यूपी में “हर घर नल” योजना की केंद्र सरकार ने की खुलकर तारीफ

बुंदेलखंड और विंध्‍य समेत प्रदेश भर के ग्रामीण इलाकों में पीने के साफ पानी की आपूर्ति पर पर लगातार काम कर रही राज्‍य सरकार की 735 पेयजल आपूर्ति योजनाओं पर केंद्र सरकार ने अपनी मुहर लगा दी है. राज्यस्तरीय योजना स्वीकृति समिति ने गुरुवार को ग्रामीण क्षेत्रों में नल से पानी कनेक्शन के लिए राज्‍य सरकार की ओर से भेजे गए  1,882 करोड़ रुपये के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है . इस बीच केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने ट्वीट कर यूपी में हर घर नल योजना की प्रगति की जमकर तारीफ की है. केंद्रीय मंत्री ने राज्‍य सरकार की तारीफ करते हुए कहा है कि यूपी ने हर घर नल से जल योजना को जन आंदोलन बना दिया है. केंद्र सरकार ने हर घर नल योजना को लेकर पहली बार किसी राज्‍य की इस तरह तारीफ की है .

बैठक में स्‍वीकृत की गई इन योजनाओं से 33 जिलों के 1262 गांवों की 39 लाख की आबादी को फायदा होगा. बैठक में समिति द्वारा 735 योजनाओं को स्वीकृति प्रदान की गयी. इसके तहत 4.03 लाख ग्रामीण परिवारों को पानी के कनेक्शन दिए जाने की योजना है . मौजूदा समय में प्रदेश में 2.64 करोड़ में से कुल 34 लाख (12.9%) ग्रामीण परिवारों को उनके घरों तक नल का पानी मिल रहा है.

केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने अपने ट्वीट मे इस बात का भी उल्लेख किया है कि राज्य में 1882 करोड़ रुपये के प्रस्ताव स्वीकृत किए गए हैं ताकि गांवों में आसानी से नल कनेक्शन पहुंचाए जा सकें. इससे 1262 गांवों के 39 लाख लोगों को लाभ मिलेगा. उन्‍होंने लिखा है कि योगी जी की सरकार ने वर्ष 2021-22 में 78 लाख परिवारों को नल कनेक्शन देने की संवेदनशील योजना बनाई है. यूपी में “जल जीवन भी और अब मिशन भी “ बन चुका है.

यूपी में युद्ध स्तर पर हर घर को नल से जल देने की योजना पर काम तेजी से किया जा रहा है. सरकार अगले महीने बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र के सैकड़ों गांवों में हर घर को नल से जल देने की शुरुआत करने जा रही है. इसके लिए कई इलाकों में ट्रायल रन चल रहा है.

बीमारू और आपराधिक छवि से बाहर निकल रहा आजमगढ़

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले की छवि बीमारू जिले, माफिया और आतंकवादी सरपरस्ती की बन गई थी. योगी सरकार के प्रयास से यह छवि बदल रही है. दो लोकसभा, 10 विधानसभा क्षेत्र, 8 तहसीलें और 22 ब्लॉक आजमगढ़ का  भूगोल है. पिछले चार दशक तक उसके इतिहास के पन्नों में आतंक और बीमारू शब्दों की यथार्थ बारंबारता रही.

कभी इस जिले की पहचान

अयोध्या सिंह हरिऔध व श्याम नारायण पांडेय जैसे साहित्य सर्जकों से रही, ब्लैक पॉटरी जैसे खूबसूरत कुटीर उद्योग से रही, अस्सी के दशक से वह जिला माफियागिरी और टेरर कनेक्शन के नाम पर बदनाम हो गया. निवेश और विकास की बात तो दूर, यहां स्थापित कारोबारी ही पलायित होने लगे. किसी भी बड़े शहर में आजमगढ़ का नाम खौफ का पर्याय हो चला था. इन सबके बावजूद सीटों के गणितीय फॉर्मूले में तत्कालीन सत्ताधीश तमाशा देखते रहे.

बीते साढ़े चार सालों से आजमगढ़ माफिया की बजाय विकास का गढ़ बनने की राह पर सरपट आगे बढ़ा है. वैसे तो यह जिला सपा का गढ़ माना जाता है लेकिन जिले की विकासपरक पहचान की पहल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की है. योगी जिले को राज्य विश्वविद्यालय की सौगात देने जा रहे हैं.

यह सच है कि आजमगढ़ कभी भारतीय जनता पार्टी का राजनीतिक किला नहीं रहा. लेकिन, यह भी उतना ही सच है कि इस जिले की पहली बार सुधि भाजपा सरकार ने ही ली. मार्च 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही योगी आदित्यनाथ ने आजमगढ़ के विकास को बहुत तवज्जो दी. मुख्यमंत्री ने आजमगढ़ की जनता से विश्वविद्यालय की स्थापना का वादा किया था और उसे पूरा भी कर दिखाया है. एक बात तो साफ हो गई है कि आने वाले दिनों में आजमगढ़ की नई पहचान उच्च शिक्षा के महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में हो सकेगी. जबकि बीते चार दशकों में कभी हाजी मस्तान तो कभी दाऊद इब्राहिम,अबू सलेम, अबू बकर जैसे माफिया डॉन ही और कई बार बम ब्लास्ट के टेरर कनेक्शन जिले की बदनाम पहचान बन गए थे. साढ़े चार सालों में प्रदेश की कानून व्यवस्था का ऐसा बोलबाला हुआ है कि आजमगढ़ कभी माफिया पनाह मांगने लगे हैं.

आजमगढ़ की जनता ने समाजवादी पार्टी को सिर आंखों पर बैठाया लेकिन जनता को उसके नेताओं ने वोट बैंक तक ही सीमित रखा. 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां के लोगों ने मुलायम सिंह यादव को अपना रहनुमा बनाया तो 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव को. इसके बावजूद आजमगढ़ के माथे पर बीमारू का कलंक चस्पा रहा. रहनुमा बनकर सपा नेता आजमगढ़ की जनता को ही भूल बैठे. राजनीतिक विरोधियों का क्षेत्र भले रहा लेकिन सीएम योगी ने जनता को विकास परियोजनाओं का उपहार देने में कभी भेदभाव नहीं किया. पूर्वांचल एक्सप्रेसवे और गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के माध्यम से आजमगढ़ के विकास के एक नई तस्वीर उभरने वाली है. इन दोनों एक्सप्रेसवे के जरिए आजमगढ़ प्रमुख कारोबारी और औद्योगिक केंद्र के रूप में स्थापित होगा. इससे बड़े पैमाने पर स्थानीय रोजगार सृजित होगा. मुंबई और खाड़ी देशों को होने वाला युवाओं का पलायन भी रुकेगा. यही नहीं सीएम योगी के नियमित पर्यवेक्षण में यहां एयरपोर्ट भी बनकर तैयार है और जल्द ही आजमगढ़ और आसपास के लोगों को बड़े शहरों के लिए सीधी एयर कनेक्टिविटी हो जाएगी. इतना ही नहीं आजमगढ़ के पारंपरिक कुटीर शिल्प ब्लैक पॉटरी को भी अंतरराष्ट्रीय पहचान योगी सरकार ने ही दिलाई है. यह कुटीर उद्योग प्रोत्साहन के अभाव में दम तोड़ रहा था. सरकार ने इसे आजमगढ़ की ओडीओपी (एक जिला एक उत्पाद) योजना में शामिल किया. ओडीओपी में शामिल होते की इस कुटीर उद्योग से जुड़े उद्यमियों के दिन बहुर गए हैं. इस कुटीर उद्योग की धमक और वैश्विक मंच पर भी होने लगी है.

पूरब की तरक्की नया “गेटवे” पूर्वांचल एक्सप्रेसवे

पूर्वांचल की बदहाली, गरीबी, बेबसी और अति पिछड़ेपन का दंश कभी लोकसभा में गाजीपुर के तत्कालीन सांसद विश्वनाथ गहमरी ने इस भावुकता से उठाया था कि सदन में बैठे अधिकांश माननीयों की आंखें नम हो गई थीं. पूरब के लोगों की आंखें एक बार फिर छलकने को बेताब हैं. पर, इस बार आंसू खुशी के होंगे, समृद्धि के पूरे होते सपनों के होंगे, देश की अर्थव्यवस्था में सिरमौर बनने के लिए बढ़ते कदम के होंगे. अवसर होगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों 341 किमी लंबे पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के उद्घाटन का. इस एक्सप्रेसवे के रूप में पूरब के लोगों को तरक्की का “गेटवे” भी मिल जाएगा.

पूर्वांचल के लोगों के लिए दिल्ली अब दूर नहीं होगी, गाजीपुर से सिर्फ 10 घण्टे में देश की राजधानी पहुंचा जा सकेगा. पहले इसका दोगुना या इससे भी अधिक समय लगता था. योगी सरकार ने यूपी में रोड कनेक्टिविटी को अर्थव्यवस्था के मजबूत प्लेटफार्म के रूप में तैयार किया है. सीएम के निर्देश पर उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) द्वारा पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को भी इसी मंशा से विकसित किया गया है. पूर्व की सरकारों में जिन जिलों में पारंपरिक सड़कें ही चलने लायक नहीं थीं, वहां सिक्स लेन एक्सप्रेसवे की सौगात विकास की नई इबारत लिखने जा रही है. यह एक्सप्रेसवे सिर्फ आमजन की आवागमन सुगमता का ही मार्ग नहीं है बल्कि निवेश व औद्योगिक विकास से रोजगार का भी नया द्वार खोलने वाला है.

पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के दायरे में आने वाले जनपदों में कारोबारी गतिविधियों को नया विस्तार तो मिलेगा ही, एक्सप्रेसवे के दोनों तरफ इंडस्ट्रियल क्लस्टर स्थानीय श्रम शक्ति को सेवायोजित भी करेंगे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के समीप पांच इंडस्ट्रियल क्लस्टर विकसित किए जा रहे हैं. इसके लिए उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण की तरफ से नौ हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि चिन्हित भी कर ली गई है. चूंकि पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के दायरे में आने वाले अधिकांश जिले कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले हैं, इसलिए इंडस्ट्रियल क्लस्टर में पहली प्राथमिकता फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स पर है. इसके अलावा टेक्सटाइल, रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पाद, बेवरेज, केमिकल, मेडिकल उपकरणों से जुड़ी फैक्ट्रियां भी स्थापित होंगी. इन फैक्ट्रियों में स्थानीय श्रम शक्ति को रोजगार मिल सके, इसके लिए प्रशिक्षण केंद्र स्थापित कर उन्हें प्रशिक्षित भी किया जाएगा.

गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे और बलिया लिंक एक्सप्रेसवे से जोड़कर तीव्रतम होगी विकास की रफ्तार
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को निर्माणाधीन गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे और बलिया लिंक एक्सप्रेसवे से भी जोड़ा जाएगा. दो लिंक एक्सप्रेसवे से जोड़कर पूर्वी उत्तर प्रदेश में विकास की रफ्तार तीव्रतम की जाएगी. इससे गोरखपुर, संतकबीर नगर, बलिया समेत करीब आधा दर्जन अतिरिक्त जिले पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जुड़ जाएंगे.

आपात स्थिति में वायुसेना के भी काम आ सकेगा पूर्वांचल एक्सप्रेसवे
पूर्वांचल एक्सप्रेस वे को इतना मजबूत बनाया गया है कि आपातकालीन आवश्यकता पर वायुसेना अपने लड़ाकू विमान की इस पर लैंडिंग भी कर सकती है. एक्सप्रेसवे पर सुल्तानपुर में बकायदे 32 किमी लंबी सड़क को वायुसेना की हवाई पट्टी के रूप में ही विकसित किया गया है. प्रधानमंत्री द्वारा सुल्तानपुर में एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किए जाने से पूर्व वायुसेना यहां लड़ाकू विमान की ट्रायल लैंडिंग कर सकती है.

पूर्वांचल एक्सप्रेसवे : एक नजर में

शिलान्यास – 14 जुलाई 2018

एक्सप्रेसवे का प्रारंभिक स्थान- एनएच 731 के लखनऊ-सुल्तानपुर रोड पर स्थित लखनऊ का चांदसराय गांव

अंतिम स्थान – एनएच 19 पर गाजीपुर का हैदरिया गांव (यूपी-बिहार बॉर्डर से 18 किमी पहले)
ले आउट – पूर्णतः प्रवेश नियंत्रित 6 लेन, कुल लम्बाई 340824 किमी

परियोजना की लागत – 2249466 करोड़ रुपये, भूमि अधिग्रहण समेत

कवर हुए जनपद – 9 (लखनऊ, बाराबंकी, अमेठी, सुल्तानपुर, अयोध्या, अम्बेडकरनगर, आजमगढ़, मऊ व गाजीपुर)

काशी में चलेंगी सीएनजी आधारित बोट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  ने पिछली देव दीपावली पर काशी में जब क्रूज़ से गंगा की सैर की थी तभी उन्होंने डीजल से चलने वाली बोट के ज़हरीले धुएं और शोर से गंगा को मुक्ति दिलाने के लिए तयकर लिया था. उत्तर प्रदेश  के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसका बखूबी जिम्मा लिया.

वाराणसी में गंगा में चलने वाली करीब 500 मोटर बोट को 19 नवंबर देव दीपावली तक सीएनजी से चलाने का लक्ष्य है. आने वाले समय में गंगा में शत प्रतिशत बोट सीएनजी से चलाने की योजना है. मोक्षदायिनी गंगा दुनिया की पहली नदी होगी, जहां इतने बड़े पैमाने पर सीएनजी आधारित बोट चलेंगी.

धर्म नगरी काशी में आने वाले पर्यटक गंगा में बोटिंग करके अर्धचंद्राकार घाटों के किनारे सदियों से खड़ी इमारतों, मंदिर-मठों को देखते हैं. अब यहाँ आने वाले पर्यटकों को गंगा में बोटिंग करते समय ज़हरीले धुएं और बोट की तेज आवाज से मुक्ति मिलने वाली है. सभी डीज़ल आधारित बोटों को देव दीपावली तक सीएनजी आधारित  करने का लक्ष्य है . वाराणसी दुनिया का पहला शहर होगा, जहां इतने बड़े पैमाने पर सीएनजी से नावों का संचालन होगा. गंगा में फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन की भी योजना है. इससे गंगा के बीच में भी सीएनजी भरी जा सकेगी.

स्मार्ट सिटी के जीएम डी वसुदेवम ने बताया कि गंगा में क़रीब 1700 छोटी-बड़ी नावें चलती हैं. इनमे से करीब 500 बोट डीज़ल इंजन से चलने वाली है. लगभग 177 बोट में सीएनजी इंजन लगा चुका है. बचे हुए मोटर बोट को देव दीपावली तक सीएनजी इंजन से चला देने का लक्ष्य है. ये काम गेल इण्डिया कोर्पोरेट सोशल रिस्पांसबिल्टी के तहत करा रही है. करीब 29 करोड़ के बजट से 1700 छोटी और बड़ी नाव में सीएनजी इंजन लगया जा रहा है. इसमें छोटी नाव पर करीब 1.5 लाख का खर्च आ रहा है, जबकि बड़ी नाव और बज़रा पर लगभग 2.5 लाख का ख़र्च है . नाविकों के नाव में सीएनजी किट मुफ़्त लगाया जा रहा है. स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट मैनेजर सुमन कुमार राय ने बताया कि जिस नाव पर सीएनजी आधारित इंजन लगेगा, उस नाविक से डीज़ल इंजन वापस ले लिया जाएगा. घाट पर ही डाटर स्टेशन हैं. जेटी पर डिस्पेंसर भी लग गया है. नाविकों का कहना है कि सीएनजी इंजन से आधे खर्चे में दुगनी दूरी तय  कर रहे हैं. धुआँ और तेज आवाज नहीं होने से पर्यटकों को भी अच्छा लग रहा है.

सीएनजी से प्रदूषण भी होगा कम

सीएनजी आधारित इंजन डीज़ल और पेट्रोल इंजन के मुक़ाबले 7 से 11 प्रतिशत  ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करता है, वहीं सल्फर डाइऑक्सइड जैसी गैसों के न निकलने से भी प्रदूषण कम होता है. डीजल इंजन से नाव चलाने पर जहरीला धुआं निकलता है जो आसपास रहने वाले लोगों के लिए बहुत हानिकारक है, जबकि सीएनजी के साथ ऐसा नहीं है. डीजल इंजन की तेज आवाज़ से कंपन होता है, जिससे इंसान के साथ ही जलीय जीव-जन्तुओं पर बुरा असर पड़ता है और इको सिस्टम भी खराब होता है. इसके साथ ही घाट के किनारे हज़ारों सालों से खड़े  ऐतिहासिक धरोहरों को भी नुकसान पहुंच रहा था. डीजल की अपेक्षा सीएनजी कम ज्वलनशील होती है अतः इससे चालित नौकाओं से आपदाओं की आशंका कम होगी.

विश्व भर के बौद्ध समाज के लिए भारत श्रद्धा और आस्था का केन्द्र: प्रधानमंत्री

इस अवसर पर आयोजित कार्यकम को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री जी ने कहा कि विश्व भर के बौद्ध समाज के लिए भारत श्रद्धा और आस्था का केन्द्र है. आज कुशीनगर इण्टरनेशनल एयरपोर्ट की यह सुविधा, उनकी श्रद्धा को अर्पित पुष्पांजलि है. भगवान बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति से लेकर महापरिनिर्वाण तक की सम्पूर्ण यात्रा का साक्षी यह क्षेत्र आज सीधे दुनिया से जुड़ गया है. श्रीलंकन एयरलाइंस के विमान का कुशीनगर में उतरना इस पुण्य भूमि को नमन करने की तरह है. देश सबका साथ और सबका प्रयास की सहायता से सबके विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि कुशीनगर का विकास, उत्तर प्रदेश सरकार और केन्द्र सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है. कुशीनगर का इण्टरनेशनल एयरपोर्ट दशकांे की आशाओं और अपेक्षाओं का परिणाम है.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि यह क्षेत्र सिर्फ भारत के अनुयायियों के लिये ही नहीं, बल्कि देश के सभी नागरिकों के लिये भी बहुत बड़ा श्रद्धा व आकर्षण का केन्द्र बनने जा रहा है. कुशीनगर इण्टरनेशनल एयरपोर्ट एयर कनेक्टिविटी का माध्यम बनने के साथ-साथ इसका सीधा लाभ किसान, पशुपालक, दुकानदार, श्रमिक, उद्यमी आदि को मिलेगा. सबसे ज्यादा लाभ यहां के टूरिज्म, ट्रेवल टैक्सी, होटल-रेस्टोरेन्ट, छोटे-छोटे बिजनेस करने वालों को मिलेगा. इस क्षेत्र के युवाओं के लिए रोजगार के नये अवसर बनेंगे.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि पर्यटन किसी भी स्वरूप में हो, आस्था अथवा आनन्द के लिए हो, आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर इसके लिये बहुत ज्यादा जरूरी है. रेल, रोड, एयरवेज, वॉटरवेज के साथ साथ होटल, हॉस्पिटल, इण्टरनेट-मोबाइल कनेक्टिविटी, सफाई व्यवस्था, सीवरेज ट्रीटमेन्ट का प्लान्ट यह अपने आप में एक सम्पूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर है. टूरिज्म बढ़ाने के लिए इन सभी का एक साथ कार्य करना जरूरी है. आज 21वीं सदी का भारत इसी एप्रोच के साथ आगे बढ़ रहा है.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि कोरोना वैक्सीनेशन में भारत की तेज गति एवं प्रगति से दुनिया में एक विश्वास पैदा होगा. टूरिस्ट के रूप में अथवा किसी काम-काज से भारत आना पड़ता है तो व्यापक रूप से वैक्सीनेटेड भारत दुनिया के पर्यटकों के लिये आश्वस्ति का एक कारण बन सकता है. एयर कनेक्टिविटी को देश में उन लोगों तथा उन क्षेत्रों तक पहुंचाने पर जोर दिया गया, जिसके बारे में पहले सोचा भी नहीं गया था. इसी लक्ष्य के साथ उड़ान योजना को 4 साल पूरे हो रहे हैं. उड़ान योजना के बीते सालों में 900 से अधिक रूटों को स्वीकृति दी जा चुकी है तथा इनमें 350 से अधिक रूटों पर हवाई सेवा शुरू भी हो चुकी है.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि आने वाले 3-4 सालों में कोशिश यह है कि 200 से अधिक एयरपोर्ट, हेलीपैड और सी-प्लेन की सेवा देने वाले वॉटर ड्रोन का नेटवर्क भी देश में तैयार हो. बढ़ती हुई इन सुविधाओं के बीच एयरपोर्ट पर भारत का सामान्य नागरिक दिखने लगा है. मध्यम वर्ग के ज्यादा से ज्यादा लोग अब हवाई सेवा का लाभ ले रहे हैं. उड़ान योजना के तहत उत्तर प्रदेश में भी कनेक्टिविटी लगातार बढ़ रही है. उत्तर प्रदेश में कुशीनगर एयरपोर्ट से पहले ही, 08 एयरपोर्ट चालू हो चुके हैं.

लखनऊ, वाराणसी, कुशीनगर के बाद जेवर मे भी इण्टरनेशनल एयरपोर्ट पर तेजी से काम चल रहा है. इसके अतिरिक्त, अयोध्या, अलीगढ़, आजमगढ़, श्रावस्ती, चित्रकूट, मुरादाबाद में भी नये एयरपोर्ट पर तेजी से काम चल रहा है. उत्तर प्रदेश के अलग-अलग अंचलो में हवाई मार्ग से कनेक्टिविटी बहुत जल्द मजबूत हो जायेगी. इससे घरेलू यात्रियों तथा श्रद्धालुओं को बहुत सुविधा होने जा रही है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश का एविएशन सेक्टर प्रोफेशनली चले, सुविधा और सुरक्षा को प्राथमिकता मिले, इसके लिए हाल ही में एयर इण्डिया से जुड़ा कदम देश ने उठाया है. यह निर्णय भारत के एविएशन सेक्टर को नई ऊर्जा देगा. भारत के युवाओं को यहीं बेहतर ट्रेनिंग मिले, इसके लिये देश के 05 एयरपोर्ट में नई फ्लाइंग एकेडमी स्थापित करने हेतु प्रक्रिया शुरु की गयी है. ट्रेनिंग के लिये एयरपोर्ट के उपयोग से जुड़े नियमों को भी सरल किया गया है.

भारत द्वारा हाल में बनाई गयी ड्रोन नीति भी देश में कृषि से स्वास्थ्य तक, डिजास्टर मैनेजमेंट से लेकर डिफेंस तक, जीवन को बदलने वाली है. ड्रोन की मैन्युफैक्चरिंग से लेकर ड्रोन फ्लाइंग से जुड़े ट्रेन्ड मैनपावर को तैयार करने के लिये भारत में सिस्टम विकसित किया जा रहा है. सारी योजनाएं तेजी से आगे बढ़ें, किसी तरह की कोई रुकावट न हो, इसके लिये प्रधानमंत्री गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान भी लॉन्च किया गया है. इससे गवर्नेंस में सुधार आयेगा. यह भी सुनिश्चित किया जायेगा कि सड़क, रेल, हवाई जहाज एक दूसरे को सपोर्ट करें और क्षमता बढ़ायें.

भारत में हो रहे निरन्तर रिफॉर्म का ही परिणाम है कि भारतीय सिविल एविएशन सेक्टर में 1,000 नये विमान जुड़ने का अनुमान लगाया गया है. आजादी के अमृत महोत्सव काल में भारत का एविएशन सेक्टर राष्ट्र की गति और राष्ट्र की प्रगति का प्रतीक बनेगा, उत्तर प्रदेश की ऊर्जा भी इसमें शामिल होगी.

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि हम सबके लिए यह दिन कई मायनों में अत्यन्त महत्वपूर्ण है. आज शरद पूर्णिमा की पावन तिथि है. मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की गाथा को जन-जन तक पहुंचाने वाले, लौकिक संस्कृत में सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य के रचयिता महर्षि वाल्मीकि जी की भी आज जयन्ती है. बौद्ध परम्परा के अनुसार अभिधम्म दिवस भी आज ही है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पूरी दुनिया में जब भी मैत्री और करुणा की बात आती है, विश्व मानवता भगवान बुद्ध का सदैव स्मरण करती है. प्रधानमंत्री जी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में यही बात तो कही थी कि ‘दुनिया ने युद्ध दिया होगा, लेकिन भारत ने दुनिया को बुद्ध दिया है.’ जब भगवान बुद्ध की बात करते हैं, तो उत्तर प्रदेश और भारत का यह संदेश दुनिया के कोने-कोने में जाता है. भगवान बुद्ध से जुड़े सर्वाधिक स्थल उत्तर प्रदेश में हम सभी का गौरव हैं. चाहे भगवान बुद्ध की राजधानी कपिलवस्तु हो या जिस धरती पर उन्होंने पहला उपदेश दिया – सारनाथ हो, उन्होंने सबसे अधिक चातुर्मास श्रावस्ती में व्यतीत किये, सबसे अधिक कथाश्रवण और सत्संग का लाभ जिस धरती को मिला वह कौशाम्बी तथा इसी के साथ संकिसा एवं भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर भी उत्तर प्रदेश में है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश आजादी के बाद लगातार उपेक्षित था. इसके विकास की एक नई उड़ान को मजबूती के साथ आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री जी का आशीर्वाद व सान्निध्य पूर्वी उत्तर प्रदेश के 05 करोड़ से अधिक नागरिकों को प्राप्त हो रहा है. हम सब का सौभाग्य है कि प्रधानमंत्री बनने के साथ प्रधानमंत्री जी ने बौद्ध सर्किट की इस परिकल्पना को साकार करना प्रारम्भ कर दिया. आज उसका परिणाम है कि बौद्ध सर्किट न केवल सड़क मार्ग बल्कि वायु मार्ग से भी जुड़ गया है. इसी क्रम में, अर्न्तराष्ट्रीय उड़ानों का संचालन प्रारम्भ हो चुका है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 1947 से लेकर वर्ष 2014 तक उत्तर प्रदेश में केवल 2 एयरपोर्ट फंक्शनल थे, पहला लखनऊ तथा दूसरा वाराणसी, प्रदेश की कनेक्टिविटी भी उस समय मात्र 15 से 16 स्थानों के लिये थी. आज प्रधानमंत्री जी के कर-कमलों से इस एयरपोर्ट का लोकार्पण होने जा रहा है. यह प्रदेश का 9वां फंक्शनल एयरपोर्ट होने जा रहा है. अब उत्तर प्रदेश 75 गंतव्य स्थानों पर वायु सेवा के साथ सीधे जुड़ चुका है. उड़ान योजना के अन्तर्गत हवाई चप्पल पहनने वाला भी हवाई जहाज की यात्रा कर सकता है. प्रदेश में एयर कनेक्टिविटी, विकास की ढेर सारी योजनाओं को अपने साथ लेकर आ रही है. कुशीनगर प्रदेश का तीसरा अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है. वर्तमान में उत्तर प्रदेश में 11 नये एयरपोर्ट पर कार्य हो रहा है, जिसमें 02 अर्न्तराष्ट्रीय एयरपोर्ट – अयोध्या तथा नोएडा के निर्माण की कार्यवाही युद्ध स्तर पर आगे बढ़ रही है. प्रधानमंत्री जी का मार्गदर्शन न केवल उत्तर प्रदेश के विकास, बल्कि पर्यटन सुविधाओं को आगे बढ़ाने तथा उसके माध्यम से रोजगार की सम्भावनाओं को विकसित करने का एक सशक्त माध्यम बना है.

केन्द्रीय नागर विमानन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम0 सिंधिया ने सभी का स्वागत करते हुये कुशीनगर इण्टरनेशनल एयरपोर्ट की विशेषताओं के बारे में अवगत कराया.

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी, केन्द्र एवं प्रदेश सरकार के मंत्रिगण सहित अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे.

मेडिकल कॉलेजों का लोकार्पण करेंगे प्रधानमंत्री

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आवेदित सभी 09 नवनिर्मित मेडिकल कॉलेजों को नेशनल मेडिकल कमीशन द्वारा शैक्षिणक सत्र-2021-22 के लिए अनुमति प्रदान कर दी गयी है.

यह जानकारी देते हुए राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि यह मेडिकल कॉलेज जनपद फतेहपुर, एटा, मिर्जापुर, जौनपुर, सिद्धार्थनगर, देवरिया, हरदोई, प्रतापगढ़ तथा गाजीपुर में स्थापित किये गये है. इन सभी मेडिकल कॉलेजों का लोकार्पण आगामी 25 अक्टूबर, 2021 को जनपद सिद्धार्थनगर से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा किया जाना प्रस्तावित है.

नीति आयोग की रैकिंग में यूपी के 7 जिले टॉप 10 में शामिल

नीति आयोग ने जुलाई-अगस्त 2021 के सर्वे के आधार पर देश के अतिपिछड़े 112 जिलों की डेल्टा रैंकिंग जारी कर दी है. नीति आयोग की तरफ से जारी जुलाई- अगस्त 2021 डेल्टा रिपोर्ट में देश के आकांक्षात्मक जनपदों की सूची में प्रदेश के 8 जनपदों में से 7 जनपदों ने टॉप 10 में स्थान बनाया है. यह जनपद सिद्धार्थनगर, बहराइच, सोनभद्र, श्रावस्ती, फतेहपुर, चित्रकूट, चंदौली है.

फतेहपुर ने नीति आयोग के निर्धारित मानकों पर कार्य करते हुए पूरे देश में विकास के क्षेत्र में दूसरा स्थान हासिल किया है. वहीं तीसरे स्थान पर सिद्धार्थनगर, चौथे पर सोनभद्र, पांचवें पर चित्रकूट, सातवें पर बहराइच, आठवें पर श्रावस्ती और नौवें पर चंदौली ने स्थान बनाया है.

उत्तर प्रदेश के आठ आकांक्षात्मक जिलों में चित्रकूट और चित्रकूट ने नीति आयोग के मानकों पर उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है. आयोग ने इन जिलों को विकास कार्यों के लिए अतिरिक्त बजट आवंटित किया है. नीति आयोग की ओवरआल डेल्टा रैंकिग में चित्रकूट ने शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण सहित अनेक मानकों पर देश में पांचवा स्थान हासिल किया है.

डेल्टा रैंकिंग द्वारा छह विकासात्मक क्षेत्र स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा, कृषि और जल संसाधन, वित्तीय समावेश, कौशल विकास और बुनियादी ढांचा विकास हैं, जिन्हें रैंकिंग के लिए ध्यान में रखा गया. आकांक्षी जिलों की रैंकिंग हर महीने जारी की जाती है. आकांक्षी जिला कार्यक्रम जनवरी 2018 में शुरू किया गया. इसका उद्देश्य उन जिलों को आगे बढ़ाना है जिनमें महत्वपूर्ण सामाजिक क्षेत्रों में कम प्रगति देखी गई है और कम विकसित इलाके के तौर पर सामने आये हैं.

गांव-गांव युवाओं का संबल बनी ग्राम स्वरोजगार योजना

राज्य सरकार युवाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के लिए बड़े प्रयास कर रही है. खाद्य प्रसंस्करण की योजनाएं गांव-गांव में बदलाव ला रही हैं. युवा खुद का स्वरोजगार तो स्थापित कर ही रहे हैं साथ में दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं.

महात्मा गांधी खाद्य प्रसंस्करण ग्राम स्वरोजगार योजना इसकी बड़ी मिसाल बनी है. इस योजना का लाभ लेकर गांव के किसान और युवा, उद्यमी बनने के साथ आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहे हैं.

सरकार की प्राथमिकता गांवों में स्वरोजगार के इच्छुक युवाओं को प्रशिक्षण देकर उनको आत्मनिर्भर बनाने की है. जिससे युवाओं को आर्थिक लाभ होने के साथ गांव का विकास भी संभव हो सके. महात्मा गांधी खाद्य प्रसंस्करण ग्राम स्वरोजगार योजना इसमें बड़ी सहायक बनी है.

पंचायत स्तर पर युवाओं को 03 दिवसीय खाद्य प्रसंस्करण जागरूकता शिविर से जोड़ा जा रहा है. योजना से जुड़े युवाओं को 01 महीने का उद्यमिता विकास प्रशिक्षण दिया जा रहा है. प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद किसान और युवा फल-सब्जी, मसाला, दुग्ध, अनाज प्रसंस्करण की इकाईयां स्थापित कर रहे हैं. खाद्य प्रसंस्करण की इकाई स्थापित करने वाले युवा गांव के बेरोजगार युवकों को भी अपने यहां रोजगार दे रहे हैं.

योजना के तहत खाद्य प्रसंस्करण की इकाई स्थापित करने वाले युवाओं को मशीन या उपकरण की लागत का अधिकतम 50 प्रतिशत और 01 लाख रुपये का अनुदान भी दिया जा रहा है. जिससे गांव के किसान और युवाओं को संबल मिला है और वे स्वयं का रोजगार स्थापित करने में सफल हो रहे हैं.

स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के प्रेरणास्रोत है प्रधानमंत्री जी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा है कि देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में सबको स्वास्थ्य बीमा का कवर प्रदान कर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के सपने को पूरा किया जा रहा है. प्रधानमंत्री जी ने 03 वर्ष पूर्व दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा कवर योजना आयुष्मान भारत प्रारम्भ की थी. आयुष्मान भारत योजना के अन्तर्गत देश में 50 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य बीमा कवर दिया जा रहा है. इस योजना से प्रदेश में 06 करोड़ लोग प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं.

मुख्यमंत्री जी लोक भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान के अन्तर्गत अन्त्योदय राशन कार्ड धारकों को आयुष्मान कार्ड का वितरण कर रहे थे. इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने 15 लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड अपने कर कमलों से प्रदान किए. उल्लेखनीय है कि आज प्रदेश के प्रत्येक जनपद में ब्लाॅक स्तर पर एक ही दिन में लगभग 01 लाख पात्र लोगों को इस योजना के अन्तर्गत आयुष्मान कार्ड का वितरण किया जा रहा है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार एस0ई0सी0सी0 की सूची में कुछ परिवार आयुष्मान भारत योजना से वंचित रह गये थे. प्रदेश सरकार द्वारा मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान से 8.45 लाख वंचित परिवारों के लगभग 45 लाख व्यक्तियों को जोड़ा गया. प्रदेश के 40 लाख से अधिक अन्त्योदय परिवार, जो आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना से आच्छादित होने से रह गये थे, उन परिवारों को मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान के अन्तर्गत आच्छादित किया जा रहा है. इससे प्रदेश की एक बड़ी आबादी लाभान्वित होगी.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के सभी प्रवासी एवं निवासी श्रमिकों, जिनका रजिस्ट्रेशन श्रम विभाग में है, उनको 02 लाख रुपये का सामाजिक सुरक्षा कवर एवं 05 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवर उपलब्ध करा रही है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी इन सभी स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के प्रेरणास्रोत हैं. उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत योजना ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में जागरूकता के साथ-साथ आमजन को जीने की एक राह दिखायी है. इसके अन्तर्गत लाभार्थी आयुष्मान भारत योजना में इम्पैनल्ड किसी अस्पताल में अपना उपचार करा सकता है.

चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री सुरेश खन्ना ने कहा कि लौकिक व अलौकिक जगत में जो मानवीय कार्य किये जाते हैं, वे दूसरों की जिन्दगी बनाते हैं. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में एक करोड़ से अधिक परिवारों को स्वास्थ्य बीमा का कवर प्रदान किया जा रहा है. पूर्ववर्ती सरकार में मात्र 30 हजार रुपये स्वास्थ्य बीमा का कवर प्रदान किया गया था. प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में वर्तमान में 05 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान किया जा रहा है. मुख्यमंत्री जी द्वारा प्रधानमंत्री जी का अनुकरण करते हुए प्रदेश में सबसे निचले स्तर पर खड़े व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए आज 40 लाख से अधिक परिवारों को मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान के अन्तर्गत जोड़ा जा रहा है.

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री जय प्रताप सिंह ने कहा कि अन्तिम पायदान के 40 लाख अन्त्योदय राशन कार्डधारक परिवारों को मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के अन्तर्गत जोड़ा जा रहा है.

इस अवसर पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री श्री अतुल गर्ग, नीति आयोग के सदस्य डाॅ0 विनोद पाॅल, मुख्य सचिव श्री आर0के0 तिवारी, अपर मुख्य सचिव गृह श्री अवनीश कुमार अवस्थी, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य श्री अमित मोहन प्रसाद, अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एम0एस0एम0ई0 श्री नवनीत सहगल, निदेशक आई0आई0टी0 कानपुर श्री अभय करंदीकर, टीम-09 के सभी सदस्य, सूचना निदेशक श्री शिशिर तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश के 40.79 लाख अन्त्योदय राशन कार्डधारक परिवारों के 1.30 करोड़ सदस्यों को मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान में शामिल किया गया है. शुरुआती 10 दिनों में ही लगभग 02 लाख लोगों ने इस योजना के अन्तर्गत अपना कार्ड बनवा लिया. समय-समय पर ‘मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान’ के अन्तर्गत नई श्रेणियों को जोड़े जाने की भी व्यवस्था प्रदेश सरकार ने की और यह सुनिश्चित किया कि प्रदेश का कोई भी गरीब और वंचित परिवार योजना के दायरे से बाहर न रहे.

इसी क्रम में श्रम विभाग में पंजीकृत 11.65 लाख निर्माण श्रमिक परिवारों को भी योजना की पात्रता सूची में जोड़ा गया.

‘मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान’ के माध्यम से प्रदेश के लगभग 61 लाख परिवारों के 1.87 करोड़ व्यक्तियों को 05 लाख रुपए तक के निःशुल्क इलाज की सुविधा मिलना सम्भव हो सका है.

प्रारम्भ में ‘प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ के अन्तर्गत प्रदेश की 24 प्रतिशत आबादी को स्वास्थ्य बीमा का लाभ मिल रहा था, लेकिन प्रदेश में ‘मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान’ लागू होने से 13 प्रतिशत अतिरिक्त परिवारों को स्वास्थ्य बीमा कवर से जोड़ा गया. इसका परिणाम है कि आज प्रदेश की लगभग 37 प्रतिशत आबादी को 05 लाख रुपए तक की निःशुल्क उपचार सुविधा का लाभ मिल रहा है. इससे सतत विकास लक्ष्य के तहत गरीबी उन्मूलन और सबके लिए स्वास्थ्य के लक्ष्यों की पूर्ति में मदद मिलेगी.

त्योहारों के समय में निर्बाध विद्युत आपूर्ति आवश्यक: मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने प्रदेश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में सायं 06 बजे से प्रातः 07 बजे तक निरन्तर विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा है कि वर्तमान समय पर्वों एवं त्योहारों का है. प्रदेशवासी नवरात्रि का पर्व हर्षोल्लास के साथ मना रहे हैं. विभिन्न स्थलों पर रामलीला आदि का आयोजन किया जा रहा है. ऐसे समय में रात्रि में निर्बाध विद्युत आपूर्ति आवश्यक है.

मुख्यमंत्री जी आज यहां अपने सरकारी आवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश में विद्युत व्यवस्था की समीक्षा कर रहे थे. सभी मण्डलायुक्त, जिलाधिकारी, ए0डी0जी0, बिजली विभाग के वरिष्ठ अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा बैठक में सम्मिलित हुए. उन्होंने यू0पी0पी0सी0एल0 के चेयरमैन को प्रदेश में विद्युत संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति के सम्बन्ध में गहन समीक्षा करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि प्रदेश के विद्युत संयंत्रों को पर्याप्त कोयला आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रत्येक उपभोक्ता बिजली के बिल का भुगतान करना चाहता है. त्रुटिपूर्ण विद्युत बिलों से उपभोक्ता परेशान होता है, जिससे विद्युत बिल का कलेक्शन प्रभावित होता है. त्रुटिपूर्ण विद्युत बिलों के कारण उपभोक्ता को परेशानी नहीं होनी चाहिए. एग्रीमेण्ट के अनुसार कार्य न करने वाली विद्युत बिलिंग एजेंसियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए. ऐसी एजंेसियों की सिक्योरिटी जब्त की जाए, उनके विरुद्ध एफ0आई0आर0 कराने के साथ ही ब्लैक लिस्ट भी किया जाए.

मुख्यमंत्री जी ने विद्युत बिलों के सम्बन्ध में शीघ्र ही एकमुश्त समाधान योजना (ओ0टी0एस0) लागू करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि खराब ट्रांसफार्मर्स को निर्धारित व्यवस्था के अनुसार ग्रामीण इलाकों में 48 तथा शहरी क्षेत्रों में 24 घण्टों में आवश्यक रूप से बदला जाए. बदले गए ट्रांसफार्मर की गुणवत्ता भी परखी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि ट्रांसफार्मर्स की क्षमता वृद्धि के सम्बन्ध में पूर्व में लागू व्यवस्था को पुनः क्रियान्वित किया जाए.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी के सम्बन्ध में तत्काल कार्यवाही की जाए. ट्यूबवेल के कनेक्शन समयबद्ध ढंग से प्रदान किए जाएं. जिस किसी किसान ने ट्यूबवेल के कनेक्शन के सम्बन्ध में भुगतान कर दिया है, उन्हें तत्काल विद्युत कनेक्शन प्रदान कर दिए जाएं. ऐसे मामलों को लम्बित न रखा जाए. सौभाग्य योजना सहित अन्य योजनाओं के लाभार्थियों के विद्युत बिलों में गड़बड़ी के मामलों का तत्काल समाधान कराया जाए.

मुख्यमंत्री जी ने पूर्वांचल, मध्यांचल, दक्षिणांचल, पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगमों तथा केस्को के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विद्युत व्यवस्था की विस्तृत समीक्षा की. उन्होंने सभी विद्युत वितरण निगमों को विद्युत व्यवस्था सुचारु बनाए रखने तथा लाइन लॉस को कम करने के निर्देश दिए.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बैठक में दिए गए निर्देशों के सम्बन्ध में सभी विद्युत वितरण निगमों के प्रबन्ध निदेशक फीडर स्तर पर जवाबदेही तय कर कार्य करें. यू0पी0पी0सी0एल0 के चेयरमैन के स्तर पर प्रतिदिन इनकी समीक्षा विद्युत वितरण निगमवार होनी चाहिए. हर दूसरे दिन अपर मुख्य सचिव ऊर्जा द्वारा प्रगति की समीक्षा की जाए तथा रिपोर्ट ऊर्जा मंत्री को उपलब्ध करायी जाए. ऊर्जा मंत्री द्वारा प्रगति की साप्ताहिक समीक्षा की जाए.

इस अवसर पर ऊर्जा मंत्री श्री श्रीकान्त शर्मा, मुख्य सचिव श्री आर0के0 तिवारी, कृषि उत्पादन आयुक्त एवं अपर मुख्य सचिव ऊर्जा श्री आलोक सिन्हा, पुलिस महानिदेशक श्री मुकुल गोयल, यू0पी0पी0सी0एल0 के चेयरमैन श्री एम0 देवराज, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री श्री एस0पी0 गोयल, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एवं सूचना श्री संजय प्रसाद, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम एवं पारेषण निगम के प्रबन्ध निदेशक श्री पी0 गुरुप्रसाद, सूचना निदेशक श्री शिशिर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

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