डिजिटल सेक्स के जाल में फंसते युवा

आजकल सबकुछ डिजिटल हो रहा है. स्कूलकालेज, औफिस, पुलिस स्टेशन, अदालत सबकुछ डिजिटल हो रहे हैं, ठीक इसी प्रकार संबंध भी डिजिटल हो रहे हैं. शादीब्याह के न्योते हों या कोई अन्य खुशखबरी या फिर शोक समाचार सबकुछ ईमेल, व्हाट्सऐप, एसएमएस, ट्विटर या फेसबुक के जरिए दोस्तों और सगेसंबंधियों तक पहुंचाया जा रहा है. मिठाई का डब्बा या खुद कार्ड ले कर पहुंचने की परंपरा धीरेधीरे लुप्त हो रही है.

कुछ ऐसा ही प्रयोग युवक-युवतियों के संबंधों में भी हो रहा है. ऐसे युवकों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जो यौन सुख के लिए वास्तविक सेक्स संबंधों के बजाय डिजिटल सेक्स और औनलाइन पोर्नोग्राफी पर ज्यादा निर्भर हैं. ऐसे युवकों को वास्तविक दुनिया के बजाय आभासी दुनिया के सेक्स में ज्यादा आनंद आता है और ज्यादा आसानी महसूस होती है. इन्हें युवतियों को टैकल करना और उन से भावनात्मक व शारीरिक संबंधों का निर्वाह करना बेहद मुश्किल लगता है, इसलिए ये उन से कन्नी काटते हैं. पढ़ेलिखे और शहरी लोगों में डिजिटल सेक्स की आदत ज्यादा देखी जाती है. मनोवैज्ञानिक इन्हें ‘हौलो मैन’ यानी खोखला आदमी कहते हैं. ऐसे लोगों को वास्तविक यौन सुख या इमोशनल सपोर्ट तो मिल नहीं पाता नतीजतन ये ऐंग्जायटी और डिप्रैशन का शिकार होने लगते हैं और भावनात्मक रूप से टूट जाते हैं.

मुंबई की काउंसलर शेफाली, जो ‘टीन मैटर्स’ पुस्तक की लेखिका भी हैं, हफ्ते में कम से कम एक ऐसे युवक से जरूर मिलती हैं, जो पोर्न देखने का अभ्यस्त होता है और वास्तविक सेक्स से कतराता है. दरअसल, युवावस्था में लगभग हर युवक डिजिटल सेक्स का शौकीन होता है. कुछ युवक इस के इतने अभ्यस्त हो जाते हैं कि उन्हें इस का नशा हो जाता है और वे सामाजिक जीवन से कतराने लगते हैं. उन्हें जो युवतियां मिलती भी हैं उन में वे आकर्षण नहीं ढूंढ़ पाते, क्योंकि उन की ब्रैस्ट या अन्य अंग पोर्न ऐक्ट्रैस जैसे नहीं होते. कई बार घर वालों के कहने या सामाजिक दबाव में आ कर ये शादी तो कर लेते हैं, लेकिन अपनी बीवी से इन की ज्यादा दिन तक पटरी नहीं बैठती, क्योंकि ये अपनी बीवी के साथ सेक्स संबंध बनाते वक्त उस से पोर्न जैसी ऊटपटांग हरकतें और वैसी ही सैक्सुअल पोजिशंस चाहते हैं. कोई भी बीवी यह सब कब तक बरदाश्त कर सकती है? नतीजतन या तो बीवी इन्हें छोड़ देती है या फिर ये खुद ही ऊब कर अलग हो जाते हैं.

व्यवहार विशेषज्ञों के मुताबिक इंटरनैट पर पोर्न साइट्स की बाढ़, थ्रीडी सेक्स गेम, कार्टून सेक्स गेम, वर्चुअल रिएलिटी सेक्स गेम और अन्य तरहतरह की पोर्न फिल्में जिन में एक युवती या युवक को 3-4 लोगों के साथ सेक्स संबंध बनाते हुए दिखाया जाता है, ने युवाओं के दिमाग को बुरी तरह डिस्टर्ब कर के रख दिया है. स्मार्टफोन पर आसानी से इन की उपलब्धता ने स्थिति ज्यादा बिगाड़ दी है. यह स्थिति सिर्फ भारत की नहीं बल्कि पूरी दुनिया की है. ‘मेन (डिस) कनैक्टेड : हाउ टैक्नोलौजी हैज सबोटेज्ड व्हाट इट मीन्स टू बी मेल’ में मनोविज्ञानी फिलिप जिम्वार्डो ने लिखा है, ‘औनलाइन पोर्नोग्राफी और गेमिंग टैक्नोलौजी पौरुष को नष्ट कर रही है. अलगअलग देशों के 20 हजार से ज्यादा युवाओं पर किए गए सर्वे में हम ने पाया कि आसानी से उपलब्ध पोर्न से हर देश में पोर्न एडिक्टों की भरमार हो गई. यूथ्स को युवतियों के साथ यौन संबंध बनाने के बजाय पोर्न देखते हुए हस्तमैथुन करने में ज्यादा आनंद आता है.’

मेन (डिस) कनैक्टेड की सह लेखिका निकिता कूलोंबे कहती हैं, ‘इंटरनैट युवाओं को अंतहीन नौवेल्टी और वर्चुअल हरमखाने की सुविधा देता है. 10 मिनट में ये यूथ इतनी निर्वस्त्र और सेक्सरत युवतियों को देख लेते हैं, जितनी इन के पुरखों ने ताउम्र नहीं देखी होंगी.’

व्यवहार विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल युग में कई यूथ ऐसे मिलेंगे जो स्क्रीन पर चिपके रहेंगे और सोशल साइट्स पर तो युवतियों से खूब गुफ्तगू करेंगे, लेकिन वास्तविक दुनिया में उन्हें युवतियों के सामने जाने पर घबराहट होती है और ये अपनी भावनाएं उन के साथ शेयर करने का सही तरीका नहीं ढूंढ़ पाते.

ये युवा फेस टू फेस बात करने के बजाय फेसबुक, व्हाट्सऐप, टैक्स्ट मैसेज या मोबाइल फोन का सहारा लेते हैं. जाहिर सी बात है कि ये युवतियों के सामने नर्वस हो जाते हैं और उन से संबंध बनाने से कतराते हैं. पोर्न से उन्हें तत्काल आनंद और संतुष्टि मिलती है, जबकि वास्तविक दुनिया में सेक्स संबंध बनाने से पहले मित्रता, प्रेम, आत्मीयता या शादीविवाह जरूरी होता है.

डिजिटल सेक्स का यह एडिक्शन युवतियों की तुलना में युवकों को अधिक प्रभावित करता है. इस की वजह यह है कि इंटरनैट पोर्न में यौन संबंधों का आनंद उठाते हुए युवकों को ही अधिक दिखाया जाता है.

मनोवैज्ञानिक कहते हैं, ‘‘हमारे देश में सेक्स के बारे में बात करना एक प्रकार से गुनाह माना जाता है. ऐेसे में यूथ्स के लिए अपनी सैक्सुअल जिज्ञासाओं को शांत करने का सब से आसान जरिया इंटरनैट पोर्न ही है. इस का एक दुष्प्रभाव यह है कि ये युवक इन पोर्न क्लिपिंग्स या फिल्मों के जरिए सेक्स ज्ञान प्राप्त करने के बजाय मन में ऊटपटांग ग्रंथियां पाल लेते हैं.’’

पोर्न नायक के अतिरंजित मैथुन और उस के यौनांग के अटपटे साइज को ले कर ये युवा अपने मन में हीनभावना पाल लेते हैं और खुद को नाकाबिल या कमजोर मान कर युवतियों का सामना करने से कतराते हैं. ये युवक अपने छोटे लिंग और कथित शीघ्रपतन की समस्या को ले कर अकसर मनोवैज्ञानिक या सेक्स विशेषज्ञों के चक्कर काटते नजर आते हैं. कुछ युवा तो झोलाछाप डाक्टरों या तंत्रमंत्र के चंगुल में भी फंस जाते हैं.

‘इंडिया इन लव’ की लेखिका इरा त्रिवेदी के मुताबिक डिजिटल सेक्स के मकड़जाल में फंस कर कई यूथ्स तो अपनी बसीबसाई गृहस्थी को भी तबाह कर बैठते हैं. दरअसल, पोर्न फिल्मों में हिंसक यौन संबंध दिखाए जाते हैं, जिन में युवतियों को जानवरों की तरह ट्रीट किया जाता है और उन के चीखनेचिल्लाने के बावजूद उन के साथ जबरन सेक्स करते दिखाया जाता है.

हाल ही में कोलकाता में एक महिला ने तलाक की अपील करते हुए शिकायत की कि उस का पति पोर्न फिल्मों के ऐक्शन उस पर दोहराना चाहता है. अजीबोगरीब आसनों में सेक्स करना चाहता है, जिसे सहन करना उस के बस की बात नहीं. पति के साथ यौन संबंध बनाने में उसे न तो रोमांस का अनुभव होता है, न ही आनंद आता है बल्कि सेक्स संबंध उस के लिए टौर्चर बन चुके हैं.

कुछ हद तक डिजिटल सेक्स की इस आधुनिक बीमारी का शिकार कई महिलाएं बन चुकी हैं. गायनोकोलौजिस्ट बताती हैं कि उन के पास कुछ महिलाएं वैजाइनल ब्यूटीफिकेशन के उपाय पूछने भी आती हैं, तो कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं जो अपने पति से संतान तो चाहती हैं मगर सेक्स नहीं करना चाहतीं. संतान की उत्पत्ति के लिए वे कृत्रिम रूप से गर्भाधान करना चाहती हैं.

82 वर्षीय जिंबारडो कहते हैं कि युवाओं को डिजिटल सेक्स के इस मकड़जाल से निकालने के लिए वास्तविक दुनिया में इन्वौल्व होने के लिए प्रेरित करना पड़ेगा. उन्हें डिजिटल दुनिया से दूर रहने और अपने जैसे हाड़मांस के दूसरे लोगों से मिलनेजुलने और खासकर युवतियों से मिलनेजुलने के लिए प्रेरित करना पड़ेगा.

पोर्न फैक्ट, जो चौंकाते हैं

–  आमतौर पर हम पोर्न की खपत विदेश में ज्यादा मानते हैं, लेकिन 2014 में हुए एक औनलाइन सर्वे में ‘पोर्नहब’ ने पाया कि भारत पोर्न कंटैंट का सब से बड़ा उपभोक्ता है.

–  भारतीय डैस्कटौप के बजाय स्मार्टफोन पर पोर्न ज्यादा देखते हैं.

–  देशभर में आंध्र प्रदेश के लोग पोर्न हब पर सब से कम समय 6 मिनट 40 सैकंड बिताते हैं जबकि पश्चिम बंगाल में रोज 9 मिनट 5 सैकंड और असम में यह आंकड़ा 9 मिनट 55 सैकंड का है.

– सनी लियोनी अब तक की सब से फेवरिट पोर्न स्टार है.

– दुनिया के ज्यादातर देशों में पोर्न फिल्म सोमवार को देखी जाती है जबकि भारत में शनिवार को.

सुरक्षित सेक्स के लिए अपनाएं ये टिप्स

कभी-कभी ऐसा होता है, रिश्ते शुरू होते ही, रिश्ते खत्म हो जाते हैं. कभी-कभी एक रिश्ता ऐसा होता है जो वक्त के साथ-साथ और गहरा हो जाता है. वो रिश्ता कहलाता है प्यार और सेक्स का रिश्ता. आकर्षण रिश्ते का बीजारोपण तो कर देता है, लेकिन कितनी दूर तक ले कर जाना है यह आप पर निर्भर करता है.

और अगर दोनों रिश्ते को सेक्स तक ले कर जा रहे है, तो फिर आपको कुछ बातों का खयाल रखना जरूरी है. क्योंकि बात जब सेक्स की होती है तो सुरक्षा को नजर अंदाज नहीं करना चाहिये.

सेक्स के बारे में बात करें

हमारा कहने का अर्थ यह नहीं कि आप अश्लील बातें करने लग जाएं. अगर आप अपने साथी के सीथ पहली बार सेक्स करने जा रहे हैं, तो कुछ बातों पर जरूर ध्यान दें. यौन रोग, यौन साथी और अन्य बातों के बारे में बात कर लेनी चाहिये. सेक्स से पहले आप दोनों का एक ही सतह पर होना जरूरी है.

कण्डोम का उपयोग करें

आप चाहे पहली बार संभोग करने जा रहे हों या फिर आप अनुभवी हों, कण्डोम सुरक्षा का सबसे बड़ा जरिया है. यह न केवल आपको अनचाहे गर्भ बचाता है, बल्कि यह एचआईवी/एड्स और अन्य कई यौन रोग से भी आपकी रक्षा करता है. ओर हां, एक समय में एक ही कण्डोंम पहने, दो कण्डोम पहनने से आपको नुकसान ही होगा.

लुब्रिकेटेड कण्डोम का इस्तमाल

संभोग के लिए लुब्रिकेटेड कण्डोम का ही इस्तमाल करें. लुब्रिकेशन न सिर्फ कण्डोम को फटने से बचाता है, बल्कि इससे पहनना और इस्तमाल करना भी आसान होता है. इतना ही नहीं अधिक लुब्रिकेशन से आपकी महिला साथी को सभोंग का अधिक आनंद आता है.

साथी के लिए रहें वफादार

अपने साथी के प्रति वफादार रहकर आप यौन संचारित रोगों के खतरों को कम कर सकते है. याद रखे, जब आप किसी साथी के साथ संभोग करते है, तो कहीं न कहीं अपरोक्ष रूप से आप उन सब लोगों के साथ जुड़ जाते हैं, जिनके साथ उस व्यक्ति का संबंध रहा है. तो ऐसे में बहतर हैं कि आप अपने साथी के प्रति वफादार रहें.

कण्डोम फिर भी है जरूरी

भले ही आप केवल अपने साथी के साथ ही संबंध बना रहे हों, लेकिन फिर भी कण्डोम का कोई विकल्प नहीं हैं. और आप इसकी अनदेखी नहीं कर सकते.

अल्कोहल या अन्य नशीले पदार्थों से दूर रहें

कई गलत फैसले शराब और ड्रग्स के प्रभाव में लिये जाते हैं. तो सेक्सुल क्रिया से पहले और दौरान अल्कोहल या अन्य नशीले पदार्थों का सेवन न करें.

ओरल सेक्स से बचें

ओरल सेक्स से कई प्रकार के संक्रमण हो सकते हैं. कई ऐसे उदाहरण भी सामने आये हैं, जब ओरल सेक्स से व्यक्ति को कैंसर होने की बात सामने आयी है. इससे बचने का एक तरीका यह हैं, ओरल सेक्स करते हुए आप कण्डोम का उपयोग करें. बाजार में आजकल फ्लेवर कण्डोम उपलब्ध हैं. हां, संभोग के लिए सामान्य लुब्रिकेटेड कण्डोम का ही इस्तेमाल करें.

जो न हो पसंद वो न करें

सेक्स आपकी पूरी तरह से निजी पसंद का मामला है. किसी प्रकार के दबाव में आकर सेक्स न करें. जब तक आप पूरी तरह से आश्वस्त न हों, इस क्रिया से दूर ही रहें. सुरक्षित रहें, तभी आप बेहतर और आनंनदायक सेक्स का आनंद उठा पायेंगे.

मेरे मोहल्ले के एक दबंग ने मुझे धमकी दी है कि मैं बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना छोड़ दूं, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 22 साल की एक गरीब परिवार की लड़की हूं और अपने महल्ले के बच्चों को ट्यूशन पढ़ा कर परिवार की माली मदद करती हूं.

चूंकि मैं मेधावी छात्रा रही हूं, इसलिए मेरे पास कई बच्चे ट्यूशन पढ़ने के लिए आते हैं. इस से पास के ही एक ट्यूशन सैंटर, जो किसी दबंग का है, ने मुझे धमकी दी है कि मैं बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना छोड़ दूं. इस धमकी से मेरे परिवार वाले डर गए हैं, पर मैं पैसा कमाने का यह मौका नहीं छोड़ना चाहती हूं. मैं क्या करूं?

जवाब-

आप उस दबंग शख्स से आसानी से नहीं निबट पाएंगी, क्योंकि आप की वजह से उस का धंधा मारा जा रहा है. इस के लिए आप को आसपास के लोगों का समर्थन जुटाना होगा और धमकी देने पर उस की रिपोर्ट भी पुलिस में दर्ज करानी होगी.

आप मेधावी हैं और अब हिम्मती भी बनिए. फिल्म ‘सुपर थर्टी’ तो आप ने देखी ही होगी. उस में भी कोचिंग माफिया की चालबाजियां बताई गई हैं. आनंद कुमार की तर्ज पर डटी रहिए. जिन बच्चों को आप पढ़ाती हैं, उन के मांबाप को सारी बातें बता कर उन से मदद मांगें. आज डर कर आप ट्यूशन पढ़ाना बंद कर देंगी, तो ऐसे गुंडों को शह ही मिलेगी.

मुझे लड़कियों के कपड़े पहनने और उन की तरह सजने संवरने का शौक है, मैं क्या करूं?

सवाल –

मैं 24 साल का लड़का हूं, लेकिन मुझे लड़कियों के कपड़े पहनने और उन की तरह सजने संवरने का शौक है. मैं औरतों जैसी जिंदगी जीना चाहता हूं. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब –

आप ने लड़के के रूप में जन्म लिया है. लिहाजा, आप को लड़कों की तरह ही रहना चाहिए. वैसे, आप किसी माहिर डाक्टर से अपनी जांच कराएं, क्योंकि आप के हारमोनों में खलल हो सकता है, जो इलाज से ठीक हो जाएगा.

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सिर्फ बदन चाहिए प्यार नहीं

मैं एक ट्रांसजैंडर सैक्स वर्कर हूं. यह मेरी अपनी खुद की कहानी है. 12 जून, 1992 को आजमगढ़, उत्तर प्रदेश के एक मिडिल क्लास परिवार में मेरा जन्म हुआ. हमारा बड़ा सा परिवार था. प्यार करने वाली मां और रोब दिखाने वाले पिता. चाचा, ताऊ, बूआ और ढेर सारे भाईबहन.

मैं पैदा हुआ तो सब ने यही समझा कि घर में लड़का पैदा हुआ है. मुझे लड़कों की तरह पाला गया, लड़कों जैसे बाल कटवाए, लड़कों जैसे कपड़े पहनाए, बहनों ने भाई मान कर ही राखियां बांधीं और मां ने बेटा समझ कर हमेशा बेटियों से ज्यादा प्यार दिया.

हमारे घरों में ऐसा ही होता है. बेटा आंखों का तारा होता है और बेटी आंख की किरकिरी.

सबकुछ ठीक ही चल रहा था कि अचानक एक दिन ऐसा हुआ कि कुछ भी ठीक नहीं रहा. मैं जैसेजैसे बड़ा हो रहा था, वैसेवैसे मेरे भीतर एक दूसरी दुनिया जन्म ले रही थी.

घर में ढेर सारी बहनें थीं. बहनें सजतींसंवरतीं, लड़कियों वाले काम करतीं तो मैं भी उन की नकल करता. चुपके से बहन की लिपस्टिक लगाता, उस का दुपट्टा ओढ़ कर नाचता.

मेरा मन करता कि मैं भी उन की ही तरह सजूं, उन की ही तरह दिखूं, उन की तरह रहूं. लेकिन हर बार एक मजबूत थप्पड़ मेरी ओर बढ़ता.

छोटा था तो बचपना समझ कर माफ कर दिया जाता. थोड़ा बड़ा हुआ तो कभी थप्पड़ पड़ जाता तो कभी बहनें मार खाने से बचा लेतीं. बहनें सब के सामने बचातीं और अकेले में समझातीं कि मैं लड़का हूं. मुझे लड़कों के बीच रहना चाहिए, घर से बाहर जा कर उन के साथ खेलना चाहिए.

लेकिन मुझे तो बहनों के बीच रहना अच्छा लगता था. बाहर मैदान में जहां सारे लड़के खेलते थे, वहां जाने में मुझे बहुत डर लगता. पता नहीं, क्यों वे भी मुझे अजीब नजरों से देखते और तंग करते थे. उन की अजीब नजरें वक्त के साथसाथ और भी डरावनी होती गईं.

मैं स्कूल में ही था, जब वह घटना घटी. दिसंबर की शाम थी. अंधेरा घिर रहा था. तभी उस दिन स्कूल के पास एक खाली मैदान में कुछ लड़कों ने मुझे घेर लिया. उन्हें लगता था कि मैं लड़की हूं. वे जबरदस्ती मुझे पकड़ रहे थे और मैं रो रहा था.

मैं खुद को छुड़ाने की हर मुमकिन कोशिश कर रहा था. उन्होंने जबरदस्ती मेरे कपड़े उतारे और यह देख कर छोड़ दिया कि मेरे शरीर का निचला हिस्सा तो लड़कों जैसा ही था.

इस हाथापाई में मेरे पेट में एक सरिया लग गया. मेरी पैंट खुली थी और पेट से खून बह रहा था. वे लड़के मुझे उसी हालत में अंधेरे में छोड़ कर भाग गए.

मैं पता नहीं, कितनी देर तक वहां पड़ा रहा. फिर किसी तरह हिम्मत जुटा कर घर आया. मैं ने किसी को कुछ नहीं बताया. चोट के लिए कुछ बहाना बना दिया. घर वाले मुझे अस्पताल ले गए. मैं ठीक हो कर घर आ गया.

दुनिया से अलग मेरे भीतर जो दुनिया बन रही थी, वह वक्त के साथ और गहरी होती चली गई. मेरी दुनिया में मैं अकेला था. सब से अपना सच छिपाता, कई बार तो अपनेआप से भी. मैं अंदर से डरा हुआ था और बाहर से जिद्दी होता जा रहा था.

घर में सब मुझे प्यार करते थे, मां और बहन सब से ज्यादा. लेकिन जब बड़ा हो रहा था तो लगा कि उन का प्यार काफी नहीं है. स्कूल में एक लड़का था सनी. वह मेरा पहला बौयफ्रैंड था, मेरा पहला प्यार.

लेकिन बचपन का प्यार बचपन के साथ ही गुम हो गया. जैसेजैसे हम बड़े होते हैं, दुनिया देखते हैं, हमें लगता है कि हम इस से ज्यादा के हकदार हैं, इस से ज्यादा पैसे के, इस से ज्यादा खुशी के, इस से ज्यादा प्यार के. जब साइकिल थी तो मैं उस में ही खुश था. स्कूटी आई तो लगा कि स्कूटी की खुशी इस के आगे कुछ नहीं. साइकिल से मैं कुछ ही किलोमीटर जाता था और स्कूटी से दसियों किलोमीटर. लगा कि आगे भी रास्ते में और प्यार मिलेगा और खुशी.

मैं दौड़ता चला गया. लेकिन जब आंख खुली तो देखा कि रास्ता तो बहुत तय कर लिया था, पर न तो प्यार मिला, न खुशी. मेरे 9 बौयफ्रैंड रहे. हर बार मुझे लगता था कि यह प्यार ही मेरी मंजिल है, लेकिन हर बार मंजिल साथ छोड़ देती. सब ने मेरा इस्तेमाल किया, शरीर से, पैसों से, मन से. लेकिन हाथ किसी ने नहीं थामा.

सब को मुझ से सिर्फ सैक्स चाहिए था. सब ने शरीर को छुआ, मन को नहीं. सब ने कमर में हाथ डाला, सिर पर किसी ने नहीं रखा.

फिर एक दिन मैं ने फैसला किया कि अगर यही करना है तो पैसे ले कर ही क्यों न किया जाए.

मैं बाकी लड़कों की तरह पढ़लिख कर अपने पैरों पर खड़ा होना चाहता था, अपना कैरियर बनाना चाहता था. मैं ने कानपुर यूनिवर्सिटी से एमकौम किया और सीए का इम्तिहान भी दिया.

अब तक जिंदगी उस मुकाम पर पहुंच चुकी थी कि मैं घर वालों और आसपास के लोगों के लिए शर्मिंदगी का सबब बन गया था. मैं समाज में, कालेज में मिसफिट था.

मैं लड़का था, लेकिन लड़कियों जैसा दिखता था. मर्द था, लेकिन औरत जैसा महसूस करता था. मेरा दिल औरत का था, लेकिन उस में बहुत सारी कड़वाहट भर गई थी.

प्यार की तलाश मुझे जिंदगी के सब से अंधेरे कोनों में ले गई. बदले में मिली कड़वाहट और गुस्सा.

अपनी पहचान छिपाने के लिए मैं दिल्ली आ गया. नौकरी ढूंढ़ने की कोशिश की, लेकिन मिली नहीं. शायद उस के लिए भी डिगरी से ज्यादा यह पहचान जरूरी थी कि तुम औरत हो या मर्द. मुझे यह खुद भी नहीं पता कि मैं क्या था.

यहां मैं कुछ ऐसे लोगों से मिला, जो मेरे जैसे थे. उन्हें भी नहीं पता था कि वे औरत हैं या मर्द. अजनबी शहर में रास्ता भूल गए मुसाफिर को मानो एक नया घर मिल गया.

कोई तो मिला, जिसे पता है कि मेरे जैसा होने का मतलब क्या होता है. कोई तो मिला, जो सैक्स नहीं करना चाहता था, लेकिन उस ने सिर पर हाथ रखा. थोड़ी करुणा मिली तो मन की सारी कड़वाहट आंखों के रास्ते बह निकली.

इन नए दोस्तों ने मुझे खुद को स्वीकार करना सिखाया, शर्म से नहीं सिर उठा कर. मैं ने उन के साथ एनजीओ में काम किया, अपने जैसे लोगों की काउंसिलिंग की, उन के मांबाप की काउंसिलिंग की.

सबकुछ ठीक होने लगा था. लेकिन दिल के किसी कोने में अब भी कोई कांटा चुभा था. प्यार की तलाश अब भी जारी थी. कुछ था, जिसे सिर्फ दोस्त नहीं भर सकते थे.

प्यार किया, फिर धोखा खाया. जिस को भी चाहा, वह रात के अंधेरे में प्यार करता और दिन की रोशनी में पहचानने से इनकार कर देता. और फिर मैं ने तय किया कि यह काम अब मैं पैसों के लिए करूंगा. शरीर लो और पैसे दो.

मुझे आज भी याद है मेरा पहला काम. एक सैक्स साइट पर तन्मय राजपूत के नाम से मेरा प्रोफाइल बना था. उसी के जरीए मुझे पहला काम मिला. नोएडा सैक्टर 11 में मैट्रो अस्पताल के ठीक सामने वाली गली में मैं एक आदमी के पास गया. वह आदमी मुझ से सिर्फ 4-5 साल बड़ा था.

मैं ने पहली बार पैसों के लिए सैक्स किया. उन की भाषा में इसे सैक्स नहीं, सर्विस कहते हैं. मैं ने उसे सर्विस दी, उस ने मुझे 1,500 रुपए. तब मेरी उम्र 22 साल थी.

उस दिन वे 1,500 रुपए हाथ में ले कर मैं सोच रहा था कि जेरी, तू ने जो रास्ता चुना है, उस में हो सकता है तुझे बदनामी मिले, लेकिन पैसा खूब मिलेगा. लेकिन हुआ यह कि बदनामी और गंदगी तो मिली, लेकिन पैसा नहीं.

इस रास्ते से कमाए गए पैसों का कोई हिसाब नहीं होता. यह जैसे आता है, वैसे ही चला जाता है. यह सिर उठा कर की गई कमाई नहीं होती, सिर छिपा कर अंधेरे में की गई कमाई होती है.

एक बार जो मैं उस रास्ते पर चल पड़ा तो पीछे लौटने के सारे रास्ते बंद हो गए. अब हर रात यही मेरी जिंदगी है. एक शादीशुदा आदमी की जिंदगी में कुछ दिनों या हफ्तों का अंतराल हो सकता है, लेकिन मेरी जिंदगी में नहीं. हर रात हमें तैयार रहना होता है. 15 ग्राहक हैं मेरे. कोई न कोई तो मुझे बुलाता ही है.

आप को लगता है कि सैक्स बहुत सुंदर चीज है, जैसे फिल्मों में दिखाते हैं. लेकिन मेरे लिए वह प्यार नहीं, सर्विस है. और सर्विस मेहनत और तकलीफ का काम है. हमारी लाइन में सैक्स ऐसे होता है कि जो पैसे दे रहा है, उस के लिए वह खुशी है और जो पैसे ले रहा है, उस के लिए तकलीफ.

ग्राहक जो डिमांड करे, हमें पूरी करनी होती है. जितना ज्यादा पैसा, उतनी ज्यादा तकलीफ. लोग वाइल्ड सैक्स करते हैं, डर्टी सैक्स करते हैं, मारते हैं, कट लगाते हैं. लोगों की अजीबअजीब फैंटैसी हैं. किसी को तकलीफ पहुंचा कर ही मजा मिलता है. किसी को तब तक मजा नहीं आता, जब तक सामने वाले के शरीर से खून न निकल जाए.

मैं यह सबकुछ बिना किसी नशे के पूरे होशोहवास में करता हूं. जो कर रहा हूं, उस से मेरे शरीर को काफी नुकसान हो रहा है. अगर नशा करूंगा, तो मैं अच्छी सर्विस नहीं दे पाऊंगा.

ग्राहक नशा करते हैं और मैडिकल स्टोर से सैक्स पावर बढ़ाने की दवा ले कर आते हैं और मैं पूरे होश में होता हूं. कई बार पूरीपूरी रात यह सब चलता है.

दिन के उजाले में शहर की सड़कों पर बड़ीबड़ी गाडि़यों में जो इज्जतदार चेहरे घूम रहे हैं, कोई नहीं जानता कि रात के अंधेरे में वही हमारे ग्राहक होते हैं. बड़ेबड़े अफसर, नेता, पुलिस वाले… मैं नाम गिनाने लग जाऊं तो आप की आंखें फटी की फटी रह जाएं.

क्या पता कि आप के हाईफाई दफ्तर में घूमने वाली कुरसी पर बैठा सूटबूट वाला आदती रात के अंधेरे में हमारा ग्राहक हो.

एक बार मैं कनाट प्लेस में एक औफिस में इंटरव्यू देने गया. वह एक वक्त था, जब मैं इस जिंदगी से बाहर आना चाहता था. वहां जो आदमी मेरा इंटरव्यू लेने के लिए बैठा था, वह मेरा क्लाइंट रह चुका था.

उस ने कहा, ‘‘इंटरव्यू छोड़ो, यह बताओ, फिर कब मिल रहे हो?’’

मैं कोई जवाब नहीं दे पाया. पता नहीं, मुझे क्यों इतनी शर्मिंदगी महसूस हुई थी. मैं उस का सामना नहीं कर पाया या अपना. मैं बिना इंटरव्यू दिए ही वापस लौट आया.

मेरी नजर में सैक्स शरीर की भूख है. प्यार कुछ नहीं होता. जहां प्यार हो, सैक्स जरूरी नहीं. दुनिया में जो प्यार का खेल चलता है, उस का सच कभी हमारी दुनिया में आ कर देखिए. अच्छेखासे शादीशुदा इज्जतदार लोग आते हैं हमारे पास अपनी भूख मिटाने.

एक बार एक आदमी मेरे पास आया और बोला, ‘‘मेरी बीवी पेट से है. मुझे रिलीज होना है.’’

मैं ने उस आदमी के साथ ओरल सैक्स किया था. यह सब क्या है? एक औरत जो तुम्हारी पत्नी है, उस के पेट में तुम्हारा ही बच्चा पल रहा है, वह तुम्हें सैक्स नहीं दे सकती तो तुम सैक्स वर्कर के पास जाओगे?

ज्यादातर मर्दों के लिए औरत के सिर्फ 2 ही काम हैं कि वह उन के साथ सोए और उन के मां बाप की सेवा करे. 90 फीसदी मर्दों की यही हकीकत है. ज्यादातर लोग अपनी बीवी से प्यार नहीं करते हैं.

बेहतर सेक्स के लिए आज ही शुरू करें कीगल ऐक्सरसाइज

सेक्स में कीगल ऐक्सरसाइज का अपना महत्त्व है. कीगल ऐक्सरसाइज को पेल्विक फ्लोर ऐक्सरसाइज भी कहा जाता है. पेल्विक एरिया को मजबूत बनाने के लिए कीगल ऐक्सरसाइज सब से अच्छा तरीका है. महिलाओं में कमर के आसपास के एरिया में दर्द की शिकायत होती है. पेल्विक फ्लोर मसल्स के कमजोर होने से यह दर्द होता है. इन मसल्स को मजबूत करने के लिए महिलाएं कीगल ऐक्सरसाइज करती हैं, जिस से यह एरिया मजबूत होता है.

सेक्स से भी ठीक यही अनुभूति होती है, जो कीगल ऐक्सरसाइज से होती है और महिलाओं को काफी आराम मिलता है. इस से और्गेज्म प्राप्त करने में मदद मिलती है. पेल्विक एरिया मजबूत होने से महिलाएं अपनी पेल्विक मसल्स और और्गेज्म को अच्छी तरह कंट्रोल कर पाती हैं.

कीगल ऐक्सरसाइज करना आसान है. इस के लिए आप को बस अपने पेल्विक एरिया की मांसपेशियों को कौंट्रैक्ट और रिलैक्स करना है. इस से न सिर्फ आप का यूरिनरी ट्रैक्ट मजबूत होगा, बल्कि इस से महिलाएं यूरिन और बाउल मूवमैंट को भी कंट्रोल कर पाती हैं.

पेल्विक मसल्स कमजोर होने के कई कारण हैं जैसे कि- प्रैगनैंसी, वैजाइनल बर्थ, मोटापा, खांसी यहां तक कि बढ़ती उम्र की वजह से भी ये मसल्स कमजोर हो जाती हैं. इस की वजह से यूरिनरी ब्लैडर पर कंट्रोल नहीं रह पाता और यूरिन कभी भी निकल जाता है. कीगल ऐक्सरसाइज करने से महिलाओं को सेक्स के समय अच्छी अनुभूति होती है, जिस का प्रभाव पतिपत्नी की सेक्स लाइफ पर पड़ता है. बेहतर सेक्स के लिए कीगल ऐक्सरसाइज बहुत ही जरूरी होती है.

कीगल एक्‍सरसाइज के 10 प्रकार हैं- 

– द पेल्विक टिल्ट (The Pelvic Tilt)

– क्लासिक कीगल (Classic Kegal)

– पेल्विक पुश-अप्स (Pelvic Push-Ups)

– शोल्डर ब्रिज (Shoulder Bridge)

– साइड लेग लाइंग लिफ्ट (Side Leg Lying Lift)

– द बटरफ्लाई (The Butterfly)

– डीप ब्रीदिंग (Deep Breathing)

– स्पाइनल ट्विस्ट (Spinal Twist)

– रोलिंग नीज (Rolling Knees)

– लेग-पेल्विक स्ट्रेच (Leg Pelvic Stretch)

शादी से पहले मैं एक लड़के से प्यार करती थी और वह अब मुझ से शादी करना चाहता है, मैं क्या करूं?

सवाल –

मैं 25 साल की हूं. शादी के 2 साल बाद ही पति की मौत हो गई. शादी से पहले मैं एक लड़के से प्यार करती थी. वह अब मुझ से शादी करना चाहता है. मैं क्या करूं?

जवाब-

अगर अब भी वह आप से शादी करना चाहता है, तो उस से कहें कि वह आप के मातापिता से बात करे. इस बात का खयाल रखें कि कहीं वह शादी का झांसा तो नहीं दे रहा.

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सेक्स रिलेशनशिप: मजा कम, मुसीबतें ज्यादा

अमेरिकी यूनिवर्सिटी के एक शोध से पता चला है कि कम उम्र में सेक्स संबंध बनाने वाली युवतियां, युवकों के मुकाबले ज्यादा परेशान होती हैं जबकि बड़ी उम्र की युवतियां सेक्स में ऐक्टिव होती हैं, पर उन के साथ धोखे की आशंका कम होती है. फिल्म ‘दृश्यम’ में युवक द्वारा युवती को ब्लैकमेल करने का सीन फिल्म का केंद्रबिंदु है, जिस पर पूरी फिल्म की कहानी बुनी हुई है.

फिल्म में भले ही युवकयुवती एकदूसरे से प्यार नहीं करते पर सहपाठी व हमउम्र जरूर है. यहां बात युवक और युवती के रिलेशनशिप को ले कर हो रही है कि कैसे एक युवक युवती की मजबूरी का फायदा उठाना चाहता है. एमएमएस या अश्लील  वीडियो नैट पर डालने वाली बातें ज्यादातर युवकों का हथियार बन चुकी हैं. युवती को न केवल ब्लैकमेलिंग का डर सताता रहता है बल्कि एक बार संबंध बन जाने पर अनेक मुसीबतों से खुद ही निबटना पड़ता है.

डेट पर जाना पड़ता है भारी

गर्लफ्रैंडबौयफ्रैंड का डेट पर जाना कोई नई बात नहीं, लेकिन उस दौरान पार्टनर के साथ सावधानी बरतने की जरूरत है. डेटिंग के दौरान वे एकदूसरे के बेहद नजदीक आ जाते हैं. केवल मौजमस्ती के लिए बनाया गया संबंध आगे चल कर युवतियों के लिए मुसीबतों का सबब बन जाता है. यदि बिना सावधानी बरते सेक्स करते हैं तो बाद में युवतियों को ही कई तरह के जोखिमों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि युवकों को तो सिर्फ ऐंजौयमैंट से मतलब होता है और वे बाद में इस से युवतियों के समक्ष आने वाली परेशानियों से पल्ला झाड़ लेते हैं. इसलिए सावधानी बरतना जरूरी है.

आइए, जानें क्या हैं वे मुसीबतें

अनचाहे गर्भ का डर

सेक्स के दौरान गर्भनिरोधी उपाय अपनाएं, अन्यथा आप को यह डर जीने नहीं देगा कि कहीं डेट न मिस हो जाए, इस बार गर्भ न ठहरे, अगली बार मैं अवश्य इस दौरान सावधानी बरतूंगी. इस के अलावा आईपिल का प्रैशर डालेंगी. अगर बौयफ्रैंड ने ला कर नहीं दी तो आप तो फंस गई समझो. खुद खरीदने जाएंगी नहीं. डेट मिस होने पर आप ऐबौर्शन किट का प्रयोग करेंगी पर उस को खरीदने में भी आप को कई तरह का गणित लगाना पड़ेगा.

संक्रमण का खतरा

असुरक्षित सेक्स से संक्रमण का खतरा बना रहता है. जल्दबाजी के चक्कर में तमाम युवा असुरक्षित सेक्स करने के आदी हो जाते हैं. उन का बजट इतना नहीं होता कि वे अच्छे होटल में जाएं. सस्ते होटल में जाने से वहां का गंदा टौयलेट, गंदा बिस्तर और तमाम तरह की अन्य चीजों से आप को इन्फैक्शन का खतरा हमेशा बना रहता है. अगर बौयफ्रैंड के घर जा रही हैं और वह अकेला रहता है तो भी आप को गंदगी का सामना करना पड़ेगा और आप चाह कर भी इस गंदगी से अपनेआप को बचा नहीं पाएंगी. असुरक्षित सेक्स से आप को एसटीडी (सैक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज) होने का खतरा भी रहता है.

डिप्रैशन का शिकार

असुरक्षित सेक्स के साथ छिप कर बौयफ्रैंड के साथ कहीं जाने का प्लान हो या फिर परिचितों के मिलने से भेद खुलने का डर, इन सभी बातों से आप का मन कभी शांत नहीं रह पाएगा. इस के साथ ही आप को बारबार लगेगा कि कहीं आप प्रैगनैंट तो नहीं. यह खयाल आप को डिप्रैशन का शिकार भी बना सकता है.

असुरक्षा का डर सताता है

बौयफ्रैंड के साथ रिलेशनशिप जरूरी नहीं कि अच्छी ही हो, हो सकता है वह आप को किसी और के लिए चीट या झूठ बोल रहा हो. यह डर आप के मन में चौबीसों घंटे कौंधता होगा, इसलिए जल्द से जल्द ऐसी रिलेशनशिप से बाहर निकलें या फिर अपने मन का वहम खत्म करें.

कंगाल न हो जाएं आप

यह जरूरी नहीं कि बौयफ्रैंड को ही खर्च करना पड़ता है. समयसमय पर गर्लफ्रैंड बौयफ्रैंड की जेबें भी भरती है. अगर युवती कामकाजी है और युवक बेरोजगार तो वहां भी गर्लफ्रैंड को कई बार अपने बौयफ्रैंड को पैसे देने पड़ेंगे. कुछ बौयफ्रैंड अकसर पौकेटमनी खत्म होने का बहाना बना कर, उधारी की जिंदगी काटना चाहते हैं. ऐसे में तब गर्लफ्रैंड को अपनी पौकेट खाली करनी पड़ जाती है. अगर आप ने गलती से अपने बौयफ्रैंड को हजारों रुपए उधार दिए हैं तो समझो बे्रकअप के बाद वह भी नहीं मिलेंगे. इसलिए सोचसमझ कर ही कदम उठाएं.

पेरैंट्स से झूठ छिपाना पड़ता है भारी

एक झूठ छिपाने के लिए हजार झूठ बोलने पड़ते हैं. पहले तो बौयफ्रैंड के साथ रात बिताने के लिए आप अपने पेरैंट्स से झूठ बोलती हैं कि आज आप और आप की सहेली रात भर पढ़ेंगे इसलिए आप उस के घर जा रही हैं. मान लीजिए, वहां पहुंच कर कुछ अनहोनी हो जाए तो पेरैंट्स से उस बात को छिपाने का फैसला भारी लगने लगता है. साथ ही पेरैंट्स से तमाम तरह के झूठ बोल कर आप हमेशा शर्मिंदगी भी महसूस करेंगी इसलिए अच्छा है कि सच को छिपाएं नहीं.

पलपल होती ब्लैकमेलिंग का शिकार

आप का एमएमएस बन जाने पर आप को पलपल ब्लैकमेलिंग का शिकार होना पड़ सकता है. हो सकता है कि आप का बौयफ्रैंड ऐसा न करे, पर होटल में लगे छिपे कैमरे या कुछ अराजक तत्त्व मिल कर आप को ब्लैकमेल कर पैसा और आप की आबरू दोनों को अपना हथियार बना सकते हैं. इस मुसीबत का सामना करने वाली कुछ युवतियां सुसाइड तक कर लेती हैं या कुछ अपने हक के लिए ताउम्र अपनी लाइफ कानूनी पचड़ों में पड़ कर खराब कर देती हैं. इस से बाहर निकलना बहुत मुश्किल हो जाता है.

सिंगल रहने के फायदे

  • पहरेदारी से आप को छुटकारा मिलेगा. कोई रोकेगाटोकेगा नहीं. आप अपनी लाइफ खुल कर जी सकेंगी.
  • बौयफ्रैंड से देर रात तक चैट या बात करने से छुटकारा मिलता है. आप जब चाहें जागें और जब चाहे सोएं.
  • अपनेआप को जानने का मौका मिलेगा. आप के पास इतना समय होगा कि आप अपने लक्ष्य, अपनी पर्सनैलिटी, कमजोरी व स्टै्रंथ को पहचान पाएंगी. इस से आप को एक नई राह मिलेगी.
  • सिंगल रहने पर आप को कोई झूठ या बहाना नहीं मारना पड़ेगा. इस से आप का आत्मविश्वास भी बढ़ेगा. हिम्मत आएगी और आप का फोकस सिर्फ आप के कैरियर और परिवार पर ही रहेगा.
  • आप हमेशा बिजी नहीं रहेंगे. इस से आप ज्यादा से ज्यादा बाहर जा कर अपने दोस्तों व परिचितों से मिल पाएंगे और सोशल बनेंगे.

सिंगल रहने के वैज्ञानिक तर्क

हैल्दी हार्ट

जनरल औफ मैरिज ऐंड फैमिली 2006 में प्रकाशित एक खबर के अनुसार, ‘‘9 हजार मध्यम आयुवर्ग के वयस्कों पर एक रिसर्च की गई जिस में पाया गया कि कुंआरे लोगों को सब से कम दिल की बीमारियां होती हैं.’’

बौडी फिट तो आप हिट

अमेरिकी जनरल औफ प्रिवैनटेटिव मैडिसन में हुए शोध के मुताबिक 13 हजार पुरुषों और महिलाओं पर जिन की उम्र 18 से 64 वर्ष के बीच है, एक सर्वे हुआ. सर्वे के नतीजों से पता चला कि जिन की शादी नहीं हुई वे अपने काम में फिट रहते हैं और उन की बौडी भी आकर्षक दिखती है.

समझौता नहीं करना पड़ेगा

मनोवैज्ञानिक और ऐजिंग की प्रकाशित 1,649 लोगों पर हुई स्टडी के अनुसार, ‘सिंगल लोगों को कम समझौते करने पड़ते हैं, जिन की वैवाहिक जिंदगी अच्छी नहीं चलती, उन्हें तमाम समझौते करने पड़ते हैं व तनाव से गुजरना पड़ता है और उन की उम्र भी अधिक लगने लगती है.’

बौलीवुड सैलिब्रिटीज की बात

हम अकसर फिल्में देख कर ऐक्टर व ऐक्ट्रैस के स्टाइल को कौपी करते हैं, लेकिन उन की लाइफ को नजरअंदाज कर देते हैं. आइए, जानें वह सिंगल रह कर अपनी लाइफ किस तरह ऐंजौय कर रहे हैं : बौलीवुड स्टार सलमान खान का कहना है, ‘‘मैं सिंगल ही ठीक हूं. डबल रह कर मुझे मुसीबत नहीं लेनी.’’ यह सिंगल रहने वाली बात सलमान खान ने ‘प्रेम रतन धन पायो’ फिल्म के प्रमोशन के दौरान एक इंटरव्यू में कही थी. ऐक्ट्रैस अदिति राव हैदरी ने भी एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि मुझे सिंगल रह कर अपनी लाइफ को ऐंजौय करना ज्यादा पसंद है इसलिए फिलहाल मेरा शादी का कोई प्लान नहीं है. ऐक्ट्रैस बिपाशा बसु का ही उदाहरण लें. अपने सीरियस रिलेशनशिप से बे्रकअप के बाद फिल्मों में जल्द मूवऔन करने की उन की कोशिश भी काबिलेतारीफ है. वे अब अपनी लाइफ को अधिक ऐंजौय कर पा रही हैं. हालांकि अब उन्होंने शादी कर ली है.

अभिनेता रितिक रोशन पत्नी सुजैन से तलाक के बाद सिंगल हैं. वैसे रितिक और सुजैन अब अपनी लाइफ को ज्यादा खुल कर ऐंजौय कर रहे हैं. शायद सिंगल रहने वाली बात दोनों को देर से समझ आई. घुटघुट कर जीने से बेहतर है कि अकेले रहें और अपनी लाइफ को अपने अनुसार चलाएं.

एक रोमांचक अनुभव : साथी को कराएं सतरंगी दुनिया की सैर

सेक्स कुदरत का वह शानदार तोहफा है जिस में आनंद तो है ही, इस से ताउम्र रिश्तों में गरमाहट भी बनी रहती है.

यों तो सेक्स को मजेदार बनाने के कई आसन हैं, मगर फिंगर सेक्स इस प्रकिया को और भी आनंद से भर देता है.

तो फिर आइए, इस पल को मजेदार बनाने के लिए जानें कि फिंगर सेक्स किस तरह दांपत्य जीवन को सुखमय बना सकता है :

हाइजीन का रखें ध्यान : हाथों और उंगलियां हमेशा दूषित पदार्थों और बैक्टीरिया के संपर्क में रहते हैं. फिंगर सेक्स शुरू करने से पहले यह जरूरी है कि हाथ और खासकर उंगलियां साफ और स्वच्छ रहें.

संक्रमण या चोट से बचने के लिए नाखूनों को काट लें व उन्हें साफ रखें.

ध्यान रखें : फिंगर सेक्स शुरू करने से पहले यह जरूरी है कि ड्राइनैस की समस्या न रहे. आमतौर पर यह तभी होता है जब सेक्स पार्टनर इस के लिए तैयार हो. हालांकि उत्तेजना के दौरान साथी पूरी तरह सेक्स के लिए तैयार रहती है और यह समय ही उचित है जब पार्टनर के साथ फिंगर सेक्स का आनंद उठाया जाए. चिकनाई के लिए क्रीम अथवा तेल का प्रयोग भी किया जा सकता है.

यदि आप चरमोत्कर्ष पर जाने का लक्ष्य बना रहे हैं, तो ध्यान दें कि कुछ महिलाएं दूसरों की तुलना में बाद में सुख प्राप्त करती हैं. इसलिए जरूरी होगा कि पार्टनर इस के लिए पूरी तरह तैयार हो.

पार्टनर को क्या पसंद है : फिंगर सेक्स के दौरान पार्टनर से पूछिए कि उसे क्या पसंद है और क्या नहीं? मसलन शरीर के अन्य अंगों पर भी उंगलियों से सहलाना और हलकाहलका चिकोटी काटना पार्टनर को खूब आनंदित करेगा.

आप सेक्स पार्टनर से सलाह भी ले सकते हैं. इस के अलावा, यह एक अच्छा, चिढ़ाने वाला फोरप्ले बनाता है. पार्टनर के अंगों को करीब से देखें और उसे अपने हाथों को सही स्थानों पर निर्देशित करने के लिए कहें.

कैसे करें शुरुआत : फिंगर सेक्स करने से पहले उसे फोरप्ले के साथ शुरू करना सुखद अनुभव से भर देगा.

सेक्स को अधिक सुखद बनाने के लिए एक उपयोगी ट्रिक यह भी है कि आप साथी के नाजुक अंगों और उस के आसपास की जगहों पर उंगलियों से पियानो की तरह बजा सकते हैं. यकीन मानिए, इस से पार्टनर को अच्छा लगेगा और वह पुरूष साथी को प्रोत्साहित करती रहेगी.

जी स्पौट को ढूंढ़ें : जी स्पौट महिला अंग का एक स्पंजी हिस्सा है जो उस के पूर्व भाग पर स्थित होता है या ऊपरी भाग पर. हालांकि उत्तेजित करने का कोई समान्य तरीका नहीं है, और यह प्रति व्यक्ति अलगअलग हो सकता है. बावजूद इस प्रकिया में आप पहले साथी से बातचीत कर लें.

कमरे में प्रकाश का संयोजन : संवेदनशील व नाजुक अंगों को हलकाहलका स्पर्श कर उसे प्रारंभ करने और उसे उस लायक तैयार करने का एक अच्छा तरीका है कि अपनी उंगलियों को लगातार बाहरी भाग पर स्पर्श कराते रहें. यह एक ऐसी प्रकिया है जो पार्टनर को आनंद से भर देगा.

इस दौरान कमरे में प्रकाश का ध्यान रखें. मध्यम और रंगबिरंगी लाइटों में सेक्स प्रकिया शानदार अनुभव देता है.

कैसे करें शुरूआत : इस दौरान तर्जनी और मध्यमा उंगुली का प्रयोग करें. जी स्पौट को उत्तेजित करते हुए धीरेधीरे प्रयोग करना शुरू करें. इस दौरान साथी से पूछें कि उसे कैसा लग रहा है? उस के कहे अनुसार ही इस में आगे बढ़ें.

धीमी शुरुआत करें और बाद में आक्रामकता तभी लाएं जब पार्टनर बोले.

इस दौरान पार्टनर के गरदन पर चुंबन, उस के कान की बालियों, कानाफूसी के दौरान डर्टी टौकिंग, विभिन्न जगहों पर चुंबन आदि पार्टनर को इस प्रकिया में आनंदित महसूस कराएगा.

सेक्स के दौरान मैं बहुत जल्दी ढीला पड़ जाता हूं, मुझे कोई बीमारी तो नहीं है?

सवाल-

मैं 36 साल का हूं. मेरी शादी को 3 साल हो चुके हैं. सेक्स के दौरान मैं बहुत जल्दी ढीला पड़ जाता हूं. क्या मुझे कोई बीमारी तो नहीं है?

जवाब-

आप को कोई बीमारी नहीं है. हर वक्त इस बारे में न सोचें. जब भी सेक्स का मूड बने, तो देर तक फोरप्ले करने के बाद ही सेक्स करें. फोरप्ले का मतलब होता है एकदूसरे को चूमना चाटना और नाजुक अंगों को सहला कर जोश में लाना.

वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाए रखने में सेक्‍स का बहुत अहम स्‍थान होता है. लेकिन, कई जोड़े इसका भरपूर आनंद नहीं उठा पाते. वजह, वे इसे सिर्फ शारीरिक जरूरत भी ही मानते हैं, नतीजतन जल्‍द ही उनकी सेक्‍स लाइफ बोरियत से भर जाती है.

बेहद भागमभाग वाली जिंदगी और काम की थकान भी सेक्‍स से दूरी एक बड़ी वजह बनती जाती है. सेक्‍स के प्रति उदासीनता का असर उनके वैवाहिक रिश्‍तों पर भी पड़ता है. जरूरत होती है सेक्‍स को रोचक और रोमांचक बनाए रखने की जरूरत होती है. और इस रोचकता को बनाए रखने में फोरप्‍ले बहुत महत्त्‍वपूर्ण होता है. फोरप्ले से न सिर्फ सेक्‍स संबंधों में नवीनता आती है, बल्कि रिश्‍ते भी मजबूत बनते हैं.

सेक्स तभी संपूर्ण माना जाता है जब दोनों को पूर्ण आनंद मिले. इसके लिए सबकी बड़ी जरूरत है आपके संबंधों में मधुरता का होना. यहां इस बात का ध्‍यान रखना भी जरूरी है कि आप सेक्‍स को महज शारीरिक जरूरत भर की चीज न समझें, बल्कि इसका भरपूर लुत्‍फ उठाएं. और इस लुत्‍फ के लिए सेक्स से पहले और बाद में फोरप्ले किया जा सकता है. जल्दबाजी या सिर्फ शरीर की जरूरत को पूरा करने के लिए हडबडाहट में कुछ मिनटों बाद मुंह फेरकर सो जाने से आपकी पत्नी या पार्टनर के मन में सेक्स के प्रति अरूचि पैदा हो जाती है.

काम क्रीडा स्त्री और पुरूष दोनों के मन में उत्साह जगाने का काम करती है. फोरप्ले से स्त्री और पुरूष दोनों की कामग्रंथियां खुलकर पूरी तरह से क्रियाशील हो जाती है. यह भी साबित हो चुका है कि पुरुष महिलाओं की अपेक्षा जल्‍दी उत्तेजित हो जाते हैं. महिलाओं को उत्तेजित होने के लिए सही माहौल, समय और कामक्रीडा की जरूरत होती है. स्त्री के उत्तेजित होने के समय को पुरूष अपने फोरप्ले से मेंटेन कर सकता है.

काम क्रीडा या फोरप्ले के जरिए स्‍त्री में काम भावना को बढ़ाया जा सकता है. पुरूष यदि चाहे तो स्त्री को फोरप्ले के माध्यम से ही चरम तक पहुंचा सकता है. औरतों की सेक्स चेतना बेहद गहरी और मानसिक होती है. औरतों चाहती हैं कि सेक्स के बाद भी उसका पार्टनर उसे तब तक जकडे रहे जब तक वह खुद तृप्त न हो जाए. ऐसा करने से स्त्री को अपार चरम सुख व संतुष्टि मिलती है. अत: पुरूष को सेक्स के बाद भी फोरप्ले करना चाहिए. फोरप्ले को अपनी सेक्स लाइफ में शामिल कीजिए और देखिए किस तरह से आपकी पार्टनर पूरी तरह से आपकी हो जाएगी और आपके संबंध मजबूत हो जाएंगे.

मैं शादी के बाद सेक्स को ले कर डरी हुई हूं, क्या महिलाओं में सेक्स संबंधी समस्याएं होती हैं?

सवाल-

मेरी उम्र 21 साल है और जल्द ही शादी होने वाली है. मैं शादी के बाद सेक्स को ले कर डरी हुई हूं. क्या महिलाओं में सेक्स संबंधी समस्याएं होती हैं? क्या इन का उपचार संभव है?

जवाब-

शादी के बाद सेक्स को ले कर आप नाहक डरी हुई हैं. सेक्स संबंध कुदरती प्रक्रिया है. महिलाओं में भी सेक्स समस्याएं हो सकती हैं जैसे सेक्स संबंध के समय योनि में दर्द, चरमसुख का अभाव, उत्तेजना में कमी आदि. मगर पुरुषों की ही तरह महिलाओं की सेक्स समस्याओं का भी निदान संभव है. आप के लिए बेहतर यही है कि इन सब बातों से डरे बगैर खुद को शादी के लिए तैयार करें.

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अधूरी सेक्स नौलेज

प्रेमिका को खुश रखने की युवा हर संभव कोशिश करते हैं, लेकिन जब सेक्स संबंधी समस्या हो तो उसे भी दूर करना होगा. युवा प्रेमियों को लगता है कि सेक्स का अधूरा ज्ञान उन्हें मंझधार में ले जा सकता है. सेक्स संबंधों के दौरान सेक्स क्षमता का बहुत महत्त्व है. सहवास करने की क्षमता ही व्यक्ति को पूर्ण पुरुष के रूप में स्थापित करती है.

कई ऐसे कारण हैं जिन पर हम खुल कर चर्चा नहीं करते न ही उन्हें दूर करने का उपाय खोजते हैं. नतीजतन, सेक्स लाइफ का मजा काफूर हो जाता है. ऐसी  कई समस्याएं हैं जिन्हें दूर कर हम वैवाहिक जिंदगी जी सकते हैं.

झिझक 

सहवास की पूर्ण जानकारी न होना, सेक्स के बारे में झिझक, संबंध बनाने से पहले ही घबराना, यौन दुर्बलता से सेक्स इच्छा की कमी, मानसिकरूप से खुद को सेक्स के प्रति तैयार न कर पाना, शीघ्रपतन, स्वप्नदोष, मोबाइल सेक्स आदि समस्याओं से युवावर्ग पीडित है. सेक्स में मंझधार में न रहें, समस्याओं को समझें व इन्हें दूर करें और सेक्स का भरपूर आनंद उठाएं.

सेक्स इच्छा में मानसिक कारणों को दूर करें

आज की भागदौड़भरी जिंदगी में धनपदयश पाने की उलझन में फंसे युवा एक खास मुकाम तक पहुंचने के चक्कर में सहवास के बारे में अंत में सोचते हैं. वे इस तनाव से ऐसे ग्रस्त हो गए हैं कि उन का वैवाहिक जीवन इस से प्रभावित हुआ है.

सेक्स में डरें नहीं

डर यौनसुख को सब से ज्यादा प्रभावित करता है. इस की वजह से शीघ्र स्खलित होना, कोई देख लेगा, कमरे के बाहर आवाज सुनाई देने का डर, पार्टनर द्वारा उपहास, गर्भ ठहरने का खतरा आदि युवाओं की यौनक्षमता पर प्रश्नचिह्न लगा देते हैं. युवावस्था में यौन इच्छा चरम पर होती है इसलिए सेक्स संबंध जल्दीजल्दी बना लेते हैं, लेकिन धीरेधीरे समय में ठहराव कम हो जाता है, क्योंकि विवाह से पहले प्रेमिका से संबंध बनाना उसे अपराधबोध लगता है और वह शीघ्र स्खलित हो जाता है. इन सभी बातों को नजरअंदाज करते हुए सेक्स संबंध बनाएं.

मोबाइल सेक्स

इंटरनैट के परिवेश में आज का युवा मोबाइल पर सैक्सी फिल्में देखता है और खुद को भी सेक्स में लिप्त कर लेता है. यही कारण है कि वह वास्तविक जीवन में सेक्स का भरपूर आनंद नहीं उठा पाता.

स्वयं पर विश्वास करें

कुछ युवा स्वस्थ होते हुए भी सेक्स के प्रति आत्मविश्वासी नहीं होते. सहवास के दौरान वे धैर्य खो बैठते हैं. ऐसे युवाओं में कोई कुंठा छिपी होती है, जो उन्हें पूर्ण सेक्स करने से रोकती है. खुद पर विश्वास रखें, अन्यथा किसी अच्छे सैक्सोलौजिस्ट एवं मनोचिकित्सक को दिखाएं.

यौनांग पर चोट

किसी ऐक्सिडैंट या अत्यंत तेजी से शारीरिक संबंध बनाते हुए या कष्टप्रद आसनों से यौनांग को चोट पहुंचती है. इस से युवती का सेक्स से मन हटने लगता है. अत: यौनांग पर चोट न पहुंचे, ऐसा प्रयास करें.

शारीरिक कारण

आज युवाओं का सेक्स में सफल न हो पाना दवाओं का दुष्प्रभाव है. बीटा रिसेप्टार्स, प्रोपेनोलोल, मिथाइल डोपा, सिमेटिडिन आदि दवाएं सेक्स इच्छा में कमी लाती हैं. खुद को बीमारी से दूर रखने का प्रयास करें. यौनांग में कसावट होने (फिमोसिस) के फलस्वरूप दर्द, जलन होना, तनाव व स्खलन के कारण सहवास में कमी आ जाती है. अत: शल्यक्रिया द्वारा इसे दूर किया जा सकता है.

गुप्तांग में तनाव न आना

सहवास के दौरान तनाव न आना और यदि  तनाव आता भी है तो कम समय के लिए आता है. युवावस्था में ऐसा होने के कई कारण हैं, जैसे मातापिता का व्यवहार व मानसिक तनाव सेक्स क्रिया में असफलता की मुख्य वजह है.

सीमेन की मात्रा कम होना

कई बार स्खलन का समय सामान्य होता है, लेकिन सीमेन काफी कम मात्रा में निकलने से सेक्स के दौरान पूर्णआनंद नहीं आता. युवा यदि इस समस्या से पीडि़त हों तो चरमोत्कर्ष तक नहीं पहुंच पाते. ऐसे में सैक्सोलौजिस्ट से मिलें. मानसिक रूप से खुद को तैयार कर के सहवास करें, समस्या अवश्य दूर होगी.

इजाक्युलेशन

जब युवा अपने पार्टनर को संतुष्ट किए बिना ही स्खलित हो जाते हैं तो इसे इजाक्यूलेशन कहा जाता है. सैक्सुअल संबंधों के दौरान ऐसा होने से वैवाहिक जीवन में कड़वाहट आती है.

प्रीमैच्योर इजाक्युलेशन

युवाओं में सेक्स में और्गेज्म की अनुभूति इजाक्युलेशन से पूरी होती है. सहवास शुरू करने के 30 सैकंड से 1 मिनट पहले स्खलित होने पर उसे प्रीमैच्योर इजाक्युलेशन कहते हैं. गुप्तांग की कठोरता खत्म हो जाती है और इस वजह से पार्टनर की इच्छा पूरी नहीं हो पाती है. यह वास्तव में समस्या नहीं बल्कि चिंता, संतुष्ट न कर पाने का डर, मानसिक अशांति, मानसिक तनाव, डायबिटीज या यूरोलौजिकल डिसऔर्डर के कारण होता है. इस के लिए ऐंटीडिप्रैंसेट दवाओं का सेवन डाक्टर की सलाह ले कर करें.

ड्राइ इजाक्युलेशन

इस में पुरुषों की ब्लैडर मसल्स ठीक से काम नहीं करतीं, जिस कारण सीमेन बाहर नहीं निकल पाता. इस से फर्टिलिटी प्रभावित होती है, लेकिन आर्गेज्म या सेक्स संतुष्टि पर कोई असर नहीं पड़ता.

पौष्टिक आहार व पर्याप्त नींद लें

संतुलित व पर्याप्त पौष्टिक भोजन के अभाव में शरीर परिपुष्ट नहीं हो पाता. ऐसे में सीमेन का पतलापन और इजाक्युलेशन जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है. पर्याप्त नींद और भोजन से शरीर में सेक्स हारमोन का स्तर काफी बढ़ जाता है, जो सफल सहवास के लिए जरूरी है.

तनाव से दूर रहें

तनाव के दौरान कभी भी सेक्स संबंध न बनाएं. तनाव सेक्स प्रक्रिया को पूरी तरह प्रभावित करता है और इंसान को कई बीमारियों से ग्रसित कर देता है. मुंबई की मशहूर मनोचिकित्सक डा. यदुवीर पावसकर का मानना है कि युवाओं के एक बहुत बडे़ वर्ग, जिसे तनाव ने अपने घेरे में ले लिया है, को सेक्स से अरुचि होने लगी है. इस का मुख्य कारण भागदौड़ भरी दिनचर्या है.

फोरप्ले को समझें

शारीरिक संबंध बनाने से पहले पूर्ण शारीरिक स्पर्श, मुखस्पर्श, नख, दंत क्रीड़ा करने के बाद ही सहवास शुरू करें. सेक्स प्रक्रिया का पहला चरण फोरप्ले है. बिना फोरप्ले युवकों को उतनी समस्या नहीं आती लेकिन ज्यादा नोचनेखसोटने से युवती को पीड़ा हो सकती है. उस का सहवास से मन हट सकता है. इसलिए शारीरिक संबंध बनाते समय पार्टनर की भावनाओं की भी कद्र करें और अगर उसे इस दौरान दर्द हो रहा है तो अपने ऐक्शंस पर थोड़ा कंट्रोल करें.

सेक्स ऐंजौय करने के कुछ उपाय

–       पूरी नींद लें.

–       पौष्टिक आहार लें.

–       नियमित व्यायाम करें.

–       शराब या तंबाकू का सेवन न करें.

–       नियमित रूप से हैल्थ चैकअप करवाएं.

–       साल में 1-2 बार किसी हिल स्टेशन पर जाएं.

–       शारीरिक संबंध तभी बनाएं जब पार्टनर भी तैयार हो.

मैं 12वीं क्लास में हूं और मेरी गर्लफ्रेंड 11वीं में, मैं उसे छोड़कर नहीं जाना चाहता हूं क्या करूं?

सवाल….

मैं 12वीं कक्षा में पढ़ता हूं. मेरी गर्लफ्रैंड 11वीं कक्षा में है. हम एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं. मैं उसे छोड़ कर इस स्कूल से नहीं निकलना चाहता. मैं यदि 12वीं में फेल हो जाऊं तो यह संभव है, पर मुझे समझ नहीं आ रहा कि ऐसा करना सही होगा या नहीं?

जवाब…

इस उम्र में लड़का-लड़की सिर्फ अपनी दुनिया में खोए होते हैं. जैसे ही हकीकत की जमीन पर आते हैं तो गुब्बारे की हवा की तरह उन का प्यार भी फुस हो जाता है. फेल होने जैसी बेवकूफी न करें. यह समय अपने भविष्य को संवारने का है, प्रेम संबंधों में पड़ कर अपने जीवन के कीमती समय को व्यर्थ करने का नहीं. आप के मातापिता को आप से बहुत उम्मीदें हैं. आप के पास पछताने के सिवा कुछ नहीं बचेगा.

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सवाल…

मेरी उम्र 23 साल है और मैं एक 30 साल की विधवा से प्यार करता हूं. क्या हमारी शादी हो सकती है?

जवाब….

शादी तो हो सकती है पर 7 साल बड़ी एक विधवा. शादी कर के उसे निभा पाना आसान बात नहीं है. अगर आप की आमदनी ठीकठाक? है और आप समाज का मुकाबला कर सकते हैं तो ही शादी करें. शादी से पहले कुछ दिन साथ रह कर देख लें कि आप का प्यार सिर्फ बातों का ही तो नहीं है. वैसे, अब जब जीवन 60-70 साल तक आराम से चलता है, तब 7 साल का फर्क ज्यादा नहीं है.

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