फोन बना दोधारी तलवार

पूनम का मूड सुबह से ही ठीक नहीं था. बच्चों को स्कूल भेजने का भी उस का मन नहीं हो रहा था. पर बच्चों को स्कूल भेजना जरूरी था, इसलिए किसी तरह उस ने बच्चों को तैयार कर के स्कूल भेज दिया. पूनम के चेहरे पर एक अजीब सा खौफ था. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपनी परेशानी किस से कहे. वह सिर पकड़ कर सोफे पर बैठ गई. पूनम का मूड खराब देख कर उस के पति विनय ने हंसते हुए पूछा, ‘‘डार्लिंग, तुम कुछ परेशान सी लग रही हो. आखिर बात क्या है?’’

पूनम ने पलकें उठा कर पति को देखा. फिर उस की आंखों से आंसू बहने लगे. वह फूटफूट कर इस तरह रोने लगी, जैसे गहरे सदमे में हो.

विनय ने करीब आ कर उसे सीने से लगा लिया और उस के आंसुओं को पोंछते हुए कहा, ‘‘क्या हुआ पूनम, तुम मुझ से नाराज हो क्या? क्या तुम्हें मेरी कोई बात बुरी लग गई?’’

‘‘नहीं,’’ पूनम सुबकते हुए बोली.

‘‘तो फिर क्या बात है, जो तुम इस तरह रो रही हो?’’ विनय ने हमदर्दी दिखाई.

पति का प्यार मिलते ही पूनम ने मोबाइल की ओर इशारा कर के सुबकते हुए बोली, ‘‘मेरी परेशानी का कारण यह मोबाइल है.’’

विनय ने हैरत से एक नजर मेज पर रखे मोबाइल फोन पर डाली, उस के बाद पत्नी से मुखातिब हुआ, ‘‘मैं समझा नहीं, इस मोबाइल से तुम्हारी परेशानी का क्या संबंध है? साफसाफ बताओ, तुम कहना क्या चाहती हो?’’

पूनम मेज से मोबाइल उठा कर पति के हाथ में देते हुए बोली, ‘‘आप खुद ही देख लो. इस के मैसेज बौक्स में क्या लिखा है?’’

विनय की उत्सुकता बढ़ गई. उस ने फटाफट फोन के मैसेज का इनबौक्स खोल कर देखा. जैसे ही उस ने मैसेज पढ़ा, उस के चेहरे पर एक साथ कई रंग आएगए.

मैसेज में लिखा था, ‘मेरी जान, तुम ने मुझे अपने रूप का दीवाना बना दिया है. मैं ने जब से तुम्हें देखा है, चैन से जी नहीं पा रहा हूं. मैं तुम्हें जब भी विनय के साथ देखता हूं, मेरा खून खौल जाता है. आखिर तुम उस के साथ जिंदगी कैसे गुजार रही हो. मैं ने जिस दिन से तुम्हें देखा है, मेरी आंखों से नींद उड़ चुकी है.’

मैसेज पढ़ कर विनय को गुस्सा आ गया. फोन को मेज पर रख कर उस ने पत्नी से कहा, ‘‘ये सब क्या है?’’

‘‘मैं कुछ नहीं जानती.’’ पूनम दबी जुबान से बोली.

विनय कुछ देर सोचता रहा, फिर उस ने पत्नी की आंखें में झांका. उसे लगा कि पत्नी सच बोल रही है, क्योंकि अगर वह उस के साथ गेम खेल रही होती तो इस तरह परेशानी और रुआंसी नहीं होती. उसे लगा कि वाकई कोई उस की पत्नी को परेशान कर रहा है.

उत्तर प्रदेश के कानपुर महानगर के कल्याणपुर थाने का एक मोहल्ला है शारदानगर. इसी मोहल्ले के इंद्रपुरी में विनय झा अपने परिवार के साथ रहता था. उस का अपना आलीशान मकान था, जिस में सभी भौतिक सुखसुविधाएं थीं. उस का हौजरी का व्यवसाय था. इस से उसे अच्छीखासी आमदनी होती थी, जिस से उस की आर्थिक स्थिति काफी मजबूत थी.

विनय झा इस से पहले अपने भाइयों के साथ दर्शनपुरवा में रहता था. वहां उस का अपना छोटा सा कारखाना था. उस का परिवार काफी दबंग किस्म का था. दबंगई से ही इन लोगों ने पैसा कमाया और फिर उसी पैसे से हौजरी का काम शुरू किया. व्यवसाय अच्छा चलने लगा तो विनय ने इंद्रपुरी में मकान बनवा लिया.

पूनम से विनय की शादी कुछ साल पहले हुई थी. पूनम बेहद खूबसूरत थी. पहली ही नजर में विनय उस का दीवाना हो गया था. उस की दीवानगी पूनम को भी भा गई. दोनों की पसंद के बाद उन की शादी हो गई. दोनों ही अपने गृहस्थ जीवन में खुश थे. 8 साल के अंतराल में पूनम 2 बच्चों की मां बन गई.

ससुराल में सभी भौतिक सुखसुविधाएं थीं. उसे किसी भी चीज की कमी नहीं थी. पति भी चाहने वाला मिला था. सब कुछ ठीक चल रहा था कि अचानक पूनम को अश्लील मैसेज तथा प्रेमप्रदर्शन वाले फोन आने लगे. पूनम पति का गुस्सा जानती थी, अत: पहले तो उस ने पति को कुछ नहीं बताया, पर जब अति हो गई तो मजबूरी में बताना पड़ा.

विनय झा ने जब पत्नी के फोन में आए हुए मैसेज पढ़े तो उस की आंखों में खून उतर आया. जिस फोन नंबर से मैसेज आए थे, विनय ने उस नंबर पर काल की तो फोन रिसीव नहीं किया गया. इस पर विनय गुस्से में बड़बड़ाया, ‘‘कमीने…तू एक बार सामने आ जा. अगर तुझे जिंदा दफन न कर दिया तो मेरा नाम विनय नहीं.’’

गुस्से में कांपते विनय ने पूनम से पूछा, ‘‘क्या वह तुम्हें फोन भी करता है?’’

‘‘हां,’’ पूनम ने सिर हिलाया.

‘‘क्या कहता है?’’

‘‘नाजायज संबंध बनाने को कहता है. अब कैसे बताऊं आप को, इस ने तो मेरी जान ही सुखा दी है. लो, आप दूसरे मैसेज भी पढ़ लो. इन से पता चल जाएगा कि उस की मानसिकता क्या है.’’

‘‘अच्छा, यह बताओ कि वह तुम्हें फोन कब करता है या मैसेज कब भेजता है?’’ विनय ने पूछा.

‘‘जब आप घर पर नहीं होते, तभी उस के फोन आते हैं. जब आप घर पर होते हो तो न फोन आता है न मैसेज.’’ वह बोली.

‘‘इस का मतलब यह हुआ कि वह मुझ पर निगाह रखता है. उसे मेरे घर जानेआने का वक्त भी मालूम है.’’ कहते हुए विनय ने मैसेज बौक्स खोल कर दूसरे मैसेज भी पढ़े. एक मैसेज तो बहुत जुनूनी था, ‘‘तुम मुझ से क्यों नहीं मिलतीं? रात को सपने में तो खूब आती हो. अपने गोरे बदन को मेरे बदन से सटा कर प्यार करती हो. आह जान, तुम कितनी प्यारी हो. एक बार मुझ से साक्षात मिल कर मेरी जन्मों की… नहीं तो समझ लेना मैं तुम्हारी चौखट पर आ कर जान दे दूंगा. अभी तो मैं इसलिए चुप हूं कि तुम्हें रुसवा नहीं करना चाहता.’’

मैसेज पढ़ कर विनय की मुट्ठियां भिंच गईं, ‘‘कमीने, तेरी प्यास तो मैं बुझाऊंगा. तू जान क्या देगा, मैं ही तेरी जान ले लूंगा.’’

पति का रूप देख कर पूनम का कलेजा कांप उठा. उसे लगा कि उस ने पति को बता कर कहीं गलती तो नहीं कर दी. विनय ने डरीसहमी पत्नी को मोबाइल देते हुए समझाया, ‘‘अब जब उस का फोन आए तो उस से बात करना. मीठीमीठी बातें कर के उस का नाम व पता हासिल कर लेना. इस के बाद मैं उस के सिर से प्यार का भूत उतार दूंगा.’’

पति की बात पर सहमति जताते हुए पूनम ने हामी भर दी.

एक दिन विनय जैसे ही घर से निकला, पूनम के मोबाइल पर उस का फोन आ गया. पूनम के हैलो कहते ही वह बोला, ‘‘पूनम, तुम मुझे भूल गई, लेकिन मैं तुम्हें नहीं भूला और न भूलूंगा. याद है, हम दोनों की पहली मुलाकात कब और कहां हुई थी?’’

पूनम अपने दिमाग पर जोर डाल कर कुछ याद करने की कोशिश करने लगी. तभी उस ने कहा, ‘‘2 साल पहले, जब मैं तुम्हारे घर फर्नीचर बनाने आया था. याद है, उस समय मैं तुम्हारे इर्दगिर्द रहा करता था. तुम्हारी खूबसूरती को निहारता रहता था. तुम इतरातीइठलाती होंठों पर मुसकान बिखेरती इधर से उधर निकल जाती थी और मैं तड़पता रह जाता था.’’

‘‘अच्छा, तब से तुम मेरे दीवाने हो. पागल, तब प्यार का इजहार क्यों नहीं किया? अच्छा, तुम्हारा नाम मुझे याद नहीं आ रहा, अपने बारे में थोड़ा बताओ न.’’ पूनम खिलखिला कर हंसी.

‘‘हाय मेरी जान, तुम हंसती हो तो मेरे दिल में घंटियां सी बज उठती हैं. सो स्वीट यू आर.’’ उधर से रोमांटिक स्वर में कहा गया, ‘‘मैं तुम्हारा दीवाना विजय यादव बोल रहा हूं.’’

विजय यादव का नाम सुनते ही पूनम चौंकी. अब उसे उस की शक्लसूरत भी याद आ गई. इस के बाद पूनम ने उसे समझाया, ‘‘देखो विजय, अब बहुत हो गया. मैं किसी की पत्नी हूं, तुम्हें ऐसे मैसेज भेजते हुए शर्म आनी चाहिए. मैं कह देती हूं कि आइंदा मुझे न फोन करना और न मैसेज करना, वरना अंजाम अच्छा नहीं होगा.’’

पूनम ने फोन काटा ही था कि उस का पति विनय आ गया. उस ने पूछा, ‘‘किस का फोन था?’’

‘‘उसी का जो फोन करता है और अश्लील मैसेज भेजता है. आज मैं ने जान लिया कि वह कौन है.’’ पूनम ने विनय को बताया, ‘‘विजय यादव जो अपने यहां फर्नीचर बनाने आया था, वही यह सब कर रहा है. वैसे मैं ने उसे ठीक से समझा दिया है, शायद अब वह ऐसी हरकत न करे.’’

विजय यादव उर्फ इंद्रबहादुर यादव के पिता रामकरन यादव रावतपुर क्षेत्र के केशवनगर में रहते थे. रामकरन फील्डगन फैक्ट्री में काम करते थे. उन के 3 बेटों में इंद्रबहादुर मंझला था. वह बजरंग दल का नेता था और प्रौपर्टी तथा फर्नीचर का व्यवसाय करता था. ब्रह्मदेव चौराहा पर उस की फर्नीचर की दुकान थी. दुकान पर करीब आधा दर्जन से ज्यादा कारीगर काम करते थे.

इंद्रबहादुर आर्थिक रूप से संपन्न होने के साथ दबंग भी था. उस के परिवार में पत्नी के अलावा 2 बेटियां थीं. वह बजरंग दल का जिला संयोजक था. उस की एक बड़ी खराब आदत थी उस का अय्याश होना. घर में खूबसूरत बीवी होने के बावजूद वह इधरउधर मुंह मारता रहता था.

करीब 2 साल पहले इंद्रबहादुर इंद्रपुरी मेंविनय झा के घर फर्नीचर बनाने आया था. उस समय जब उस ने खूबसूरत पूनम को देखा तो वह उस पर मर मिटा. उस ने उसी समय उसे अपने दिल में बसा लिया. उस के बाद वह किसी न किसी बहाने उस के आगेपीछे मंडराने लगा. किसी बहाने से उस ने पूनम का फोन नंबर ले लिया. फिर वह उसे फोन करने लगा और अश्लील मैसेज भेजने लगा.

पूनम के समझाने के बाद वाकई कुछ दिनों तक इंद्रबहादुर ने उसे न तो फोन किया और न ही मैसेज भेजे. इस से पूनम को तसल्ली हुई. पर 15-20 दिनों बाद उस की यह खुशी परेशानी में बदल गई. वह फिर से उसे फोन करने लगा.

एक रोज तो विजय ने हद कर दी. उस ने फोन पर पूनम से कहा कि अब उस से रहा नहीं जाता. उस की तड़प बढ़ती जा रही है. वह उस से मिल कर अपने अरमान पूरे करना चाहता है. गुरुदेव चौराहा आ कर मिलो. उस ने यह भी कहा कि अगर वह नहीं आई तो वह खुद उस के घर आ जाएगा.

इंद्रबहादुर की धमकी से पूनम डर गई. वह नहीं चाहती थी कि वह उस के घर आए. क्योंकि वह पति व परिवार के अन्य सदस्यों की निगाहों में गिरना नहीं चाहती थी. इसलिए वह उस से मिलने गुरुदेव चौराहे पर पहुंच गई. वहां वह उस का इंतजार कर रहा था. पूनम ने उस से घरपरिवार की इज्जत की भीख मांगी, लेकिन वह नहीं पसीजा. वह एकांत में मिलने का दबाव बनाता रहा.

इस के बाद तो यह सिलसिला ही बन गया. इंद्रबहादुर जब बुलाता, पूनम डर के मारे उस से मिलने पहुंच जाती. इस मुलाकात की पति व परिवार के किसी अन्य सदस्य को भनक तक न लगती. एक दिन तो इंद्रबहादुर ने पूनम को जहरीला पदार्थ देते हुए कहा, ‘‘मेरी जान, तुम इसे अपने पति को खाने की किसी चीज में मिला कर खिला देना. कांटा निकल जाने पर हम दोनों मौज से रहेंगे.’’

पूनम जहरीला पदार्थ ले कर घर आ गई. उस ने उस जहर को पति को तो नहीं दिया, लेकिन खुद उस का कुछ अंश दूध में मिला कर पी गई. जहर ने असर दिखाना शुरू किया तो वह तड़पने लगी. विनय उसे तुरंत अस्पताल ले गया, जिस से पूनम की जान बच गई. विनय ने पूनम से जहर खाने की बाबत पूछा तो उस ने सारी सच्चाई बता दी.

इस के बाद पूनम को ले कर इंद्रबहादुर और विनय में झगड़ा होने लगा. दोनों एकदूसरे को देख लेने की धमकी देने लगे. इसी झगड़े में एक दिन आमनासामना होने पर इंद्रबहादुर ने छपेड़ा पुलिया पर विनय के पैर में गोली मार दी. विनय जख्मी हो कर गिर पड़ा. उसे अस्पताल ले जाया गया. वहां किसी तरह विनय की जान बच गई.

विनय ने थाना कल्याणपुर में इंद्रबहादुर के खिलाफ भादंवि की धारा 307 के तहत रिपोर्ट दर्ज करा दी. विनय ने घटना के पीछे की असली बात को छिपा लिया. उस ने लेनदेन तथा महिला कर्मचारी को छेड़ने का मामला बताया. पुलिस ने भी अपनी विवेचना में पूनम का जिक्र नहीं किया. पुलिस ने इंद्रबहादुर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.

लगभग 10 महीने तक इंद्रबहादुर जेल में रहा. इस के बाद 9 अक्तूबर, 2017 को वह कानपुर जेल से जमानत पर रिहा हुआ. जेल से बाहर आने के बाद वह फिर पूनम से मिलने की कोशिश करने लगा. लेकिन इस बार पूनम की ससुराल वाले सतर्क थे. उन्होंने पूनम का मोबाइल फोन बंद करा दिया था और घर पर कड़ी निगरानी रख रहे थे.

काफी मशक्कत के बाद भी जब वह पूनम तक नहीं पहुंच पाया, तब उस ने एक षडयंत्र रचा.

षडयंत्र के तहत उस ने एक लड़की को सेल्सगर्ल बना कर विनय के घर भेजा और उस के जरिए पूनम को अपने नाम से लिया गया सिमकार्ड और मोबाइल फोन भिजवा दिया. पूनम के पास फोन पहुंचा तो विजय एक बार फिर पूनम के संपर्क में आ गया.

अब वह दिन में कईकई बार पूनम को फोन करने लगा. दोनों के बीच घंटों बातचीत होने लगी. बातचीत में विजय पूनम से एकांत में मिलने की बात कहता था. पूनम ने उसे उस की शादीशुदा जिंदगी और परिवार की इज्जत का हवाला दिया तो वह पूनम को बरगलाने की कोशिश करने लगा.

उस ने पूनम को समझाया कि वह अपने पति विनय की कार में चरस, स्मैक और तमंचा रख दे. यह सब चीजें वह उसे मुहैया करा देगा. इस के बाद वह पुलिस को फोन कर के विनय को पकड़वा देगा. विनय के जेल जाने के बाद दोनों आराम से साथ रहेंगे.

पूनम ने इंद्रबहादुर द्वारा फोन देने तथा बातचीत करने की जानकारी पति विनय को नहीं दी थी. दरअसल पूनम डर रही थी कि पति को बताने से वह भड़क जाएगा और उस से झगड़ा करेगा. इस झगड़े और मारपीट में कहीं उस के पति की जान न चली जाए. क्योंकि इंद्रबहादुर गोली मार कर विनय को पहले भी ट्रेलर दिखा चुका है.

इधर पति का साथ छोड़ने और अवैध संबंध बनाने की बात जब पूनम ने नहीं मानी तो इंद्रबहादुर ने एक और षडयंत्र रचा. उस ने पूनम को बदनाम करने के लिए रिचा झा और राधे झा नाम की फरजी आईडी से फेसबुक एकाउंट बना लिया. इस के बाद इंद्रबहादुर उर्फ विजय यादव ने पूनम के साथ अपनी अश्लील फोटो फेसबुक पर अपलोड कर इस की जानकारी उस के पति विनय, परिवार के अन्य लोगों तथा रिश्तेदारों को दे दी, ताकि वह बदनाम हो जाए.

विनय झा ने जब पूनम के साथ इंद्रबहादुर की अश्लील फोटो फेसबुक पर देखी तो उस का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा. उस ने पूनम से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने सारी सच्चाई विनय को बता दी.

सच्चाई जानने के बाद विनय ने इस गंभीर समस्या पर अपने बड़े भाई विनोद झा और भतीजे सत्यम उर्फ विक्की से बात की. विनोद व सत्यम भी फेसबुक पर पूनम अश्लील फोटो देख चुके थे. वे दोनों भी इस समस्या का निदान चाहते थे.

गहन मंथन के बाद पूनम, विनय, विनोद तथा सत्यम उर्फ विक्की ने इंद्रबहादुर उर्फ विजय यादव की हत्या की योजना बनाई. हत्या की योजना में विनय ने अपने मामा के साले के लड़के अनुपम को भी शामिल कर लिया.

अनुपम गाजियाबाद का रहने वाला था. उस का आपराधिक रिकौर्ड था. वह पूर्वांचल के एक बड़े माफिया के संपर्क में भी रहा था. इस के बाद अनुपम ने पूनम, विनय, विनोद व सत्यम उर्फ विक्की के साथ विजय की हत्या की अंतिम रूपरेखा तैयार की और हत्या के लिए एक चापड़ खरीद कर रख लिया. इस के बाद अनुपम वापस गाजियाबाद चला गया.

24 सितंबर, 2017 को अनुपम अपने एक अन्य साथी के साथ कानपुर आया और विनय झा के घर पर रुका. उस ने इंद्रबहादुर की हत्या के संबंध में एक बार फिर पूनम, विनोद व सत्यम उर्फ विक्की से विचारविमर्श किया. इस के बाद वह उन के साथ वह जगह देखने गया, जहां इंद्रबहादुर उर्फ विजय यादव को षडयंत्र के तहत बुलाना था.

शाम पौने 6 बजे पूनम झा ने योजना के तहत इंद्रबहादुर को फोन किया. उस ने उसी मोबाइल से बात की, जो उस ने पूनम को भिजवाया था.

फोन पर पूनम ने उस से कहा कि वह पति विनय को फंसा कर जेल भिजवा कर उस के साथ रहने को तैयार है, लेकिन इस से पहले वह उस की सारी योजना समझना चाहती है, इसलिए वह उस से मिलने अरमापुर थाने के पीछे मजार के पास आ जाए. चरस, स्मैक व असलहा भी साथ ले आए, ताकि मौका देख कर वह उस सामान को पति की गाड़ी में रख सके.

पूनम की बातों में फंस कर इंद्रबहादुर उर्फ विजय यादव अपनी बोलेरो गाड़ी से अरमापुर थाने के पीछे पहुंच गया. यह सुनसान इलाका है. वहां पूनम व उस का पति तथा अन्य साथी पहले से मौजूद थे.

इंद्रबहादुर पूनम से बात करने लगा. उसी समय अनुपम ने रेंच से विजय के सिर पर पीछे से वार कर दिया. विजय लड़खड़ा कर जमीन पर गिरा तो पूनम के पति विनय झा, जेठ विनोद झा, भतीजे सत्यम उर्फ विक्की तथा अनुपम ने उसे दबोच लिया.

उसी समय पूनम विजय की छाती पर सवार हो गई और बोली, ‘‘कमीने, तूने मेरी और मेरे परिवार की इज्जत नीलाम कर बदनाम किया है. आज तुझे तेरे पापों की सजा दे कर रहूंगी.’’ कहते हुए पूनम ने चापड़ से विजय की गरदन पर वार कर दिया.

गरदन पर गहरा घाव बना और खून बहने लगा. इस के बाद विनय ने चापड़ से कई वार किए. इस के बाद वे सब उसे मरा समझ कर वहां से भाग निकले. चापड़ उन्होंने पास की झाड़ी में छिपा दिया.

इंद्रबहादुर गंभीर घायलावस्था में पड़ा कराह रहा था. कुछ समय बाद उधर से एक राहगीर निकला तो इंद्रबहादुर ने आवाज दे कर उसे रोक लिया. उस ने राहगीर को अपने बड़े भाई वीरबहादुर यादव का नंबर दे कर कहा कि वह फोन कर के उसे उस के घायल होने की सूचना दे दे. उस राहगीर ने वीरबहादुर को सूचना दे दी.

सूचना पाते ही वीरबहादुर अपने साथियों के साथ वहां पहुंच गया. गंभीर रूप से घायल इंद्रबहादुर ने अपने बड़े भाई को बता दिया कि उस की यह हालत पूनम झा, उस के पति विनोद, भतीजे सत्यम उर्फ विक्की तथा रिश्तेदार अनुपम व उस के साथी ने की है. यह बता कर विजय बेहोश हो गया. वीरबहादुर ने भाई विजय यादव के बयान की मोबाइल पर वीडियो बना ली थी.

वीरबहादुर अपने घायल भाई इंद्रबहादुर को साथियों के साथ हैलट अस्पताल ले गया. पर उस की हालत गंभीर बनी हुई थी, इसलिए उसे वहां से रीजेंसी अस्पताल भेज दिया गया, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. बजरंग दल के नेता इंद्रबहादुर की हत्या की खबर फैली तो हड़कंप मच गया.

उस के सैकड़ों समर्थक अस्पताल पहुंच गए. एसएसपी अखिलेश कुमार मीणा को खबर लगी तो वह भी रीजेंसी अस्पताल पहुंच गए. उन्होंने मृतक के परिजनों व समर्थकों को आश्वासन दिया कि हत्यारों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा.

मीणा ने अरमापुर थानाप्रभारी समीर गुप्ता को आदेश दिया कि वह शव को पोस्टमार्टम हाउस भिजवाएं तथा रिपोर्ट दर्ज कर अभियुक्तों के खिलाफ सख्त काररवाई करें. मीणा ने घटनास्थल का भी निरीक्षण किया और पोस्टमार्टम हाउस व अस्पताल के बाहर भारी पुलिस फोर्स भी तैनात कर दिया.

एसएसपी अखिलेश कुमार मीणा का आदेश पाते ही अरमापुर थानाप्रभारी समीर गुप्ता ने मृतक विजय यादव के भाई वीरबहादुर यादव से घटना के संबंध में बात की. उस ने भाई के मरने से पहले रिकौर्ड किया वीडियो उन्हें सौंप दिया.

वीरबहादुर की तहरीर पर पुलिस ने भादंवि की धारा 302 के तहत पूनम झा, उस के पति विनय, जेठ विनोद झा, भतीजे सत्यम उर्फ विक्की, रिश्तेदार अनुपम तथा उस के साथी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली.

चूंकि हत्या का यह मामला हाईप्रोफाइल था, इसलिए नामजद अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए एसएसपी ने एक पुलिस टीम का गठन किया, जिस में अरमापुर थानाप्रभारी समीर गुप्ता, क्राइम ब्रांच के इंसपेक्टर मनोज मिश्रा, क्राइम ब्रांच प्रभारी विनोद मिश्रा, सर्विलांस सेल प्रभारी देवी सिंह, कांस्टेबल चंदन कुमार गौड़, देवेंद्र कुमार, भूपेंद्र कुमार, धर्मेंद्र, ललित, राहुल कुमार तथा महिला कांस्टेबल पूजा को शामिल किया गया.

पुलिस टीम ने ताबड़तोड़ छापे मार कर 25 नवंबर की दोपहर पूनम झा, उस के पति विनय झा, जेठ विनोद झा तथा भतीजे सत्यम उर्फ विक्की को गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर उन से पूछताछ की गई.

प्रारंभिक पूछताछ में आरोपी खुद को बेकसूर बताते रहे, लेकिन जब पुलिस ने पूनम झा के मोबाइल की काल डिटेल्स खंगाली तो उस में इंद्रबहादुर से घंटों बातचीत होने और घटना से पहले भी इंद्रबहादुर से बातचीत होने का रिकौर्ड सामने आ गया.

इस के बाद सख्ती करने पर सभी आरोपी टूट गए और हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. उन की निशानदेही पर झाडि़यों में छिपाया गया चापड़ तथा पूनम ने अपनी साड़ी बरामद करा दी, जो उस ने हत्या के समय पहनी थी.

पुलिस टीम ने सभी आरोपियों को एसएसपी अखिलेश कुमार मीणा के सामने पेश किया. मीणा ने आननफानन प्रैस कौन्फ्रैंस बुला कर पत्रकारों के समक्ष घटना का खुलासा कर दिया. आरोपी विनय ने पत्रकारों को बताया कि इंद्रबहादुर जबरन उस की पत्नी के साथ संबंध बनाना चाहता था.

इस के लिए वह पूनम पर दबाव बना रहा था. वह पूनम की मार्फत उसे तथा उस के परिवार को गलत धंधे में भी फंसाना चाहता था.

पूनम जब तैयार नहीं हुई तो उस ने फरजी फेसबुक आईडी बना कर पूनम को बदनाम किया. इसी के बाद उस ने विजय की हत्या की योजना बनाई और उसे मौत की नींद सुला दिया.

पुलिस ने 26 नवंबर, 2017 को सभी अभियुक्तों को कानपुर कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट की अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया. कथा संकलन तक उन की जमानत स्वीकृत नहीं हुई थी. अभियुक्त अनुपम व उस का साथी फरार था. पुलिस उन की गिरफ्तारी का प्रयास कर रही थी.

 -कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

बाप बेटे की एक बीवी

उस दिन, 2018 की 18 तारीख थी. थानाप्रभारी सीआई पुष्पेंद्र सिंह अपने औफिस में बैठे थे. उन्होंने महिला कांस्टेबल सावित्री को बुला कर हवालात में बंद हत्यारोपी पूजा को लाने को कहा.

23-24 वर्षीय सांवले रंग की पूजा छरहरे बदन और आकर्षक नैननक्श की महिला थी. एक दिन पहले ही 2 पुरुषों के साथ पूजा के खिलाफ भादंवि की धारा 302 (हत्या) 201 और 34 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था.

थानाप्रभारी पुष्पेंद्र खुद इस केस की जांच कर रहे थे. पूजा आ गई तो उन्होंने उस से पूछताछ शुरू करते हुए पूछा, ‘‘पूजा, तू ने अपने पति कालूराम को क्यों मारा?’’

‘‘हां, यह सच है कि मैं ने अपने पति को मारा है.’’ संक्षिप्त सा उत्तर दिया पूजा ने.

‘‘हत्या के इस मामले में तेरे साथ और कौनकौन थे?’’ सीआई ने अगला सवाल किया.

‘‘साहब, इस काम में कौर सिंह और उस के बेटे संदीप कुमार ने मेरा साथ दिया था.’’

‘‘पूजा, ये बापबेटे न तो तेरी जाति के हैं न रिश्तेदार, फिर भी इन लोगों ने इस जघन्य अपराध में तेरा साथ दिया. आखिर क्यों?’’ इस पर पूजा चुप्पी साध गई.

‘‘साहब, ये दोनों बापबेटे मुझे चाहते हैं. पिछले कुछ दिनों से मैं बापबेटे की पत्नी बन कर रह रही थी. मेरा पति कालूराम हमारी राह का कांटा बन रहा था. इसलिए हम तीनों ने मिल कर उस की हस्ती ही मिटा दी.’’ पूजा के मुंह से यह सुन कर पुष्पेंद्र सिंह हतप्रभ रह गए. क्योंकि भाईभाई की एक पत्नी तो संभव है, पर बापबेटे की नहीं.

 

अपनी सालों की सर्विस में पुष्पेंद्र सिंह सैकड़ों आपराधिक मामलों से रूबरू हुए थे. पर इस मामले ने जैसे उन के अंतरमन को झकझोर दिया था. भोलीभाली सूरत वाली अनपढ़ पूजा ग्रामीण युवती थी. लेकिन उस के भोले चेहरे के पीछे का डरावना सच यह था कि उस ने अपने शारीरिक सुख की चाह में न केवल अपने भोलेभाले पति का कत्ल किया, बल्कि अपने भविष्य को भी अंधकारमय बना लिया था.

पूछताछ के बाद सीआई पुष्पेंद्र सिंह ने पूजा, कौर सिंह और उस के बेटे संदीप को नौहर के एसीजेएम की अदालत में पेश कर के उन का रिमांड मांगा. अदालत ने तीनों हत्यारोपियों का 3 दिन का पुलिस रिमांड दे दिया. रिमांड अवधि में पूछताछ के बाद जो कहानी निकल कर सामने आई, वह कुछ इस तरह थी—

राजस्थानके जिला हनुमानगढ़ की एक तहसील है टिब्बी. इसी तहसील के गांव कमरानी में रहता था हंसराज. सन 2012 में उस की 2 बेटियों पूजा व मंजू की शादी सीमावर्ती जिला चुरू के गांव बांय निवासी धन्नाराम के 2 बेटों कालूराम व दीपक के साथ हुई थी.

दोनों भाई अपनी पत्नियों के साथ मेहनतमजदूरी कर के अमनचैन से जिंदगी गुजार रहे थे. शुरू में सब ठीक था, लेकिन बाद में पूजा को ससुराल की बंदिशें और सास की रोकटोक अखरने लगी.

वह चाहती थी कि पति के साथ कहीं अलग रहे. उस की यह जिद बढ़ने लगी तो घर में झगड़ा होने लगा. पूजा की वृद्ध सास ने समझदारी दिखाते हुए कालूराम को कहीं दूसरी जगह रहने को कह दिया. तब तक पूजा एक बेटी की मां बन चुकी थी. पूजा की चाहत पर सन 2014 में कालूराम पत्नी व बेटी को ले कर अपनी ससुराल कमरानी में रहने लगा.

कमरानी में कालूराम मेहनतमजदूरी कर के अपने छोटे से परिवार का पेट पालने लगा. हाड़तोड़ मेहनत की वजह से कालू का शरीर कमजोर होने लगा था. शारीरिक क्षमता बनाए रखने की लालसा में उस ने अपने साथियों की सलाह पर नशा करना शुरू कर दिया. कोई अन्य पदार्थ नहीं मिलता तो वह मैडिकल स्टोर पर मिलने वाली गोलियां खा कर काम चला लेता था. वैसे भी अफीमपोस्त की बनिस्बत ऐसी गोलियां आसानी से मिल जाती हैं.

पूजा के घर के पास ही मजहबी सिख काका सिंह का मकान था. काका सिंह ने हनुमानगढ़ निवासी कौर सिंह की बेटी से प्रेमविवाह किया था. कौर सिंह का बेटा संदीप 15-20 दिन में अपनी बहन से मिलने कमरानी आता रहता था. संदीप जब भी अपनी बहन से मिलने आता तो 2-3 दिन रुक कर जाता था.

उस दिन संदीप कमरानी पहुंचा तो उस की बहन की पड़ोसन पूजा भी वहीं बैठी थी. संदीप की बहन ने अपने भाई संदीप से पूजा का परिचय करवा दिया. संयोग से पूजा ने कुछ देर पहले ही स्नान किया था. भीगे बालों से उस का भीगा वक्षस्थल व मादक यौवन युवा संदीप को इतना भाया कि वह उस का दीवाना बन गया. एकांत पा कर उस ने पूजा के सौंदर्य की तारीफ भी कर डाली. साथ ही कहा भी, ‘‘भाभी, आप से तो जानपहचान हो ही गई, अब भैया से भी मिलवा दो.’’

संदीप के मुसकान भरे आग्रह ने पूजा के अंतरमन में हिलोरे पैदा कर दी थीं. संदीप भी पूजा को भा गया था. उस ने कहा, ‘‘क्यों नहीं, कल आप के भैया काम पर नहीं जाएंगे, वह पूरा दिन घर में ही रहेंगे. जब मन करे आ जाना.’’

अगले दिन दोपहर बाद संदीप अपनी बहन को बाजार जाने का कह कर पूजा के घर जा पहुंचा. पूजा आंगन में खड़ी थी. वह उसे देखते ही बोला, ‘‘लो भाभी, हम आ गए हैं.’’

जवाब में पूजा ने अंगड़ाई लेते हुए कहा, ‘‘आओ देवर जी, आप का स्वागत है.’’

अपनी बात कह कर पूजा कमरे में चली गई. संदीप भी उस के पीछेपीछे कमरे में चला गया.

उस दिन पूजा और संदीप में काफी देर बातें हुईं. इन बातों से संदीप समझ गया कि पूजा अपने पति से संतुष्ट नहीं है. इस के पीछे एक वजह यह भी रही कि बीते दिन पूजा ने उस से कहा था कि उस का पति दिन भर घर पर रहेगा, जबकि वह घर पर नहीं था. इस से संदीप उस की मंशा को भांप गया. इसलिए उस ने पूजा से उसी तरह की बातें कीं. पूजा उस की बातों का रस लेती रही. नतीजा यह निकला कि 2 दिन में ही पूजा और संदीप के बीच शारीरिक संबंध बन गए.

उस दिन सांझ ढले कालूराम काम से लौटा. घर आते ही उस ने अपनी नशे की खुराक ली और खाना खा कर बिस्तर पर पसर गया. कुछ ही देर में उसे नींद आ गई. हालांकि पूजा व उस की मां ने कालूराम को नशाखोरी के बावत समझाया था, पर उस पर कोई असर नहीं हुआ था.

रात घिर आई थी. पूजा व काका सिंह के परिवार के लोग खर्राटें भर रहे थे. पर पूजा व संदीप की आंखों से नींद कोसों दूर थी. लगभग 11 बजे संदीप दबे पांव आ कर पूजा के बाहर वाले कोठे में छुप गया था. संदीप को आया देख पूजा भी कोठे में आ गई. दिन की तरह एक बार फिर दोनों ने शारीरिक खेल खेला. घंटा भर बाद संदीप बहन के घर चला गया.

अगली सुबह संदीप अपने गांव हनुमानगढ़ लौट गया. संदीप के दिलोदिमाग में पूजा बस चुकी थी. हफ्ते 10 दिन बाद कमरानी आने वाला संदीप इस बार तीसरे दिन ही बहन के घर आ गया. वह सीधा पूजा के घर में चला गया. घर पर पूजा की मां व कालूराम मौजूद थे. पूजा ने दोनों को संदीप का परिचय दिया.

कालूराम के कहने पर पूजा ने संदीप के लिए चाय नाश्ते का इंतजाम किया. कालू व पूजा ने संदीप से खाना खा कर जाने को कहा. इस पर वह बोला, ‘‘दोपहर का खाना दीदी के यहां है और रात का आप के यहां.’’ कहते हुए संदीप ने कालू के साथ दोस्ती बढ़ाने का रास्ता बनाना शुरू कर दिया.

सांझ ढलते ही संदीप शराब की बोतल ले कर पूजा के घर आ गया. पूजा भी अपने आशिक की आवभगत में जुट गई. आंगन में कालू व संदीप की महफिल सजी. पूजा ने सलाद बना कर दी. कालू को जैसे लंबे अंतराल के बाद शराब मयस्सर हुई थी. वह पैग पर पैग गटकने लगा. संदीप की भी यही चाहत थी कि कालू नशे में टल्ली हो जाए.

कालू आधी से ज्यादा बोतल पी कर मदहोशी की हालत में पहुंच गया. पूजा ने दोनों के लिए चारपाई पर खाना लगा दिया. पूजा की मां विद्या सो चुकी थी. संदीप की चाहत पर पूजा भी अपने लिए खाने की थाली ले आई. कालू बिना भोजन किए ही चारपाई पर लुढ़क गया. पूजा और संदीप के लिए मनचाहा माहौल बन चुका था.

दोनों आंगन में बने दूसरे कमरे में चले गए. एकांत में दोनों ने जीभर के मौजमस्ती की. अगले दिन भी यही क्रम दोहराया गया. अगली सुबह पूजा काका सिंह के घर गई. एकांत पा कर पूजा ने संदीप से कहा, ‘‘तुम्हारा सरेआम मेरे घर आना मां को अखर रहा है, कुछ पड़ोसी भी अंगुली उठाने लगे हैं.’’

‘‘ऐसीतैसी लोगों की, मैं किसी से भी नहीं डरता. अब मैं तेरे बिना जिंदा नहीं रह सकता. तू चाहे तो मुझ से ब्याह रचा कर मुझे अपना बना ले.’’ संदीप बोला.

‘‘संदीप, ब्याह कर नहीं तू मुझे भगा ले जा और अपनी बना ले. फिर हम दोनों अपनी मर्जी से जिंदगी जी सकेंगे. सच्चाई यह है कि मैं भी तेरे बिना नहीं जी सकती.’’ पूजा ने उदासी भरे लहजे में कहा. उसी वक्त दोनों ने रात को भूसे वाले कोठे में मिलने की योजना भी बना ली.

नियत समय पर दोनों कोठे में पहुंच गए. मिलन के बाद संदीप ने पूजा के बालों में अंगुलियां फिराते हुए कहा, ‘‘देखो पूजा, भागनेभगाने के चक्कर में मुकदमेबाजी या छिपनेछिपाने का भय बना रहेगा. मैं ने एक ऐसी योजना बनाई है, जिस में सांप भी मर जाएगा और लाठी भी नहीं टूटेगी. बस योजना में तेरा साथ चाहिए.’’ संदीप ने कहा.

पूजा के पूछने पर संदीप ने पूरी योजना उसे समझा दी. योजना सुन कर पूजा खुशी से उछल पड़ी.

अगले दिन से पूजा ने योजना पर अमल करना शुरू कर दिया. शाम के समय कालू मजदूरी से लौट आया. मां रोटियां सेंक रही थीं. कालू आंगन में खाना खाने बैठ गया. उसी वक्त पूजा ने मां से कहा, ‘‘मां, तू इन्हें समझा कि यह काम छोड़ कर किसी जमींदार से 2-4 बीघा जमीन बंटाई पर ले लें. मिलजुल कर खेती कर लेंगे. कम से कम मेहनतमजदूरी तो नहीं करनी पड़ेगी.’’

‘‘यह सब इतना आसान है क्या?’’ कालू ने कहा तो पूजा बोली, ‘‘संदीप की कई बडे़ जमींदारों से जानपहचान है. वह हमें बंटाई पर जमीन दिला देगा. इस बार संदीप आए तो बात कर लेना.’’

पूजा का यह सुझाव कालू और मां को पसंद आ गया. 2 दिन बाद ही संदीप कमरानी आ गया. पूजा उसे अपने घर ले आई. संयोग से उस वक्त कालू व विद्या घर पर ही थे.

‘‘संदीप भाई, सुना है तुम्हारी कई जमींदारों से जानपहचान है. हमें भी थोड़ी सी जमीन बंटाई पर दिलवा दो. संभव है, हमारे भी दिन फिर जाएं.’’ कालू राम ने कहा.

‘‘भैया मेरे पिताजी रावतसर क्षेत्र के चक 2 के एम के बड़े दयालु स्वभाव के किसान सुखदेव सिंह कांबोज के यहां कई वर्षों से बंटाई पर खेती कर रहे हैं. मैं आज ही उन के पास जा रहा हूं. मुझे पूरी उम्मीद है कि वहां आप का काम बन जाएगा.’’ संदीप ने जवाब दिया.

मजहबी सिख कौर सिंह हनुमानगढ़ टाउन में रहता था. उस के 2 ही बच्चे थे, संदीप और एक बेटी जिस ने कमरानी निवासी काका सिंह के साथ प्रेम विवाह कर लिया था. करीब 5 वर्ष पूर्व कौर सिंह की पत्नी की संदिग्ध हालत में मौत हो गई थी. उस के मायके वालों ने कौर सिंह के खिलाफ दहेज हत्या का केस दर्ज करवा दिया था.

पुलिस ने इस केस में कौर सिंह को गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया था. कालांतर में दोनों पक्षों में राजीनामा हो गया. फलस्वरूप कौर सिंह 12 महीनों बाद जेल से बाहर आ गया. हनुमानगढ़ में अपनी जायदाद बेच कर कौर सिंह रावतसर क्षेत्र में चक 2 केएम के किसान सुखदेव सिंह के यहां ढाणी में रह कर बंटाई पर खेती करने लग गया. जबकि संदीप आवारागर्दी करने के अलावा कोई काम नहीं करता था.

2 दिन बाद संदीप फिर कमरानी लौटा. उस ने पूजा व कालूराम को खुशखबरी दी कि पिताजी के यहां उन दोनों को काम मिल जाएगा. सितंबर 2017 में संदीप, कालूराम व पूजा को ले कर चक 2 केएम कौर सिंह के पास पहुंच गया. इस दौरान संदीप भी नशेड़ीबन गया था.

‘‘पापा ये लोग दीदी के पड़ोसी हैं. कालूराम खेतीबाड़ी के सारे काम जानता है. इन्हें बंटाई पर जमीन दिलवा दो ताकि इन की गुजरबसर हो सके.’’ संदीप ने कहा.

‘‘हां हां क्यों नहीं, वह साइड वाली ढाणी खाली पड़ी है. दोनों उस में डेरा जमा लें. अभी तो सारी जोत बंटाई पर उठा दी गई है. फिर भी मैं कोई न कोई रास्ता निकाल दूंगा. यहां काम की कोई कमी नहीं है. दोनों मियांबीवी 7 सौ रुपए रोजाना आराम से कमा लेंगे.’’ कौर सिंह ने कहा.

अगले दिन से कालू व पूजा ने दिहाड़ी मजदूरी का काम शुरू कर दिया. दोनों ने खाली पड़ी ढाणी में अपना बोरियाबिस्तर जमा लिया था. संदीप पूजा का सान्निध्य पाने की गरज से उन के साथ दिहाड़ी पर काम करने लगा. हाड़तोड़ मेहनत करने से संदीप भी कालू की तरह रोजाना नशे की खुराक लेने लग गया था. खाना खाते ही कालू व संदीप नींद के आगोश में चले जाते थे.

पिछले कुछ दिनों से पूजा पुरुष सुख से वंचित थी. ऐसे में उस की नजर नारी सुख से वंचित कौर सिंह पर पड़ी तो वह उस की ओर आकर्षित होने लगी. उस ने कौर सिंह की अधेड़ उम्र को भी नहीं देखा. कौर सिंह ने पूजा की नजरों को पहचान लिया और वह भी इशारोंइशारों में उस से मन की बात कहने लगा.

आखिर एक रात जब कालू और संदीप सो रहे थे तो पूजा कौर सिंह की ढाणी में पहुंच गई. उसी दिन से दोनों के बीच संबंध बन गए. एक सप्ताह तक कौर सिंह और पूजा का अनैतिक खेल बेरोकटोक जारी रहा. पर एक रात कालू ने पूजा को कौर सिंह के साथ आपत्तिजनक हालत में रंगेहाथों पकड़ लिया. उस दिन कालू ने गुस्से से पूजा की पिटाई कर डाली. साथ ही कौर सिंह को भलाबुरा भी कहा. कभी संदीप की दीवानी पूजा अब कौर सिंह पर फिदा हो गई थी. पूजा ने संदीप से रिश्ता होने की बात भी कौर सिंह को बता दी थी.

कालू को शक हुआ तो उस ने पूजा की निगरानी शुरू कर दी. अब पूजा कौर सिंह या संदीप से एकांत में नहीं मिल पा रही थी. वह मौका तलाश कर कौर सिंह से मिली और उस के सीने पर सिर रख कर रोने लगी.

‘‘मैं तेरे बिनारह नहीं सकती.’’ कहने के साथ ही पूजा सिसकने लगी.

‘‘पूजा, तू घबरा मत, मैं कल ही इस काम का तोड़ निकाल लूंगा.’’ कौर सिंह ने उसे सांत्वना दी. तब तक उन तीनों को वहां आए केवल 20 दिन ही हुए थे.

अगली रात योजना के अनुरूप पूजा ने कालू के खाने में नींद की गोलियों का पाउडर मिला दिया. रात 11 बजे के करीब कौर सिंह कालू की ढाणी में आया. उस ने गहरी नींद में सोए अपने बेटे संदीप को उठाया. पूजा पहले से जाग रही थी. कौर सिंह ने पूजा व संदीप को बेसुध पड़े कालू के हाथपांव पकड़ने को कहा. दोनों ने वैसा ही किया.

कौर सिंह ने पूजा का दुपट्टा ले कर कालू के गले में डाला और जोर से खींच दिया. नशे में ही कालू ने दम तोड़ दिया. तीनों ने ठाणी के पीछे पहले से बनाए गड्ढे में कालू के शव को डाल कर दफना दिया. उस रात पूजा ने बापबेटे दोनों के साथ बीच सैक्स का आनंद उठाया.

कौर सिंह भी पूजा का दीवाना हो चुका था. 5 रोज बाद उस ने संदीप को भी डराधमका कर भगा दिया. अब पूजा पर उस का एकाधिकार हो गया था. दोनों ने 10 रोज मजे से गुजार दिए.

एक दिन पूजा के पास उस की मां विद्या का फोन आया. उस ने मां को बताया कि वह मजे में है. विद्या ने कालू से बात करवाने को कहा तो पूजा ने कहा कि वह काम पर गए हैं. विद्या ने रात को फिर फोन किया तो पूजा ने कहा कि वह एक जरूरी काम से गांव चले गए हैं. कल बात करवा दूंगी.

लेकिन कई दिन तक विद्या की कालू राम से बात नहीं हो सकी. अनहोनी की आशंका के चलते विद्या ने कालू के छोटे भाई दीपक को बुलाया. दीपक कमरानी आ गया. दीपक को बताया गया कि 4 दिन से पूजा का फोन बंद है और कई दिनों से कालू का भी कोई अतापता नहीं है.

सलाह मशविरा कर के दोनों परिवारों ने 12 फरवरी, 2018 को टिब्बी पुलिस थाने में दीपक की ओर से कालू की गुमशुदगी दर्ज करवा दी. इस मामले की जांच सहायक उप निरीक्षक लेखराम को सौंप दी गई.

शुरुआती जांच पड़ताल में लेखराम को पूजा के अनैतिक संबंधों की जानकारी मिली तो उन्होंने इस मामले को गंभीरता से लिया. तब तक कौर सिंह को पुलिस की भागदौड़े का पताचल चुका था. वह पूजा को ले कर फरार हो गया था.

कई दिनों तक पुलिस और संदिग्धों के बीच लुकाछिपी का खेल चलता रहा. एक दिन विद्यावती के पास पूजा का फोन आया और उस ने अपनी कुशलक्षेम बताते हुए मायके के हालात के बारे में पूछा. फोन आने की सूचना लेखराम तक पहुंचा दी गई. उस अनजान नंबर को ट्रेस किया गया तो वह नंबर पंजाब के गांव वरियामखेड़े के एक किसान का पाया गया.

पुलिस ने दबिश दी तो पूजा और गौर सिंह वहां से भी भाग निकले. अगले दिन कौर सिंह का बेटा संदीप पुलिस के हत्थे चढ़ गया. उस ने प्रारंभिक पूछताछ में यह राज उगल दिया कि तीनों ने मिल कर कालू की हत्या कर के उस की लाश ठाणी के पिछवाड़े दबा दी है.

गुमशुदगी का मामला हत्या में तब्दील हो चुका था. वारदात रावतसर क्षेत्र में हुई थी. एएसआई लेखराम की रिपोर्ट पर 17 फरवरी को रावतसर में तीनों के विरुद्ध भादंवि की धारा 302, 201, 34 के तहत अभियोग दर्ज कर लिया गया.

थानाप्रभारी पुष्पेंद्र सिंह ने शेष हत्यारोपियों की शीघ्र गिरफ्तारी हेतु अमर सिंह प्रहलाद, अविनाश व महिला कांस्टेबल सावित्री की एक टीम गठित की और अपराधियों को ढूंढने लगे. अपराधबोध से ग्रस्त व भागदौड़ से थके कौर सिंह व पूजा लुकछिप कर विद्या के पास पहुंच गए. पुलिस को सूचना मिली तो दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने अगले दिन तीनों को नोहर की अदालत में पेश कर के 3 दिन का पुलिस रिमांड ले लिया. आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने कालू का शव, जो हड्डियों में तब्दील हो चुका था, बरामद कर लिया. हत्या में इस्तेमाल किया गया पूजा का दुपट्टा भी जब्तहो गया. व्यापक पूछताछ के बाद पुलिस ने अदालत के आदेश पर पूजा व उस के दोनों आशिक बापबेटे कौर सिंह और संदीप को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया.

सैक्स की आंच में अंधी हो कर एक वर्षीय अपनी बच्ची के भविष्य को अंधियारे में धकेलने वाली पूजा ने न केवल अपने पति को परलोक पहुंचाया बल्कि स्वयं के साथसाथ बापबेटे को भी काल कोठरी में पहुंचा दिया.

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

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