Hindi Kahani: श्रद्धा हत्याकांड को अभी कुछ ही दिन हुए थे कि लखनऊ के गोमती नगर में एक मल्टीनैशनल कंपनी की मैनेजर शीलू की हत्या से लोगों का गुस्सा उफान पर था. राजनीतिक पार्टियां इस मामले पर अपनअपनी रोटियां सेंकने में बिजी थीं.
खबरिया चैनलों के मुताबिक, अहमद (बदला हुआ नाम) गोमती नगर में अपनी लिवइन पार्टनर शीलू के मकान में पिछले 2 साल से रह रहा था. शीलू एक रियल ऐस्टेट कंपनी में मैनेजर थी, जबकि अहमद एक छोटी सी कंपनी में नौकरी करता था. शीलू किसी मजबूरी में अहमद को अपने साथ रखे हुए थी. अहमद रोज उसे तंग करता था.
अहमद ने शीलू को अपने प्रेमजाल में फंसाया और फिर उसे ब्लैकमेल करने लगा. आखिरकार अहमद ने अपने पालतू कुत्ते से कटवा कर शीलू का मर्डर कर दिया.
पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक, बुधवार रात 12 बजे पुलिस हैल्पलाइन पर अहमद का फोन आया कि उस के पालतू पिटबुल कुत्ते ने उस की दोस्त पर हमला कर दिया है.
पुलिस ने मौके पर पहुंच कर जब तक कुत्ते को मौत के घाट उतारा, वह शीलू के पेट की आंत फाड़ चुका था. पुलिस इसे कुत्ते का हमला मान कर चल रही थी, लेकिन कुत्ते की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसे कई दिन से भूखा होने, कुत्ते को खरीदने का महज 2 महीने पुराना बिल और कमरे में फैली इथोक्सीक्विन की गंध से पुलिस को अहमद पर शक हो गया.
पुलिस को दिए गए अपने बयान में अहमद ने बताया कि शीलू की हत्या के लिए ही उस ने पिटबुल कुत्ते को खरीदा था. 2 महीने में यह कुत्ता उस का अच्छा दोस्त बन गया था, जबकि शीलू को वह पहचानता तक नहीं था. शीलू को कुत्तों से नफरत थी और वह रोज उसे और उस के कुत्ते को घर से निकालने की धमकी दे रही थी.
घटना के 2 दिन पहले से उस ने अपने पालतू कुत्ते को भूखा रखना शुरू कर दिया. घटना की रात शीलू के सोते ही अहमद ने उस के ऊपर इथोक्सीक्विन का स्प्रे कर दिया. कुत्ते को कमरे में छोड़ दरवाजे को बाहर से बंद कर दिया.
इथोक्सीक्विन का इस्तेमाल कुत्तों के भोजन में प्रिजर्वर की तरह किया जाता है. पिटबुल कुत्ते ने गहरी नींद में सो रही शीलू को अपना भोजन समझ कर नोचना शुरू कर दिया. शीलू बहुत देर तक तड़पती, चिल्लाती और मदद मांगती रही.
शीलू के चीखने की आवाज कुछ कम होना शुरू हुई, तब अहमद ने पुलिस को फोन कर दिया. पुलिस के आने से पहले उस ने कमरे का दरवाजा खोल कर शीलू को बचाने की कोशिश का नाटक करना शुरू किया था.
अहमद के कबूलनामे के बाद उस की फांसी की सजा तय थी. अहमद ने जेल के अपने साथियों को जो कहानी सुनाई, वह बहुत ही मनगढ़ंत, बेतुकी, लेकिन रोमांचक लग रही थी.
अहमद ने बताया कि उस ने 2 साल पहले शीलू की कंपनी में काम शुरू किया था. वह कंपनी के फाइनैंस सैक्शन में था. उस का काम कंपनी के स्टौक को गोपनीय रखना था. साथ ही, स्टौक के रखरखाव की जिम्मेदारी भी थी.
शीलू उस की बौस थी. जिस तरह से कालेज जाने वाले छात्रों को रैगिंग के लिए डराया जाता है, उसी तरह से मल्टीनैशनल कंपनी को जौइन करने से पहले उसे उस के दोस्तों ने बौस के नाम से डराया था कि कारपोरेट सैक्टर के बौस धरती के सब से ज्यादा खूंख्वार प्राणी हैं. वे अपने नीचे काम करने वालों के साथ गलत बरताव करते हैं, उन का फायदा उठाते हैं वगैरह.
अहमद ने आगे बताया, ‘‘मुझे दोस्तों की बातों से डरने की जरूरत नहीं थी. मेरी बौस एक अबला नारी थी. जरूरत पड़ने पर मैं ही उस के साथ सैक्स करने को तैयार बैठा था. मेरी सोच बहुत गलत थी. मैं अपनी लेडी बौस को कम आंक रहा था.
‘‘एक हफ्ते में ही शीलू ने मेरे काम में तरहतरह की गलती निकालते हुए मेरा बैंड बजाना और मुझे नीचा दिखाना शुरू कर दिया. पर मैं जानता था कि मेरी पहली ही कंपनी ने अगर मुझे इस तरह से काम से निकाल दिया, तो मेरा कैरियर बरबाद हो जाएगा और मुझे फिर कहीं भी कायदे की नौकरी नहीं मिलेगी.
‘‘औफिस में शीलू के सहयोगियों ने मुझे बताया कि अपनी नौकरी बचाने के लिए मुझे शीलू मैडम की मेहरबानी हासिल करनी होगी और अपनी नौकरी की खुशी में उन के लिए कोई गिफ्ट ले कर उन के घर जाना चाहिए.
‘‘मैं शाम को डरता हुआ उन के घर पहुंचा. शीलू मैडम, गोमती नगर में एक बंगले जैसे ड्यूप्लैक्स में अकेली रहती थीं. नौकरानी ने दरवाजा खोला, मुझे ऊपर से नीचे तक ललचाई नजरों से देखा और फिर खुशीखुशी अपनी मालकिन को मेरा ब्योरा दिया. उसी पल मुझे समझ जाना था कि मैं एक भारी मुसीबत में फंसने वाला हूं.
‘‘शीलू मैडम अपने लिविंगरूम में बहुत ही कम कपड़ों में थीं. उन्होंने केवल सफेद शर्ट पहनी हुई थी. वे कंप्यूटर पर किसी जरूरी काम में बिजी थीं. शायद उन्हें स्कर्ट पहनने और कुरसी पर बैठने का भी समय न था.
‘‘मैडम की दूधिया, मोम की तरह चिकनी और साफ जांघों को देख कर मेरा पसीना निकलने लगा. मैडम की ट्रांसपेरेंट शर्ट भी नाममात्र के लिए ही थी. काली ब्रा से ढके हुए उन के विशाल गुंबद साफ दिखाई दे रहे थे.
‘‘मैडम के चिकने टखनों, पैर, घुटनों और जांघ को घूरतेघूरते जब तक मेरी नजरें मैडम की चितकबरी कौटन पैंटी तक पहुंचीं, तब तक मैडम मेरी नजरों को ताड़ चुकी थीं. उन्होंने गले लगा कर मेरा स्वागत किया.
‘‘किसी भारतीय मर्द की मति हरने के लिए इतना लालच काफी होता है. उन्होंने और उन की नौकरानी ने मेरी अच्छे से आवभगत की. हमारे बीच सिर्फ संबंध बनना ही बाकी रह गया था.
‘‘उस दिन से मैं शीलू मैडम का आशिक बन गया. मैं बेवकूफ लट्टू की तरह उन के चारों ओर गोलगोल घूमने लगा. औफिस तो औफिस, शीलू मैडम की कालोनी के लोग भी मुझे शीलू मैडम का चमचा और उन का निजी नौकर समझने लगे थे.
‘‘शीलू मैडम सैक्स के मामले में डोमिनैंट थीं. शुरू में उन की हरकतें मुझे बहुत अच्छी लगती थीं. उन का गुस्से में मुझे पलंग पर पटक देना, मेरे कपड़े फाड़ देना, जंगली बिल्ली की तरह उछल कर मेरे सीने पर सवार हो जाना, मेरे बम को अपने हंटर की मार से लाल कर देना वगैरह. उन्हें मेरे गले में कुत्तों का पट्टा पहना कर, घुटनों के बल, अपने पैरों के बीच बैठाना बहुत अच्छा लगता था.
‘‘मुझे कुरसी से बांधने के बाद जिस्मानी संबंध के लिए तरसाने में उन्हें मजा आता था. यह एक ऐसा माइंड गेम था कि मैं खुद भी अपनेआप को उन का पालतू कुत्ता समझ कर बरताव करने लगा था, उन के आगेपीछे दुम हिलाने लगा था.
‘‘शीलू मैडम के दो घड़ी के प्यार के बदले उन का नौकर बनना तो बहुत छोटी बात है, मैं उन के लिए अपनी गरदन कटाने को तैयार बैठा था. औफिस में हर कहीं वे मेरा इस्तेमाल कर रही थीं, मुझे उन के काम के लिए अपना इस्तेमाल कराने में कोई तकलीफ नहीं थी.
‘‘मल्टीनैशनल कंपनी में नौकरी, अपने सैक्सी बौस से अफेयर, एक भारतीय लड़के को इस से ज्यादा क्या चाहिए? मेरे सारे साथी मुझ से जलने लगे थे. शीलू मैडम के चक्कर में मैं ने अपनी पुरानी गर्लफ्रैंड को भी धोखा दे दिया, उसे छोड़ दिया था.
‘‘यह सही बात है कि शीलू मैडम ने मुझे अपने घर में शरण दी, लेकिन यह मुफ्त नहीं था. मकान के किराए के बदले शीलू मैडम मेरी आधी तनख्वाह अपने पास रख लेती थीं. इस के अलावा शीलू मैडम को खुश रखने के चक्कर में मेरी बाकी तनख्वाह भी खत्म हो जाती थी.
‘‘मेरी हालत उन के घर में नौकरों से भी बदतर थी. वह मुझ से अपने जूते चमकवाने से ले कर चड्डी धुलाने तक के काम करवाती थीं. शुरूशुरू में मैं राजीखुशी उन के सारे काम कर रहा था.
‘‘मैं सोचता था कि किसी को क्या पता चलेगा. सभी तो यही समझेंगे कि मैं लखनऊ शहर की सब से पसंदीदा महिला शीलू का बौयफ्रैंड हूं, उन का फायदा उठा रहा हूं. बस इसी ख्वाबों की दुनिया ने मुझे बरबाद कर दिया था.
‘‘शीलू मैडम ने मेरे घर की जमीन बिकवा कर अपने नाम लखनऊ में प्लौट खरीद लिया. मेरे पिता इस सदमे में मर गए, तब जा कर मेरी अक्ल पर पड़े पत्थर हटने शुरू हुए.
‘‘शीलू मैडम के कई दूसरे लड़कों से अफेयर के भी मुझे पुख्ता सुबूत मिलने लगे थे. शीलू मैडम मुझ से पहले भी अनेक मर्दों से यह स्वांग रच चुकी थीं.
‘‘शीलू मैडम की पैसों की भूख मैं पहचान चुका था, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी. उन्होंने हमारे सैक्स वाले फोटो वायरल करने, मुझ पर ‘सैक्सुअल हरैसमैंट’ का केस लगाने और मुझे ‘मी टू हैशटैग’ कैंपेन में फंसाने की धमकी दी, तो घबरा कर मुझे उन के आगे सरैंडर करना पड़ा.
‘‘उस दिन हम आखिरी बार बिस्तर पर मिले थे. शीलू मैडम किसी गुलाम की तरह वे सारे काम कर रही थीं, जो रोज मैं उन के लिए किया करता था.
‘‘उस दिन के बाद दिन ब दिन मेरी हालत उन के दरवाजे के चौखट से बंधे हुए कुत्ते से भी बदतर होती जा रही थी. शीलू मैडम मेरे सामने ही अपने दूसरे मर्दों के साथ अफेयर करने लगी थीं. मेरे सामने ही अपने दोस्तों से लिपटना, होंठ से होंठ सटा देना… और मैं बेबसी से बस उन्हें देख सकता था.
‘‘शीलू मैडम ने मेरे लैपटौप और मोबाइल के पासवर्ड ले लिए थे. अकसर वे उन्हें चैक करने के बहाने अपने कब्जे में रख लेती थीं.
‘‘इतना सब होने के बावजूद भी मैं शीलू मैडम की खिलाफत नहीं कर पा रहा था. एक ही छत के नीचे रहते हुए, जबतब मुझे बाथरूम से बाहर निकलती या पानी के छींटे उछालती शीलू मैडम के ताजमहल या नीलम घाटी के दर्शन हो जाते.
‘‘इतने से ही मेरी इच्छा पूरी हो जाती थी. मुझे लगता था कि एड़ा बन कर पेड़ा खाते रहने में भी क्या बुराई है. शीलू मैडम का लिवइन पार्टनर तो मैं ही कहलाऊंगा.
‘‘दौलत की लालची शीलू मैडम ने मेरे नाम से एक फर्जी डीमैट अकाउंट खोल कर कंपनी के शेयरों की इनसाइड ट्रेडिंग कर करोड़ों का घपला कर लिया और मुझे मुसीबत में डाल दिया.
कंपनी के औडिट में मुझे कुसूरवार समझ कर नौकरी से निकाल दिया. मेरी भविष्यनिधि जब्त कर ली. ‘‘शीलू मैडम ने चुपचाप मेरे कानों में कह दिया था, ‘चुप रहो, चिंता की बात नहीं है, मैं तुम्हें बचा लूंगी.’
‘‘धोखा… उन की कोई भी बात सही नहीं थी. मुझे उन की किसी बात पर यकीन नहीं करना चाहिए था.
‘‘पुरानी दोस्ती के नाम पर उन्होंने मुझे अपने घर में रहते रहने की इजाजत दे दी, लेकिन उन के बैडरूम में आने की अब मुझे इजाजत नहीं थी. मुझे घर का सारा काम निबटाना होता था, बदले में शीलू मैडम ने सिफारिश कर मुझे एक कुरियर कंपनी में छोटी सी नौकरी दिला दी थी.
‘‘इतना सब होने के बावजूद मैं ने शीलू मैडम से बदलना लेने के बारे में नहीं सोचा था. ‘‘पर, उस दिन मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया, जब शीलू मैडम देर रात अपने एक दोस्त के साथ घर आईं. आते ही उन्होंने मुझे ‘टौमी… टौमी…’ कह कर और ‘पुच… पुच…’ कर चिढ़ाना शुरू कर दिया.
‘‘शीलू मैडम नशे में चूर थीं और बारबार अपने दोस्त से चिपक रही थीं, उस की बांहों में झूल रही थीं. अगर उन के दोस्त ने न रोका होता, तो वे वहीं दरवाजे के सामने ही उस के साथ सैक्स करना शुरू कर देतीं.
‘‘शीलू मैडम का दोस्त मेरे सामने से ही उन्हें बैडरूम में खींच ले गया. शीलू मैडम ने मुझे अपनी दूध की फैक्टरी में से मक्खी की तरह बाहर निकाल फेंका था. बहुत देर तक उन के कमरे से सैक्सुअल फोरप्ले की आवाज आती रही. मेरी सोच पहले ही मर चुकी थी, उस दिन मेरा दिल भी जल कर राख हो गया. मुझे उस दिन रातभर नींद नहीं आई.
‘‘उसी दिन मैं ने अपनी प्यारी शीलू मैडम को ठिकाने लगाने का प्लान बना लिया था. आज भी उन की मौत का सब से ज्यादा दुख मुझे है.’’ अहमद की इस मनगढ़ंत कहानी पर किसी को यकीन नहीं है. Hindi Kahani



