सैक्स सुखदायक है पर इन बातों पर भी गौर करें

सैक्सोलौजिस्ट डा. चंद्रकिशोर कुंदरा के मुताबिक, ‘प्रेमीप्रेमिका के बीच सैक्स संबंध स्थापित करने के लिए भौतिक, रासायनिक व मनोवैज्ञानिक कारक ही जिम्मेदार होते हैं. सैक्स ही एक ऐसी सरल क्रिया है जो प्रेमीप्रेमिका को एकसाथ एक ही समय में पूर्ण तृप्ति देती है.’

सैक्स की संपूर्णता प्रेमिका के बजाय प्रेमी पर निर्भर करती है, क्योंकि प्रेमी ही इस की पहल करता है. प्रेमिका सैक्स में केवल सहयोग ही नहीं करती बल्कि पूर्ण आनंद भी चाहती है. अकसर प्रेमीप्रेमिका सैक्स को सुखदायक मानते हैं, लेकिन कई बार सहवास ऐंजौय के साथसाथ कई समस्याओं को भी सामने लाता है. अनुभव के आधार पर इन को दूर कर प्रेमीप्रेमिका सैक्स का सुख उठाते हैं.

शरारती बनें

सैक्स को मानसिक व शारीरिक रूप से ऐंजौय करने के लिए प्रेमीप्रेमिका को शरारती बनना चाहिए. उत्साह, जोश, तनावमुक्त, हंसमुख, जिंदादिल, शरारती प्रेमीप्रेमिका ही सैक्स को संपूर्ण रूप से भोगते हैं.

आत्मविश्वास की कमी न हो

कई बार आत्मविश्वास की कमी हो जाती है. प्रेमी सैक्स के समय उतावलेपन के शिकार हो कर सैक्स के सुखदायक एहसास से वंचित रह जाते हैं.

सैक्स संबंध बनाते समय प्रेमीप्रेमिका के मन में यदि पौजिटिव सोच होगी, तभी दोनों पूर्ण रूप से संतुष्ट हो पाएंगे और सैक्स में कभी कमजोर नहीं पड़ेंगे.

पोर्न फिल्मों से प्रेरित न हों

प्रेमीप्रेमिका अकसर पोर्न फिल्में देख कर, किताबें पढ़ कर सैक्स में हर पल लिप्त रहने की कोशिश करते हैं. अत्यधिक मानसिक कामोत्तेजना की स्थिति में शीघ्रपतन व तनाव में कमी हो जाती है.

सैक्स में जल्दबाजी

कई बार सैक्स में प्रेमीप्रेमिका जल्दबाजी कर जाते हैं. शराब पी कर सैक्स करना चाहते हैं जोकि ठीक नहीं है. हमेशा मादक पदार्थों से दूर रहें. सैक्स के दौरान प्रेमिका ही मादकता का काम करती है.

बढ़ाएं शारीरिक आकर्षण

सहवास के लिए प्रेमी का शारीरिक आकर्षण, स्मार्टनैस, सैक्सी लुक, साफसफाई काफी महत्त्वपूर्ण है. पुरुषोचित्त गुण के साथसाथ गठीले बदन वाले चतुर सुरुचिपूर्ण वस्त्र, रसिक स्वभाव के प्रेमी ही सैक्स में सफल होते हैं.

रोमांटिक स्वभाव रखें

प्रेमिका सहवास के दौरान चाहती है कि उस का प्रेमी रोमांस व ताजगी द्वारा उसे कामोत्तेजित करे. अत: रोमांस की बातें कर सैक्स को सुखदायक बनाएं.

जब सैक्स का मौका मिले

प्रेमीप्रेमिका अकसर सैक्स के लिए मौके की तलाश में रहते हैं. जैसे ही उन्हें मौका मिलता है, वे एकदूसरे में समाने के लिए बेताब हो जाते हैं, लेकिन इस दौरान कई बार ऐसे अचानक किसी का दरवाजा खटखटाना व फोन की घंटी बज जाती है. ऐसी बाधाओं को दूर कर सहवास को मानसिक व शारीरिक रूप से सुखदायक बनाएं.

यौन असंतुष्टि के पीछे कहीं स्मार्टफोन तो नहीं

क्या आप अपने यौन जीवन सें असंतुष्ट हैं? इसके पीछे कहीं न कहीं आपका स्मार्टफोन जिम्मेदार हो सकता है. एक ताजा अध्ययन में इसका खुलासा हुआ है. दुरहाम विश्वविद्यालय की ओर से किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि लोग अपने सेक्स साथी की बजाय फोन गैजेट के प्रति कहीं अधिक लगाव रखने लगे हैं.

यह अध्ययन कंडोम बनाने वाली अग्रणी कंपनी ‘ड्यूरेक्स’ की ओर से करवाया गया, जिसमें ब्रिटेन के 15 दंपति का विस्तृत साक्षात्कार लिया गया. समाचार पत्र ‘डेली मेल’ की रपट के अनुसार, 40 फीसदी प्रतिभागियों ने स्वीकार किया कि स्मार्टफोन या टैबलेट का इस्तेमाल करने के लिए वे यौन संबंध बनाने को टालते रहते हैं.

कुछ अन्य प्रतिभागियों ने स्वीकार किया कि वे यौन संबंध स्थापित करते वक्त जल्दबाजी दिखाते हैं ताकि जल्द से जल्द वे अपने स्मार्टफोन पर सोशल मीडिया के जरिए आए संदेशों को देख सकें या उनका जवाब दे सकें.

एक तिहाई प्रतिभागियों ने स्वीकार किया कि वे यौनक्रिया के बीच में ही आ रही कॉल उठा लेते हैं, जिससे यौनक्रिया बाधित होती है. एक चौथाई से अधिक प्रतिभागियों ने कहा कि अपने स्मार्टफोन एप का इस्तेमाल उन्होंने अपनी यौनक्रिया के फिल्मांकन के लिए किया, जबकि 40 फीसदी प्रतिभागियों ने स्वीकार किया कि उन्होंने अपनी यौनक्रिया के दौरान स्मार्टफोन के जरिए तस्वीरें खीचीं.

प्रतिभागियों का साक्षात्कार लेने वाले मार्क मैककॉरमैक ने कहा कि बेडरूम में स्मार्टफोन का इस्तेमाल आपके संबंध को खतरे में डाल सकता है. जब प्रतिभागियों ने जानना चाहा कि स्मार्टफोन उनकी यौन संतुष्टि को कैसे बढ़ा सकता है तो जवाब सुनकर गए और जवाब था स्मार्टफोन को ऑफ रखकर.

बिन बोले हर पत्नी अपने पति से चाहती हैं ये 5 चीजें, आप भी जान लें

पति पत्नी का रिश्ता बहुत ही मजबूत माना जाता है. जिसकी नींव होती है केवल विश्वास, जहां दोनों के बीच विश्वास कायम है तो दोनों को रिश्ता उतना ही मजबूत बनेंगा, लेकिन ये रिश्ता बेहद नाजुक भी होता है, इस रिश्ते पत्नियां अपने पति से कई तरह की अपेक्षाएं रखती है जो कि समय रहते पति को जरुर पूरी करनी होती है. अगर ऐसा नहीं होता है तो कहीं न कहीं आपका रिश्ता बिगड़ने लगता है वो विश्वास और मजबूती खत्म होने लगती है. तो इसलिए जरुरी है कि आप अपनी पत्नी की उन बातों को पूरा करें. जिससे वे आपके ओर करीब आने लगें और आपसे ज्यादा जुड़ सकें.

पतियों को ये समझना जरूरी है कि महिलाएं उनसे क्या चाहती है. उनकी जरूरतों को समझना और उन्हें पूरा करना बहुत जरूरी होता है. कुछ बातें ऐसी होती हैं जिन्हें हर पति को एक खुशहाल और सफल विवाहित जीवन जीने के लिए ध्यान में रखना चाहिए. इसलिए आज हम आपको ऐसे 5 जरूरी बिंदुओं के बारे में बताएंगे, जिन्हें पूरा कर कोई भी पति अपनी पत्नी को खुस रख सकता है और अपने रिश्ते में एक मजबूत डोर कायम कर सकता है.

बेहद जरुरी है प्यार और सपोर्ट

पति पत्नी के रिश्तें में सबसे पहले और सबसे ज्यादा जरुरी है कि उनमें प्यार और एक दूसरे को लेकर सपोर्ट हो. महिलाओं के केस में ये सबसे ज्यादा मायने रखता है कि उनका पति उन्हे भरपूर प्यार करें और सपोर्ट करें. उनके हर कदम पर उनका जीवनसाथी साथ निभाएं. प्यार का इजहार करना भी उन्हें खुशी देता है और वो रिश्ते के गहरे बॉन्ड को बेहतर तरीके से महसूस कर पाती हैं. ये चीज शादीशुदा जीवन में नयापन बरकरार रखने में भी मदद करता है.

पति करे पत्नी की केयर

पति पत्नी के रिश्ते में ये जरुरी है कि पति अपनी पत्नी की केयर करें, क्योकि प्यार जताने का ये एक तरीका है जिससे आप दिखा सकते है कि आप उनसे कितना प्यार करते है. अगर पत्नी घर का काम करती है तो पति को उसमें हाथ बटाना चाहिए, मूड खराब हो तो उनके चेहरे पर मुस्कान लाने के सभी तरीकें पता हों. उनकी पसंद का खाना बनाकर खिलाएं या या ऑर्डर करके खिलाएं. ये छोटी छोटी बातें आपके रिश्ते को मजबूत बना सकती हैं.

पत्नी को दें पूरा सम्मान

हर लड़की या पत्नी की सबसे पहली इच्छा अपने पार्टनर से यही होती है कि वे उसका पार्टनर उसे पूरा सम्मान दें. प्यार से पहले वो उसे सम्मान दें. क्योकि किसी भी रिश्ते की नींव सम्मान पर टिकी होती है. पति अगर उन्हे बराबरी का दर्जा देता है, तो पत्नियां महसूस कर पाती हैं कि उनका बेटर हाफ उनका कितना सम्मान करता है.

रिश्ते में हो सच्चाई

ये जरुरी है कि पति पत्नी आपस में हर मुद्दे पर खुलकर बात करें. पत्नी चाहती है कि उनके पति उनसे हर बात शेयर करें, और उनकी बातों को भी बिना जज किए ध्यान से सुनें. रिश्ते में सच्चाई और एक-दूसरे पर विश्वास होना बेहद जरूरी है.

पति जो समझे दिल की बात

पति-पत्नी के रिश्ते में आपसी समझ सबसे ज्यादा जरूरी होती है. ज्यादातर महिलाओं को अपने पति से इस बात की शिकायत रहती है कि वो उन्हें समझते नहीं हैं या समझना नहीं चाहते हैं. ऐसे में पति को अपनी पत्नी को उनकी पसंद और रुचियों को जानने की कोशिश करना चाहिए.

सेक्स के समय ध्यान रखें कहीं गर्भ न ठहर जाए

आजकल के युवा जितनी जल्दी फ्रैंडशिप करते हैं उतनी ही जल्दी रिलेशन भी बना लेते हैं, जिस का नुकसान उन्हें ताउम्र भुगतना पड़ सकता है. कई बार तो सावधानी बरतने के बावजूद गर्भ ठहर जाता है और उन्हें समझ नहीं आता कि क्या करें, किस से सलाह लें. ऐसे में घर में पता चलने के डर से व समाज में बदनामी से बचने के लिए वे कैमिस्ट से ऐबौर्शन पिल्स ले आते हैं जिस के उन के शरीर पर घातक परिणाम भी देखने को मिलते हैं. कई बार तो जान जाने का खतरा बन जाता है. ऐसे में जरूरत है यह समझने की कि यहां तक नौबत ही न आए और अगर आ भी गई है तो डरें नहीं बल्कि प्रौब्लम को फेस करें और किसी अनुभवी डाक्टर से संपर्क कर के ही ऐबौर्शन करवाएं.

इस संबंध में फोर्टिस हौस्पिटल की सीनियर गाइनोकोलौजिस्ट डा. बंदिता सिन्हा से बात हुई तो उन्होंने बताया कि भारत में अविवाहित युवतियों के ऐबौर्शन के केसेज पहले की तुलना में काफी बढ़े हैं, क्योंकि आज वे जल्दीजल्दी पार्टनर चेंज करने में विश्वास करने लगे हैं. ऐसे में वे खुद की फीलिंग्स पर कंट्रोल नहीं कर पाने के कारण जोश में आ कर होश खो बैठते हैं जिस से उन के सामने जटिल परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है और वे इस से नजात पाने के लिए जहां कहीं से भी ऐबौर्शन पिल्स अरेंज करते हैं, चाहे इस के लिए कितने ही पैसे खर्च हों, वे देने के लिए तैयार रहते हैं.

इतना ही नहीं कईर् डाक्टर्स भी इस स्थिति का फायदा उठा कर मरीज से ढेरों रुपए ऐंठने में नहीं सकुचाते. इन्हीं सब बातों को देखते हुए पिछले 3-4 साल से सरकार ने ऐबौर्शन पर बैन लगाया है कि अगर कोई भी डाक्टर ऐबौर्शन करते हुए या फिर एमटीपी पिल्स देते पकड़ा गया तो उस का लाइसैंस रद्द कर दिया जाएगा. आप सिर्फ एमटीपी मान्यता प्राप्त नर्सिंग होम और अस्पताल में ही गर्भपात करवा सकते हैं.

रोक का खास कारण यह भी

पुरुष प्रधान देश में यही माना जाता है कि अगर वंश को आगे बढ़ाना है तो उस के लिए परिवार में पुत्र का जन्म होना बहुत जरूरी है. ऐसे में जब परिवार वालों को सोनोग्राफी के माध्यम से यह पता चलता है कि गर्भ में बेटी है तो वे डाक्टर को मुंहमांगी रकम दे कर ऐबौर्शन करवाने के लिए तैयार हो जाते हैं. इसी का नतीजा है कि हरियाणा के 70 गांवों में पिछले कुछ सालों से लड़कियों ने जन्म नहीं लिया. आंकड़े इसी ओर इशारा करते हैं कि वहां पता लगते ही कि गर्भ में लड़की है, ऐबौर्शन करवा दिया जाता है.

लेकिन फिर भी कुछ स्थितियों में युवतियों व महिलाओं को बिना परेशानी के ऐबौर्शन कराने का अधिकार है, जो हैं :

–      अगर युवती या महिला जबरदस्ती किसी के यौन शोषण का शिकार हुई है और वह इस बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती तो उसे ऐबौर्शन करवाने का पूरा अधिकार है.

–   यदि इस से महिला या युवती के मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता हो.

–      अगर यह पता लगे कि गर्भ में  पल रहे बच्चे का विकास सही ढंग से नहीं हो रहा और उसे 9 माह तक गर्भ में रखना सही नहीं है, तो ऐसी स्थिति में भी ऐबौर्शन करवाया जा सकता है. इसे डाक्टरी भाषा में मैडिकल टर्मिनेशन औफ प्रैग्नैंसी कहते हैं.

क्या है मैडिकल टर्मिनेशन औफ प्रैग्नैंसी

एमटीपी प्रक्रिया, जिस में डाक्टर की देखरेख में ऐबौर्शन को अंजाम दिया जाता है, को हर डाक्टर अंजाम नहीं दे सकता. सिर्फ अनुभवी गाइनोकोलौजिस्ट या सिर्फ वे डाक्टर्स जिन्होंने एमटीपी की ट्रेनिंग ली होती है, इसे अंजाम दे सकते हैं, क्योंकि वे जरूरत पड़ने पर अपने अनुभव के बल पर स्थिति को संभाल सकते हैं.

डाक्टरी देखरेख में ऐबौर्शन 2 तरीके से होते हैं :

ऐबौर्शन पिल्स

इस तरीके से ऐबौर्ट करने के लिए सब से पहले यह देखा जाता है कि कितने माह का गर्भ है. अगर गर्भ 6 से 8 सप्ताह के बीच है तो उसे पिल्स द्वारा रिमूव किया जा सकता है और इस का पता लगाने के लिए डाक्टर अल्ट्रासाउंड करता है. एमटीपी पिल डाक्टर की सलाह पर ही दी जाती है. यह पिल असल में गर्भाशय से पदार्थ को बाहर निकालने का काम करती है.

डाक्टर बताते हैं कि दवाएं कितने समय के अंतराल में लेनी हैं, क्योंकि जरा सी लापरवाही पूरे कोर्स को खराब कर सकती है. सिर्फ  दवाएं लेने से ही काम पूरा नहीं होता बल्कि डाक्टर 15 दिन के बाद अल्ट्रासाउंड के लिए बुलाता है जिस से करंट सिचुएशन के बारे में पता चल जाता है. अगर कोई पीस वगैरा रह गया होता है तो इस प्रोसैस को पुन: दोहराया जाता है या फिर सर्जरी से बाहर निकाला जाता है.

सर्जरी से

इस में बेहोश कर के ऐबौर्शन किया जाता है. इसे तब किया जाता है जब 8 सप्ताह से ज्यादा का गर्भ हो चुका होता है, क्योंकि इस के बाद पिल्स असर नहीं करतीं. इसे डाइलेशन ऐंड क्रूटेज प्रोसैस कहते हैं. इस में आप डाक्टर्स की देखरेख में रहते हैं और आप को प्रौपर केयर मिलती है. यह काफी सेफ प्रोसैस माना जाता है.

डाक्टर से करवाना क्यों फायदेमंद

गर्भपात के लिए कैमिस्ट वगैरा से दवा लेना हानिकारक होता है क्योंकि उन्हें आप की इंटरनल स्टेज के बारे में तो पता नहीं होता, इसलिए कौंप्लिकेशंस पैदा होने का भय रहता है. इस से आप की जान भी जोखिम में पड़ सकती है. कभीकभी ओवर ब्लीडिंग होने से सिचुएशन आउट औफ कंट्रोल भी हो सकती है. इसलिए जरूरी है डाक्टर की सलाह के बिना कोई दवा न लें.

अगर आप को अस्थमा, एनीमिया वगैरा की शिकायत है तो डाक्टर चैकअप के बाद ही बताते हैं कि गोली देना सही रहेगा या नहीं. यहां तक कि सर्जरी के वक्त कंसर्ल्ट फौर्म भी भरवाया जाता है, जिस में पूरी जानकारी दी जाती है. यह भी बताया जाता है कि आप को औपरेशन के कितने दिन बाद दिखाने के लिए आना है. इस से आप काफी सेफ रहते हैं.

ऐबौर्शन के बाद क्या क्या सावधानियां बरतें

  –  इस दौरान भारी चीजें उठाने व झुकने वगैरा से थोड़े समय तक परहेज करना चाहिए.

– किसी भी नशीले पदार्थ का सेवन भूल कर भी न करें.

– डाइटिंग न करें, क्योंकि इस दौरान लंबे समय तक भूखे रहना सेहत पर बुरा प्रभाव डाल सकता है.

–  एकदम से सैक्स न करें, खुद को थोड़ा समय दें, क्योंकि कई बार ऐसा करने से दोबारा प्रैग्नैंसी का खतरा बन जाता है.

–  इस समय आप जितना अच्छा खाएंगी व अच्छा सोचेंगी उतनी ही जल्दी फिट हो पाएंगी.

कुछ ऐसी होती है उन पलों में आपकी सैक्स फैंटेसी

शारीरिक संबंधों में अनावश्यक सहना या अपनेआप समय गुजरने के साथ उन में तबदीली हो जाने की गुंजाइश मान कर चलना भ्रम है. यह इन संबंधों के सहज आनंद को कम करता है. कुछ महिलाओं ने बताया कि उन्हें पति की आक्रामकता पसंद नहीं आती थी. लेकिन लज्जा या संकोचवश कुछ कहना अच्छा नहीं लगता था. कुछ महिलाओं का कहना है कि पति को खुद भी समझना चाहिए कि पत्नी को क्या पसंद आ रहा है, क्या नहीं. मगर इस पसंदनापसंद के निश्चित मानदंड तो हैं नहीं, जिन से कोई अपनेआप ही समझा जाए और आनंद के क्षण जल्दी और ज्यादा मिल जाएं.

एक महिला ने बताया कि उस का पति सुहागरात वाले दिन से ही अश्लील वीडियो देख कर उस के साथ अप्राकृतिक संबंध बनाता था. यह सिलसिला शादी के कई साल बाद तक चलता रहा. अगर वह इस का विरोध करती तो पति उसे धमकियां देता. शर्म के कारण वह अपने मातापिता को इस बारे में बता नहीं पाती थी. इस दौरान उसे शारीरिक तौर पर परेशानी भी शुरू होने लगी. उस के मुताबिक, अप्राकृतिक संबंध से होने वाली परेशानी के बारे में पति को बताने पर भी वह नहीं माना. वह लगातार ऐसा करता रहा. शिकायत करने पर वह मारता भी. उस महिला के मुताबिक बाकी समय तो उस का पति सामान्य रहता था, लेकिन सहवास के समय वह हैवान बन जाता और लगभग रोज ऐसा करता. मजबूर हो कर उसे पुलिस स्टेशन में शिकायत करनी पड़ी.

भावना कहती है, ‘‘मैं कुछ समय पति की आक्रामकता बरदाश्त करती रही. हनीमून के बाद कहने की सोची पर हिम्मत नहीं जुटा पाई. मगर जब यह आक्रामकता थोड़ी और बढ़ने लगी तो कुछ महीनों बाद मुझे बात करनी ही पड़ी. उन्हें मेरा बात करना अच्छा नहीं लगा. हमारे संबंध कुछ समय के लिए प्रभावित हुए. पति बारबार ताना मारते. यह सच है कि यदि मैं ने समय पर उन से अपनी बात कह दी होती तो ऐसी नौबत नहीं आती.’’

रमा कहती है, ‘‘मैं ने तो पहली रात में ही पति से कह दिया कि यह अननैचुरल वाली आदत मुझे पसंद नहीं. इस पर पति का कहना था कि धीरेधीरे पड़ जाएगी. मगर मैं ने स्पष्ट कह दिया कि हम इंसान हैं, जानवर नहीं. फिर क्या था. 4-5 दिनों में सब ठीक हो गया. मैं जानती हूं इस प्रकार की आक्रामकता को बरदाश्त करना कितना कठिन होता है. इस से सैक्स बोझिल हो जाता है. खुल कर बोलने से न केवल अप्रिय स्थितियां सुधरती हैं, बल्कि अच्छी स्थितियों के लिए भी माहौल तैयार होता है.’’

सैक्स को ले कर जितने आतुर मर्द रहते हैं उतनी महिलाएं भी होती हैं. हां यह बात अलग है कि वे इस का जिक्र कभी किसी से नहीं करती हैं. बात अगर स्पैशल रात की हो तो मर्दों से ज्यादा महिलाओं में ऐक्साइटमैंट होता है. यह कहानी सिर्फ हीरो का इंतजार करती हीरोइन की नहीं, बल्कि हर उस लड़की की है जो बेसब्री से इंतजार करती है.

कोई रिश्ता परफैक्ट नहीं

सचाई यह है कि कोईर् भी रिश्ता परफैक्ट नहीं होता. यदि आप यह सोचती हैं कि रिश्ते में सब कुछ आप की मरजी के अनुसार या किसी फिल्मी कहानी की तरह होना चाहिए, तो चोट लगनी लाजिम है. हर रिश्ता अलग होता है. यही नहीं हर रिश्ते को आप के प्यार, समर्पण, श्रम और साथ के खादपानी की जरूरत होती है. कई बार रिश्ता टूटने की वजह बेमानी ही होती है.

वह हमेशा सही बातें करेगा

ऐसा नहीं होगा और न ही आप उस से ऐसी उम्मीद रखें. वह परफैक्ट नहीं है और न ही वह किसी रोमानी फिल्म का हीरो है, जो हमेशा सही और अच्छी बातें ही करेगा. वह भी इंसान है और आम इंसानों की तरह वह भी गलतियां करेगा. वह ऐसी बातें कर सकता है, जो उसे नहीं करनी चाहिए.

और्गैज्म

पति हो या पत्नी, दोनों में से किसी भी एक का तरीका यदि आक्रामक व नैगेटिव हो तो उस के भावों पर ध्यान देना चाहिए. बहुत सी पत्नियां अपने पति से कहतीं कि तुम स्वार्थी हो, तुम्हें सिर्फ अपने आनंद की पड़ी होती है, तुम्हें मेरी परवाह नहीं. इस का सीधा मतलब है अभी उस का और्गैज्म पर पहुंचना बाकी है या आप उस के और्गैज्म पर पहुंचने की परवाह नहीं करते. जल्दीजल्दी और बारबार कही गई बात चिढ़ाने और सम्मान को ठेस पहुंचाने वाली हो सकती है.

इसलिए जब भी जितना कुछ कहा जाए वह किया भी जाए. तभी वह सार्थक और असरदार बदलाव लाने वाला होता है. निजी संबंधों को कहनेसुनने की कुशलता सिर्फ बैडरूम तक ही सीमित नहीं रहती. वह जीवन में घरबाहर भी सार्थक बातचीत का सिस्टम पैदा करती है और उसे बढ़ावा देती है.

सैक्स कोरी क्रिया नहीं, एक खूबसूरत कला है. इसे सदियों से काम कला का स्थान प्राप्त है. इस में हर बार कुछ नया, कुछ अनोखा किए जाने का स्कोप रहता है. पतिपत्नी के रिश्ते में प्यार और सैक्स दांपत्य की इमारत को खड़ा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मजबूत पिलर हैं.

जानें कैसे करें सेक्स को एंजॉय

सैक्सोलौजिस्ट डा. चंद्रकिशोर कुंदरा के मुताबिक, ‘प्रेमीप्रेमिका के बीच सैक्स संबंध स्थापित करने के लिए भौतिक, रासायनिक व मनोवैज्ञानिक कारक ही जिम्मेदार होते हैं. सैक्स ही एक ऐसी सरल क्रिया है जो प्रेमीप्रेमिका को एकसाथ एक ही समय में पूर्ण तृप्ति देती है.’ सैक्स की संपूर्णता प्रेमिका के बजाय प्रेमी पर निर्भर करती है, क्योंकि प्रेमी ही इस की पहल करता है. प्रेमिका सैक्स में केवल सहयोग ही नहीं करती बल्कि पूर्ण आनंद भी चाहती है. अकसर प्रेमीप्रेमिका सैक्स को सुखदायक मानते हैं, लेकिन कई बार सहवास ऐंजौय के साथसाथ कई समस्याओं को भी सामने लाता है. अनुभव के आधार पर इन को दूर कर प्रेमीप्रेमिका सैक्स का सुख उठाते हैं.

शरारती बनें

सैक्स को मानसिक व शारीरिक रूप से ऐंजौय करने के लिए प्रेमीप्रेमिका को शरारती बनना चाहिए. उत्साह, जोश, तनावमुक्त, हंसमुख, जिंदादिल, शरारती प्रेमीप्रेमिका ही सैक्स को संपूर्ण रूप से भोगते हैं.

आत्मविश्वास की कमी न हो

कई बार आत्मविश्वास की कमी हो जाती है. प्रेमी सैक्स के समय उतावलेपन के शिकार हो कर सैक्स के सुखदायक एहसास से वंचित रह जाते हैं.

सैक्स संबंध बनाते समय प्रेमीप्रेमिका के मन में यदि पौजिटिव सोच होगी, तभी दोनों पूर्ण रूप से संतुष्ट हो पाएंगे और सैक्स में कभी कमजोर नहीं पड़ेंगे.

पोर्न फिल्मों से प्रेरित न हों

प्रेमीप्रेमिका अकसर पोर्न फिल्में देख कर, किताबें पढ़ कर सैक्स में हर पल लिप्त रहने की कोशिश करते हैं. अत्यधिक मानसिक कामोत्तेजना की स्थिति में शीघ्रपतन व तनाव में कमी हो जाती है.

सैक्स में जल्दबाजी

कई बार सैक्स में प्रेमीप्रेमिका जल्दबाजी कर जाते हैं. शराब पी कर सैक्स करना चाहते हैं जोकि ठीक नहीं है. हमेशा मादक पदार्थों से दूर रहें. सैक्स के दौरान प्रेमिका ही मादकता का काम करती है.

बढ़ाएं शारीरिक आकर्षण

सहवास के लिए प्रेमी का शारीरिक आकर्षण, स्मार्टनैस, सैक्सी लुक, साफसफाई काफी महत्त्वपूर्ण है. पुरुषोचित्त गुण के साथसाथ गठीले बदन वाले चतुर सुरुचिपूर्ण वस्त्र, रसिक स्वभाव के प्रेमी ही सैक्स में सफल होते हैं.

रोमांटिक स्वभाव रखें

प्रेमिका सहवास के दौरान चाहती है कि उस का प्रेमी रोमांस व ताजगी द्वारा उसे कामोत्तेजित करे. अत: रोमांस की बातें कर सैक्स को सुखदायक बनाएं.

जब सैक्स का मौका मिले

प्रेमीप्रेमिका अकसर सैक्स के लिए मौके की तलाश में रहते हैं. जैसे ही उन्हें मौका मिलता है, वे एकदूसरे में समाने के लिए बेताब हो जाते हैं, लेकिन इस दौरान कई बार ऐसे अचानक किसी का दरवाजा खटखटाना व फोन की घंटी बज जाती है. ऐसी बाधाओं को दूर कर सहवास को मानसिक व शारीरिक रूप से सुखदायक बनाएं.

सबसे बेहतर है सप्ताह में एक बार सेक्स

आम धारणा है कि ज्यादा सेक्स से संबंध ज्यादा बेहतर होते हैं, लेकिन इसके विपरीत एक शोध में यह बताया गया है कि सप्ताह में एक बार सेक्स करने वाले जोड़े सबसे ज्यादा खुश रहते हैं. प्रमुख शोधार्थी कनाडा के टोरंटो-मिसीसोगा विश्वविद्यालय की एमी मूज बताती हैं, “हालांकि ज्यादा से ज्यादा सेक्स को खुशी से जोड़ा गया है. लेकिन सप्ताह में एक बार सेक्स सबसे बेहतर है.”

मूज कहती हैं, “हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि अपने साथी के साथ अंतरंग संबंध बनाए रखना जरूरी है. इसके लिए रोज सेक्स करने की कोई जरूरत नहीं है.”

हालांकि पिछले कई शोधों और स्वयं-सहायता पुस्तकों में यह बताया जाता रहा है कि ज्यादा सेक्स से ज्यादा खुशी मिलती है.

लेकिन 30,000 अमेरिकी नागरिकों पर चार दशकों तक किए गए इस शोध में पहली बार यह पता चला है कि जिन जोड़ो ने सप्ताह में औसतन एक से ज्यादा बार सेक्स किया उनके आपसी रिश्तों से इसका कोई संबंध नहीं देखा गया.

यह शोध सोशल साइकोलॉजिकल और पर्सनैलिटी साइंस जर्नल में प्रकाशित किया गया है. मूज कहती है, “हमारे निष्कर्ष युवा या बुजुर्ग जोड़ों, नए-नए शादीशुदा या फिर जिनकी शादी दशकों पहले हुई हो, सब पर समान रूप से लागू होते हैं.”

मूज कहती हैं कि इस सर्वेक्षण का मकसद यह नहीं है कि जोड़े सप्ताह में एक बार सेक्स के औसत तक पहुंचने के लिए कम या ज्यादा सेक्स करने लगे. लेकिन अपने साथी के साथ इस संबंध में बात जरूर करें कि क्या वे उनकी यौन जरूरतों को पूरा कर पा रहे हैं.

वे कहती हैं, “अपने साथी के साथ अंतरंग संबंध बनाए रखना जरूरी है न कि ज्यादा से ज्यादा सेक्स करना.”

Valentine Day 2024: वैलेंटाइन डे पर ऐसे पूरी होगी सैक्स की चाहत, आजमाएं ये क्रेजी ट्रिक्स

14 फरवरी को वैलेंटाइन डे पर इश्क में डूबे जोड़ों की सब से बड़ी समस्या यह होती है कि वे अपनी सैक्स डिजायर को कैसे पूरा करें. इस के लिए उन्हें पार्टनर की रजामंदी से ले कर जगह, माहौल और कैसे उस मूमैंट को यादगार बनाना है, यह फिक्र ज्यादा सताती है. पर अगर मैच्योर नजरिए से सोचा जाए, तो यह सब करना बहुत आसान है.

14 फरवरी को वैलेंटाइन डे के दिन सैक्स का मजा लेने के लिए आप को पहले से ही खास तरह से प्लानिंग कर लेनी चाहिए, ताकि पार्टनर के साथ सैक्स करने के दौरान ज्यादा आप दोनों की क्रेजीनैस बरकरार रहे. इस के लिए आप ये टिप्स अपना सकते हैं :

रात करें रंगीन

आप दोनों पहले ही यह डिसाइड कर लें कि यह खूबसूरत रात आप को कहां बितानी है. अगर पूरी रात एक जगह बिताने का इंतजाम हो जाए, तो सोने पे सुहागा. फिर आप दोनों को किसी तरह की हड़बड़ी नहीं होगी और आप दोगुने जोश के साथ सैक्स कर सकेंगे और अपनी सैक्स पोजीशन को भी ऐंजौय कर पाएंगे.

फोरप्ले का लें मजा

सैक्स में कभी भी उतावलापन नहीं दिखाना चाहिए. वैलेंटाइन डे की पूरी रात आप के पास है, इसलिए सैक्स का मजा लेना हो, तो फोरप्ले पर जरूर फोकस करें. आप हैं, आप का पार्टनर है और आप का बिस्तर है, तो सब से पहले आप दोनों सहज हो जाएं. एकदूसरे में जोश जगाने के लिए कोई पोर्न फिल्म देख लें, इस से आप का मूड बन जाएगा. फिर एकदूसरे को किस करें, हग करें और उस के बाद वही सैक्स पोजीशन ट्राई करें हैं, जिस में आप दोनों को प्लेजर मिले.

कमरे के अलावा और भी औप्शन

अगर आप कमरे के भीतर सैक्स करने से बोर हो चुके हैं, तो आउटडोर सैक्स का मजा लेने से न चूकें. फिर वह घर की छत, बालकनी या फिर आंगन ही क्यों न हो, क्या फर्क पड़ता है. इस से माहौल तो बदलता ही है, साथ ही मजा भी दोगुना हो जाता है.

ये चीजें भी रखें साथ

वैलेंटाइन डे को खास बनाने के लिए अपने साथ कुछ ऐसा फूड भी जरूर रखें कि आप की सैक्स करने की इच्छा और ज्यादा बढ़ जाए. इस के लिए हनी, चौकलेट, केक, पेस्ट्री, स्ट्राबेरी आदि आप के पास जरूर हो. और हां, कंडोम ले जाना मत भूलें. वे भी ढेर सारे और अपने वैलेंटाइन डे पर सैक्स का दिल खोल कर लुत्फ उठाएं.

Valentine Special 2024: क्या आप भी शादी से बोर हो गए हैं?

Sex News in Hindi: ‘‘मेरा पति मुझे प्यार करता है, मेरी पूरी इज्जत करता है, मेरा पूरा ध्यान रखता है, इस बात का विश्वास दिलाता है कि वह मुझे धोखा नहीं देगा, विश्वासघात नहीं करेगा, लेकिन अपने मन की बहुत सी बातें मुझ से शेयर करता हुआ वह यह भी कहता है कि वह अन्य औरतों की ओर आकर्षित होता है. ‘‘यह बात मुझे हैरान भी करती है और परेशान भी. हैरान इसलिए कि वह मुझे अपने मन की सचाई बता रहा है, लेकिन वह शादीशुदा होते हुए अन्य महिलाओं की ओर आकर्षित कैसे हो सकता है, यह बात मुझे परेशान करती है.’’

वैवाहिक संबंधों की एक सलाहकार के सामने बैठी महिला उन्हें यह बता कर अपनी समस्या का समाधान ढूंढ़ने का प्रयास कर रही है. मैरिज काउंसलर का इस बारे में कहना है, ‘‘मुझे पता है कि किसी भी पत्नी के लिए अपने पति का अन्य महिलाओं की ओर आकर्षित होना परेशानी व ईर्ष्या का विषय है. पत्नी के लिए यह मानसिक आघात व पीड़ादायक स्थिति होती है.

‘‘लेकिन पति आप से अपने इस आकर्षण के बारे में बात करता है, तो वह सच्चा है, आप के प्रति ईमानदार है. इस के विपरीत वे पुरुष, जो अन्य महिलाओं की तरफ आकर्षित होते हैं, उन से रिश्ता रखते हैं, लेकिन पत्नी से छिपाते हैं, झूठ बोलते हैं, वे ईमानदार पतियों की श्रेणी में नहीं आते. ऐसी बात तो पत्नियों के लिए चिंता का विषय है.’’

कुछ भी गलत नहीं

आप चाहे किसी जानीमानी हीरोइन जैसी दिखती हों पर अगर कोई दूसरी आकर्षक शख्सियत कमरे में आएगी तो आप के पति का उस की ओर आकर्षित होना स्वाभाविक है. यह स्थिति परेशान करती है पर बदलेगी नहीं, क्योंकि यह प्राकृतिक है. इस में कुछ भी गलत नहीं है. क्या पत्नियां आकर्षक सजीले पुरुषों की ओर आकर्षित नहीं होतीं, उन्हें नहीं निहारतीं, उन की तारीफ नहीं करतीं? अगर आप के सामने कोई जानामाना शख्स होगा तो आप भी अपने पति को छोड़ कर उसे निहारेंगी, उस की ओर आकर्षित होंगी.

सहजता से लें

किसी भी सुंदर, अच्छी चीज की ओर आकर्षण मानव का स्वभाव है. यह हमारे जींस में है. यह एक हैल्दी धारणा है. आप शादी के बंधन में बंध गए तो आप किसी अन्य महिला या पुरुष की ओर नहीं देखेंगे, यह किसी ग्रंथ या किताब में लिखा भी है तो भी प्रकृति का दिया नहीं है. इसलिए जब कभी कोई एक किसी अन्य को देख कर उस की तरफ निहारे तो कोपभाजन में न जा कर उसे सहजता से लें. देखने भर से अगर किसी को सुकून मिलता है तो इस में आप का कुछ बिगड़ नहीं जाता. आप एक नई कार खरीदते हैं पर आप सड़क पर चल रही अन्य बड़ी, आकर्षक कारों की ओर आकर्षित भी होते हैं, तारीफ भी करते हैं, बल्कि उसे अपना बनाने की चाहत भी रखते हैं. यह तो कार की बात है, लेकिन रिश्ते में आकर्षण यानी विपरीत सैक्स की ओर आकर्षण स्वाभाविक है.

नीरसता को तोड़ता है

मैनेजमैंट के 2 छात्र आकांक्षा व प्रतीक अपना कोर्स खत्म हो जाने के बाद अपनीअपनी जिंदगी में व्यस्त हो गए. सालों बाद जब फेसबुक पर वे मिले तो दोनों ने एकदूसरे के बारे में जाना. दोनों की शादी हो गई थी, लेकिन दोनों एकदूसरे की ओर आकर्षित हुए. हां, दोनों ने अपनी अपनी सीमाओं का अतिक्रमण नहीं किया. थोड़ा सा रोमानी हो जाना रुटीन की नीरसता को तोड़ता है. आकांक्षा को सास की टोकाटाकी, घर की जिम्मेदारियों व पति के असहयोगी रवैए की अपेक्षा प्रतीक काफी सुलझा हुआ, नारी की स्वतंत्रता में विश्वास रखने वाला लगा. वहीं प्रतीक को बेतरतीबी से रहने वाली अपनी पत्नी की अपेक्षा आकांक्षा कहीं अधिक सजग व आकर्षक लगी. दोनों के बीच मैसेज और औनलाइन चैटिंग होने लगी. दोनों अपने कालेज, दोस्तों, परिवार, समस्याओं और भावनाओं को एकदूसरे के साथ बांटने लगे. दोनों को एकदूसरे का साथ अच्छा लगने लगा. धीरेधीरे दोनों को एकदूसरे की आदत सी हो गई.

जीवन का हिस्सा

प्रतीक की पत्नी सीमा और आकांक्षा के पति गौरव को यह आकर्षण, यह मेलजोल बिलकुल नहीं सुहाता था, लेकिन गौरव और सीमा को अगर कोई पुराना दोस्त मिलेगा और उस में उन्हें आकर्षण नजर आएगा, तो क्या वे आकर्षित हुए बिना रह पाएंगे? हर इंसान एक रुटीन वाली दिनचर्या से नजात चाहता है, जिंदगी में नयापन चाहता है. ऐसे में क्या शादी हो जाने का मतलब अपनी सोचसमझ खो कर सिर्फ एकदूसरे की जिंदगी में बेवजह शक करना और रोज की किचकिच को वैवाहिक जीवन का हिस्सा बनाना है?

परिवर्तन के लिए

आज जब कामकाज के मामले में स्त्रीपुरुष में भेद करना रूढिवादिता है, ऐसे में जब स्त्रीपुरुष दोनों घर से बाहर निकलते हैं, तो उन में यौनाकर्षण होना स्वाभाविक है. चाहे प्राइवेट औफिस हो या विश्वविद्यालय, पुरुष अपनी भावनाओं, अनुभवों को साथ बांटने वाली स्त्री के साथ समीपता महसूस करता है, जो पत्नी के साथ संभव नहीं होता. औरत अकेलेपन से घबराती है, इसलिए वह किसी के साथ ऐसा रिश्तानाता जोड़ती है. घर से बाहर का पुरुष, जिस का स्वभाव उस से मिलता जुलता है, जो उसे घरेलू समस्याओं से दूर रखता है, उस की दिलचस्पी वाले विषयों पर उस से बातें करता है, उस के साथ बैठ कर कामकाजी महिला को थोड़े समय के लिए मानसिक और शारीरिक तनाव से मुक्ति मिलती है, उसे घर की कैद से राहत की सांस मिलती है, जो उसे मानसिक सुकून देती है. घर में साफसफाई, बच्चों की जिम्मेदारी, घर के खर्च, बजट, मैनेजमैंट आदि के मुद्दे पतिपत्नी के अहंकारों के टकराने का कारण बनते हैं, जिस से जीवन प्रेमविहीन होने लगता है. ऐसे में पुरुष व महिलाओं के एकदूसरे की ओर आकर्षण को अपराध मानना गलत है और एकदूसरे को शक के कठघरे में खड़ा करना शादीशुदा जीवन का अंत बन जाता है.

आकर्षण स्वस्थ धारणा है

आप ने बहुत सैक्सी ड्रैस पहनी है. आप के पति आप से पूछेंगे कहां जा रही हो? आप न कहेंगी तो वे हैरान होंगे कि आप ऐसे तैयार क्यों हुई हैं और आप की ओर आकर्षित होंगे ताकि कोई और आप की ओर आकर्षित न हो. आकर्षण एक स्वस्थ धारणा है, इसे शक के दायरे में ला कर इस की खूबसूरती को बदसूरत बनाना समझदारी नहीं है. आप एक नई ड्रैस खरीदती हैं, लेकिन अगर किसी और ने अधिक अच्छी ड्रैस पहनी है तो क्या आप उस ड्रैस की ओर नहीं देखेंगी या उस की ओर आकर्षित नहीं होंगी. यह मानवीय स्वभाव है कि जब आप किसी बंधन में बंध जाते हैं तो आप आजाद हो कर नियम तोड़ना चाहते हैं. ऐसे में विपरीत सैक्स की ओर आकर्षण प्राकृतिक है, यह बेईमानी या विश्वासघात नहीं है. वास्तविकता यह है कि आप का पति बेहद आकर्षक है लेकिन उन के आगे आप को कोई मशहूर शख्स अधिक आकर्षक लगेगा. ऐसा ही पुरुषों के साथ भी होता है.

मजे के लिए

जब पतिपत्नी में से कोई विपरीत सैक्स की ओर आकर्षित होता है, फ्लर्ट करता है तो इस का अर्थ यह नहीं है कि उन में से कोई पति या पत्नी को छोड़ देगा. उन से रिश्ता तोड़ देगा. साथी आकर्षित हो कर फ्लर्ट सिर्फ जिंदगी में नएपन या मजे के लिए करता है और आप को इस की जानकारी है तो इसे स्वस्थ और सकारात्मक नजरिए से देखिए. अगर पतिपत्नी एकदूसरे के प्रति जिम्मेदार हैं, दोनों को एकदूसरे पर विश्वास है, तो परपुरुष या परस्त्री की ओर आकर्षित होना अपराध नहीं है.

4 टिप्स से जानें औरत की सैक्स चाह गंदी बात क्यों

Sex News in Hindi: समाज में स्त्रीपुरुष (Male Female) के हर क्षेत्र में समान होने का गुणगान हो रहा है, पर वैवाहिक जीवन (Married Life) में बिस्तर पर स्त्रियों की समानता शून्य है. महिलाएं जब अपनी पसंद के भोजन का मेन्यू तय नहीं कर सकतीं तो बिस्तर पर सैक्स संबंध (Sex Relation) में अपनी पसंद की बात तो बहुत दूर की है. हमारे यहां दांपत्य जीवन में सैक्स संबंध में मेन्यू क्या होगा, इस का निर्णय केवल पुरुष ही लेता है. हमारे समाज में पब्लिक प्लेस पर सैक्स, हस्तमैथुन, सैक्स में पसंद और कामोन्माद अर्थात और्गेज्म (Orgasum) आदि पर बात करना वर्जित है. सभ्य समाज में ऐसी गंदी बातें करना अच्छा नहीं माना जाता है. हां, मांबहन की गालियां खुलेआम दे सकते हैं और वे भी जी भर कर, अंगरेजी पढ़लिखे भी खुलेआम इस पर चर्चा कर सकते हैं.

सहवास में समय का चुनाव केवल पुरुष ही करेगा और चाह भी वही जाहिर करेगा तथा चरमोत्कर्ष भी वही प्राप्त करेगा. सहचरी का कुछ हो या नहीं वह इस बारे में कुछ बोल भी नहीं सकती. उस के लिए तो यह एक वर्जना ही है. यह पुरुषवादी महिलाओं के पालनपोषण का नतीजा है कि लड़कियां अपनी मरजी अथवा पसंद को जाहिर नहीं कर पातीं और मानसिक तनाव के गर्त में चली जाती हैं. इस पर बात होते ही संस्कृति की दुहाई दे दी जाती है.

1. सभ्यता के ठेकेदार

फिल्म ‘वीरे दी वैडिंग’ में अभिनेत्री स्वरा भास्कर के हस्तमैथुन के एक दृश्य और फिल्म ‘लस्ट स्टोरीज’ में अभिनेत्री कायरा आडवाणी के वाइब्रेटर द्वारा मास्टरबेशन के एक दृश्य को ले कर खूब हंगामा हुआ. हंगामा करने वाले पितृसत्ता के ठेकेदार हैं. उन के अनुसार फिल्मकारों और अभिनेत्रियों ने फिल्म में ऐसे दृश्य फिल्मा कर धर्म और सभ्यता दोनों को नष्ट करने का प्रयास किया है.

यौन जीवन जिंदगी का एक महत्त्वपूर्ण और जरूरी हिस्सा है जो समाज का केंद्रबिंदु है और उस पर खुल कर बिना किसी हिचक के चर्चा हो. इस बारे में हमें अपनी बेबाकी के लिए एक मशहूर शख्सीयत अंगरेजी लेखक और पत्रकार दिवंगत सरदार खुशवंत सिंह से सीख लेनी चाहिए. उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान पूछे गए सवाल कि आप उम्र के पड़ाव में आ कर सब से ज्यादा क्या मिस करते हैं? के जवाब में एक वाक्य में उत्तर दिया ‘‘बढि़या सैक्स को बहुत मिस करता हूं.’’

एक अन्य इंटरव्यू में जब उन से पूछा गया कि सैक्स के बारे में महिलाओं की समझ तथा अनुभव क्या है? तो उन्होंने गंभीर होते हुए जवाब दिया, ‘‘हमारे यहां अधिकतर महिलाएं सिर्फ बच्चों को जन्म देने का यंत्र समझी जाती हैं. आधा दर्जन बच्चों की मां बन जाने पर भी उन्हें सैक्स का असली आनंद क्या होता है पता नहीं चलता.’’

2. नारी सिर्फ भोगने के लिए

स्त्रियों को शुरू से ही केवल पुरुष के लिए तैयार किया जाता है कि शादी के दिन सुहागरात में खुद को अपने पति के सामने परोस देना और जैसा वह कहे वैसा ही करना.

इस का सब से बेहतर उदाहरण हम प्रख्यात लेखक भीष्म साहनी के मशहूर नाटक ‘माधवी’ का ले सकते हैं. माधवी एक ऐसा क्रांतिकारी नाटक है, जो हमारे समाज में स्त्रियों की दशा और उन के स्थान को पूरी नग्नावस्था में प्रस्तुत करता है.

यह नाटक ‘महाभारत’ की एक कथा पर आधारित है, जिस में ऋषि विश्वामित्र का शिष्य गालव अपने गुरु से गुरुदक्षिणा मांगने की हठ करता है. ऋषि उस के जिद्दी स्वभाव से नाराज हो कर 800 अश्वमेधी घोड़े मांग लेते हैं. अब गालव अश्वमेधी घोड़े प्राप्त करने के लिए दानवीर राजा ययाति के आश्रम पहुंचता है. वहां राजपाट से निवृत्त हो चुके राजा गालव की प्रतिज्ञा सुन कर दुविधा में पड़ जाते हैं, लेकिन वे ठहरे दानवीर राजा सो वे अपनी पुत्री को गालव को दानस्वरूप सौंप देते हैं, यह कहते हुए कि उन की पुत्री को जहां कहीं किसी राजा के पास 800 अश्वमेधी घोड़े मिलें, तो उन के बदले माधवी को राजा के पास छोड़ दें.

माधवी के बारे में बताया गया कि उस के गर्भ से पैदा बालक चक्रवर्ती राजा बनेगा और माधवी गर्भधारण के बाद एक अनुष्ठान कर के फिर से कुंवारी बन जाएगी. इस पूरी प्रक्रिया में माधवी कई राजाओं के पास ले जाई जाती है. सभी राजाओं को पुत्ररत्न दे कर गालव के साथ आगे चल देती है. इस तरह गालव 800 अश्वमेघी घोड़े प्राप्त कर लेता है और ऋषि विश्वामित्र को गुरुदक्षिणा दे देता है.

इस पूरे घटनाक्रम में माधवी को किनकिन मानसिक और शारीरिक पीड़ाओं से गुजरना पड़ता है उस की सुध कोई नहीं लेता. माधवी जबजब मां बनती है तो उसे हर बार अपनी ममता का गला घोटना पड़ता है और अपनी सभी इच्छाओं को तिलांजलि देनी पड़ती है परंतु इस दौरान उसे गालव से प्रेम भी हो जाता है.

मगर आखिरी बार मां बनने के बाद माधवी फिर से कौमार्य प्राप्त करने से मना कर देती है और उसी अवस्था में गालव के साथ होना चाहती है, किंतु गालव बिना कौमार्य के माधवी को अपनाने से मना कर देता है. तब माधवी गालव को छोड़ कर चली जाती है.

नारी की तब भी यही स्थिति थी और आज भी ऐसी ही है. नारी को हमेशा पुरुष की भोग्या वस्तु मात्र समझा गया. उसे एक अलग व्यक्ति के रूप में पहचान मिली ही नहीं. उस के विचारों, इच्छाओं और पसंद का तिरस्कार ही किया गया.

3. इज्जत बचाने के दायरे में औरत

स्वरा भास्कर के शब्दों में, ‘‘रेप सर्वाइवर्स को भी जिंदा रहने का पूरा हक है, पति या उन के पुरुष साथी की मौत के बाद भी महिलाओं को जिंदा रहने का पूरा हक है. हां, महिलाओं के पास यह अंग होता है, लेकिन उन के पास और भी बहुत कुछ है.’’

हमारे समाज की विडंबना ही है कि वह आधुनिकता का आवरण ओढ़ कर पुरुषों को अपनी मरजी से जीने का समर्थन करता है, वहीं दूसरी ओर महिलाओं को सिर्फ इज्जत बचाने के लिए बने दायरों में सीमित कर रखा है. आधुनिकता की बड़ी बातें करने वाले लोग पवित्रता पर जितना जोर देते हैं, उतना महिलाओं के किसी अन्य मुद्दे पर नहीं देते हैं.

एक सच्चा किस्सा है- मांबाप ने अपनी एक बेहद पढ़ीलिखी और नौकरीपेशा लड़की की शादी अच्छे घर में तय कर दी. ससुराल पक्ष के लोग आधुनिकता का दंभ भरते नहीं थके तो मांबाप ने सोचा लड़की यहां सुखी रहेगी. शादी तय होने के कुछ दिनों के बाद ही होने वाले कथित पति ने लड़की से उस की वर्जिनिटी पर सवाल करने शुरू कर दिए. लड़की के लिए ये बेहद अपमानजनक पल होते थे, लेकिन वह सामाजिक भय से चुप रही. यह सिलसिला शादी से कुछ हफ्तों पहले तक चलता रहा. लड़के ने यहां तक बोला कि लड़की को उसे डाक्टर का सर्टिफिकेट देना होगा जिस में उस का वर्जिन होना बताया गया हो. तभी वह उस लड़की को स्वीकार करेगा. इस सब में उस लड़के की मां भी उस का साथ दे रही थी. आखिरकार लड़की ने अपने भावी भविष्य की कल्पना कर के शादी से मना कर दिया.

सभी मर्दों को अपनी बीवी छुईमुई और वर्जिन चाहिए होती है ताकि वह उन की अहं से भरी सैक्सुअल फंतासी (जिस में वर्जिन होना और पहली बार सैक्स में ब्लीडिंग होना अनिवार्य है) में खरी उतर सके. लेकिन दूसरी तरफ उन्हें अपनी ज्यादा सैक्सुअल डिजायर को पूरा करने के लिए एक सैक्स वर्कर भी चाहिए, जिस के साथ खुल कर वो सबकुछ कर सकें जो उन्हें अच्छा लगता है.

4. वर्जिनिटी पर किस का हक

हमें यह मानना होगा कि वर्जिन होना न होना औरतों का चरित्र तय नहीं करता है. यह उन की अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अधिकार है कि उन्हें कब और किस के साथ सैक्स करना है, नहीं करना है.

‘‘कुछ साल पहले जब मैं टीनऐजर थी तो हमउम्र लड़कों को देख कर मेरे अंदर एक अनजाना और अजीब सा एहसास होने लगता था. मेरे निचले हिस्से में गुदगुदी सी होनी लगती जो अच्छी लगती थी. आज कुछ सालों के बाद मैं इन सभी भावनाओं को पूरी तरह समझ चुकी हूं और स्वीकार भी कर चुकी हूं. काश, महिलाएं भी पुरुषों की ही तरह सैक्स से जुड़े अपने अनुभवों और भावनाओं पर खुल कर बात कर सकतीं तो कितना अच्छा हो,’’ यह विचार मैडिकल एडवाइस के लिए मशहूर वैबसाइट वैब एमडी पर प्रकाशित एक महिला के है.

वैब एमडी की एक रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं की तुलना में पुरुषों में न केवल सैक्स की इच्छा ज्यादा होती है, बल्कि सैक्स को ले कर उन का रवैया भी काफी सीधा होता है.

टीनऐजर्स में जहां हारमोंस उफान पर होते हैं, वहीं वयस्क महिलाओं और पुरुषों की सैक्स के लिए इच्छा के कम या ज्यादा होने को कई तरह की चीजें प्रभावित करती हैं. सामाजिक या आर्थिक पहलुओं में तालमेल बैठाने के साथसाथ प्रेम संबंधों की उम्मीदें और हालत आदि ऐसे कई पहलू हैं जो हमारी सैक्स लाइफ को प्रभावित करते हैं.

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