो लेकिन कहते हैं न ‘मेन एज लाइक फाइन वाइन.’ लुक्स के अलावा भी बहुत से कारण हैं जिन से लड़कियों को खुद से सीनियर और ओल्डर कलीग के लिए सैक्शुअल टैंशन महसूस होती है.

वे हर चीज के लिए क्लियर होते हैं : ओल्डर मेन अपने कैरियर, लाइफ और थिंकिंग को ले कर बहुत क्लियर होते हैं. उन्हें पता है कि वे क्या चाहते हैं और क्या नहीं. वे वर्कप्लेस में सीनियर होते हैं और इसलिए उन की वहां धाक जमती है.

उन के पास ऐक्सपीरियंस होता है : चाहे औफिस के अंदर के काम हों या बाहर के, चाहे प्रोफैशनल चीजें हों या पर्सनल, उन के पास ऐक्सपीरियंस होता है. वे नौसिखिए नहीं होते. लड़कियां यह जानती हैं कि ओल्डर कलीग न तो उन के एक्सबौयफ्रैंड की तरह कनफ्यूज्ड घूमेगा और न ही बैड पर बुरा परफौर्म करेगा, क्योंकि ऐक्सपीरियंस होता है. जाहिर तौर पर उन्होंने ज्यादा दुनिया देखी है, उन्हें पता है किस काम को कैसे करना है या किस जगह जाना है, क्या खाना है, क्या खरीदना है और सेविंग्स कैसे करनी है आदि.

फाइनैंशियल स्टेबिलिटी होती है : लड़कियां उन लड़कों की तरफ या कहें आदमियों की तरफ ज्यादा आकर्षित होती हैं जो फाइनैंशियली स्टेबल होते हैं. औफिस में काम करने वाली लड़कियां स्कूलकालेज की तरह खाली जेब वाले बौयफ्रैंड में इंट्रैस्ट नहीं रखतीं क्योंकि वे खुद अच्छाखासा कमा रही होती हैं. ऐसे में जब कोई उन से ज्यादा कमाने वाला उन के तरफ रुचि दिखाता है तो उन्हें भी उस में रुचि आने लगती है.

वे सपोर्टिव होते हैं : 22-23 साल की लड़कियों के अपनी उम्र के बौयफ्रैंड्स अपनी लाइफ को ले कर ही इतने उल झे हुए होते हैं कि सपोर्ट देने के बजाय वे, बस, लेना जानते हैं. उन से बिलकुल उलट ओल्डर कलीग होता है जिस की अपनी लाइफ बहुत शौर्टआउट है और इसीलिए वे सपोर्ट देना जानते हैं. औफिस में बौस से किस प्रेजैंटेशन के बारे में किस तरह बात करनी है से ले कर काम को और बेहतर कैसे बनाना है तक वे सब सम झाते हैं, बताते हैं.

सैक्सुअल टैंशन को खत्म करना जरूरी

ओल्डर कलीग के साथ सेक्स करने में बुराई नहीं है लेकिन जब आप को पता हो कि वह व्यक्ति शादीशुदा है और आप का उस के साथ सेक्स करना आप के कैरियर, रैपुटेशन और नौकरी के लिए खतरा बन सकता है तो इस सैक्सुअल टैंशन को खत्म करना बहुत जरूरी हो जाता है.

  • मन में सोच लें कि आप को अपने ओल्डर कलीग के साथ सेक्स नहीं करना है, तो नहीं करना है. अगर कभी मौका मिलता भी है एकदूसरे के करीब आने का या एकदूसरे को छूने का, किस करना का, तो पीछे हट जाएं.
  • खाली जगह पर उस कलीग के साथ जाने से बचें. खाली लिफ्ट, औफिस का खाली कोना, उस की कार में बैठ कर जाना या भरी मैट्रो में एकदूसरे के बहुत करीब खड़े होने जैसी सिचुएशन से जितना खुद को दूर रख सकते हैं, रखें.
  • एकदूसरे का हाथ पकड़ना, देर तक नजरें मिलाना, घूरना और किसी भी तरह से छूना बंद कर दें.
  • किसी और को डेट करने की कोशिश करें. कोई और जिस के साथ आप सेक्स करना चाहें तो कर सकें. इस से आप की अपने ओल्डर कलीग के साथ सैक्सुअल टैंशन खत्म हो जाएगी और शायद इंट्रैस्ट भी.
  • जितना हो सके उतना कम समय एकदूसरे के साथ बिताएं.
  • फ्लर्ट पर और फ्लर्टी टैक्सटिंग पर रोक लगाएं. फ्लर्ट सैक्सुअल टैंशन का बड़ा कारण है.
  • सेक्सुअल टैंशन को रिलीज करने के लिए सेक्सुअलएनर्जी को डाइवर्ट करने की कोशिश करें. कोई ऐसा काम या ऐक्टिविटी करना शुरू कर दीजिए जिस से मन में सेक्स को ले कर खयाल ही कम आने लगें या न आएं. खुद को औफिस में ही इतना बिजी कर लीजिए कि अपने ओल्डर कलीग पर ध्यान देने का आप को समय ही न मिले.

जब भी मैं पति के साथ सेक्स करती हूं तो मुझे काफी दर्द होता है, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं विवाहित महिला हूं. विवाह को अभी 1 वर्ष ही हुआ है. समस्या यह है कि मैं जब भी पति के साथ सेक्स करती हूं, मुझे दर्द व तकलीफ से गुजरना पड़ता है. जिस की वजह से मैं सेक्स को एंजौय नहीं कर पाती. मैं अपनी इस समस्या को ले कर बहुत स्ट्रैस में रहती हूं. लेकिन समझ नहीं आता कि किस से अपनी समस्या शेयर करूं. मैं अपनी सेक्स लाइफ एंजौय कर सकूं, इस के लिए मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब

हाल ही में ब्रिटेन में हुए एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि 10 में से 1 महिला को सेक्स के दौरान दर्द और तकलीफ से गुजरना पड़ता है. आप को सेक्स के दौरान दर्द और तकलीफ से गुजरना पड़ता है तो इस को ले कर हिचकिचाएं नहीं और अपने पति से खुल कर यह बात शेयर करें. क्योंकि यह सामान्य बात है.

अगर आप किसी बात को ले कर स्ट्रैस में हैं या चिंतित हैं तो आप अपनी गाइनीकोलौजिस्ट से भी इस बारे में सलाह लें. क्योंकि सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि चिंता व भावनात्मक कारणों से सेक्स संबंध के दौरान दर्द व तकलीफ की समस्या और बढ़ती है.

यह समस्या 20-30 वर्ष की आयु की महिलाओं में ज्यादा देखी जाती है. आप अपने पार्टनर और गाइनीकोलौजिस्ट से इस बारे में खुल कर बात करें. पति से अपनी पसंद और नापसंद को शेयर करें. ऐसा करने से काफी हद तक आप की समस्या का समाधान हो जाएगा.

कौमार्य का ये उपहार बढ़ा देगा सेक्स का मजा

कामिनी की शादी को 10 साल हो गए हैं. वह 2 बच्चों की मां है. पति बहुत अमीर हैं. कारोबार के सिलसिले में उन्हें अकसर विदेश जाना पड़ता है. कामिनी बेहद शौकीन तबीयत की है. उस पर जो धुन सवार हो जाए उसे पूरा कर के ही मानती है. कुछ अरसा पहले कामिनी को हाइमनोप्लास्टी (कौमार्य पुनर्प्राप्ति) के बारे में पता चला. पति 1 माह के लिए यूरोप दौरे पर थे. इसी दौरान उचित अवसर जान उस ने हाइमनोप्लास्टी करवा ली. इस संबंध में उस ने पूरी गोपनीयता बरती. सब कुछ सामान्य होने पर एक दिन उस ने पति से फोन पर कहा, ‘‘आप जैसे ही भारत लौटेंगे हम हनीमून ट्रिप पर स्विट्जरलैंड जाएंगे.’’

‘‘यह क्या मजाक है,’’ पति ने हंसते हुए कहा, ‘‘हमारी शादी को 10 साल हो गए हैं. इस उम्र में अब तुम मुझे किस के साथ हनीमून पर भेजना चाह रही हो?’’

कामिनी को ऐसे उत्तर की उम्मीद न थी, इसलिए तुनक कर बोली, ‘‘कैसी बातें करते हैं, आप? किसी और के साथ क्यों? हनीमून ट्रिप मेरे साथ होगा.’’

पति ठहाका लगाते हुए बोले, ‘‘क्यों बचकानी बातें कर रही हो?’’

‘‘मैं बचकानी बातें नहीं कर रही हूं. और हनीमून पर तो चलिए. एकदम प्योर वर्जिनिटी का आनंद उठाएंगे.’’

अंजलि कालेज के साथियों के साथ पिकनिक पर गोवा गई. दोस्त एकदूसरे से बेहद खुले हुए थे, अत: खूब मस्ती कर रहे थे. मगर इसी बीच अंजलि के साथ एक हादसा घट गया. पार्टी के दौरान उस के दोस्तों ने उस के ड्रिंक में नशीली दवा मिला दी. फिर क्या था, उसे नशे में कुछ पता नहीं चल रहा था कि उस के दोस्त उस के साथ क्या कर रहे हैं. उलटे नशे में होने पर वह उन का साथ दे रही थी. मगर जब नशा उतरा तो अपनी हालत देख कर उस के होश उड़ गए. पिकनिक से लौटने पर अंजलि ने सारी बात अपनी डाक्टर मम्मी को बताई. सुन कर वे बहुत दुखी हुईं. फिर उन्होंने बेटी को धैर्य बंधाया. पर अंजलि अंदर ही अंदर टूट चुकी थी. शीघ्र ही उस का विवाह होने वाला था. उसे वर्जिन न होने की टीस साल रही थी. मां उस की भावनाओं को समझती थीं. आखिर उन्होंने एक दिन बेटी की हाइमनोप्लास्टी करवा दी. इस से वह दोबारा वर्जिन हो गई और फिर उस का खोया आत्मविश्वास भी लौट आया.

करीब 30% से अधिक लड़कियों को प्रथम मिलन पर रक्तस्राव नहीं होता, जिस का अर्थ आमतौर पर यह लगाया जाता है कि लड़की का विवाहपूर्व कौमार्य भंग हो चुका है अथवा यों कहिए कि उस के विवाहपूर्व यौन संबंध रहे हैं. परिणामस्वरूप रिश्ता टूटने की कगार पर पहुंच जाता है. जहां तक पारंपरिक भारतीय समाज की सोच का सवाल है, तो यहां सब कुछ एकपक्षीय यानी पुरुष के पक्ष में है. पति चाहे खुद कितना भी दुराचारी क्यों न हो, वह अपेक्षा रखता है कि उस की होने वाली पत्नी शतप्रतिशत वर्जिन हो.

अपराधबोध से ग्रस्त

इस पुरुषप्रधान समाज की यह दकियानूसी सोच स्त्री पर इस कद्र हावी हो गई है कि वह भी अपनी कौमार्य को अपनी आबरू कह कर संबोधित करती है. जिस का मतलब औरत की इज्जत से है. यदि विवाह के समय उस के पास कौमार्य की पूंजी नहीं है तो वह अपराधबोध से ग्रस्त हो जाती है, भले ऐसा किसी हादसे के कारण हुआ हो. कौमार्य भंग होने का मतलब यह नहीं कि लड़की चरित्रहीन है. अब वह जमाना नहीं रहा जब लड़कियां घर की चारदीवारी में बंद रहती थीं और शादी हो कर गुडि़या की भांति ससुराल विदा हो जाती थीं. आज की लड़कियां स्कूलकालेज जाती हैं और लड़कों की तरह हर गतिविधि में हिस्सा लेती हैं. जिमनास्टिक, तैराकी, घुड़सवारी, स्कूटर, बाइक चलाते या फिर अन्य कोई शारीरिक श्रम के दौरान कब कौमार्य की झिल्ली अपना वजूद खो देती है, इस का लड़कियों को एहसास तक नहीं होता.

कई बार विवाह का वादा कर यौन संबंध बन जाते हैं, मगर बाद में दहेज या अन्य किसी कारण के चलते रिश्ता टूट जाता है. कई बार लड़कियां अंजलि जैसी स्थिति का भी शिकार बन जाती हैं और कौमार्य खो बैठती हैं. ऐसे में लड़की व उस के मांबाप के लिए यह हादसा गहरी चिंता का विषय बन जाता है. और जगह रिश्ता तय करने में वे कौमार्य भंग को मुख्य बाधा मानते हैं. लेकिन अब ऐसे मामलों में हाइमनोप्लास्टी के माध्यम से आशा की नई किरण नजर आने लगी है.

क्या है हाइमनोप्लास्टी

कामिनी जैसे शौकिया वर्जिनिटी हासिल करने के मामले बहुत कम होते हैं, क्योंकि इस प्रकार की महिलाएं ऐसी शल्य चिकित्सा महज इसलिए करवाती हैं ताकि एक बार फिर कौमार्य होने का लुत्फ उठाया जा सके. मगर हाइमनोप्लास्टी क्या है, यह जानना भी जरूरी है. यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिस में चिकित्सक कौमार्य झिल्ली जिसे हाइमन कहते हैं, का वैजाइना से टिशू ले कर पुनर्निर्माण कर देते हैं. इस में करीब क्व 60-70 हजार का खर्च आता है और उसी दिन मरीज को छुट्टी दे दी जाती है. कुछ दिनों तक मरीज को ऐंटीबायोटिक्स व अन्य दवाएं खानी पड़ती हैं.

बढ़ रहा है प्रचलन

शौकिया किस्म की शादीशुदा महिलाएं वैलेंटाइन डे और शादी की वर्षगांठ से कुछ समय पूर्व हाइमनोप्लास्टी करवाती हैं. लेकिन बारबार यह सर्जरी करवाने को डाक्टर बेहद नुकसानदेह बताते हैं. कौस्मैटिक सर्जन विक्रमजीत सिंह के अनुसार करीब 60 फीसदी मामलों में लड़कियां मांबाप के साथ सर्जरी के लिए आती हैं. उन में से ज्यादातर तो शादी की तारीख के हिसाब से समय तय कर सर्जरी करवाती हैं ताकि विवाह के समय वे बिलकुल फिट ऐंड फाइन हों. जिस तरह शादियों के सीजन में लोग शौपिंग से ले कर बैंडबाजे जैसी तैयारी की प्लानिंग करते हैं, उसी तरह शादी के लिए वर्जिनी फिट होने के उद्देश्य से डाक्टर से हाइमनोप्लास्टी का समय तय करते हैं. अकेले चंडीगढ़ में हर महीने करीब आधा दर्जन शल्य चिकित्सा होती है, जिस से सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि पूरे देश में कितने पैमाने पर इस का प्रचलन हो गया है. चूंकि यह प्रक्रिया प्राय: गुपचुप होती है, इस के सही आंकड़े तो कुछ और ही होंगे.

क्या प्रतिबंध लगाना चाहिए

महिला कल्याण समिति की डाक्टर सरस्वती मनोहर हाइमनोप्लास्टी करवाए जाने को बहुत बुरा मानती हैं. उन का कहना है कि बेशक चिकित्सकों के अनुसार इस शल्य चिकित्सा का शरीर पर कोई विपरीत प्रभाव न पड़ता हो, मगर वे महिलाओं द्वारा अपनाए जाने वाले इस विकल्प को केवल पुरुष के अहम का तुष्टीकरण ही मानती हैं. वे रोषपूर्वक पूछती हैं कि क्या पुरुष ऐसा कोई प्रमाण दे सकता है जिस से यह साबित हो कि वह विवाहपूर्व उस के किसी स्त्री से संबंध नहीं रहे हैं? डाक्टर सरस्वती की सलाह है कि सरकार को इसे रैग्युलेट करना चाहिए और ऐसी शल्य चिकित्सा से पहले संबंधित महिला व अभिभावकों की काउंसलिंग की जानी चाहिए. हालांकि वे यह भी मानती हैं कि सामाजिक बदनामी के दबाव में पीडि़त महिला व उस के मांबाप काउंसलिंग सहज ही स्वीकार नहीं करेंगे. मगर परिवार न्यायालय की भांति निजता व अपनत्व का भरोसा दिलवाए जाने पर ऐसा संभव हो सकता है. साथ ही, शौकिया तौर पर करवाई जाने वाली हाइमनोप्लास्टी को भी पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए.

मुझे मेरी बेस्टफ्रैंड के बौयफ्रैंड से अट्रैक्शन होता है, मैं क्या करूं?

सवाल

मुझे मेरी बेस्टफ्रैंड के बौयफ्रैंड से अट्रैक्शन होता है. वह लंबा, सुंदर और समझदार लड़का है. कभीकभी लगता है जैसे वह मुझे एक अलग नजर से देख रहा है. मेरी बेस्टफ्रैंड मुझे अपने और अपने बौयफ्रैंड के इंटीमेट मोमैंट्स के बारे में भी बताती है जिन्हें सुन कर मुझे उस लड़के के लिए और ज्यादा फैसिनेशन होने लगी है.

मैं अपनी बेस्टफ्रैंड को धोखा नहीं देना चाहती, उस का दिल दुखाना नहीं चाहती पर अपने इस दिल का क्या करूं. मैं बहुत परेशान हो रही हूं. वह लड़का उस से शायद प्यार भी नहीं करता. लेकिन, मेरा उसे पाने का मतलब होगा अपनी दोस्ती खराब करना. कुछ हैल्प कीजिए.

जवाब

आप की बातें सुन कर यह लव का कम और लस्ट का मामला ज्यादा लग रहा है. आप को अपनी बेस्टफ्रैंड के बौयफ्रैंड से सिर्फ अट्रैक्शन है जिस के चलते आप को अपना दिल टूटता हुआ सा लग रहा है जबकि यह ज्यादा से ज्यादा इन्फैचुएशन है और कुछ नहीं. आप को उस लड़के के बारे में सोचना बंद कर देना चाहिए. वह आप की दोस्त से प्यार करता है या नहीं करता इसे ले कर आप अपनी फ्रैंड को सचेत कर सकती हैं, लेकिन खुद उस लड़के के करीब जाने की कोशिश करेंगी तो बेस्टफ्रैंड खो देंगी.

बेहतर यही होगा कि आप अपनी दोस्त के बौयफ्रैंड से दूरी बना कर रखें वरना क्या पता आप की दोस्त ही शक करने लगे, और ऐसे नहीं तो वैसे आप की दोस्ती दांव पर लगे. अट्रैक्शन कम करने के लिए किसी और लड़के पर फोकस करने की कोशिश कीजिए, किसी और ऐक्टिविटी पर ध्यान दीजिए और इस बारे में सोचना बंद कर दीजिए. प्यार को कंट्रोल करना मुश्किल है, अट्रैक्शन को नहीं.

मेरी सास मुझे पति के साथ संबंध नहीं बनाने देती, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 25 वर्षीय विवाहित महिला हूं. मेरी परेशानी का कारण मेरी सास हैं. वे मुझे पति के साथ सैक्स संबंध बनाने से रोकती हैं. उन का कहना है कि मेरे साथ सैक्स संबंध बनाने से उन के बेटे का औफिस में काम में मन नहीं लगेगा. अभी हमारी शादी को अधिक समय नहीं हुआ है और मैं अपने पति के साथ सैक्स संबंध बनाना चाहती हूं लेकिन मेरी सास मुझे पति के साथ सोने से भी रोकती हैं. मैं ने उन्हें समझाने की कोशिश भी की है लेकिन वे कुछ सुनना नहीं चाहतीं. मैं क्या करूं?

जवाब

आप अपने पति से इस बारे में खुल कर बात करें और आप की सास की कही सारी बातें उन्हें बताएं. साथ ही, सास को साफ शब्दों में समझा दें कि पति के साथ सोना और उन के साथ सैक्स संबंध बनाना आप का वैवाहिक हक है और वे इस के लिए आप को रोक नहीं सकतीं.

साथ ही, उन्हें यह भी समझा दें कि उन का यह सोचना कि सैक्स करने से उन के बेटे का नौकरी में मन नहीं लगेगा सर्वथा अतार्किक व बेकार की बात है. उन्हें बताएं कि अगर उन के बेटे को आप से यानी अपनी पत्नी से घर में शारीरिक सुख नहीं मिलेगा तो उन का मन औफिस में इधरउधर भटकेगा और तब उन का मन काम में नहीं लगेगा.

दरअसल, आप की बातों से लगता है कि आप की सास आप के पति को अपने पल्लू से बांधे रखना चाहती हैं. वे नहीं चाहतीं कि आप पतिपत्नी के बीच प्यार का रिश्ता बने. इसलिए वे ऐसी अतार्किक बातें व हरकतें कर रही हैं. आप उन की बातों पर हरगिज ध्यान न दें और पति के साथ शारीरिक संबंध अवश्य बनाएं.

मेरा बौयफ्रेंड अकेले में मुझसे शारीरिक छेड़छाड़ करता है जबकि मैं उस से प्यार की बातें करना चाहती हूं, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 20 वर्षीय युवती अपनी ही कक्षा के एक छात्र से प्रेम करती हूं, लेकिन वह मुझ से सेक्सुअल चाहत ही रखता है. मौडर्न होने के कारण मैं हर तरह की ड्रैसेज पहनती हूं. जब भी मैं शौर्ट स्कर्ट, निकर या खुली पोशाक पहनती हूं तो एकांत मिलते ही वह मेरी जांघ, पीठ आदि पर हाथ फेरने लगता है जबकि मैं उस से प्रेमभरी बातें करना चाहती हूं. मना करने पर वह कहता है कि तुम मुझ से प्यार नहीं करती. क्या करूं?

जवाब

आप दोनों एकदूसरे से प्यार करते हैं तो जाहिर है सिर्फ प्रेममयी बातों तक ही प्यार सीमित नहीं रहेगा. हां, कुछ वक्त व जरूरत का खयाल रखना होगा. लेकिन उस के द्वारा आप के शरीर को छेड़ने की कोशिश व न मानने पर प्रेम का वास्ता देने की बात से जाहिर है कि वह आप से शारीरिक संबंध बनाने को उतावला है. साथ ही उस का ध्यान आप की यौन सुंदरता पर है, दिल पर नहीं.

सब से पहले तो यह जान लें कि भूल कर भी उस से संबंध बनाने की गलती न करें, ‘आप प्यार नहीं करती’ जैसी बातों में आ कर भी उसे शरीर न सौंपें वरना पछतावा ही हाथ लगेगा.

उसे समझाएं कि सैक्स शादी के बाद ही ठीक रहता है. अभी तो प्यार चाहिए. अगर न माने तो उस से थोड़ी दूरी बनाएं. जब उसे अपनी गलती का एहसास होगा, अपनेआप ही चला आएगा.

शादी से पहले मंगेतर के साथ सोना मना है क्योंकि…

-शादी एक ऐसा समय है जब लड़का-लड़की एक साथ एक बंधन में बंधकर पूरा जीवन साथ में बिताने का वादा करते हैं. शादी को पुरूष आमतौर पर शारीरिक तौर पर अधिक देखते हैं. शादी का मतलब अधिकतर पुरूषों के लिए सेक्स संबध बनाना ही होता है लेकिन वे ये बात भूल जाते हैं कि शारीरिक संबंध से अधिक महत्वपूर्ण आत्मिक संबंध होता है.

-यदि महिला और पुरूष आत्मिक रूप से एक-दूसरे से संतुष्ट‍ है तो फिर शारीरिक संबंधों में भी कोई दिक्कत नहीं होती. शादी से पहले यानी सगाई के बाद लड़के और लड़की को एकसाथ खूब समय बिताने को मिलता है लेकिन इसका ये अर्थ नहीं कि वे शादी से पहले फिजीकल रिलेशन बना ले या फिर प्री मैरिटल सेक्सू करें. शादी से पहले संयम बरतना जरूरी है. आइए जानें शादी और संयम के बारे में कुछ और दिलचस्प बातों को.

सगाई और शादी के बीच में संयम के बारे में कुछ और दिलचस्प बातें 

– सगाई के बाद लड़के और लड़की को आपस में एक-दूसरे से मिलना चाहिए और एक-दूसरे को जानना चाहिए, लेकिन इसके साथ ही उन्हें संयम बरतना भी जरूरी है.

– यदि शादी से पहले फिजीकल रिलेशन बनाने के लिए लड़का-लड़की में से कोई भी पहल करता है तो दूसरे को मना करना चाहिए नहीं तो इससे इंप्रेशन अच्छा नहीं पड़ता.

– दोनों को समझना चाहिए कि प्री मैरिटल सेक्स से पहले उन्हें आपस में एक-दूसरे को जानने-सूझने का मौका मिला है जिससे वे पहले एक-दूसरे की पसंद-नापसंद इत्यादि के बारे में जान पाएं.

– ये जरूरी है कि मिलने वाले समय को लड़के व लड़की को समझदारी से बिताना चाहिए न कि फिजूल की चीजों में खर्च करना चाहिए.

– शादी से पहले संयम बरतने से न सिर्फ दोनों के रिश्तों में मजबूती आती है बल्कि दोनों का एक-दूसरे पर विश्वास भी बना रहता है. इसके साथ ही संबंधों में अंतरंगता का महत्व भी बरकरार रहता है.

– प्रीमैरिटल सेक्स में हालांकि कोई बुराई नहीं लेकिन दोनों के रिश्ते पर शादी के बाद मनमुटाव का ये कारण बन सकता है.

– रिश्तों में खुलापन जरूरी है. चाहे तो शादी से पहले आप चीजों को डिस्कस कर सकते हैं. एक-दूसरे के साथ समय व्यतीत कर सकते हैं. एक-दूसरे के साथ घूम-फिर सकते हैं लेकिन इसके लिए जरूरी नहीं कि फिजीकल रिलेशन ही बनाया जाए.

– शादी से पहले फिजीकल रिलेशन से रिश्तों में अवसाद पैदा होने की संभावना बनी रहती है क्योंकि इसके बाद हर समय मन में एक डर और बैचेनी रहने लगती है. इसीलिए इन सबसे बचना जरूरी है.

– सेक्ससुअल रिलेशंस आपके रिश्ते में करीबी ला भी सकते हैं और दूरी बढ़ा भी सकते हैं इसीलिए कोई भी कदम उठाने से पहले सोच-समझ कर विचार करना आवश्यक है.

शादी से पहले संयम बरतने में कोई नुकसान नहीं है बल्कि रिश्तों की मजबूती के लिए यह अच्छा है.

मेरे पति काफी देर तक फोरप्ले करते हैं जबकि मैं चाहती हूं कि फटाफट संबंध बनाकर फारिग हो जाएं, बताएं मैं क्या करूं.

सवाल
मैं शादीशुदा युवती हूं. मेरी समस्या थोड़ी अजीब है. मेरे पति सहवास से पहले आलिंगन, चुंबन व स्तन मर्दन आदि काफी देर तक करते हैं. उन्हें इस में पता नहीं क्या आनंद आता है, जबकि मैं थक जाती हूं. मैं चाहती हूं कि फटाफट संबंध बना कर फारिग हो सो जाएं. बावजूद इस के वे पूरी तरह से इस में तल्लीन हो जाते हैं. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब
आलिंगन चुंबन आदि सहवास पूर्व की रति क्रीड़ाएं हैं. इन से कामोत्तेजना बढ़ती है और सहवास का आनंद दोगुना हो जाता है. आप को पति को पूर्ण सहयोग देना चाहिए. हमबिस्तरी में तन के साथ साथ मन से भी प्रवृत्त होना चाहिए, तभी पति पत्नी दोनों को आनंदानुभूति होती है. आप को मालूम होना चाहिए कि सैक्स दांपत्य जीवन की धुरी होती है. अत: इस से विमुख न हों.

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हौले हौले छुअन से दोगुना होगा मजा

जया और रमिका लंच कर रही थीं. 8 घंटे की औफिस ड्यूटी के बीच यही समय मिलता है दोनों को अपना सुखदुख बांटने का. दोनों की हाल ही में शादी हुई है. पिछले 5 सालों से दोनों एक ही कंपनी में काम कर रही हैं.

खाना खाने के बाद वे एकदूसरे से बैडरूम की बातें करने लगीं. बातें गरमागरम थीं इसलिए वे दोनों औफिस से नजदीक ही एक पार्क में चहलकदमी करने लगीं.

जया ने बताया कि उस की सैक्स लाइफ काफी रोचक है. पतिपत्नी सैक्स में कई तरह के प्रयोग करते हैं. कभी उभार चूमना और उंगलियां फेरना एकसाथ करते हैं, तो कभी कंडोम पहनने के बाद उभार को उठा कर उसे चूमते हैं. इस मस्ती भरी छुअन के बाद वे सैक्स का मजा लेते हैं.

जया की इस बात पर रमिका मुसकराई. जया के पूछने पर रमिका ने बताया कि उस के पति उसे संतुष्ट नहीं करते. यह सुन कर जया चौंक गई.

इस पर रमिका ने कहा, ‘‘मेरा वह मतलब नहीं था. मेरे पति के लिए सैक्स का मतलब है न्यूड हो कर मेरे ऊपर आओ. शादी के 1-2 महीने बाद तक मुझे ऐसा करना बहुत अच्छा लगता था, लेकिन अब नहीं.

‘‘जया बताओ न, मैं क्या करूं? मुझे सैक्स को बोरिंग नहीं बनाना है.’’

जया ने रमिका को सैक्स बटन के बारे में बताया जिन को इस्तेमाल में ला कर आज रमिका खुश दिखती है.

क्या आप जानते हैं सैक्स बटन की एबीसी?

दरअसल, औरतों में सिर से ले कर पैर तक सारे अंग कामुक होते हैं. अगर आप जानते हैं कि उन्हें सही तरीके से कैसे छूना है तो उन के शरीर का हर अंग मजा दिला सकता है.

होंठ

होंठ चूमना किसी औरत के लिए एक बड़ा टर्निंग पौइंट होता है. जब रिलेशन बन रहे होते हैं तो चूमना ऐसी पहली चीज होती है जो पहले मना की जाती है, लेकिन इस में देरी न करें.

होंठ उत्तेजक नसों से लबालब भरे होते हैं. लिहाजा, इन्हें तुरंत जीभ में नहीं डुबाना चाहिए. सब से पहले औरत के निचले होंठ पर अपनी जीभ फेरें, फिर उसे अपने होंठों के बीच फंसा कर चूसें. साथ ही, उसे भी ऐसा करने दें.

जब आप उसे चूम रहे हों तो अपने हाथ उस की गरदन पर रखें या फिर उस की कमर या कूल्हों पर या फिर इस दौरान इन सभी जगहों पर हाथ फेर सकते हैं.

बैकबोन

इस हिस्से के बारे में बहुत से लोग अनजान हैं, लेकिन यह औरतों को सब से ज्यादा जोश में लाने वाली जगह होती है. आप उन की स्पाइन पर अपनी उंगलियों को आराम से फिराएं. इस से आप अपने पार्टनर को बहुत जल्द कामुक कर सकते हैं.

उंगली

जीभ के बाद उंगलियों को शरीर का सब से सैंसिटिव हिस्सा माना जाता है. आप अपने पार्टनर की उंगलियों के ऊपरी हिस्से को चूम सकते हैं या हलके से दांत भी चुभा सकते हैं. दबाने से औरतों में जोश बढ़ता है. साथ ही, जैसेजैसे जोश बढ़ता जाता है आप को उस की उंगलियों को अपने होंठों के बीच ले जाना चाहिए, फिर होंठों से सहलाते हुए धीरेधीरे चूसना चाहिए. इस से वह नशे की सी हालत में आ जाएगी.

गरदन

औरतों की गरदन को भी काफी सैंसिटिव माना जाता है. गरदन की स्किन काफी पतली होती है, इसलिए यहां छूने पर काफी अच्छा महसूस होता है.

अगर आप अपनी उंगलियां सही जगह रख कर कौलरबोन सहलाएं तो पार्टनर को बहुत अच्छा महसूस होगा.

कान

जोश में लाने वाले बौडी पार्ट्स में कान बहुत काम के होते हैं. अपने पार्टनर के कानों को अपने होंठों से छुएं, चूमें या हलका सा काट लें और फिर देखिए उन का मूड.

पैर

बिस्तर पर जाने से पहले आप अपने पार्टनर से पैर धोने की गुजारिश करें, क्योंकि पैर सैक्सी होते हैं और इन्हें भी प्यार की जरूरत है.

पार्टनर के तलवों को चूम कर आप उसे जोश में ला सकते हैं. शुरुआत छोटी उंगली से करें. पैरों को सहलाते हुए रगड़ना एक औरत के लिए यह जबरदस्त अनुभव होता है. इस से उस के शरीर के दूसरे अंग भी उत्तेजित होने लगते हैं. इस की वजह यह है कि पैरों को सहलाने पर दिमाग का एक बड़ा हिस्सा जोश का अनुभव करता है इसलिए सैक्स से इस काम को नजरअंदाज न करें.

स्तन

स्तन महिला के सैक्सुअल अंगों में खास जगह रखते हैं. पर इस के लिए सीधे छलांग न लगाएं. स्तनों को तब तक न छुएं जब तक कि आप को यह न पता चल जाए कि वह चाह रही है कि आप उस के स्तनों को छुएं.

इस के लिए शुरुआत किनारे से करें, फिर गोल घेरे में अपनी उंगलियां स्तनों के चारों ओर घुमाएं. ऐसा तब तक करें जब तक स्तनों के निप्पल के चारों ओर के गुलाबी या भूरे रंग के गोल घेरे तक न पहुंच जाएं. यहां कुछ देर तक उंगलियां फिराने के बाद निप्पल तक पहुंचना चाहिए.

अब आप निप्पल को सहलाते हुए थपथपाएं, खींचें, दबाएं, चूमें और चूसें. इस दौरान आप चाहें तो हलके से दांतों से काट सकते हैं.

जब आप का मुंह एक स्तन पर है तो इस दौरान आप का हाथ दूसरे स्तन पर होना चाहिए तभी वह सबकुछ सौंपने को तैयार होगी. इस के बाद स्तन बदल कर यही दोहराएं. फिर दोनों हाथों से स्तनों को जम कर दबाना चाहिए. साथ ही, बीच में अपने पार्टनर से पूछें कि उसे स्तनों में कौन सी छुअन मजा देती.

कभी भी पार्टनर की इच्छाओं को नजरअंदाज न करें. स्तनों के बीच का हिस्सा कई बार नजरअंदाज कर दिया जाता है, जबकि यह भी कामुक जगह  है.

भग

भग क्षेत्र में छलांग लगाना काफी आसान होता है लेकिन उस के पहले उस गूदेदार क्षेत्र को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए जो रोमों से घिरा होता है. इसे थपथपाना और रगड़ना पार्टनर को सिसकने पर मजबूर कर देगा.

योनि वह दूसरा क्षेत्र है जहां कई आदमी स्तनों को उत्तेजित करने के बाद सीधे पहुंच जाते हैं. जैसे ही औरतें उत्तेजित होती हैं उन का गर्भद्वार ऊपर की ओर खिसक जाता है, जिस से योनि की गहराई बढ़ जाती है और आप को गहरे तक जाने का मजा मिलता है.

इसलिए यह आप की पसंद का मामला है कि आप उसे कितना गीला कर सकते हैं. जितना समय यहां दिया जाएगा उतना ही मजा आप को प्रवेश पर मिलेगा.

सुहागरात को जब मैंने पति के साथ सेक्स किया तो मुझे ब्लीडिंग नहीं हुई, बताएं ऐसा क्यों हुआ?

सवाल

मैं 22 वर्षीय युवती हूं. 6 महीने पहले ही मेरा विवाह हुआ है. मैं एक बात को ले कर बहुत परेशान हूं. सुहागरात को जब मैं ने पति के साथ सहवास किया तो रक्तस्राव नहीं हुआ. मैं ने आज तक किसी से संबंध बनाना तो दूर दोस्ती तक नहीं की. फिर प्रथम समागम के दौरान रक्तस्राव क्यों नहीं हुआ. भले ही मेरे पति ने इस बात पर गौर नहीं किया पर यह बात मुझे अंदर ही अंदर खाए जा रही है. कृपया बताएं ऐसा क्यों हुआ?

जवाब

सुहागरात को संबंध बनाने के दौरान आप को रक्तस्राव नहीं हुआ इस बात को ले कर आप को परेशान नहीं होना चाहिए. बहुत बार दौड़तेभागते या गिरने आदि से कौमार्य झिल्ली फट जाती है. आप के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ होगा, इसलिए आप बेवजह परेशान न हों और वैवाहिक जीवन का आनंद उठाएं. अभी आप की नईनई शादी हुई है. रोमांस करने के समय में बेकार की बातों को ले कर परेशान न होएं.

कई महिलाओं को संभोग के बाद रक्त स्त्राव होता है. वैसे तो यह एक सामान्य प्रक्रिया होती है, लेकिन कुछ मामलों में यह अन्य समस्याओं की ओर भी इशारा करती है. पीरियड्स के दौरान सेक्स करने से योनि से खून आता है. लेकिन, यह महिलाओं की योनि में सेक्स के समय लगी किसी चोट, संक्रमण व सर्वाइकल कैंसर का भी संकेत करता है. अगर सेक्स के बाद योनि से लगातार खून निकल रहा हो तो इस स्थिति में आपको तुरंत किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए.

सेक्स करते समय खून क्यों आता है?

सेक्स के बाद योनि से खून आने की समस्या को चिकित्सा जगत में पोस्टकोइटल ब्लीडिंग (Postcoital bleeding) के नाम से जाना जाता है. यह समस्या किसी भी उम्र की महिला को हो सकती है. जो महिलाएं रजोनिवृत्ति की स्थिति में नहीं है, उनमें इस तरह की समस्या गर्भाशय ग्रीवा के कारण उत्पन्न होती है, जबकि रजोनिवृत्ति से गुजर रही महिलाओं में यह समस्या कई अन्य कारणों से भी होती हैं.

महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर एक चिंता का विषय है. खासकर रजोनिवृत्ति वाली महिलाओं को इसका खतरा अधिक होता है. सेक्स के बाद महिलाओं की योनि से इस कारण भी खून आता है.

इसके अलावा कुछ ऐसे कारण भी हैं, जिनकी वजह से सेक्स के बाद रक्त स्त्राव होता है.

संक्रमण होना कुछ संक्रमण में सूजन व ऊतक भी योनि से खून आने की वजह होते हैं. इसमें निम्न संक्रमण शामिल होते हैं –

  • श्रोणि में सूजन की बीमारी (Pelvic inflammatory disease)
  • एसटीडी- यौन संचारित रोग
  • गर्भावशय की ग्रीवा में सूजन (Cervicitis)
  • योनि में सूजन (Vaginitis; वैजिनाइटिस)

रजोनिवृत्ति में जेनिटोयुरनेरी सिंड्रोम

यह सिंड्रोम महिलाओं की योनि की सक्रियता को कम करने का इशारा करता है. यह रोग रजोनिवृत्ति के समय व अंडाशय निकालने के कारण होता है. महिलाओं की अधिक उम्र होने पर महवारी बंद हो जाती है और ऐसे उनके शरीर में एस्ट्रोजन के बनने का स्तर कम हो जाता है. एस्ट्रोजन महिलाओं के शरीर में प्रजनन के लिए जिम्मेदार होता है.

महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर कम होने से कई तरह के रोग उत्पन्न होने लगते हैं. इससे महिलाओं की योनि में कम ल्युब्रिकेशन बनता है. जिससे महिलाओं की योनि में सूखापन व जलन होने लगती है. एस्ट्रोजन का स्तर कम होने से योनि के लचिलेपन पर भी असर पड़ता है. योनि के ऊतक सिकुड़ जाते हैं. जिसकी वजह से सेक्स के समय दर्द, असहजता व खून आता है.

पोलिप्स (Polyps)

यह एक प्रकार का बैक्टीरिया होता है. इसके होने से कैंसर का खतरा नहीं रहता है. यह महिलाओं के गर्भाशय ग्रीवा व गर्भाशय की अंदरूनी परत में भी हो जाते हैं. यह गोल आकार के होते हैं. इनके सक्रिय होने पर यह ऊतकों में जलन व रक्त वाहिकाओं में ब्लीडिंग की वजह बनते हैं.

जोश में सेक्स करना

जोश के साथ सेक्स करना भी योनि से खून आने का कारण होता है, क्योंकि इस तरह के सेक्स में शारीरिक बल लगाया जाता है जिससे योनि में खरोंच आ जाती है. रजोनिवृत्ति, स्तनपान व योनि में रूखापन होने के कारण भी योनि से खून आता है.

कैंसर

योनि से लगातार खून आना या सेक्स के बाद खून आना सर्वाइकल व योनि के कैंसर का लक्षण होता है. इस तरह के लक्षण पाए जाने वाली कई महिलाओं की जांच में सर्वाइकल कैंसर पाया गया है. इसके अलावा कई मामलों में गर्भाशय के कैंसर को भी पाया गया.

योनि में सूखापन होना

योनि का सूखापन रक्त स्त्राव होने का आम कारण होता है. इसके अलावा भी योनि से खून बहने के निम्न अन्य कारण होते हैं –

  • स्तनपान कराना.
  • बच्चे के जन्म के बाद.
  • अंडाशय को निकालना
  • कई दवाएं, जैसे- सर्दी में ली जाने वाली दवाएं, अस्थमा की दवा, अवसाद को कम करने वाली दवाएं व एस्ट्रोजन को कम करने वाली दवाएं आदि.
  • किमोथेरेपी व रेडीएशन थेरेपी.
  • शारीरिक बल व जोश के साथ सेक्स करना.
  • किसी कैमिकल से योनि को साफ करना.

क्या सेक्स के बाद योनि से खून आना किसी समस्या की ओर संकेत करता है?

अगर आपको सेक्स के बाद खून आ रहा हो तो यह सामान्य स्तिथि होती है. लेकिन इस स्थिति के बारे में सही जानकारी के लिए आपको डॉक्टर से मिलना होगा. अगर आपको पीरियड्स के कुछ समय पहले या बाद के दौरान सेक्स करने के बाद खून आए तो आपको डॉक्टर से इस विषय पर अवश्य परार्मश कर लेना चाहिए. जब तक डॉक्टर की जांच की रिपोर्ट आपको न पता चले तब तक दोबारा सेक्स न करें. कई बार संक्रमण व किसी अन्य गंभीर समस्या के कारण भी संभोग के बाद योनि से खून आने लगता है.

सेक्स के बाद ब्लीडिंग होने पर डॉक्टर से कब मिलना है जरूरी

सेक्स के बाद खून आने के लक्षण इसके कारण के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं. अगर आपको सेक्स के बाद बेहद ही कम रक्त स्त्राव हो रहा हो, तो आपको इस स्थिति में घबराने की आवश्यकता नहीं है.

इन लक्षणों के दिखाई देने पर डॉक्टर से तुरंत मिलें.

  • योनि में खुजली और जलन,
  • मूत्रत्याग में जलन महसूस होना,
  • संभोग करते समय अधिक दर्द होना,
  • अधिक खून बहना,
  • पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द,
  • पीठ के निचले हिस्से में दर्द,
  • जी मिचलाना और उल्टी आना,
  • योनि से सफेद पानी आना इत्यादि.

संभोग के बाद खून बहने पर कौन से परीक्षण कराएं?

यौन संबंध के बाद खून बहना आमतौर पर योनि के रूखेपन के कारण होता है, लेकिन कई बार यह समस्या गंभीर भी हो सकती है. इसमें डॉक्टर सबसे पहले कैंसर की जांच करते हैं. जिसमें वह आपकी योनि व गर्भाशय ग्रीवा की जांच के लिए पैप स्मीयर (Pap Smear) टेस्ट करते हैं. कैंसर की पहचान होने पर कैंसर विशेषज्ञ के पास आपको भेज दिया जाता है.

यौन संबंध के बाद खून बहने के अतिरिक्त कारणों की जांच निम्न परीक्षण से की जाती है.

  • कोलपोस्कोपी (Coloscope) – इसमें महिलाओं की योनि व गर्भाशय ग्रीवा की जांच की जाती है.
  • ट्रांसवैजाइनल अल्ट्रासाउंड.
  • यूरीन टेस्ट (मूत्र का परीक्षण).
  • खून की जांच.
  • योनि से निकलने वाले सफेद पानी की जांच.

यौन संबंध बनाने के बाद खून आने का इलाज

यौन संबंध बनाने के बाद योनि से खून आने के कारणों के आधार पर इस समस्या का इलाज किया जाता है. जिनमें निम्न प्रमुख हैं –

ल्यूब्रिकेंट्स –

अगर आपकी योनि से खून आने की वजह रूखापन है तो आपको योनि में मॉइश्चराइजर लगना चाहिए. नियमित रूप से मॉइश्चराइजर को योनि की त्वचा पर लगाने से यह योनि की अंदरूनी त्वचा को मॉइश्चराइज करता है. इससे रूखापन खत्म होकर त्वचा में नमीं आने लगती है.

योनि के लिए आने वाले ल्यूब्रिकेंट्स के इस्तेमाल से संभोग के समय त्वचा के घर्षण से छिलने की समस्या कम हो जाती है. पानी युक्त ल्यूब्रिकेंट सेक्स के समय योनि से आने वाले खून को कम कर देता है. तेल युक्त ल्यूब्रिकेंट व कंडोम को साथ में इस्तेमाल करने से कंडोम के कटने या फटने का डर बना रहता है. इसलिए आप पानीयुक्त ल्यूब्रिकेंट्स का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके साथ ही साथ यौन संबंध बनाते समय तेजी या जोश दिखाने की जरूरत नहीं हैं. अगर जोश में महिला को समस्या हो रही है तो आपको तुरंत रूक जाना होगा या इसको आराम से धीरे-धीरे करना होगा.

एस्ट्रोजन थेरेपी –

रजोनिवृत्ति या अंडाशय को बाहर निकलवाने से योनि में रूखापन आने की वजह में आप एस्ट्रोजन थेरेपी को अपना सकती हैं. योनि के लिए आने वाली एस्टोजन क्रीम व अन्य उपादों का इस्तेमाल कर सकती हैं. योनि से खून आने की स्थिति में आप एस्ट्रोजन अंगूठी (रिंग) का भी इस्तेमाल कर सकती हैं. इस लचीली अंगूठी को योनि में अंदर लगाई जाती है. यह सीमित मात्रा में एस्ट्रोजन को करीब 90 दिनों तक स्त्रावित करता है. ओरल हार्मोन थेरेपी में एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टीन को बदल दिया जाता है.  इसके लावा भी महिलाओं के लिए कई अन्य विकल्प मौजूद है.

अन्य इलाज –

योनि में सूजन आना रूखेपन व संक्रमण की ओर संकेत करता है. इसके कारण अज्ञात हो सकते हैं. आपके डॉक्टर द्वारा दी जाने वाली एंटीबॉटिक के कारण भी ऐसा हो सकता है. श्रोणी में दर्द व यौन संचारित रोगों की दवा के साथ भी आपको एंटीबॉयोटिक की दवा दी जा सकती है. इसके अलावा गर्भाशय ग्रीवा में संक्रमण होने पर भी डॉक्टर आपको कुछ ऐसी दवाएं दे सकते हैं, जिससे आपको योनि में रूखापन हो जाता है.

मेरा देवर मुझे बहुत पसंद करता है लेकिन मैं अपने पति के लिए वफादार हूं, क्या करूं?

सवाल

मैं अपने पति से बहुत प्यार करती हूं. समस्या यह है कि उन का भाई यानी मेरा देवर मुझे बहुत पसंद करता है. कई दफा वह मेरे साथ कुछ ऐसा व्यवहार कर जाता है जो मेरे पति को नागवार गुजरता है. मैं देवर को भी नाराज नहीं करना चाहती. क्या करूं?

जवाब

आप को पहले इस मामले में स्वयं क्लियर होना होगा. यदि आप अपने पति से प्यार करती हैं तो फिर इस प्यार को बनाए रखने के लिए दूसरे रिश्तों से एक मर्यादित दूरी बना कर रखें. अपने देवर से स्पष्ट तौर पर कह दें कि आप उन्हें सिर्फ देवर के तौर पर देखती हैं और वह आप को ले कर किसी तरह की ख्वाहिशें न पाले.

अकसर देवर भाभी के अवैध रिश्ते जिंदगी में तूफान ले आते हैं. पति की भावनाओं का खयाल रखें. मुमकिन हो तो आप दोनों पति पत्नी कहीं अलग एक छोटा सा फ्लैट ले लें ताकि देवर से थोड़ी दूरी कायम हो जाए. हर वक्त साथ रहने से इस तरह के नाजुक रिश्तों में गलतफहमियां बढ़ने के आसार बढ़ जाते हैं.

‘‘अरे वाह देवरजी, तुम तो एकदम मुंबइया हीरो लग रहे हो,’’ सुशीला ने अपने चचेरे देवर शिवम को देख कर कहा.

‘‘देवर भी तो तुम्हारा ही हूं भाभी. तुम भी तो हीरोइनों से बढ़ कर लग रही हो,’’ भाभी के मजाक का जवाब देते हुए शिवम ने कहा.

‘‘जाओजाओ, तुम ऐसे ही हमारा मजाक बना रहे हो. हम तो हीरोइन के पैर की धूल के बराबर भी नहीं हैं.’’

‘‘अरे नहीं भाभी, ऐसा नहीं है. हीरोइनें तो  मेकअप कर के सुंदर दिखती हैं, तुम तो ऐसे ही सुंदर हो.’’

‘‘अच्छा तो किसी दिन अकेले में मिलते हैं,’’ कह कर सुशीला चली गई.

इस बातचीत के बाद शिवम के तनमन के तार झनझना गए. वह सुशीला से अकेले में मिलने के सपने देखने लगा.

नाजायज संबंध अपनी कीमत वसूल करते हैं. यह बात लखनऊ के माल थाना इलाके के नबी पनाह गांव में रहने वाले शिवम को देर से समझ आई.

शिवम मुंबई में रह कर फुटकर सामान बेचने का काम करता था. उस के पिता देवेंद्र प्रताप सिंह किसान थे.

गांव में साधारण सा घर होने के चलते शिवम कमाई करने मुंबई चला गया था. 4 जून, 2016 को वह घर वापस आया था.

शिवम को गांव का माहौल अपना सा लगता था. मुंबई में रहने के चलते वह गांव के दूसरे लड़कों से अलग दिखता था. पड़ोस में रहने वाली भाभी सुशीला की नजर उस पर पड़ी, तो दोनों में हंसीमजाक होने लगा.

सुशीला ने एक रात को मोबाइल फोन पर मिस्ड काल दे कर शिवम को अपने पास बुला लिया. वहीं दोनों के बीच संबंध बन गए और यह सिलसिला चलने लगा.

कुछ दिन बाद जब सुशीला समझ गई कि शिवम पूरी तरह से उस की गिरफ्त में आ चुका है, तो उस ने शिवम से कहा, ‘‘देखो, हम दोनों के संबंधों की बात हमारे ससुरजी को पता चल गई है. अब हमें उन को रास्ते से हटाना पड़ेगा.’’ यह बात सुन कर शिवम के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई.

सुशीला इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी. वह बोली, ‘‘तुम सोचो मत. इस के बदले में हम तुम को पैसा भी देंगे.’’

शिवम दबाव में आ गया और उस ने यह काम करने की रजामंदी दे दी.

नबी पनाह गांव में रहने वाले मुन्ना सिंह के 2 बेटे थे. सुशीला बड़े बेटे संजय सिंह की पत्नी थी. 5 साल पहले संजय और सुशीला की शादी हुई थी.

सुशीला उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के महराजगंज थाना इलाके के मांझ गांव की रहने वाली थी. ससुराल आ कर सुशीला को पति संजय से ज्यादा देवर रणविजय अच्छा लगने लगा था. उस ने उस के साथ संबंध बना लिए थे.

दरअसल, सुशीला ससुराल की जायदाद पर अकेले ही कब्जा करना चाहती थी. उस ने यही सोच कर रणविजय से संबंध बनाए थे. वह नहीं चाहती थी कि उस के देवर की शादी हो.

इधर सुशीला और रणविजय के संबंधों का पता ससुर मुन्ना सिंह और पति संजय सिंह को लग चुका था. वे लोग सोच रहे थे कि अगर रणविजय की शादी हो जाए, तो सुशीला की हरकतों को रोका जा सकता है.

सुशीला नहीं चाहती थी कि रणविजय की शादी हो व उस की पत्नी और बच्चे इस जायदाद में हिस्सा लें.

लखनऊ का माल थाना इलाका आम के बागों के लिए मशहूर है. यहां जमीन की कीमत बहुत ज्यादा है. सुशीला के ससुर के पास  करोड़ों की जमीन थी.

सुशीला को पता था कि ससुर मुन्ना सिंह को रास्ते से हटाने के काम में देवर रणविजय उस का साथ नहीं देगा, इसलिए उस ने अपने चचेरे देवर शिवम को अपने जाल में फांस लिया.

12 जून, 2016 की रात मुन्ना सिंह आम की फसल बेच कर अपने घर आए. इस के बाद खाना खा कर वे आम के बाग में सोने चले गए. वे पैसे भी हमेशा अपने साथ ही रखते थे.

सुशीला ने ससुर मुन्ना सिंह के जाते ही पति संजय और देवर रणविजय को खाना खिला कर सोने भेज दिया. जब सभी सो गए, तो सुशीला ने शिवम को फोन कर के गांव के बाहर बुला लिया.

शिवम ने अपने साथ राघवेंद्र को भी ले लिया था. वे तीनों एक जगह मिले और फिर उन्होंने मुन्ना सिंह को मारने की योजना बना ली.

उन तीनों ने दबे पैर पहुंच कर मुन्ना सिंह को दबोचने से पहले चेहरे पर कंबल डाल दिया. सुशीला ने उन के पैर पकड़ लिए और शिवम व राघवेंद्र ने उन को काबू में कर लिया.

जान बचाते समय मुन्ना सिंह चारपाई से नीचे गिर गए. वहीं पर उन दोनों ने गमछे से गला दबा कर उन की हत्या कर दी.

मुन्ना सिंह की जेब में 9 हजार, 2 सौ रुपए मिले. शिवम ने 45 सौ रुपए राघवेंद्र को दे दिए. इस के बाद वे तीनों अपनेअपने घर चले गए.

सुबह पूरे गांव में मुन्ना सिंह की हत्या की खबर फैल गई. उन के बेटे संजय और रणविजय ने माल थाने में हत्या का मुकदमा दर्ज कराया. एसओ माल विनय कुमार सिंह ने मामले की जांच शुरू की.

पुलिस ने हत्या में जायदाद को वजह मान कर अपनी खोजबीन शुरू की. मुन्ना सिंह की बहू सुशीला पुलिस को बारबार गुमराह करने की कोशिश कर रही थी.

पुलिस ने जब मुन्ना सिंह के दोनों बेटों संजय और रणविजय से पूछताछ की, तो वे दोनों बेकुसूर नजर आए.

इस बीच गांव में यह पता चला कि सुशीला के अपने देवर रणविजय से नाजायज संबंध हैं. इस बात पर पुलिस ने सुशीला से पूछताछ की, तो उस की कुछ हरकतें शक जाहिर करने लगीं.

एसओ माल विनय कुमार सिंह ने सीओ, मलिहाबाद मोहम्मद जावेद और एसपी ग्रामीण प्रताप गोपेंद्र यादव से बात कर पुलिस की सर्विलांस सैल और क्राइम ब्रांच की मदद ली.

सर्विलांस सैल के एसआई अक्षय कुमार, अनुराग मिश्रा और योगेंद्र कुमार ने सुशीला के मोबाइल को खंगाला, तो  पता चला कि सुशीला ने शिवम से देर रात तक उस दिन बात की थी.

पुलिस ने शिवम का फोन देखा, तो उस में राघवेंद्र का नंबर मिला. इस के बाद पुलिस ने राघवेंद्र, शिवम और सुशीला से अलगअलग बात की.

सुशीला अपने देवर रणविजय को हत्या के मामले में फंसाना चाहती थी. वह पुलिस को बता रही थी कि शिवम का फोन उस के देवर रणविजय के मोबाइल पर आ रहा था.

सुशीला सोच रही थी कि पुलिस हत्या के मामले में देवर रणविजय को जेल भेज दे, तो वह अकेली पूरी जायदाद की मालकिन बन जाएगी, पर पुलिस को सच का पता चल चुका था.

पुलिस ने तीनों को साथ बिठाया, तो सब ने अपना जुर्म कबूल कर लिया.

14 जून, 2016 को पुलिस ने राघवेंद्र, शिवम और सुशीला को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया. वहां से उन तीनों को जेल भेज दिया गया.

सुशीला अपने साथ डेढ़ साला बेटे को जेल ले गई. उस की 4 साल की बेटी को पिता संजय ने अपने पास रख लिया.

जेल जाते समय सुशीला के चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी. वह शिवम और राघवेंद्र पर इस बात से नाराज थी कि उन लोगों ने यह क्यों बताया कि हत्या करते समय उस ने ससुर मुन्ना सिंह के पैर पकड़ रखे थे.

जिंदगी के आखिरी पड़ाव पर जब चाहिए हो किसी का साथ

अकेलेपन की टीस बेहद पीड़ादायक होती है. इस के एहसास की पीड़ा तब तक इंसान को महसूस नहीं होती है जब तक वह इस का भुक्तभोगी न हो. इस अकेलेपन को दूर करने का सब से बड़ा संबल है, एक साथी या जीवनसाथी का होना. साथी की जरूरत जवानी में तो होती ही है पर बुढ़ापे में अधिक होती है. चाहे स्त्री हो या पुरुष, जिंदगी की अन्य जरूरतों की तरह ही शारीरिक जरूरत भी हर इंसान की एक अहम जरूरत है, जो यौवन में ही नहीं, यौवन की दहलीज के पार भी महसूस होती है.

वृद्धावस्था में किसी की शादी की बात सुन कर अकसर हम सब चौंक जाते हैं. उसे दोषी करार देते हैं. पर क्यों? इस के पीछे क्या कारण है, उस ओर हम ध्यान नहीं देते. ‘एक महिला ने 62 साल की उम्र में अपना विवाह बड़ी धूमधाम से किया…’ अखबार में छपी इस खबर ने कुछ पाठकों को जरूर चौंका दिया होगा पर यह घटना न तो असामान्य है, न अमानवीय. मानसिक, सामाजिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से अकेले रहने की टीस से नजात पाने के लिए हर इंसान बेचैन रहता है. वह इस कैद से बाहर निकल कर, खुली आबोहवा में सांस ले कर जीना चाहता है. क्या यह अपराध है?

बचपन और किशोरावस्था में इस अकेलेपन के एहसास से इंसान पूरी तरह से अनभिज्ञ रहता है. जवानी में उम्र के जोश और उत्साह के उन्माद में डूबा रहता है. इस भागदौड़ में कब उस की जवानी बीत जाती है, उसे पता ही नहीं चल पाता है. जब वह वृद्धावस्था में कदम रखता है, तो इस सत्य से रूबरू होता है. और जब उसे इस का एहसास होता है, तो वक्त के सारे पंछी उस के हाथों से उड़ चुके होते हैं.

यह एकाकीपन क्या है, क्या होता है, इस का विश्लेषण किया गया. इस से होने वाले नुकसान के बारे में रिसर्च करने पर परिणामस्वरूप बहुत सारे तथ्य सामने आए. समाज के अलगअलग वर्गों और समुदायों के लोगों से बातचीत की गई.

मुंबई के उपनगर बोरीवली की एक मनोचिकित्सक डा. सुमन कालरा, 18 वर्षों से साइकेट्रिक क्लिनिक चला रही हैं. जाहिर है इस विषय में उन्हें प्रगाढ़ अनुभव है. मेरे प्रश्न पर वे मुसकराती हैं और फिर विस्तार से बताती हैं, ‘‘मेरे पास तरहतरह के रोगी आते हैं. उन में जो 50 साल से अधिक उम्र वाले हैं, चाहे पुरुष हों या स्त्री, उन के रोग का मुख्य कारण देखा गया है, ‘जीवन का एकाकीपन.’ यही उन्हें सब से ज्यादा तकलीफ देता है.

‘‘जब धीरेधीरे सभी सगेसंबंधी, मित्र, रिश्तेदार उन्हें छोड़ कर अपनेअपने परिवार में व्यस्त होने लगते हैं, तो बुढ़ापे की ओर अग्रसर, ये एकाकी या चिरकुंआरे लोग, समाज में अलगथलग पड़ जाते हैं और अकेलापन उन के जीवन में दंश देना शुरू कर देता है, जो उन्हें धीरेधीरे असामान्य बना देता है.’’

सैक्स की आवश्यकता और उस की अनिवार्यता को पूरी तरह स्वीकारती, स्त्रीरोग विशेषज्ञ, डा. रति माथुर बताती हैं, ‘‘जीवन क्या है? परिस्थितिस्वरूप आते बदलाव का नाम ही जीवन है. उम्र के अनुसार शारीरिक बदलाव होते हैं, और यही बदलाव नईनई जरूरतों को जन्म देते हैं. शारीरिक जरूरतों की भी एक खास उम्र हुआ करती है जब विपरीत सैक्स के प्रति अनायास ही चाहेअनचाहे आकर्षण पैदा होने लगता है और उस का साथ अनायास ही अच्छा लगने लगता है. लेकिन 50 की उम्र के बाद, शरीर की सैक्स की मांग कम होने लगती है. ऐसे समय में मानवीय भावनाओं की मांग ज्यादा अहम हो जाती है.’’

डा. रति ने काफी सुलझे हुए तरीके से हमें समझाया कि बढ़ती उम्र में कई वजहों से सहवास की अभिलाषा अवश्य कम हो जाती है पर ‘साथ’ की अभिलाषा खत्म नहीं होती और ‘साथ’ न मिलने पर भावनात्मक पीड़ा होने लगती है.

एक विदेशी फर्म की मार्केटिंग मैनेजर कादंबरी सहाय 59 साल की हैं. अविवाहित कादंबरी को अब अपना अकेलापन खलने लगा है. पारिवारिक जिम्मेदारियां और अपने छोटे भाईबहनों को पढ़ानालिखाना तथा उन की शादी का उत्तरदायित्व भी कादंबरी ने ही उठाया है, जिन के लिए उन्होंने अपनी शादी और अपना भविष्य दांव पर लगा दिया था. अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह निभाने के बाद विडंबना ऐसी कि अब वही अपने लोग, जिन के लिए कादंबरी ने अपनी वैवाहिक आवश्यकता की कुर्बानी दी, उन को गैरजरूरी व भार समझने लगे हैं.

अगले साल रिटायर होने के बाद आने वाला अकेलापन सोच कर कादंबरी कांप उठती हैं. मुंबई में अपना फ्लैट है. घर में आराम के सभी साधन मौजूद हैं. बैंक बैलेंस भी अच्छाखासा है, पर साथ रहने वाला कोई नहीं है.

शारीरिक जरूरतों की बात पर कादंबरी बिना किसी लागलपेट के कहती हैं, ‘‘देखिए, जीवन का एक अटूट हिस्सा है सैक्स. पर मानवीय भावनाओं को मैं ज्यादा अहम मानती हूं. जब अपनों से दिल टूट जाता है, तो ऐसी जिंदगी का कोई अर्थ ही नहीं रह जाता. इसीलिए अब मैं जिंदगी को पूरी तरह से जीने में यकीन करने लगी हूं. महिला मित्रों के साथसाथ मेरे कुछ पुरुष मित्र भी हैं.

‘‘हम लोग आउटिंग पार्टियां करते रहते हैं, एंजौय करते हैं. पर जब मैं उस टीस के बारे में सोचती हूं, जो मेरे भाईबहन ने मुझे दी है, जिन के लिए मैं ने अपना जीवन कुर्बान कर दिया है, तो बहुत तकलीफ होती है, बहुत अकेलापन सा लगने लगता है.’’ यह कहने के साथ उन की आंखें भर आईं.

कादंबरी के साथ काम करने वाली उन की ही तरह अविवाहित, फ्लोरिया डिसूजा ने बताया, ‘‘मैं व्यक्तिगत रूप से शारीरिक संबंध को बहुत ज्यादा अहमियत नहीं देती हूं, पर सैक्स की इच्छा को दबा कर दफन करने में भी विश्वास नहीं करती हूं. जहां तक सैक्स की बात है, मुझे अच्छी तरह से याद है कि मेनोपौज तक, जब मैं 48 साल की थी, उन दिनों तक मैं इसे बहुत महत्त्वपूर्ण समझा करती थी.

‘‘यह भी सच है कि अकेलेपन की वजह से सैक्स की इच्छा सामान्य से कुछ अधिक ही हुआ करती है. शायद यह असुरक्षा की भावना रहती होगी या फिर वृद्ध होने के एहसास का भय, पता नहीं? वैसे यह मेरा व्यक्तिगत विचार है.’’

सूरत में अपना क्लिनिक चलाने वाले डा. राहुल जैन से जब जीवन में आने वाले अकेलेपन व सैक्स पर बात हुई, तो उन्होंने बताया, ‘‘मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, इसलिए हम सभी को ही परिवार व समाज की आवश्यकता तो होगी ही. अकेलापन जिंदगी को दीमक की तरह खाने लगता है. परंतु मैडिकल साइंस का कुछ और ही कहना है.

‘‘मैडिकल साइंस के हिसाब से, कभीकभी इस का कारण शरीर के कुछ खास हार्मोन्स की गैरमौजूदगी भी हुआ करती है. फ्राइब्रायडो या एडीनी मायेसिस की समस्या अकसर महिलाओं में सैक्स की इच्छा को परोक्षरूप से और बढ़ा देती है. यह बदलाव पुरुषों में भी आता है, पर महिलाओं में कुछ ज्यादा ही आता है. यह विशेष बदलाव महिलाओं में व्यग्रता, अति संवेदनशीलता और अधीरता को बढ़ा देता है. भावनाएं बेचैनी का रूप धारण कर लेती हैं और यही बदलाव धीरेधीरे आदत में परिवर्तित हो जाया करता है. फलस्वरूप, सैक्स की इच्छा बारबार उठती रहती है. इसे मैडिकल की भाषा में पीएमएम यानी पोस्ट मैंस्टुअल मूडस्विंग कहते हैं.

मशहूर जरमन गाइनीकोलौजिस्ट ई डब्लू फेब्रक्स की चर्चित पुस्तक ‘स्पींस्टर ऐंड देअर डिजायर्स’ में लिखा है कि जो भी स्त्री या पुरुष अधिक उम्र तक अविवाहित रहते हैं, वे प्राकृतिक नियमों की अवहेलना और उल्लंघन करते हैं. प्राकृतिक नियमों को तोड़ कर जो अविवाहित रहने का फैसला करते हैं, वे अपने प्रति अन्याय करते हैं.

सैक्स इंसान के जीवन की आवश्यकता ही नहीं, अनिवार्यताओं में एक है. सैक्स इंसान की कुंठाओं को रिलीज कर उसे सामान्य बने रहने में सहायता करता है और साथी पति या पत्नी, को समाज में स्थान और प्रतिष्ठा दिलाता है.

मुंबई की एक संस्था है महाराष्ट्र नारी उत्थान मंडल जिस ने विधवा विवाह और तलाकशुदा महिलाओं का दोबारा विवाह कराने का बीड़ा उठाया है. इस मंडल की संचालिका ममता राज्याध्यक्ष, महिलाओं के अविवाहित रहने की घोर विरोधी हैं. 17 साल से इस मंडल का संचालन कर रही ममता अब तक 250 से भी अधिक पुनर्विवाह करवा चुकी हैं. इन में ज्यादातर महिलाएं ऐसी हैं जिन्हें शादी के लिए राजी करना टेढ़ी खीर था.

ममता बताती हैं, ‘‘एक ओर तलाकशुदा स्त्रियां, अपनी एक शादी के टूटने से ही इतनी विचलित और भयभीत हो उठती हैं कि दोबारा विवाह करने और किसी दूसरे पुरुष के साथ जीवन बिताने को सोच पाना भी उन्हें कठिन सा लगने लगता है तो दूसरी ओर विधवाओं की अलग ही समस्याएं हैं. पति की मृत्यु के बाद वे अपने पति की याद में खोईखोई सी रहती हैं. उन के लिए किसी और व्यक्ति के साथ रहने या शारीरिक संबंध बनाने व शादी करने की बात उन्हें रास ही नहीं आती.’’

उन्होंने आगे बताया कि दोनों ही मामलों में उन्हें बहुत ही जद्दोजेहद करनी पड़ती है, पर वे इसे भी एंजौय करती हैं. वे कहती हैं, ‘‘कार्य जितना कठिन होता है, उस की संतुष्टि उतनी ही अधिक हुआ करती है. मुझे ऐसी महिलाओं को प्रेरित करने में ऐंडवैचर सा आनंद मिलता है.’’

संख्या की दृष्टि से अविवाहित महिलाओं और पुरुषों की एक बड़ी तादाद मैट्रो शहरों में रह रही है. कारण चाहे जो भी हो, कभी जिंदगी की व्यस्तता होती है, तो कभी कोई सही जीवनसाथी  का न मिल पाना या फिर प्रेम में विफलता का सदमा. पर अविवाहित लोगों का जीवन, उम्र के अंतिम पड़ाव में बहुत ही दुखदाई हो जाता है.

उम्र के उस पड़ाव पर, जब किसी साथी की सब से ज्यादा जरूरत हुआ करती है, अकेलापन मिले तो आप समझ सकते हैं कि यह उसे कितनी टीस देगा. शारीरिक भूख की तृष्णा भले ही उस उम्र में कम हो पर भावनात्मक रूप से तितरबितर सा उस का जीवन अवश्य उसे कचोटता रहेगा. और अकेलेपन के लिए हो रहे पछतावे की आग उसे क्षणक्षण जलाती रहती है.

कुंआरे रहने वाले लोग, अपनेआप को भले ही तरहतरह की तसल्लियों से समझाते रहें, अपने इस निर्णय की सराहना करते रहें, पर जब आसपास का एकाकीपन उन्हें डंसता होगा, तो एक पछतावे की आह अवश्य उन के हृदय से उठती होगी. दरअसल, सचाई तो सचाई ही है. सचाई से आंख चुराई जा सकती है, पर मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है.

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