सैक्स के ये फायदे जानकर मचल उठेंगी महिलाएं

महिलाएं सैक्‍स के दौरान न सिर्फ आंनद का अनुभव करती है बल्कि सेक्‍स से उन्‍हे कई प्रकार के शारीरिक और भावनात्‍मक लाभ भी होते है, सेक्‍स से महिलाओं के शारीरिक सरंचना में भी परिर्वतन आता है. सैक्‍स के दौरान अपने पार्टनर द्वारा मिले शारीरिक और भावनात्‍मक सर्पोट से महिलाओं में आत्‍मविश्‍वास बढ़ता है. यूं तो महिलाओं में हमेशा सैक्‍स की चाहत होती है, लेकिन मासिक पूरा हो जाने के पांच से सात दिन तक महिलाएं सैक्स के मूड में ज्यादा होती हैं क्योंकि मासिक चक्र पूरा होने के बाद सैक्स वाले हार्मोस सक्रिय हो जाते हैं.

महावारी के पांच से सात दिन में सैक्स करना ज्यादा ही आनंद की अनुभूति कराता है साथ ही इसका लाभ कम से कम 12 दिनों तक रहता है. महावारी के बाद महिलाओं में सैक्स की तीव्र इच्छा जागृत होना स्वाभाविक है, क्योंकि इन दिनों में गर्भधारण की संभावना कम हो जाती. वैसे तो यह शारीरिक जरूरत का एक आम हिस्‍सा है. सैक्स वैवाहिक संबंधों को सुखी बनाता है और भविष्य में दोनों के बीच सैक्स को लेकर दूरियां कभी नहीं आती.

महिलाओं के लिए सैक्स के लाभ

– यह एक शारीरिक व्‍यायाम है जो आपको स्‍वस्‍थ रखता है. जीं हां महिलाओं में सैक्‍स के दौरान से शरीर में कैलोरी का जलन होता है यानी सैक्‍स शरीर का वजन कम करने में मददगार होता है. इससे महिलाओं का वजन कम होता है.

– महिलाओं में सैक्स उन्मुक्ति को बढ़ाता है, और एक अलग ही आनंद का अनुभव कराता है.

– सैक्‍स कई बीमारियों को कम करता है और अन्य बीमारियों के संक्रमण से शरीर की प्रतिरक्षा करता है, और महिलाओं को स्‍वस्थ बनाता हैं.

– सैक्स तनाव को कम करता है और महिलाओं को खुश रखने में मदद करता है.

– महिलाओं में सैक्‍स रक्तचाप को भी कम करता हैा सेक्‍स से रक्‍तचाप नियंत्रित रहता है और कई प्रकार की बीमारियों से मुक्ति मिलती है.

– सैक्स दिल को मजबूत बनाता है, जिससे दिल से जुड़ी बीमारियों की संभावना कम होती एक सप्ताह में सैक्स दो बार या दो से अधिक बार सेक्‍स करने से महिलाओं में घातक दिल के दौरे की संभावना उन महिलाओं के तुलना में कम हो जाती है, जो कम सेक्स करती हैा

– सैक्स महिलाओं में आत्मसम्मान को बढ़ाता है.

– सैक्स अंतरंगता और रिश्तों को बेहतर बनाता है. वैवाहिक जीवन को मजबूत बनाता है.

– सैक्स करने से कई बीमारियों के दर्द से राहत मिल सकती हैं, जैसे गठिया, सिर दर्द इत्‍यादि में सैक्स के बाद कुछ राहत पा सकते हैं.

– सैक्स महिलाओं कैंसर, सिस्‍ट जैसी बीमारियों के भी खतरे को भी कम करता है.

– महिलाओं में सेक्स पेल्विक मांसपेशियों को मजबूत बनाता है. संभोग के दौरान उनकी पेल्विक मांसपेशियों का व्यायाम होता है जिससे महिलाओं में यूरीन असंयम का जोखिम कम हो जाता है.

– बेहतर नींद के लिए सैक्स जरूरी है. संभोग के बाद, महिलाओं को बेहतर नींद आती है और स्वास्थ्य लाभ होता है.

इनफर्टिलिटी, आईवीएफ से लेकर सेक्सुअल लाइफ तक, यहां मिलेगा हर प्रौब्लम का सोल्यूशन

Sexual Problems: आज की भागम भाग वाली जिंदगी और खराब किस्‍म के खान पान के चलते हमें ऐसी कई समस्याओं के शिकार हो जाते हैं जिसका असर हमारी सेक्सुअल लाइफ पर पड़ता है. इनफर्टिलिटी, संतान होने में देरी, सेक्स की कमी या फिर यौन दुर्बलता ऐसी ही कई समस्याओं से लोगों को सामना होता है जिसका इलाज करवाने के लिए वो अलग-अलग जगह जाते हैं लेकिन अगर आपको एक ही जगह इन सभी समस्याओं का समाधान एक ही डॉक्टर के पास मिल जाए तो.

ऐसे ही एक डॉक्टर है लखनऊ के डॉक्टर ए. के. जैन, जो पिछले 40 सालों से इन सभी समस्याओं का इलाज कर रहे हैं. तो आप भी पाइए अपनी सभी  सेक्स समस्या का बेहतर इलाज
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति एवं मान्यता प्राप्त डॉ. ए. के. जैन द्वारा.

आइए जानते हैं डॉक्टर ए, के. जैन के चुनिंदा कामों के बारे में…

  1. इनफर्टिलिटी

इनफर्टिलिटी एक बहुत गंभीर समस्‍या है. जिसके कारण बहुत से कपल्‍स की गोद सूनी ही रह जाती है. मौजूदा लाइफस्टाइल की वजह से इनफर्टिलिटी की समस्‍या आम बात हो गई है. इनफर्टिलिटी का मुख्य लक्षण प्रेग्नेंट न हो पाना है. अगर आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं तो संपर्क करिए लखनऊ के डॉक्टर जैन से जो पिछले 40 सालों से इसका इलाज कर रहे हैं.

  1. आईवीएफ

निःसंतानता एक दम्पती के लिए अभिशाप के समान है. संतान न होने से एक दम्पती न सिर्फ निजी तनाव महसूस करता है बल्कि उसके ऊपर सामाजिक व पारिवारिक दबाव भी रहते हैं. निःसंतान दम्पतियों को भारतीय समाज में हमेशा से दोयम दर्जे का समझा जाता है, बावजूद इसके कि संतान न होने में उन दम्पतियों की कोई गलती नहीं होती, फिर भी उन्हें हमेशा इसकी सजा मिलती रहती है. खासतौर से महिलाओं को इसका अत्यधिक नुकसान भुगतना पड़ता है.

संतान न होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे की आनुवांशिक कारण, जीवनशैली, महिला के गर्भधारण में समस्या या फिर पुरुष के शरीर में कोई समस्या लेकिन वर्तमान समय में आईवीएफ जैसे उपाय से आप बिना किसी खतरे के संतान सुख प्राप्त कर सकते हैं.

  1. सेक्सुअल प्रॉब्ल्म

हम सभी एक ऐसा समाज में रहते हैं जहां शारीरिक संबंध बनाने, संभोग करने या फिर सेक्‍स को लेकर बात ही नहीं की जाती. यहीं वजह है कि अक्‍सर लोग यौन जीवन (Sex Life) का सुख पूरी तरह ले ही नहीं पाते. क्‍योंकि जब इस विषय पर खुलकर बात ही नहीं कि जाती तो यौन समस्‍याओं (Sex Problems) पर भी लोगों को अधिक जानकारी नहीं होती. अगर आपको भी ऐसी ही किसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है तो डॉक्टर जैन आपके सभी सवालों का जवाब देने के लिए सबसे सही व्यक्ति होंगे.

  1. मैरिड लाइफ प्रॉब्लम

प्यार करते हैं तो सेक्स से परहेज क्यों? क्या आप सेक्स से दूरियाँ बना रहे हैं? यदि आप ऐसा कर रहे हैं तो सावधान हो जाये क्योकि ये आपके और आपकी पत्नी के बीच के प्यारे रिश्ते के लिए अच्छा नहीं. एक सर्वे रिपोर्ट्स की मानें तो भारत में 70 फीसदी तलाक, अच्छी सेक्सुअल लाइफ ना होने के कारण होते हैं.

जानिए वर्जिनिटी के बारे में कुछ रोचक बातें

वर्जिनिटी (कौमार्य) को व्यक्ति के संभोग से जोड़कर देखा जाता है. माना जाता है कि जिस व्यक्ति ने पहले कभी भी सेक्स नहीं किया हैं वह वर्जिन है. इस विषय को लेकर लोगों में कई तरह की बातें प्रचलित है. किसी के साथ सेक्स करना और वर्जिनिटी को खोना, दो अलग-अलग बातें हैं, जिस पर विशेषज्ञ कई तर्क रखते हैं. कई लोगों का मानना है कि महिला के साथ योनि सेक्स करने से वर्जिनिटी खो जाती है, जबकि कई बार योनि सेक्स न करके भी कई अन्य यौन गतिविधि (ओरल सेक्स व एनल सेक्स) करने से भी वर्जिनिटी खो जाती है.

एक महिला में वर्जिनिटी पूरी तरह से हाइमन के सही होने या न होने पर निर्भर करती है. विशेषज्ञों का कहना है कि वर्जिनिटी को हाइमन से जोड़कर देखना बेहद ही गलत है, क्योंकि इसके खोने की कई अन्य वजह भी होती हैं.

हाइमन झिल्ली क्या है?                 

हाइमन योनि मुख के पास ऊतकों से बनी एक पतली झिल्ली होती है. हाइमन के बारे में लोग मानते हैं कि योनि जब तक पूरी तरह से नहीं खुलती तब तक हाइमन (योनिद्वार) सुरक्षित रहती है. वहीं योनि के खुलते ही हाइमन झिल्ली टूट जाती है. वैसे देखा जाए तो हाइमन में प्राकृतिक रूप से इतना बड़ा छिद्र होता है, जिससे माहवारी के दौरान आपको कोई परेशानी नहीं होती है. इसके अलावा आप टैम्पोन भी आसानी से इस्तेमाल कर सकती हैं.

कुछ महिलाएं जन्म से ही बहुत ही छोटे हाइमन ऊतकों के साथ पैदा होती हैं, जिसे पहली नजर में देखने पर यह लगता है कि उनकी योनि में हाइमन की झिल्ली मौजूद नहीं है, जबकि कुछ दुर्लभ मामलों में हाइमन की झिल्ली महिलाओं की योनि को पूरी तरह से आवरण में लिए होती है, इन मामलों में डॉक्टरों की मदद से इसके अतिरिक्त ऊतकों को हटा दिया जाता है.

सामान्यतः पहली बार सेक्स करने के दौरान हाइमन की झिल्ली पर दबाव व खिंचाव पड़ता है. जिससे हाइमन के टूटने पर योनि में दर्द के साथ ही खून भी निकलता है, लेकिन ऐसा हर महिला के साथ हो, यह जरूरी नहीं है. हाइमन की झिल्ली के टूटने के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं. साइकिल चलाने, दौड़ने व घुड़सवारी से भी कई बार हाइमन की झिल्ली टूट जाती है. एक बार महिलाओं की हाइमन की झिल्ली टूट जाए तो यह प्राकृतिक रूप में दोबारा विकसित नहीं हो पाती है.

वर्जिनिटी टेस्ट कैसे होता है

वर्जिनिटी या कौमार्य को जांचने के लिए जो परीक्षण किया जाता है उसमें हाइमन (योनिद्वार की झिल्ली) की मौजूदा स्थिति को ही जांचा जाता है. इस परीक्षण (Test/ टेस्ट) में यह माना जाता है कि हाइमन संभोग के बाद ही टूट या फट सकती है. इस टेस्ट को दो उंगलियों का परीक्षण (Two fingers Test) भी कहा जाता है. बताया जाता है इस तरह के टेस्ट को करने की प्रक्रिया की खोज सन 1898 में की गई थी. इस तरह की जांच के परिणामों की सटिकता न होने के कारण यह टेस्ट आज भी विवादस्पद विषय बना हुआ है. कई देशों ने इस परीक्षण को मानवीय कानूनों का उल्लघंन मानते हुए अवैध करार दिया है.

कई देशों में दो अंगुलियों के टेस्ट से ही किसी रेप पीड़िता की भी जांच की जाती है. इसमें अंदर प्रवेश करने वाली अंगुलियों के आधार पर डॉक्टर अपने विचार देता है और बताता है कि महिला के साथ किसी तरह की घटना हुई है या नहीं. एक रिपोर्ट में इस बात को बताया गया है कि महिला के योनिद्वार के लचीला होने का संबंध किसी भी तरह से बलात्कार से नहीं होता है. इसके साथ ही इस रिपोर्ट में दो अंगुलियों से किए जाने वाले टेस्ट को भी न करने की सलाह दी गई है.

क्या हाइमन झिल्ली का सही होना ही आपकी वर्जिनिटी को बताता है?

इस विषय पर लंबे समय से बहस चल रही है, जबकि साइंस और चिकित्सा जगत इस बारे में अपने अलग ही तर्क समाज के सामने प्रस्तुत करते हैं. कुछ लोगों का मानना है कि जिन महिलाओं की योनि में हाइमन झिल्ली टूटी हुई होती है, वह वर्जिन यानि की कौमार्य नहीं हैं. वहीं हाइमन से जुड़े कुछ मामलों में ऐसा भी देखा गया है कि यह महिलाओं में जन्म से ही अधिक खुली हुई होती है, जबकि कई खेलों में हिस्सा लेने के दौरान भी हाइमन झिल्ली टूट जाती है, ऐसे में हाइमन को किसी महिला की वर्जिनिटी से जोड़ कर देखना बेहद गलत है.

हाइमन को ठीक करने की सर्जरी

हाइमन यानि योनिद्वार पर बनी ऊतकों की झिल्ली सेक्स या अन्य कारण से भी फट सकती है. कई बार तो कुछ महिलाओं के योनिद्वार पर इस प्रकार की झिल्ली होती ही नहीं हैं, ऐसे में उन महिलाओं के लिए अपनी वर्जिनिटी को साबित करने में मुश्किल हो सकती हैं. लेकिन लोगों में वर्जिनिटी टेस्ट के बढ़ते चलन के कारण हाइमन को ठीक करने वाली सर्जरी की शुरुआत हो चुकी है. हाइम्नोप्लास्टी (Hymenoplasty) नाम की यह सर्जरी किसी भी कॉस्मेटिक सर्जन से करवाई जा सकती है. विशेषज्ञों का कहना है कि इसके बेहद कम साइड इफेक्ट होते हैं और इस सर्जरी के बाद महिलाओं की हाइमन दोबारा पहले की तरह ही हो जाती है.

वर्जिनिटी (कौमार्य) खोने की सही उम्र क्या है?

किसी के साथ सेक्स करने का फैसला आपका अपना निजी निर्णय होता है, आप कब और किसके साथ अपनी वर्जिनिटी को खोते हैं इसका लोगों से कोई लेना देना नहीं है. किसी भी उम्र में आप पहली बार सेक्स कर सकते हैं. कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में वर्जिनिटी को खोने की उम्र दुनिया के अन्य क्षेत्रों के मुकाबले अधिक है. माना जाता है कि भारत में इसकी औसत आयु 19.8 हैं, जबकि दुनिया भर में पहली बार सेक्स कर वर्जिनिटी को खोने वालों की औसत आयु 17.8 है.

वर्जिनिटी को खोने की उम्र आपके प्यार भरे संबंधों के आधार पर भी निर्भर करती है. यदि कोई व्यक्ति या आपका कोई दोस्त अपनी वर्जिनिटी खो चुका है, तो इसका यह मतलब बिलकुल नहीं हैं कि पहली बार सेक्स करने के लिए आप भी तैयार हैं. अगर आप केवल सेक्स करने के नजरीये से अपनी वर्जिनिटी को खोना चाहते हैं, तो यह जरूरी नहीं कि इसमें आपको अच्छा ही महसूस हो. इससे बेहतर यह होगा कि आप पहले खुद को सेक्स के लिए तैयार कर लें, इसके बाद ही इस क्रिया को करें.

इसके साथ ही आपको सेक्स करने से पूर्व इससे होने वाले यौन संक्रमणों, एसटीडी (यौन संचारित रोग) व उनसे बचावों के बारे में जानकारी लेना बेहद ही जरूरी होता है.

सैक्स में कहीं आपको भी तो शर्म नहीं आती..!

तान्या की शादी तय हो गई थी और उस की विवाहित सहेलियां जबतब उसे छेड़ती रहती थीं. कभी सुहागरात की बात को ले कर, तो कभी पति के साथ हनीमून पर जाने की बात को ले कर. उन की बातें सुन कर अगर एक तरफ तान्या के शरीर में सिहरन दौड़ जाती, तो दूसरी ओर वह यह सोच कर सिहर जाती कि आखिर कैसे वह सैक्स संबंधों का मजा खुल कर ले पाएगी? उसे तो सोचसोच कर ही शर्म आने लगती थी. आज तक वह यही सुनती आई थी कि सैक्स संबंधों के बारे में न तो खुल कर बात करनी चाहिए, न ही उसे ले कर उत्सुकता दिखानी चाहिए. पति के सामने शर्म का एक परदा पड़ा रहना आवश्यक है. नहीं तो पता नहीं वह क्या सोचे. दूसरी ओर उसे यह डर भी सता रहा था कि कहीं उस के पति को उस की देहयष्टि में कोई कमी तो महसूस नहीं होगी? कितनी बार तो वह शीशे के सामने जा कर खड़ी हो जाती और हर कोण से अपने शरीर का मुआयना करती. पता नहीं, उस की फिगर ठीक है भी कि नहीं. कभी वह शरीर के गठन को ले कर कौंशस हो जाती, तो कभी यह सोच कर परेशान हो उठती कि पता नहीं वह अपने पति के साथ मधुर संबंध बना भी पाएगी या नहीं.

1. कहां से उपजती है शर्म

तान्या जैसी अनेक लड़कियां हैं, जो सैक्स को शर्म के साथ जोड़ कर देखती हैं, जिस की वजह से इस सहजस्वाभाविक प्रक्रिया व आवश्यकता को ले कर कई बार उन के मन में कुंठा भी पैदा हो जाती है. सैक्स के प्रति शर्म की भावना हमारे भीतर से नहीं वरन हमारे परिवेश से उत्पन्न होती है. यह हमारे परिवारों से आती है, हमारी सांस्कृतिक व धार्मिक परंपराओं से आती है, फिर हमारे मित्रों व हमारे समुदाय से हम तक पहुंचती है.

आगे चल कर हम एक तरफ तो उन चित्रों और संदेशों को देख कर यह सीखते हैं जो हैं कि सैक्स एक सुखद एहसास है और जीवन में खुश रहने के लिए सफल सैक्स जीवन एक अनिवार्यता है तो दूसरी ओर उन संदेशों के माध्यम से सैक्स को शर्म से जोड़ कर देखते हैं, जो बताते हैं कि सैक्स संबंध बनाना गलत व एक तरह का पाप है. समाजशास्त्री कल्पना पारेख मानती हैं कि ज्यादातर ऐसा उन स्थितियों में होता है, जब लड़कियां यौन शोषण का शिकार होती हैं. सैक्स से संबंधित कोई भी मनोवैज्ञानिक, शारीरिक या भावनात्मक शोषण उस के प्रति अनासक्ति तो पैदा कर ही देता है, साथ ही अनेक वर्जनाएं भी लगा देता है.

2. जुड़ी हैं कई भ्रांतियां

शर्म इसलिए भी है क्योंकि हमारे समाज में सैक्स एक टैबू है और उस के साथ हमेशा कई तरह की भ्रांतियां जुड़ी रही हैं. अगर एक स्वाभाविक जरूरत की तरह कोई लड़की इस की मांग करे, तो भी शर्म की बात है. इस के अलावा सैक्स संबंधों को ले कर लड़कियों के मन में यह बात डाल दी जाती है कि इस के लिए उन का शरीर सुंदर और अनुपात में होना चाहिए. ऐसे में जब तक वे युवा होती हैं समझ चुकी होती हैं कि उन का शरीर कैसा लगना चाहिए और जब उन का शरीर उस से मेल नहीं खाता, तो उन्हें शर्मिंदगी का एहसास होने लगता है.

मैत्रेयी का विवाह हुए 1 महीना हो गया है, पर वह अभी भी पति के साथ संबंध बनाने में हिचकिचाती है. वजह है, उस का सांवला और बहुत अधिक पतला होना. उसे लगता है कि पति उस की रंगत और पतलेपन को पसंद नहीं करेंगे, इसलिए वह उन के निकट जाने से घबराती है. पति जब नजदीक आते हैं, तो वह कमरे में अंधेरा कर देती है. अपने शरीर के आकार को ले कर वह इतनी परेशान रहती है कि सैक्स संबंधों को ऐंजौय ही नहीं कर पाती है.

मनोवैज्ञानिक संध्या कपूर कहती हैं कि सैक्स के प्रति शर्म पतिपत्नी के बीच दूरियों की सब से बड़ी वजह है. पत्नी कभी खुले मन से पति के निकट जा नहीं पाती. फिर वे संबंध या तो मात्र औपचारिकता बन कर रह जाते हैं या मजबूरी. उन में संतुष्टि का अभाव होता है. यह शर्म न सिर्फ औरत को यौन आनंद से वंचित रखती है, वरन प्यार, सामीप्य व साहचार्य से भी दूर कर देती है.

3. न छिपाएं अपनी इच्छाएं

यह एक कटु सत्य है कि भारतीय समाज में औरतों की यौन इच्छा को महत्त्व नहीं दिया जाता है. वे सैक्स को आनंद या जरूरत मानने के बजाय उसे विवाह की अनिवार्यता व बच्चे पैदा करने का जरिया मान कर या तो एक दिनचर्या की तरह निभाती हैं या फिर संकोच के चलते पति से दूर भागती हैं. उन की सैक्स से जुड़ी शर्म की सब से बड़ी वजह यही है कि बचपन से उन्हें बताया जाता है कि सैक्स एक वर्जित विषय है, इस के बारे में उन्हें बात नहीं करनी चाहिए. ‘‘ऐसे में विवाह के बाद सैक्स के लिए पहल करने की बात तो कोई लड़की सोच भी नहीं पाती. इस की वजह वे सामाजिक स्थितियां भी हैं, जो लड़की की परवरिश के दौरान यह बताती हैं कि सैक्स उन के लिए नहीं वरन पुरुष के ऐंजौय करने की चीज है. जबकि संतुष्टिदायक सैक्स संबंध तभी बन सकते हैं, जब पतिपत्नी दोनों की इस में सक्रिय भागीदारी हो और वे बेहिचक अपनी बात एकदूसरे से कहें,’’ कहना है संध्या कपूर का.

4. संकोच न करें

सैक्स का शर्म से कोई वास्ता नहीं है, क्योंकि यह न तो कोई गंदी क्रिया है न ही पतिपत्नी के बीच वर्जित चीज. बेहतर होगा कि आप दोनों ही सहज मन से अपने साथी को अपनाते हुए सैक्स संबंधों का आनंद उठाएं. इस से वैवाहित जीवन में तो मधुरता बनी ही रहेगी, साथ ही किसी तरह की कुंठा भी मन में नहीं पनपेगी. पति का सामीप्य और भरपूर प्यार तभी मिल सकता है, जब आप उसे यह एहसास दिलाती हैं कि आप को उस की नजदीकी अच्छी लगती है. आंखों में खिंचे शर्म के डोरे पति को आप की ओर आकर्षित करेंगे, पर शर्म के कारण बनाई दूरी उन्हें नागवार गुजरेगी. मन में व्याप्त हर तरह की हिचकिचाहट और संकोच को छोड़ कर पति के साहचर्य का आनंद उठाएं.

5. सफल सैक्स एक अनिवार्यता है

विशेषज्ञों द्वारा किए गए कई शोधों से यह साबित हो चुका है कि सैक्स एक नैसर्गिक प्रक्रिया है और इस से न सिर्फ वैवाहिक जीवन में मधुरता बनी रहती है, बल्कि शरीर स्वस्थ और मन प्रसन्न रहता है.

धार्मिक आडंबरों में फंस कर सैक्स को बुरी नजर से देखना गलत है. हकीकत में हमारी उत्पत्ति ही इसी की देन है. सैक्स सुरक्षित और साथी की सहमति से करना चाहिए.

सैक्स में असंतुष्टि अथवा शर्म से दांपत्य संबंधों में मौन पसर सकता है. इसलिए इस पर खुल कर बात करें और इसे भरपूर ऐंजौय करें.

नीमहकीम या झोलाछाप डाक्टरों के चक्कर में फंस कर सैक्स जीवन प्रभावित हो सकता है. इन से दूर रहें.

सैक्स में निरंतरता के लिए मानसिक मजबूती व भावनात्मक संबंध जरूरी है.

शादी से पहले सैक्स, क्या रोमांस बढ़ाएगा दोगुना

आजकल लगभग सभी समाचारपत्रों और पत्रिकाओं में पाठकों की समस्याओं वाले स्तंभ में युवकयुवतियों के पत्र छपते हैं, जिस में वे विवाहपूर्व शारीरिक संबंध बना लेने के बाद उत्पन्न हुई समस्याओं का समाधान पूछते हैं.

विवाहपूर्व प्रेम करना या स्वेच्छा से शारीरिक संबंध बनाना कोई अपराध नहीं है, मगर इस से उत्पन्न होने वाली समस्याओं पर विचार अवश्य करना चाहिए. इन बातों पर युवकों से ज्यादा युवतियों को ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में उन्हें दिक्कतों का सामना न करना पड़े :

विवाहपूर्व शारीरिक संबंध भले ही कानूनन अपराध न हो, मगर आज भी ऐसे संबंधों को सामाजिक मान्यता नहीं है. विशेष कर यदि किसी लड़की के बारे में समाज को यह पता चल जाए कि उस के विवाहपूर्व शारीरिक संबंध हैं तो समाज उस के माथे पर बदचलन का टीका लगा देता है, साथ ही गलीमहल्ले के आवारा लड़के लड़की का न सिर्फ जीना दूभर कर देते हैं, बल्कि खुद भी उस से अवैध संबंध बनाने की कोशिश करते हैं.

युवती के मांबाप और भाइयों को इन संबंधों का पता चलने पर घोर मानसिक आघात लगता है. वृद्ध मातापिता कई बार इस की वजह से बीमार पड़ जाते हैं और उन्हें दिल का दौरा तक पड़ जाता है. लड़की के भाइयों द्वारा प्रेमी के साथ मारपीट और यहां तक कि प्रेमी की जान लेने के समाचार लगभग रोज ही सुर्खियों में रहते हैं. युवकों को तो अकसर मांबाप समझा कर सुधरने की हिदायत देते हैं, मगर लड़की के प्रति घर वालों का व्यवहार कई बार बड़ा क्रूर हो जाता है. प्रेमी के साथ मारपीट के कारण लड़की के परिवार को पुलिस और कानूनी कार्यवाही तक का सामना करना पड़ता है.

अधिकतर युवतियों की समस्या रहती है कि उन्हें शादीशुदा व्यक्ति से प्यार हो गया है व उन्होंने उस से शारीरिक संबंध भी कायम कर लिए हैं. शादीशुदा व्यक्ति आश्वासन देता है कि वह जल्दी ही अपनी पहली पत्नी से तलाक ले कर युवती से शादी कर लेगा, मगर वर्षों बीत जाने पर भी वह व्यक्ति युवती से या तो शादी नहीं करता या धीरेधीरे किनारा कर लेता है. ऐसे किस्से आजकल आम हो गए हैं.

इस तरह के हादसों के बाद युवतियां डिप्रेशन में आ जाती हैं व नौकरी छोड़ देती हैं. इस से उबरने में उन्हें वर्षों लग जाते हैं. कई बार युवक पहली पत्नी के होते हुए भी दूसरी शादी कर लेते हैं. मगर याद रखें, ऐसी शादी को कानूनी मान्यता नहीं है और बाद में बच्चों के अधिकार के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ सकती है जिस का फैसला युवती के पक्ष में आएगा, इस की संभावना बहुत कम रहती है.

शारीरिक संबंध होने पर गर्भधारण एक सामान्य बात है. विवाहित युवती द्वारा गर्भधारण करने पर दोनों परिवारों में खुशियां मनाई जाती हैं वहीं अविवाहित युवती द्वारा गर्भधारण उस की बदनामी के साथसाथ मौत का कारण भी बनता है.

अभी हाल ही में मेरी बेटी की एक परिचित के किराएदार के घर उन के भाई की लड़की गांव से 11वीं कक्षा में पढ़ने के लिए आई. अचानक एक शाम उस ने ट्रेन से कट कर अपनी जान दे दी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि लड़की गर्भवती थी. उसे एक अन्य धर्म के लड़के से प्यार हो गया और दोनों ने शारीरिक संबंध कायम कर लिए, मगर जब लड़के को लड़की के गर्भवती होने का पता चला तो वह युवती को छोड़ कर भाग गया. अब युवती ने आत्महत्या का रास्ता चुन लिया. ऐसे मामलों में अधिकतर युवतियां गर्भपात का रास्ता अपनाती हैं, लेकिन कोई भी योग्य चिकित्सक पहली बार गर्भधारण को गर्भपात कराने की सलाह नहीं देगा.

अधिकतर अविवाहित युवतियां गर्भपात चोरीछिपे किसी घटिया अस्पताल या क्लिनिक में नौसिखिया चिकित्सकों से करवाती हैं, जिस में गर्भपात के बाद संक्रमण और कई अन्य समस्याओं की आशंका बनी रहती है. दोबारा गर्भधारण में भी कठिनाई हो सकती है. अनाड़ी चिकित्सक द्वारा गर्भपात करने से जान तक जाने का खतरा रहता है.

युवती का विवाह यदि प्रेमी से हो जाता है तब तो विवाहोपरांत जीवन ठीकठाक चलता है, मगर किसी और से शादी होने पर यदि भविष्य में पति को किसी तरह से पत्नी के विवाहपूर्व संबंधों की जानकारी हो गई तो वैवाहिक जीवन न सिर्फ तबाह हो सकता है, बल्कि तलाक तक की नौबत आ सकती है.

विवाहपूर्व शारीरिक संबंधों में मुख्य खतरा यौन रोगों का रहता है. कई बार एड्स जैसा जानलेवा रोग भी हो जाता है. खास बात यह है कि इस रोग के लक्षण काफी समय तक दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन बाद में यह रोग उन के पति और होने वाले बच्चे को हो जाता है. प्रेमी और उस के दोस्तों द्वारा ब्लैकमेल की घटनाएं भी अकसर होती रहती हैं. उन के द्वारा शारीरिक यौन शोषण व अन्य तरह के शोषण की आशंकाएं हमेशा बनी रहती हैं.

युवती का विवाह यदि अन्यत्र हो जाता है और वैवाहिक जीवन ठीकठाक चलता रहता है, घर में बच्चे भी आ जाते हैं, लेकिन यदि भविष्य में बच्चों को अपनी मां के किसी दूसरे पुरुष से संबंधों के बारे में पता चले तो उन्हें गंभीर मानसिक आघात पहुंचेगा, खासकर तब जब बच्चे टीनएज में हों. मां के प्रति उन के मन में घृणा व उन के बौद्धिक विकास पर भी इस का असर पड़ता है.

इन संबंधों के कारण कई बार पारिवारिक, सामाजिक व धार्मिक विवाद व लड़ाईझगड़े भी हो जाते हैं, जिन में युवकयुवती के अलावा कई और लोगों की जानें जाती हैं. इस के बावजूद यदि युवकयुवती शारीरिक संबंध बना लेने का निर्णय कर ही लेते हैं, तो गर्भनिरोधक विशेषकर कंडोम का प्रयोग अवश्य करें, क्योंकि इस से गर्भधारण व यौन संक्रमण का खतरा काफी हद तक खत्म हो जाता है.

अधूरी है सैक्स नौलेज, तो ले पूरी जानकारी

प्रेमिका को खुश रखने की युवा हर संभव कोशिश करते हैं, लेकिन जब सेक्स संबंधी समस्या हो तो उसे भी दूर करना होगा. युवा प्रेमियों को लगता है कि सेक्स का अधूरा ज्ञान उन्हें मंझधार में ले जा सकता है. सेक्स संबंधों के दौरान सेक्स क्षमता का बहुत महत्त्व है. सहवास करने की क्षमता ही व्यक्ति को पूर्ण पुरुष के रूप में स्थापित करती है.

कई ऐसे कारण हैं जिन पर हम खुल कर चर्चा नहीं करते न ही उन्हें दूर करने का उपाय खोजते हैं. नतीजतन, सेक्स लाइफ का मजा काफूर हो जाता है. ऐसी  कई समस्याएं हैं जिन्हें दूर कर हम वैवाहिक जिंदगी जी सकते हैं.

1. झिझक 

सहवास की पूर्ण जानकारी न होना, सेक्स के बारे में झिझक, संबंध बनाने से पहले ही घबराना, यौन दुर्बलता से सेक्स इच्छा की कमी, मानसिकरूप से खुद को सेक्स के प्रति तैयार न कर पाना, शीघ्रपतन, स्वप्नदोष, मोबाइल सेक्स आदि समस्याओं से युवावर्ग पीडित है. सेक्स में मंझधार में न रहें, समस्याओं को समझें व इन्हें दूर करें और सेक्स का भरपूर आनंद उठाएं.

2. सैक्स इच्छा में मानसिक कारणों को दूर करें

आज की भागदौड़भरी जिंदगी में धनपदयश पाने की उलझन में फंसे युवा एक खास मुकाम तक पहुंचने के चक्कर में सहवास के बारे में अंत में सोचते हैं. वे इस तनाव से ऐसे ग्रस्त हो गए हैं कि उन का वैवाहिक जीवन इस से प्रभावित हुआ है.

3. सैक्स में डरें नहीं

डर यौनसुख को सब से ज्यादा प्रभावित करता है. इस की वजह से शीघ्र स्खलित होना, कोई देख लेगा, कमरे के बाहर आवाज सुनाई देने का डर, पार्टनर द्वारा उपहास, गर्भ ठहरने का खतरा आदि युवाओं की यौनक्षमता पर प्रश्नचिह्न लगा देते हैं. युवावस्था में यौन इच्छा चरम पर होती है इसलिए सेक्स संबंध जल्दीजल्दी बना लेते हैं, लेकिन धीरेधीरे समय में ठहराव कम हो जाता है, क्योंकि विवाह से पहले प्रेमिका से संबंध बनाना उसे अपराधबोध लगता है और वह शीघ्र स्खलित हो जाता है. इन सभी बातों को नजरअंदाज करते हुए सेक्स संबंध बनाएं.

4. मोबाइल सैक्स

इंटरनैट के परिवेश में आज का युवा मोबाइल पर सैक्सी फिल्में देखता है और खुद को भी सेक्स में लिप्त कर लेता है. यही कारण है कि वह वास्तविक जीवन में सेक्स का भरपूर आनंद नहीं उठा पाता.

5. स्वयं पर विश्वास करें

कुछ युवा स्वस्थ होते हुए भी सेक्स के प्रति आत्मविश्वासी नहीं होते. सहवास के दौरान वे धैर्य खो बैठते हैं. ऐसे युवाओं में कोई कुंठा छिपी होती है, जो उन्हें पूर्ण सेक्स करने से रोकती है. खुद पर विश्वास रखें, अन्यथा किसी अच्छे सैक्सोलौजिस्ट एवं मनोचिकित्सक को दिखाएं.

6. यौनांग पर चोट

किसी ऐक्सिडैंट या अत्यंत तेजी से शारीरिक संबंध बनाते हुए या कष्टप्रद आसनों से यौनांग को चोट पहुंचती है. इस से युवती का सेक्स से मन हटने लगता है. अत: यौनांग पर चोट न पहुंचे, ऐसा प्रयास करें.

7. शारीरिक कारण

आज युवाओं का सेक्स में सफल न हो पाना दवाओं का दुष्प्रभाव है. बीटा रिसेप्टार्स, प्रोपेनोलोल, मिथाइल डोपा, सिमेटिडिन आदि दवाएं सेक्स इच्छा में कमी लाती हैं. खुद को बीमारी से दूर रखने का प्रयास करें. यौनांग में कसावट होने (फिमोसिस) के फलस्वरूप दर्द, जलन होना, तनाव व स्खलन के कारण सहवास में कमी आ जाती है. अत: शल्यक्रिया द्वारा इसे दूर किया जा सकता है.

8. गुप्तांग में तनाव न आना

सहवास के दौरान तनाव न आना और यदि  तनाव आता भी है तो कम समय के लिए आता है. युवावस्था में ऐसा होने के कई कारण हैं, जैसे मातापिता का व्यवहार व मानसिक तनाव सेक्स क्रिया में असफलता की मुख्य वजह है.

9. सीमेन की मात्रा कम होना

कई बार स्खलन का समय सामान्य होता है, लेकिन सीमेन काफी कम मात्रा में निकलने से सेक्स के दौरान पूर्णआनंद नहीं आता. युवा यदि इस समस्या से पीडि़त हों तो चरमोत्कर्ष तक नहीं पहुंच पाते. ऐसे में सैक्सोलौजिस्ट से मिलें. मानसिक रूप से खुद को तैयार कर के सहवास करें, समस्या अवश्य दूर होगी.

10. इजाक्युलेशन

जब युवा अपने पार्टनर को संतुष्ट किए बिना ही स्खलित हो जाते हैं तो इसे इजाक्यूलेशन कहा जाता है. सैक्सुअल संबंधों के दौरान ऐसा होने से वैवाहिक जीवन में कड़वाहट आती है.

11. प्रीमैच्योर इजाक्युलेशन

युवाओं में सेक्स में और्गेज्म की अनुभूति इजाक्युलेशन से पूरी होती है. सहवास शुरू करने के 30 सैकंड से 1 मिनट पहले स्खलित होने पर उसे प्रीमैच्योर इजाक्युलेशन कहते हैं. गुप्तांग की कठोरता खत्म हो जाती है और इस वजह से पार्टनर की इच्छा पूरी नहीं हो पाती है. यह वास्तव में समस्या नहीं बल्कि चिंता, संतुष्ट न कर पाने का डर, मानसिक अशांति, मानसिक तनाव, डायबिटीज या यूरोलौजिकल डिसऔर्डर के कारण होता है. इस के लिए ऐंटीडिप्रैंसेट दवाओं का सेवन डाक्टर की सलाह ले कर करें.

12. ड्राइ इजाक्युलेशन

इस में पुरुषों की ब्लैडर मसल्स ठीक से काम नहीं करतीं, जिस कारण सीमेन बाहर नहीं निकल पाता. इस से फर्टिलिटी प्रभावित होती है, लेकिन आर्गेज्म या सेक्स संतुष्टि पर कोई असर नहीं पड़ता.

13. पौष्टिक आहार व पर्याप्त नींद लें

संतुलित व पर्याप्त पौष्टिक भोजन के अभाव में शरीर परिपुष्ट नहीं हो पाता. ऐसे में सीमेन का पतलापन और इजाक्युलेशन जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है. पर्याप्त नींद और भोजन से शरीर में सेक्स हारमोन का स्तर काफी बढ़ जाता है, जो सफल सहवास के लिए जरूरी है.

14. तनाव से दूर रहें

तनाव के दौरान कभी भी सेक्स संबंध न बनाएं. तनाव सेक्स प्रक्रिया को पूरी तरह प्रभावित करता है और इंसान को कई बीमारियों से ग्रसित कर देता है. मुंबई की मशहूर मनोचिकित्सक डा. यदुवीर पावसकर का मानना है कि युवाओं के एक बहुत बडे़ वर्ग, जिसे तनाव ने अपने घेरे में ले लिया है, को सेक्स से अरुचि होने लगी है. इस का मुख्य कारण भागदौड़ भरी दिनचर्या है.

15. फोरप्ले को समझें

शारीरिक संबंध बनाने से पहले पूर्ण शारीरिक स्पर्श, मुखस्पर्श, नख, दंत क्रीड़ा करने के बाद ही सहवास शुरू करें. सेक्स प्रक्रिया का पहला चरण फोरप्ले है. बिना फोरप्ले युवकों को उतनी समस्या नहीं आती लेकिन ज्यादा नोचनेखसोटने से युवती को पीड़ा हो सकती है. उस का सहवास से मन हट सकता है. इसलिए शारीरिक संबंध बनाते समय पार्टनर की भावनाओं की भी कद्र करें और अगर उसे इस दौरान दर्द हो रहा है तो अपने ऐक्शंस पर थोड़ा कंट्रोल करें.

16. सैक्स ऐंजौय करने के कुछ उपाय

–       पूरी नींद लें.

–       पौष्टिक आहार लें.

–       नियमित व्यायाम करें.

–       शराब या तंबाकू का सेवन न करें.

–       नियमित रूप से हैल्थ चैकअप करवाएं.

–       साल में 1-2 बार किसी हिल स्टेशन पर जाएं.

–       शारीरिक संबंध तभी बनाएं जब पार्टनर भी तैयार हो.

जानिए पुरुष नसबंदी क्यों है जरूरी

अपनी पत्नी का सहयोग करने से उन की इस तथाकथित मर्दानगी को बट्टा लग जाता है तथा पत्नी पर रोब गांठने से उन की मर्दानगी में चारचांद लगते हैं.

वे प्यार में अपनी जान देने तक की बात तो कर सकते हैं, परंतु पत्नी के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए स्वयं नसबंदी करवाने के बारे में सोच भी नहीं सकते जबकि चिकित्सा विज्ञान आज इतनी तरक्की कर चुका है कि दर्दरहित यह प्रक्रिया कुछ ही मिनटों में समाप्त हो जाती है.

इस के बावजूद हजार में से कोई 1 पुरुष ही है जो नसबंदी के लिए सहमत होता है और वह भी चोरीछिपे, रिश्तेदारों एवं समाज को बताए बिना. जबकि महिला नसबंदी खुले में शिविर लगा कर की जाती है. सरकार भी महिला नसबंदी का ही ज्यादा प्रचार करवाती है. नसबंदी करवाने के लिए महिलाओं को रुपए भी मिलते हैं.

ग्रामीण संस्था ‘आशा’ भी महिलाओं को ही नसबंदी के फायदे एवं नुकसान की जानकारी देती है. कुछ गांवों में तो टारगेट पूरा करने के लिए ट्रकों में भरभर कर महिलाओं को शिविरों में लाया जाता है. ये पैसों के लालच में यहां आ तो जाती हैं परंतु उचित देखभाल न होने के कारण कई बार हादसे का भी शिकार हो जाती हैं.

हमारे देश की यह विडंबना है कि परिवार नियोजन का सारा दारोमदार महिलाओं पर ही छोड़ दिया गया है. महिलाएं भी पुरुषों को कंडोम इस्तेमाल करने के लिए नहीं कह सकती हैं परंतु स्वयं बिना सोचेसमझे इस्तेमाल करने से नहीं हिचकतीं. बचपन से त्याग और कर्तव्य पालन की घुट्टी जो कूटकूट कर पिलाई जाती है उन्हें.

सरल है पुरुष नसबंदी

डेनमार्क में हुए एक शोध से पता चलता है कि गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल करने वाली महिलाएं अकसर अवसाद में चली जाती हैं. आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की मानें तो सभी चिकित्सक यही कहते हैं कि महिला नसबंदी की तुलना में पुरुष नसबंदी अधिक सरल, सुरक्षित, आसान एवं कम खर्चीली है.

पुरुष नसबंदी में स्पर्म्स को ले जाने वाली नलिका ‘वासडिफरैंस’ को कट कर दिया जाता है. इस के लिए शल्यचिकित्सक सब से पहले अंडकोषों के ऊपर वाली चमड़ी पर सूई लगा कर उसे सुन्न करते हैं और फिर एक खास तरह की चिमटी से बारीक सूराख कर के उस नली को बाहर निकाल कर अंडकोषों से वीर्य को पेशाब की नली तक पहुंचाया जाता है. पुन: इस थैली को बीच से काट कर दोनों कटे हुए सिरों को बांध कर उन के मुंह बंद कर दिए जाते हैं और वापस अंडकोष थैली के अंदर डाल देते हैं. इस प्रक्रिया में 20 से 25 मिनट लगते हैं. व्यक्ति को न तो एनेस्थीसिया की आवश्यकता होती है और न ही अस्पताल में भरती होना पड़ता है.

यह प्रक्रिया बिना किसी चीरे या टांके के संपूर्ण हो जाती है. इस प्रक्रिया के कुछ ही घंटों बाद व्यक्ति अपने पैरों से चल कर घर जा सकता है. यह गर्भनिरोध के लिए महिला नसबंदी जितना ही प्रभावशाली होता है.

सेक्स क्षमता पर प्रभाव

इस के विपरीत महिला नसबंदी में उक्त महिला को लोकल एनेस्थीसिया दिया जाता है तथा एक चीरा एवं टांका भी लगता है. महिला को पूरी तरह सामान्य होने में 1 हफ्ता लग जाता है. इस प्रक्रिया में महिला को संक्रमण और अंदरूनी भागों में चोट लगने का भी खतरा होता है. दूरबीन प्रक्रिया में तो औजार अंदाज से अंदर डाला जाता है.

अत: इस में गुरदा खराब होने एवं अंदरूनी रक्तस्राव होने की भी संभावना रहती है, जबकि पुरुषों में इस प्रकार की कोई समस्या नहीं होती और न ही उन के सेक्स ड्राइव में कोई कमी आती है.

जागरूकता जरूरी

हाल में ही प्रदर्शित एक फिल्म ‘पोस्टर बौयज’ में भी निर्देशक श्रेयस तलपड़े ने इसी समस्या को उठाया है. फिल्म के नायकों पर नसबंदी का शक मात्र हो जाने से उन के सामाजिक और पारिवारिक जीवन में भूचाल सा आ जाता है. एक गुनहगार की भांति उन्हें अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए कोर्ट तक का सहारा लेना पड़ता है. अंतत: मुख्यमंत्री के मुंह से पुरुष नसबंदी का संदेश दिलाया जाता है.

यह फिल्म एक तरह से पुरुष नसबंदी को ही प्रमोट करती है और यह संदेश देती है कि इस प्रक्रिया से पुरुषों में किसी भी तरह की कमजोरी नहीं होती है और न ही यह शर्मनाक कृत्य है, बल्कि परिवार नियोजन के अन्य साधनों की तरह यह भी एक साधन मात्र है.

10 टिप्स: जानें सैक्स पावर बढ़ाने के घरेलू उपाय

मानवीय शारीरिक ऊर्जा के जिस भाग को आप सैक्स यानि संभोग में लगाते है, उसको सैक्स पावर कहा जाता है. सेक्स सभी की जिंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. इसको आनंदपूर्ण बनाने के लिए आपको अपनी सेक्स पावर को सही रखना होता है. सेक्स में शामिल होने वाले दोनों ही साथियों की सेक्स पावर स्वस्थ होने से शारीरिक व मानसिक स्तर पर कई तरह के लाभ मिलते हैं.

आज के दौर में अस्वस्थ दिनचर्या व दूषित वातावरण के कारण लोगों को कई तरह की बीमारियां हो जाती है. इसके चलते सेक्स पावर में भी कमी आ जाती है. आपकी इन सभी परेशानियों को देखते हुए आज आपको सेक्स पावर को बढ़ाने के उपाय और तरीके के साथ ही इसको बढ़ाने के घरेलू नुस्खों के बारे में बताया जा रहा है.

सैक्स पावर कम होने के लक्षण

सैक्स पावर होने पर पर आपको निम्न तरह के लक्षण महसूस होते हैं.

– यौन उत्तेजना न होना.

– शीघ्रपतन होना.

– चरम सुख (ओर्गेज्म) की अवधि कम होना.

– सैक्स के दौरान संतुष्टि प्राप्त न होना.

– यौन प्रदर्शन में कमी आना.

सैक्स पावर कम होने के कारण

सैक्स पावर कम होने के कई कारण हो सकते हैं. जिनमें से कुछ मुख्य कारणों के बारे में आगे बताया जा रहा है.

  • टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होना.
  • सेक्सुअल स्टेमिना में कमी आना.
  • नपुंसकता.
  • अधिक आयु होना.
  • तनाव व चिंता से ग्रसित होना.
  • दीर्घकालिक रोग, जैसे – डायबिटीज व हृदय रोग होना.

सैक्स पावर बढ़ाने के उपाय और तरीके

सैक्स पावर कैसे बढ़ाएं : सैक्स पावर बढ़ाने के लिए वैसे तो आपको कई उपाय बताएं गए हैं, परंतु इनके अलावा भी कुछ ऐसे उपाय है जिनके द्वारा आप अपनी सेक्स पावर को आसानी से बेहतर कर सकते हैं.

  1. सैक्स पावर बढाने के उपाय रखें तनाव से दूरी : सेक्स पावर को प्राकृतिक रूप से बढ़ाने के लिए आपको तनाव से दूर रहना चाहिए. तनाव से आपके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. एक अध्ययन में इस बात का पता चला है कि तनाव व्यक्ति की सेक्सुअल गतिविधियों को प्रभावित करता है. तनाव के कारण हृदय गति असामान्य हो जाती है. इसके साथ ही साथ तनाव के कारण हाई बीपी की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है. यह दोनों ही रोग आपकी यौन गतिविधि पर बुरा असर डालते हैं.

इसके अलावा तनाव से उत्तेजना में कमी और चरम सुख पर पहुंचना भी कठिन हो जाता है. अगर आपका साथी तनाव में है, तो आपको उनके तनाव को दूर करने के लिए उनकी पूरी सहायता करनी चाहिए. कई बार तनाव के कारण ही व्यक्ति शराब व नशे का आदि हो जाता है. नशे की आदत के कारण भी सेक्स पावर कम हो जाती है.

2. सैक्स पावर बढाये सही पोजीशन से : बताए गए उपायों से सेक्स पावर की समस्या सही होने पर आप विभिन्न सेक्स पोजीशन की मदद से अपनी पार्टनर को पूर्ण संतुष्टि प्रदान कर सकते हैं. कई बार आप एक ही तरह की सेक्स पोजीशन को करते-करते ऊब जाते हैं. ऐसे में आपको लगता है कि आपकी सेक्स पावर कम हो गई है, जबकि ऐसा होता नहीं है. सेक्स पोजीशन को बदलकर आप अपनी सेक्स लाइफ को पहले की तरह की रोमांचकारी और बेहतर बना पाएंगे. सेक्स पोजीशन को अपनाते समय आपको अपनी सहुलियत से ज्यादा साथी की सहुलियत पर ध्यान देना होगा. एक बार आप और साथी किसी सेक्स पोजीशन में सहज हो जाएं तो बाद में आप अपनी सेक्स पावर को भी प्रदर्शित कर सकते हैं. वहीं कई ऐसी सेक्स पोजीशन भी होती हैं जिनके द्वारा आप कम जोश दिखाए हुए भी साथी को पूरी संतुष्टि प्रदान कर सकते हैं.

3. हस्तमैथुन करना हस्तमैथुन से आप अपनी सेक्स पावर को बढ़ा सकते हैं. अगर आप अपनी सेक्स पावर को बढ़ाना चाहते हैं तो आपको हस्तमैथुन से सहायता लेनी होगी, दरअसल इससे सेक्स करने की अवधि में वृद्धि होती है. इसको आप सेक्स करने से पहले की प्रैक्टिस की तरह भी देख सकते हैं. इसको करते समय आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि इसको ज्यादा करने से नुकसान भी हो सकता है.

4. रोजाना सैक्स न करें जिस तरह से किसी कार्य को रोजाना करने से आप उसमें बोरियत महसूस करने लगते हैं, ठीक ऐसे ही रोजाना सेक्स करने से आपको इससे बोरियत हो जाती है. सेक्स में बोरियत होने से आपके अंदर की यौनेच्छा में कमी आ जाती है. यौनेच्छा या कामेच्छा को बनाएं रखने के लिए आपको नियमित सेक्स करने की आदत को बदलना होगा. इसकी जगह पर आप एक या दो दिन के अंतराल में सेक्स करें. जिससे आपको सेक्स के दौरान बोरियत भी महसूस नहीं होगी और आप अपनी सेक्स पावर को महसूस भी कर पाएंगे.

5. सैक्स पावर इनक्रीस करें सूर्य की किरणों से : सूर्य की किरणों से कई तरह की बीमारियों को इलाज किया जा सकता है. मेलाटोनिन (Melatonin; नींद की प्रक्रिया को नियमित करने वाला हार्मोन) के कम व ज्यादा होने का प्रभाव आपकी यौन इच्छा पर पड़ता है. कहा जाता है कि सर्दियों में यह हार्मोन अधिक स्त्रावित होता है. इससे बचने के लिए आपको सूर्य की किरणों में कुछ देर बैठना चाहिए. सेक्स पावर को बढ़ाने के लिए यह एक कारगर उपाय है. इतना ही नहीं सूर्य की किरणों में बैठने से आपका रक्त संचार सही होता है और आप पहले के मुकाबले अधिक सक्रिय हो जाते हैं.

6. प्याज है सैक्स पावर बढ़ाने का तरीका : अगर आप अपनी सेक्स पावर को बढ़ाने के बारे में सोच रहें हैं तो आपको अपने आहार में प्याज को शामिल करना होगा. प्याज और यौन स्वास्थ्य पर हुई रिसर्च में पाया गया कि प्याज के सेवन से सेक्स पावर को प्राकृतिक तरीके से बढ़ाया जा सकता है. इसके लिए आपको सफेद प्याज को काटकर और उसको मक्खन में भूनना होगा. आप हर दिन एक चम्मच इस प्याज का सेवन करें. अपने स्वाद के लिए आप इसमें शहद भी मिला सकते हैं. हर सुबह खाली पेट इस प्याज का सेवन करें. यह उपाय सेक्स पावर और शीघ्रपतन की समस्या को दूर करता है.

7. सैक्स पावर बढ़ाएं लहसुन से : आप लहसुन के कई फायदों के बारे में पहले से ही जानते होंगे, मगर आज आपको लहसुन से सेक्स पावर को बढ़ाने के उपाय बताए जा रहें हैं. सेक्स पावर को इनक्रीज करने के लिए आप रोजाना लहसुन की कलियों का सेवन करें. इससे आपकी यौन इच्छा में प्राकृतिक रूप से बढ़ोतरी होती है. लहसुन से सेक्स पावर बढ़ने का राज यह है कि इससे यौन अंगों के रक्त संचार में तीव्रता आती है. जिससे सेक्स के समय यौन अंगों में उत्तेजना लंबे समय तक बनी रहती है और आप अधिक समय तक सेक्स कर पाते हैं.

8. सैक्सुअल पावर बढ़ाता है बादाम : सेक्स पावर को बढ़ाने वाले प्राकृतिक तरीकों में आप बादाम का भी प्रयोग कर सकते हैं. बादाम पर हुए एक अध्ययन में पाया गया कि यह आपके शरीर की सेक्सुअल पावर को बढ़ाते हैं. इसके साथ ही साथ बादाम खाने से प्रजन्न क्षमता में भी वृद्धि होती है. बादाम में उच्च मात्रा में पोषक तत्व व खनिज पाएं जाते हैं. इसमें जिंक, सेलेनियम और विटामिन ई होता है, जिससे यौन स्वास्थ व प्रजन्न शक्ति में बढ़ोतरी होती है. अध्ययन यह भी बताते हैं कि जिंक यौन इच्छा को बढ़ाने के लिए भी काफी उपयोगी माना जाता है. इस वजह से साथी को संतुष्ट करने के लिए आप बादाम का नियमित रूप से सेवन कर सकते हैं.

9. सैक्स पावर मेडिसिन है डार्क चॉकलेट : वैसे तो आपने कई बार चॉकलेट खाई होगी, लेकिन आप डार्क चॉकलेट के इस फायदे से अब तक अंजान होंगे. सेक्स पावर को बढ़ाने के लिए डार्क चॉकलेट किसी दवा की तरह ही काम करती है. डार्क चॉकलेट के सेवन से एंड्रोफिन (Endropihn; आपको आनंदित महसूस कराने वाला हार्मोन) स्त्रावित होता है. इसके अलावा डार्क चॉकलेट का स्वाद सभी को पसंद आता है. इसको खाने से भी आपकी सेक्स पावर में बढ़ोतरी होती है. अगर आप अधिक समय तक सेक्स नहीं कर पाते हैं तो आपको डॉर्क चॉकलेट का सेवन अवश्य करना चाहिए, लेकिन आपको पहले से ही कोई समस्या हो तो आप डॉक्टर की सलाह के बाद ही इसका सेवन करें.

10. सैक्स पावर बढ़ाने के लिए नशे से रहें दूर : सेक्स पावर को बढ़ाने के घरेलू नुस्खों में आपको अपनी बुरी आदतों को छोड़ना होगा. शराब पीना व धूम्रपान करने से कई तरह की हानि होती है. इससे आपकी सेक्स पावर में भी कमी आती है. एक अध्ययन के मुताबिक ऐसा इसलिए होता है क्योंकि धूम्रपान और शराब का सेवन करने से रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती है. इस वजह से पुरुषों में नंपुसकता की समस्या भी हो जाती है. इस समस्या से बचने के लिए आपको धूम्रपान और शराब की लत को छोड़ना होगा. इसकी जगह पर आप ताजे फल व सब्जियों का अधिक सेवन करें.

हार्मोन रिप्लेसमैंट थैरेपी : ध्यान से कराएं अपना सैक्स चेंज

हाल के दिनों में जैंडर चेंज का एक हाई प्रोफाइल मामला सामने आया है. दरअसल, कभी भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी रह चुके और अब कमैंटेटर संजय बांगड़ के बेटे आर्यन ने अपना जैंडर चेंज करवा लिया है. वे लड़के से लड़की बन गए हैं. अब उन का नाम अनाया है.

बता दें कि आर्यन अब अनाया भी क्रिकेटर हैं. वे बतौर लैफ्ट हैंड बैट्समैन एक लोकल क्रिकेट क्लब ‘इसलाम जिमखाना’ की तरफ से क्रिकेट खेलते हैं.

जैंडर बदलवाने के बाद अनाया ने लिखा, ‘ताकत खो रहा, लेकिन खुशी मिल रही है. शरीर बदला, डिस्फोरिया कम हो रहा है. अभी भी काफी लंबा रास्ता तय करना है, लेकिन हर कदम मुझे अपना लगता है.’

दरअसल, हार्मोन रिप्लेसमैंट थैरेपी एक ऐसा तरीका है, जिस में शरीर में हार्मोन को बदल दिया जाता है. इस तरीके में औरत या मर्द के जैंडर में बदलाव किया जाता है. इस में प्लास्टिक सर्जरी की मदद भी ली जाती है. भारत में साल 2014 में इस की मंजूरी मिली थी. तब से अब तक बहुत से लोगों ने अपना जैंडर बदलवाया है.

साल 2014 में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजैंडर को थर्ड जैंडर का दर्जा देने की मान्यता पर मंजूरी दी थी. यह फैसला कोर्ट ने राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण बनाम भारत संघ मामले में सुनवाई के दौरान लिया था. इस फैसले के तहत ट्रांसजैंडर को कानून की तरफ से सुरक्षा सुविधा देने की भी बात की गई थी.

इस के बाद इस फैसले पर साल 2019 में संशोधन किया गया था. ट्रांसजैंडर्स की सुरक्षा और उन के कल्याण के लिए ट्रांसजैंडर पर्सन्स (राइट औफ प्रोटैक्शन) ऐक्ट लागू हुआ था. इस ऐक्ट के मुताबिक, औफिशियल दस्तावेजों में मर्द या औरत के रूप में कानूनी रूप से पहचाने जाने के लिए ट्रांसजैंडर का जैंडर चेंज सर्जरी से गुजरना जरूरी है.

जैंडर चेंज की वजह

सवाल उठता है कि कोई अपना जैंडर चेंज कराता है? जैंडर डिस्फोरिया होने पर एक लड़का लड़की की तरह और एक लड़की लड़के की तरह जीना चाहती है यानी वे अपोजिट सैक्स में खुद को ज्यादा सहज पाते हैं. कई मर्दों में बचपन से ही औरतों जैसी और कई औरतों में मर्दों जैसी आदतें होती हैं.

इस के लक्षण 10-12 साल की उम्र से दिखना शुरू हो जाते हैं. जैसे कोई मर्द है तो वह औरतों जैसे कपड़े पहनना पसंद करने लगेगा, उन की तरह चलने की कोशिश करेगा, उन्हीं की तरह इशारे करेगा. ऐसा ही औरतों के साथ होता है, जिस में वे मर्दों की तरह जीना चाहती हैं. ऐसे हालात में इन लोगों को सैक्स चेंज करना होता है.

जैंडर बदलने के नियम

कानून के तहत जो भी मर्द या औरत अपना जैंडर बदलना चाहता है, इस के लिए नए नियम लागू किए गए थे. इस के मुताबिक, एक शख्स ट्रांसजैंडर प्रमाणपत्र के लिए जिला मजिस्ट्रेट या जिला अधिकारी के पास आवेदन कर सकता है. जिला अधिकारी किसी शख्स को उस के जन्म प्रमाणपत्र पर नाम बदलने और सभी दस्तावेजों को उसी मुताबिक अपडेट करने का अधिकार देते हैं.

इस के अलावा नियम यह भी है कि जैंडर चेंज सर्जरी के बाद ट्रांसजैंर को जिला मजिस्ट्रेट से संशोधित प्रमाणपत्र के लिए भी आवेदन करना पड़ता है. जिला मजिस्ट्रेट की मंजूरी मिलने के बाद ही वह मर्द या औरत के रूप में पहचाना जा सकता है.

मुश्किलें भी आती हैं

सैक्स चेंज कराने का यह तरीका जितना आसान लगता है उतना है नहीं. इस के फायदे और नुकसान दोनों हैं, जैसे :

जैंडर चेंज होने से इनसान को अपना जैंडर मनमुताबिक करने का मौका मिलता है. यह सर्जरी अपने शरीर के साथ आत्मसम्मान महसूस कराती है. इस से आप का आत्मविश्वास बढ़ता है.

पर इस सर्जरी में रिस्क भी बहुत होता है. जरा सी चूक भी इंफैक्शन की वजह बन सकती है. सर्जरी के दौरान या बाद में ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है. जैंडर चेंज सर्जरी में हार्मोन का बैलेंस बिगड़ने की समस्या भी हो सकती है. इस की वजह से मानसिक तनाव का सामना भी करना पड़ सकता है.

इस सर्जरी के बाद सामाजिक लैवल पर भी कई मुसीबतें झेलनी पड़ सकती हैं. साथ ही, इस सर्जरी को कराने में पैसा भी काफी खर्च होता है.

डाक्टरों के मुताबिक, इस सर्जरी को कराने वाले लोग कभी मांबाप नहीं बन सकते हैं, पर वे सैक्स जरूर कर सकते हैं.

Sex Problem: क्या आपकी पत्नी को भी हैं ये 5 सैक्स समस्याएं

कहते हैं कि सफल दांपत्य जीवन में सैक्स एक बहुत बड़ी भूमिका निभाता है और विवाह के बिखराव का एक कारण सेक्स भी हो सकता है. आम धारणा है कि पुरुष को ही सैक्स में ज़्यादा रुचि होती है और महिला अमूमन इससे बचती है. लेकिन ऐसा नहीं है. पुरुष की तरह महिलाओं की भी सेक्स इच्छा होती है. अधूरा और सही समय पर संभोग के पूरा न होने पर महिलाओं को शारीरिक और मानसिक परेशानी होती है. दरअसल महिलाओं का सेक्स केवल संभोग तक सीमित नहीं होता, बल्कि स्पर्श, चुंबन आदि से भी उन्हें संतुष्टि मिलती है.

आइए हम आपको बताते है कि कौन कौन सी सैक्स समस्याएं आती है और उनका समाधान क्या है.

सैक्स में कमी

महिलाओं में सेक्स में कमी डिप्रेशन, थकान या तनाव की वजह से हो सकती है. इसके अलावा और भी वजह हो सकती है जैसे पार्टनर जिस तरह छूता है, वह पसंद नहीं आना, पसीना से या उसके मुंह से पान-तंबाकू वगैरह की बदबू आना आदि. कई महिलाओं को शरीर के कुछ खास हिस्सों पर हाथ लगाने से दर्द महसूस होता है या अच्छा नहीं लगता. इससे भी वे सेक्स से बचने लगती हैं.

लुब्रिकेशन की कमी

महिलाओं के जनन अंग (vagina) में लुब्रिकेशन (गीलापन) को उत्तेजना का पैमाना माना जाता है. कुछ महिलाओं को कम लुब्रिकेशन की शिकायत होती है और ज़ाहिर है ऐसे में सैक्स काफी तकलीफदेह हो जाता है. लुब्रिकेशन में कमी तीन वजहों से हो सकती है. इन्फेक्शन, हार्मोंस में गड़बड़ी या फिर तरीके से फोर प्ले न करना.

सैक्स के दौरान दर्द

कुछ महिलाओं को सैक्स के दौरान दर्द होता है. कई बार यह दर्द बहुत ज़्यादा होता है और ऐसे में महिला सेक्स से बचने लगती है. साथी को इस दर्द का अहसास नहीं होता और उसे लगता है कि साथी महिला की दिलचस्पी नही है या फिर सहयोग नहीं कर रही है.

और्गेज्म न होना

महिलाओं में यह शिकायत आम होती है कि उनका पार्टनर उन्हें संतुष्ट नहीं कर पाता यानी उनका और्गेज्म नहीं हो पाता. कुछ को और्गेज्म नहीं होता और कुछ को होता तो है पर महसूस नहीं होता. कुछ महिलाओं को लुब्रिकेशन के दौरान ही जल्दी ऑर्गेज्म हो जाता है. कुछ को बहुत देर से और्गेज्म होता है.

वैजाइनल पेन

कभी-कभी महिलाओं को नाभि के नीचे और प्यूबिक एरिया के आसपास दर्द महसूस होता है. यह दर्द वैसा ही होता है, जैसा पीरियड्स के दौरान होता है. इसकी वजह यह है कि उत्तेजना होने पर प्राइवेट पार्ट के आसपास खून का बहाव होता है. ऐसे में लुब्रिकेशन होता है पर क्लाइमैक्स नहीं होता. इससे इस एरिया में खून जम जाता है और दर्द होने लगता है.

समाधान

सैक्स समस्या का सबसे बड़ा कारण है पति-पत्नी का सैक्स समस्याओं के बारे में बात ही नहीं करना. पति और पत्नी दोनों को इस मामले में खुलकर बात करनी चाहिए और कोई भी छुपाना नहीं चाहिए. हो सकता है इस मामले में पत्नी पहल न करें तो ऐसे में पति को चाहिए कि उनका व्यवहार ऐसा हो कि उनकी पत्नी उनसे हर बात शेयर कर सकें. यदि आप चाहते हैं कि आप अपने साथी से सभी समस्याओं खासकर सेक्स समस्याओं के बारे में बातचीत कर सकें तो आपको अपने साथी को विश्वास में लेना होगा. यदि आप अपने साथी को अपनी कोई सैक्स समस्या के बारे में बताना चाहते हैं तो आप उसे सीधे-सपाट शब्दों में ना कहें बल्कि उसके लिए थोड़ा समय लें और अपने साथी को बातचीत और प्यार से सहज करें. इसके बात सामान्य बातचीत के बाद ही अपनी समस्या बताएं.

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