इस तरह से बनाएं पहले सेक्स को यादगार

अगर आप अपने जीवनसाथी के साथ पहले मिलन को यादगार बनाना चाहती हैं तो आप को न केवल कुछ तैयारी करनी होंगी, बल्कि साथ ही रखना होगा कुछ बातों का भी ध्यान. तभी आप का पहला मिलन आप के जीवन का यादगार लमहा बन पाएगा.

करें खास तैयारी: पहले मिलन पर एकदूसरे को पूरी तरह खुश करने की करें खास तैयारी ताकि एकदूसरे को इंप्रैस किया जा सके.

डैकोरेशन हो खास: वह जगह जहां आप पहली बार एकदूसरे से शारीरिक रूप से मिलने वाले हैं, वहां का माहौल ऐसा होना चाहिए कि आप अपने संबंध को पूरी तरह ऐंजौय कर सकें.

कमरे में विशेष प्रकार के रंग और खुशबू का प्रयोग कीजिए. आप चाहें तो कमरे में ऐरोमैटिक फ्लोरिंग कैंडल्स से रोमानी माहौल बना सकती हैं. इस के अलावा कमरे में दोनों की पसंद का संगीत और धीमी रोशनी भी माहौल को खुशगवार बनाने में मदद करेगी. कमरे को आप रैड हार्टशेप्ड बैलूंस और रैड हार्टशेप्ड कुशंस से सजाएं. चाहें तो कमरे में सैक्सी पैंटिंग भी लगा सकती हैं.

फूलों से भी कमरे को सजा सकती हैं. इस सारी तैयारी से सेक्स हारमोन के स्राव को बढ़ाने में मदद मिलेगी और आप का पहला मिलन हमेशा के लिए आप की यादों में बस जाएगा.

सैल्फ ग्रूमिंग: पहले मिलन का दिन निश्चित हो जाने के बाद आप खुद की ग्रूमिंग पर भी ध्यान दें. खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करें. इस से न केवल आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि आप स्ट्रैस फ्री हो कर बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगी. पहले मिलन से पहले पर्सनल हाइजीन को भी महत्त्व दें ताकि आप को संबंध बनाते समय झिझक न हो और आप पहले मिलन को पूरी तरह ऐंजौय कर सकें.

प्यार भरा उपहार: पहले मिलन को यादगार बनाने के लिए आप एकदूसरे के लिए गिफ्ट भी खरीद सकते हैं. जो आप दोनों का पर्सनलाइज्ड फोटो फ्रेम, की रिंग या सैक्सी इनरवियर भी हो सकता है. ऐसा कर के आप माहौल को रोमांटिक और उत्तेजक बना सकती हैं.

खुल कर बात करें: पहले मिलन को रोमांचक और यादगार बनाने के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार करें. अपने पार्टनर से इस बारे में खुल कर बात करें. अपने मन में उठ रहे सवालों के हल पूछें. एकदूसरे की पसंदनापसंद पूछें. जितना हो सके पौजिटिव रहने की कोशिश करें.

सेक्स सुरक्षा: संबंध बनाने से पहले सैक्सुअल सुरक्षा की पूरी तैयारी कीजिए. सैक्सुअल प्लेजर को ऐंजौय करने से पहले सेक्स प्रीकौशंस पर ध्यान दें. आप का जीवनसाथी कंडोम का प्रयोग कर सकता है. इस से अनचाही प्रैगनैंसी का डर भी नहीं रहेगा और आप यौन रोगों से भी बच जाएंगी.

सेक्स के दौरान

 – सैक्सी पलों की शुरुआत सैक्सी फूड जैसे स्ट्राबैरी, अंगूर या चौकलेट से करें.

– ज्यादा इंतजार न कराएं.

– मिलन के दौरान कोई भी ऐसी बात न करें जो एकदूसरे का मूड खराब करे या एकदूसरे को आहत करे. इस दौरान वर्जिनिटी या पुरानी गर्लफ्रैंड या बौयफ्रैंड के बारे में कोई बात न करें.

– संबंध के दौरान कल्पनाओं को एक तरफ रख दें. पोर्न मूवी की तुलना खुद से या पार्टनर से न करें और वास्तविकता के धरातल पर एकदूसरे को खुश करने की कोशिश करें.

– बैडरूम में बैड पर जाने से पहले अगर आप घर में या होटल के रूम में अकेली हों तो थोड़ी सी मस्ती, थोड़ी सी शरारत आप काउच पर भी कर सकती हैं. ऐसी शरारतों से पहले सेक्स का रोमांच और बढ़ जाएगा.

– सेक्स संबंध के दौरान उंगलियों से छेड़खानी करें. पार्टनर के शरीर के उत्तेजित करने वाले अंगों को सहलाएं और मिलन को चरमसीमा पर ले जा कर पहले मिलन को यादगार बनाएं.

– मिलन से पहले फोरप्ले करें. पार्टनर को किस करें. उस के खास अंगों पर आप की प्यार भरी छुअन सेक्स प्लेजर को बढ़ाने में मदद करेगी.

– सेक्स के दौरान सैक्सी टौक करें. चाहें तो सैक्सुअल फैंटेसीज का सहारा ले सकती हैं. ऐसा करने से आप दोनों सेक्स को ज्यादा ऐंजौय कर पाएंगे. लेकिन ध्यान रहे सैक्सुअल फैंटेसीज को पूरा के लिए पार्टनर पर दबाव न डालें.

– संयम रखें. यह पहले मिलन के दौरान सब से ज्यादा ध्यान रखने वाली बात है, क्योंकि पहले मिलन में किसी भी तरह की जल्दबाजी न केवल आप के लिए नुकसानदेह होगी, बल्कि आप की पहली सेक्स नाइट को भी खराब कर सकती है.

सेक्स के दौरान बातें करते हुए सहज रह कर संबंध बनाएं. तभी आप पहले मिलन को यादगार बना पाएंगे. संबंध के दौरान एकदूसरे के साथ आई कौंटैक्ट बनाएं. ऐसा करने से पार्टनर को लगेगा कि आप संबंध को ऐंजौय कर रहे हैं.

मैं लोगों के सामने अपनी बात रखने में घबरा जाता हूं और मेरे पसीने छूटने लगते हैं, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं एक गरीब घर का होनहार लड़का हूं और पढ़ाई में भी अच्छा हूं. मेरी दिक्कत यह है कि मैं लोगों के सामने अपनी बात रखने में घबरा जाता हूं. मेरे पसीने छूटने लगते हैं. अभी मेरी उम्र 17 साल है. मुझे लगता है कि आगे यह समस्या मुझे और भी दुखी करेगी. कोई उपाय बताएं?

जवाब-

आप खुद को होनहार होने का सर्टिफिकेट जिस बिना पर दे रहे हैं, वही यह बात है जो आप दूसरों के सामने अपनी बात रखने में घबरा जाते हैं, लेकिन यह कोई बड़ी समस्या नहीं है. आप लोगों में उठेंबैठें और धीरेधीरे अपनी बात सामने रखें.

दरअसल, आप में आत्मविश्वास की कमी है और गरीब होना इस की वजह हो सकती है, पर ध्यान रखें, गरीब होने का बोलने से कोई लेनादेना नहीं है.

आगे यह समस्या परेशान करेगी, आप का यह अंदाजा सही है, इसलिए अभी से इसे काबू करें. स्कूल के प्रोग्रामों में हिस्सा लें और मंच से बोलना सीखें. एकाध बार दिक्कत होगी, पर जब आत्मविश्वास आ जाएगा, तब यह समस्या दूर हो जाएगी.

पहली डेट: न लेट, न वेट

पहली नजर के प्यार सरीखी भले ही न होती हो, लेकिन पहली डेट आखिरकार पहली डेट होती है, जो यूथ की न केवल लव स्टोरी बल्कि लाइफ भी बदल देती है. दिल धाड़धाड़ करे, मन रोमांचित हो, दिमाग और दिल बारबार बेकाबू हों, कुछ भी अच्छा या बुरा न लग रहा हो, ऐसा बहुतकुछ पहली डेट पर जाते वक्त होता है और यह भी कि उसे कैसे कुछ इस तरह इंप्रैस किया जाए कि वह हमेशा के लिए मेरी या मेरा मुरीद हो कर रह जाए. यह मुमकिन है बशर्ते आप पहली डेट को सम झदारी से प्लान करें और खुद पर काबू रखते इन टिप्स पर शिद्दत से अमल करें-

युवकों के लिए

सब से पहले जगह चुनें कि कहां मिलना उपयुक्त होगा. ऐसी जगह चुनें जो बहुत न सही थोड़ी तो रोमांटिक हो और एकदम सुनसान या फिर ज्यादा भीड़भाड़ वाली न हो. शहर के बाहर की तरफ के पार्क, रैस्टोरैंट या फिर रिजौर्ट इस के लिए बेहतर होते हैं. लेकिन देख लें कि वह आप के बजट के मुताबिक हो.

बगैर तोहफे के न जाएं. तोहफा बहुत ज्यादा महंगा नहीं होना चाहिए. वैसे तो गुलाब का एक फूल, टैडी, चौकलेट या खुबसूरत बुके ही काफी होता है लेकिन फ्रैंड या माशूका के लिए उस के उपयोग का आइटम जेब के मुताबिक जरूर ले जाएं, मसलन परफ्यूम, पर्स या फिर आर्टिफिशियल ज्वैलरी वगैरह. गिफ्ट एक खास अदा से दें और मिलते ही न दें, बल्कि औपचारिक हायहैलो के बाद दें.

पहली डेट में ड्रैस अब युवकों के लिए परेशानी का सबब होने लगी है कि क्या पहनें. बेहतर होगा कि कैजुअल ड्रैस में ही जाएं. ज्यादा तड़कभड़क वाले कपड़े इंप्रैसिव होते हैं, यह गलतफहमी मन में न पालें. हां, साफसुथरे हो कर जाएं  और दाढ़ी बहुत ज्यादा बड़ी नहीं  होनी चाहिए.

शर्ट या टीशर्ट लाइट कलर की पहनें, हलका परफ्यूम, आफ्टर शेव और टैलकम पाउडर लगा कर जाएं. लड़कियां लड़कों का ड्रैसिंग सैंस बहुत बारीकी से देखती हैं और आमतौर पर उसी से आप के स्वभाव व व्यक्तित्व का अंदाजा लगाती हैं. खुद को फिलौसफर या बुद्धिजीवी दिखाने के चक्कर में फटीचरों जैसे जाएंगे, तो यह आखिरी डेट भी साबित हो सकती है.

निश्चित रूप से आप उसे इंप्रैस करना चाहेंगे और करना भी चाहिए लेकिन इस के लिए अतिरिक्त कोशिश न करें बल्कि जितना हो सके, सहज रहें. लंबीचौड़ी डींगें हांक कर और खुद की तारीफें करते रहने से आप उसे इम्प्रैस नहीं कर पाएंगे.

बातचीत का विषय पारिवारिक, धार्मिक या फिर राजनीतिक न रखें क्योंकि पहली डेट कोई डिबेट नहीं होती. यह अच्छी दोस्ती या प्यार की शुरुआत होती है, इसलिए हलकेफुलके विषयों पर बात करें,  जैसे फिल्में, बुक्स, मैगजींस और सामने वाले की हौबीज सहित टूरिस्ट प्लेस वगैरह. बहुत ज्यादा सैक्सी बातें करने की गलती या डबल मीनिंग वाली बातें न करें. इस से आप की इमेज बिगड़ सकती है. हां, बीचबीच में एकाध बार कोई रोमांटिक बात कर सकते हैं जो उस की तारीफ के मकसद से की गई लगे.

परिचय की औपचारिकता और बातचीत शुरुआत होने के बाद आती है खानेपीने की जो पहली डेट का खास शगुन है. शिष्टतापूर्वक सामने वाले के सामने मैन्यू कार्ड कर दें और उसे अपनी पसंद के आइटम और्डर करने दें. एकाध आइटम अपनी पसंद का भी और्डर करें. बारबार मैन्यू कार्ड न देखें.

खाना सलीके से खाएं और अपनी दोस्त को खुद सर्व करें. अगर वह सर्व  करने का शिष्टाचार दिखाए तो थैंक्स जरूर कहें.

पुरुष होने के नाते पेमैंट खुद करें, लेकिन वह जिद कर के खुद करना चाहे तो उसे करने दें. यह हर्ज या हेठी की बात नहीं.

अपने बारे में जरूरत से ज्यादा यानी अनावश्यक जानकारी न दें और न ही लेने की कोशिश करें.

अगर ज्यादा वक्त हो तो मौल जाएं या फिर लौंग ड्राइव पर उसे ले जाएं लेकिन भभका जमाने को बाइक या कार तेज रफ्तार से न चलाएं. ट्रैफिक नियमों का पालन करें.

पहली डेट में उसे खरीदारी कराने की गलती न करें. इस से वह आप को फुजूलखर्च, मजनूं या बेवकूफ भी सम झ सकती है जो बाद के लिए ठीक नहीं होगा.

वह जरूरत से ज्यादा छूट दे तो खुद को संयमित रखें. एकदम छिछोरी हरकतें न करें. मुमकिन है वह आप का इम्तिहान ले रही हो कि आप कितने पानी में हैं और औरतों के प्रति आप का नजरिया कैसा है.

युवतियों के लिए

युवतियों के लिए भी लगभग वही बातें उपयोगी होती हैं जो युवकों के लिए होती हैं लेकिन कुछ बातों का उन्हें खास ध्यान रखना चाहिए, मसलन-

बहुत ज्यादा तंग और अंग दिखाऊ कपड़े पहली डेट पर नहीं पहनने चाहिए. इस से आप की इमेज उस के दिमाग में वैसी बन सकती है जैसी आप नहीं चाहतीं.

मेकअप सलीके का करना चाहिए जो न ज्यादा सादा हो और न ही ज्यादा भड़काऊ.

खाने का और्डर करते वक्त ताबड़तोड़ डिशेज नहीं मंगानी चाहिए, खासतौर से यह सोचते हुए कि मर्द होने के नाते पेमैंट तो वही करेगा, इसलिए जितना हो सके खा लो.

खानेपीने का पेमैंट करने की पहल करनी चाहिए.

अगर बातचीत का रुख सैक्स की तरफ मुड़ता दिखे तो संभल कर बात करनी चाहिए. हालांकि सैक्स पर चर्चा कोई गलत या बुरी बात नहीं लेकिन पहली  डेट पर इस से परहेज ही करना  चाहिए. अपनी पसंदनापसंद के बारे में उसे इशारा कर देने से माहौल सहज रहता है.

उस से शौपिंग के लिए नहीं कहना चाहिए. पहली डेट परिचय के लिए ज्यादा होती है, बाकी सब बाद में होता रहता है बशर्ते खयालात मिलते हों और मिलनेजुलने का सिलसिला जारी रहे.

खुद के और परिवार के बारे में जरूरत से ज्यादा जानकारी नहीं देनी चाहिए. अंतरंग या पर्सनल बातें भी नहीं बतानी चाहिए.

दोनों के लिए पहली डेट से ही भविष्य, चाहे वह दोस्ती का, प्यार का या फिर शादी का तय होता है. दोनों को पहले यह तय कर लेना चाहिए कि रिश्ते की सीमाएं क्या होंगी. लेकिन पहली डेट यादगार बनाना जरूरी है कि दोनों ही लेट न हों बल्कि तयशुदा वक्त पर निर्धारित जगह पर पहुंच जाना चाहिए. अगर किसी वजह से देर हो रही हो तो मोबाइल पर सूचित कर देना चाहिए और मिलने पर सौरी भी बोलना चाहिए. जिस से सामने वाले का मूड न उखड़े. अगर किसी मुद्दे पर विचार न मिलते हों तो दोनों को खुद को एकदूसरे पर थोपना नहीं चाहिए और न ही बहस करना चाहिए.

दोनों को ही किसी न किसी भरोसेमंद दोस्त को बता कर जाना चाहिए और घर वालों की तरफ से अगर डेटिंग की छूट मिली हो तो उन्हें सूचित कर जाना चाहिए. डेटिंग के दौरान अगर दोनों के खयालात मिलें और अपनापन महसूस हो तो भी भावनाओं को नियंत्रित रखना ठीक रहता है. सैल्फी और फोटो दोनों सहमत हों तो ही लेना चाहिए और ऐसे कुछ काम बाद के लिए भी छोड़ने चाहिए क्योंकि पहली डेट के माने यह होता है कि एकदूसरे को सम झने की कोशिश करते यह फैसला लिया जाए कि अगला कदम उठाना है या नहीं.

मुलाकात कैसी भी रही हो, अंत में दोनों को एकदूसरे को थैंक्स जरूर बोलना चाहिए. डेट यदि अच्छी रही हो तो अगली बार कहां और कब मिलेंगे, यह फोन पर तय करने की बात कर लेनी चाहिए. घर आने के बाद इत्मीनान से आगे के बारे में सोचना चाहिए. अगर ऐसा लगे कि पटरी नहीं बैठेगी या आप का स्वभाव और आदतें उस के स्वभाव से मेल नहीं खाते हैं तो रिश्ते को बिना किसी गिल्ट के मशहूर शायर साहिर लुधियानवी की लिखी एक नज्म की ये लाइनें गुनगुनाते विराम दे देना चाहिए-

वो अफसाना जिसे अंजाम तक ले जाना हो नामुमकिन उसे एक खूबसूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा.

कुंआरा बाप बन कर मैं बहुत खुश था

आज मैं खुश था. हाथ में 4,800 रूपए थे जिसे मैं अपनी पहली कमाई मान रहा था. मन ही मन खुश था पर अपनी इस खुशी को किसी से शेयर न करना मेरी मजबूरी थी, क्योंकि मैं एक स्पर्म डोनर था. अगर दोस्तों से कहता तो वे मेरा मजाक उड़ाते यह तय था.

खैर, उस पैसे से मैं ने अपने लिए कपडे खरीदे और वापस कमरे पर लौट आया. अगले महीने इंजीनियरिंग का ऐंट्रैस भी था जिस के लिए मैं पूरी लगन से मेहनत कर रहा था.

अब अगले 72 घंटे तक मुझे इंतजार करना था क्योंकि लैब के स्टाफ ने बताया था कि एक बार के बाद अगले 72 घंटे बाद ही आना है

पहले थोडी परेशानी हुई मगर…

इस काम में मुझे मजा भी आने लगा था क्योंकि  हस्तमैथुन करना मैं छोड चुका था और मुझे लगने लगा था कि यह शरीर के एक महत्वपूर्ण चीज की बरबादी है.

अब 72 घंटे के इंतजार के बाद मुझे लैब जाना था और इस में मुझे कोई परेशानी भी नहीं होती थी क्योंकि स्पर्म बैंक मेरे होस्टल से ज्यादा दूर नहीं था.

सप्ताह में मैं 2 दिन जाता था और महीने में 8 बार तो हो ही आता था. इस लिहाज से मुझे 4-5 हजार की आमदनी महीने में हो जाती थी जिसे मैं यों ही बरबाद कर देता था.

किसी के सपने पूरे करने में अलग ही खुशी मिलती गई

वैसे, जब एक दोस्त ने मुझे यह सब करने की सलाह दी तो मुझे बडा अजीब सा लगा. मगर दिल को यह सुकून था कि मेरे स्पर्म से एक मां की सूनी गोद भर जाएगी. और फिर यह कोई गलत काम भी तो नहीं था.

लैब में पहली बार गया तो वहां के स्टाफ ने एक जारनुमा चीज दे कर वाशरूम की तरफ इशारा कर दिया. वह पुरूषों का वाशरूम था जहां 2-3 केबिन बने थे. वाशरूम साफसुथरा था और हैंडवाश की सुविधा थी. एक तरफ साफ तौलिया टंगा था.

मुझे पहली बार देर हो रही थी. स्पर्म को वहीं एक दराजनुमा अलमारी में रख कर और उस पर अपना कोड लिख कर मैं बाहर आया, रजिस्टर में नाम लिखवा कर मैं दोस्त के साथ निकल गया. दोस्त ने मजाकमजाक में कह भी दिया,”तुम तो बहुत देर लगाते हो…”

मैं झेंप सा गया था. पहली बार आया तो इस के लिए मुझे एक स्लिप भरनी पङी. कुछ टेस्ट के लिए ब्लड का सैंपल लिया गया. मेरी शारीरिक जांच हुई और ब्लड शुगर, एचआईवी आदि को देखा गया कि कहीं मुझे कोई बीमारी तो नहीं है.

यह कोई गलत काम नहीं था

काउंटर से एक बार के 600 रूपए मिले थे तो मुझे थोडा अजीब सा लगा था, क्योंकि आयुष्मान खुराना की फिल्म ‘विक्की डोनर’ मैं ने देखी थी जिस में वह स्पर्म डोनेट कर अमीर बन गया था पर मैं कोई आयुष्मान खुराना तो था नहीं. जो पैसे मिले वे अतिरिक्त पौकेट खर्च में मेरे काम आ रहे थे और मैं थोडी मस्ती भी कर पा रहा था.

इतने दिनों में मैं यही अच्छी तरह जान गया था कि यह कोई गलत काम नहीं है बल्कि किसी दंपति के पुरूष साथी में प्रजनन की समस्याओं के कारण अथवा किसी महिला का कोई पुरूष साथी नहीं होने के कारण उन्हें डोनेट किए गए स्पर्म की आवश्यकता हो सकती है.

एक सकारात्मक कार्य है

स्पर्म डोनेट यानी वीर्य दान एक सकारात्मक कार्य है जो कई ऐसी जोङियों को संतानसुख देता है जिस के घर में सालों से बच्चों की किलकारियां न गूंजी हों. इसलिए मैं एक ऐसा काम कर रहा था जिस से दूसरे लोगों की परिवार बनाने की उम्मीदें पूरी हो सकें.

आज मैं एक इंजीनियर हूं. मेरे अपने परिवार और एक प्यारी सी बेटी के साथ मैं बहुत खुश हूं.

कभीकभी सोचता हूं कि जो युवा हस्तमैथुन कर अपना वीर्य बरबाद कर देते हैं उन्हें स्पर्म डोनर्स क्यों नहीं बन जाना चाहिए?

जब पत्नी को पता चला

एक दिन मैं ने अपनी बीवी से अपनी पिछली जिंदगी के बारे में बताया तो वह भी बिना मुसकराए नहीं रह सकी. कभीकभी वह मुझे इस बात के लिए छेङती है तो हम दोनों ही खूब खुल कर हंसते हैं और एकदूसरे के गले लग जाते हैं.

सेक्स के बजाए ये बातें पुरुषों को ज्यादा रिझाती हैं

हमारे समाज में सेक्स को ले के एक अलग धारण बनी हुई है. सेक्स को ले कर पर्दा और हिचक ही कारण है कि लोगों में इसका पूरा ज्ञान नहीं है. हाल ही में एक शोध में ऐसी बात सामने आई है जो सेक्स को ले कर एक और मिथक को तोड़ती है.

ये बात आम है कि पुरुषों में सेक्स को ले कर ज्यादा उत्साह और जिज्ञासा होती है. एक हद तक इसे सही भी कहा जा सकता है, पर हाल में हुए एक शोध में ये बात सामने आई कि पुरुषों को सेक्स से ज्यादा प्यार से गले लगाने और किस में दिलचस्पी होती है. लड़के चाहते हैं कि उनका पार्टनर उन्हें प्यार से गले लगाए और किस करे. लम्बे समय तक चलने वाले रिश्तों पर किये एक अध्ययन में यह बात सामने आयी कि पुरुषों की खुशी और यौन संतुष्टि के लिए शारीरिक अंतरंगता होना बहुत जरूरी है.

इस शोध में शोधकर्ताओं ने जोड़ों के आपसी प्यार और अंतरंग संबंधों पर शोध किए. उसके बाद उन्होंने यह पता लगाने की कोशिश की कि यह सब उनकी खुशी और शारीरिक संतुष्टि को कैसे प्रभावित करती है. शोध में पाया गया कि जिन पुरुषों को उनकी महिला साथी बार बार किस करती हैं, गले लगती हैं और सेक्स के दौरान उनके साथ प्यार भरी छेड़छाड़ करती हैं, वे उन पुरुषों की तुलना में दोगुने खुश रहते हैं, जिन पुरुषों की पार्टनर उनके साथ ऐसे शारीरिक स्नेह नहीं जताती हैं.

कई रोगों कों आमंत्रण देती है उत्तेजक गोली

कई साइड इफेक्ट के बाद भी खुश की कशमकश के लिए इन गोलियों का उपयोग तेजी से हो रहा है . यहाँ बात हो रही है यौन उत्तेजना बढ़ाने वाली छोटी-सी उत्तेजक गोली (वियाग्रा) की. वर्त्तमान समय से बारह साल पहले 27 मार्च 2001 को अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने इन गोलियों को बाजार में बिक्री की इजाजत दी थी.

तब किसी ने नही सोचा था कि ये दवाए आगे चलाकर नुकशानदायक होगी. उस समय इन गोलियों को क्रांतिकारी माना गया था, लेकिन धीरे-धीरे स्थिति साफ होती गई. क्रांतिकारी माने जाने वाला दवा लोगो के लिए नुकशान दायक सिद्ध होने लगा, समय रहते ही इसके नुकसान को गंभीरता से लिया जाने लगा और अब पुरे विश्व भर में छोटी-सी उत्तेजक गोली पर खुल कर चर्चा हो रही है. तों आईये नजदीक से जानते है,छोटी-सी उत्तेजक गोली के बारे में….

* गोलियों के माध्यम से खुश करने की कशमकश :- समय के साथ समाज में बहुत बदलाव आया है, आज के समय में सिर्फ उम्र दराज लोग ही पुंसत्ववर्धक दवाएँ नहीं ले रहे हैं, बल्कि युवा भी बिस्तर पर अपने हमसाथी की माँग पूरी करने के लिए उत्तेजक दवाओ का सहारा लेने लगे हैं. एक अनुमान के अनुसार हर रोज उत्तेजक दवाओ का इस्तेमाल करने वालो की संख्या दुगुने गति से बढ़ रहा, यानि दिन -प्रतिदिन इन दवाओ की मांग बढ़ रही है. कई जानकारों का कहना है कि कई लोग औनलाइन उत्तेजक दवायों (वियाग्रा) कों खरीदकर अवैध दवाओं के धंधे को बढ़ावा दे रहे हैं.

विशेषज्ञों के अनुसार आज की महिलाएं अश्लीलता से भरपूर विदेशी धारावाहिकों (सेक्स और सिटी जैसे धारावाहिकों से) में महिलाओं की भूमिका से प्रेरणा ले रही हैं और अपने यौन इ‘छाओं का खुलकर इजहार कर रही हैं तथा बिस्तर पर अपने पुरुष साथियों से ’यादा क्षमता और सोच की माँग करने लगी हैं. परिणामस्वरूप 18 से 40 साल के बीच के लोग धीरे-धीरे दुर्बलता महसूस करने लगे हैं. इन आधुनिक महिलाओं के कारण मर्द अपने आप में नपुंसकता महसूस कर सकते हैं, फलस्वरूप उत्तेजक दवा का सहारा लेकर अपने साथी कों खुश करने कि कोशिश करना शुरू कर देते है. शुरुयात में यह सब एक कोशिश होता है, लेकिन धीरे-धीरे ये दवाए पुरुषो की आदत बन जाती है. इस तरह शुरू होता है, रोजाना उत्तेजक गोलियों के माध्यम से साथी कों खुश करने की कशमकश.

* साइड इफेक्ट्स :- उत्तेजक दवायो का उपयोग लोग यौन शक्ति बढ़ाने के लिए होती है, लेकिन लगातार उपयोग करने की दशा में लोग अपना यौन शक्ति तों खोते ही है, साथ-साथ कई बीमारियों कों आमंत्रित करते है. कुछ नए शोधों से तो यहां तक पता चला है कि कामोत्तेजना बढ़ाने वाली दवाओ के प्रभाव से कानों की सुनने की क्षमता भी खत्म हो जाती है. शोध से यह भी साबित हुआ है कि उत्तेजक गोली (वियाग्रा) से वीर्य पर भी असर पड़ता है और निषेचन की क्षमता घटती है, यानि बच्चा पैदा करने की पुरुषों की क्षमता घटाती है. जानकारों का मानना है कि इसके साइड इफेक्ट्स काफी हद तक बढ़ गई है,

सिर में दर्द और चेहरे पर लाल दाने उभर जाना सबसे आम है. इसके अलावा कई लोगों में नाक में खून जमना, छींक आना, अपच, पीठ में दर्द, दिल की धडक़न बढऩा और रोशनी से डर लगना जैसे लक्षण भी नजर आते हैं. यही नही यौन क्षमता बढ़ाने वाली दवाओं का जो सबसे खतरनाक दुष्प्रभाव है, कि वह धमनियों में फैलाव ला देती है. जिसके फलस्वरूप निम्न रक्तचाप, लिंग में दर्द, दिल का दौरा, आंखों की रोशनी कमना और कई बार तो अंधेपन जैसी समस्या सामने आ जाती है.

* क्या कहते है विशेषज्ञ :- शारीरिक संबंध (सेक्स) शरीर का मिलन भर नही है, बल्कि दो लोगो का अन्दुरुनी प्रेम सम्बन्ध है, विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तेजक दवाo से काफी हद तक दुरिया बनाई रखनी चाहिए. कुछ विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि छणिक सुख के लिए दूरगामी बीमारियों का न्यौता ना दे, जहाँ तक हो सके इन दवाओ के सेवन से बचे.

डाक्टरों का कहना है कि उत्तेजक दवा आपको आपके साथी से दुरिया बनाने में अहम रोल अदा करता है. इस बात कों बहुत लोग मानाने कों तैयार नही है, लेकिन यह सच है कि इन दवाओ का सेवन शुरुयात में आपके जीवन में मीठा रस घोलता है, फिर नीम से कड़ा कड़वाहाट आपके संबंध में आ जाता है. शारीरिक संबंध (सेक्स) के संबंधित मामलो पर 20 साल से काम करने वाले डाँ विनीत बताते है कि इन दवाओ का उपयोग नपुंसक लोगो के लिए कारगर है, जबकि सामान्य लोगो के लिए बेहद खतरनाक जहाँ तक हो सके इन दवाo के सेवन से बचना चाहिए. क्यों कि पिछले दो सालो में नवयुवको का छुकाव इन दवाओ के तरफ तेजी बढा है, जो बेहद खतरनाक है.

* क्या कहता है कानून :- उत्तेजक दवाओ के बिक्री के संबंध में कई कड़े कानून ना होने के कारण हमारे देश में इन दवाओ के नाम पर लूट जोरो से हो रही है. कुछ अंग्रेजी उत्तेजक दवा भी समान्य दवा विक्री कानून के अंदर आते है. एक अनुमान के अनुसार नीम-हाकिम के द्वारा दिए जाने वाले उत्तेजक दवाओ कों लोग कभी कारगर मन कर बड़े पैमाने पर उसका उपयोग कर रहे है. ऐसे कई नीम- हकीम है, जो चोरी छुपे उत्तेजक दवाओ के नाम पर कुछ भी बेच रहे है. इस तरह के मामले प्रकाश में नही आ पाते है, क्यों कि पीडि़त लोग शर्म के मारे समाज में इनके विरोध कुछ बोल नही पाता है. जिससे कई मामलों का सच सामने आता ही नही है और नित्य इन गोलियों के माध्यम से कानून के आँखों में धुल झोका जा रहा है.

मेरी बेटी टीचिंग का कोर्स करना चाहती है, मेरे पति उस पर भी डाक्टर बनने का दबाव डाल रहे हैं.

सवाल-

मेरी बेटी 12वीं के बाद टीचिंग का कोर्स करना चाहती है. लेकिन मेरे पति खुद डाक्टर होने के कारण उस पर भी डाक्टर बनने का दबाव डाल रहे हैं. वह तनाव में है और किसी से भी बात नहीं कर रही. मैं अपनी बेटी को ऐसी स्थिति में नहीं देख सकती?

जवाब-

आजकल मातापिता बच्चों पर जरूरत से ज्यादा कैरियर बनाने का दबाव बना रहे हैं. इस कारण वे तनावग्रस्त हो कर आत्महत्या जैसे कठोर कदम उठाने में भी देर नहीं लगाते. बच्चों को वही करने दें जिस में उन की रुचि हो, न कि पीढ़ी दर पीढ़ी चले आ रहे प्रोफैशन को उन पर थोपें. वैसे शिक्षा के क्षेत्र में भी बहुत प्रतियोगिता है और अच्छी नौकरी मिलनी मुश्किल है. अभी बेटी छोटी है और डाक्टरी की पढ़ाई से भयभीत है, उसे समझाना जरूरी है.

सेक्स फैंटेसी को लेकर लोगों की बदलती सोच, पढ़ें खबर

सेक्स को ले कर महिलाओं पर रूढिवादी सोच हमेशा हावी रही है. लेकिन अब समय के साथ यह टूटने लगी है. अब पुरुषों की ही तरह महिलाएं भी सेक्स को पूरी तरह ऐंजौय करना चाहती हैं. इसे ले कर उन के मन में कई तरह के सपने भी होते हैं. अब ये बातें भी पुरानी हो गई हैं कि कौमार्य पति की धरोहर है. अब शादी के पहले ही नहीं शादी के बाद भी सेक्स की वर्जनाएं टूटने लगी हैं. शादी के बाद पतिपत्नी खुद भी ऐसे अवसरों की तलाश में रहते हैं जहां वे खुल कर अपनी हसरतें पूरी कर सकें.

परेशानियों से बचाव

सेक्स के बाद आने वाली परेशानियों से बचाव के लिए भी महिलाएं तैयार रहती हैं. प्लास्टिक सर्जन डाक्टर रिचा सिंह बताती हैं, ‘‘शादी से कुछ समय पहले लड़कियां हमारे पास आती हैं, तो उन का एक ही सवाल होता है कि उन्होंने शादी के पहले सेक्स किया है.

इस बात का पता उन के होने वाले पति को न चले, इस के लिए वे क्या करें? लड़कियों को जब इस बारे में सही राय दी जाती है तो भी वे मौका लगते ही सेक्स को ऐंजौय करने से नहीं चूकतीं. शादी के कई साल बाद महिलाएं हमारे पास इस इच्छा से आती हैं कि वे शारीरिक रूप से कुंआरी सी हो जाएं.’’

विदेशों में तो सेक्स को ले कर तमाम तरह के सर्वे होते रहते हैं पर अपने देश में ऐसे सर्वे कम ही होते हैं. कई बार ऐसे सैंपल सर्वों में महिलाएं अपने मन की पूरी बात सामने रखती हैं. इस से पता चलता है कि सेक्स को ले कर उन में नई सोच जन्म ले रही है. डाक्टर रिचा कहती हैं कि शादी से पहले आई एक लड़की की समस्या को एक बार सुलझाया गया तो कुछ दिनों बाद वह दोबारा आ गई और बोली कि मैडम एक बार फिर गलती हो गई.

सेक्स रोगों की डाक्टर प्रभा राय बताती हैं कि हमारे पास ऐसी कई महिलाएं आती हैं, जो जानना चाहती हैं कि इमरजैंसी पिल्स को कितनी बार खाया जा सकता है. कई महिलाएं तो बिना डाक्टर की सलाह के इस तरह की गोलियों का प्रयोग करती हैं. कुछ महिलाएं तो गर्भ ठहर जाने के बाद खुद ही मैडिकल स्टोर से गर्भपात की दवा ले कर खा लेती हैं. मैडिकल स्टोर वालों से बात करने पर पता चलता है कि बिना डाक्टर की सलाह के इस तरह की दवा का प्रयोग करने वाले पतिपत्नी नहीं होते हैं.

बदल रही सोच

सेक्स अब ऐंजौय का तरीका बन गया है. शादीशुदा जोड़े भी खुद को अलगअलग तरह की सेक्स क्रियाओं के साथ जोड़ना चाहते हैं. इंटरनैट के जरीए सेक्स की फैंटेसीज अब चुपचाप बैडरूम तक पहुंच गई है, जहां केवल दूसरे मर्दों के साथ ही नहीं पतिपत्नी भी आपस में तमाम तरह की सेक्स फैंटेसीज करने का प्रयास करते हैं.

इंटरनैट के जरीए सेक्स की हसरतें चुपचाप पूरी होती रहती हैं. सोशल मीडिया ग्रुप फेसबुक और व्हाट्सऐप इस में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं. फेसबुक पर महिलाएं और पुरुष दोनों ही अपने निक नेम से फेसबुक अकाउंट खोलते हैं और मनचाही चैटिंग करते हैं. इस में कई बार महिलाएं अपना नाम पुरुषों का रखती हैं ताकि उन की पहचान न हो सके. वे चैटिंग करते समय इस बात का खास खयाल रखती हैं कि उन की सचाई किसी को पता न चल सके. यह बातचीत चैटिंग तक ही सीमित रहती है. बोर होने पर फ्रैंड को अनफ्रैंड कर नए फ्रैंड को जोड़ने का विकल्प हमेशा खुला रहता है.

इस तरह की सेक्स चैटिंग बिना किसी दबाव के होती है. ऐसी ही एक सेक्स चैटिंग से जुड़ी महिला ने बातचीत में बताया कि वह दिन में खाली रहती है. पहले बोर होती रहती थी. जब से फेसबुक के जरीए सेक्स की बातचीत शुरू की है तब से वह बहुत अच्छा महसूस करने लगी है. वह इस बातचीत के बाद खुद को सेक्स के लिए बहुत सहज अनुभव करती है. पत्रिकाओं में आने वाली सेक्स समस्याओं में इस तरह के बहुत सारे सवाल आते हैं, जिन्हें देख कर लगता है कि सेक्स की फैंटेसी अब फैंटेसी भी नहीं रह गई है. इसे लोग अपने जीवन का अंग बनाने लगे हैं.

तरहतरह के लोग

फेसबुक को देखने, पसंद करने और चैटिंग करने वालों में हर वर्ग के लोग हैं. ज्यादातर लोग गलत जानकारी देते हैं. व्यक्तिगत जानकारी देना पसंद नहीं करते. छिबरामऊ की नेहा पाल की उम्र 20 साल है. वह पढ़ती है. वह लड़के और लड़कियों दोनों से दोस्ती करना चाहती है. 32 साल की गीता दिल्ली में रहती है. वह नौकरी करती है.

उस की किसी लड़के के साथ रिलेशनशिप है. वह केवल लड़कियों से सैक्सी चैटिंग पसंद करती है. उस की सब से अच्छी दोस्त रीथा रमेश है, जो केरल की रहने वाली है. वह दुबई में अपने पति के साथ रहती है. अपने पति के साथ शारीरिक संबंधों पर वह खुल कर गीता से बात करती है.

ऐसे ही तमाम नामों की लंबी लिस्ट है. इन में से कुछ लड़कियां अपने को खुल कर लैस्बियन मानती हैं और लड़कियों से दोस्ती और सैक्सी बातों की चैटिंग करती हैं. कुछ गृहिणियां भी इस में शामिल हैं, जो अपने खाली समय में चैटिंग कर के मन को बहलाती हैं. कुछ लड़केलड़कियां और मर्द व औरतें भी आपस में सैक्सी बातें और चैटिंग करते हैं.

कई लड़केलड़कियां तो अपने मनपसंद फोटो भी एकदूसरे को भेजते हैं. फेसबुक एकजैसी रुचियां रखने वाले लोगों को आपस में दोस्त बनाने का काम भी करता है. एक दोस्त दूसरे दोस्त को अपनी फ्रैंडशिप रिक्वैस्ट भेजता है. इस के बाद दूसरी ओर से फ्रैंडशिप कन्फर्म होते ही चैटिंग का यह खेल शुरू हो जाता है. हर कोई अपनीअपनी पसंद के अनुसार चैटिंग करता है.

कुछ लड़कियां तो ऐसी चैटिंग करने के लिए पैसे तक वसूलने लगी हैं. वाराणसी के रहने वाले राजेश सिंह कहते हैं, ‘‘मुझ से चैटिंग करते समय एक लड़की ने अपना फोन नंबर दिया और कहा इस में क्व500 का रिचार्ज करा दो. मैं ने नहीं किया तो उस ने सैक्सी चैटिंग करना बंद कर दिया.’’

इसी तरह से लखनऊ के रहने वाले रामनाथ बताते हैं, ‘‘मेरी फ्रैंडलिस्ट में 4-5 लड़कियों का एक ग्रुप है, जो मुझे अपने सैक्सी फोटो भेजती हैं. मेरे फोटो देखना भी वे पसंद करती हैं. कभीकभी मैं उन का नैटपैक रिचार्ज करा देता हूं. इन से बात कर मैं बहुत राहत महसूस करता हूं. मुझे यह अच्छा लगता है, इसलिए मैं कुछ रुपए खर्च करने को भी तैयार रहता हूं.’’ फेसबुक के अलावा अब व्हाट्सऐप पर भी इस तरह की चैटिंग होने लगी है.

जागरूकता लाते फिल्मों के कंडोम सीन

इस फिल्म का हीरो एक दफ्तर में क्लर्क था जिस की शादी तय हो जाती है तो वह सेक्स की जानकारियों के लिए कामसूत्र जैसी किताबें पढ़ने लगता है.

फिल्म ‘अनुभव’ का वह सीन बड़े दिलचस्प तरीके से दिखाया गया है जिस में हीरो निरोध खरीदने दुकान पर जाता है, तो बेहद घबराया हुआ रहता है और रास्तेभर इस बात की प्रैक्टिस करता हुआ जाता है कि दुकानदार से निरोध मांगना कैसे है.

इस फिल्म की हीरोइन पद्मिनी कोल्हापुरे सयानी हो जाने के बाद भी बच्चों की तरह शरारत करती खेलती रहती है. वह शादी और सैक्स का मतलब ही नहीं समझती है.

फिल्म का एक और सीन दर्शकों को खूब हंसा गया जिस में पद्मिनी कोल्हापुरे अपने छोटे भाई के साथ मिल कर शेखर सुमन के सूटकेस से निरोध निकाल कर उन्हें गुब्बारों की तरह फुला कर आंगन में टांग देती है.

ऐसे आती है जागरूकता

इस एक फिल्म के कुछ सीन देख कर नौजवानों में कंडोम को ले कर न केवल जागरूकता आई थी, बल्कि वे छोटे परिवार की अहमियत भी समझने लगे थे. उस दौर में सरकार ने छोटे परिवार, परिवार नियोजन और निरोध का जम कर प्रचार किया था लेकिन उसे उम्मीद के मुताबिक कामयाबी नहीं मिली थी.

कंडोम बनाने वाली प्राइवेट कंपनियां जब मैदान में आईं तो उन्होंने सब से पहले प्रचार करने का तरीका बदला और तरह-तरह के लुभावने कंडोल बनाना शुरू किए, तो देखते ही देखते कंडोम के बाजार और कारोबार ने ऐसी रफ्तार पकड़ी कि अब लोगों को यह बताने की जरूरत नहीं रह गई है कि कंडोम से आप न केवल परिवार छोटा रख सकते हैं, बल्कि कई सैक्स रोगों से भी खुद को बचा कर रख सकते हैं.

लेकिन अभी भी गांवदेहात में रूढि़यों और लापरवाही के चलते कंडोम के प्रचार प्रसार की जरूरत है.

जरूरत तो इस बात की भी है कि कंडोम छोटी से छोटी जगह पर आसानी से मिले और  सरकार व कंपनियां मिल कर इसे एक चैलेंज और मुहिम की शक्ल में लें.

कंडोम बनाने वाली कंपनियों ने लोगों को लुभाने के लिए तरहतरह के इश्तिहार बनाए और जब फिल्मी सितारों को भी अपना ब्रांड एंबैसेडर बनाना शुरू किया तो लोगों की झिझक भी कम होना शुरू हुई.

‘बिग बी’ को दिया कंडोम

हिंदी फिल्मों के ‘बिग बी’ अमिताभ बच्चन ने कभी कंडोम का इश्तिहार नहीं किया, लेकिन एक हिट फिल्म ऐसी भी थी जिस में उन्हें कंडोम थमाया गया था. यह फिल्म थी ‘सत्ते पे सत्ता’, जिस में अमिताभ नर्स बनी हेमामालिनी से इश्क कर बैठते हैं और उन से कोर्टमैरिज कर लेते हैं.

जब वे शादी के बाद रजिस्टर पर दस्तखत कर कुरसी से उठते हैं तो रजिस्ट्रार उन्हें बधाई देते हुए उन की हथेली पर कंडोम का पैकेट रख देता है.

इस छोटे से सीन में दर्शकों के लिए कई मैसेज छिपे थे, मसलन यह कि कंडोम का इस्तेमाल पहली रात यानी सुहागरात से ही कर देना चाहिए जिस से मियांबीवी दोनों सैक्स का लुत्फ बिना किसी डर और रुकावट के उठा सकें और पहले बच्चे के लिए जल्दबाजी न करें.

बिना कंडोम सैक्स नहीं

अमिताभ बच्चन के बेटे अभिषेक बच्चन की फिल्म ‘पा’ एक अलग तरह की फिल्म थी जिस में उन का बेटा एक खतरनाक बीमारी प्रोगेरिया का शिकार रहता है और आम बच्चों की तरह नहीं रह पाता है और न ही जी पाता है. 13 साल के छोटे बच्चे का रोल अमिताभ बच्चन ने ही निभाया था.

इस फिल्म में विद्या बालन हीरोइन थी. प्रेमीप्रेमिका कभी भी बिना कंडोम के हमबिस्तरी नहीं करते थे, पर एक बार चूक हो गई. यह पहली फिल्म थी जिस में कंडोम न इस्तेमाल करने की वजह

से प्रेमीप्रेमिका अलग हुए क्योंकि प्रेमी विवाह को तब भी तैयार न हुआ, जब प्रेमिका पेट से हो गई.

देश की आबादी जिस रफ्तार से बढ़ रही है, कुछ अनुमान तो यह है कि शायद इस मामले में 2022-23 में चीन से भी फतेह मिल जाएगी, जबकि जरूरत इस बात की है कि हम आबादी के नहीं बल्कि टैक्नोलौजी और कारोबार के मामले में चीन को पछाड़ें. शायद इसीलिए प्रधानमंत्री भी देशवासियों को कम से कम बच्चे पैदा करने का मशवरा देने लगे हैं.

और भी हैं मिसालें

फिल्म ‘अनुभव’ के बाद ‘पीके’ ऐसी फिल्म थी जिस में कंडोम सीन को लंबा दिखाया गया था. इस फिल्म में आमिर खान हीरो थे और दूसरे गोला यानी ग्रह से आए थे जो आम लोगों की दुनिया के तौरतरीकों से वाकिफ नहीं था. फिल्म में धार्मिक अंधविश्वासों को ले कर जम कर हमला किया गया था.

एक सीन में दिखाया गया था कि आमिर खान एक न्यूज चैनल के दफ्तर में बैठे हुए कुछ सोच रहे हैं तभी उन्हें कंडोम का पैकेट गिरा हुआ दिखता है, तो वे हर किसी से पूछते फिरते हैं कि यह आप का है क्या?

इस कौमेडी पर दर्शकों को भले ही खूब हंसी आई हो, लेकिन उन्होंने पहली दफा किसी हिट फिल्म में कंडोम का इतना खुला प्रचार देखा था.

इसी तरह गोविंद मेनन के डायरैक्शन में बनी हिंदी फिल्म ‘ख्वाहिश’ में हीरोइन मल्लिका शेरावत को कंडोम खरीदते हुए दिखाया गया था. इस सीन की अपनी अलग अहमियत थी कि अब लड़कियां भी बिना किसी लिहाज के कंडोम खरीदने लगी हैं.

विशाल मिश्रा के डायरैक्शन में बनी फिल्म ‘मरुधर ऐक्सप्रैस’ में भी एक अच्छा कंडोम सीन है, लेकिन यह सब काफी नहीं है. अभी कंडोम को ले कर और अच्छी फिल्मों की जरूरत है जिस से ज्यादा से ज्यादा जागरूकता आए.

अगर सैनेटरी नैपकिन को ले कर जागरूकता फैलाती फिल्म ‘पैडमैन’ बन सकती है, तो कंडोम पर क्यों नहीं?

आखिर क्यों इस लड़के ने किया खुद का सौदा

तब पत्थरों के बीच बैठे प्रेमी जोड़ों को देखता तो सोचता कितना प्रेम है इन में. आज सोच रहा हूं क्या वाकई प्रेम है इस दुनिया में? यूपी के एक छोटे से कसबे से मुंबई आया तो सोचा था अच्छी नौकरी मिल जाए तो फिर शादी करूंगा और घर बसा लूंगा.
यहां आया तो एक परिचित ने एक चाल की खोली में मेरे लिए रहने की व्यवस्था कर दी. मैं अखबार में विज्ञापन देखता और फिर इंटरव्यू देने जाता. काफी दिन हो गए थे नौकरी ढूंढ़तेढूंढ़ते. पैसे खत्म हो गए थे और उधार से काम चला रहा था.

एक दिन मेरी मुलाकात टोनी नाम के एक शख्स से हुई. उस ने मुझे बताया, ‘‘छोड़ो, बेकार है चप्पलें घिसना. शाम को चलो एक बंदे से मिलवाता हूं.’’
मैं ने पूछा, ‘‘किसी कंपनी के मालिक हैं? या फिर कोई औफिसर?’’
वह तेज हंसा फिर बोला, ‘‘शाम को पता चल जाएगा.’’

मैं मजबूर था

शाम को हम चल दिए तय समय पर. वह एक दबड़ेनुमा जगह थी. उस में एक छोटे से कमरे में औफिस जैसा बना था.
उस में बैठा शख्स मुझ से कहने लगा, ‘‘खूब पैसा है पर तुम्हें टापचिक यानी फैशन में रहना पड़ेगा. कस्टमर जो कहे उसे करना होगा. किसी भी हालत में उसे नाराज नहीं करना है. जो पैसा मिलेगा 60% तुम्हारा 40% हमारा. स्मार्ट हो तुम, बस खुद को टापचिक रखो.’’
मेरे पास पैसे नहीं थे. मैं कर भी क्या सकता था? दूसरी तरफ मुझे लगा कि इस में मेरा क्या जाएगा. मैं तैयार हो गया.
अब कल से मुझे एक ऐस्कौर्ट पुरुष बनना था, जिसे जिगोलो भी कहते हैं.

बेचैनी में काटी रात

पूरी रात मैं ने बेचैनी में काटी. दूसरे दिन शाम 6 बजे मुझे तैयार हो कर एक कैफे के बाहर खड़ा होना था. बांए पर हरी पट्टी बांधनी थी, जिस से मेरी पहचान करने में कस्टमर को परेशानी न हो. मुझे सिर्फ कार का एक नंबर दिया गया था. कोड था ‘हैप्पी डे’.

शाम के 6:12 बजे एक कार आ कर रुकी. मैं ने कार का नंबर प्लेट देखा. यह वही नंबर था जो मुझे दिया गया था. मैं कार की ओर बढ़ा तो ड्राइवर की सीट पर एक 35-36 साल की महिला थी. उस ने खिडक़ी के शीशे को नीचे कर मुझे देखा तो मैं ने उसे ‘हैप्पी डे मैम’ बोला. वह मुसकराई फिर पिछली सीट पर बैठने को इशारा किया. थोड़ी ही देर बाद हम एक शानदार होटल के बाहर खड़े थे.

उस ने साथ नहाने को औफर किया

होटल के कमरे में जाते ही उस महिला ने बीयर पी और मुझे भी पीने को कहा. मैं ने कहा मैं नहीं पीता, यह बुरी लत है तो वह हंसी फिर बोली, ‘‘नए लगते हो. कहां के रहने वाले हो?’’
मैं ने कहा, ‘‘सौरी मैम, जगह और पता नहीं बता सकता आप को.’’
उस ने “ओके” कहा और मुझे साथ नहाने को औफर किया. वह नहाते समय मुझ से लिपट गई और अपनी नाभी को मुझे चूमने के लिए कहा. बाद में हम कमरे में आ गए. बातों ही बातों में उस ने मुझे बताया कि उस के पति को सैक्स में ज्यादा फंकी करना पसंद नहीं. नितंबों तक को चूमना किसे कहते हैं यह नहीं जाना आज तक.
थोड़ी देर बाद वह मेरे ऊपर थी और सैक्स के समय वह तेजतेज सिसकारियां ले रही थी. हद तो तब हो गई जब उस ने मोबाइल में एक पोर्न क्लिक दिखा कर मुझ से ऐसा ही करने को कहा.
खैर, लगभग 3 घंटे हम साथ रहे. फिर बाद में मैं अपनी खोली पर आ गया था. पैसे एडवांस में ही मुझे मिल गए थे. 1 दिन में 5 हजार रूपए मेरे जेब में थे.

1-2 दिन तक मुझे कोई फोन नहीं आया. तीसरे दिन मुझे दोपहर 3 बजे एक जगह जाने को बोला गया. वह एक फ्लैट था. डोरबेल बजाने पर एक 26-27 साल की युवती ने दरवाजा खोला. मैं ने कोडवर्ड बताया तो वह दरवाजे से हट गई. मैं अंदर आ गया. उस ने मेरे हाथ से मोबाइल ले लिया और उसे स्विच्ड औफ कर दिया. फिर मुझे ड्राइंगरूम में ले गई और पूछा, ‘‘कोई कैमरा या रिकौर्डर वगैरह हो तो बता दो, वरना अच्छा नहीं होगा.’’
मेरे मना करने पर उस ने मुझे कौफी बना कर पिलाई फिर पूरी तरह नंगा होने को बोली.

हैरान था मैं 

मैं उस के सामने पूरी तरह निर्वस्त्र था. उस ने मेरी अंग की तारीफ की और पूछ बैठी, ‘‘क्या सभी पुरुषों का ‘ऐसा’ ही होता है?’’ मैं हैरान था.
उस ने मुझे बताया कि अगले 3 महीने बाद उस की शादी होने वाली है और वह शादी से पहले पुरुष शरीर को करीब से देखना चाहती थी.
मैं अवाक था. वह सुंदर थी और तब तक मेरी भी इच्छा सैक्स करने को हो रही थी. मैं ने पूछा, ‘‘मैम, क्या कंडोम लगाऊं?’’ उस ने मना कर दिया और बोली, ‘‘नहींनहीं, बस कुछ देर इसी तरह खड़े रहो. मेरी शादी होने वाली है.’’
खैर, कुछ देर बाद मैं वहां से निकल कर अपने खोली पर आ गया. मूड औफ था पर आज फिर बतौर फीस पैसे मिले थे इसलिए बाजार घूमने निकल पङा.

एक बार तो मैं बुरी तरह घिर गया था

मुझे एकसाथ 2 युवतियों को खुश करना था. वे दोनों ही काफी तेजतर्रार लग रही थीं. उन्होंने एकएक कर मेरे कपड़े उतारे और मुझे निर्वस्त्र ही डांस को बोलने लगीं. मेरे लिए यह सब आश्चर्यजनक था. पर उन्हें न तो नाराज कर सकता था और न ही मैं भाग सकता था. उस दिन मैं थक कर चूर हो गया था. 4-5 घंटे बाद खोली पर आया तो आते ही बिना खाएपीए सो गया.

एक दिन तो अजीब वाकेआ हुआ मेरे साथ

उस दिन मुझे जहां जाना था, उस के लिए मैं ने नए कपड़े खरीदे थे. हेयरस्टाइल सही कराए थे और अच्छे से तैयार हो कर निकला था.
होटल के जिस कमरे में मैं पहुंचा था वहां लगभग 42 साल की एक महिला थी. वह मुझे बताते हुए रो पड़ी. उस ने बताया कि वह अकेलेपन का शिकार है और पति उसे प्यार नहीं करता. उस ने बताया कि उस के पति ने घुटनों के ऊपर कभी किस नहीं किया. फोरप्ले के लिए तरस जाती है वह.
मेरे साथ सैक्स के दौरान वह इतनी उत्तेजित हो गई थी कि उस ने जोश में मेरे दाएं कान पर कस कर दांत गड़ा दिए थे. मैं तो बिलबिला गया था.

लगभग 3 साल तक मैं पुरुष ऐस्कौर्ट का काम करता रहा. इस दौरान मैं ने बहुत पैसे कमाए. यह तो अच्छा रहा कि इस दौरान मैं कंप्यूटर कोर्स पूरा कर खुद एक कोचिंग सैंटर खोल कर बच्चों को पढ़ाने लगा.

मन में कई सवाल अधूरे रह गए

बीते दिनों को मैं याद करना नहीं चाहता. बस इतना ही कहना चाहूंगा कि पतियों को अपनी पत्नी को भरपूर प्यार करना चाहिए. उन्हें मानसिक सुख के साथ दैहिक सुख का भी खयाल रखना चाहिए. इतने दिनों में मैं ने जाना कि महिलाएं अकेलेपन और प्रेम के अभाव में ही गलत रास्ता चुनती हैं. यह अलग बात है कि कुछ महिलाएं इसे अपनी आजादी से जोड़ कर देखती हैं.

सही है, पुरुषों की तरह महिलाओं को भी अपनी जिंदगी अपने ढंग से जीने की आजादी मिलनी चाहिए. मगर मन में कई सवाल हैं जिन्हें अब जानने की कोई इच्छा नहीं है. पिछली गलतियों को भूल कर मुझे अब अपना और अपने परिवार का भविष्य संवारना है. अब से मैं बराबर समुद्र किनारे बैठने आऊंगा. मुझे यह देख कर अच्छा लगता है कि छोटीछोटी मछलियां लहरों के बहाव में किनारे जमीन पर आ जाती हैं. पर संघर्ष करतेकरते वे फिर से पानी में जा कर जिंदा बच जाती हैं.
काश, मैं भी कुछ साल पहले इन मछलियों से प्रेरणा ले पाता.

(नाम व पहचान गुप्त रखने के लिए पात्रों के नाम बदल दिए गए हैं)

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