नौकरी के पीछे भागना छोड़, नौकरी देने वाला बन रहा यूपी का युवा : सीएम योगी

लखनऊ . महामारी का दौर थमने की आहट के साथ ही योगी सरकार ने एक बार फिर रोजगार-स्वरोजगार के कार्यों को तेजी देनी शुरू कर दी है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक साथ 31,542 सूक्ष्म, छोटे और मंझोले उद्योगों को विस्तार के लिए 2505.58 करोड़ का ऋण प्रदान किया. साथ ही, एक जनपद-एक उत्पाद योजना के तहत चिन्हित उत्पादों के उत्पादन से लेकर विपणन तक की सभी जरूरतों में मदद के लिए विशेष पोर्टल की शुरुआत करते हुए 09 जिलों में कॉमन फैसिलिटी सेंटर की आधारशिला भी रखी.

ऑनलाइन स्वरोजगार संगम के इस खास मौके पर सीएम ने कहा कि ऐसे ही ऋण मेले अगले एक माह में सभी 75 जिलों में आयोजित किए जाने चाहिए.

मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के विकास में एमएसएमई इकाइयों की सराहना करते हुए कहा कि आज प्रदेश में युवा वर्ग नौकरी के पीछे भागने की बजाय नौकरी देने की सोच के साथ अपने लक्ष्य तय कर रहा है. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना, एक जनपद-एक उत्पाद जैसी योजनाओं ने युवाओं को बड़ा सहारा दिया है. स्वरोजगार के कार्यक्रमों में महिलाओं-बेटियों ने खूब उत्साह दिखाया है. वैसे भी, लखनऊ की चिकनकारी जैसे परंपरागत शिल्प को महिलाओं की भूमिका हमेशा से ही रही है. प्रधानमंत्री जी ने जिस “आत्मनिर्भर भारत” की परिकल्पना की है, युवाओं की यही सोच, ऐसे प्रयास ही उसका आधार हैं.

सीएम योगी ने कहा कि बीते साल कोरोना की पहली लहर के दौरान हमारे सामने 40 लाख प्रवासी श्रमिकों के जीवन और जीविका को सुरक्षित करने की चुनौती थी. एमएसएमई इकाइयों ने इस दिशा में बहुत सराहनीय कार्य किया. बीते वर्ष भी कोविड काल में करीब 34 हजार एमएसएमई इकाइयों को वित्तीय सहायता दी गई थी, तो कोविड की दूसरी लहर के नियंत्रण में आते ही फिर से उद्योगों को ऋण उपलब्ध कराने का कार्यक्रम हो रहा है. मुख्यमंत्री ने एमएसएमई विभाग के मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह, अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल सहित पूरी विभागीय टीम के साथ-साथ स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी के सहयोग को भी सराहां सीएम ने जनपदीय अधिकारियों को जिला स्तरीय बैंकर्स कमेटी के साथ समन्वय बनाकर युवाओं को स्वरोजगार के लिए वित्तीय संसाधन मुहैया कराने के भी निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि उत्पादों की मैपिंग कराई जाए, हमारे यहां प्रतिभा का अभाव नहीं, मंच देने भर की देर है. उत्तर प्रदेश आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने में सबसे अहम भूमिका निभाएगा.

विश्वकर्माओं को मिला टूल-किट का उपहार: मुख्यमंत्री ने विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजनांतर्गत कविता साहू और मंजू कश्यप को सिलाई, राहुल को बढ़ई , अमित कुमार को सुनार तथा रिजवान को नाई से जुड़े व्यवसाय के लिए जरूरी टूल-किट का उपहार भी दिया.

उत्पादन से मार्केटिंग तब सबके लिए मिलेगी मदद:

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को गाजियाबाद, मैनपुरी, मऊ, मीरजापुर, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, आगरा, मुरादाबाद और भदोही में प्रस्तावित कॉमन फैसिलिटी सेंटर का शिलान्यास किया. 79 करोड़ 54 लाख के खर्च से तैयार होने वाले इन केंद्रों पर उद्यमियों को ओडीओपी योजनांतर्गत जनपद के चिन्हित उत्पादों के उत्पादन से लेकर विपणन तक के समस्त अवयवों जैसे कच्चा माल, डिजाइन, उत्पादन प्रक्रिया, गुणवत्ता सुधार, अनुसंधान एवं विकास, पर्यावरण एवं ऊर्जा संरक्षण तथा पैकेजिंग आदि की सुविधाएं मिल सकेंगी.इसके अलावा, सीएम ने https://diupmsme.upsdc.gov.in/en पोर्टल का भी शुभारंभ किया.

विश्व में हो ओडीओपी की चर्चा: सिद्धार्थ नाथ

एमएसएमई विभाग के मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि बीते चार वर्षों में प्रदेश के एमएसएमई सेक्टर ने बड़ी ऊंचाइयां हासिल की हैं. सीएम योगी के अभिनव प्रयोग ओडीओपी की चर्चा न केवल देश, बल्कि विदेशों में भी हो रही है. सरकार ने परंपरागत शिल्प, उद्योगों को विकास के लिए बड़ा संबल दिया है. इससे पहले, एसीएस नवनीत सहगल ने विभागीय गतिविधियों के बारे में संक्षिप्त जानकारी भी दी.

योगी सरकार ने शिल्पियों के हुनर दी अंतर्राष्ट्रीय पहचान

वाराणसी. योगी  सरकार ने देश के शिल्पियों के हुनर को जीआई उत्पाद के रूप में विश्व में पहचान दिलाई है. जिससे  कोरोना काल में भी जीआई उत्पादों पर लोगों का भरोसा रहा और  मांग बनी  रही. लॉकडाउन में जब दुकानें बंद रही तब भी इस उत्पाद की  बिक्री देश और विदेशों  में ऑनलाइन  माध्यम से होती रही. वाराणसी के एक उद्यमी ने योगी सरकार के स्टार्टअप योजना का लाभ उठाते हुए कोविड काल में जीआई उत्पादों का लाखों का क़ारोबार कर लिया है. आप को जानकर ताज़्जुब होगा की ये कोराबार सिर्फ़ ऑनलाइन हुआ है. प्रतीक बी सिंह नाम के इस युवा उद्यमी के वेब साइट पर सिर्फ जीआई उत्पाद ही बिकते है. लेकिन अब प्रतीक ने कुछ ओडीओपी उत्पादों को भी ऑनलाइन प्लेटफार्म देना शुरू किया  है.

आईएएस बनने की चाह रखने वाले इस युवा को स्टार्टअप योजना ने आसमान में उड़ने की राह दिखा दी है. अब प्रतीक उन हुनरमंद लोगों को भी प्लेटफार्म दे रहे हैं, जिन्होंने अपने हुनर का लोहा पूरी दुनिया से  मनवाया है. 370 जीआई उत्पादों में से देश के 299 जीआई उत्पादों (जिनमे से  उत्तर प्रदेश से अकेले 27 जीआई उत्पाद है)  को एक जग़ह शॉपिंगकार्ट 24 नामक इ -कॉमर्स की साईट पर लाकर भारत के हस्तकला शिल्पियों की  हुनर को पूरे विश्व में पहुँचा रहे है. खाने, सजाने, संगीत, खिलौने, पहनने से लेकर हर रोज़ इस्तेमाल होने वाली जीआई  उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री देश और विदेशो में खूब हो रही है. वाराणसी का लकड़ी का ख़िलौना, बनारसी साड़ी, गुलाबी मीनाकारी , पंजादारी, ज़री जरदोजी , सिद्धार्थ नगर का काला नमक चावल, गोरखपुर का टेराकोटा, गाज़ीपुर की वाल हैंगिंग आदि उत्पादों की अमेरिका समेत कई देशों में भारी मांग है. जीआई उत्पाद की ख़ास बात ये होती  कि ये सभी उत्पाद हैंडलूम व हैंडीक्राफ्ट उत्पाद होते हैं.

प्रतीक ने बताया कि उन्होंने 2016 में  अपनी स्टार्टअप कंपनी शुरु की थी. उसके बाद जीआई उत्पादों को धीरे-धीरे ऑनलाइन प्लेटफार्म पर लाना शुरू किया. कोरोना काल में लॉकडाउन ने जब दुकानें खुलना बंद हुई तो प्रतीक ने ऑनलाइन बाज़ार का दरवाजा दुनिया के लिए खोल दिया. प्रतीक अप्रैल से अब तक करीब 7 लाख का जीआई उत्पाद देश और विदेशों  में बेच चुके हैं. प्रतीक ने बताया कि पहले  काशी के जीआई टैगिंग प्राप्त उत्पादों को ऑनलाइन बेचना शुरू किया. फिर वो यूपी के 27 प्रोडक्ट्स को ऑनलाइन  प्लेटफार्म पर लेकर आए. इनकी कंपनी से  डिपार्टमेंट ऑफ़ प्रमोशन ऑफ़ इंडस्ट्रीज़ एंड इंटरनल ट्रेड( DPIIT ) से  मान्यता प्राप्त है. जिससे ई-कॉमर्स में मदद मिलती  है. अपने कस्टमर के लिए ये कंपनी हुनरमंद कलाकारों के लाइव प्रदर्शन भी करवाती है. जिसे बाद में सोशल मीडिया के माध्यम से उनकी कला को और लोगों तक पहुंचने में भी मदद मिलती है. शिल्पियों को ट्रिपल “ई” एजुकेट ,एम्पॉवर,एनरिच  के फॉर्मूले से समृद्ध  करते है. जीआई ( जियोग्राफिकल  इंडिकेशन) जीआई उत्पाद यानी भौगोलिक संकेतक या जियोग्राफिकल इंडिकेशन ऐसे उत्पादों होते है  जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है. इन उत्पादों की विशिष्ट विशेषता एवं प्रतिष्ठा भी इसी मूल क्षेत्र के कारण होती है. इस तरह का संबोधन उत्पाद की गुणवत्ता और विशिष्टता का एहसास देता है.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी सराहा ‘यूपी मॉडल’

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण से लोगों तथा बच्चों को बचाने और कोरोना महामारी पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश की सरकार ने जो मॉडल अपनाया है उसका अब बॉम्बे हाईकोर्ट भी कायल हो गया हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) और देश का नीति आयोग कोविड प्रबंधन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के ‘यूपी मॉडल’ की तारीफ कर चुका है. आयोग ने यूपी के इस मॉडल को अन्य राज्यों के लिए नज़ीर बताया है. वही बॉम्बे हाईकोर्ट ने यूपी मॉडल के तहत बच्चों को कोरोना से बचाने के लिए किए गए प्रबंधों का जिक्र करते हुए वहां की सरकार से यह पूछा है कि महाराष्ट्र सरकार यहां ऐसा करने पर विचार क्यों नहीं करती?

यूपी सरकार ने कोरोना संक्रमण से बच्चों का बचाव करने के लिये सूबे के हर बड़े शहर में 50 से 100 बेड के पीडियाट्रिक बेड (पीआईसीयू) बनाने का फैसला किया है. यूपी सरकार के इस फैसले को डॉक्टर बच्चों के लिये वरदान बता रहे हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बच्चों को बीमारी से बचाने को लेकर हमेशा ही बेहद गंभीर रहे हैं. इंसेफेलाइटिस जैसी जानलेवा बीमारी से बच्चों को बचाने के लिए उन्होंने इस बीमारी के खात्मे को लेकर जो अभियान चलाया उससे समूचा पूर्वांचल वाकिफ हैं.

इसी क्रम में जब मुख्यमंत्री कोरोना संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए ट्रिपल टी यानि ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट की रणनीति तैयार करा रहे थे, तब ही उन्होंने कोरोना संक्रमण से बच्चों को बचाने के लिए चिकित्सा विशेषज्ञों को अलग से एक योजना तैयार करने का निर्देश दिया. जिसके तहत ही चिकित्सा विशेषज्ञों ने उन्हें बताया कि कोरोना संक्रमण से बच्चों बचाने और उनका इलाज करने के लिए हर जिले में आईसीयू की तर्ज पर सभी संसाधनों से युक्त पीडियाट्रिक बेड की व्यवस्था अस्पताल में की जाए. चिकित्सा विशेषज्ञों की इस सलाह पर मुख्यमंत्री ने सूबे के सभी बड़े शहरों में 50 से 100 बेड के पीडियाट्रिक बेड (पीआईसीयू) बनाने के निर्देश दिये हैं. यह बेड विशेषकर एक महीने से ऊपर के बच्चों के लिए होंगे. इनका साइज छोटा होगा और साइडों में रेलिंग लगी होगी. गंभीर संक्रमित बच्चों को इसी पर इलाज और ऑक्सीजन की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी.

सूबे में बच्चों के इलाज में कोई कमी न आए इसके लिए सभी जिलों को अलर्ट मोड पर रहने के लिये कहा गया है. इसके तहत ही मुख्यमंत्री अधिकारियों को बच्चों के इन अस्पतालों के लिए मैन पावर बढ़ाने के भी आदेश दिये हैं. मुख्यमंत्री ने कहा है कि जरूरत पड़े तो इसके लिए एक्स सर्विसमैन, रिटायर लोगों की सेवाएं ली जाएं. मेडिकल की शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों को ट्रेनिंग देकर उनसे फोन की सेवाएं ले सकते हैं. लखनऊ में डफरिन अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सलमान खान ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से तत्काल सभी बड़े शहरों में 50 से 100 पीडियाट्रिक बेड बनाने के निर्णय को बच्चों के इलाज में कारगर बताया है. उन्होंने बताया कि एक महीने से ऊपर के बच्चों के लिए पीआईसीयू (पेडरिएटिक इनटेन्सिव केयर यूनिट), एक महीने के नीचे के बच्चों के उपचार के लिये एनआईसीयू (नियोनेटल इनटेन्सिव केयर यूनिट) और महिला अस्पताल में जन्म लेने वाले बच्चों के लिये एसएनसीयू (ए सिक न्यू बार्न केयर यूनिट) बेड होते हैं. जिनमें बच्चों को तत्काल इलाज देने की सभी सुविधाएं होती हैं.

बच्चों के इलाज को लेकर यूपी के इस मॉडल का खबर अखबारों में छपी. जिसका बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की खंडपीठ ने संज्ञान लिया. और बीते दिनों  इन न्यायाधीशों की खंडपीठ ने कहा कि यूपी में कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों को खतरा होने की आशंका के चलते एक अस्पताल सिर्फ बच्चों के लिए आरक्षित रखा गया है. महाराष्ट्र सरकार यहां ऐसा करने पर विचार क्यों नहीं करती. महाराष्ट्र में दस साल की उम्र के दस हजार बच्चे कोरोना का शिकार हुए हैं. जिसे लेकर हो रही सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने यह महाराष्ट्र सरकार से यह सवाल पूछा हैं.

जाहिर है कि हर अच्छे कार्य की सराहना होती हैं और कोरोना से बच्चों को बचाने तथा उनके इलाज करने की जो व्यवस्था यूपी सरकार कर रही है, उसे बॉम्बे हाईकोर्ट ने उचित माना और उसका जिक्र किया. ठीक इसी तरह से विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और नीति आयोग ने भी कोविड प्रबंधन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के ‘यूपी मॉडल’ की जमकर तारीफ की है. इस दोनों की संस्थाओं ने कोरोना मरीजों का पता लगाने और संक्रमण का फैलाव रोकने के किए उन्हें होम आइसोलेट करने को लेकर चलाए गए ट्रिपल टी (ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट) के महाअभियान और यूपी के ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट ट्रैकिंग सिस्टम की खुल कर सराहना की. नीति आयोग ने तो यूपी के इस मॉडल को अन्य राज्यों के लिए भी नज़ीर बताया है. यह पहला मौका है जब डब्लूएचओ और नीति आयोग ने कोविड प्रबंधन के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की देखरेख में तैयार कराए गए यूपी मॉडल की सराहना की है. और उसके बाद अब बॉम्बे हाईकोर्ट बच्चों का इलाज करने को लेकर यूपी मॉडल’  का कायल हुआ है.

ब्लैक फंगस से निपटने को योगी सरकार ने कसी कमर

लखनऊ . उत्तर प्रदेश में कोविड संक्रमण की धीमी होती रफ्तार के बीच पैर-पसारते ब्लैक फंगस नाम की बीमारी से बचाव की तैयारी सरकार ने शुरू कर दी है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर एसजीपीजीआई, लखनऊ में ब्लैक फंगस के मरीजों के उपचार की दिशा तय करने के लिए 12 सदस्यीय वरिष्ठ चिकित्सकों की टीम गठित कर दी गई है. इस टीम से अन्य चिकित्सक मार्गदर्शन भी ले सकेंगे.

एसजीपीजीआई के निदेशक डॉ. आरके धीमन की अध्यक्षता में विशेष टीम ने प्रदेश के विभिन्न सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेजों, अस्पतालों के डॉक्टरों को इलाज के बारे में प्रशिक्षण दिया. ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यशाला में डॉक्टरों को ब्लैक फंगस के रोगियों की पहचान, इलाज, सावधानियों आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई.

इंतजाम में देरी नहीं: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में ब्लैक फंगस की स्थिति की जानकारी लेते हुए इस मामले में ‘प्रो-एक्टिव’ रहने के निर्देश दिए है. सीएम योगी ने कहा कि विशेषज्ञों के मुताबिक कोविड से उपचारित मरीजों खासकर अनियंत्रित मधुमेह की समस्या से जूझ रहे लोगों में ब्लैक फंगस की समस्या देखने मे आई है. उन्होंने स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग को निर्देश दिए कि विशेषज्ञों के परामर्श के अनुसार इसके उपचार में उपयोगी दवाओं की उपलब्धता तत्काल सुनिश्चित कराई जाए. उन्होंने कहा है कि लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए आवश्यक गाइडलाइन जारी कर दी जाएं. सभी जिलों के जिला अस्पतालों में इसके उपचार की सुविधा दी जाए.

प्लास्टिक सर्जन डॉ. सुबोध कुमार सिंह बताते हैं कि म्यूकर माइकोसिस अथवा ब्लैक फंगस, चेहरे, नाक, साइनस, आंख और दिमाग में फैलकर उसको नष्ट कर देती है. इससे आँख सहित चेहरे का बड़ा भाग नष्ट हो जाता है और जान जाने का भी खतरा रहता है. इसके लक्षण दिखते ही तत्काल उचित चिकित्सकीय परामर्श लेना बेहतर है. लापरवाही भारी पड़ सकती है.

इन मरीजों को बरतनी होगी खास सावधानी:

1- कोविड इलाज के दौरान जिन मरीजों को स्टेरॉयड दवा जैसे, डेक्सामिथाजोन, मिथाइल प्रेड्निसोलोन इत्यादि दी गई हो.

2- कोविड मरीज को इलाज के दौरान ऑक्सीजन पर रखना पड़ा हो या आईसीयू में रखना पड़ा हो.

3.डायबिटीज का अच्छा नियंत्रण ना हो.

4.कैंसर, किडनी ट्रांसप्लांट इत्यादि के लिए दवा चल रही हो.

यह लक्षण दिखें तो तुरंत लें डॉक्टरी सलाह:-

1.बुखार आ रहा हो, सर दर्द हो रहा हो, खांसी हो, सांस फूल रही हो.

2. नाक बंद हो. नाक में म्यूकस के साथ खून आ रहा हो.

3. आँख में दर्द हो. आँख फूल जाए, एक वस्तु दो दिख रही हो या दिखना बंद हो जाए.

4. चेहरे में एक तरफ दर्द हो , सूजन हो या सुन्न हो (छूने पर छूने का अहसास ना हो)

5. दाँत में दर्द हो, दांत हिलने लगें, चबाने में दर्द हो.

6. उल्टी में या खांसने पर बलगम में खून आये.

क्या करें :-

कोई भी लक्षण होने पर तत्काल सरकारी अस्पताल में या किसी अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर से तत्काल परामर्श करें. नाक, कान, गले, आँख, मेडिसिन, चेस्ट या प्लास्टिक सर्जरी विशेषज्ञ से संपर्क कर तुरंत इलाज शुरू करें.

बरतें यह सावधानियां :-

  1. स्वयं या किसी गैर विशेषज्ञ डॉक्टर के, दोस्त मित्र या रिश्तेदार की सलाह पर स्टेरॉयड दवा कतई शुरू ना करें.

2. लक्षण के पहले 05 से 07 दिनों में स्टेरॉयड देने से दुष्परिणाम होते हैं. बीमारी शुरू होते ही स्टेरॉयड शुरू ना करें.

इससे बीमारी बढ़ जाती है.

3. स्टेरॉयड का प्रयोग विशेषज्ञ डॉक्टर कुछ ही मरीजों को केवल 05-10 दिनों के लिए देते हैं, वह भी बीमारी शुरू होने के 05-07 दिनों बाद केवल गंभीर मरीजों को. इसके पहले बहुत सी जांच आवश्यक है.

4. इलाज शुरू होने पर डॉक्टर से पूछें कि इन दवाओं में स्टेरॉयड तो नहीं है. अगर है, तो ये दवाएं मुझे क्यों दी जा रही हैं?

5. स्टेरॉयड शुरू होने पर विशेषज्ञ डॉक्टर के नियमित संपर्क में रहें.

6. घर पर अगर ऑक्सीजन लगाया जा रहा है तो उसकी बोतल में उबाल कर ठंडा किया हुआ पानी डालें या नार्मल सलाइन डालें. बेहतर हो अस्पताल में भर्ती हों.

अभ्युदय योजना से प्रदेश के युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं में मिलेगी मदद

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि अभ्युदय योजना प्रदेश के युवाओं के उत्कर्ष का मार्ग प्रशस्त करने की राज्य सरकार की एक अभिनव योजना है. यह योजना प्रदेश के युवाओं के लिए समर्पित है. अभ्युदय योजना राज्य के युवाओं के लिए मील का पत्थर साबित होगी. जब बड़ी-बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रदेश का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा, तो उसका लाभ भी प्रदेश को होगा.

मुख्यमंत्री ने अपने सरकारी आवास पर अभ्युदय योजना का शुभारम्भ करने के पश्चात इस योजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने ने कहा कि युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए निःशुल्क कोचिंग प्रदान करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एक अभिनव पहल करते हुए यह योजना प्रारम्भ की गयी है. अभ्युदय योजना के अन्तर्गत 16 फरवरी, 2021 को बसन्त पंचमी से प्रदेश में क्लासेज शुरू हुई. जिन युवाओं का टेस्ट के माध्यम से चयन हुआ है, उन्हें मण्डल मुख्यालय में साक्षात क्लास अटेण्ड करने का अवसर मिलेगा. शेष अभ्यर्थी वर्चुअल माध्यम से ऑनलाइन क्लास से जुड़ सकेंगे. उन्होंने कहा कि युवाओं को जिस भी फील्ड में जाना हो, उसकी शुरुआत अच्छे से करें. मजबूत बुनियाद ही मजबूत इमारत का आधार होती है. अभ्युदय योजना को लेकर यही भाव रखा गया है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि 50 लाख से अधिक लोगों ने इस योजना में रुचि दिखायी है. 05 लाख से अधिक लोगों ने पंजीकरण कराया, जो योजना की लोकप्रियता को स्वतः दर्शाता है. अभ्युदय योजना के माध्यम से प्रतियोगी युवाओं को आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, पीसीएस, सहित मेडिकल, आईआईटी के विशेषज्ञों का मार्गदर्शन प्राप्त होगा. अभ्युदय योजना को सफल बनाने के उद्देश्य से बेहतर फैकल्टी की व्यवस्था की जा रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि जीवन में यह बात सदैव याद रखनी चाहिए कि सकारात्मक सोच ही व्यक्ति को बड़ा बना सकती है. उन्होंने कहा कि आप सभी ने बेसिक शिक्षा के विद्यालयों में व्यापक परिवर्तन देखा होगा. इस परिवर्तन का आधार एक जिलाधिकारी की सोच का परिणाम है. आज प्रदेश के 90 हजार से अधिक विद्यालयों का कायाकल्प किया जा चुका है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि अभ्युदय योजना के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत बनाने की नींव और मजबूत होगी. अभ्युदय योजना को पहले चरण में 18 मण्डल मुख्यालयों में प्रारम्भ किया जा रहा है. आने वाले समय में इसका विस्तार जनपदों में भी किया जाएगा.

इस योजना में साप्ताहिक, मासिक टेस्ट भी होंगे, जिसके आधार पर स्क्रीनिंग की जाएगी.

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में प्रतिभा की कमी नहीं है. आवश्यकता है एक योग्य मार्गदर्शक की. अभ्युदय योजना के माध्यम से इस कार्य को एक स्वरूप प्रदान किया जा रहा है. उत्तर प्रदेश में इन्फ्रास्ट्रक्चर की कोई कमी नहीं है. प्रदेश के सभी जनपदांे में विश्वविद्यालय, महाविद्यालय, इंजीनियरिंग कॉलेज या अन्य संस्थान हैं, जिनमें अभ्युदय की कोचिंग संचालित की जा सकेगी. योजना को तकनीक के साथ जोड़ना होगा. फिजिकली क्लास में 50 से 100 विद्यार्थी इसका लाभ ले सकेंगे, वहीं सरकार का लक्ष्य वर्चुअली माध्यम से एक करोड़ युवाओं को योजना से जोड़ने का है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि अभ्युदय योजना प्रदेश के युवाओं को समर्पित योजना है. प्रदेश का युवा योजना के माध्यम से अपनी प्रतिभा का लोहा देश व दुनिया में मनवा सकेगा. वर्तमान राज्य सरकार द्वारा बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये गये हैं. अब तक चार लाख से अधिक युवाओं को सरकारी सेवाओं में निष्पक्ष एवं पारदर्शी चयन प्रक्रिया के माध्यम से नियुक्ति प्रदान की गयी है. इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने अभ्युदय योजना में 05 मण्डलों के पंजीकृत अभ्यर्थियों से संवाद किया. इसके अन्तर्गत उन्होंने जनपद वाराणसी के कपिल दुबे, जनपद गोरखपुर की साक्षी पाण्डेय, जनपद प्रयागराज की शिष्या सिंह राठौर, जनपद मेरठ के हिमांशु बंसल से वर्चुअल माध्यम से संवाद किया. जनपद लखनऊ कीप्रियांशु मिश्रा व अनामिका सिंह से मुख्यमंत्री ने साक्षात संवाद किया. पंजीकृत अभ्यर्थियों से संवाद के दौरान मुख्यमंत्री जी ने जीवन में सफल होने के कुछ मंत्र दिये. उन्होंने कहा कि सकारात्मक सोच से एकाग्रता आती है. व्यक्ति को संयमित जीवनचर्या रखनी चाहिए. विपत्ति में व्यक्ति का सबसे बड़ा मित्र धैर्य होता है.

संवाद के दौरान एक अभ्यर्थी द्वारा ओडीओपी पर पूछे गये प्रश्न का उत्तर देते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ओडीओपी देश में परम्परागत उत्पाद को आगे बढ़ाने की एक महत्वपूर्ण योजना है. ओडीओपी योजना देश को आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभा रही है.

एक अन्य अभ्यर्थी के प्रश्न का उत्तर देते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्तमान केन्द्र सरकार व राज्य सरकार किसानों के हितों में कार्य कर रही है. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद पहली बार किसानों की चिन्ता का समाधान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा किया गया है. प्रधानमंत्री जी द्वारा मृदा स्वास्थ्य कार्ड के माध्यम से जमीन का स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया.

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की कृषि मानसून आधारित है, ऐसे में कभी-कभी कृषकांे को काफी नुकसान होता है. इसके दृष्टिगत प्रधानमंत्री जी ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के माध्यम से उन्हें सम्बल प्रदान करने का कार्य किया है. कृषि को तकनीक से जोड़कर किसानों के जीवन को बेहतर बनाने का कार्य किया गया है. किसानों को एमएसपी का लाभ दिया जा रहा है. प्रधानमंत्री जी किसानों के हित में तीन नये कृषि कानून लाये हैं, जिससे किसानों को काफी लाभ होगा. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार कृषि विविधीकरण को बढ़ावा दे रही है. झांसी में स्ट्रॉबेरी की खेती इसी का परिणाम है.

एक अभ्यर्थी द्वारा कोविड प्रबन्धन के विषय में पूछे गये प्रश्न का उत्तर देते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए एक रणनीति तैयार की गयी थी, जिसका परिणाम था कि प्रदेश में कोरोना पर प्रभावी अंकुश लगा. जब प्रदेश में पहला कोरोना केस आया था, तब प्रदेश में कोविड-19 की जांच की लैब नहीं थी. लेकिन आज प्रदेश में प्रतिदिन 02 लाख कोरोना जांच की क्षमता विकसित की गयी है. सभी जनपदों में डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल और इन्टीग्रेटेड कमाण्ड एण्ड कण्ट्रोल सेण्टर ने कोरोना को रोकने में महती भूमिका निभायी.

उप मुख्यमंत्री डॉ0 दिनेश शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री जी के कुशल नेतृत्व में प्रदेश का सर्वांगीण विकास हो रहा है. उन्होंने कहा कि अभ्युदय योजना प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिए एक अच्छा प्लैटफॉर्म है. इससे उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने प्रदेश में नकलविहीन परीक्षा सम्पन्न कराने का कार्य किया है. विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त हो सके, इसके लिए पाठ्यक्रमों में भी व्यापक बदलाव किया गया है.

समाज कल्याण मंत्री श्री रमापति शास्त्री ने कहा कि मुख्यमंत्री जी अन्तिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को लाभान्वित करने के लिए संकल्पित हैं. निश्चित ही अभ्युदय योजना आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों के लिए वरदान साबित होगी.

इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री आरके तिवारी, अपर मुख्य सचिव गृह श्री अवनीश कुमार अवस्थी, अपर मुख्य सचिव एमएसएमई एवं सूचना श्री नवनीत सहगल, पुलिस महानिदेशक श्री हितेश सी अवस्थी, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एवं सूचना श्री संजय प्रसाद, मण्डलायुक्त लखनऊ श्री रंजन कुमार, आईजी रेन्ज लखनऊ श्रीमती लक्ष्मी सिंह सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

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