सेक्स के दौरान बौयफ्रेंड की इस डिमांड से परेशान हूं, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 34 वर्षीय महिला हूं. पति अक्सर काम के सिलसिले में बाहर रहते हैं और कभीकभी तो हफ्तों नहीं आ पाते. इस दौरान 25 साल के एक युवक से मेरी दोस्ती हो गई. यह दोस्ती इतनी गहरी हो गई कि हमारे बीच जिस्मानी ताल्लुकात तक हो गए हैं. वह काफी हंसमुख और हाजिरजवाब है. काफी जोशीला और सेक्स की कला में माहिर भी है. सैक्स के दौरान वह देर तक फोरप्ले करता है और इस दौरान मैं भी उस का भरपूर साथ देती हूं. हमारे बीच कमिटमेंट है कि हम हमेशा एक दोस्त की तरह रहेंगे और जब भी मौका मिलेगा सेक्स संबंध बनाने से गुरेज नहीं करेंगे. इधर कुछ दिनों से सेक्स संबंध बनाते समय वह चाहता है कि ओरल सेक्स के दौरान मैं उसके वीर्य (सीमन) को पी जाऊं. मेरे मना करने पर वह नाराज हो जाता है. उस के नाराज होने पर मेरा किसी काम में मन नहीं लगता, मगर डरती हूं कि ऐसा करने से किसी रोग आदि से ग्रसित न हो जाऊं. कृपया बताएं मैं क्या करूं?

जवाब

आप शादीशुदा हैं पर आप को बच्चा भी है अथवा नहीं, यह आप ने नहीं बताया है. बहरहाल, जो भी हो आप आग से खेल रही हैं और कभी भी यह आप की वैवाहिक जिंदगी को तबाह कर सकती है. विवाहेतर संबंध बाद में ऐसा नासूर बन जाता है जिस का जख्म जल्द नहीं भरता. जैसा कि आप ने बताया कि आप और आप के कथित दोस्त के बीच एक कमिटमैंट है, जो सिर्फ दोस्ती की है पर इसे अगर आप दोस्ती तक ही सीमित रखतीं तो बेहतर था. जितनी जल्दी हो इस रिश्ते को खत्म कर वैवाहिक जिंदगी जीने की कोशिश करें. पति के साथ अधिक से अधिक वक्त बिताएं. पति से अनुरोध करें कि जब वे टूर पर जाएं तो आप को भी साथ ले कर जाएं. इस दौरान पति का खयाल रखें और उन की मनपसंद ड्रैस पहनें. साथसाथ फिल्म देखें, खाली समय में घूमेंफिरें. फिर देखें, आप को जितना अपने पति से प्रेम मिलेगा उतना किसी और से नहीं. रही बात ओरल सैक्स के दौरान वीर्यपान करने की तो अगर सैक्स पार्टनर स्वस्थ है और उसे किसी प्रकार का रोग आदि नहीं है, तो यह नुकसानदायक नहीं है. बेहतर होगा कि इस के लिए स्वयं ही विवेक से काम लिया जाए.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें-  सरस सलिल-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

सेक्स करते वक्त नहीं होनी चाहिए किसी भी प्रकार की शर्म

शादी से पहले अनेक लड़कियां हैं, जो सेक्स को शर्म के साथ जोड़ कर देखती हैं, जिस की वजह से इस सहजस्वाभाविक प्रक्रिया व आवश्यकता को ले कर कई बार उन के मन में कुंठा भी पैदा हो जाती है. सेक्स के प्रति शर्म की भावना हमारे भीतर से नहीं वरन हमारे परिवेश से उत्पन्न होती है. यह हमारे परिवारों से आती है, हमारी सांस्कृतिक व धार्मिक परंपराओं से आती है, फिर हमारे मित्रों व हमारे समुदाय से हम तक पहुंचती है.

आगे चल कर हम एक तरफ तो उन चित्रों और संदेशों को देख कर यह सीखते हैं जो हैं कि सेक्स एक सुखद एहसास है और जीवन में खुश रहने के लिए सफल सेक्स जीवन एक अनिवार्यता है तो दूसरी ओर उन संदेशों के माध्यम से सेक्स को शर्म से जोड़ कर देखते हैं, जो बताते हैं कि सेक्स संबंध बनाना गलत व एक तरह का पाप है. समाजशास्त्री कल्पना पारेख मानती हैं कि ज्यादातर ऐसा उन स्थितियों में होता है, जब लड़कियां यौन शोषण का शिकार होती हैं. सेक्स से संबंधित कोई भी मनोवैज्ञानिक, शारीरिक या भावनात्मक शोषण उस के प्रति अनासक्ति तो पैदा कर ही देता है, साथ ही अनेक वर्जनाएं भी लगा देता है.

जुड़ी हैं कई भ्रांतियां

शर्म इसलिए भी है क्योंकि हमारे समाज में सेक्स एक टैबू है और उस के साथ हमेशा कई तरह की भ्रांतियां जुड़ी रही हैं. अगर एक स्वाभाविक जरूरत की तरह कोई लड़की इस की मांग करे, तो भी शर्म की बात है. इस के अलावा सेक्स संबंधों को ले कर लड़कियों के मन में यह बात डाल दी जाती है कि इस के लिए उन का शरीर सुंदर और अनुपात में होना चाहिए. ऐसे में जब तक वे युवा होती हैं समझ चुकी होती हैं कि उन का शरीर कैसा लगना चाहिए और जब उन का शरीर उस से मेल नहीं खाता, तो उन्हें शर्मिंदगी का एहसास होने लगता है.

मैत्रेयी का विवाह हुए 1 महीना हो गया है, पर वह अभी भी पति के साथ संबंध बनाने में हिचकिचाती है. वजह है, उस का सांवला और बहुत अधिक पतला होना. उसे लगता है कि पति उस की रंगत और पतलेपन को पसंद नहीं करेंगे, इसलिए वह उन के निकट जाने से घबराती है. पति जब नजदीक आते हैं, तो वह कमरे में अंधेरा कर देती है. अपने शरीर के आकार को ले कर वह इतनी परेशान रहती है कि सेक्स संबंधों को ऐंजौय ही नहीं कर पाती है.

मनोवैज्ञानिक संध्या कपूर कहती हैं कि सेक्स के प्रति शर्म पतिपत्नी के बीच दूरियों की सब से बड़ी वजह है. पत्नी कभी खुले मन से पति के निकट जा नहीं पाती. फिर वे संबंध या तो मात्र औपचारिकता बन कर रह जाते हैं या मजबूरी. उन में संतुष्टि का अभाव होता है. यह शर्म न सिर्फ औरत को यौन आनंद से वंचित रखती है, वरन प्यार, सामीप्य व साहचार्य से भी दूर कर देती है.

न छिपाएं अपनी इच्छाएं

यह एक कटु सत्य है कि भारतीय समाज में औरतों की यौन इच्छा को महत्त्व नहीं दिया जाता है. वे सेक्स को आनंद या जरूरत मानने के बजाय उसे विवाह की अनिवार्यता व बच्चे पैदा करने का जरिया मान कर या तो एक दिनचर्या की तरह निभाती हैं या फिर संकोच के चलते पति से दूर भागती हैं. उन की सेक्स से जुड़ी शर्म की सब से बड़ी वजह यही है कि बचपन से उन्हें बताया जाता है कि सेक्स एक वर्जित विषय है, इस के बारे में उन्हें बात नहीं करनी चाहिए.

‘‘ऐसे में विवाह के बाद सेक्स के लिए पहल करने की बात तो कोई लड़की सोच भी नहीं पाती. इस की वजह वे सामाजिक स्थितियां भी हैं, जो लड़की की परवरिश के दौरान यह बताती हैं कि सेक्स उन के लिए नहीं वरन पुरुष के ऐंजौय करने की चीज है. जबकि संतुष्टिदायक सेक्स संबंध तभी बन सकते हैं, जब पतिपत्नी दोनों की इस में सक्रिय भागीदारी हो और वे बेहिचक अपनी बात एकदूसरे से कहें,’’ कहना है संध्या कपूर का.

संकोच न करें

सेक्स का शर्म से कोई वास्ता नहीं है, क्योंकि यह न तो कोई गंदी क्रिया है न ही पतिपत्नी के बीच वर्जित चीज. बेहतर होगा कि आप दोनों ही सहज मन से अपने साथी को अपनाते हुए सेक्स संबंधों का आनंद उठाएं. इस से वैवाहित जीवन में तो मधुरता बनी ही रहेगी, साथ ही किसी तरह की कुंठा भी मन में नहीं पनपेगी.

पति का सामीप्य और भरपूर प्यार तभी मिल सकता है, जब आप उसे यह एहसास दिलाती हैं कि आप को उस की नजदीकी अच्छी लगती है. आंखों में खिंचे शर्म के डोरे पति को आप की ओर आकर्षित करेंगे, पर शर्म के कारण बनाई दूरी उन्हें नागवार गुजरेगी. मन में व्याप्त हर तरह की हिचकिचाहट और संकोच को छोड़ कर पति के साहचर्य का आनंद उठाएं.

सफल सेक्स एक अनिवार्यता है

  1. विशेषज्ञों द्वारा किए गए कई शोधों से यह साबित हो चुका है कि सेक्स एक नैसर्गिक प्रक्रिया है और इस से न सिर्फ वैवाहिक जीवन में मधुरता बनी रहती है, बल्कि शरीर स्वस्थ और मन प्रसन्न रहता है.
  2. धार्मिक आडंबरों में फंस कर सेक्स को बुरी नजर से देखना गलत है. हकीकत में हमारी उत्पत्ति ही इसी की देन है.
  3. सेक्स सुरक्षित और साथी की सहमति से करना चाहिए.
  4. सेक्स में असंतुष्टि अथवा शर्म से दांपत्य संबंधों में मौन पसर सकता है. इसलिए इस पर खुल कर बात करें और इसे भरपूर ऐंजौय करें.
  5. नीमहकीम या झोलाछाप डाक्टरों के चक्कर में फंस कर सेक्स जीवन प्रभावित हो सकता है. इन से दूर रहें.
  6. सेक्स में निरंतरता के लिए मानसिक मजबूती व भावनात्मक संबंध जरूरी है.

बैडरूम में लें सेक्स का पूरा आनंद, अपनाएं ये 7 टिप्स

पतिपत्नी के इश्क को ज्यादा से ज्यादा रोमांस से भरपूर रखने में बैडरूम का बड़ा योगदान होता है. घर में उन का ज्यादा समय बैडरूम में ही बीतता है. वे आराम, सुकून, रोमांस, इश्क के लिए बैडरूम को ही चुनते हैं. बैडरूम की ऊर्जा का प्रभाव उन के संबंधों एवं मानसिकता पर भी पड़ता है. मनोचिकित्सक, दिनेश के मुताबिक यदि पतिपत्नी अपना जीवन प्यारमुहब्बत से भरना चाहते हैं, तो शुरुआत अपने बैडरूम से ही करें. बैडरूम को परफैक्ट रखें. इस से आप की सैक्स लाइफ हमेशा रोमांस से भरी रहेगी.

बैडरूम सजावट के टिप्स

  1. लाइट: इश्क का इजहार करने में लाइट की अहम भूमिका होती है. अत: बैडरूम में हलकी गुलाबी, आसमानी रंग की लाइट का प्रयोग करें. कमरे में लाइट डाइरैक्ट नहीं इनडाइरैक्ट पड़नी चाहिए. लैंपशेड या कौर्नर लाइट हो तो और भी अच्छा. इस से बैडरूम रोमांस का मजा कई गुना बढ़ जाएगा.  फल रखें: अंगूर, स्ट्राबैरी, केला, चैरी या चीकू की खुशबू बहुत रोमांचित करती है. इस से प्यार करने का मजा दोगुना हो जाता है.

2. बैडरूम को रोमांटिक बनाएं: पतिपत्नी के अंतरंग संबंधों में मुहब्बत बनी रहे, इस के लिए वे कभी हिलस्टेशन जाते हैं, कभी समुद्र किनारे तो कभीकभी किसी बड़े होटल में. हर जगह की अपनी खूबसूरती होती है. मगर इसी खूबसूरती को, भिन्नता को अपने बैडरूम में शामिल करें, तो पतिपत्नी अपनी रोमांटिक लाइफ को एक डैस्टिनेशन पौइंट दे सकते हैं. कमरे में आर्टिफिशियल फाउंटेन, फूल, चित्र आदि  लगाने के साथसाथ अलमारी, सोफे, टेबल  आदि की जगह भी बदलते रहें ताकि बैडरूम आकर्षक लगे.

3. बैडरूम को रखें सुसज्जित: बैडरूम अच्छी तरह डैकोरेटेड हो. उस का इंटीरियर आप को बारबार रूम में जाने को उकसाए. परदे ऐसे कि आसमान नजर आए. हलके परदे इस्तेमाल करें. बैडरूम साफसुथरा हो. उस में तरहतरह के इनडोर पौधे लगाएं, बेल लगाएं. उस में हलकी रोशनी भी आनी चाहिए ताकि आप का मूड और ज्यादा रोमांटिक बने.  तसवीरें: बैडरूम में रोमांटिक तसवीरें लगाएं. लविंगबर्ड, हंस की तसवीर, रैडरोज  आदि लगाएं ताकि इन्हें देख कर रोमांस करने  का मन करे.

4. बिस्तर: मूड बनाने में बिस्तर का अहम रोल होता है. अत: गद्दे चुभनशील न हों. बैड से आवाज न आती हो. तकिए आरामदायक हों, बैडशीट का रंग इश्क को उकसाने वाला हो.

5. खुशबू: खुशबू हमारे अंदर कई तरह के भाव पैदा करती है. रोमांस के लिए कई तरह के परफ्यूम का प्रयोग किया जा सकता है. लैवेंडर, मोंगरा, ब्रूट, वन मैन शो जैसे परफ्यूम संबंध बनाने का मूड बनाते हैं. बैडरूम में खूबसूरत गुलदस्ते रखें. अरोमा कैंडल जलाएं. यह न  केवल बैडरूम में हलकी रोशनी देती है, बल्कि इस के जलने से भीनीभीनी खुशबू भी आती है, जो रोमांस, चुहुलबाजी के लिए प्रेरित करती है.

6. डिस्टर्बैंस न हो: अलार्मघड़ी, मोबाइल, सिंगिंग खिलौने आदि बैडरूम से दूर ही  रखें ताकि इन की आवाज प्यार में खलल  न डाले.

7. दीवारों के रंग: दीवारों के रंग भी  अपनी मूक भाषा में बहुत कुछ बोल जाते  हैं. हलका गुलाबी, औरेंज, आसमानी, तोतईरंग, पेस्टल शेड्स आदि मन में प्यार का भाव   जगाते हैं.

मेरा चचेरा भाई मेरे साथ अश्लील हरकतें करता है, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरा एक चचेरा भाई है. हम दोनो हमउम्र हैं. जब भी हम लोग चाचा के घर रहने जाते हैं तो रात के समय मेरा भाई मेरे करीब आ जाता है और उस समय वह मेरे साथ जिस तरह की अश्लील हरकतें करता है वे मुझे अच्छी नहीं लगतीं पर मैं न उसे मना कर पाती हूं और न ही घर में किसी और से इस विषय में बात कर पाती हूं. कृपया बताएं कि मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब

आप का चचेरा भाई रात को आप के साथ अश्लील हरकतें करता है तो आप को उस के कमरे में नहीं सोना चाहिए. अपनी मां या बहन के साथ सो सकती हैं. पर आप ऐसा नहीं कर रहीं.

यदि आप को उस की हरकतें वाकई नागवार गुजरतीं तो आप पहली बार ही उसे धमका देतीं. वह दोबारा ऐसा करने की जुरअत न करता. पर लगता है कि आप को इस सब में मजा आता है, अच्छा लगता है इसीलिए आप उसे मना नहीं कर रहीं अर्थात इस सब में आप की मूक सहमति है. पर आप को समझना चाहिए कि इस से आप आगे चल कर मुश्किल में पड़ सकती हैं.

अत: उसे मना कर दें. यदि वह नहीं मानता तो सख्त शब्दों में उसे धमकी दें कि आप अपने घर वालों से उस की शिकायत करेंगी. वह संभल जाएगा.

सेक्स करने के अगले दिन मेरे यूट्रस में दर्द होने लगा और मुझे बुखार भी हो गया, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 21 साल की युवती हूं. कुछ दिनों पहले अपने बौयफ्रैंड के साथ शारीरिक संबंध स्थापित किया. हालांकि इस दौरान बौयफ्रैंड ने कंडोम का प्रयोग कर सेक्स किया पर दूसरे दिन सुबह मेरे यूट्रस में दर्द होने लगा और मुझे बुखार भी हो गया. अत: बताएं कि सुरक्षित संबंध बनाने के बाद भी दर्द क्यों हुआ?

जवाब-

सेक्स संबंध हमेशा सुरक्षित ही बनाना चाहिए. सेक्स क्रिया में कंडोम एक सरल व सहज गर्भनिरोधक है, जिस से अनचाहे गर्भधारण से बचा जा सकता है.

यूट्रस में दर्द और बुखार होने का सुरक्षित सेक्स संबंध बनाने से कोई वास्ता नहीं है. संभव है कि आप के साथ कोई अंदरूनी वजह रही होगी. बेहतर होगा कि आप अपने डौक्टर से मिल कर सलाह लें.

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सेक्स चाहिए बच्चा नहीं

विवाह के बाद जोड़े सेक्स का तो जम कर लुत्फ उठाते हैं पर बच्चा पैदा करने से परहेज करते हैं. कई युवा ऐसे भी हैं जो विवाह किए बगैर सेक्स का मजा लेते रहते हैं. कई युवा कंडोम, कौपर टी, गर्भनिरोधक गोलियों आदि का इस्तेमाल कर जिस्मानी रिश्ते बना रहे हैं. इस के पीछे उन का मकसद केवल सेक्स का मजा लेना ही होता है न कि बच्चे को जन्म देना. अगर बच्चा ठहर भी जाता है तो वे उसे गिराने में जरा भी देर नहीं लगाते हैं.

सेक्स का आनंद नैचुरल और सेफ तरीके से उठाया जाए तो मजा दोगुना हो जाता है. ऐसा नहीं करने से कई तरह की बीमारियों और परेशानियों में फंसने की गुंजाइश रहती है.

आजकल मातृत्व और पितृत्व की भावना कम होती जा रही है. औरत और मर्द का रिश्ता केवल सेक्ससुख का ही रह गया है. इसी वजह से यह चलन चल पड़ा है कि लोग मांबाप बनने से कतराते हैं. समाजविज्ञानी हेमंत राव कहते हैं कि महज सेक्स का सुख उठाने वाले जोड़े 30-35 साल की उम्र तक तो यह आनंद उठा सकते हैं लेकिन उस आयु तक अगर बच्चा पाने से परहेज किया जाए तो तरहतरह की जिस्मानी और दिमागी परेशानियां शुरू हो जाती हैं. कई ऐसे मामले हैं जहां लंबे समय तक बच्चे न चाहने वाले जोड़ों को बाद में काफी दिक्कतें उठानी पड़ती हैं.

हर चीज का समय होता है. बारबार गर्भपात कराने पर बच्चेदानी कमजोर हो जाती है, उस के फटने के आसार भी बढ़ जाते हैं. बारबार गर्भपात कराने से बां झपन की समस्या के होने का भी खतरा होता है. अगर बच्चा ठहर भी जाता है तो जन्म लेने वाले बच्चे के कमजोर और बीमार होने का खतरा बना रहता है. कई ऐसे उदाहरण हैं जहां देर से बच्चा होने पर वह दिमागी और जिस्मानी तौर पर बहुत कमजोर होता है. उस के कई अंगों का ठीक से विकास नहीं हो पाता है.

आज के युवा बच्चे को ऐसेट नहीं बल्कि लाइबिलिटी मानते हैं. यही वजह है कि ‘सेक्स का मजा लो और फिर अपने काम में लग जाओ’ की सोच बढ़ती जा रही है. अब वंश आगे बढ़ाने और मांबाप बनने का आनंद उठाना गुजरे जमाने की बात जैसी होती जा रही है. पहले के लोग बच्चे को बुढ़ापे का सहारा मानते थे पर आज के लोगों की सोच ऐसी नहीं है. उन की सोच है कि पैसा है तो सबकुछ खरीदा जा सकता है. कैरियर बनाओ, पैसा कमाओ और सेक्स का भरपूर मजा उठाओ, यही आज के युवाओं की सोच है.

हमारे देश में आज भी शादी की तमाम रस्मों और हनीमून की प्लानिंग तो की जाती है पर बच्चों की नहीं, जिस का नतीजा अनचाहा गर्भ या गर्भपात ही होता है. डा. नीरू अरोरा कहती हैं, ‘‘गर्भनिरोधक यानी कौंट्रासैप्टिव के चुनाव के मामले में आज कई दंपती यह तय ही नहीं कर पाते हैं कि कौन सा गर्भनिरोधक उन के लिए उपयुक्त है.’’

गर्भनिरोधकों के बारे में महिलाओं के मन में अनेक गलत धारणाएं रहती हैं, जैसे गर्भनिरोधक गोली से भविष्य में गर्भधारण में समस्या होगी, सेक्स की चाहत नहीं रहेगी, कैंसर की संभावना बढ़ेगी, वजन बढ़ जाएगा वगैरह. ये सारी धारणाएं गलत हैं.

‘गर्भनिरोधक गोलियों के प्रयोग से ओवेरियन कैंसर व सिस्ट के चांसेस कम होते हैं. इन के प्रयोग से घबराना नहीं चाहिए.’’

गर्भनिरोधक 2 प्रकार के होते हैं, प्राकृतिक व कृत्रिम.

प्राकृतिक गर्भनिरोधक

प्राकृतिक गर्भनिरोधक तरीकों का प्रयोग करते समय किसी भी तरह की गर्भनिरोधक दवाओं का प्रयोग नहीं किया जाता. इस के खास तरीके में सिर्फ मासिक चक्र को ध्यान में रखते हुए ‘सेफ पीरियड’ में ही सेक्स किया जाता है.

सुरक्षित मासिक चक्र : परिवार नियोजन के प्राकृतिक तरीकों में से एक सुरक्षित मासिक चक्र है. इस तरीके के तहत ओव्यूलेशन पीरियड के दौरान शारीरिक संबंध न रखने की सावधानियां बरती जाती हैं.

आमतौर पर महिलाओं में अगला पीरियड शुरू होने के 14 दिन पहले ही ओव्यूलेशन होता है. ओव्यूलेशन के दौरान शुक्राणु व अंडे के फर्टिलाइज होने की ज्यादा संभावना होती है. दरअसल, शुक्राणु सेक्स के बाद 24 से 48 घंटे तक जीवित रहते हैं, जिस से इस दौरान गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है.

फायदा : इस में न किसी दवा की, न किसी कैमिकल की और न ही किसी गर्भनिरोधक की जरूरत होती है. इस में किसी भी तरह का रिस्क या साइडइफैक्ट का डर भी नहीं रहता.

नुकसान : यह तरीका पूरी तरह से कामयाब नहीं कहा जा सकता. यदि पीरियड समय पर नहीं होता तो गर्भधारण की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है.

कैलेंडर वाच : प्राकृतिक तरीकों में एक कैलेंडर वाच है, जिसे सालों से महिलाएं प्रयोग में लाती हैं. इस में ओव्यूलेशन के संभावित समय को शरीर का टैंप्रेचर चैक कर के जाना जाता है और उसी के अनुसार सेक्स करने या न करने का निर्णय लिया जाता है. इस में महिलाओं को तकरीबन रोज ही अपने टैंप्रेचर को नोट करना होता है. जब ओव्यूलेशन होता है तो शरीर का तापमान आधा डिगरी बढ़ जाता है.

फायदा : इस में किसी भी प्रकार की दवा या कैमिकल का उपयोग नहीं होता. इस से कोई साइड इफैक्ट नहीं पड़ता और न सेहत के लिए ही कोई नुकसान होता.

नुकसान : यह उपाय भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है, खासकर उन महिलाओं के लिए जिन की माहवारी नियमित नहीं होती.

स्खलन विधि : इस विधि में स्खलन से पहले सेक्स क्रिया रोक दी जाती है, ताकि वीर्य योनि में न जा सके.

फायदा : इस का कोई भी साइड इफैक्ट नहीं है.

नुकसान : सहवास के दौरान हर पल दिमाग में इस की चिंता रहती है. लिहाजा, सेक्स का पूरापूरा आनंद नहीं मिल पाता. इस के अलावा शुरू में निकलने वाले स्राव में कुछ मात्रा में स्पर्म्स भी हो सकते हैं. इसलिए यह विधि कामयाब नहीं है.

कृत्रिम गर्भनिरोधक

प्रैग्नैंसी रोकने की जिम्मेदारी अकसर महिलाओं को ही उठानी पड़ती है. इसलिए उन्हें इस के लिए इस्तेमाल होने वाले कौंट्रासैप्टिव की जानकारी होना बेहद जरूरी है.

गर्भनिरोधक गोलियां : गर्भनिरोधक गोलियां भी कई प्रकार की होती हैं :

साइकिल गर्भनिरोधक गोली : इस का पूरा कोर्स 21 दिन का होता है. इस की 1 गोली माहवारी के पहले दिन से ही रोज ली जाती है. इस के साथ ही 3 हफ्ते तक बिना नागा यह गोली लेनी चाहिए.

फायदा : इस के उपयोग से माहवारी के समय दर्द से भी आराम मिलता है.

नुकसान : आप यदि एक दिन भी गोली खाना भूल गईं तो प्रैग्नैंट हो सकती हैं, साथ ही सिरदर्द, जी मिचलाना, वजन बढ़ना आदि समस्याएं भी हो जाती हैं.

ओनली कौंट्रासैप्टिव पिल : इसे ओसीपी भी कहा जाता है. इस का भी कोर्स 21 दिनों का होता है, जिस में 7 गोलियां हीमोग्लोबिन की भी होती हैं. इस तरीके से महिलाओं को एनीमिया की शिकायत नहीं होती क्योंकि इस में प्रोजेस्टेरोन और इस्ट्रोजन हार्मोन होते हैं.

आपातकालीन गोलियां: असुरक्षित सहवास के बाद अनचाहे गर्भ से बचने के लिए इस का इस्तेमाल किया जाता है.

फायदा : इस गोली का सेवन यौन संबंध बनाने के 72 घंटों के अंदर किया जाता है तो यह 96 फीसदी तक प्रभावशाली होती है.

नुकसान : इस का प्रयोग करना स्वास्थ्य की दृष्टि से ठीक नहीं है.

कौपर टी : गर्भनिरोधक के रूप में यह विश्व में सब से ज्यादा इस्तेमाल होती है. यह अंगरेजी के टी (ञ्ज) अक्षर के शेप की होती है और इस में पतला सा तार लगा होता है. इसे गर्भाशय के भीतर लगाया जाता है. इस से गर्भ नहीं ठहर पाता. जब भी बच्चे की चाहत हो इसे निकलवाया जा सकता है.

फायदा : इस में 99 फीसदी तक फायदा है. एक बार बच्चा होने के बाद दूसरा बच्चा होने के समय में गैप के लिए कौपर टी एक अच्छा जरिया है.

नुकसान : कौपर टी लगाने के बाद 2-3 महीने तक माहवारी ज्यादा आती है, लेकिन बाद में ठीक हो जाती है. इसे डाक्टर के द्वारा ही लगाया और निकलवाया जाता है.

गर्भनिरोधक इंजैक्शन : यह इस्ट्रोजन व प्रोजेस्टेरौन का इंजैक्शन है. यह 2 महीने या 3 महीने में लगाया जाता है. यह ओव्यूलेशन रोकता है, जिस से गर्भ नहीं ठहरता.

फायदा : इस का 99 फीसदी फायदा होता है. माहवारी भी कम दिनों तक होती है और माहवारी में दर्द नहीं होता.

नुकसान : इस से वजन बढ़ जाता है. इस इंजैक्शन के बाद नियमित व्यायाम और खानपान में संतुलित आहार जरूरी है.

दूर करें सेक्स से जुड़े सारे भ्रम, पढ़ें खबर

अकसर युवा सेक्स को ले कर कई तरह की भ्रांतियों से घिरे रहते हैं. अपनी गर्लफ्रैंड से सेक्स को ले कर अपने इमैच्योर फ्रैंड्स से उलटीसीधी ऐडवाइज लेते हैं और जब उस ऐडवाइज का सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ता है तो शर्मिंदगी से किसी से बताने में संकोच करते हैं. यहां युवाओं को यह बात समझनी जरूरी है कि सेक्स से सिर्फ मजा ही नहीं आता बल्कि इस से सेहत का भी बड़ा गहरा संबंध है.

सेक्स और सेहत को ले कर कम उम्र के युवकों और युवतियों में ज्यादातर नकारात्मक भ्रांतियां फैली हैं. स्वास्थ्य के लिए सेक्स कितना अच्छा है, यह बात न इन्हें स्कूल और कोचिंग सैंटर्स में पढ़ाई जाती है और न ही पैरेंट्स सेक्स ऐजुकेशन को ले कर इतने जागरूक हैं कि अपने युवा बच्चों को सेक्स और सेहत के बीच के सही तालमेल और पोजिटिवनैगेटिव फैक्टर्स से रूबरू करा सकें.

आएदिन देशदुनिया में कहीं न कहीं सेक्स और सेहत को ले कर रिसर्च होती रहती है जिस से अंदाजा लगाना आसान होता है कि सेक्स कोई बीमारी नहीं बल्कि आप की सेहत के लिए बहुत आवश्यक है बशर्तें इस के बाबत आप को सही गाइडैंस मिली हो.

सेक्स, सेहत और भ्रांतियां

सेक्स के बाद युवतियों के हिप्स और ब्रैस्ट का वजन बढ़ जाता है. सेक्स करने से कमजोरी आती है. सेक्स करने से शरीर में खून की कमी होती है. सेक्स के दौरान भयानक पीड़ा से गुजरना पड़ता है. सेक्स करने से पढ़ाई में मन नहीं लगता. ज्यादा सेक्स करने से वजन कम हो जाता है. सेक्स करने से लड़की तुरंत प्रैग्नैंट हो जाती है. सेक्स तनाव का बड़ा कारण है, सेक्स करने से हार्टअटैक का खतरा बढ़ जाता है. सेक्स का याद्दाश्त पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, सेक्स करने से ब्लड प्रेशर अनियंत्रित रहता है… वगैरावगैरा.

यह तमाम भ्रांतियां आजकल के युवकयुवतियों के दिमाग में घर कर गई हैं. इन के चलते सेक्स को ले कर जो रवैया युवाओं में होना चाहिए, वह नहीं दिखता.

हर मिथक और गलतफहमी के वैज्ञानिक और मैडिकल तथ्य हैं जो इन को सिरे से खारिज करते हैं. मसलन, वजन बढ़ने वाली बात की जाए, तो सैक्सुअल रिलेशन की शुरुआत होते ही युवतियों के हिप्स और ब्रैस्ट का वजन नहीं बढ़ता है. एक तर्क यह है कि युवतियों और महिलाओं के खून में स्पर्म आत्मसात हो जाता है और वह बाहर नहीं निकल पाता, लेकिन समझने वाली बात यह है कि 2-3 मिलीलिटर स्पर्म से मात्र 15 कैलोरी बढ़ती हैं. इसलिए सेक्स को मनोवैज्ञानिक रूप से वजन बढ़ने का सही तथ्य नहीं माना गया है.

विल्किस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक और एक अन्य अमेरिकन शोध बताते हैं कि  सप्ताह में एक या दो बार सेक्स करने से इम्युनोग्लोबुलिन नाम के ऐंटीबौडी में बढ़ोतरी होती है. इसलिए रैगुलर ऐक्सरसाइज करें और हैल्दी डाइट से वजन मैंटेन करें न कि सेक्स न करने से. शोध में यह बात भी सामने आई है कि यह हार्ट के लिए बेहद फायदेमंद है. वैज्ञानिकों ने अपने शोध में पाया कि सप्ताह में 2 बार या इस से ज्यादा बार सेक्स करने वाले पुरुषों में दिल की बीमारी होने की आशंका 45 फीसदी तक कम होती है. इतना ही नहीं सेक्स करना आप के ब्लडप्रैशर और हृदयगति के लिए भी अच्छा है. सेक्स के दौरान जितना ज्यादा स्खलन होगा उस से प्रोस्टैट कैंसर होने की आशंका उतनी ही कम होगी.

रिसर्च से यह सच भी सामने आया कि जो लोग ज्यादा तनाव में रहते हैं वे ज्यादा सेक्स करते हैं. ऐसा करने से तनाव दूर हो जाता है. यह शोध मैसाच्यूसैट्स स्थित न्यू इंगलैंड इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिकों ने किया है.

परफैक्ट टाइमिंग है जरूरी

सेक्स के दौरान अगर सेहत को भी अनुकूल रखना चाहते हैं तो युवाओं को सेक्स का समय, माहौल और मानसिक दशा पर सतर्कता बरतने की जरूरत होती है. मान लीजिए आप सेक्स रात को ढाई बजे कर रहे हैं. उस समय एक सेक्स पार्टनर को हलकीहलकी नींद आ रही है. ऐसे में जाहिर है सेक्स का भरपूर आनंद तो मिलेगा नहीं, मानसिक तनाव ही बढे़गा. सेक्स सर्वे भी स्पष्ट करते हैं कि मौर्निंग सेक्स करने वाले ज्यादा खुश रहते हैं और हैल्दी भी यानी सेक्स के साथ टाइमिंग की बड़ी भूमिका है. स्कूल या औफिस से लौट कर सेक्स करने में जो आनंद और शरीर को रिलैक्स मिलेगा उस का अनुपात सुबहसुबह तरोताजा मूड में सेक्स करने वाले कपल से अलग होगा. इस का एक कारण यह भी है कि मोर्निंग सेक्स करने वालों के शरीर में एक ऐसे तत्त्व का रिसाव होता है जो पूरे दिन प्यार बनाए रखने में लाभदायक सिद्ध होता है. हफ्ते में तीन बार सुबहसुबह सेक्स करने वालों को हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा भी कम हो जाता है.

इसी तरह अगर किसी से झगड़ा हुआ है किसी नुकसान के चलते मन अस्थिर है, तो ऐसे समय सेक्स करने से न तो शारीरिक संतुष्टि मिलती है और न सेक्स का मजा, उलटा यह गलती बारबार दोहराने में सेक्स के प्रति मन भी उचटने लगता है और उदासीनता सेक्स लाइफ के लिए बिलकुल भी ठीक नहीं है.

सेक्स से रहें हैल्दी

सेक्स का सेहत से कितना गहरा रिश्ता है इस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बीते साल  स्वीडिश सरकार ने अपने देश के नागरिकों की सेक्स लाइफ से चिंतित हो कर व्यापक पैमाने पर एक स्टडी शुरू की. 2019 में पूरी होनी वाली यह स्टडी इसलिए करवाई गई क्योंकि लोगों का सेक्स के प्रति झुकाव कम हो रहा था. वहां के हैल्थ मिनिस्टर के मुताबिक यदि स्वीडिश नागरिकों की सेक्स लाइफ तनाव और अन्य हैल्थ समस्याओं के कारण प्रभावित हो रही है तब भी यह एक राजनीतिक समस्या है.

सेक्स स्टडी कर रहे शोधकर्ताओं के मुताबिक, ‘‘सेक्स से लोगों की सेहत पर व्यापक असर होता है. जो लोग हफ्ते में कम से कम एक बार सेक्स करते हैं वे सेक्स न करने वालों की तुलना में ज्यादा खुश और प्रोडक्टिव रहते हैं.’’

सेक्स के दौरान न सिर्फ इम्यून सिस्टम बेहतर होता है बल्कि शरीर की फुरती में भी इजाफा होता है. इतना ही नहीं सही मूड, अवस्था और जगह में किए गए सेक्स से बालों, स्किन और नाखूनों को भी बेहतर बनाने में मदद मिलती है. सेक्स करने से हड्डियां और मसल्स भी मजबूत होते हैं. जो सेक्स को ले कर उदासीन रहते हैं उन्हें मीनोपोज के बाद आस्टियोपोरोसिस की समस्या का खतरा रहता है. नियमित सेक्स से एस्ट्रोजन हारमोंस का रिसाव ज्यादा होता है जो सेहत के लिए फायदेमंद होता है. सेक्स ऐक्सपर्ट मानते हैं कि युवाओं में अकसर सेक्स के दौरान एनर्जी लैवल और ऐक्ससाइटमैंट की कमी के चलते तनाव रहता है. ऐसे में वे सुझाव देते हैं कि ऐरोबिक्स शरीर को फिट रखने के लिए सब से बेहतरीन और शानदार वर्कआउट है. इस को करने से शरीर में हमेशा उत्तेजना और फुरती बनी रहेगी. ऐरोबिक्स एनर्जी लैवल को हमेशा बढ़ाए रखता है.

सेक्स, नुकसान और समाधान

जीवनयापन के लिए खाना, पानी, हवा की तरह सेक्स भी एक शारीरिक जरूरत है और इसे सक्रिय रखना युवा रहने के लिए बेहद जरूरी है. एक तरफ जहां सेक्स न करने के कई नुकसान हैं वहीं कुछ हमारी बिगड़ी आदतें ऐसी होती हैं जो हमें सेहत और सेक्स के मोरचे पर कमजोर कर देती हैं.

पहले बात करते हैं सेक्स से जुड़े नफेनुकसानों की. सेक्स न करने वाले हमेशा तनाव में डूबे रहते हैं और यह तनाव हमारे जीवन की सभी जरूरी चीजों को बुरी तरह से प्रभावित करता है. काम, पढ़ाई और निजी संबंधों में तनाव जहर का काम करता है.

जहां सेक्स के कई फायदे हैं वहीं कुछ नुकसान भी हैं. कहते हैं न कि अति हर चीज की बुरी होती है. सेक्स के मामले में यह बात लागू होती है. दिन में 2-3 बार सेक्स करना उसी को सूट करता है जिस का स्टेमिना बेहद अच्छा हो वरना इस से दिल के रोगियों के लिए मुश्किलें भी पैदा हो सकती हैं. इसी तरह जो युवा हस्तमैथुन के आदी हो जाते हैं, उन के लिए भी यह अनहैल्दी हो सकता है. गर्लफ्रैंड नहीं हो जिस की वजह से जो युवा पोर्न का सहारा लेते हैं, धीरेधीरे वे पोर्न के भी इतने आदी हो जाते हैं कि हर पल उन के दिमाग में वही चलता रहता है. इस एडिक्शन के चलते असली सेक्स के दौरान वह उत्तेजना नहीं आती जो पोर्न देखने के दौरान आती है. कई बार युवा अपने साथी दोस्तों, उन की गर्लफ्रैंड और सेक्स लाइफ के किस्से सुन कर कौंप्लैक्स के शिकार हो जाते हैं और चिड़चिडे़ और गुस्सैल होने लगते हैं. यह चीज आप के बोलचाल और व्यव्हार में भी दिखती है.

स्मोकिंग करने से भी सेक्स लाइफ बुरी तरह से बिगड़ जाती है. आजकल के युवा स्मोकिंग को फैशन और लाइफस्टाइल का हिस्सा मान कर कूल और टशन के नाम पर स्मोकिंग करते हैं. इस से सेक्स और्गन के सिकुड़ने से ले कर नपुंसक होने तक का खतरा रहता है.

मोटापा, अनियमित जीवनशैली और मानसिक तनाव जैसे कई तत्त्व सेक्स का खेल बिगाड़ सकते हैं. युवाओं को इन्ही कमियों को दूर करना होगा तभी वे युवावस्था का आनंद ले सकेंगे. याद रखें जिन युवाओं की सैक्सुअल जरूरतें समय से पूरी हो जाती हैं उन का स्वास्थ्य ऐसा न कर पाने वालों की तुलना में अच्छा होता है. इसलिए सेक्स से सेहत के तालमेल को सही बैठा कर बिंदास जिंदगी जीने के लिए कमर कस लीजिए, क्योंकि न तो जवानी बारबार आती है और न आप चिर युवा रह सकते हैं.

मेरे पति का एक शादीशुदा महिला से नाजायज संबंध हैं, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 2 बच्चों की मां हूं. मेरे पति कोलकाता में रहते हैं, मेरे पति के वहां एक महिला से नाजायज संबंध हैं. वह महिला शादीशुदा है और मेरे पति की रुपए-पैसों से मदद भी करती है. एक बार मेरे पति मुझे 15-20 दिनों के लिए अपने साथ कोलकाता ले गए, तब उस महिला से झड़प भी हुई थी. उस के बाद मेरे पति मुझे डांट-डपट कर वापस फैजाबाद छोड़ गए. उस के बाद से वे साल-छह महीने में मात्र 2-4 दिनों के लिए आते हैं और चले जाते हैं. जब भी इस बारे में बात करती हूं तो कहते हैं कि अगर तुम वहां आई और कुछ बोली तो तुम्हें जहर दे कर मार दूंगा.

बहुत समझाने का प्रयास किया पर वे नहीं मानते. बच्चों और घर के लिए पैसे भेज देते हैं. मैं अपने पति के किसी और औरत के साथ संबंध हरगिज बरदाश्त नहीं कर सकती. कानूनी पचड़ों में मैं पड़ना नहीं चाहती क्योंकि ऐसा कोई नहीं है जो मेरी मदद करे. अकेले कैसे अपनी समस्या निबटाऊं, कृपया बताएं.

जवाब

आप की मदद के लिए कोई नहीं है और कानूनी पचड़ों में पड़ना नहीं चाहतीं तो कैसे आप अपना हक पा सकती हैं. आप हिम्मत रखते हुए अपने पति से साफसाफ बात करें कि वे सही रास्ते पर आ जाएं वरना आप को कानून का सहारा लेना पड़ेगा.

आप को अपना हक पाने के लिए लड़ना ही पड़ेगा. महिला आयोग में जा कर अपनी शिकायत लिखवाएं. उस की एक कौपी आप नजदीकी पुलिस स्टेशन में भी दें. आप के पति मनमानी नहीं कर सकते. आप के साथ आप के दोनों बच्चों का भविष्य भी जुड़ा है. बेशक आप का पति घर बच्चों के लिए पैसा भेजता है लेकिन आप के पत्नी होने के अधिकार वह किसी और स्त्री को नहीं दे सकता.

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चंद पलों का रोमांच : इतना अंधा भी न हो प्यार

प्यार में अकसर दिल की धड़कनें तेज हो जाती हैं, सांसें महकने लगती हैं, खयालों में कोई बस जाता है. पर प्यार का यह आलम तब आफत बन कर टूट पड़ता है जब दिल किसी और पर आ जाए.

पिछले दिनों एक पति दिल्ली के एक कोर्ट में जा पहुंचा और कोर्ट से गुहार लगाई कि वह अपनी पत्नी से परेशान है पुलिस उस की मदद नहीं कर रही.

दरअसल, दिल्ली के उत्तम नगर निवासी रवि की शादी सरिता (बदला नाम) से हुई तो उस की खुशी का ठिकाना नहीं था. पत्नी सरिता खूबसूरत थी, जिस के प्रेम में वह खूब डूबताइतराता रहता था. पत्नी की खूबसूरती की तारीफ दोस्तों, रिश्तेदारों से सुनता तो बल्लियों उछलता.

मगर उस की यह खुशी चंद ही दिनों में तब काफूर हो गई, जब पत्नी की असलियत उपन्यास के पन्नों की तरह खुलने लगी. सरिता एक गैरपुरुष के प्रेम में दीवानी थी. 1-2 बार पति की नजरों में आई तो खुद हावी रहने के लिए पति के साथ ससुराल वालों को भी परेशान करने लगी. परिवार को दहेज व अन्य झूठे मामलों में फंसाने की धमकियां देने लगी. वह अपने हाथ की नस काटने तक की धमकी देती.

रवि और उस के परिवार के लोगों ने कभी थानाकचहरी नहीं देखे थे. समाज में बदनामी का डर था. लिहाजा सभी ने सरिता को काफी समझानेबुझाने का प्रयास किया, मगर बजाय समझने के वह और उन्मुक्त हो गई. थकहार कर पति कोर्ट जा पहुंचा और न्याय की गुहार लगाई.

क्या कहता है कानून

ऐडवोकेट दीप्ति कहती हैं, ‘‘इस तरह के मामले कोर्ट में आएदिन आते रहते हैं. अवैध संबंध का राज जब खुलता है तो एकसाथ कई लोगों की जिंदगी दांव पर लग जाती है. रिश्ते खत्म हो जाते हैं. लिहाजा शादी खत्म करने वे कोर्ट की ओर रुख करते हैं. कानूनन ऐडल्टरी के मामले में पुरुषों के दोषी पाए जाने पर उन्हें सजा दिए जाने का तो प्रावधान है पर महिलाओं को नहीं. यह आईपीसी की धारा-497 के तहत आता है.

‘‘दरअसल, धारा-497 पुराना कानून है, जिस में संशोधन की मांग उठती रही है.’’

धारा 497 की पेचीदगियां

आमतौर पर क्रिमिनल लौ में जैंडर समानता दिखती है पर धारा-497 में नहीं. इस धारा के अंतर्गत सिर्फ पुरुष को ही अपराधी माना जाता है जबकि महिला सिर्फ विक्टिम होती है.

यानी अगर कोई विवाहित पुरुष किसी विवाहित औरत के साथ सहमति से संबंध बनाता है तो संबंध बनाने वाले पुरुष के खिलाफ तो उस औरत का पति ऐडल्टरी का मुकदमा दर्ज करा सकता है, लेकिन संबंध बनाने वाली औरत के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का कोई प्रावधान नहीं है.

आर्थिक जरूरत, रोमांच, कुछ नया करने व शारीरिक भूख को शांत करने की चाह में जब महिलापुरुष एक बार इस दलदल में फंसते हैं, तो फिर फंसते चले जाते हैं. उन के लिए इस दलदल से निकलना असंभव हो जाता है.

दिसंबर, 2011 में विवाहेतर संबंधों पर कराए गए एक अध्ययन में चौंकाने वाले तथ्य उजागर हुए थे. इस अध्ययन के मुताबिक 16% भारतीय महिलाएं विवाहेतर संबंध यानी ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर में रहती हैं.

क्रिकेटर शमी की जिंदगी में तूफान

हाल ही में भारतीय क्रिकेटर मो. शमी व उस की पत्नी हसीन जहां में भी विवाद कम होने का नाम नहीं ले रहा. हसीन ने खुलेआम आरोप लगाया है कि शमी दूसरी लड़कियों के संपर्क में रहते हैं और अंतरंग चैट करते हैं.

हसीन जहां की बातों में कितनी सचाई है, यह तो तहकीकात में ही पता चल सकता है पर इस आरोप से न सिर्फ शमी का कैरियर, बल्कि दांपत्य जीवन भी दांव पर लग गया है.

कभीकभी तो विवाहेतर संबंध शादीशुदा जिंदगी को खत्म कर खतरनाक रूप भी इख्तियार कर लेते हैं. यहां कुछ ऐसे उदाहरण हैं, जिन्होंने सभ्य समाज की चूलें हिला दीं:

अलीपुर, दिल्ली के रहने वाले सुरेंद्र ईश्वर की हत्या उस की पत्नी के प्रेमी ने इसलिए कर दी कि सुरेंद्र को दोनों के रिश्ते का पता चल गया था. अब आरोपी जेल में है.

दिल्ली के गाजीपुर में एक दिल दहला देने वाली घटना घटी, जब अवैध संबंधों में बाधा बन रही 4 साल की एक मासूम बच्ची को प्रेमी ने इसलिए मौत के घाट उतार दिया, क्योंकि बच्ची संबंध बनाते समय बाधा बन रही थी. आरोपी कानून की गिरफ्त में है.

मुंबई की एक घटना में पतिपत्नी ने मिल कर बाद में प्रेमी की हत्या कर दी ताकि शादीशुदा जिंदगी बरबाद न हो. दोनों ही पुलिस की गिरफ्त में हैं.

अशोक नगर में पतिपत्नी के बीच ‘वो’ आया तो मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा. पति धर्मेंद्र को पत्नी के रिश्ते की भनक लगी तो धर्मेंद्र की हत्या खुद उस की पत्नी ने प्रेमी के साथ मिल कर कर दी. अब दोनों जेल में हैं.

क्यों बनते हैं ऐसे संबंध

क्लीनिकल साइकोलौजिस्ट डा. अतुल वर्मा ने विवाहेतर संबंध बनने की कई वजहें बताईं:

भावनात्मक वजह: विवाहोपरांत दंपती एकदूसरे से भावनात्मक जुड़ाव चाहते हैं. एकदूसरे से अपेक्षा करते हैं कि जीवनसाथी उसे दिल की गहराइयों से प्रेम करे, उस का पूरा खयाल रखे. पर साथी से उपेक्षा मिलने पर यही सब किसी तीसरे से मिलने की चाहत होने लगती है. परिणाम विवाहेतर संबंध के रूप में सामने आता है.

अकेलापन: पतिपत्नी में से किसी एक का अकेलापन उसे विवाहेतर संबंध की ओर ले जाता है. फिर चाहे यह अकेलापन कामकाज में व्यस्तता की वजह से हो या फिर पारिवारिक वजहों से एकदूसरे के प्रति उदासीनता संबंध की ऊष्मा को खत्म कर देती है.

जीवन में रोमांच लाने के लिए: कुछ लोगों को जीवन में कुछ नयापन लाने की चाहत विवाहेतर संबंध की ओर ले जाती है. आमतौर पर ऐसे लोग पर्सनैलिटी डिसऔर्डर से पीडि़त होते हैं. इन का अधिकतर समय नैट सर्च करने, फ्रैंड बनाने, कामुक संदेश भेजने, सोशल नैटवर्किंग साइटों को खंगालने में बीतता है. ऐसे लोग जीवन को रोमांच समझते हैं और जीवन भर किसी एक व्यक्ति से बंधे रहना पसंद नहीं करते.

ताकि सुखद रहे दांपत्य

डा. अतुल वर्मा मानते हैं कि दांपत्य जीवन में साथी अगर निम्न बातों का ध्यान रखें तो विवाहेतर संबंध बनने और परिवार को टूटने से बचाया जा सकता है:

  • पतिपत्नी भले ही कामकाजी हों पर एकदूसरे के लिए समय निकालें.
  • घर में टीवी, मोबाइल से दूर रहें.
  • साथ छुट्टियां मनाएं, साथ घूमने जाएं.
  • रात को खाना खाने के लिए एकसाथ डिनर टेबल पर बैठें.
  • एकदूसरे की जरूरतों का ध्यान रखें.
  • सैक्स में नएनए तरीके अपनाएं व खूब ऐंजौय करें.
  • सब से अहम साथी को भावनात्मक सहारे की कमी न महसूस होने दें.

मैं 6 फुट लंबा खूबसूरत नौजवान हूं, क्या मैं अपना करियर एक्टिंग में बना सकता हूं?

सवाल-

मैं 21 साल का 6 फुट लंबा खूबसूरत नौजवान हूं. मेरे नैननक्श तीखे हैं और आसपास के लोग मुझे कहते हैं कि मैं फिल्मों में करियर बना सकता हूं.

मैं ने कभी लोगों के सामने ऐक्टिंग नहीं की है, लेकिन मैं सीखना जरूर चाहता हूं. क्या कोई संस्था ऐक्टिंग का कोर्स सिखाती है?

जवाब-

यह बात ‘नाच न जाने आंगन टेढ़ा’ सरीखी है. अगर तीखे नैननक्श और खूबसूरती ही फिल्मों में करियर के पैमाने या गारंटी होते तो हर चौथा आदमी फिल्म इंडस्ट्री में होता. लेकिन हकीकत यह है कि फिल्मों में जमने के लिए ऐक्टिंग का हुनर आना जरूरी है जो आप के मुताबिक आप में नहीं है, तो बेवजह वक्त बरबाद न करें और पढ़ाईलिखाई पर ध्यान दें.

ओम पुरी और कादर खान जैसे दर्जनों मामूली शक्लसूरत वाले ऐक्टर सिर्फ ऐक्टिंग के दम पर चले और विनोद मेहरा और राजकिरण सरीखे दर्जनों हीरो खूबसूरत और तीखे नैननक्श के होते हुए भी नहीं चल पाए, क्योंकि वे ऐक्टिंग में कमजोर थे.

अगर आप के पास मुकम्मल पैसा और वक्त हो तो पहले किसी नामी इंस्टीट्यूट से ऐक्टिंग का कोई कोर्स करें.

अगर आप अनचाहे सेक्स का शिकार हैं तो जरूर पढ़ें ये खबर

दिन ब दिन बलात्कार की घटनाओं में बढ़ोतरी होती जा रही है. इस के कई कारण हैं, जिन में एक है मानसिक हिंसा की प्रवृत्ति का बढ़ना. बलात्कार शब्द से एक लड़की या युवती पर जबरदस्ती झपटने वाले लोगों के लिए हिंसात्मक छवि उभर कर सामने आती है. इस घृणित कार्य के लिए कड़े दंड का भी प्रावधान है. मगर बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि वैवाहिक जिंदगी में भी बलात्कार वर्जित है और इस के लिए भी दंड दिया जाता है. मगर इसे बलात्कार की जगह एक नए शब्द से संबोधित किया जाता है और वह शब्द है अनचाहा सेक्स संबंध.

आज अनचाहे सेक्स संबंधों की संख्या बढ़ गई है. समाज जाग्रत हो चुका है और अपने शरीर या आत्मसम्मान पर किसी भी तरह का दबाव कोई बरदाश्त नहीं करना चाहता है. इस विषय पर हम ने समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों से बातचीत भी की और जानने की कोशिश की कि आखिर क्या है यह अनचाहा सेक्स संबंध?

डा. अनुराधा परब, जो एक प्रसिद्ध समाजशास्त्री हैं, बताती हैं, ‘‘बलात्कार और अनचाहे सेक्स में बहुत महीन सा फर्क है. बलात्कार अनजाने लोगों के बीच हुआ करता है और एक पक्ष इस का सशरीर पूर्ण विरोध करता है. अनचाहा सेक्स परिचितों के बीच होता है और इस में एक पक्ष मानसिक रूप से न चाह कर भी शारीरिक रूप से पूर्णत: विरोध नहीं करता है. सामान्यत: यही फर्क होता है. मगर गहराई से जाना जाए तो बहुत ही सघन भेद होता है. ‘‘अनचाहा सेक्स ज्यादातर पतिपत्नी के बीच हुआ करता है और आजकल प्रेमीप्रेमिका भी इस संबंध की चपेट में आ गए हैं. आधुनिक युग में शारीरिक संबंध बनाना एक आम बात भले ही हो गई हो, फिर भी महिलाएं इस से अभी भी परहेज करती हैं. कारण चाहे गर्भवती हो जाने का डर हो या मानसिक रूप से समर्पण न कर पाने का स्वभाव, मगर अनचाहे सेक्स संबंध की प्रताड़नाएं सब से ज्यादा महिलाओं को ही झेलनी पड़ती हैं.’’

वजह वर्कलोड

एक एडवरटाइजिंग कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर के पद पर कार्यरत पारुल श्रीनिवासन, जिन का विवाह 6 साल पहले हुआ था, एक चौंका देने वाला सत्य सामने लाती हैं. वह बताती हैं, ‘‘मैं अपने पति को बेहद प्यार करती हूं. उन के साथ आउटिंग पर भी अकसर जाती रहती हूं, मगर सेक्स संबंधों में बहुत रेगुलर नहीं हूं. इस का कारण जो भी हो, मगर मुझे ऐसा लगता है कि इस का मुख्य कारण है, हम दोनों का वर्किंग  होना. शुरूशुरू में 1 महीना हम दोनों छुट्टियां ले कर हनीमून के लिए हांगकांग और मलयेशिया गए थे. वहां से आने के बाद अपनेअपने कामों में व्यस्त हो गए. रात को बेड पर जाने के बाद सेक्स संबंध बनाने की इच्छा न तो मुझे रहती है, न मेरे पति को. पति कभी आगे बढ़ते भी हैं तो मैं टालने की पूरी कोशिश करती हूं.’’

कारण की तह तक पहुंचने पर पता चला कि शुरूशुरू के दिनों में पति सेक्स संबंध बनाना चाहता था. मगर पारुल को अपनी मार्केटिंग का वर्कलोड इतना रहता था कि वह उसी में खोई रहती थी. पति के समक्ष अपना शरीर तो समर्पित कर देती थी, मगर मन कहीं और भटकता रहता था. पति को यह प्रक्रिया बलात्कार सी लगती. कई बार समझाने, मनाने की कोशिश भी उस ने की. मगर पारुल हमेशा यही कहती कि आज मूड नहीं बन रहा है. और एक दिन पारुल ने खुल कर कह ही दिया कि वह यदि सेक्स संबंधों में रत होती भी है तो बिना मन और इच्छा के. वह अनचाहा सेक्स संबंध जी रही है. पति को यह बुरा लगा और धीरेधीरे सेक्स के प्रति उसे भी अरुचि होती चली गई.

भयमुक्त करना जरूरी

ऐसी कई पत्नियां हैं, जो अनचाहा सेक्स संबंध बनाने पर विवश हो जाती हैं. मगर तबस्सुम खानम की कहानी कुछ और ही है.  26 वर्षीय तबस्सुम एक टीचर हैं, उन के पति उन से 12 साल बड़े हैं. उन की एक दुकान है. वह बताती हैं, ‘‘जब मैं किशोरी थी, तभी से मुझे सेक्स संबंधों के प्रति भय बना हुआ था. सहेलियों से इस को ले कर सेक्स अनुभव की बातें करती थीं और मुझे सुन कर डर सा लगता था. मैं सहेलियों से कहती थी कि मैं तो अपने शौहर से कहूंगी कि बस मेरे गले लग कर मेरे पहलू में सोए रहें. इस से आगे मैं उन्हें बढ़ने ही नहीं दूंगी. सभी सहेलियां खूब हंसती थीं. जब मेरी शादी हुई तो शौहर हालांकि बड़े समझदार हैं, मगर शारीरिक उत्तेजना की बात करें तो खुद पर संयम नहीं रख पाते हैं.’’

थोड़ा झिझकती हुई, थोड़ा शरमाती हुई तबस्सुम बताती हैं, ‘‘मेरे पति ने मेरे लाख समझाने पर भी सुहागरात के दिन ही मुझे अपनी मीठीमीठी बातों में बहला लिया. उन का यह सिलसिला महीनों चलता रहा, मुझे आनंद का अनुभव तो होता, मगर भय ज्यादा लगता था. मेरा भय बढ़ता गया. जब भी रात होती, मेरे पति बेडरूम में प्रवेश करते, मैं डर से कांप उठती थी. हालांकि मेरे पति के द्वारा कोई भी अमानवीय हरकत कभी नहीं होती. काफी प्यार और भावुकता से वे फोरप्ले करते हुए, आगे बढ़ते थे.

मगर मेरे मन में जो डर समाया था, वह निकलता ही न था. 3 महीनों के बाद जब मैं गर्भवती हो गई तो डाक्टर ने हम दोनों के अगले 2 महीनों तक शारीरिक संबंध बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया था. मुझे तो ऐसा लगाजैसे एक नया जीवन मिल गया. मेरा बेटा हुआ. इस बीच मैं ने धीरेधीरे पति को अपने डर की बात बता दी और वे भी समझ गए. मेरे पति ने भी परिपक्वता दिखाई और मुझ से दूर रह कर मुझे धीरेधीरे समझाने लगे. वे सेक्स संबंधों को स्वाभाविक और जीवन का एक अंश बताते. अंतत: उन्होंने मेरे मन से भय निकाल ही दिया.’’

इच्छाअनिच्छा का खयाल

विनोद कामलानी, जो एक प्रसिद्ध मनोचिकित्सक हैं, अपना क्लीनिक चलाते हैं, बताते हैं, ‘‘तबस्सुम के मन में बैठा हुआ सेक्स का डर था. बहुत सी लड़कियां इस भय से भयातुर हुआ करती हैं. मगर बहुत कम पति ऐसे होते हैं, जो धीरेधीरे इस भय को निकालते हैं. ऐसे कई केस मेरे पास आते हैं. पुरुषों के भी होते हैं, मगर अनचाहे सेक्स की शिकार ज्यादातर महिलाएं ही हुआ करती हैं.’’ डा. कामलानी के ही एक मरीज तरुण पटवर्धन ने बताया कि उन की शादी को 3 साल हो गए हैं, मगर आज तक उन्होंने अनचाहा सेक्स संबंध ही जीया है.

तरुण के अनुसार, विवाहपूर्व उन का प्रेम अपने पड़ोस की एक लड़की से था. किसी कारणवश शादी नहीं हो पाई, मगर प्रेम अभी भी बरकरार है. उस लड़की ने तरुण की याद में आजीवन कुंआरी रहने की शपथ भी ले रखी है. यही कारण है कि जब भी तरुण अपनी पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने की पहल करते हैं, उन की प्रेमिका का चेहरा सामने आ जाता है. उन्हें एक ‘गिल्ट’ महसूस होता है और वे शांत हो कर लेट जाते हैं. वे अपनी पत्नी से यह सब कहना भी नहीं चाहते हैं वरना उस के आत्मसम्मान को चोट पहुंचेगी. चूंकि उन की पत्नी तरुण को सेक्स प्रक्रिया बनाने में अयोग्य न समझे, उन्हें अपनी पत्नी के साथ सेक्स संबंध बनाना पड़ता है. वे सेक्स संबंध बिना मन, बिना रुचि के बनाते हैं और इस तरह वे अनचाहा सेक्स संबंध ही जी रहे हैं.

एक सर्वे के अनुसार, आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में काम की होड़ और आगे निकलने की चाह ने इनसान को मशीन बना दिया है. पैसा कमाना ही एक मात्र ध्येय बन चुका है. ऐसी भागदौड़ में इनसान सेक्स संबंधों के प्रति इंसाफ नहीं कर पाता है और बिना मन और बिना प्रोपर फोरप्ले के बने हुए सेक्स संबंध, मन में सेक्स के प्रति अरुचि पैदा कर देते हैं.

यहीं से शुरुआत होती है अनचाहे सेक्स संबंधों की. अपने पार्टनर की खुशी के लिए संबंध बनाना कभीकभी विवशता भी होती है. अंतत: यही संबंध ऊब का रूप धारण कर लेते हैं या पार्टनर बदलने की चाह मन में उठती है. यद्यपि यह अनचाहा सेक्स पश्चिमी देशों में तेजी से बढ़ रहा है, भारत भी इस से अछूता नहीं है, परंतु यहां का अनुपात अन्य देशों के मुकाबले नगण्य है.

मेरे प्रेमी के साथ शारीरिक संबंध थे लेकिन अब मुझे लग रहा है कि कहीं यौन रोग का शिकार न हो जाऊं, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरी उम्र 24 साल है. मैं एक कंसलटैंसी में काम करती हूं. मेरे अपने प्रेमी के साथ शारीरिक संबंध थे. हालांकि हम सुरक्षा का पूरा ध्यान रखते रहे. लेकिन फिर भी मुझे लग रहा है कि कहीं किसी यौन रोग का शिकार न हो जाऊं, बताएं, मैं क्या करूं?

जवाब

आप किसी अच्छे गाइनेकोलौजिस्ट के पास जाएं और अपनी जांच करवाएं. आप का गर्भावस्था परीक्षण भी किया जा सकता है. साथ ही, भविष्य के लिए आप को सलाह है कि खुद को किसी ऐसी गतिविधि में फिर से शामिल न करें.

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बेहतर सेक्स के लिए यौन रोगों से बचिए

प्रतिभा की शादी को कई साल हो गए थे. समय पर 2 बच्चे भी हो गए पर कुछ समय के बाद प्रतिभा को लगा कि उस के अंग से कभी कभी तरल पदार्थ निकलता है. शुरुआत में प्रतिभा ने इसे मामूली समझ कर नजरअंदाज कर दिया. मगर कुछ दिनों बाद उसे महसूस हुआ कि इस तरल पदार्थ में बदबू भी है जिस से अंग में खुजली होती है. प्रतिभा ने यह बात स्त्रीरोग विशेषज्ञा को बताई. उस ने जांच कर के प्रतिभा से कहा कि उस को यौनरोग हो गया है, लेकिन इस में घबराने वाली कोई बात नहीं है. प्रतिभा ने तो समय पर डाक्टर को अपनी समस्या बता दी पर बहुत सारी औरतें प्रतिभा जैसी समझदार नहीं होतीं. वे इस तरह के रोगों को छिपाती हैं. पर यौनरोगों को कभी छिपाना नहीं चाहिए. दीपा जब अपने पति के साथ शारीरिक संबंध बनाती थी, तो उसे दर्द होता था. इस परेशानी के बारे में उस ने डाक्टर को बताया. डाक्टर ने दीपा के अंग की जांच कर के बताया कि उसे यौनरोग हो गया है. डाक्टर ने उस का इलाज किया. इस के बाद दीपा की बीमारी दूर हो गई.

प्रदीप को पेशाब के रास्ते में जलन होती थी. वह नीमहकीमों के चक्कर में पड़ गया पर उसे कोई लाभ नहीं हुआ. तब उस ने अच्छे डाक्टर से इस संबंध में बात की तो डाक्टर ने कुछ दवाएं लिखीं, जिन से प्रदीप को लाभ हुआ. डाक्टर ने प्रदीप को बताया कि उस को यौनरोग हो गया था. इस का इलाज नीमहकीमों से कराने के बजाय जानकार डाक्टरों से ही कराना चाहिए.

क्या होते हैं यौनरोग

मक्कड़ मैडिकल सैंटर, लखनऊ के डाक्टर गिरीश चंद्र मक्कड़ का कहना है कि यौनरोग शरीर के अंदरूनी अंग में होने वाली बीमारियों को कहा जाता है. ये पतिपत्नी के शारीरिक संपर्क करने से भी हो सकते हैं और बहुतों के साथ संबंध रखने से भी हो सकते हैं. अगर मां को कोई यौनरोग है, तो बच्चे का जन्म औपरेशन के जरिए कराना चाहिए. इस से बच्चा योनि के संपर्क में नहीं आता और यौनरोग से बच जाता है. कभीकभी यौनरोग इतना मामूली होता है कि उस के लक्षण नजर ही नहीं आते. इस के बाद भी इस के परिणाम घातक हो सकते हैं. इसलिए यौनरोग के मामूली लक्षण को भी नजरअंदाज न करें. मामूली यौनरोग कभीकभी खुद ठीक हो जाते हैं. पर इन के बैक्टीरिया शरीर में पड़े रहते हैं और कुछ समय बाद वे शरीर में तेजी से हमला करते हैं. यौनरोग झ्र शरीर के खुले और छिले स्थान वाली त्वचा से ही फैलते हैं.

हारपीज : यह बहुत ही सामान्य किस्म का यौनरोग है. इस में पेशाब करने में जलन होती है. पेशाब के साथ कई बार मवाद भी आता है. बारबार पेशाब जाने का मन करता है. किसीकिसी को बुखार भी हो जाता है. शौच जाने में भी परेशानी होेने लगती है. जिस को हारपीज होता है उस के जननांग में छोटेछोटे दाने हो जाते हैं. शुरुआत में यह अपनेआप ठीक हो जाता है, मगर यह दोबारा हो तो इलाज जरूर कराएं.

वाट्स : वाट्स में शरीर के तमाम हिस्सों में छोटीछोटी गांठें पड़ जाती हैं. वाट्स एचपीवी वायरस के चलते फैलता है. ये 70 प्रकार के होते हैं. ये गांठें अगर शरीर के बाहर हों और 10 मिलीमीटर के अंदर हों तो इन को जलाया जा सकता है. इस से बड़ी होने पर औपरेशन के जरिए हटाया जा सकता है. योनि में फैलने वाले वायरस को जेनेटल वाट्स कहते हैं. ये योनि में बच्चेदानी के द्वार पर हो जाते हैं. समय पर इलाज न हो तो इन का घाव कैंसर का रूप ले लेता है. इसलिए 35 साल की उम्र के बाद एचपीवी वायरस का कल्चर जरूर करा लें.

गनोरिया : इस रोग में पेशाब नली में घाव हो जाता है जिस से पेशाब नली में जलन होने लगती है. कई बार खून और मवाद भी आने लगता है. इस का इलाज ऐंटीबायोटिक दवाओं के जरिए किया जाता है. अगर यह रोग बारबार होता है, तो इस का घाव पेशाब नली को बंद कर देता है. इसे बाद में औपरेशन के जरिए ठीक किया जाता है. गनोरिया को सुजाक भी कहा जाता है. इस के होने पर तेज बुखार भी आता है. इस के बैक्टीरिया की जांच के लिए मवाद की फिल्म बनाई जाती है. शुरू में ही यह बीमारी पकड़ में आ जाए तो अच्छा रहता है.

सिफलिस : यह यौनरोग भी बैक्टीरिया के कारण फैलता है. यह यौन संबंधों के कारण ही फैलता है. इस रोग के चलते पुरुषों के अंग के ऊपर गांठ सी बन जाती है. कुछ समय के बाद यह ठीक भी हो जाती है. इस गांठ को शैंकर भी कहा जाता है. शैंकर से पानी ले कर माइक्रोस्कोप के सहारे देखा जाता है. पहली स्टेज पर माइक्रोस्कोप के सहारे ही बैक्टीरिया को देखा जा सकता है. इस बीमारी की दूसरी स्टेज पर शरीर में लाल दाने से पड़ जाते हैं. यह बीमारी कुछ समय के बाद शरीर के दूसरे अंगों को भी प्रभावित करने लगती है. इस बीमारी का इलाज तीसरी स्टेज के बाद संभव नहीं होता. यह शरीर की धमनियों को प्रभावित करती है. इस से धमनियां फट भी जाती हैं. यह रोग आदमी और औरत दोनों को हो सकता है. दवा और इंजैक्शन से इस का इलाज होता है.

क्लामेडिया : यह रोग योनि के द्वारा बच्चेदानी तक फैल जाता है. यह बांझपन का सब से बड़ा कारण होता है. बीमारी की शुरुआत में ही इलाज हो जाए तो अच्छा रहता है. क्लामेडिया के चलते औरतों को पेशाब में जलन, पेट दर्द, माहवारी के समय में दर्द, शौच के समय दर्द, बुखार आदि की शिकायत होने लगती है.

यौनरोगों से बचाव

  • अंग पर किसी भी तरह के छाले, खुजलाहट, दाने, कटनेछिलने और त्वचा के रंग में बदलाव की अनदेखी न करें.
  • जब भी शारीरिक संबंध बनाएं कंडोम का प्रयोग जरूर करें. यह यौनरोगों से बचाव का आसान तरीका है.
  • कंडोम का प्रयोग ठीक तरह से न करने पर भी यौनरोगों का खतरा बना रहता है.
  • ओरल सेक्स करने वालों को अपनेअपने अंग की साफसफाई का पूरा खयाल रखना चाहिए.
  • यौनरोग का इलाज शुरुआत में सस्ता और आसान होता है. शुरुआत में इस से शरीर को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचता है.
  • गर्भवती औरतों को अपनी जांच समयसमय पर करानी चाहिए ताकि उस से बच्चे को यौनरोग न लग सके.
  • नीमहकीमों के चक्कर में पड़ने के बजाय डाक्टर की सलाह से ही दवा लें.
  • अंग की साफसफाई से यौनरोगों से दूर रहा जा सकता है.
  • औरतों को यौनरोग ज्यादा होते हैं. अत: उन्हें पुरुषों से ज्यादा सतर्क रहना चाहिए.
  • यौनरोगी के संपर्क में जाने से बचें. बाथरूम की ठीक से साफसफाई न करने से भी एक व्यक्ति का यौनरोग दूसरों को लग सकता है.
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